RBSE Class 12 Chemistry Notes Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

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RBSE Class 12 Chemistry Chapter 10 Notes हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन

→ ऐल्किल हैलाइड या हैलोऐल्केन (Alkyl halide or haloalkanes):
ऐलिफैटिक हाइड्रोकार्बन के हाइड्रोजन परमाणु अथवा परमाणुओं का हैलोजन परमाणु अथवा परमाणुओं द्वारा प्रतिस्थापन होने से जो यौगिक बनते हैं, वे ऐल्किल हैलाइड या हैलोऐल्केन कहलाते हैं।

→ ऐरिल हैलाइड या हैलोऐरीन (Aryl halide or haloarenes):
ऐरोमैटिक हाइड्रोकार्बन के हाइड्रोजन परमाणु अथवा परमाणुओं का हैलोजन परमाणु अथवा परमाणुओं द्वारा प्रतिस्थापन होने से जो यौगिक बनते हैं, वे ऐरिल हैलाइड या हैलोऐरीन कहलाते हैं।

→ जैम या जेमिनल डाइहैलाइड (Gems or geminal dihalide):
यदि समान हैलोजन के दो परमाणु एक ही कार्बन परमाणु पर उपस्थित हों तो इन्हें जेम डाइहैलाइड या जेमिनल डाइहैलाइड कहते हैं। उदाहरण-CH3CHCl2

→ विसिनल या विस-डाइहैलाइड (Vicinal or vic-dihalide):
यदि समान हैलोजन के दो परमाणु निकटवर्ती कार्बन परमाणुओं पर उपस्थित हों तो इन्हें विसिनल डाइ हैलाइड कहते हैं। उदाहरण-CH2Cl - CH2Cl.

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→ परहैलोहाइड्रोकार्बन या परक्लोरोएल्केन (Perhalohydrocarbon or perchloroalkane):
यदि किसी हाइड्रोकार्बन में सभी परमाणु हैलोजन हों वहाँ कार्बन के साथ एक भी हाइड्रोजन न हो तो इसे परहैलोहाइड्रोकार्बन कहते हैं। उदाहरण-C2Cl6, परक्लोरोएथेन।

→ ल्यूकास अभिकर्मक (Lucas reagent):
निर्जलीय ZnCl2, तथा सान्द्र HCl का मिश्रण ल्यूकास अभिकर्मक कहलाता है।

→ ग्रूव प्रक्रम (Groove's process):
ऐल्कोहॉल की क्रिया जब ल्यूकास अभिकर्मक के साथ करायी जाती है तो क्लोरोऐल्केन प्राप्त होता है। यह अभिक्रिया ग्रूव प्रक्रम कहलाती है।
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→ गडार्जेन अभिक्रिया (Darzen's reaction):
ऐल्कोहॉलों को पिरीडीन की सूक्ष्म मात्रा की उपस्थिति में थायोनिल क्लोराइड के साथ आसवित करने पर ऐल्किल क्लोराइड बनते हैं। यह अभिक्रिया डार्जेन अभिक्रिया कहलाती है।
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→ गमार्कोनीकॉफ का नियम (Markownikov's Rule):
इस नियम के अनुसार HX का योग असममित ऐल्कीनों में इस प्रकार होता है कि HX का ऋणात्मक भाग द्विआबन्ध वाले उस कार्बन परमाणु से जुड़ता है जिस पर हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या न्यूनतम होती है।
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→ प्रतिमार्कोनीकॉफ संकलन या परॉक्साइड प्रभाव या खराश प्रभाव (Anti-markownikov's addition or peroxide effector Kharach effect)-परॉक्साइड जैसे बेन्जोएल परॉक्साइड की उपस्थिति में HBr का संकलन मार्कोनीकॉफ नियम के विपरीत होता है इसे प्रतिमार्कोनीकॉफ संकलन कहते हैं।
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→ अवशिष्ट समूह (Leaving group):
नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं में नाभिकरागी उस हैलोऐल्केन (क्रियाधार) से अभिक्रिया करता है जिसमें हैलोजन परमाणु से आबन्धित कार्बन परमाणु पर आंशिक धनावेश होता है। अभिक्रिया में हैलाइड आयन निकल जाता है इसे अवशिष्ट समूह (Leaving group) कहते हैं।

→ उभयदंती नाभिकरागी (Ambidentate nucleophiles):
ऐसे समूह जिनमें दो नाभिकरागी केन्द्र होते हैं उभयदंती या उभदंती नाभिकरागी कहलाते हैं। जैसे-सायनाइड, नाइट्राइट आदि।

→ प्रतिलोमन (Inversion):
एक प्रकाशिक समावयवी का दूसरे में परिवर्तन प्रतिलोमन कहलाता है अर्थात् दक्षिणावर्त ध्रुवण घूर्णक रूप का वामावर्त ध्रुवण घूर्णक के रूप में परिवर्तन प्रतिलोमन कहलाता है।

→ धारण (Retention):
रासायनिक अभिक्रिया अथवा रूपान्तरण के एक असममित केन्द्र के आबन्धों के त्रिविम विन्यास की अखण्डता बने रहने को विन्यास का धारण कहते हैं। यह एक प्रकार का विन्यासी सहसम्बन्ध है।

  • हैलोऐल्केनों में C–x आबन्ध का कार्बन परमाणु sp3 संकरित होता है।
  • हैलोऐरीनों में C-x आबन्ध का कार्बन परमाणु sp2 संकरित होता है।
  • ऐल्कीनों से हैलोजन अम्लों (HX) के इलेक्ट्रॉनरागी योग द्वारा हैलोऐल्केनों को बनाया जा सकता है।
  • हैलोऐल्केनों को, ऐल्कोहॉलों की क्रिया हैलोजन अम्लों, फॉस्फोरस हैलाइडों एवं थायोनिल क्लोराइडों से कराकर, प्राप्त किया जा सकता है।
  • थायोनिल क्लोराइड (SOCl2) की क्रिया ऐल्कोहॉलों से कराने पर हमें शुद्ध हैलोऐल्केन प्राप्त होते हैं।
  • यौगिकों में प्रकाशिक समावयवता का कारण ध्रुवण घूर्णक कार्बन की उपस्थिति तथा विसममितता होती है।
  • प्रकाश सक्रिय ऐल्किल हैलाइडों में SN2 क्रियाविधि से विन्यास का उत्क्रमण होता है।
  • प्रकाश सक्रिय ऐल्किल हैलाइडों में SN1 क्रियाविधि से विन्यास का रेसिमीकरण होता है।
  • बेन्जीन का हैलोजनन इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन क्रियाविधि द्वारा होता है।
  • पाइरीन अग्नि शामकों का उपयोग जल की उपस्थिति में नहीं किया जाता है, क्योंकि CCl4, विषैली फॉस्जीन गैस बनाती है।
  • वायु में रखने पर क्लोरोफॉर्म द्वारा फॉस्जीन बनाने की प्रवृत्ति एवं इसकी विषैली प्रकृति के कारण क्लोरोफॉर्म का उपयोग निश्चेतक के रूप में नहीं होता है।
  • ऐरोमैटिक एवं ऐलिफैटिक हैलोजन यौगिकों में विभेद
    • हैलो बेन्जीन में हैलोजन परमाणु सीधे बेन्जीन नाभिक से जुड़ा हुआ होता है। हैलोबेन्जीन ऐल्कोहॉलीय सिल्वर नाइट्रेट विलयन के साथ अवक्षेप नहीं देते हैं। उदाहरण-क्लोरोबेन्जीन (C6H5Cl), ब्रोमोबेन्जीन (C6H5Br), आयोडोबेन्जीन (C6H5I)
    • ऐसे ऐरोमैटिक यौगिक जिनमें हैलोजन परमाणु बेन्जीन नाभिक से सीधे नहीं जुड़ा होता है बल्कि पार्श्व-श्रृंखला में उपस्थित होता है। ये ऐल्कोहॉलीय सिल्वर नाइट्रेट विलयन के साथ अवक्षेप देते हैं। उदाहरणार्थ-बेंजिल क्लोराइड (C6H5CH2Cl) में ऐल्कोहॉलीय सिल्वर नाइट्रेट विलयन मिलाने पर सिल्वर क्लोराइड का सफेद अवक्षेप प्राप्त होता है।
    • ऐलिफैटिक हैलाइड जैसे-एथिल क्लोराइड तथा एथिल ब्रोमाइड ऐल्कोहॉलीय सिल्वर नाइट्रेट विलयन के साथ अवक्षेप देते हैं। यहाँ ऐल्किल क्लोराइड, सिल्वर क्लोराइड (AgCl) का सफेद, ऐल्किल ब्रोमाइड, सिल्वर ब्रोमाइड (AgBr) का हल्का पीला अवक्षेप देता है।
  • अधिकांश पोली है हैलोजेन यौगिक जैसे फ्रिऑन, DDT, BHC के अनेक औद्योगिक अनुप्रयोग है, परन्तु ये आसानी से अपघटित ही होते। अत: वातावरण को हानि पहुँचाने का कार्य भी करते हैं।
Prasanna
Last Updated on Nov. 29, 2023, 4:30 p.m.
Published Nov. 28, 2023