These comprehensive RBSE Class 12 Biology Notes Chapter 1 जीवों में जनन will give a brief overview of all the concepts.
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→ प्रजनन वह प्रक्रिया है जिसमें जीव द्वारा समान प्रकार के जीवों का उत्पादन होता है। यह प्रक्रिया एक प्रजाति की पीढ़ी दर पीढ़ी निरन्तरता सुनिश्चित करती है।
→ प्रजनन को प्रमुखत: दो प्रकारों में बाँटा जा सकता है अलैंगिक प्रजनन व लैंगिक प्रजनन। अलैंगिक प्रजनन में युग्मकों का निर्माण व उनका संलयन नहीं होता। अपेक्षाकृत सरल शारीरिक संगठन वाले जीवों जैसे शैवाल, कवक व कुछ अपृष्ठधारी जीवों में अलैंगिक प्रजनन ही प्रजनन की सामान्य विधि है। अलैंगिक प्रजनन से बनी संतति आकारिकीय व' आनुवंशिक रूप से समान होती है व क्लोन कहलाती है। अनेक शैवाल व कवक चलबीजाणु व कोनिडिया निर्माण द्वारा अलैंगिक प्रजनन करते हैं जबकि अधिकांश जन्तुओं में अलैंगिक जनन की विधियाँ मुकुलन व जैम्यूल निर्माण हैं।
→ प्रोकैरियोट्स व एककोशिकीय जीवों में अलैंगिक जनन जनक या मातृ कोशिका के विभाजन या द्विविभाजन द्वारा होता है। अनेक स्थलीय व जलीय पुष्पी पादपों में प्रकन्द, कन्द, घनकन्द, ऑफसेट आदि जैसी कायिक संरचनाएँ नये पादपों को जन्म देने में सक्षम होती हैं, इस प्रकार के वर्धी अंगों से होने वाले अलैंगिक प्रजनन को प्राय: वर्षी प्रजनन कहा जाता है।
→ लैंगिक प्रजनन, युग्मकों के निर्माण व युग्मक संलयन द्वारा सम्पन्न होता है। अलैंगिक प्रजनन की तुलना में यह एक जटिल व धीमी प्रक्रिया है। उच्चवर्गीय अधिकांश जन्तु केवल लैंगिक विधि द्वारा ही प्रजनन करते हैं। लैंगिक प्रजननन में तीन प्रमुख परिघटनाएँ होती हैं-पूर्व निषेचन, परिघटनाएँ, निषेचन तथा निषेचनोत्तर परिघटनाएँ। युग्मक जनन तथा युग्मक स्थानान्तरण निषेचन पूर्व की घटनाएँ हैं जबकि युग्मनज निर्माण तथा भ्रूणोद्भवन पश्चनिषेचन घटनाएँ हैं। जीव एकलिंगी या उभयलिंगी हो सकते हैं। विविध प्रकार के पुष्पों के उत्पादन के कारण पुष्पी पादपों में लैंगिक विविधता अपेक्षाकृत अधिक विकसित होती है।
→ एकलिंगी पुष्प धारण करने वाले पादपों को एकलिंगाश्रयी व उभयलिंगाश्रयी के रूप में परिभाषित किया जाता है। जबकि पुष्पों के लिए एकलिंगी अथवा द्विलिंगी (उभयलिंगी) शब्दों का प्रयोग किया जाता है। युग्मकों की प्रकृति अनिवार्यतः अगुणित होती है तथा इनका निर्माण प्रायः अर्धसूत्री विभाजन के उत्पाद के रूप में होता है लेकिन अगुणित जीवों के युग्मक सूत्री विभाजन से उत्पन्न होते हैं। नर युग्मक का स्थानान्तरण लैंगिक प्रजनन की एक प्रमुख व अत्यावश्यक परिघटना है। उभयलिंगी या द्विलिंगी जीवों में यह अपेक्षाकृत सरल होता है। एकलिंगी जन्तुओं में नर युग्मक का स्थानान्तरण मैथुन द्वारा सम्पन्न होता है। पुष्पी पादपों में परागण की प्रक्रिया युग्मक स्थानान्तरण सुनिश्चित कराती है, जिसमें परागकण परागकोष से वर्तिकाग्र नक पहुँचते हैं।
→ नर व मादा युग्मक का संलयन निषेचन कहलाता है। बाह्य निषेचन जीव शरीर के बाहर सम्पन्न होता है जबकि आन्तरिक निषेचन जीव शरीर के अन्दर। नर व मादा युग्मकों के संलयन से एक विशिष्ट द्विगुणित कोशिका युग्मनज का निर्माण होता है।
→ युग्मनज से भ्रूण के विकास की प्रक्रिया भ्रूणोद्भव कहलाती है। जन्तुओं में युग्मनज का विकास इसके बनने के तुरन्त बाद प्रारम्भ हो जाता है। जन्तु अण्ड प्रजक या सजीव प्रजक प्रकार के हो सकते हैं। शिशु को जन्म देने वाले अर्थात सजीव प्रजक जन्तुओं में भ्रूण की देखभाल व सुरक्षा बेहतर होती है। पुष्पी पादपों में निषेचन के बाद पुष्प का अण्डाशय फल के रूप में विकसित हो जाता है तथा बीजाण्ड, बीज बनाते हैं। परिपक्व बीज के अन्दर पौधे की अगली पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करने वाला भ्रूण स्थित होता है।
→ Adaptation (अनुकूलन): जीव के आकारिकीय, शारीरिक, शरीर क्रियात्मक या व्यवहार सम्बंधी गुण जो उसे किसी पर्यावरण विशेष में सफलतापूर्वक जीवन यापन हेतु सक्षम बनाते हैं।
→ Adventitious Roots (अपस्थानिक जड़ें)-पौधों में मूलांकुर के अतिरिक्त किसी अन्य भाग से विकसित होने वाली जड़ें।
→ Alternation of Generation (पीढ़ी एकान्तरण)-पौधों का प्रारूपिक जीवन चक्र जिसमें द्विगुणित बीजाणुद्भिद् पीढ़ी अगुणित युग्मकोद्भिद् पीढ़ी से एकान्तरित होती है।
→ Asexual Reproduction (अलैंगिक जनन)-वह जनन जिसमें एक ही जनक भाग लेता है तथा जिसमें युग्मकों का निर्माण, अर्धसूत्री विभाजन तथा युग्मक संलयन नहीं होता।
→ Binary Fission (द्विविभाजन)-जनक कोशिका का दो बराबर की संतति कोशिकाओं में बंट जाना। जीवाणु व प्रोटिस्ट में अलैंगिक जनन की विधि।
→ Calyx (बाह्यदल पुंज)-बाह्यदलों का समूह नाम।
→ Carpel (अण्डप)-जायांग/स्त्रीकेसर का बीजाण्ड धारण करने वाला भाग, अण्डाशय, वर्तिका व वर्तिकान से मिलकर बनता है।
→ Cellular Differentiation (कोशिकीय भिन्नन)-भ्रूणोद्भव प्रक्रिया व विकास की प्रावस्था जिसके द्वारा अभिन्नित कोशिका किसी कार्य विशेष हेतु विशिष्टीकृत हो जाती है।
→ Conidia (कोनिडिया)-कुछ कवकों जैसे पेनिसीलियम द्वारा बहिर्जात (exogenously) बनाये जाने वाले अलैंगिक बीजाणु।
→ Corolla (दलपुंज)-दल (petals) का सामूहिक नाम।
→ Crossing over (क्रोसिंग ओवर)-अर्धसूत्री विभाजन I की अवस्था प्रोफेज की पेकीटीन अवस्था में समजात गुणसूत्र जोड़े के नॉन सिस्टर अर्धगुणसूत्र (क्रोमेटिड्स) के बीच होने वाला जीन विनिमय। ।
→ Dioecious (एकलिंगाश्रयी)-एक लिंगी पुष्पों/शंकुओं को धारण करने वाला पौधा अर्थात् नर व मादा पौधों के अलग-अलग पाये जाने की अवस्था।
→ Diploid (द्विगुणित)-कोशिका/जीव जिसमें प्रत्येक गुणसूत्र युग्म के दोनों गुणसूत्र उपस्थित हों।
→ Embryo (भ्रूण)-बहुकोशिकीय जीवों की वह अवस्था जो युग्मनज , के विभाजन से जीव के स्वतंत्र जीव बनने तक रहती है (बीज में स्थित भ्रूण)।
→ Embryo sac (भ्रूणकोष)-पुष्पी पादपों का मादा युग्मकोद्भिद् जिसमें अण्ड स्थित होता है।
→ Endrometrium (एन्डोमेट्रियम)-गर्भाशय का आन्तरिक स्तर (गर्भाशय की श्लेष्मिक कला)।
→ Evolution (जैव विकास)–समान पूर्वजों से जीवों का अवतरण जिसमें समय के साथ आनुवंशिक व बाह्य लक्षणी परिवर्तन होते हैं जो जीवों को पर्यावरण के और अधिक अनुकूल बना देते हैं।
→ Female Gametophyte (मादा युग्मकोद्भिद)-बीजीय पादपों में वह युग्मकोद्भिद् जो अण्ड बनाता है, पुष्पी पादपों में भ्रूणकोष।
→ Fertilization (निषेचन)-नर व मादा युग्मकों का संलयन जिससे युग्मनज का निर्माण होता है।
→ Flower (पुष्प)-पुष्पी पादपों का जनन अंग जो अनेक प्रकार की रूपान्तरित पत्तियों से बना होता है, जो एक पुष्पासन पर संकेन्द्रिक क्रम में लगी रहती हैं।
→ Gamete (युग्मक)-अगुणित लैंगिक कोशिका जैसे शुक्राणु व अण्ड।
→ Gametogenesis (युग्मक जनन)-नर या मादा युग्मकों का बनना व भिन्नन।
→ Gametophyte (युग्मकोभिद)-पौधों के जीवन चक्र में पीढ़ी एकान्तरण की अगुणित अवस्था जो युग्मकों का निर्माण करती है।
→ Genetic Recombination (आनुवंशिक पुनर्संयोजन)—वह प्रक्रिया जिसमें गुणसूत्रों में नई आनुवंशिक सूचना समाहित होती हैं।
→ Haploid (अगुणित)-कोशिका/जीव की वह अवस्था जिसमें प्रत्येक गुणसूत्र जोड़े का केवल एक गुणसूत्र उपस्थित होता है।
→ Hermaphrodite (द्विलिंगी)---जीव, जिसमें नर व मादा दोनों प्रकार के जनन अंग होते हैं।
→ Life Cycle (जीवन चक्र)-आनुवंशिक रूप से नियोजित परिघटनाओं के दोहराने का पैटर्न जिसमें जीव वृद्धि, विकास, रखरखाव व प्रजनन कर मृत्यु को प्राप्त होता है।
→ Male Gametophyte (नर युग्मकोदभिद)-बीजीय पादपों में वह युग्मकोद्भिद जो नर युग्मक (शुक्राणु) बनाता है, परागकण।
→ Meiosis (अर्धसूत्री विभाजन)--लैंगिक प्रजनन के भाग के रूप में पाया जाने वाला कोशिका विभाजन जिसमें संतति कोशिकाओं में गुणसूत्रों की संख्या मातृ कोशिका के गुणसूत्रों की संख्या की आधी रह जाती है।
→ Mitosis (सत्री विभाजन)-कोशिका विभाजन जिसमें मातृ कोशिका के विभाजन से दो संतति कोशिकाएँ बनती हैं। जिनमें गुणसूत्रों की संख्या व प्रकार मातृ कोशिका के गुणसूत्रों के समान होता है।
→ Monoecious (उभयलिंगाश्रयी)-एकलिंगी नर व मादा पुष्पों/शंकु की एक ही पौधे पर उपस्थित होने की अवस्था।
→ Destrous Cycle (मद चक्र)-गैर प्राइमेट स्तनधारियों के प्रजनन काल में मादा जन्तु के एकान्तरित रूप से मद या हीट (heat) में आने की अवस्था जिसमें वह प्रजनन हेतु तैयार होती है।
→ Covum (अण्ड कोशिका)-अगुणित मादा लैंगिक कोशिका जो नर कोशिका के साथ निषेचित होती है।
→ Parthenogenesis (अनिषेकजनन)-अण्ड कोशिका का बिना निषेचन के भ्रूण/पूर्ण जीव में परिवर्धन।
→ Perennial (बहुवर्षी)-बीजी पादप जो अनेक वृद्धि कालों तक जीवित रहता है जैसे वृक्षा
→ Pistil (स्त्रीकेसर)-पुष्प का मादा जनन भाग जो एक या अधिक अण्डपों (carpels) से मिलकर बनता है।
→ Pollen grain (परागकण)-बीजीय पौधों में लघुबीजाणु से बनने वाली रचना जो नरयुग्मकोद्भिद् बनाती है।
→ Pollination (परागण)-परागकणों का परागकोष से समान प्रजाति के पुष्प के वर्तिकाग्र तक पहुँचना, अनावृतबीजियों में परागकणों का नर शंकु से मादा शंकु तक पहुँचना।
→ Primate (प्राइमेट)-स्तनधारियों के प्राइमेटा गण के सदस्य जैसे मनुष्य, कपि, बन्दर आदि।
→ Reproduction (प्रजनन)-जीव द्वारा समान प्रजाति के नये जीवों का निर्माण।
→ Rhizome (प्रकन्द)-क्षैतिज रूप से बढ़ने वाला, चपटा भूमिगत तना, जो खाद्य संग्रह व वर्षी प्रजनन करता है, जैसे अदरक।
→ Sexual Reproduction (लैंगिक जनन)-जनन, जिसमें अर्धसूत्री विभाजन युग्मक निर्माण, निषेचन शामिल हैं तथा जिसमें बनने वाली संतति, विशिष्ट जीन संयोजनों वाले गुणसूत्र जनन में भाग लेने वाले दोनों जनकों से प्राप्त करती है।
→ Sporangium (बीजाणुधानी)-बीजाणु उत्पन्न करने वाली संरचना।
→ Spore (बीजाणु)-अलैंगिक रूप से बनने वाली वह संरचना जो बिना किसी अन्य कोशिका से संलयन के नया जीव बनाने की क्षमता रखती है।
→ Sporophyte (बीजाणुदभिद)-किसी पादप के जीवन चक्र में पीढ़ी एकान्तरण की द्विगुणित प्रावस्था, इससे अर्धसूत्री विभाजन द्वारा अगुणित युग्मकोद्भिद पीढ़ी बनती है।
→ Stamen (पुंकेसर)-पुष्प का नर भाग, जो पुतंतु व परागकोष से मिलकर बना होता है तथा परागकण बनाता है।
→ Viviparous (जरायुजी/शिशु प्रजक): ऐसे जन्तु, जो शरीर में. भ्रूण के प्रारम्भिक विकास के बाद शिशु को जन्म देते हैं।
→ Zygote (युग्मनज)-नर व मादा युग्मकों के संलयन से बनी द्विगुणित कोशिका।