RBSE Class 12 Biology Notes Chapter 12 जैव प्रौद्योगिकी एवं उसके उपयोग

These comprehensive RBSE Class 12 Biology Notes Chapter 12 जैव प्रौद्योगिकी एवं उसके उपयोग will give a brief overview of all the concepts.

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Biology in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 12. Students can also read RBSE Class 12 Biology Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 12 Biology Notes to understand and remember the concepts easily. Browsing through manav janan class 12 in hindi that includes all questions presented in the textbook.

RBSE Class 12 Biology Chapter 12 Notes जैव प्रौद्योगिकी एवं उसके उपयोग

→ सूक्ष्मजीवों, पौधों, जन्तुओं तथा उनकी उपापचयी प्रणालियों का उपयोग कर जैव प्रौद्योगिकी ने मानव कल्याण हेतु अनेक महत्त्वपूर्ण उत्पाद प्रदान किये हैं। पुनर्योगज डी एन ए तकनीक ने पौधों, सूक्ष्म जीवों व जन्तुओं में आनुवंशिक फेरबदल को सम्भव बनाकर उन्हें मनुष्य के लिए हितकारी गुणों से सम्पन्न बना दिया है। एक जीव के वांछित आनुवंशिक पदार्थ को दूसरे जीव में स्थानान्तरित करने के लिए पुनर्योजन डी एन ए प्रौद्योगिकी का उपयोग कर आनुवंशिकत: रूपान्तरित जीव बनाये गये हैं। 

→ आनुवंशिकत: रूपान्तरित पौधे या जेनेटिकली मॉडीफाइड प्लांट्स पैदावार बढ़ाने, फसल कटाई के बाद के नुकसान को कम करने तथा फसलों को प्रतिकूल परिस्थितियों को सहने में अधिक सक्षम बनाने में बहुत उपयोगी सिद्ध हुए हैं। ऐसे अनेक आनुवंशिकत: रूपान्तरित फसली पौधे हैं जिनका पोषक मान बेहतर है तथा जो पीड़क प्रतिरोधी होने के कारण रासायनिक पीड़कनाशियों पर निर्भरता कम करते हैं। पुनर्योगज डी एन ए प्रौद्योगिकी की प्रक्रियाओं का चिकित्सीय सेवाओं पर विशिष्ट व उल्लेखनीय प्रभाव पड़ा है क्योंकि इसी की मदद से आज सुरक्षित व अधिक प्रभावशाली औषधियों का उत्पादन सम्भव हुआ है।

→ चूंकि पुनर्योगज औषधियाँ मनुष्य की प्राकृतिक प्रोटीन के समान होती हैं। अत: वह अनावश्यक प्रतिरक्षी प्रतिक्रिया उत्पन्न नहीं करतीं तथा इनसे किसी प्रकार के संक्रमण का खतरा भी नहीं रहता, जो इतर मानवीय स्रोत से वह औषधि प्राप्त करने पर बना रहता था। मानव इंसुलिन को जीवाणुओं में बनाया जाता है लेकिन इसकी संरचना प्राकृतिक अणु के बिल्कुल समान है।

→ ट्रांसजैनिक जन्तुओं को मनुष्य के अनेक रोगों, जैसे-कैंसर, सिस्टिक फाइब्रोसिस, रयूमेटाइड अर्थराइटिस व एल्जीमर के विकास में जीनों की भूमिका के अध्ययन के लिए नमूने या मॉडल के रूप में प्रयोग किया जाता है। जीन चिकित्सा या जीन थेरेपी में रोगों प्रमुखत: आनुवंशिक रोगों का उपचार पीड़ित व्यक्ति की कोशिकाओं व ऊतक में सामान्य कार्यशीलजीन के प्रवेश द्वारा किया जाता है। ऐसा त्रुटिपूर्ण जीन के सामान्य कार्यशील जीन द्वारा प्रतिस्थापन या जीन टारगेटिंग द्वारा किया जाता है।

RBSE Class 12 Biology Notes Chapter 12 जैव प्रौद्योगिकी एवं उसके उपयोग 

→ जीन थेरेपी में स्वस्थ जीन के स्थानान्तरण के लिए विषाणुओं का प्रयोग किया जाता है। 

→ सूक्ष्मजीवों, पौधों व जन्तुओं में आनुवंशिक फेरबदल ने वर्तमान समय में अनेक नैतिक पहलुओं को मुखर किया है।

→ Apoptosis (एपोपटोसिस)-नियोजित कोशिका मृत्यु प्राकृतिक अथवा प्रेरित जैसे कि कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने हेतु।

→ Biopiracy (बायोपाइरेसी)-बहुराष्ट्रीय कम्पनियों या अन्य व्यक्तियों द्वारा दूसरे देश के जैव संसाधनों का सम्बन्धित लोगों द्वारा अधिकृत किये बिना तथा अपूर्ण अथवा बिना किसी क्षतिपूर्ति भुगतान के किया प्रयोग।

→ ELISA (एलाइजा)-जाँच तकनीक जो एंटीजन एंटीबाडी प्रतिक्रिया के सिद्धान्त पर आधारित है।

→ DNA (सी डी एन ए)-रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज एन्जाइम की मदद से बनाया गया डी एन ए अणु।

→ GMO (जी एम ओ)-जेनेटिकली मॉडीफाइड आर्गेनिज्म या ट्रांसजेनिक आर्गेनिज्म जिनके जीनों में फेरबदल कर कोई कार्यशील विजातीय डी एन ए प्रविष्ट करा दिया गया हो, जैसे-बी टी पौधे।

→ Gene Therapy (जीन थेरेपी)-त्रुटिपूर्ण या विकारयुक्त जीन को सामान्य कार्यशील जीन द्वारा प्रतिस्थापित कर रोग उपचार।

→ Humulin (ह्यम्यूलिन)-यू एस की एलि लिली कम्पनी द्वारा पुनर्योगज तकनीक से उत्पादित मानव इंसुलिन का ब्रांड नाम।

→ p53 Gene (p53 जीन)-कोशिका विभाजन के नियन्त्रण के लिए यह जीन कोशिका चक्र को रोकती है। 

→ Patent (पेटेन्ट)-सरकार द्वारा किसी वस्तु/प्रक्रिया के खोजकर्ता को दिया जाने वाला अधिकार जो अन्य व्यक्तियों को इसके व्यावसायिक उपयोग से रोकता है।

RBSE Class 12 Biology Notes Chapter 12 जैव प्रौद्योगिकी एवं उसके उपयोग

→ Probe (खोजी)-न्यूक्लियोटाइड के छोटे 13-30 क्षारक युग्म लम्बे खण्ड हैं जो रेडियोएक्टिव अणुओं से चिन्हित करने पर पूरक खण्डों की पहचान हेतु प्रयोग किये जाते हैं।

→ Proinsulin (प्रोइंसुलिन)-इंसलुन का पूर्ववर्ती अणु जिसमें एक अतिरिक्त C-पेप्टाइड होता है तथा इसके निकलने (प्रसंस्करण) से इंसुलिन बनता है।

→ Stem Cells (स्टेम कोशिकाएँ)-पूर्णशक्त (totipotent) या प्ल्यूरीपोटेंट कोशिकाएँ जो बार-बार विभाजित होकर अन्य स्टेम कोशिकाओं व शरीर की अन्य कोशिकाओं को बनाती हैं।

→ Transgenic Organism (पारजीनी जीव)-आनुवंशिकत: रूपान्तरित जीवों के लिए प्रयुक्त तकनीकी शब्द।

Prasanna
Last Updated on Dec. 7, 2023, 9:27 a.m.
Published Dec. 6, 2023