RBSE Class 12 Chemistry Notes Chapter 14 जैव-अणु

These comprehensive RBSE Class 12 Chemistry Notes Chapter 14 जैव-अणु will give a brief overview of all the concepts.

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RBSE Class 12 Chemistry Chapter 14 Notes जैव-अणु

→ जैव रसायन (Biochemistry):
जैविक तन्त्र में रसायनों की भूमिका का अध्ययन जैव रसायन कहलाता है।

→ कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates):
सभी पॉलिहाइड्रॉक्सी ऐल्डिहाइड और कीटोन अथवा वे सभी कार्बनिक यौगिक जो जल अपघटित होकर पॉलिहाइड्रॉक्सी ऐल्डिहाइड या कीटोन देते हैं जिनमें से कम-से-कम एक असममित कार्बन परमाणु होता है, कार्बोहाइड्रेट कहलाते

→ मोनोसैकेराइड (Monosaccharides):
वे कार्बोहाइड्रेट जिनको पॉलिहाइड्रॉक्सी ऐल्डिहाइड अथवा कीटोन के और अधिक सरल यौगिकों में जल अपघटित नहीं किया जा सकता, मोनोसैकेराइड कहलाते हैं। उदाहरण-ग्लूकोस; फ्रक्टोस आदि।

→ ओलिगोसैकेराइड (Oligosaccharides):
वे कार्बोहाइड्रेट जिनके जल-अपघटन से मोनोसैकराइड की दो से दस तक इकाइयाँ प्राप्त होती हैं, ओलिगोसैकेराइड कहलाते हैं। उदाहरण-रैफिनोज।

→ पॉलिसैकेराइड (Polysaccharides):
वे कार्बोहाइड्रेट जिनके जल-अपघटन से अत्यधिक संख्या में मोनोसैकेराइड इकाइयाँ प्राप्त होती हैं। उदाहरण-स्टार्च।

RBSE Class 12 Chemistry Notes Chapter 14 जैव-अणु 

→ अपचायी शर्करा (Reducing sugars):
वे कार्बोहाइड्रेट जो फेहलिंग विलयन तथा टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित कर देते हैं। अपचायी शर्करा कहलाते हैं। उदाहरण-मोनोसैकेराइड।

→ अन-अपचायी शर्करा (Non-reducing sugars):
यदि डाइसैकेराइड में मोनो-सैकेराइडों के अपचायी समूह जैसे ऐल्डिहाइड अथवा कीटोन आबन्धित हों तो वह अन-अपचायी शर्करा होती है। उदाहरण-सुक्रोस।

→ ऐल्डोस (Aldose):
यदि मोनोसैकेराइड में ऐल्डिहाइड समूह है, तो इसे ऐल्डोस कहते हैं।

→ कीटोस (Ketose):
यदि मोनोसैकेराइड में कीटो समूह है तो इसे कीटोस कहते हैं।

→ फेहलिंग विलयन (Fehling solution):
यह गहरा नीला विलयन होता है, इसे फेहलिंग A (जलीय CuSO4 विलयन) तथा फेहलिंग B (जलीय NaOH विलयन जिसे रोसैल-लवण (Roschell's salt) की थोड़ी-सी मात्रा द्वारा बनाया जाता है) के समान आयतन को मिलाकर बनाया जाता है।

→ टॉलेन अभिकर्मक (Tollen's reagent):
यह अमोनिकल सिल्वर नाइट्रेट का विलयन होता है।

→ ऐनोमर (Anomer):
ग्लूकोज के दोनों चक्रीय हेमीऐसीटैल रूपों में भिन्नता केवल C1 पर उपस्थित हाइड्रॉक्सिल समूह के विन्यास में होती है। इसे ऐनोमरी कार्बन (चक्रीकरण से पूर्व ऐल्डिहाइड कार्बन) कहते हैं। ऐसे समावयवी अर्थात् a तथा B रूपों को 'ऐनोमर' कहते हैं।

→ म्यूटा घूर्णन (Muta rotation):
दोनों ऐनोमरी रूपों ( तथा B) के जल में घुल जाने पर विशिष्ट ध्रुवण घूर्णन में परिवर्तन हो जाता है। यह परिवर्तन म्यूटा घूर्णन कहलाता है।

→ ग्लाइकोसाइडी बन्ध (Glycosidic linkage):
दो मोनोसैकेराइड इकाइयाँ जल अणु के निष्कासन के उपरान्त जिस बन्ध के द्वारा जुड़कर डाइसैकेराइड बनाती हैं, उस बन्ध को ऑक्साइड बन्ध या ग्लाइकोसाइडी बन्ध कहते हैं।

→ अपवृत शर्करा (Invert sugar):
सुक्रोस दक्षिण ध्रुवण घूर्णक होता है लेकिन जल-अपघटन के उपरान्त दक्षिण ध्रुवण घूर्णक ग्लूकोस तथा वाम ध्रुवण घूर्णक फ्रक्टोस देता है, चूँकि वाम ध्रुवण घूर्णन का मान (-92.4) ग्लूकोज के दक्षिण ध्रुवण घूर्णन (+ 52.5) से अधिक होता है। अतः जल अपघटन पर सुक्रोज के घूर्णन के चिह्न में परिवर्तन दक्षिण (+) से वाम (-) में हो जाता है। इस उत्पाद को अपवृत्त शर्करा (Invert sugar) कहते हैं।

→ पॉलिपेप्टाइड (Polypeptide):
ऐमीनों अम्लों के बहुलक जिनका आण्विक द्रव्यमान 10,000 तक होता है, पॉलिपेप्टाइड कहलाते

RBSE Class 12 Chemistry Notes Chapter 14 जैव-अणु

→ ऐमीनो अम्ल (Amino acid):
α - ऐमीनो अम्ल में ऐमीनों (- NH2) तथा कार्बोक्सिल (-COOH) प्रकार्यात्मक समूह उपस्थित होते हैं।

→ अनावश्यक ऐमीनो अम्ल (Non-essential amino acid):
वे ऐमीनो अम्ल जो शरीर में संश्लेषित हो सकते हैं, अनावश्यक ऐमीनो अम्ल कहलाते हैं। उदाहरण-ग्लूटैमीन।

→ ज्विटर आयन अथवा उभयाविष्ट आयन (Zwitter ion or amphoteric ion):
ऐमीनो अम्ल के जलीय विलयन में कार्बोक्सिल समूह एक प्रोटॉन मुक्त कर सकता है जबकि ऐमीनो समूह एक प्रोटॉन ग्रहण कर सकता है जिसके फलस्वरूप एक द्विध्रुवीय आयन बनता है जिसे ज्विटर आयन कहते हैं।

→ आइसोइलेक्ट्रिक बिन्दु (Isoelectric point):
जिस pH पर ऐमीनो अम्ल ज्विटर आयन की तरह व्यवहार करते हैं। वह PH आइसोइलेक्ट्रिक बिन्दु कहलाता है।

→ पेप्टाइड बन्ध (Peptide linkage):
प्रोटीन α - ऐमीनो अम्लों के बहुलक होते हैं जो कि आपस में पेप्टाइड आबन्ध अथवा पेप्टाइड बन्ध द्वारा जुड़े होते हैं। यह — COOH तथा —NH2 समूह के मध्य बनता है। यह (CONH ) होता है।

→ रेशेदार प्रोटीन (Fibrous protein):
जब पॉलिपेप्टाइड की श्रृंखलायें समानान्तर होती हैं तथा हाइड्रोजन एवं डाइसल्फाइड आबन्धों द्वारा संयुक्त होती हैं तो रेशासम संरचना बनती है।

→ गोलिकाकार प्रोटीन (Globular protein):
जब पॉलिपेप्टाइड की श्रृंखलाएँ कुण्डली बनाकर गोलाकृति प्राप्त कर लेती हैं, तो गोलिकाकार प्रोटीन बनती हैं।

→ उदासीन ऐमीनों अम्ल (Neutral amino acid):
यदि ऐमीनों अम्लों में, ऐमीनों तथा कार्बोक्सिल समूहों की संख्या समान हो तो ऐसे ऐमीनो अम्ल उदासीन ऐमीनो अम्ल कहलाते हैं। उदाहरण-ऐलेनीन।

RBSE Class 12 Chemistry Notes Chapter 14 जैव-अणु

→ क्षारकीय ऐमीनो अम्ल (Basic amino acid):
यदि ऐमीनों अम्ल में, कार्बोक्सिल समूहों की अपेक्षा ऐमीनो समूहों की संख्या अधिक हो तो यह क्षारकीय ऐमीनों अम्ल कहलाते हैं। उदाहरण-लाइसीन।

→ अम्लीय ऐमीनो अम्ल (Acidic amino acid):
इस प्रकार के ऐमीनो अम्लों में कार्बोक्सिल समूहों की संख्या ऐमीनो समूहों की संख्या से अधिक होती है। उदाहरण-ग्लूमैटिक अम्ल।

→ आवश्यक ऐमीनो अम्ल (Essential amino acid):
वे ऐमीनो अम्ल जो शरीर में संश्लेषित नहीं हो सकते तथा जिनको भोजन में लेना आवश्यक है, आवश्यक ऐमीनो अम्ल कहलाते हैं। उदाहरण-ट्रिप्टोफैन।

→ विटामिन (Vitamins):
ऐसे कार्बनिक पदार्थ जो जन्तुओं तथा मनुष्यों के शरीर की उचित वृद्धि तथा उनकी जैविक क्रियाओं के लिये आवश्यक हैं, विटामिन कहलाते हैं।

→ कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु (Some important points)

  • पॉलिहाइड्रॉक्सी ऐल्डिहाइड एवं कीटोन अथवा वे पदार्थ जिनके जल-अपघटन से पॉलिहाइड्रॉक्सी ऐल्डिहाइड व कीटोन प्राप्त होते हैं, कार्बोहाइड्रेट कहलाते हैं।
  • वे प्रोटीन जो जैव रासायनिक क्रिया में उत्प्रेरक का कार्य करते हैं, एन्जाइम कहलाते हैं।
  • वे जटिल प्राकृतिक पदार्थ जो भिन्न-भिन्न अथवा समान α-ऐमीनो अम्लों के संयोग से प्राप्त होते हैं, प्रोटीन कहलाते हैं।
  • भौतिक परिवर्तन से प्रोटीन की संरचना में परिवर्तन, प्रोटीन का विकृतिकरण कहलाता है।
  • वे प्रोटीन जो जैव रासायनिक क्रियाओं में उत्प्रेरक का कार्य करते हैं, एन्जाइम कहलाते हैं।
  • हार्मोन्स, जिन्हें 'ग्रन्थि रस' भी कहते हैं, अंतस्त्रावी ग्रन्थियों द्वारा स्रावित होते है तथा सजीवों में होने वाली विभिन्न जैव रासायनिक क्रियाओं का नियमन तथा नियन्त्रण करते हैं।
  • विटामिन जटिल कार्बनिक अणु है जिनकी थोड़ी-सी मात्रा सामान्य उपापचय क्रियाओं तथा मनुष्यों एवं जीवों की वृद्धि के लिए आवश्यक है।
  • DNA तथा RNA को सम्मिलित रूप से न्यूक्लीक अम्ल कहते हैं।
Prasanna
Last Updated on Nov. 29, 2023, 4:31 p.m.
Published Nov. 28, 2023