Rajasthan Board RBSE Class 12 Drawing Important Questions Chapter 3 मुगल लघु चित्र शैली Important Questions and Answers.
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बहुचयनात्मक प्रश्न-
Class 12 Drawing Chapter 3 Question Answer प्रश्न 1.
मुगल चित्रकला किस प्रकार की चित्रकला है?
(अ) लघु चित्रकला
(ब) अमूर्त कला
(स) ग्वाश कला
(द) तैल चित्रकला
उत्तर:
(अ) लघु चित्रकला
चित्रशाला का परिचय दीजिए प्रश्न 2.
मुगल चित्रकला भारत के किस क्षेत्र में विकसित हुई?
(अ) पूर्वी भारत
(ब) पश्चिमी भारत
(स) उत्तरी भारत
(द) दक्षिणी भारत
उत्तर:
(स) उत्तरी भारत
मैडोना एंड चाइल्ड कृति किसने चित्रित की थी प्रश्न 3.
मुगल चित्रकला का विकास किस शताब्दी में हुआ?
(अ) 15वीं शताब्दी में
(ब) 16वीं से मध्य 19वीं शताब्दी के बीच
(स) 16वीं से 18वीं शताब्दी
(द) 19वीं शताब्दी में
उत्तर:
(ब) 16वीं से मध्य 19वीं शताब्दी के बीच
चित्रकला के प्रश्न उत्तर Class 10 प्रश्न 4.
मुगलों ने निम्न में से किस कला को संरक्षण प्रदान किया-
(अ) कैलिग्राफी
(ब) चित्रकला
(स) शिल्पकला
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी
Europiy Chitrkari Ka Pravesh Kiske Darbar Mein Hua प्रश्न 5.
मुगल शैली की चित्रकला में निम्न की झलक मिलती है-
(अ) फारसी कला
(ब) यूरोपीय कला
(स) दोनों (अ) व (ब)
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(स) दोनों (अ) व (ब)
दारा शिकोह की बारात नाम चित्र का वर्णन प्रश्न 6.
बाबर ने अपने संस्मरणों में किस चित्रकार का उल्लेख किया है?
(अ) बिहजाद का
(ब) शाह. मुजफ्फर का
(स) दोनों (अ) व (ब)
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(स) दोनों (अ) व (ब)
Mohammed Shah Kiska Darbari Chitrkar Tha प्रश्न 7.
बाबर अपने साथ किन चित्रकारों को भारत लाया?
(अ) बिहजद
(ब) शाह मुजफ्फर
(स) बसावन
(द) दोनों (अ) व (ब)
उत्तर:
(द) दोनों (अ) व (ब)
Drawing Questions For Class 3 प्रश्न 8.
निम्न में से कौन मुगल चित्रशाला में शामिल थे-
(अ) सुलेखक
(ब) चित्रकार
(स) जिल्दसाज
(द) ये सभी
उत्तर:
(द) ये सभी
Bhilo Ka Chitera Kise Kahate Hain प्रश्न 9.
हुमायूँ के शासनकाल में निम्न में से किसे अत्यधिक संरक्षण मिला?
(अ) चित्रकला
(ब) हस्तलेखन
(स) दोनों (अ) व (ब)
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(स) दोनों (अ) व (ब)
Dhola Maru Ra Duha Ke Rachyita Kaun Hai प्रश्न 10.
हुमायूँ ने किस फारसी कलाकार को अपने राजदरबार में आमंत्रित किया?
(अ) मीर सैयद अली
(ब) अब्दुस समद
(स) दोनों (अ) व (ब)
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(स) दोनों (अ) व (ब)
Mugalkalin Chitrakala प्रश्न 11.
अब्दुस समद व मीर सैयद अली ने संयुक्त तौर पर किस प्रोजेक्ट पर कार्य किया?
(अ) तैमूर के घर के राजकुमार
(ब) हमज़ानामा
(स) तूतिनामा
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) तैमूर के घर के राजकुमार
प्रश्न 12.
निम्न में से किस चित्रकला को अब्दुस समद का योगदान है?
(अ) तूतिनामा
(ब) तैमूर के घर के राजकुमार
(स) हमज़ानामा
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी
प्रश्न 13.
हमज़ानामा को तैयार करने में कुल कितना समय लगा?
(अ) 10 वर्ष
(ब) 12 वर्ष
(स) 15 वर्ष
(द) 67 वर्ष
उत्तर:
(स) 15 वर्ष
प्रश्न 14.
हमज़ानामा में कुल कितने चित्र संकलित किए गए?
(अ) 14 लघुचित्र
(ब) 140 लघुचित्र
(स) 1400 लघुचित्र
(द) 400 लघुचित्र
उत्तर:
(स) 1400 लघुचित्र
प्रश्न 15.
हिन्दू महाकाव्य 'महाभारत' का पर्सियन अनुवाद किस नाम से किया गया?
(अ) हमज़ानामा
(ब) रज्मनामा
(स) अकबरनामा
(द) तूतिनामा
उत्तर:
(ब) रज्मनामा
प्रश्न 16.
रज्मनामा के मुख्य कलाकार कौन थे?
(अ) दसवंत
(ब) अब्दुस समद
(स) बसावन
(द) मीर सैयद अली
उत्तर:
(अ) दसवंत
प्रश्न 17.
जहाँगीर द्वारा नियुक्त आका रिज़ा थे-
(अ) फारसी चित्रकार
(ब) हिन्दू चित्रकार
(स) ईरानी चित्रकार
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(स) ईरानी चित्रकार
प्रश्न 18.
जहाँगीरनामा में संकलित चित्र 'दरबार में जहाँगीर' निम्न में से किसकी कृति है?
(अ) अबुल हसन
(ब) मनोहर
(स) आका रिज़ा
(द) दोनों (अ) व (ब)
उत्तर:
(द) दोनों (अ) व (ब)
प्रश्न 19.
अबुल हसन को जहाँगीर द्वारा कौन-सी उपाधि दी गई थी?
(अ) नादिर-उल-मुल्क
(ब) नादिर-उल-हसन
(स) नादिर-उल-असर
(द) नादिर-उल-ज़मा
उत्तर:
(द) नादिर-उल-ज़मा
प्रश्न 20.
मुगलकालीन चित्रकला का स्वर्ण युग किसके शासनकाल को कहा जाता है ?
(अ) बाबर
(ब) हुमायूँ
(स) अकबर
(द) जहाँगीर
उत्तर:
(द) जहाँगीर
प्रश्न 21.
निम्न में से कौनसा कलाकार पक्षी चित्रण में दक्ष था?
(अ) अबुल हसन
(ब) उस्ताद मंसूर
(स) मिस्किन
(द) दोनों (ब) व (स)
उत्तर:
(द) दोनों (ब) व (स)
प्रश्न 22.
किस मुगल सम्राट ने चित्रकला को बढ़ावा नहीं दिया?
(अ) बाबर
(ब) अकबर
(स) शाहजहाँ
(द) औरंगजेब
उत्तर:
(द) औरंगजेब
प्रश्न 23.
अकबरकालीन चित्रकला पर किसका प्रभाव रहा?
(अ) राजस्थानी शैली का
(ब) कश्मीरी शैली का
(स) ईरानी शैली का
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी
प्रश्न 24.
'गोवर्धनधारी कृष्ण' चित्र का चित्रण किसने किया?
(अ) मिस्किन
(ब) अबुल हसन
(स) फकीर उल्लाह
(द) गोवर्धन
उत्तर:
(अ) मिस्किन
प्रश्न 25.
मुगल चित्रकला शैली का प्रमुख केन्द्र कहाँ था?
(अ) फतेहपुर सीकरी व आगरा
(ब) दिल्ली
(स) लाहौर
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
1. मुगल विभिन्न .................... स्वरूपों के संरक्षक थे।
2. मुगल ............................ में सुलेखक, चित्रकार, चमकाने वाले और जिल्दसाज शामिल थे।
3. ....................... में बाबर का विस्तृत विवरण है जो उसकी जीवनगाथा है।
4. अकबर का दरबारी इतिहासकार ................. अकबर के गहरे कलाप्रेम के बारे में लिखता है।
5. ...................... के चित्रांकित जिल्द सारे संसार में फैले थे एवं विभिन्न संग्रहों में रखे गये थे।
6. चित्रशाला के ............................ रंग बनाने की कला में भी दक्ष थे।
उत्तरमाला:
1. कला
2. चित्रशाला
3. बाबरनामा
4. अबुल फजल
5. हमज़ानामा
6. चित्रकार।
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
मुगल चित्रकला की शैली किस तरह की है?
उत्तर:
मुगल चित्रकला की शैली लघु चित्रकला है।
प्रश्न 2.
मुगल चित्रकला के विकास की अवधि क्या थी?
उत्तर:
इसका विकास 16वीं शताब्दी से लेकर मध्य 19वीं शताब्दी तक हुआ।
प्रश्न 3.
मुगल सम्राट् बाबर किस चित्रकार को अपने साथ भारत लाया?
उत्तर:
बिहजाद को बाबर अपने साथ भारत लाया।
प्रश्न 4.
बिहजाद किस शैली का चित्रकार था?
उत्तर:
बिहजाद ईरानी-हिरात शैली का प्रसिद्ध चित्रकार था।
प्रश्न 5.
बाबर ने अपनी आत्मकथा में किन चित्रकारों का उल्लेख किया है ?
उत्तर:
बाबर ने अपनी आत्मकथा में बिहजाद तथा शाह मुजफ्फर का उल्लेख किया है।
प्रश्न 6.
बाबर की आत्मकथा का क्या नाम है ?
उत्तर:
'बाबरनामा' के नाम से बाबर की आत्मकथा तैयार की गई।
प्रश्न 7.
'तैमूर के घर के राजकुमार' किस चित्रकार द्वारा चित्रित चित्र है?
उत्तर:
अब्दुस समद द्वारा चित्रित है।
प्रश्न 8.
मीर सैयद अली व अब्दुस समद को किस मुगल शासक ने आमंत्रित किया?
उत्तर:
हमायँ ने मीर सैयद अली व अब्दुस समद को दरबार में आमंत्रित किया।
प्रश्न 9.
मीर सैयद अली ने किस रचना में लघु चित्रों का चित्रण किया?
उत्तर:
हमज़ानामा के लघु चित्रों का चित्रण मीर सैयद अली की देखरेख में किया गया।
प्रश्न 10.
हमज़ानामा के चित्रों का चित्रण किस माध्यम पर किया गया?
उत्तर:
सूती वस्त्र पर हमज़ानामा के चित्रों का चित्रण किया गया।
प्रश्न 11.
हुमायूँ के दो दरबारी चित्रकार कौन थे?
उत्तर:
प्रश्न 12.
किस मुगल शासक के शासनकाल को चित्रकला का स्वर्ण-युग माना जाता हैं ?
उत्तर:
जहाँगीर के शासनकाल को चित्रकला का स्वर्ण-युग कहा जाता है।
प्रश्न 13.
मुगल चित्रशैली को किन प्रमुख शैलियों ने प्रभावित किया?
उत्तर:
मुगल चित्रशैली को ईरानी, भारतीय तथा यूरोपीय शैलियों ने प्रभावित किया।
प्रश्न 14.
जहाँगीरकालीन कुछ चित्रकारों का उल्लेख करें।
उत्तर:
प्रश्न 15.
जहाँगीर ने किस चित्रकार को नादिर-उल-जमा की उपाधि प्रदान की थी?
उत्तर:
जहाँगीर ने नादिर-उल-जमा की उपाधि अबुल हसन को दी थी।
प्रश्न 16.
जहाँगीर ने किस चित्रकार को नादिर-उल-असर की उपाधि से सम्मानित किया?
उत्तर:
जहाँगीर ने उस्ताद मंसूर को नादिर-उल-असर की उपाधि से सम्मानित किया।
प्रश्न 17.
जहाँगीर के समय कौनसा चित्रकार छवि अंकन में सर्वश्रेष्ठ था?
उत्तर:
बिशनदास, जहाँगीर के काल में बेहतर छवि अंकन चित्रकार था।
प्रश्न 18.
'एक पक्षी विश्राम पर बाज' चित्र का चित्रण किस चित्रकार ने किया था?
उत्तर:
उस्ताद मंसूर ने 'एक पक्षी विश्राम पर बाज' चित्र का चित्रण किया था।
प्रश्न 19.
'दाराशिकोह की बारात' चित्र किस चित्रकार ने बनाया?
उत्तर:
हाजी मदनी ने 'दाराशिकोह की बारात' चित्र का चित्रण किया।
प्रश्न 20.
किस मुगल सम्राट के काल में चित्रकला का विकास रुक गया?
उत्तर:
औरंगजेब के काल में चित्रकला का विकास रुक गया।
प्रश्न 21.
'दाराशिकोह की बारात' चित्र की रचना किस पद्धति में की गई?
उत्तर:
दाराशिकोह की बारात' चित्र की रचना टेम्पेरा पद्धति में की गई।
प्रश्न 22.
अकबरकालीन तीन प्रमुख चित्रकारों के नाम लिखिए।
उत्तर:
अकबरकालीन तीन प्रमुख चित्रकार थे-मीर सैयद अली, ख्वाजा अब्दुस समद शीराजी व दसवन्त।
प्रश्न 23.
दारा शिकोह द्वारा बनवाया गया 40 चित्रों का एलबम कहाँ पर सुरक्षित है?
उत्तर:
यह एलबम इण्डिया ऑफिस, लाइब्रेरी, लंदन में सुरक्षित है।
प्रश्न 24.
'पूर्व का राफेल' किस चित्रकार को कहा जाता है ?
उत्तर:
बिहजाद को 'पूर्व का राफेल' कहा जाता है।
प्रश्न 25.
हमज़ानामा का निर्माण किस मुगल शासन के काल में हुआ?
उत्तर:
हमज़ानामा का निर्माण कार्य हुमायूँ तथा अकबर दोनों के काल में हुआ।
प्रश्न 26.
अकबर के दरबार में कुल कितने चित्रकार नियुक्त थे?
उत्तर:
अकबर के दरबार में कुल सौ से अधिक चित्रकार नियुक्त थे।
प्रश्न 27.
अकबर के समय हमज़ानामा के चित्रों पर किन शैलियों का प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
अकबर के समय हमज़ानामा के चित्रों पर फारसी, भारतीय एवं यूरोपीय शैलियों का प्रभाव पड़ा।
प्रश्न 28.
अकबर अपने चित्रकारों को प्रोत्साहित करने के लिए कौनसी उपाधियाँ प्रदान करता था?
उत्तर:
वह अपने चित्रकारों को नादिर-उल-मुल्क तथा हुमायूँशाही उपाधियाँ प्रदान करता था।
प्रश्न 29.
जहाँगीर ने एक चित्रदीर्घा का निर्माण कहाँ करवाया?
उत्तर:
जहाँगीर ने कश्मीर में एक विशेष चित्रदीर्घा का निर्माण करवाया।
प्रश्न 30.
भारत में मुगल शैली के प्रमुख केन्द्र कहाँ स्थापित किये गये थे?
उत्तर:
भारत में मुगल शैली के प्रमुख केन्द्र-दिल्ली, आगरा, लाहौर और फतेहपुर सीकरी थे।
प्रश्न 31.
आरम्भिक मुगल चित्रों पर किन शैलियों का प्रभाव दिखता है?
उत्तर:
आरम्भिक मुगल चित्रों पर ईरानी या फारसी शैलियों का प्रभाव दिखता है।
प्रश्न 32.
अकबर के समय के चित्रकला पर किन शैलियों का प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
अकबरकालीन मुगल चित्रकला पर राजस्थानी, ईरानी और कश्मीरी शैली का प्रभाव पड़ा?
प्रश्न 33.
अकबरकालीन चित्रकला की दो विशेषताएँ कौनसी हैं ?
उत्तर:
प्रश्न 34.
किस मुगल सम्राट के काल में पशु-पक्षियों का सुन्दर चित्रण किया गया?
उत्तर:
जहाँगीर के समय पशु-पक्षियों का सुन्दर चित्रण किया गया।
प्रश्न 35.
किस मुगल सम्राट ने चित्रकला को पतनोन्मुख कर दिया?
उत्तर:
औरंगजेब के समय मुगल चित्रकला पतनोन्मुख हो गई।
प्रश्न 36.
'गोवर्धनधारी कृष्ण' नामक चित्र का निर्माण किस चित्रकार ने किया?
उत्तर:
प्रसिद्ध चित्रकार मिस्किन ने 'गोवर्धनधारी कृष्ण' चित्र का निर्माण किया।
प्रश्न 37.
'मैडोना एवं बच्चा' नामक चित्र किसने तैयार किया?
उत्तर:
अकबरकालीन बसावन ने 'मैडोना एवं बच्चा' नामक चित्र का निर्माण किया।
प्रश्न 38.
'जहाँगीर के हाथ में मैडोना का चित्र' किस चित्रकार ने बनाया?
उत्तर:
इस चित्रकला का निर्माण अबुल हसन ने 1620 ई. में किया।
प्रश्न 39.
जहाँगीरकालीन चित्रों के विषय कौनसे थे?
उत्तर:
जहाँगीर के काल में दरबारी चित्र, पशु-पक्षियों के चित्र व व्यक्ति चित्र बनाए गए।
प्रश्न 40.
अकबरकालीन चित्रों के विषय बताइए।
उत्तर:
अकबरकाल में अभारतीय कथाओं के चित्र, भारतीय कथाओं के चित्र, ऐतिहासिक चित्र व व्यक्ति चित्र बनाए गए।
प्रश्न 41.
शाहजहाँकालीन चित्रों के विषयों का उल्लेख करें।
उत्तर:
वैभव सम्बन्धी चित्र, पूर्वजों एवं प्रतिष्ठित व्यक्तियों के चित्र, युवतियों एवं बेगमों के चित्र, आदि शाहजहाँकालीन चित्रों के विषय थे।
प्रश्न 42.
कौन मुगल सम्राट अपने लश्कर में चित्रकार भी रखता था?
उत्तर:
हुमायूँ अपने लश्कर में चित्रकार भी रखता था।
प्रश्न 43.
अकबर को चित्रकला की शिक्षा किसने दी?
उत्तर:
मीर सैयद अली व अब्दुस समद ने अकबर को चित्रकला सिखाई।
प्रश्न 44.
किन कलाकारों ने मुगल चित्रों को प्राणवान बनाया?
उत्तर:
दसवन्त तथा बसावन जैसे प्रतिभासम्पन्न भारतीय चित्रकारों ने मुगल शैली को प्राणवान बनाया।
प्रश्न 45.
चित्रकला के प्रति अकबर के झुकाव का किस पुस्तक में उल्लेख किया गया है ?
उत्तर:
यह उल्लेख अबुल फज़ल ने अपनी पुस्तक आइन-ए-अकबरी में किया है।
प्रश्न 46.
अकबर ने चित्रकारों को किस तरह चित्र बनाने हेतु प्रेरित किया?
उत्तर:
अकबर ने भारतीय कला, धर्म व संस्कृति को देखकर मुगल चित्रकारों को इन्हें चित्रित करने के लिए प्रेरित किया।
प्रश्न 47.
अकबरकालीन चित्रों में कौनसे रंगों का प्रयोग किया गया?
उत्तर:
चित्रकारों ने केसरिया, पीला, नीला, लाल, गुलाबी व हरे रंग का प्रयोग किया।
प्रश्न 48.
मीर सैयद अली को किस तरह के विषय अधिक प्रिय थे?
उत्तर:
इन्हें लौकिक और भौतिक जीवन से सम्बन्धित विषयों का चित्रण अधिक प्रिय था।
प्रश्न 49.
अकबर का प्रिय चित्रकार कौन था?
उत्तर:
अकबर का प्रिय चित्रकार ख्वाजा अब्दुस समद शीराजी था।
प्रश्न 50.
दसवन्त कौन था?
उत्तर:
यह अकबर की चित्रशाला में श्रेष्ठ हिन्दू चित्रकार था।
प्रश्न 51.
मुगल कला में भारतीयता का भाव किस कलाकार ने दिया?
उत्तर:
मुगल कला में भारतीयता का भाव दसवन्त ने दिया।
प्रश्न 52.
बसावन ने किन ग्रन्थों में चित्रण कार्य किया?
उत्तर:
बसावन ने दरबारनामा व अकबरनामा आदि ग्रन्थों में चित्रण कार्य किया।
प्रश्न 53.
बसावन की कला विशेषता बताइए।
उत्तर:
यह कलाकार पृष्ठभूमि बनाने, मुखाकृति की विशेषताओं का अंकन करने, रंगों का मिश्रण तैयार करने आदि में श्रेष्ठ था।
प्रश्न 54.
जहाँगीर किस तरह का प्रशासक था?
उत्तर:
वह एक विद्वान, सहृदय, कलाप्रेमी व कला उपासक प्रशासक था।
प्रश्न 55.
शाहजहाँकालीन चित्रकला की क्या विशेषता है ?
उत्तर:
छाया-प्रकाश का अत्यधिक प्रयोग हुआ व तीसरे आयाम के प्रति कलाकारों का मोह बढ़ गया।
प्रश्न 56.
'ग्वालियर किले का निरीक्षण करते हुए बाबर' चित्र किसके द्वारा व कब चित्रित किया गया?
उत्तर:
यह चित्र भूरे (Bhure) द्वारा 1598 ई. में चित्रित किया गया।
प्रश्न 57.
शाहजहाँ काल में किस तरह के चित्र बनाये गये?
उत्तर:
शाहजहाँ काल में दरबारी सभ्यता, वैभव, अदब-कायदे, राजदूतों, पूर्वजों, सम्मानित व्यक्तियों व गोष्ठियों के चित्र अधिक बने।
प्रश्न 58.
औरंगजेब का कला के प्रति क्या रवैया था?
उत्तर:
वह कला से घृणा करता था। वह इसे धर्म के विरुद्ध मानता था।
प्रश्न 59.
'जहाँगीर का सपना' चित्र में क्या दर्शित है?
उत्तर:
इस चित्र में जहाँगीर को ईरानी शाह अब्बास से गले मिलते दर्शाया गया है।
प्रश्न 60.
मुगलों ने युद्ध सम्बन्धी कौनसे चित्र बनवाए?
उत्तर:
मुगलों ने हाथी, बैल, मुर्गे, बटेर व तीतरों की लड़ाइयों के सुन्दर चित्र बनवाए।
प्रश्न 61.
शबीह किसे कहा जाता था?
उत्तर:
मुगलकाल में व्यक्ति चित्रों को 'शबीह' कहा जाता था।
प्रश्न 62.
अकबर के समय किस तरह की मुखाकृतियों का चित्रण किया गया?
उत्तर:
अकबर के काल में एकचश्म अर्थात् एक तरफ की मुखाकृतियाँ ही बनीं।
प्रश्न 63.
'एक पक्षी विश्राम (अड्डे) पर बाज़' चित्र किस चित्रकार ने चित्रित किया?
उत्तर:
'एक पक्षी विश्राम (अड्डे) पर बाज़' चित्र उस्ताद मंसूर ने चित्रित किया।
प्रश्न 64.
'दारा शिकोह की बारात' चित्र में चित्रकार ने मुख्यतः क्या दर्शाया है?
उत्तर:
चित्रकार हाजी मदानि ने चित्र में दारा शिकोह को घोड़ी पर बैठे हुए दर्शाया है।
प्रश्न 65.
जहाँगीर के समय के तीन महत्त्वपूर्ण चित्र कौनसे थे?
उत्तर:
जहाँगीर का सपना, जेबरा व एक पक्षी विश्राम (अड्डे) पर बाज़ आदि तीन महत्त्वपूर्ण चित्र थे।
प्रश्न 66.
मुगलकालीन चार प्रमुख चित्रों के नामोल्लेख कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 67.
जहाँगीर के शासनकाल का चित्रकार मनोहर किस तरह के चित्र बनाता था?
उत्तर:
जहाँगीर के शासनकाल का चित्रकार मनोहर शिकार के चित्र बनाने में निपुण था।
प्रश्न 68.
मुगल कला दरबारी कला थी। कैसे?
उत्तर:
यह जनसाधारण के जीवन से दूर रही तथा मुगल वैभव, विकास तथा ठाठ-बाट में ही खोई रही।
प्रश्न 69.
औरंगजेब की कला के प्रति संवेदनहीनता कैसे स्पष्ट होती है?
उत्तर:
उसने अपने पुरखों के बनवाये भित्ति चित्रों पर सफेदी पुतवा दी थी।
प्रश्न 70.
औरंगजेब के समय दरबारी चित्रकारों की स्थिति कैसी थी?
उत्तर:
दरबारी चित्रकार इधर-उधर की रियासतों में शरण लेने चले गये या फिर अन्य कार्य करने लगे।
लघूत्तरात्मक प्रश्न-I (SA-I)
प्रश्न 1.
मुगल शैली की चित्रकला का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
मुगल शैली, लघु चित्रकला की शैली है। यह अपने जटिल, तकनीकी व अलग-अलग प्रकार के विषयों तथा विषयवस्तु के लिए जानी जाती है।
प्रश्न 2.
मुगल प्रशासक किस तरह की कला के संरक्षक थे?
उत्तर:
मुगलों ने विभिन्न प्रकार की. कलाओं को संरक्षण दिया, जैसे-कैलिग्राफी, चित्रकला, शिल्पकला, पुस्तककला, पुस्तक चित्रण परियोजना, इत्यादि।
प्रश्न 3.
बाबर ने मुगल चित्रकला को क्या योगदान दिया?
उत्तर:
बाबर की चित्रकला में काफी रुचि थी। वह भारत आते समय हैरात से बिहजाद नामक चित्रकार को अपने साथ लाया। उसने बाबरनामा में बिहजाद और शाह मुजफ्फर नामक चित्रकारों का उल्लेख किया।
प्रश्न 4.
हुमायूँ ने मुगल चित्रकला को क्या योगदान दिया?
उत्तर:
हुमायूँ साहित्य और कलाप्रेमी था। उसने ईरान के कलाकारों, मीर सैयद अली व अब्दुस समद को अपने दरबार में आमंत्रित किया। हमज़ानामा का चित्रण हुमायूँ के समय में ही प्रारम्भ किया गया।
प्रश्न 5.
अकबर ने मुगल चित्रकला को क्या योगदान दिया?
उत्तर:
अकबर ने चित्रकला की उन्नति के लिए निरन्तर प्रयास किये। उसने अपने दरबार में 100 से अधिक चित्रकार नियुक्त किये और एक चित्रशाला का भी निर्माण करवाया। उसने चित्रकारों को विभिन्न उपाधियाँ भी दीं।
प्रश्न 6.
जहाँगीर ने मुगल चित्रकला को किस प्रकार बढ़ावा दिया ?
उत्तर:
जहाँगीर ने अपने युवाकाल में ही चित्रशाला को संरक्षण दिया एवं अपने चित्रकार भी नियुक्त किये। उसके समय को स्वर्णिम युग भी कहा जाता है। उसने कश्मीर में चित्रदीर्घा और अजमेर में चश्मे नूर बनवाकर सुन्दर चित्रों से अलंकृत करवाया।
प्रश्न 7.
शाहजहाँ के समय मुगल चित्रकला की क्या स्थिति रही?
उत्तर:
शाहजहाँ के राज्यकाल में चित्रकला उपेक्षित सी रह गई। चित्रों में पहले जैसी सजीवता व स्वच्छन्दता नहीं रही। चित्राकृतियों में दरबारी शिष्टाचार और बाह्य तड़क-भड़क पर अधिक ध्यान दिया गया।
प्रश्न 8.
औरंगजेब के समय मुगल चित्रकला की स्थिति कैसी थी?
उत्तर:
औरंगजेब की कला में कोई रुचि नहीं थी। अपनी कट्टरता के कारण उसने कला और कलाकारों के वातावरण को समाप्त कर दिया। उसने चित्रकला को धर्म के विरुद्ध एवं निषिद्ध घोषित कर दिया।
प्रश्न 9.
शाहजहाँकालीन चित्रकला की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 10.
जहाँगीर के पश्चात् सिंहासन पर कौन बैठा व उसकी रुचि विशेषतः किस कला में थी?
उत्तर:
सन् 1628 ई. में जहाँगीर के पश्चात् शाहजहाँ सिंहासन पर बैठा। उसकी विशेष रुचि भवन निर्माण तथा वास्तुकला के विकास में थी।
प्रश्न 11.
'गोवर्धनधारी कृष्ण' चित्र का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
इस चित्र में श्रीकृष्ण को बायें हाथ पर गोवर्धन पर्वत को लिए हुए चित्रित किया गया है। श्रीकृष्ण के आसपास स्त्री, पुरुष, बालक, गायों, भैंसों व बकरियों को भी चित्रित किया गया है।
प्रश्न 12.
मुगल चित्र शैली के प्रमुख विषयों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
मुगल चित्र शैली में सभी प्रकार के विषयों को चित्रित किया गया है-भारतीय एवं अभारतीय पौराणिक कथाओं, ऐतिहासिक प्रसंगों, पुस्तकों के प्रसंगों, युद्ध, शिकार, धार्मिक, दरबारी दृश्यों, व्यक्ति चित्रण आदि।
प्रश्न 13.
अकबर के काल में चित्रित 'बाबरनामा' की व्याख्या संक्षिप्ततः कीजिए।
उत्तर:
बाबरनामा-इसमें कुल 183 चित्र हैं, जिन्हें 48 चित्रकारों ने चित्रित किया। इन चित्रों में आकृतियों की बनावट तथा एकचश्म चेहरे फारसी शैली के हैं, किन्तु सपाट रंगों का प्रयोग भारतीय शैली के प्रतीक हैं।
प्रश्न 14.
जहाँगीर के काल की चित्रकला की तीन विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 15.
मुगलकालीन चार प्रमुख चित्रों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 16.
मुगल चित्रकला को दरबारी कला क्यों कहा जाता है ?
उत्तर:
मुगल कला प्रत्येक बादशाहों के राजसी शानो-शौकत, उनकी जीवनचर्या, आखेट एवं उनकी रुचियों के अनुसार चित्रित होती थी। यह कला जनसाधारण से सदैव दूर रही। इसलिए मुगल कला को बादशाहों की रुचि अनुसार एवं दरबारी कला कहा जाता है।
प्रश्न 17.
हमज़ानामा चित्रावली का परिचय दीजिए।
उत्तर:
हुमायूँ के संरक्षण में हमज़ानामा नामक साहसिक कहानी का चित्रण मीर सैयद अली तथा अब्दुस समद शीराजी द्वारा किया गया। ये चित्र फारसी शैली में तैयार किए गए।
प्रश्न 18.
'मैडोना एवं बच्चा' चित्र की चित्रकारी का परिचय दीजिए।
उत्तर:
यह चित्र अकबर के दरबारी चित्रकार बसावन ने 1580 में बनाया था। चित्र में, कुँवारी मैरी को प्रतिष्ठित तरीके से वस्त्रों में लपेटा गया है। गोद में बच्चा यीशु का प्रतीक है। चित्र को अस्पष्ट पानी के रंग में कागज पर बनाया गया था।
प्रश्न 19.
अकबर ने समन्वयपूर्ण विषयवस्तु की चित्रकला का निर्माण करवाया। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अकबर ने भारतीय सभ्यता व संस्कृति के अनुरूप ईरानी शैली में ऐसे चित्रों का निर्माण करवाया जो समन्वयपूर्ण थे। इनमें भारतीय कथाओं के चित्र, अभारतीय कथाओं के चित्र, ऐतिहासिक ग्रन्थ तथा व्यक्ति और सामाजिक चित्रों का समावेश हुआ है।
प्रश्न 20.
अकबरकालीन चित्रकला में आभूषणों का चित्रण स्पष्ट करें।
उत्तर:
आकृतियों को मुगलिया वस्त्रों एवं आभूषणों से युक्त बनाया गया। पुरुष वेशभूषा में चाकदार जामा व कहीं-कहीं घेरदार भी, ऊँचा पायजामा व अटपटी पगड़ियाँ चित्रित की गई हैं। वस्त्रों में होने वाले सलवटों को स्वाभाविक रूप से चित्रित किया गया है।
प्रश्न 21.
जहाँगीर काल में मुगल कला अपने चरम पर थी। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जहाँगीर एक कला प्रेमी सम्राट था। उसकी चित्रकला में अत्यधिक रुचि थी। उसके शासनकाल में मुगल चित्रकला अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गई। मुगल चित्रकला के इतिहास में जहाँगीर का शासनकाल स्वर्ण युग के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 22.
जहाँगीर काल में चित्रकला में भारतीयता का समावेश किस प्रकार हुआ है ?
उत्तर:
जहाँगीरकालीन चित्रों में पुरुषों की वेशभूषा में लम्बा जामा, पटका, खिड़कीदार पगड़ी का बाहुल्य है और स्त्री वेशभूषा में ओढ़नी को बढ़ावा मिला है। इस प्रकार, इस काल के चित्रों में भारतीयता का समावेश हुआ है।
प्रश्न 23.
शाहजहाँ के समय की चित्रकला की वेशभूषा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पुरुषों की वेशभूषा में लम्बा पायजामा, लम्बे बेल-बूटेदार दुपट्टे बनवाए गए और स्त्री वेशभूषा में पारदर्शी वस्त्र तथा सिकुड़ा पाजयामा आदि पहनाए गए। विभिन्न प्रकार के बेल-बूटेदार आलेखनों से चित्रकला को नवीनता मिली।
प्रश्न 24.
शाहजहाँ के समय व्यक्ति चित्र की क्या स्थिति थी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शाहजहाँ के शासनकाल में अनेक व्यक्ति चित्र बनाए गए। इस काल में पूर्वजों, सम्मानित व्यक्तियों, लोक गायकों के व्यक्ति चित्र विशेष प्रसिद्ध हैं। इस समय मीर हाशिम व्यक्ति चित्रण में काफी कुशल था।
प्रश्न 25.
मीर सैयद अली का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
मीर सैयद अली ईरानी चित्रकार था तथा हुमायूँ के साथ ईरान से भारत आया था। इसके चित्रों में सुन्दर और मोहक वातावरण मिलता है। हमज़ानामा के चित्रण में इसका विशेष योगदान था। इसे लौकिक और दैनिक जीवन से सम्बन्धित विषयों का चित्रण अधिक प्रिय था।
प्रश्न 26.
अब्दुस समद शीराजी का संक्षिप्त परिचय दें।
उत्तर:
यह एक अन्य ईरानी चित्रकार था, जिसे हुमायूँ अपने साथ भारत लाया था। यह मूलतः ईरानी कलाकेन्द्र शिराज का रहने वाला था। इसने हुमायूँ तथा अकबर को चित्रकला की शिक्षा दी। यह अकबर की चित्रशाला का प्रमुख था।
प्रश्न 27.
दसवन्त कौन था? संक्षिप्ततः बताइए।
उत्तर:
यह अकबर की चित्रशाला में श्रेष्ठ हिन्दू चित्रकार था। इसने रज्मनामा में अनेक सुन्दर चित्र बनाए। इसकी रुचि पौराणिक कथाओं के चित्रण में अधिक थी। मुगल कला में भारतीयता का भाव दसवन्त की ही देन है।
प्रश्न 28.
बसावन की विशेषता रेखांकित कीजिए।
उत्तर:
चित्रकार बसावन ने लगभग 100 चित्र बनाए, वह अकबर के दरबार का एक श्रेष्ठ हिन्दू चित्रकार था। इसके चित्र दरबारनामा व अकबरनामा ग्रन्थों में मिलते हैं। इसके चित्र यथार्थ के अधिक नजदीक हैं। यह पृष्ठभूमि बनाने, मुखाकृति को बेहतर बनाने तथा रंगों का मिश्रण तैयार करने में श्रेष्ठ था।
प्रश्न 29.
उस्ताद मंसूर किस तरह का कलाकार था? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उस्ताद मंसूर जहाँगीर काल का एक उत्कृष्ट चित्रकार था। जहाँगीर ने उस्ताद मंसूर को 'नादिर उल असर' की उपाधि प्रदान की थी। उस्ताद मंसूर पक्षियों के चित्र बनाने में अत्यन्त निपुण था। उनके द्वारा बनाया गया 'बाज का चित्र' विश्वविख्यात है।
प्रश्न 30.
शाहजहाँ काल के प्रमुख चित्रकार कौन थे?
उत्तर:
शाहजहाँकालीन चित्रकारों में फकीर उल्लाह, मुहम्मद नादिर, मीर हाशिम, विचित्तर, गोवर्धन आदि प्रमुख थे। फकीर उल्लाह प्रधान चित्रकार था। फकीर उल्लाह द्वारा चित्रित 'कबीर और रैदास' एक उल्लेखनीय चित्र है। इस समय मीर हाशिम व्यक्ति चित्रण में कुशल व विख्यात था।
प्रश्न 31.
मुगल चित्रकला में एक महान विविधता है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मुगल चित्रकला में एक महान विविधता है, जिसमें चित्र, दृश्य और अदालती जीवन की घटनाएँ शामिल हैं। साथ ही अंतरंग स्थानों में प्रेमियों को चित्रित करने वाले चित्र भी होते हैं। मुगल चित्रकलाएँ अक्सर लडाई, पौराणिक कहानियों, शिफा के दृश्य, वन्य जीव व शाही जीवन जैसे विषयों को चित्रित करती हैं।
प्रश्न 32.
हमज़ानामा पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
हमज़ानामा मुगल चित्रकला की प्रथम महत्त्वपूर्ण कृति है। इसके निर्माण में मीर सैयद अली व अब्दुस समद शीराजी का योगदान रहा। यह पैगम्बर के चाचा अमीर हम्जा के वीरतापूर्ण कारनामों का चित्रित संग्रह है। इस कृति में कुल 1200 चित्र संग्रहित किए गए हैं।
प्रश्न 33.
बसावन कौन था? उसकी सर्वोत्कृष्ट कृति का नाम बताइए।
उत्तर:
बसावन, अकबर के काल का सर्वोत्कृष्ट चित्रकार था। वह चित्रकला के सभी क्षेत्रों, रंगों का प्रयोग, रेखांकन, छवि चित्रकारी तथा भू-दृश्यों आदि के चित्रण का सिद्धहस्त कलाकार था। उसकी सर्वोत्कृष्ट कृति 'मैडोना व बच्चा' है।
प्रश्न 34.
जहाँगीर ने किस चित्रकार को फारस भेजा था? क्यों?
उत्तर:
सम्राट जहाँगीर ने अपने समय के अग्रणी चित्रकार बिशनदास को फारस के शाह के, उसके अमीरों के तथा उसके परिजनों के यथारूप छवि-चित्र बनाकर लाने के लिए फारस भेजा था।
प्रश्न 35.
जहाँगीर काल की चित्रकला में कौन-सी नई परम्परा शुरू हुई ?
उत्तर:
इस काल में छोटे आकार के चित्र बनाने की परम्परा की शुरुआत हुई, जिसे कि पगड़ी पर लगाया जा सके या गले में पहना जा सके। इसी समय, छवि चित्रों के साथ-साथ चित्रकला में मुरक्के शैली (एलबम निर्माण) तथा अलंकृत हाशियों का विकास किया गया।
प्रश्न 36.
शाहजहाँ काल की चित्रकला का परिचय दें।
उत्तर:
इस काल में स्याह कलम चित्र बने, जिन्हें कागज पर फिटकरी और सरेस आदि के मिश्रण से तैयार किया जाता था। इस काल के विषयों में यवन सुन्दरियाँ, रंग महल व विलासी जीवन इत्यादि शामिल हुए। इस काल की खासियत बारीकियों का चित्रण था, जैसे-दाढ़ी का एक-एक बाल दिखाना। .
प्रश्न 37.
औरंगजेब का चित्रकला के प्रति क्या दृष्टिकोण था?
उत्तर:
औरंगजेब ने चित्रकला को इस्लाम के विरुद्ध मानकर बंद करवा दिया था। इस समय के चित्रकार अन्यत्र जाकर बस गए या जीविकोपार्जन हेतु अन्य कार्यों में संलग्न हो गए। औरंगजेब की आज्ञा से महलों के भित्ति चित्रों को सफेदी पोत दी गई।
प्रश्न 38.
औरंगजेब के बाद किन मुगल शासकों ने चित्रकला को प्रोत्साहित किया?
उत्तर:
कला को संरक्षण न दिये जाने के कारण वैसे तो अनेक उच्च कौशल प्राप्त मुगल कलाकारों ने चित्रशाला को छोड़ दिया और प्रांतीय शासकों के संरक्षण में चले गये। फिर भी, कुछ अच्छे कार्य मुहम्मद शाह रंगीला, शाह आलम द्वितीय और बहादुर शाह के काल में किए गए। यह मुगल लघु चित्रकला मोमबत्ती में फड़फड़ाती हुई अंतिम लौ मात्र ही रही।
प्रश्न 39.
मुगल चित्र बनाने की पद्धति बताइए।
उत्तर:
मुगलकाल के दौरान बनाई गई कलाकृति कलाकारों के समूह द्वारा सामूहिक प्रयास होती थी। प्रत्येक कलाकार अपनी विशेषता के अनुसार, चित्रकला का कोई एक कार्य चुन लेता था जैसे कागज बनाना या रंग करना, आदि। पुराने लेखों से ज्ञात होता है कि कलाकारों को प्रोत्साहन राशि एवं वेतन वृद्धि उनके द्वारा किए गए कार्य की तय तनख्वाह के अनुरूप दी जाती थी। प्रमुख कलाकार का चित्रों पर लिखित नाम हमें यह बताता है कि वे शाही चित्रशाला में किस पद पर कार्यरत थे।
प्रश्न 40.
मुगलकाल में चित्रकला हेतु रंग किस प्रकार प्राप्त किये जाते थे ?
उत्तर:
रंग या रंजक जिस प्रकार प्राप्त किये जाते थे, वे निम्न ढंग थे-दालचीनी से सिंदूरी रंग, नीले पत्थर से समुद्री नीला रंग, हरताल से तेज पीला रंग, शंखों को घिसकर सफेद रंग एवं चारकोल से काला रंग लिया जाता था। रंगों के साथ सोने एवं चाँदी के पाउडर को भी छिड़का जाता था ताकि वैभव दिखाई दे।
लघूत्तरात्मक प्रश्न-II (SA-II)
प्रश्न 1.
मुगलकालीन चित्रकला का परिचय दीजिए।
उत्तर:
मुगल चित्रकला, लघु चित्रकला की शैली है। भारत में मुगल चित्रकला का विकास 16वीं शताब्दी से 19वीं शताब्दी के मध्य हुआ। यह वह समय था जब मुगलों ने भारत के बड़े हिस्से पर शासन किया था। मुगल कला की शुरुआत बाबर ने की, जिसे हुमायूँ ने आगे बढ़ाया। इसका विकास सम्राट अकबर, जहाँगीर और शाहजहाँ के काल में अधिक हुआ। मुगल चित्रकला का रूप फारसी और भारतीय शैली का मिश्रण होने के साथ ही विभिन्न सांस्कृतिक पहलुओं का संयोजन भी है।
प्रश्न 2.
मुगल चित्रकला को किन शैलियों ने प्रभावित किया?
उत्तर:
मुगल चित्रकला को फारसी, यूरोपीय, ईरानी व भारतीय स्वदेशी शैलियों ने प्रभावित किया। मुगल लघु चित्रकला विभिन्न स्वदेशी विषयों के साथ-साथ फारसी व यूरोपीय विषयवस्तुओं से युक्त शैली है। इस काल की कला विदेशी प्रभाव एवं स्वेदशी रूप के संश्लेषण का परिणाम थी। मुगल शैली का रंग विधान प्रचलित भारतीय परम्परा और ईरानी परम्परा का मिश्रण था। इस शैली में लाजवर्दी और सुनहरे रंग का इस्तेमाल किया गया है। इन रंगों को बनाने में विशेष कौशल भी दिखता है। ब्रुश को प्रायः गिलहरी के बालों से बनाया गया है।
प्रश्न 3.
मुगल चित्रकला के प्रारम्भिक विकास पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
भारत की मुगल चित्रकला हुमायूँ के शासनकाल के समय विकसित की गई। जब हुमायूँ अपने निर्वासन से भारत लौटा तो अपने साथ दो फारसी चित्रकारों-मीर सैयद अली व अब्दुस समद को लाया। इन्हीं दोनों कलाकारों ने स्थानीय कला क्षेत्र में अपनी व्यापक स्थिति दर्ज की और धीरे-धीरे मुगल चित्रकला का विकास हुआ। मुगल चित्रकला के प्रारम्भिक उदाहरणों में शामिल है-'तूतिनामा' चित्र व 'तैमूर के घर के राजकुमार'।
प्रश्न 4.
मुगल चित्रकला का बाबर के समय कैसा विकास हुआ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मुगल काल के चित्रों में बाबर के शासनकाल के दौरान कुछ विशेष योगदान नहीं हो पाया क्योंकि उसका शासनकाल बहुत अल्पकालिक था। वैसे, बाबर एक कलाप्रेमी शासक था और उसकी चित्रकला में काफी रुचि भी थी। उसने अपनी आत्मकथा 'बाबरनामा' में बिहजाद तथा शाह मुजफ्फर नामक चित्रकारों का उल्लेख किया है। बिहजाद को 'पूर्व का राफेल' भी कहा जाता है। तत्कालीन तैमूरी चित्रकला को चरमोत्कर्ष पर ले जाने का श्रेय बिहजाद को ही जाता है।
प्रश्न 5.
हुमायूँ काल में मुगल चित्रकला के विकास को लिखिए।
उत्तर:
हुमायूँ साहित्य और कला का प्रेमी था। उसने अपने निर्वासन के समय मुगल चित्रकला की नींव रखी। उसने ईरान के शाह तहमास्प के दरबारी चित्रकारों-मीर सैयद अली व अब्दुस समद शीराजी को अपना दरबारी चित्रकार नियुक्त किया, जिन्होंने मुगल चित्रकला को एक नया आयाम दिया। हुमायूँ ने इन दोनों को हमज़ानामा की चित्रकारी का कार्य सौंपा। इस कृति को सूती वस्त्र पर बनाया गया तथा यह मुगल चित्रशाला की प्रथम महत्त्वपूर्ण कृति है।
प्रश्न 6.
मुगल चित्रकला को अकबर ने किस प्रकार विकसित किया?
उत्तर:
अकबर ने चित्रकला की उन्नति के लिए निरन्तर प्रयास किये। अकबर के दरबार में 100 से अधिक चित्रकार नियुक्त थे। अकबर ने एक चित्रशाला का भी निर्माण करवाया। इस प्रकार, मुगलकाल के चित्रों ने अकबर के शासनकाल में विकास में बड़े पैमाने का अनुभव किया।
चूँकि अकबर महाकाव्यों एवं कथाओं में रुचि रखता था इसलिए उसके काल के चित्र महाभारत, रामायण और अन्य महाकाव्यों पर आधारित हैं। इस काल में 'तूतिनामा' महत्त्वपूर्ण चित्रकारी रही है।
प्रश्न 7.
अकबर की चित्रशाला का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अकबर की चित्रशाला में 100 से अधिक चित्रकार नियुक्त थे। इस चित्रशाला के अध्यक्ष उस्ताद मीर सैयद अली तथा ख्वाजा अब्दुस्समद शीराजी थे। चित्रशाला के निरीक्षक सप्ताह में एक बार चित्रों का निरीक्षण करते थे तथा सम्राट् के सम्मुख चित्र-कृतियों को प्रस्तुत करते थे। सम्राट चित्रकारों की कार्यकुशलता के अनुसार उन्हें इनाम देता था तथा वेतन बढ़ाता था। चित्रकारों के लिए दरबार में उच्च पद दिए जाते थे।
प्रश्न 8.
अकबरकालीन मुगल चित्रकला की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अकबर के समय में मुगल चित्रकला में राजस्थानी, ईरानी, कश्मीरी शैली की अनेक विशेषताएँ पाई जाती हैं। इन चित्रों में रंग चमकदार हैं। चित्रों की रेखाएँ गोलाईयुक्त हैं तथा रेखांकन गतिशील है। डेढ़ चश्म चेहरों के साथ ही एक चश्म चेहरे भी बनाए गए हैं। हस्तमुद्राओं, वस्त्रों की फहरन तथा शिकन, वृक्षों की पत्तियों के रेखांकन यथार्थ, बारीक और स्वाभाविक हैं। इस समय शबीह चित्रण (व्यक्ति चित्र) का भी काफी विकास हुआ।
प्रश्न 9.
अकबर के समय में चित्रित 'बाबरनामा' का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अकबर के समय में 'बाबरनामा' की एक सचित्र प्रति तैयार की गई, जो राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली में सुरक्षित है। इस कृति में कुल 183 चित्र हैं जिन्हें 48 चित्रकारों ने आपसी तालमेल से चित्रित किया है। इन चित्रों में आकृतियों की बनावट तथा एकचश्म चेहरे फारसी शैली के हैं, किन्तु सपाट रंगों का प्रयोग और लाल रंग की अधिकता भारतीय शैली के परिचायक हैं। इन चित्रों की वेशभूषा अकबरकालीन है।
प्रश्न 10.
जहाँगीर काल में मुगल चित्रकला की क्या स्थिति थी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जहाँगीर ने अपने युवाकाल में ही चित्रशाला को संरक्षण दिया एवं अपने चित्रकार भी नियुक्त किये। उसके समय को मुगल चित्रकला का स्वर्णिम युग भी कहा जाता है क्योंकि इस समय चित्रकारी अपने चरमोत्कर्ष पर थी। जहाँगीर ने कश्मीर में एक चित्रदीर्घा व अजमेर में शाही महत्व (चश्मे नूर) बनाकर सुन्दर चित्रों से अलंकृत करवाया। जहाँगीर ने छवि चित्रों व प्राकृतिक दृश्यों की पद्धति को अपनाया। जहाँगीर स्वयं चित्रकला का कुशल पारखी था। जहाँगीर का दावा था कि वह किसी भी चित्र में विभिन्न चित्रकारों के अलग-अलग योगदान को पहचान सकता है।
प्रश्न 11.
जहाँगीर के समय चित्रकारों की क्या स्थिति थी? बताइए।
उत्तर:
जहाँगीर के समय चित्रकारों की स्थिति अच्छी एवं उन्नत थी। चित्रकार मनसबदार होते थे और उनके कार्य करने के लिए उत्तम चित्रशालाएँ भी थीं। जिन चित्रकारों का कार्य उत्तम होता था, उन्हें जहाँगीर पुरस्कृत भी करता था। अबुल हसन इस समय सर्वश्रेष्ठ चित्रकार था, जिसे जहाँगीर ने नादिर-उल-जमा की उपाधि दे रखी थी। इसी समय उस्ताद मंसूर भी एक सुप्रसिद्ध चित्रकार थे, जिन्हें नादिर-उल-असर की उपाधि दी गई थी। मंसूर व मिस्किन पशु-पक्षियों के चित्रण एवं रेखांकन के अद्वितीय चित्रकार थे। इनके अतिरिक्त बिशनदास, मनोहर, दौलत व गोवर्धन भी प्रसिद्ध चित्रकार थे।
प्रश्न 12.
शाहजहाँकालीन चित्रकला का विकास एवं स्थिति स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वैसे तो शाहजहाँ की विशेष रुचि भवन निर्माण तथा वास्तुकला के विकास में थी, फिर भी चित्रकारों ने अपना कार्य जारी रखा। इस समय फकीर उल्लाह प्रधान चित्रकार था। मीर हाशिम व्यक्ति चित्रण में निपुण था। चित्राकृतियों में दरबारी शिष्टाचार और बाह्य तड़क-भड़क पर अधिक ध्यान दिया गया। आकृति-चित्रण और रंग सामंजस्य में कमी आ गई थी। उस काल में रेखांकन और बॉर्डर बनाने की उन्नति हुई। शाहजहाँ को अपनी स्वयं की तस्वीरें बनाने का काफी शौक था।
प्रश्न 13.
औरंगजेब काल में चित्रकला की क्या परिस्थितियाँ उत्पन्न हुई?
उत्तर:
औरंगजेब की चित्रकला में रुचि नहीं थी। अपनी कट्टरता के कारण उसने कला और कलाकारों के वातावरण को समाप्त कर दिया। उसने चित्रकला को धर्म-निषिद्ध घोषित कर दिया और चित्रकारी को पूर्णतः बन्द करवा दिया, जिसके कारण दरबार में चित्रकला का कोई स्थान नहीं रहा। परिणामस्वरूप कलाकारों को मुगल सल्तनत छोड़कर अन्यत्र जाकर बसना पड़ा, जहाँ अनेक क्षेत्रीय शैलियों का विकास हुआ। मुगल महलों के भित्ति चित्रों पर सफेदी पुतवा दी गई।
प्रश्न 14.
मुगल शैली के सामान्य लक्षणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मुगल शैली के चित्रों में विविधता है। मुगल शैली की चित्रकारी में सुरुचि और सफाई का पूरा ध्यान रखा गया है। इसमें सामाजिक जीवन के विषयों का अंकन हुआ। दरबारी अनुशासन के कारण मानवी चित्रों की कतार-सी दिखाई देती है । आखेट के चित्र, ऐतिहासिक घटनाओं के चित्र, प्राकृतिक चित्रण, पशु-पक्षी चित्रण, धार्मिक चित्र, पौराणिक चित्र तथा दरबारी चित्रों का प्रभावी चित्रण हुआ है। वास्तविकता का चित्रण हुआ तथा प्रकृति के सुन्दर दृश्यों की झाँकियाँ बनाई जाती थीं, पशु-पक्षियों का भी सुन्दर चित्रण हुआ है। इस समय के चित्रों में भारतीय, ईरानी, फारसी व यूरोपीय शैलियों का मिश्रण दिखाई देता है।
प्रश्न 15.
'औरंगजेब का काल और मुगलं कला का पतन' पर नोट लिखिए।
उत्तर:
औरंगजेब एक कट्टर शासक था। वह कला से घृणा करता था और उसे धर्म के विरुद्ध मानता था। उसने मुगल महलों में पूर्व के शासकों द्वारा बनवाये गये भित्ति चित्रों पर सफेदी पुतवा दी। उसने कलाकारों को चित्रांकन छोड़ने पर बाध्य कर दिया और चित्रकारी करना निषेध कर दिया। फलस्वरूप कलाकार अपनी जान बचाकर अन्य देशी रियासतों में चले गये या जीविकोपार्जन हेतु अन्य कार्यों में संलग्न हो गये। इस प्रकार चित्रकारी मुगल शासन में पूर्णतया समाप्तप्रायः हो गई। परन्तु स्थानीय चित्रकला का विकास चलता रहा।
प्रश्न 16.
मुगल कला के पतन हेतु उत्तरदायी कारणों को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
मुगल कला के पतन हेतु उत्तरदायी मुख्य कारण-
प्रश्न 17.
औरंगजेब के पश्चात् मुगल चित्रकला की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
औरंगजेब के समय से ही, संरक्षण में अत्यधिक गिरावट के कारण उच्च कौशल प्राप्त मुगल कलाकारों ने मुगल चित्रशाला को छोड़ दिया एवं अन्यत्र पलायन कर गये, जहाँ प्रान्तीय शासकों ने उन्हें सम्मान दिया। इन प्रान्तीय शासकों ने मुगलिया शाही तौर-तरीकों की नकल की एवं उन्होंने अपने वंश और दरबार की घटनाओं का चित्रण करवाया।
यद्यपि कुछ चित्रकारी के अच्छे कार्य मुहम्मद शाह रंगीला, शाह आलम द्वितीय और बहादुरशाह जफर के काल में करवाये गये। 1838 में 'बहादुरशाह जफर' चित्रकला मुगलों की अंतिम चित्रकारी थी। बहादुरशाह अंतिम मुगल शासक था, जिसने चित्रकला को प्रश्रय दिया। तत्पश्चात् अंग्रेजों का भारत पर आधिपत्य हो गया और चित्रकला की शैली भी कम्पनी शैली के अनुरूप होती गयी।
प्रश्न 18.
मुगल चित्रकला की प्रक्रिया स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अधिकतर चित्र जिन्हें हम मुगल लघु चित्रकलाओं के रूप में देखते हैं, वे पाण्डुलिपियों तथा शाही एलबम से सम्बन्धित होते हैं। दृश्य व पाठ के लिए दिए गए खाके युक्त पुस्तक को एलबम कहते हैं। पुस्तक चित्रकारी हेतु निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई गई-सर्वप्रथम, हस्तनिर्मित कागज की शीट बनाई जाती है तथा पाण्डुलिपि के आकार के अनुसार काट लिया जाता है। कलाकार के लिए तय स्थान छोड़ दिया जाता है ताकि वह उचित दृश्य रचनाओं से भर सके। तत्पश्चात्, पृष्ठों को रेखांकित किया जाता है तथा पाठों से भर दिया जाता है। जब पाठ लिख दिए जाते हैं, तो इसे उस कलाकार को दे दिया जाता है जो कि पाठ से सम्बन्धित रोचक दृश्य चित्रों की रचना करेगा। चित्रकार पोर्टेट निर्माण के प्रारम्भिक स्तर 'चिहारनामा' से शुरू करेगा तथा रंग करने के अन्तिम स्तर तक रंगमीजी करेगा।
प्रश्न 19.
मुगलं चित्रों के तकनीकी पक्षों का वर्णन करें।
उत्तर:
मुगल चित्र हस्तनिर्मित उस कागज पर चित्रित किये जाते थे, जिसे विशेषतः इसी उद्देश्य के लिए तैयार किया जाता था। रंग अस्पष्ट होते थे एवं प्राकृतिक स्रोतों से इन्हें प्राप्त किया जाता था जिसमें तत्वों को घिसकर और मिलाकर रंगों की विशेष छाया को प्राप्त किया जाता था। रंग का प्रयोग गिलहरी और बिल्ली के बच्चे के बालों से बने ब्रुश का उपयोग करके किया जाता था।
कार्यशालाओं में, कलाकारों के दल के सामूहिक प्रयास से चित्र बनाये जाते थे। जिसके अन्तर्गत आधारभूत चित्र निर्माण, रंगों को पीसना एवं भरना और विवरण को जोड़ना आदि सभी कार्य बाँटकर किये जाते थे। प्रत्येक कलाकार अपनी विशेषता के अनुसार कार्य चुन लेता था, जैसे-चित्र बनाना, रंग करना। जब चित्र बन जाता तो सुलेमानी पत्थर व रत्न का प्रयोग किया जाता था ताकि चित्र में वांछित चमक आ सके।
प्रश्न 20.
मुगलकाल में निर्मित चित्र 'जेबरा' का परिचय दें।
उत्तर:
'जेबरा' चित्र ईथोपिया से तुर्कों द्वारा लाई गई। इस चित्र को मुगल दरबारी मीर जाफर द्वारा तत्कालीन सम्राट जहाँगीर को तोहफे में भेंट किया गया। जहाँगीर ने दरबार की भाषा फारसी में, इस चित्र पर लिखा था कि "यह एक खच्चर था जो कि तुर्क लोग ईथोपिया से मीर जाफर के साथ लाए थे।"
इसी चित्र का हूबहू चित्र उस समय के वादिर-उल-असर (युग का आश्चर्य) उस्ताद मंसूर द्वारा बनाया गया। जहाँगीरनामा में, यह स्पष्टतया लिखा गया है कि इस पशु चित्र को मार्च 1621 में नौरोज या नववर्ष महोत्सव के अवसर पर जहाँगीर को भेंट किया गया। यह भी लिखा गया है कि सम्राट जहाँगीर ने इसका बारीकी से निरीक्षण किया क्योंकि किसी ने कहा कि यह एक घोड़े का चित्र है जिस पर धारियाँ बना दी गई हैं । जहाँगीर ने इस चित्र को ईरान के शाह अब्बास को उपहार स्वरूप भेजने का निर्णय किया।
आगे चलकर 'जेबरा' चित्र शाहजहाँ के अधिकार में आ गया, जिसे शाही एलबम में जोड़ दिया गया। इसी समय इस चित्र पर पानी के अस्पष्ट रंग द्वारा बॉर्डर का निर्माण किया गया।
निबन्धात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
मुगलों के भारत आगमन एवं चित्रकला की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
भारत में मुगल आगमन एवं चित्रकला की स्थिति
भारत में मुगल आगमन-भारत में मुगलों का प्रवेश 1526 ई. में हुआ जब बाबर पानीपत के युद्ध में दिल्ली के सुल्तान इब्राहीम लोदी को परास्त कर दिल्ली का शासक बना। इस प्रकार, भारत में मुगल शासन की स्थापना का के सुल्तान इब्राहीम लोदी को परास्त कर दिल्ली का शासक बना। इस प्रकार, भारत में मुगल शासन की स्थापना का श्रेय बाबर को ही है। बाबर तैमूर (पितृपक्ष) की पाँचवीं पीढ़ी में तथा मंगोल योद्धा चंगेज खाँ (मातृपक्ष) की चौदहवीं पीढ़ी में जन्मा। इसलिए इनके वंशज को मुगल कहा गया।
मुगल शासक बाबर बहुत कम समय के लिए ही शासन कर सका, सन् 1530 ई. में उसकी मृत्यु हो गई। बाबर के पश्चात् उसके ज्येष्ठ पुत्र हुमायूँ ने राज्यभार संभाला। यहीं से कला का विकास प्रारम्भ हुआ, जो अकबर, जहाँगीर, शाहजहाँ तक विकसित हुआ।
मुगलकाल में चित्रकला की स्थिति-मुगल बादशाह प्रारम्भ से ही कला प्रेमी रहे हैं। बाबर, हुमायूँ, अकबर, जहाँगीर और शाहजहाँ तक इस शैली में निरन्तरता एवं क्रमिक विकास दिखाई देता है। वैसे तो बाबर काल के चित्र उपलब्ध नहीं हैं लेकिन बाबर की चित्रकला में बड़ी रुचि थी क्योंकि उसने 'पूर्व के राफेल' कहलाने वाले प्रसिद्ध ईरानी चित्रकार बिहजाद तथा शाह मुजफ्फर की चित्रकृतियाँ देखीं व उनकी समीक्षा भी की थी। बाबर ने अपनी आत्मकथा 'तुजुक-ए-बाबरी' में इन कलाकारों का उल्लेख प्रशंसा के साथ किया है।
चित्र : अब्दुस समद-तैमूर के घर के राजकुमार ( 1545-50 ई.)
मुगल शैली प्रारम्भ में पूर्णतः ईरानी कला थी जिसे भारतीय संदर्भो में प्रस्तुत किया जा रहा था। अकबर के समय यह शैली राजस्थानी, अपभ्रंश व दक्षिणी शैलियों के समन्वय से नवीनता प्राप्त कर मौलिकता प्राप्त करने लगी। कहा जा सकता है कि ईरानी व राजस्थानी शैली मुगल शैली की जन्मदाता है।
जहाँगीर के समय मुगल शैली पूर्णतया भारतीय हो गई, परन्तु आगे चलकर शाहजहाँ के समय इस पर यूरोपीय प्रभाव अधिक हो गया था। प्रमुख इतिहासकार रामकृष्ण दास के मतानुसार भारत में मुगल शैली का जन्म बाबर के आगमन से हुआ और बाद में शाहजहाँ तक के मुगल शासकों के काल में उसका निरन्तर विकास होता रहा, जिसका चरमोत्कर्ष जहाँगीर का शासनकाल था।
परन्तु, शाहजहाँ के पश्चात् औरंगजेब सत्तारूढ़ हुआ। वह कट्टर शासक था जो चित्रकारी को धर्म के विरुद्ध मानता था। उसने भित्ति चित्रों पर सफेदी पुतवा दी और चित्रकारों को चित्रांकन छोड़ने के लिए बाध्य कर दिया। जान बचाने हेतु कलाकार दूसरी रियासतों में शरण लेने लगे या अन्य कार्य करके जीविकोपार्जन करने लगे। यहीं से मुगल दरबारी कला का पतन प्रारम्भ हो गया।
प्रश्न 2.
मुगल कला शैली के क्रमिक विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मुगल कला शैली का क्रमिक विकास
1. मुगल चित्र शैली का उद्भव एवं बाबरकालीन चित्रकला-सन् 1526 में बाबर ने पानीपत के युद्ध में दिल्ली के सुल्तान इब्राहीम लोदी को पराजित कर भारत में सर्वप्रथम मुगल साम्राज्य की नींव रखी। इस समय ईरानीहिरात शैली का प्रसिद्ध चित्रकार बिहजाद हुआ। बिहजाद को 'पूर्व का राफेल' भी कहा जाता है। बिहजाद को बाबर अपने साथ भारत लाया। इस प्रकार ईरानी-हिरात शैली मुगल वंश के साथ भारत में प्रविष्ट हुई।
चित्र : ग्वालियर किले का निरीक्षण करते हुए बाबर, भूरे, बाबरनामा (1598)
बाबर कलाप्रेमी शासक था। उसकी चित्रकला में भी काफी रुचि थी। उसने अपनी आत्मकथा बाबरनामा में बिहजाद तथा शाह मुजफ्फर नामक चित्रकारों का उल्लेख किया है।
2. हुमायूँकालीन चित्रकला-हुमायूँ साहित्य और कलाप्रेमी था। उसने ईरान के शाह तहमास्प के दरबारी चित्रकारों, मीर सैयद अली जुदाई तथा ख्वाजा अब्दुस्समद शीराजी को अपना दरबारी चित्रकार नियुक्त किया। हमज़ानामा नामक साहसिक कहानी का चित्रण हुमायूँ के संरक्षण में प्रारम्भ हुआ। हमज़ानामा के चित्र सूती कपड़े पर बनाये गए।
3. अकबरकालीन चित्रकला-अकबर ने चित्रकला की उन्नति के लिए निरन्तर प्रयास किए। अकबर के दरबार में 100 से अधिक चित्रकार नियुक्त थे। अकबर ने एक चित्रशाला का निर्माण करवाया। इस चित्रशाला के अध्यक्ष उस्ताद मीर सैयद अली तथा ख्वाजा अब्दुस्समद शीराजी थे। सम्राट चित्रकारों की कार्यकुशलता के अनुसार उनको पुरस्कार देता था तथा वेतन बढ़ाता था। उच्च कोटि के चित्रकारों को 500 मनसबदारी तक के पद प्रदान किये जाते थे। अकबर ने अपने चित्रकारों को प्रोत्साहित करने के लिए नादिर उल मुल्क तथा हुमायूँशाही की उपाधियों से भी विभूषित किया।
अकबर ने हमज़ानामा की कहानी को चित्रित करवाया। अकबर की चित्रशाला में अनेक भारतीय चित्रकारों को फारसी चित्रकारी भी सिखाई गई। अतः अकबर के समय में ईरानी या भारतीय फारसी शैली मुगल शैली में बदल गई।
अकबर के समय में 'बाबरनामा' की एक सचित्र प्रति तैयार की गई। इस कृति में कुल 183 चित्र हैं।
चित्र : हम्ज़ा के जासूस कैमर शहर पर आक्रमण करते हुए (1567-1582 )
4. जहाँगीरकालीन चित्रकला-जहाँगीर ने अपने युवाकाल में ही चित्रशाला को संरक्षण दिया एवं अपने चित्रकार भी नियुक्त किये। उसके समय को मुगल चित्रकला का स्वर्णिम युग भी कहा जाता है। उसने कश्मीर में भी एक चित्रदीर्घा (गैलेरी) का निर्माण करवाया। इस गैलेरी में हुमायूँ, अकबर, शाह अब्बास, मिर्जा कामरा, मिर्जा मोहम्मद हकीम, शाह मुराद, सुल्तान दानियाल के व्यक्ति चित्रों के साथ-साथ अमीरों और विशेष सेवकों की छवियाँ भी अंकित की गईं। इसी प्रकार जहाँगीर ने अजमेर में शाही महल (चश्मे नूर) बनवा कर सुन्दर चित्रों से अलंकृत करवाया।
चित्रकार मनसबदार होते थे और उनके कार्य करने के लिए उत्तम चित्रशालाएँ थीं। जहाँगीर जिन चित्रकारों का कार्य उत्तम होता था, उन्हें पुरस्कृत करता था। जहाँगीर काल में प्रसिद्ध चित्रकारों में अबुल हसन सर्वश्रेष्ठ चित्रकार था, जिसे सम्राट ने 'नादिर उजमा' (युग शिरोमणि) की उपाधि से विभूषित किया। उस्ताद मन्सूर भी एक प्रसिद्ध चित्रकार था। उसे 'नादिर उल असर' की उपाधि प्रदान की गई।
5. शाहजहाँकालीन चित्रकला-शाहजहाँ की विशेष रुचि भवन निर्माण तथा वास्तुकला के विकास में थी। इसके कारण शाहजहाँ के राज्यकाल में चित्रकला उपेक्षित-सी रह गई थी। चित्रों की संख्या उतनी ही रही, परन्तु इन चित्रों में पहले जैसी सजीवता व स्वच्छन्दता नहीं रही। शाहजहाँ के समय फकीर उल्लाह प्रधान चित्रकार था। मीर हाशिम व्यक्ति चित्रण में निपुण था। इनके अतिरिक्त गोवर्धन, मुहम्मद नादिर, विचित्तर, चित्रमन आदि प्रमुख चित्रकार थे। शाहजहाँकालीन चित्रकृतियों में दरबारी शिष्टाचार और बाह्य तड़क-भड़क पर अधिक ध्यान दिया गया।
6. औरंगजेबकालीन चित्रकला-औरंगजेब की कला में रुचि नहीं थी। अपनी कट्टरता के कारण उसने कला और कलाकारों के वातावरण को समाप्त कर दिया। उसने चित्रकला को धर्म-निषिद्ध घोषित कर दिया, जिसके कारण दरबार में चित्रकला का कोई स्थान नहीं रहा। परिणामतः कलाकारों को मुगल सल्तनत छोड़कर नवीन आश्रय की ओर भागना पड़ा।
प्रश्न 3.
मुगलकालीन चित्रकला शैली की विशेषताओं को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
मुगलकालीन चित्रकला शैली की विशेषताएँ
मुगलकालीन चित्र शैली की विशेषताओं का प्रत्येक सम्राट् के शासनकाल में परिवर्तन हुआ। इसलिए अलगअलग सम्राटों के काल की क्रमानुसार विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. आरम्भिक काल (बाबर एवं हुमायूँकालीनं चित्रकला)-आरम्भिक मुगल चित्रों पर ईरानी और फारसी चित्र शैली का प्रभाव है। ये चित्र चमकदार हैं, जिनमें लाल, नीले तथा हरे रंगों का प्रयोग किया गया है। कपड़ों की. बनावट सरल और सपाट है। आकृतियों की अंग-भंगिमाएँ और हस्तमुद्राएँ कमजोर हैं, परन्तु चित्रों का संयोजन प्रभावशाली और सुन्दर है।
2. अकबरकालीन चित्रकला की विशेषताएँ-अकबर के समय में मुगल चित्रकला पर राजस्थानी, ईरानी, कश्मीरी चित्रशैली की अनेक विशेषताएँ अपना प्रभाव डालती हुई प्रतीत होती हैं। इन चित्रों में रंग चमकदार हैं। चित्रों में सिन्दूरी, पीला, नीला, लाल, गुलाबी, हरे रंग का अधिक प्रयोग किया गया है। चित्रों की रेखाएँ गोलाईयुक्त हैं तथा रेखांकन गतिशील है। डेढ़ चश्म चेहरों के साथ ही एकचश्म चेहरे भी बनाए गए हैं। आकृतियों को मुगलिया वस्त्रों एवं आभूषणों से युक्त बनाया गया। हस्तमुद्राओं, वस्त्रों की फहरन तथा शिकन, वृक्षों की पत्तियों के रेखांकन यथार्थ, बारीक और स्वाभाविक हैं। अकबर के समय में शबीह चित्रण (व्यक्ति चित्र) का भी काफी विकास हुआ। बादशाहों, प्रतिष्ठित दरबारियों आदि के सुन्दर व्यक्ति चित्र बनाए गए।
3. जहाँगीरकालीन चित्रकला की विशेषताएँ-जहाँगीरकालीन चित्रकला में परम्परा के स्थान पर यथार्थता दिखाई देती है। इन चित्रों में बारीकी, सफाई, शारीरिक गठनशीलता और वस्त्रों की बनावट में काफी कौशल दिखलाई पड़ता है। वस्त्रों की बनावट में शिकनों-सिकुड़नों का विशेष ध्यान रखा गया जिनमें हवा के प्रकम्पन का भी बोध होता है। रेखाएँ महीन एवं कोमल हैं। चेहरों में गोलाई लाने के लिए बारीक रेखाओं द्वारा खत-परदाज का प्रयोग अत्यन्त कुशलता से किया गया है। चेहरे एकचश्म बनाए गए हैं। जहाँगीर के चित्र में प्रभामण्डल चित्रित किया गया है।
रंगों की अनेक तानों का प्रयोग कर मिश्रित और स्वर्ण वर्ण का भी प्रयोग अधिक हुआ है। प्रकृति की सुन्दर छटा, पशुओं, पक्षियों, हाथी, घोड़ों, शिकार दृश्यों, मोरों आदि के चित्रण में अत्यधिक यथार्थता और स्वाभाविकता झलकती है। इस समय शबीह चित्रों की अधिकता थी। जहाँगीरकाल में प्रतिष्ठित दरबारियों, रानियों, अमीरों आदि के शबीह (व्यक्ति चित्र) बनाए गए। इस समय की यूरोपीय कला का भी प्रभाव जहाँगीर काल की मुगल चित्रकला शैली पर पड़ा।
शाहजहाँकालीन चित्रकला की विशेषताएँ-शाहजहाँकालीन चित्रों में विकसित मुगल चित्रशैली को रूढिबद्ध ढंग से प्रयोग करना शुरू हुआ। अधिकांश दरबारी दृश्यों में दरबारियों को जकड़े हुए अदब-कायदों में खड़े दिखलाया गया है। इस प्रकार नियम की जकड़ में चित्र निर्जीव-से प्रतीत होते हैं। मानव आकृतियों के शारीरिक गठन में रेखांकन बेजान तथा शिथिल पड़ने लगता है। इस काल के चित्रों में यूरोपियन प्रभाव भी दिखाई देता है।
5. दाराकालीन चित्रकला की विशेषताएँ-दाराशिकोह में चित्रकला के प्रति एक स्वाभाविक रुचि थी। वह आध्यात्मिक प्रकृति का व्यक्ति था। हिन्दू विद्वानों और चित्रकारों के प्रति उसका दृष्टिकोण अपने पूर्वजों जैसा बना हुआ था। दाराशिकोह ने कई सुन्दर चित्र बनवाये थे । उसका चालीस चित्रों का एक एलबम इण्डिया ऑफिस, लाइब्रेरी, लन्दन में सुरक्षित है।
6. औरंगजेबकालीन चित्रकला की विशेषताएँ-इस समय के बहुत कम चित्र प्राप्त होते हैं। इन चित्रों में रेखांकन दुर्बल है। चित्रों में सजीवता या स्वाभाविकता के स्थान पर कारीगरी अधिक है। इस काल में मुगल चित्रकला पतन की ओर अग्रसर प्रतीत होती है। इन सबका कारण औरगंजेब की धार्मिक कट्टरता थी, वह चित्रकला को धर्म-निषिद्ध मानता था।
प्रश्न 4.
मुगलकालीन प्रमुख चित्रों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
मुगलकालीन प्रमुख चित्रों का परिचय
मुगलकाल में विभिन्न सराहनीय कलाकृतियों का चित्रांकन किया गया जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं-
(1) गोवर्धनधारी कृष्ण-अकबरकालीन प्रसिद्ध चित्रकार मिस्किन ने गोवर्धनधारी कृष्ण के सुन्दर चित्र का निर्माण किया। इस चित्र में नीलवर्णीय कृष्ण को बायें हाथ पर गोवर्धन पर्वत उठाते हुए चित्रित किया गया है । कृष्ण के आस-पास महिला, पुरुष, बालक एवं गायों, भैंसों व बकरियों को भी चित्रित किया गया है।
(2) 'जहाँगीर समय बताने वाले यंत्र पर बैठा है'-इसे बिचित्र द्वारा 1625 में चित्रित किया गया। वह स्वयं भी चित्र में खड़ा दिखाई दे रहा है, वह सम्राट को भेंट में चित्र देना चाहता है। चित्र को फारसी सुलेख से ऊपर एवं नीचे सजाया गया है। सुलेख के अनुसार, इस संसार के सभी शाह जहाँगीर के सामने खड़े हो सकते हैं क्योंकि वह दरवेशों को सम्मान देता है। चित्र में, तुर्क सुल्तान तथा इंग्लैण्ड के राजा जेम्स प्रथम भी हैं। चित्र में जहाँगीर चिश्ती धर्मस्थल के शेख हुसैन को एक पुस्तक दे रहा है।
(3) 'जहाँगीर का सपना'-अबुल हसन द्वारा चित्रित, यह चित्र सम्राट जहाँगीर के सपनों को बताता है। चित्र में, सफ़ाविद सम्राट शाह अब्बास को जहाँगीर से मिलते हुए दर्शाया गया है, वह जहाँगीर का प्रतिद्वंद्वी था। चित्र में जहाँगीर की उपस्थिति हावी रहती है जबकि फारसी शाह कमजोर दिखाई देता है क्योंकि जहाँगीर ने उसे गले लगा लिया है। दोनों को एक ग्लोब पर खड़े दिखाया गया है, जहाँगीर शक्तिशाली शेर पर खड़ा है जबकि शाह अब्बास विनम्र भेड़ पर खड़ा है। प्रस्तुत चित्र में यूरोपीय कला रूपांकनों और छवियों से प्रेरित होने का संकेत दिया गया है।
(4) पक्षी विश्राम (अड्डे) पर बाज-जहाँगीर के काल में उस्ताद मन्सूर पक्षियों के चित्र बनाने में अत्यन्त कुशल था। उसके द्वारा बनाया गया बाज का चित्र विश्वविख्यात है। इस बाज की आकृति वास्तविक प्रतीत होती है। बाज की आँखों से तीक्ष्णता तथा क्रूरता का भाव स्पष्ट रूप से प्रकट होता है।
(5) 'जहाँगीर दरबार में (जहाँगीरनामा)'-जहाँगीरनामा में चित्रित 'जहाँगीर दरबार में' मनोहर द्वारा 1620 में अबुल हसन के साथ संयुक्त रूप से निर्मित श्रेष्ठ चित्र है। चित्र में, जहाँगीर, केन्द्र में अपने उच्चतम स्तर पर है। दाईं ओर, खुर्रम अपने पुत्र शुजा के साथ खड़ा है। दरबारी अपने पद के अनुसार खड़े हैं। एक ईसाई पादरी भी उपस्थित है। हाथी और घोड़े इस घटना की उत्सवी महत्ता बढ़ा रहे हैं। चित्र में बेल-बूटेदार चौखटे से स्पष्ट चमकीले रंगों से घिरे अद्भुत सफेद खम्भों तथा शानदार ढंग से तैयार ऊपरी छत की ओर दृष्टि स्वयं घूम जाती है।
(6) दाराशिकोह की बरात-नवाब शुजाउद्दौला के काल में अवध की क्षेत्रीय कला पराकाष्ठा पर थी। यह मुगल शैली से प्रभावित होते हुए भी मौलिक थी। इस शैली में कोमल रंग तथा अलंकरण को अधिक महत्त्व दिया गया। इस चित्र की रचना हाजी मदानि द्वारा टेम्परा पद्धति में की गई थी।
चित्र में दाराशिकोह को घोड़ी पर बैठे हुए चित्रित किया गया है। वे एक अंगरखा पहने हैं तथा मोतियों का सेहरा बाँधे हैं। दाराशिकोह के पीछे उनके पिता शाहजहाँ घोड़े पर सवार हैं। सभी चेहरों को प्रोफाइल तथा आधे प्रोफाइल (एकचश्म) में दर्शाया गया है। चित्र में नारी सदस्यों को हाथियों पर सवार चित्रित किया गया है।
प्रश्न 5.
मुगलकालीन चित्रों के विषयों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मगलकाल के चित्रों के विषय
मुगलकाल में विभिन्न विषयों पर चित्र बनाए गए। मुगल शैली में सभी प्रकार के विषयों का चित्रण हुआ। इस काल में भारतीय एवं अभारतीय पौराणिक कथाओं, ऐतिहासिक प्रसंगों, ग्रन्थों के प्रसंगों, युद्ध, शिकार, धार्मिक, सामाजिक, दरबारी दृश्यों आदि का चित्रण खूब हुआ।
मुगलकाल के चित्रों के प्रमुख विषय निम्नवत् रहे-
1. अकबरकालीन चित्रकला के विषय-अकबरकालीन चित्रों के विषय को निम्नलिखित भागों में बाँटा जा सकता है-
2. जहाँगीरकालीन चित्रों के विषय-जहाँगीर के समय में निम्नलिखित विषयों से सम्बन्धित चित्र बनाए गए-
3. शाहजहाँकालीन चित्रों के विषय-शाहजहाँकालीन चित्रों के विषय निम्नलिखित थे-
प्रश्न 6.
अकबरकालीन प्रमुख चित्रकारों का परिचय दीजिए।
उत्तर:
अकबरकालीन प्रमुख चित्रकार
अकबरकालीन चित्रकार निम्नलिखित थे-
1. मीर सैयद अली-मीर सैयद अली ईरानी चित्रकार था तथा हुमायूँ के साथ ईरान से भारत आया था। इसके चित्रों में सुन्दर और मोहक वातावरण मिलता है। हमज़ानामा के चित्रों का निर्माण उसके निर्देशन में हुआ था। इसे लौकिक और भौतिक जीवन से सम्बन्धित विषयों का चित्रण अधिक प्रिय था। उसके द्वारा चित्रित चित्रों में लैला-मजनूं का चित्र, मजनूं का जन्म, ज़द्दाक अली के पिता का शबीह (व्यक्ति चित्र) आदि उल्लेखनीय हैं।
2. ख्वाजा अब्दुस समद शीराजी-ख्वाजा अब्दुस समद शीराजी भी ईरानी चित्रकार था, जो हुमायूँ के साथ भारत आया था। यह ईरानी कलाकेन्द्र शिराज का मूल निवासी था। उसने हुमायूँ तथा अकबर को चित्रकला की शिक्षा : प्रदान की। वह अकबर की चित्रशाला का प्रमुख था। श्रेष्ठ चित्रकारी के कारण इसे 'शीरी कलम' की उपाधि दी गई। उसके शिष्य भी श्रेष्ठ चित्रकार थे।
3. दसवन्त-दसवन्त कहार जाति का था तथा अकबर की चित्रशाला में श्रेष्ठ हिन्दू चित्रकार था। उसने चित्रकारी की शिक्षा ख्वाजा अब्दुस्समद से प्राप्त की थी। उसने 'रज्मनामा' ग्रन्थ में अनेक सुन्दर चित्र बनाए। उसकी रुचि पौराणिक कथाओं के चित्रण में अधिक थी। उसके द्वारा दैनिक जीवन के आधार पर बनाए गए चित्र, काल्पनिक दृश्य आदि उल्लेखनीय हैं। मुगल कला में भारतीयता का भाव इसी कलाकार की देन है।
4. बसावन-बसावन अकबर के दरबार का एक श्रेष्ठ हिन्दू चित्रकार था। उसकी गिनती 16वीं शताब्दी के उत्कृष्ट चित्रकार के रूप में की जाती थी। उसने लगभग 100 चित्र बनाए। उसके चित्र 'रज्मनामा', 'अकबरनामा' आदि ग्रन्थों में प्राप्त हैं । बसावन पृष्ठभूमि बनाने, मुखाकृति की विशेषताओं का अंकन करने, रंगों का मिश्रण तैयार करने आदि में श्रेष्ठ था।
प्रश्न 7.
जहाँगीरकालीन प्रमुख चित्रकारों का परिचय दीजिए।
उत्तर:
जहाँगीरकालीन प्रमुख चित्रकार
जहाँगीर काल के प्रमुख चित्रकार निम्नलिखित थे-
1. अबुल हसन-अबुल हसन जहाँगीर के दरबार का सर्वोत्कृष्ट चित्रकार था। जहाँगीर ने उसकी कला प्रतिभा से प्रभावित होकर उसे 'नादिर उज्जमा' (युग शिरोमणि) की उपाधि प्रदान की थी। अबुल हसन द्वारा बनाए गए चित्र 'जहाँगीर का सिंहासनारोहण', 'बैलगाड़ी' आदि अत्यधिक प्रसिद्ध हैं। अबुल हसन के चित्रों की विशेषताएँ उसकी कोमल रेखा, गहरे तथा बुझे हुए चमकीले रंग हैं।
2. उस्ताद मंसूर-उस्ताद मंसूर भी जहाँगीरकालीन एक उत्कृष्ट चित्रकार था। जहाँगीर ने उस्ताद मंसूर को. 'नादिर उल असर' की उपाधि प्रदान की थी। उस्ताद मंसूर पक्षियों के चित्र बनाने में अत्यन्त निपुण था। उसके द्वारा बनाया गया 'बाज का चित्र' विश्वविख्यात है। उसके द्वारा बनाये गये जेबरा के चित्र भी उल्लेखनीय हैं।
3. मनोहर-मनोहर भी जहाँगीर के दरबार का एक प्रसिद्ध चित्रकार था। वह शिकार के चित्र बनाने में निपुण था। ‘शेर का शिकार करते हुए जहाँगीर' उसका एक प्रसिद्ध चित्र है।
4. बिशनदास-बिशनदास भी जहाँगीर के दरबार का एक प्रसिद्ध चित्रकार था। वह शबीह (व्यक्ति चित्र) बनाने में निपुण था। बिशनदास द्वारा बनाये गए चित्रों में नूरजहाँ का शबीह, शेख सूफी सन्त का शबीह आदि प्रसिद्ध हैं। छवि अंकन में बिशनदास बेजोड़ चित्रकार था।
चित्र : दरबार में जहाँगीर, जहाँगीरनामा, अबुल हसन व मनोहर (1620)
प्रश्न 8.
अकबर एक कलाप्रेमी सम्राट था। उसके काल में किस तरह की चित्रकारियाँ की गईं ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अकबर के काल में मुगल चित्रकला
अकबर एक कलाप्रेमी सम्राट् था। उसने अपने कला-प्रेम के बल पर भारतीय चित्रशैली को एक नवीन रूप प्रदान किया। अकबरकालीन चित्रशैली की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं-
प्रश्न 9.
जहाँगीर एक कलाप्रेमी शासक था, उसने अपनी रुचि के अनुरूप मुगल चित्रकला का किस प्रकार विकास किया? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जहाँगीर काल में मुगल चित्रकला का विकास
जहाँगीर एक कला-प्रेमी शासक था, उसकी चित्रकला में अत्यधिक रुचि थी। उसके शासनकाल में मुगल चित्रकला अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गई। मुगल चित्रकला के इतिहास में जहाँगीर का शासनकाल स्वर्ण युग के नाम से जाना जाता है। जहाँगीरकालीन चित्रों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. जहाँगीरकालीन चित्रकला का एक नवीन रूप में विकसित होना-जहाँगीर के काल में कुछ वर्षों तक तो अकबर शैली का ही अनुसरण किया जाता रहा लेकिन बाद में यह शैली छाया-प्रकाश की अधिकता के साथ नए तत्वों को लेकर परिवर्तित हुई। तत्पश्चात् जहाँगीरकालीन चित्रकला ईरानी प्रभाव से मुक्त होकर एक नवीन रूप में विकसित हुई। जहाँगीरकालीन चित्रकला में परम्परा के स्थान पर यथार्थता दिखाई देती है। आमोद-प्रमोद, आखेट, रथयात्रा, रनिवास, उत्सव आदि विषयों के चित्र यथार्थता से चित्रित किए गए।
2. रेखाएँ-जहाँगीरकालीन रेखाएँ अत्यधिक बारीक एवं कोमल दर्शायी गई हैं। चित्रों में बारीकी, सफाई, शारीरिक गठन तथा वस्त्रों की बनावट में काफी कौशल दिखलाई देता है। वस्त्रों की बनावट में शिकनों-सिकुड़नों का विशेष ध्यान रखा गया है, जिनमें हवा के प्रकम्पन का भी बोध होता है। चेहरों में गोलाई लाने के लिए बारीक रेखाओं द्वारा खत परदाज का प्रयोग अत्यन्त कुशलता से किया गया है। शारीरिक गठनशीलता, गोलाई तथा उभार लाने के लिए छाया और प्रकाश का प्रयोग किया गया है।
3. एकचश्म चेहरे-चित्रों में चेहरे एकचश्म बनाए गए हैं। जहाँगीर के चित्र में प्रभामण्डल चित्रित किया गया है।
4. रंग-चित्रों में रंग-योजना सौम्य एवं हल्की है। रंगों की अनेक तानों का प्रयोग कर मिश्रित और स्वर्ण वर्ण का भी प्रयोग अधिक हुआ है।
5. पशु-पक्षी एवं प्रकृति चित्रण-जहाँगीर के समय में पशु-पक्षियों, फूलों-फलों आदि का सुन्दर चित्रण किया गया। उस्ताद मंसूर नामक चित्रकार द्वारा बनाए गए बाज का चित्र विश्वप्रसिद्ध है। प्रकृति की सुन्दर छटा, पशुओं, पक्षियों, हाथी, घोड़ों, मोरों आदि के चित्रण में अत्यधिक यथार्थता एवं स्वाभाविकता झलकती है।
6. व्यक्ति चित्र-जहाँगीर के समय में शबीह चित्रों (व्यक्ति चित्रों) की बहुलता थी। इस समय जहाँगीर, प्रतिष्ठित दरबारियों, रानियों आदि के शबीह चित्र (व्यक्ति चित्र) बनाए गए।
7. यूरोपियन कला का प्रभाव-इस समय यूरोपियन कला का भी प्रभाव जहाँगीर काल की मुगल चित्रकला शैली पर पड़ा था।
8. भारतीयता का समावेश-जहाँगीरकालीन चित्रों में पुरुषों की वेशभूषा में लम्बा जामा, पटका, खिड़कीदार पगड़ी का बाहुल्य है और स्त्री वेशभूषा में ओढ़नी को बढ़ावा मिला है। इस प्रकार, इस काल के चित्र ईरानी प्रभाव से मुक्त हुए हैं तथा उनमें भारतीयता का समावेश हुआ है।
9. चित्रों में कुशलता व शालीनता-इस काल में सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक विषयों से सम्बन्धित चित्रों को बहुत कुशलता से चित्रित किया गया है। दरबारी विषयों का चित्रण शालीनता से हुआ है। चित्रों में राजसी जीवन के साथ-साथ ऐतिहासिक घटनाओं, ईसाई, यूरोपियन तथा अन्य विषयों का सुन्दर चित्रण हुआ है।
10. सौन्दर्य के सभी आवश्यक तत्वों का समावेश-इस काल में चित्रों के संयोजन में पूर्णता लाने के लिए सौन्दर्य के सभी आवश्यक तत्वों का समावेश किया गया है।
प्रश्न 10.
शाहजहाँ के काल में मुगल चित्रकला का विकास किस प्रकार हुआ? इस काल की कला विशेषता बताइए।
उत्तर:
शाहजहाँ के काल में मुगल चित्रकला का विकास एवं विशेषताएँ
शाहजहाँ की रुचि चित्रकला की अपेक्षा स्थापत्य कला में अधिक थी। फिर भी वह चित्रकला तथा चित्रकारों को प्रोत्साहन देता था। शाहजहाँकालीन चित्रकला बिल्कुल नए अवतार में दिखती है क्योंकि इस काल की कला दरबारी व्यवस्था से बँधी हुई है, लेकिन तकनीक उच्चस्तरीय है। इस समय कला में भावों के स्थान पर प्रबंधन को अधिक महत्त्व दिया गया है। कला में यूरोपीय प्रभाव बढ़ा है तथा छाया प्रकाश को अत्यधिक महत्त्व दिया गया है।
शाहजहाँकालीन चित्रकला की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं-
प्रश्न 11.
मुगल काल में चित्रित पक्षी विश्राम (अड्डे) पर बाज' तथा 'दाराशिकोह की बारात' चित्रों का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पक्षी विश्राम (अड्डे) पर बाज जहाँगीर के काल में उस्ताद मंसूर पक्षियों के चित्र बनाने में अत्यन्त कुशल था। उसके द्वारा बनाया गया बाज का चित्र विश्व-विख्यात है। इस बाज की आकृति वास्तविक प्रतीत होती है। बाज की आँखों से तीक्ष्णता और क्रूरता का भाव स्पष्ट रूप से प्रकट होता है। बाज के पंखों व पैरों को सफेद व भूरे रंग से बड़ी बारीकी से चित्रित किया गया है जिसे देखकर दर्शक मुग्ध हो जाते हैं।
चित्र : उस्ताद मंसूर-पक्षी विश्राम (अड्डे) पर बाज
दाराशिकोह की बारात
'दाराशिकोह की बारात' नामक चित्र की रचना हाजी मदनी द्वारा टेम्परा पद्धति में की गई। चित्र में दाराशिकोह को घोड़ी पर बैठे हुए चित्रित किया गया है। वह एक अंगरखा पहने है तथा मोतियों का सेहरा बाँधे है। दाराशिकोह के पीछे उनके पिता शाहजहाँ घोड़े पर सवार हैं। शाहजहाँ के सिर के पीछे प्रकाश की छटा (प्रकाश पुंज) दिखलाई गई है। सभी चेहरों को प्रोफाइल तथा आधे प्रोफाइल (एकचश्म) में दर्शाया गया है। चित्र में नारी सदस्यों को हाथियों पर सवार चित्रित किया गया है। इनके साथ-साथ बाजे वाले भी हाथी पर सवार होकर जा रहे हैं। इनके सामने स्वागत में अनेक पुरुष और स्त्रियाँ हाथ जोड़े खड़े हैं । गहरे रंग की पृष्ठभूमि में अनार और अन्य रोशनी बिखेरने वाले पटाखे छूट रहे हैं। कुछ लोग हाथों में मशाल लिए हुए भी हैं। चित्र में आकृतियों की बहुलता होते हुए भी चित्रकार ने इस परिदृश्य को कुशलतापूर्वक चित्रित किया है।
चित्र : दाराशिकोह की बारात, हाजी मदनी
प्रश्न 12.
मुगलकाल में चित्रित 'नूह की सन्दूक (नाव)' तथा 'गोवर्धनधारी श्रीकृष्ण' चित्रों का चित्रात्मक वर्णन कीजिए।
उत्तर:
नूह की सन्दूक (नाव)
नूह की सन्दूक (नाव), 1590 ई. की पाण्डुलिपि 'दीवान-ए-हाफिज़' में चित्रित एक विशेष चित्र है। इसका चित्रांकन मिस्किन ने किया है, जो कि अकबर के चित्रशाला का प्रमुख था। वह अकबर के समय के महान् चित्रकारों में से एक था, जिसे जानवरों एवं पक्षियों की बेजोड़ चित्रकारी के लिए जाना जाता है।
यह चित्र हस्तनिर्मित एक शानदार मुगल लघुचित्रकला है, इसमें नूह का चित्रण किया गया है। उसका सिर एक ज्वलंत प्रभामण्डल से घिरा हुआ है। वह उस नाव पर सवार है जिसमें विभिन्न जीव-जन्तु अपने जोड़े में सुरक्षित स्थान पर ले जाये जा रहे हैं क्योंकि इंसानों की गलतियों के निमित्त उन्हें दण्डित करने के लिए ईश्वर ने प्रलय की स्थिति उत्पन्न कर दी है। नूह को आज्ञा मिली है कि वह सभी जीव-जन्तुओं को सुरक्षित ले जाये और नई दुनिया बसाये।
चित्र : मिस्किन-नूह की सन्दूक (नाव)
चित्र में नूह के पुत्र, शैतान इबलिस को फेंकने का अभिनय कर रहे हैं, क्योंकि वह नाव को नष्ट करना चाहता है।
चित्रांकन में, शुद्ध सफेद तथा लाल, नीले एवं पीले रंगों की छाया बनाते हुए अपारदर्शी जलरंगों का उपयोग किया गया है। जल का प्रतिपादन उत्तम है, घुमावदार नजारा चित्रकारी में उच्चतम नाटकीय ऊर्जा भर देता है।
'गोवर्धनधारी श्रीकृष्ण'
अकबरकालीन प्रसिद्ध चित्रकार मिस्किन ने 'गोवर्धनधारी श्रीकृष्ण' का सुन्दर चित्र बनाया। इस चित्र में नीलवर्णी श्रीकृष्ण के आस-पास स्त्री-पुरुष, बालक एवं गायों, भैंसों व बकरियों को भी चित्रित किया गया है। चित्रित आकृतियों में अधिकांश को पौने दो चश्म चेहरों में एवं कुछ आकृतियों को एक चश्म चेहरे में भी चित्रित किया गया है। पुरुषों को गोल, भारी पगड़ियों, लम्बे चोगे, कमरबंध बाँधे, दाढ़ी व सिर के बालों को बड़ी बारीकी से चित्रित किया गया है।
श्रीकृष्ण को एक चश्म चेहरे, पीताम्बर पहने, पाँव तक लम्बी माला पहने चित्रित किया गया है। इस चित्र में पहाड़ियाँ चट्टानों युक्त हरे, नीले व भूरे रंग से बनाई गई हैं। हिरण व बाघ पशुओं को भी इन चट्टानों में चित्रित किया गया है।
चित्र : गोवर्धनधारी श्रीकृष्ण, मिस्किन (1585-90)