RBSE Class 12 Chemistry Notes Chapter 6 तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम

These comprehensive RBSE Class 12 Chemistry Notes Chapter 6 तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम will give a brief overview of all the concepts.

RBSE Class 12 Chemistry Chapter 6 Notes तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम

→ खनिज (Minerals):
धातु एवं उनके यौगिक जो प्रकृति में पाये जाते हैं तथा खनन (mining) द्वारा प्राप्त किये जाते हैं, खनिज. (minerals) कहलाते हैं।

→ अयस्क (Ores):
वे खनिज जिनसे किसी धातु का सुगमता (conveniently) तथा कम खर्च पर निष्कर्षण (extraction) किया जा सके, अयस्क कहलाते हैं।

→ प्राकृत अयस्क (Native Ores):
जब धातुएँ स्वतन्त्र अथवा धात्विक अवस्था में रहती हैं, तो इन्हें प्राकृत अयस्क कहते हैं। उदाहरण-Ag, Au, Pt आदि।

→ जलोद कण (Naggets):
जब धातुएँ शुद्ध रूप में एक ढेर में पायी जायें, तो इन्हें जलोद कण (nuggets) कहा जाता है।

→ गैंग या आधात्री (Gangue or Matrix):
प्रायः खनिजों में मिट्टी, कंकड़, पत्थर आदि व्यर्थ अपद्रव्य (impurities) मिली होती हैं। इन्हें गैंग या आधात्री कहते हैं।

→ धातुकर्म (Metallurgy):
अयस्क से धातु के निष्कर्षण (extraction) का प्रक्रम (process) धातुकर्म कहलाता है। धातु का निष्कर्षण अयस्क की प्रकृति तथा धातु के रासायनिक गुणों पर निर्भर करता है।

→ संग्राहक (Collectors):
सल्फाइड अयस्क के कण इन संग्राहकों पर चिपक जाते हैं। जिस कारण वे जल विरोधी (Water repellant) प्रकृति के होकर झाग के साथ जल के ऊपर एकत्र हो जाते हैं। उदाहरण-पोटैशियम या सोडियम एथिल जेन्थेट (Xanthates)।

RBSE Class 12 Chemistry Notes Chapter 6 तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम 

→ वर्धक (Activators):
वर्धक संग्राहकों की क्रिया में सहायक होते हैं और उनकी सतह से भीगने की क्षमता को दूर कर देते हैं। इससे संग्राहक को तैरने वाले कणों से जुड़ने में सहायता मिलती है। . उदाहरण-सोडियम सल्फाइड, क्यूप्रिक आयन आदि।

→ प्रतिवर्धक (Depressants):
प्रतिवर्धक या अवनमक सल्फाइड के अयस्क को वायु के बुलबुलों के साथ फेन में आने से रोकते हैं, अर्थात् ये वर्धक के विपरीत कार्य करते हैं।

→ निस्तापन (Calcination):
सान्द्रित अयस्क को उसके गलनांक के नीचे उच्च ताप पर गरम करने की क्रिया निस्तापन कहलाती है।

→ भर्जन (Roasting):
भर्जन में सान्द्रित अयस्क को वायु की अधिकता में तीव्र गर्म किया जाता है।

→ गालक (Flux):
अयस्क में उपस्थित अगलनीय गैंग (non-fusible gangue) को गलनीय पदार्थ (fusible compound) में उच्च ताप पर परिवर्तित करने के लिए जिस पदार्थ का प्रयोग करते हैं वह गालक (flux) कहलाता है।

→ धातुमल (Slag):
गालक के साथ क्रिया करके गैंग जो पदार्थ बनाता है, उसे धातुमल (slag) कहते हैं।

→ प्रगलन (Smelting):
अयस्क से धातु के निष्कर्षण का वह प्रक्रम जिसमें गलने की प्रक्रिया होती है। प्रगलन कहलाता है।

→ मैट (Matte):
कॉपर के निष्कर्षण में प्राप्त सल्फाइड मिश्रण (Fes एवं Cu2S) मैट कहलाता है।

→ फफोलेदार ताँबा (Blister Copper):
बेसेमरीकरण से प्राप्त कॉपर तथा So, मिश्रण जब ठोस अवस्था में परिवर्तित होता है तो SO2, गैस के निकलने के कारण ठोस ताँबे की सतह फफोलेदार दिखाई देती है। इसे ही फंफोलेदार ताँबा कहा जाता है।

→ पायरोधातुकर्म (Pyrometallurgy):
धातु ऑक्साइड को अपचायक के साथ तीव्र गर्म कर धातु में परिवर्तन की प्रक्रिया को पायरोधातुकर्म (Pyrometallurgy) कहते हैं।

→ वैद्युतधातुकर्म (Electrometallurgy):
अधिक क्रियाशील धातुओं के गलित लवण का विद्युत् अपघटन द्वारा अपचयन की प्रक्रिया वैद्युत्- धातुकर्म (Electrometallurgy) कहलाती है।

→ जलधातुकर्म (Hydrometallurgy):
इसमें किसी अशुद्ध धातु अयस्क को धातु के विलेय संकुल में परिवर्तित कराते हैं। प्रबल अपचायक धातु से विस्थापन द्वारा शुद्ध धातु प्राप्त करने की प्रक्रिया जलधातुकर्म (Hydrometallurgy) कहलाती है।

RBSE Class 12 Chemistry Notes Chapter 6 तत्वों के निष्कर्षण के सिद्धांत एवं प्रक्रम

→ कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु (Some Important Points)

  • भूपर्पटी से अयस्कों को बाहर निकालने की प्रक्रिया को खनन (Mining) कहते हैं।
  • धातु के निष्कर्षण में प्रयुक्त होने वाला खनिज अयस्क (ore) कहलाता है।
  • सभी अयस्क खनिज होते हैं परन्तु सभी खनिज अयस्क नहीं होते हैं।
  • सल्फाइड अयस्कों का सान्द्रण झाग प्लवन विधि से होता है।
  • अयस्क का निस्तापन वायु की अनुपस्थिति में किया जाता है।
  • अयस्क का भर्जन वायु की अधिकता में किया जाता है।
  • कोक कार्बन का एक शुद्धतम रूप होता है।
  • कार्बन मोनोऑक्साइड की तुलना में कोक एक बेहतर अपचायक होता है।
  • निकिल के शोधन में माण्ड विधि का प्रयोग होता है।
  • कच्चे लोहे (लगभग 4%) की तुलना में ढलवाँ लोहे में (लगभग 3%) कार्बन प्रतिशत कम होता है।
  • किसी धातु को पूर्णतया शुद्ध करने के लिये मण्डल परिष्करण का प्रयोग करते हैं।
Prasanna
Last Updated on Nov. 29, 2023, 4:29 p.m.
Published Nov. 28, 2023