RBSE Class 12 Biology Notes Chapter 15 जैव-विविधता एवं संरक्षण

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RBSE Class 12 Biology Chapter 15 Notes जैव-विविधता एवं संरक्षण

→ गंगा की डालफिन (Gangetic Dolphin) जिसका वैज्ञानिक नाम है प्लेटीनिस्टा गैन्जेटिकस (Platinista gangeticus) हमारा राष्ट्रीय जलीय जन्तु है।

→ 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाया जाता है।

→ टिकोमेला अन्डुलेटा (Tecomella undulata) रोजड़ा/अफोय राजस्थान का राज्य पुष्प व खेजड़ी प्रोसोपिस सिनरेरिया (Prosopis cinereria) राजस्थान का राज्य वृक्ष है।

→ बोम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (BNHS) संरक्षण के क्षेत्र में कार्य कर रही एक गैर सरकारी संस्था है इसका लोगो हार्न बिल है।

→ वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फन्ड (WWF) का लोगो जाइंट पांडा (Giant Panda) है 

→ डॉ सलीम अली भारत के प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी (Ornithologist) रहे हैं।

→ भारत में पारिस्थितिकीविदों में डॉ. आर मिश्रा का नाम सर्वप्रमुख है। उन्हीं के प्रयासों से भारत में पर्यावरण व वन मंत्रालय गठित हुआ।

→ स्थलीय कछुए को टॉरटॉइज (Tortoise), समुद्री कछुए को टर्टल (Turtle) व स्वच्छ जलीय कछुए प्राय: टेरापिन (Terrapin) कहलाते

→ वेल का तैरते समय, जल में भार कम होता है, उन्हें किनारे लाने पर उनकी हड्डियाँ उनके स्वयं के भार से टूटने लगती हैं।

→ भारत में फ्लेमिंगो (Flamingoes) व जंगली गधे (wild ass) कच्छ के रन (Rann of Kachchha) में पाये जाते हैं।

→ सीलिंग वैक्स (sealing wax) एक कीट लैकीफर लैका (Laccifer lacca) का उत्पाद है। इसकी चूड़ियाँ व कड़े भी बनते हैं।

→ भारत में नामडाफा, अरुणाचल प्रदेश की उड़ने वाली छिपकली अपने वंश की इकलौती उड़ने वाली गिलहरी है जो संकटापन्न जीवों की सूची में है।

→ भारत में बाघ परियोजना (Project tiger) 1 अप्रैल 1973 को प्रारम्भ हुई। आज 17 राज्यों में कुल 41 टाइगर रिजर्व हैं।

→ शब्द जैव विविधता डब्ल्यू जी रोसेन (W.G. Rosen) ने 1985 में प्रतिपादित किया।

→ हाथी की तीन प्रजातियाँ विश्व के 50 देशों में पाई जाती हैं। सन् 2010 में भारत सरकार ने एलीफैंट टास्क फोर्स (Elephant Task Force ETF) प्रारम्भ किया है जो हाथियों के दीर्घकालीन संरक्षण का प्रयास है। देश में 28 एलीफैंट रिजर्व (Elephant Reserve) हैं।

RBSE Class 12 Biology Notes Chapter 15 जैव-विविधता एवं संरक्षण 

→ प्रोजेक्ट हंगुल (Project Hangul) काश्मीरी हिरन (सरबस एफिनिस) हंगलु (Cervus affinis hanglu) जो काश्मीर के दाचीगाम राष्ट्रीय पार्क में पाया जाता है, की संरक्षण परियोजना है। भारत में क्रोकोडायल संरक्षण परियोजना भी सफलतापूर्वक चलायी जा रही है।

→ भारत में गिद्धों (vultures) की 9 वन्य प्रजातियाँ पाई जाती हैं। सन् 2005 में इनकी संख्या ऐसे मृत पशुओं का माँस खाने के कारण 97% तक कम हो गई जिन्होंने सोडियम डाइक्लोफेनेक (Diclofenac) दवा खायी थी। भारत में प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड, काश्मीर व हिमाचल में, प्रोजेक्ट नीलगिरि थार तमिलनाडु में, प्रोजेक्ट वाइल्ड बफैलो छत्तीसगढ़ में चलाये जा रहे हैं।

→ राजस्थान के भरतपुर में स्थित घाना पक्षी विहार, अब केवलादेव राष्ट्रीय पार्क है। यह विश्व विरासत स्थल (World Heritage Site) भी है।

→ भारत का गिर राष्ट्रीय पार्क एशियाई शेर (Asiatic Lion) के लिए प्रसिद्ध है।

→ कुछ वन्य जीव अभयारण्य राष्ट्रीय महत्त्व के हैं जैसे तीन राज्यों के सहयोग से बना राष्ट्रीय चम्बल (घड़ियाल) वन्य जीव अभयारण्य। इसमें राजस्थान, उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश की भागीदारी है।

→ भारत में वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम (Wild Life Protection; ACT) सन् 1972 में लागू हुआ।

→ देश में 25 आर्द्र भूमि क्षेत्रों (wet lands) को रामसर स्थल (Ramsar site) कहा जाता है। ईरान के रामसर शहर में पहली बार आर्द्र भूमि पर हुए अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन के बाद दुनिया के अनेक आर्द्र क्षेत्रों को रामसर नाम दिया गया है।

→ विश्व की कुल मैंग्रोव वनस्पति का 5% भाग भारत में पाया जाता है।

→ हावड़ा स्थित वानस्पतिक उद्यान जो ईस्ट इंडिया कम्पनी के समय कम्पनी बागान था, अंग्रेजों के शासन काल में रायल बोटेनिकल गार्डन बन गया। स्वतंत्रता के बाद यह इंडियन बोटेनिकल गार्डन हआ तथा अब आचार्य जे.सी.बोस उद्यान के नाम से जाना जाता है।

→ पृथ्वी पर 3.8 अरब वर्ष पूर्व जीवन की उत्पत्ति से लेकर अब तक जीवन का अत्यधिक विविधीकरण हुआ है। जैव विविधता से अभिप्राय: उस सकल विविधता से है जो जैविक संगठन के किसी भी स्तर पर पाई जाती है। इनमें से विशिष्ट महत्व की हैं आनुवंशिक विविधता, प्रजाति विविधता व पारितंत्र स्तर की विविधता। संरक्षण के प्रयास इन तीनों ही स्तर की विविधता को लेकर किये जा रहे हैं। विश्व में 1.5 मिलियन से अधिक प्रजातियाँ अभिलेखित हो चुकी हैं लेकिन अब भी लगभग 6 मिलियन प्रजातियाँ अपने खोजे जाने व नामकरण के इंतजार में हैं। अभिलेखित प्रजातियों में से 70 प्रतिशत से अधिक जन्तु हैं व इनमें भी 70 प्रतिशत जन्तु कीट हैं।

→ कवकों की प्रजातियाँ सारे पृष्ठधारियों की प्रजातियों से भी अधिक हैं। भारत अपनी 45000 पादप प्रजातियों तथा इनसे लगभग दोगुनी जन्तु प्रजातियों के साथ विश्व के 12 महाविविधता वाले देशों में से एक है। पृथ्वी पर प्रजाति विविधता समान रूप से वितरित नहीं है अपितु रोचक प्रतिरूप दिखलाती हैं। यह सामान्यत: उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों में सर्वोच्च है तथा ध्रुवों की ओर कम होती जाती है। उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों में प्रजाति समृद्धता के पर्याप्त कारण हैं: उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों को ध्रुवों की अपेक्षा विकास के लिए अधिक समय मिला, उनका पर्यावरण अपेक्षाकृत रूप में स्थिर है तथा उन्हें अधिक सौर ऊर्जा की प्राप्ति होती है, जिससे वहाँ उत्पादकता अधिक है।

→ प्रजाति समृद्धता किसी भूभाग में क्षेत्र का भी कार्य है। प्रजाति क्षेत्र सम्बंध सामान्यत: एक आयताकार उच्च परवलय द्वारा प्रदर्शित होते हैं। ऐसा माना जाता है कि उच्च समृद्धता वाले समुदाय कम अस्थिर, अधिक उत्पादन तथा जैविक आक्रमणों के लिए अधिक प्रतिरोधी होते हैं। पृथ्वी का जीवाश्मीय इतिहास पृथ्वी पर सामूहिक विलुप्तिकरण की घटनाओं के बारे में बतलाता है लेकिन आज पृथ्वी पर प्रजातियों के विलुप्तिकरण की दर प्रमुखतः मानवीय क्रियाकलापों के कारण है। यह दर पूर्व के विलुप्तीकरण से 100 से 1000 गुना तेज है। वर्तमान समय में लगभग 700 प्रजातियाँ विलुप्त हो चुकी हैं तथा 15,500 प्रजातियाँ जिनमें से 650 से अधिक भारत से हैं, विलुप्तिकरण के खतरे में हैं।

→ प्रजातियों के विलुप्तिकरण की उच्च दर के कारण हैं। पर्यावासों, विशेष रूप से वनों की हानि व खण्डन, अतिदोहन, जैव आक्रमण या विदेशी प्रजातियों का आक्रमण तथा सहविलुप्ति। पृथ्वी की समृद्ध जैव विविधता मनुष्य के अस्तित्व को बनाये रखने के लिए अति महत्त्वपूर्ण है। जैव विविधता को संरक्षित करने के प्रयास नैतक हैं। अनेक प्रत्यक्ष लाभों जैसे खाद्य पदार्थ, रेशे, लकड़ी व औषधियों आदि के साथ-साथ पारितंत्र सेवाओं के माध्यम से अनेक परोक्ष लाभ भी मिलते हैं जैसे परागण, पीड़क नियंत्रण जलवायु शमन व बाढ़ नियंत्रण आदि।

→ पृथ्वी की जैव विविधता के संरक्षण, देखभाल व इसके मूलरूप को अगली पीढ़ियों को हस्तांतरित करने की हमारी नैतिक जिम्मेदारी भी है। जैव विविधता संरक्षण स्वस्थाने व बाह्यस्थाने हो सकता है। स्वस्थाने (इन - सिटू) संरक्षण में संकटापन्न प्रजातियों को उनके प्राकृतिक पर्यावासों में सुरक्षा प्रदान की जाती है। वर्तमान में विश्व में 34 जैव विविधता हॉट स्पॉट प्रस्तावित हैं, ताकि इनका गहन संरक्षण किया जा सके। इनमें से तीन पश्चिमी घाट-श्रीलंका, हिमालय व इन्डो-बर्मा-भारत की समृद्ध जैव विविधता का प्रतिनिधित्व करते हैं।

RBSE Class 12 Biology Notes Chapter 15 जैव-विविधता एवं संरक्षण

→ हमारे देश में इन सिटू संरक्षण प्रयास 18 बायोस्फीयर रिजर्व, 100 से अधिक राष्ट्रीय पार्क व 500 से अधिक वन्य जीव अभयारण्यों व पवित्र उपवनों के रूप में परिलक्षित होते हैं। बाह्यस्थाने या एक्स सिटू संरक्षण में संकटापन्न प्रजातियों का सुरक्षित प्राणि व वानस्पतिक उद्यानों में संरक्षण किया जाता है। इसकी अन्य विधियाँ हैं पात्रे निषेचन, ऊतक संवर्धन तथा युग्मकों का क्रायो संरक्षण।

→ जैव विविधता (Biodiversity) -जीवधारियों के बीच पायी जाने वाली विभिन्नता व विविधता, आनुवंशिक स्तर, प्रजाति स्तर व पारिस्थितिक स्तर पर।

→ जैव मण्डल रिजर्व (Biosphere Reserve)-संरक्षण की एक 5 इन सिटू संरक्षण विधि जिसमें पूरे पारितंत्र को विविध क्षेत्रों में बाँटकर - इसे पूर्ण सुरक्षा व संरक्षण प्रदान किया जाता है तथा जो यूनेस्को के - MAB कार्यक्रम के तहत स्थापित किये जाते हैं।

→ वानस्पतिक पार्क (Botanical Garden)-विभिन्न प्रकार के पौधों के संरक्षण की एक बाह्यस्थाने (एक्स सिटु) विधि।

→ संरक्षण (Conservation)-जीवधारियों की विशेष रूप से वन्य के जीवन की फिटनेस व उत्तरजीविता सुनिश्चित करने के प्रयास।

→ सह विलुप्ति (Co extinction)-ऐसे जीव जिनके प्रकृति में - अविकल्पी पारस्परिक सम्बंध होते हैं, में से एक के विलुप्त होने पर दूसरे का भी विलुप्त हो जाना।

→ क्रायोप्रिजरवेशन (Cryopreservation) -ऊतकों या युग्मक या किसी भी प्रकार के जैविक पदार्थ का द्रव नाइट्रोजन में -196°C पर संरक्षण 

→ वनों का विनाश (Deforestation)-वनाच्छादित क्षेत्र का विनाश जो पारिस्थितिक असंतुलन पैदा कर देता है।

→ आपदाग्रस्त (Endangered)-वह जीव प्रजाति जो किन्हीं कारणों के चलते विलुप्ति के खतरे में है तथा कारण के न हटने पर विलुप्त हो सकती है।

→ स्थानिक/क्षेत्रज (Endemic)-वह जीव प्रजाति जो किसी क्षेत्र विशेष तक सीमित है व विश्व में अन्य कहीं नहीं पाई जाती।

→ बाह्य स्थाने संरक्षण (Ex situ conservation)-जीव को उनके प्राकृतिक पर्यावास से अलग लाकर नये सुरक्षित वातावरण में संरक्षित करना।

→ विदेशी/विजातीय प्रजाति (Exotic species) –वे जीव जो किसी पारितंत्र के मूल निवासी नहीं हैं व किसी अन्य पारितंत्र से वहाँ पहुँचे हैं।

→ आनुवंशिक विविधता (Genetic diversity)-प्रजाति के नीचे . अर्थात किसी प्रजाति में आनुवंशिक स्तर पर एलील व जीन की विविधता।

→ हॉट स्पॉट (Hot spot) - विश्व के पर्यावास संरक्षण के उद्देश्य से चुने गये कुछ स्थल जहाँ प्रजाति विविधता व स्थानिकता (endenism) उच्च स्तर की है।

→ राष्ट्रीय पार्क (National Park)-संरक्षण की इन सिटू विधि जिसमें संरक्षित क्षेत्र में मानवीय गतिविधियों की अनुमति नहीं होती।

→ रेड डेटा बुक (Red Data Book): IUCN द्वारा प्रकाशित, संकटापन्न प्रजातियों के विवरण की पुस्तक।

→ अभयारण्य (Sanctuary)-एक संरक्षित क्षेत्र, इन सिटू संरक्षण का उपाय जो प्रमुखतः वन्य जन्तुओं के संरक्षण हेतु बनाया जाता है तथा जहाँ सीमित मानव क्रियाकलापों की अनुमति होती है। 

→ पवित्र उपवन (Sacred Grove) -धार्मिक व सामाजिक मान्यताओं के पालन में जीव प्रजातियों के संरक्षण स्थल जो वैज्ञानिकों द्वारा संरक्षण की अवधारणा दिये जाने से पहले से ही अस्तित्व में हैं।

RBSE Class 12 Biology Notes Chapter 15 जैव-विविधता एवं संरक्षण

→ वन्य जीव (Wild life) - घरेलूकृत जीवों व फसली पौधों को छोड़कर अन्य सभी प्रकार के वन्य जन्तु, पौधे व सूक्ष्मजीव।

→ प्राणि उद्यान (Zoological Park)-जन्तुओं के बाह्य स्थाने संरक्षण का उपाय जिसमें वन्य जन्तुओं को उनके प्राकृतिक पर्यावासों से अलग लाकर चारदीवारी में पूर्ण सुरक्षा व संरक्षण प्रदान किया जाता है।

Prasanna
Last Updated on Dec. 7, 2023, 9:27 a.m.
Published Dec. 6, 2023