Rajasthan Board RBSE Class 12 Biology Important Questions Chapter 5 वंशागति तथा विविधता के सिद्धांत Important Questions and Answers.
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अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
आनुवांशिकी की परिभाषा दीजिए
उत्तर:
जीव विज्ञान की वह शाखा जिसमें वंशागति (inheritance) व विभिन्नताओं (variations) का अध्ययन किया जाता है आनुवंशिकी कहलाती है।
प्रश्न 2.
उस जीव वैज्ञानिक का नाम बताइये जिसने पहली बार जीव विज्ञान के प्रयोगों के निष्कर्ष हेतु सांख्यिकीय विश्लेषण व गणितीय तकों का प्रयोग किया।
उत्तर:
ग्रेगर मेण्डल।
प्रश्न 3.
अलील को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
किन्ही विपर्यासी विभेदकों के एक जोड़े को कोड करने वाली आनुवंशिक इकाई अर्थात एक जीन के विभिन्न रूप अलौल कहलाते हैं।
प्रश्न 4.
अगर लम्बाई के T तथा अक्षीय पुष्प के लिए A जो दोनों प्रभावी कारक हैं तथा अप्रभावी बौनापन के लिए तथा अन्त्य पुष्प के लिए a प्रतीक लिए जाएँ तो इन दोनों लक्षणों के द्विसंकर का जीनोटाइप क्या होगा?
उत्तर:
Tt Aa.
प्रश्न 5.
एक विसंकर जिसका जीनोटाइप TtAa हो, से बनने वाले युग्मकों के प्रकार क्या होंगे?
उत्तर:
TA, Ta, tA, ta.
प्रश्न 6.
एक संकर को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
एक लक्षण के दो विपर्यासी रूपों के लिए विषमयुग्मजी एक संकर कहलाते हैं।
प्रश्न 7.
एक संकर क्रास क्या है?
उत्तर:
एक ही लक्षण (characterstic) के दो रूपों की वंशागति हेतु किया गया संकरण (जैसे TT व tt के बीच) एक संकर संकरण (monohybrid cross) कहलाता है।
प्रश्न 8.
किसी आनुवंशिक संकरण में सभी संभावित जीनोटाइप की प्रायिकता की गणना के लिए बनाया गया ग्राफीय आरेख क्या कहलाता है?
उत्तर:
पुनेट वर्ग (Punnett Square)।
प्रश्न 9.
एक संकर संकरण के फीनोटाइप व जीनोटाइप अनुपात लिखिए।
उत्तर:
फीनोटाइप अनुपात 3 : 1
जीनो टाइप अनुपात 1 : 2 : 1
प्रश्न 10.
अगर मटर में फली का प्रभावी रंग हरा (G), अप्रभावी पीला (g),फली फूली हुई (I) तथा सिकड़ी (i), पौधे की लम्बाई (T) तथा बौनापन (t) के रूप में प्रदर्शित किया जाय तो निम्न पौधों के फीनोटाइप क्या होंगे?
(a) Gg Tt Ii
(b) gg TT Ii
उत्तर:
(a) हरी, फूली फली वाला लम्बा पौधा।
(b) पीली, फूली फली वाला लम्बा पौधा।
प्रश्न 11.
किसी द्विसंकर परीक्षार्थ संकरण में जनकों व पुनर्संयोजनी की आवृत्ति क्या होगी जब जीन सहलग्न न हों?
उत्तर:
जनक 25 + 25 = 50%, पुनसंयोजन 25 + 25 = 50%.
प्रश्न 12.
ऐसे पौधे का नाम लिखिए जो अपूर्ण प्रभाविता प्रदर्शित करता है।
उत्तर:
स्नेपड्रेगन या एंटीराइनम (Antirrhinum spp.)
प्रश्न 13.
अपूर्ण प्रभाविता प्रदर्शित कर रहे एक गुलाबी पुष्प वाले पौधे को सफेद पुष्प वाले पौधे से संकरित कराने पर किस रंग के पुष्प वाले पौधे बनेंगे?
उत्तर:
इस क्रॉस से गुलाबी व सफेद रंग के पौधे 50 - 50% प्राप्त होंगे।
प्रश्न 14.
मनुष्य में उस जीन का क्या प्रतीक है जो RBC पर पाये जाने वाले एंटीजन को कोड करती है? इसके अलील के भी प्रतीक लिखिए।
उत्तर:
जीन I, अलील IA,IB व i.
प्रश्न 15.
मनुष्य में रक्त समूह की वंशागति किन दो प्रकारों की वंशागति का उदाहरण है? केवल नाम लिखिए।
उत्तर:
सह प्रभाविता (codominance) तथा बहुएलील (multiple allelism)
प्रश्न 16.
मेण्डल के नियमों की पुनः खोज करने वाले वैज्ञानिकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
डी बीज, कोरेन्स व वॉन शेरमॉक (de Vries, Correns and von Tschermak)
प्रश्न 17.
कौन - सी घटना क्रोमोसोमों के स्वतंत्र अपव्यूहन हेतु उत्तरदायी होती है?
उत्तर:
समजात क्रोमोसोमों का अर्धसूत्री विभाजन की मेटाफेज अवस्था में सभी सम्भावित तरीकों से व्यवस्थित व पृथक होना।
प्रश्न 18.
उस वैज्ञानिक का नाम बताइये जिसने वंशागति के क्रोमोसोमीय सिद्धान्त की प्रायोगिक पुष्टि की।
उत्तर:
थामस हंट मॉर्गन (Thomas Hunt Morgan)
प्रश्न 19.
फल मक्खी (फ्रूट फ्लाई) का तकनीकी नाम लिखिए।
उत्तर:
ड्रोसोफिला मेलेनोगैस्टर (Drosophila melanogaster)।
प्रश्न 20.
एक क्रोमोसोम पर स्थित दो जीनों की दूरी का पता किस प्रकार लगाया जाता है?
उत्तर:
जीनों के बीच की दूरी उनकी पुनसंयोजन आवृत्ति (recombination frequency) के आधार पर तय की जाती है, कम आवृत्ति जीनों के पास पास स्थित होने की परिचायक है।
प्रश्न 21.
दो जीन किन अवस्थाओं में 50% पुनर्सयोजन आवृत्ति प्रदर्शित कर सकते हैं?
उत्तर:
ऐसी दो स्थितियाँ हैं-
प्रश्न 22.
सामान्य ड्रोसोफिला मक्खी में आँखों का रंग कैसा होता है?
उत्तर:
लाला
प्रश्न 23.
किन जीवों में मादाएँ लिंग क्रोमोसोम के लिए विषमयुग्मकी (heterogametic) होती हैं।
उत्तर:
पक्षियों में मादा के लिंग क्रोमोसोम ZW होते हैं तथा यह विषमयुग्मजी होती हैं।
प्रश्न 24.
xo प्रकार का लिंग निर्धारण प्रदर्शित करने वाली एक काकरोच प्रजाति के नर में 23 क्रोमोसोम पाये जाते हैं, इस प्रजाति की मावा में कुल कितने क्रोमोसोम होंगे?
उत्तर:
24
प्रश्न 25.
इस चित्र में प्रदर्शित आनुवंशिक विकार प्रभावी है या अप्रभावी?
उत्तर:
अप्रभावी (Recessive)।
प्रश्न 26.
सिकेल सैल एनीमिया में रोगी का हीमोग्लोबिन सामान्य मनुष्य के हीमोग्लोबिन से किस प्रकार भिन्न होता है?
उत्तर:
असामान्य हीमोग्लोबिन की बीटा ग्लोबिन शृंखला में छठवाँ अमीनो अम्ल वेलीन होता जबकि सामान्य हीमोग्लोबिन में ग्लूटेमिक अम्ल।
प्रश्न 27.
अगर किसी व्यक्ति में फिनाइल एलेनीन, टाइरेसीन अमीनो अम्ल में नहीं बदले तो कौन - सा रोग हो जाता है?
उत्तर:
फिनाइलकीटोन्यूरिया।
प्रश्न 28.
मनुष्य के किसी ऐसे रोग का नाम लिखिए जो असुगुणिता (aneuploidy) के कारण होता है।
उत्तर:
डाउन सिंड्रोमा
प्रश्न 29.
उस आनुवंशिक सिन्ड्रोम का नाम बताइये जिसमें 47 क्रोमोसोमधारी बन्ध्य रोगी में गाइनेकोमेस्टिया विकसित हो जाता है।
उत्तर:
क्लाइनफेल्टर सिन्ड्रोम XXY.
प्रश्न 30.
मटर में द्विगुणित क्रोमोसोम संख्या 14 है इसमें कितने सहलग्नता समूह (linkage group) बनेंगे?
उत्तर:
7.
प्रश्न 31.
वंशागति के गुणसूत्र सिद्धान्त को प्रतिपादित करने वाले वैज्ञानिकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
सटन व बोवेरी
प्रश्न 32.
मानव में अलिंग सूत्री प्रभावी तथा अलिंग सूत्री अप्रभावी मेण्डलीय दोष से प्रत्येक का एक - एक उदाहरण दीजिए
उत्तर:
अलिंग सूत्री या ऑटोसोमल प्रभावी - मायोटोनिक डिस्ट्राफी (Mytonic Dystrophy)
• आटोसोमल अप्रभावी-दात्र कोशिका अरक्तता (Sickle cell anaemia)
प्रश्न 33.
वाल्टर व सटन द्वारा प्रस्तुत वंशागति सिद्धान्त का नाम लिखिए।
उत्तर:
वंशागति का क्रोमोसोमीय सिद्धान्त
प्रश्न 34.
बिन्दु - उत्परिवर्तन के कारण कौन - सा रोग होता है?
उत्तर:
दात्र कोशिका अरक्तता (Sickle cell anaemia)
प्रश्न 35.
मानव आनुवंशिकी में वंशावली अध्ययन के कोई दो उपयोग लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 36.
उत्परिवर्तनजन किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह भौतिक रासायनिक व जैविक कारक जो जीव के आनुवंशिक पदार्थ DNA, जीन या क्रोमोसोम में वंशागत होने वाले बदलाव उत्पन्न कर दें।
प्रश्न 37.
मेण्डल द्वारा अध्ययन किये गये मटर के पौधों के बीज से सम्बन्धित दो विपर्यासी विभेदकों को (Contrastin, traits) लिखिए।
उत्तर:
बीज का रंग - पीला (प्रभावी) हरा (अप्रभावी)
बीज का आकर - गोल (प्रभावी) झुरींदार (अप्रभावी)
प्रश्न 38.
मधुमक्खी के घुमधुपों ( ड्रोन) में गुणसूत्रों की संख्या कितनी होती है? इनके शुक्राणुओं के उत्पादन के दौरान किस प्रकार का कोशिका विभाजन होता है?
उत्तर:
मधुमक्खी के ड्रोन (drone) या नरों में गुणसूत्र संख्या अगुणित (16) होती है। यह समसूत्री विभाजन (mitosis) द्वारा शुक्राणुओं का निर्माण करते हैं।
प्रश्न 39.
दात्र कोशिका अरक्तता क्या है?
उत्तर:
दात्र कोशिका अरक्तता (sickle cell anaimia) एक अलिंग सूत्री अप्रभावी (antosomal recessive) मेण्डेलियन विकार है जिसमें असामान्य हीमोग्लोबिन बनने के कारण रक्ताल्पता की स्थिति बन जाती हैं।
प्रश्न 40.
एक उद्यान मटर पौधे में अक्षीय (एक्जियल ) सफेद फूल लगे। इसी प्रजाति के एक अन्य पौधे में अन्त्यर्ज (टर्मोनल) बैंगनी फूल लगे। इनमें प्रभावी विशेषक कौन - कौन से हैं?
उत्तर:
फूल की स्थिति अक्षीय (axial) प्रभावी है, फूल का रंग बैंगनी प्रभावी हैं।
प्रश्न 41.
मेण्डल के स्वतंत्र अपव्यूहन के नियम का अपवाद क्या है?
उत्तर:
सहलग्नता (linkage) मेण्डल के स्वतंत्र अपव्यूहन के नियम का अपवाद है।
प्रश्न 42.
नर मधुमक्खी में 16 गुणसूत्र होते हैं जबकि उसकी मादा में 32 गुणसूत्र होते हैं। एक कारण बताइए।
उत्तर:
नर माधुमक्खी का विकास अनिषेचित अण्डे से होता है।
प्रश्न 43.
क्लाइनेफेल्टर्स सिण्ड्रोम से ग्रसित व्यक्ति का जीन प्रारूप क्या होता है?
उत्तर:
XXY या XXXY।
प्रश्न 44.
निम्नलिखित के कारण होने वाले मानव आनुवंशिक विकार का नाम लिखिए।
(a) किसी पुरुष में एक अतिरिक्त x - क्रोमोसोम होना।
(b) किसी स्त्री में एक x - क्रोमोसोम का अभाव होना।
उत्तर:
(a) क्लाइनेफेल्टर सिण्ड्रोम (XXY)।
(b) टर्नर सिण्ड्रोम (XO)।
प्रश्न 45.
बताइए असुगुणिता (एन्युप्लॉइडी) का क्या परिणाम होता है?
उत्तर:
मोनोसोमी, नलीसोमी, ट्राइसोमी या टेट्रासोमी।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्न जीनोटाइप से कितने प्रकार के युग्मक बन सकते हैं, प्रत्येक के लिए उनके जीनोटाइप भी लिखें?
(a) Aa
(b) AABB
(c) AaBb
(d) DDEe Cc
(e) FFIIJj
उत्तर:
(a) Aa दो प्रकार के A तथा a
(b) AABB एक प्रकार के AB
(c) AaBb चार प्रकार के AB, Ab, aB, ab
(d) DD Ee Cc चार प्रकार के DEC, DEc, DeC, Dec
(e) FF II Jj दो प्रकार के FIJ, FIj
प्रश्न 2.
जनकों का जीनोटाइप क्या होगा अगर संतति के फीनोटाइप का अनुपात निम्न है-
(a) 9 : 3 : 3 : 1
(b) 1 : 1 : 1 : 1 (प्रतीक AaBb प्रयोग करें)
उत्तर:
(a) AaBb x AaBb
(b) AaBb x aabb
प्रश्न 3.
मनुष्यों में XXY की स्थिति किस प्रकार उत्पन्न हो सकती है?
उत्तर:
किसी स्त्री में अण्डजनन (oogenesis) के दौरान नान डिस्जंक्शन (non disjunction) के कारण दोनों लिंग क्रोमोसोम (XX) एक ही अण्ड में आ जाते है। अगर इस प्रकार का अण्ड किसी सामान्य Y प्रकार के शुक्राणु से निषेचित होता है तब XXY स्थिति बन जाती है। इसी प्रकार पुरुष में शुक्राणु जनन के समय दोनों लिंग गुणसूत्र एक ही शुक्राणु में आ सकते हैं। ऐसे असामान्य XY शुक्राणु जब सामान्य अण्ड को निषेचित करते हैं तो यही स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
प्रश्न 4.
क्यों एक पिता लिंग सहलग्न रोग को अपने पुत्र को संचरित नहीं कर.सकता?
उत्तर:
लिंग सहलग्न रोग जैसे हीमोफीलिया की जीन X लिंग क्रोमोसोम पर स्थित होती है। चूंकि पिता निषेचन के समय पुत्र को केवल Y क्रोमोसोम का योगदान देता है (X का नहीं क्योंकि इससे पुत्री का जन्म होगा) अत: पिता अपने पुत्र को लिंग सहलग्न रोग का संचरण नहीं करता।
प्रश्न 5.
आनुवंशिकता (Heriditry) का क्या अर्थ है? आनुवंशिकता, आनुवंशिकी व वंशागति में क्या अन्तर है?
उत्तर:
सन्ततियों का उनके जनकों से समानता प्रदर्शित करना अथवा जनकों के लक्षणों का संतति में संचरण आनुवंशिकता कहलाती है। आनुवंशिकता की प्रक्रिया अर्थात जनकों के लक्षणों के संतति में जाने की प्रकिया वंशागति (inheritance) कहलाती है। आनुवंशिकी (genetics) जीवविज्ञान की वह शाखा है जिसमें वंशागति तथा विभिन्नताओं का अध्ययन किया जाता है।
प्रश्न 6.
मनुष्य में आँखों का भूरा रंग प्रभावी व नीला रंग अप्रभावी है, एक भूरी आँख वाले व्यक्ति की माँ नीली आँख वाली है-
(a) व्यक्ति व उसकी माँ का जीनोटाइप बताइये।
(b) उसके पिता के सम्भावित जीनोटाइप बताइये।
(c) अगर इस व्यक्ति का विवाह एक नीली आँख वाली महिला से होता है तो उनके बच्चों के जीनोटाइप क्या होंगे?
उत्तर:
अगर भूरे रंग के जीन को B व नीले रंग के अलील को b से प्रभावित किया जाए तब
(a) माँ का जीनोटाइप (bb) नीली आँख अप्रभावी व्यक्ति (पुत्र का) जीनोटाइप Bb (विषमयुग्मजी, B = प्रभावी)
(b) पिता का सम्भावित जीनोटाइप BB/Bb
(c) नीली आँख वाली महिला (bb) से विवाह होने पर बच्चों का सम्भावित जीनोटाइप 50% बच्चे भूरी आँख वाले (Bb) तथा 50% बच्चे नीली आँख वाले होंगे।
प्रश्न 7.
एक पुरुष का रक्त समूह A व उसकी पत्नी का B है। उनके बच्चे का रक्त समूह ० है। तीनों के जीनोटाइप बताइये। इस दम्पति के अन्य बच्चों में कौन - सा रक्त समूह हो सकता है?
उत्तर:
शिशु का रुधिर वर्ग O है। O रुधिर वर्ग अप्रभावी अलील की समयुग्मजी (homozygous) स्थिति से ही उत्पन्न होता है। अत: शिशु का जीनोटाइप ii होगा। इसका अर्थ है उसे प्रत्येक जनक से i अलील प्राप्त होता है। पिता का रुधिर वर्ग A है अत: यह A रक्त समूह विषमयुग्मजी होना चाहिए तभी पिता i का योगदान कर सकेगा। अत: पिता का जीनोटाइप IAi होगा। इसी प्रकार चूँकि माँ भी शिशु को i का योगदान कर रही है तब वह भी विषमयुग्मजी अर्थात IBi प्रकार की होगी। इसे निम्न क्रॉस से समझा जा सकता है-
प्रश्न 8.
ऐसा क्यों कहा जाता है कि नर फल मक्खी (ड्रोसोफिला) व मादा मुर्गी विषमयुग्मकी है तथा मादा फल मक्खी व नर मुर्गा समयुग्मकी है?
उत्तर:
ऐसा उनके लिंग क्रोमोसोम व लिंग निर्धारण प्रक्रिया के आधार पर कहा जाता है।
ड्रोसोफिला में लिंग क्रोमोसोम - नर XY, मादा XX
मुर्गा नर ZZ मादा ZW
स्पष्ट है नर फल मक्खी (XY) व मुर्गी (ZW) विषमयुग्मजी (heterogametic) है अर्थात दो प्रकार के युग्मक बनाते हैं (नर फलमक्खी X तथा Y प्रकार के शुक्राणु तथा मुर्गी Z व W प्रकार के अण्डा
दूसरी ओर मादा फल मक्खी (XX) एक ही प्रकार के अण्ड बनाती है (X) तथा मुर्गा एक ही प्रकार के शुक्राणु बनाता है।
प्रश्न 9.
कोशिका विज्ञान के क्षेत्र में हुई उन उपलब्धियों के नाम लिखिए जो मेण्डल के शोध के प्रकाशन व इस शोध की तीन वैज्ञानिकों द्वारा पुनः खोज के बीच प्राप्त हुई।
उत्तर:
प्रश्न 10.
मेण्डल ने अपना वंशागति सम्बन्धी अध्ययन 1866 में प्रकाशित किया लेकिन सन 1900 तक यह उपेक्षित रहा। इस उपेक्षा के कारण दीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 11.
मेण्डल किन कारणों से वंशागति के नियमों के प्रतिपादन तक का सफल सफर कर सके?
उत्तर:
मेण्डल की सफलता के कारण-
प्रश्न 12.
प्रत्येक का एक उदाहरण देते हुए बहुविकल्पता एवं बहुप्रभाविता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बहुविकल्पता एवं बहुप्रभाविता में अन्तर
बहुविकल्पता |
बहुप्रभाविता |
यह तब उत्पन्न होता है जब दो से अधिक एलील द्वारा किसी लक्षण का नियंत्रण किया जाता है। |
यह तब उत्पन्न होता है जब एक जीन अनेक लक्षणों को नियंत्रित करता है। |
उदाहरण: ABO रक्त समूहन। |
उदाहरण: फिनाइलकीटोन्यूरिया (PKU)। |
प्रश्न 13.
जीनों की सहलग्नता एवं जीन विनिमय एक - दूसरे के विकल्प होते हैं। एक उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सहलग्नता कुछ स्थलों (loci) या एन्लील्स (जीन्स) की साथ - साथ वंशागत होने की प्रवृत्ति है जबकि जीन विनिमय जीन्स के प्रथक्करण की परिघटना है। सहलग्नता सन्तानों में पैतृक गुणों के संरक्षण में सहायक होती है जबकि जीन विनिमय द्वारा लक्षणों के नये संयोग बनते हैं। मनुष्य में युग्मक जनन के समय गुणसूत्र पर स्थित जीन्स युग्मकों में पहुंचने के लिए या तो सहलग्नता का या जीन विनिमय का चयन करते है। अत: जीनों की सहलग्नता एवं जीन विनिमय एक - दूसरे के विकल्प होते हैं।
प्रश्न 14.
नर एवं मादा विषम युग्मकता में अन्तर स्पष्ट कीजिष्ट।
उत्तर:
नर एवं मादा विषम युग्मकता में अन्तर:
नर विषम युग्मकता |
मदा विषम युग्मकता |
नर दो विभिन्न प्रकार के युग्मक उत्पन्न करता है। |
मादा समान प्रकार के युग्मक उत्पन्न करती है। |
उदाहरण: मानव नर दो प्रकार के शुक्राणु उत्पन्न करते हैं - X गुणसूत्र वाले तथा Y गुणसूत्र वाले। |
उदाहरण: मादा पक्षी दो प्रकार के अण्डे उत्पन्न करती हैं - Z गुणसूत्र वाले तथा W गुणसूत्र वाले। |
प्रश्न 15.
सह - प्रभाविता किसे कहते हैं? मानव में यह प्रभाविता को उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर:
सह प्रभाविता (Co - dominance):
अपूर्ण प्रभाविता के अतिरिक्त अलील्स, सह प्रभाविता या (Codominanace) भी प्रदर्शित कर सकते हैं। सह प्रभाविता ऐसी स्थिति है जिसमें किसी विषमयुग्मजी (heterozygote) के दोनों अलील्स पूर्णतः अभिव्यक्त होते हैं। अतः F1 संतति दोनों जनकों से समानता दिखाती है। मनुष्यों में ABO रक्त समूह की वंशागति सह प्रभाविता का एक अच्छा उदाहरण है।
मनुष्य में ABO रक्त समूह का निर्धारण एक जीन 1 द्वारा होता है। यहाँ । अक्षर शब्द आइसोहीमोग्लूटिनोजन (Isohaemoglutinogen) के प्रथमाक्षर से लिया गया है। मानव में लाल रक्त कोशिकाओं (red blood corpuscles) की कोशिका सतह पर पाये जाने वाले एंटीजन (antigen) के निर्माण के लिए यही जीन उत्तरदायी है। यह एंटीजन कोशिका कला की सतह से बाहर की ओर निकले ग्लाइकोलिपिड (glycolipid) के रूप में पाये जाते हैं।
एक ही जीन I के तीन अलील IA, IB तथा i, ABO रक्त समूह की वंशागति का नियंत्रण करते हैं।
किसी भी मनुष्य में इन तीन अलील में से कोई से दो अलील उपस्थित हो सकते हैं। एंटीजन A की उपस्थिति से मनुष्य का रक्त समूह A तथा B की उपस्थिति से B प्रकार का होता है। अलील IA व IB सहप्रभावी हैं अत: इन दोनों की उपस्थिति से मनुष्य में A तथा B दोनों प्रकार के एंटीजन होंगे। अत: मनुष्य का रक्त समूह AB हो जायेगा।
अप्रभावी अलील i, समयुग्मकी अवस्था में रक्त समूह O का निर्माण करता है। समूह वाले मनुष्य के रक्त में कोई एंटीजन नहीं होता।
मनुष्य में चूंकि इन तीन अलील में से कोई से दो अलील पाये जाते हैं अत: तीन अलील निम्न 6 प्रकार के जीनोटाइप संयोजन बनाते है।
AB रक्त समूह वाले व्यक्ति में IA व IB अलील दोनों की ही अभिव्यक्ति होती है। अत: यह घटना ही सहप्रभाविता (codominance) है।
ABO रक्त समूह बहुअलील (multiple alleles) का भी एक अच्छा उदाहरण है। इसमें दो की जगह दो से अधिक अर्थात तीन अलील एक ही लक्षण का निर्धारण करते हैं। क्योंकि एक व्यक्ति में केवल दो ही अलील होते है अत: बहुअलील को समष्टि अध्ययन के समय देखा जा सकता है। वंशागति का यह प्रकार मेण्डलीय वंशागति से दो कारणों से भिन्न है।
A रक्त समूह के पुरुष व B रक्त समूह की स्त्री के जनन से चारों प्रकार के रक्त समूह वाली संतति बनने की संभावना है, अगर दोनों जनक विषमयुग्मकी (IAi) तथा (IBi) प्रकार के हों, कभी - कभी एक ही जीन का उत्पाद एक से अधिक प्रभाव छोड़ सकता है। उदाहरण के लिए मटर के बीज में स्टार्च का संश्लेषण एक जीन B द्वारा होता है, जिसके दो अलील B तथा b होते हैं। अलील B की समयुग्मजी अवस्था (अर्थात BB) में स्टार्च का संश्लेषण प्रभावी रूप से होता है। अत: बड़े - बड़े स्टार्च कण उत्पन्न होते है। इसके विपरीत समयुग्मकी bb में स्टार्च संश्लेषण की क्षमता कम होती है अत: स्टार्च के कण छोटे होते हैं। बीजों के परिपक्वन के बाद BB प्रकार के बीज गोल तथा bb बीज सिकुड़े या झरींदार (wrinkled) होते हैं।
विषमयुग्मकी अवस्था (Bb) में बीज गोल होते है अतः ऐसा प्रतीत होता है कि B प्रभावी एलील है। लेकिन इन बीजों के स्टार्चकण BB तथा bb बीजों के बीच के आकार के होते हैं। अतः, अगर स्टार्च कण आकार को फीनोटाइप माना जाय तो Ba b अपूर्ण प्रभाविता (incomplete dominance) प्रदर्शित करते हैं। बीज का आकार अगर फीनोटाइप माना जाय तो यह प्रभाविता नियम का पालन है।
प्रश्न 16.
एक हीमोफोलिया ग्रस्त पिता, हीमोफोलिया का जीन अपने पुत्र में संचरित कभी नहीं कर सकता। व्याख्या दीजिए।
उत्तर:
हीमोफीलिया एक लिंग-सहलग्न अप्रभावी रोग है। पिता को हीमोफीलिया ग्रस्त होने की स्थिति में इसका जीन Xh पर उपस्थित होगा Y पर नहीं। चूँकि पुत्र में पिता का Y - गुणूत्र ही युग्मक द्वारा संचरित होगा। अतः पुत्र में पिता द्वारा कभी हीमोफीलिया का जीन नहीं पहुंचाया जा सकेगा।
प्रश्न 17.
थेलेसीमिया से ग्रस्त एक बच्चे के जनकों का जीनोटाइप लिखिए। इस रोग का कारण बताइए।
उत्तर:
थेलेसीमिया से प्रस्त बालक के जनको का जीनोटाइप-
माता → ThB ThB+
पिता → ThB ThB-
थेलेसीमिया एक अलिंग गुणसूत्री अर्थात् आटोसोमल अप्रभावी रोग है। सामान्य मनुष्य का हीमोग्लोबिन दो जोड़ी ग्लोबिन प्रोटीन श्रृंखलाओं से बनता है जिसे अल्फा एवं बीटा श्रृंखलाएँ कहा जाता है। थैलेसीमिया में अल्फा अथवा बीटा शृंखलाओं का संश्लेषण कम हो जाता है जिससे हीमोग्लोबिन में एल्फा व बीटा शृंखलाओं का संतुलन बिगड़ जाता है।
प्रश्न 18.
किसी विशिष्ट पौधे की प्रजाति में अधिकांश बैंगनी तथा कुछ सफेद पुष्प निकलते हैं। किसी बीच के रंग का पुष्प नहीं निकलता। यदि आपको बैंगनी रंग के पुष्प का पौधा दिया गया है तब यह किस प्रकार सिद्ध करेंगे कि यह एक शुद्ध जाति लक्षण है?
उत्तर:
परीक्षार्थ संकरण (test cross) द्वारा यह पता लगाया जा सकता है कि कोई पौधा समयुग्मजी (शुद्ध) प्रभावी है या विषम युग्मज (संकर) प्रभावी। (अप्रभावी) रंग के पुष्प से संकरित कराने पर बनने वाली संतति यह निर्धारित कर देती है कि पौधा शुद्ध है या संकर। अगर बैंगनी पुष्प वाला पौधा समयुग्मजी (PP) है तब इसे सफेद (pp) से क्रास कराने पर सभी बैंगनी पुष्प वाले पौधे (Pp) संकर, बनेगे।
पौधे अगर संकर (विषमयुग्मजी) हैं तो F1 पीढ़ी में 50% बैंगनी (संकर) व 50% सफेद पुष्प बनेंगे।
प्रश्न 19.
मनुष्य में हीमोफीलिया रोग की वंशागति समझाइये। स्त्रियों में इस रोग की सम्भावना अत्यन्त कम क्यों होती है?
अथवा
ऐसा क्यों है कि मानव महिलाएं बिरले ही होमोफीलिया ग्रस्त होती हैं? समझाइयें। हीमोफीलिया के रोगी किस प्रकार पीड़ित होते हैं?
अथवा
आमतौर पर यह देखा गया है कि पुरुषों को हीमोफीलिया रोग की संभावना अधिक होती है जबकि स्त्रियों में इस रोग से ग्रस्त होने की संभावना विरल होती है। कारण देते हुए व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
हीमोफीलिया एक लिंग सहलग्न (Sex linked) अप्रभावी (recessive) रोग है जिसका जीन x लिंग क्रोमोसोम पर स्थित होता है।
अत: स्त्री में दूसरा X क्रोमोसोम सामान्य होने पर यह रोग प्रकट नहीं होता। लेकिन ऐसी स्त्री रोग की वाहक होती है। पुरुषों में चूंकि X क्रोमोसोम का समजात नहीं होता अत: X क्रोमोसोम पर हीमोफीलिया जीन होने पर अप्रभावी होने पर भी प्रकट हो जाता है।
हीमोफिलिक पिता कभी अपने पुत्र को रोग संचरित नहीं कर सकता, यह रोग पुत्र में माँ से ही आता है। चूंकि यह रोग अप्रभावी अलील के कारण होता है अत: माँ इससे प्रभावित नहीं होती। स्त्री में हीमोफीलिया रोग होने के लिए यह आवश्यक है कि उसका पिता हीमोफिलिक हो तथा माँ वाहक/रोगी हो। हीमोफीलिया से प्रस्त रोगी के रक्त में थक्का नहीं जमता अत: छोटी चोट से ही उसकी मृत्यु हो सकती है।
प्रश्न 20.
नीचे दिए गए वंशावली चार्ट (Pedigree Chart) का अध्ययन करके निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(a) लक्षण प्रभावी है या अप्रभावी
(b) लक्षण लिंग सहलग्न हैं या अलिंगसूत्री (आटोसोमल)
(c) पीढ़ी में जनकों का जीनोटाइप, द्वितीय पीढ़ी के तृतीय शिशु तथा तृतीय पीढ़ी के प्रथम शिशु का जीनोटाइप लिखिए
उत्तर:
(a) यह एक प्रभावी (lominant) लक्षण है।
(b) यह एक अलिंगसूत्री (ऑटोसोमल) लक्षण है (लिंग संलग्न लक्षण पिता से पुत्र में संचरित नहीं होते।)
(c) जनक (प्रथम पीढ़ी) के जीनोटाइप स्त्री aa, पुरुष Aa
पीढ़ी 2 में तृतीय शिशु का जीनोटाइप = Aa
पीढ़ी 3 में प्रथम शिशु का जीनोटाइप Aa
प्रश्न 21.
हीमोफीलिया मानवों में एक लिंग सहलग्न अप्रभावी विकार है, नीचे दिए वंशावली चार्ट में एक परिवार में हीमोफीलिया की वंशागति दिखाई गई है। इस वंशावली का अध्ययन कीजिए तथा आगे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(a) वंशावली चार्ट के संख्या 4, 5 तथा 6 के सभी सम्भावित जीनोटाइप बातइये।
(b) रक्त परीक्षण से पता लगा कि व्यक्ति संख्या 14 हीमोफीलिया का वाहक है। सदस्य संख्या 15 ने हाल ही में सदस्य संख्या 14 से विवाह किया है। बताइये कि उनकी प्रथम सन्तान की एक हीमोफीलिया ग्रस्त नर होने की क्या प्राथमिकता होगी?
उत्तर:
(a) सदस्यों 4, 5, 6 के जीनोटाइप होंगे।
4 =XXh , 5 = XhY, 6 = XY
(b) सदस्य संख्या 14 वाहक है अत: जीनोटाइप XXh होगा, सदस्य संख्या 15 सामान्य है XY, इनकी संतति इस प्रकार हो सकती है-
अत: उसके हीमोफीलिया से ग्रस्त होने की सम्भावना 25% होगी। हीमोफीलिया से ग्रस्त नर होने की प्रायिकता 50% होगी 50% नर सामान्य होगे।
प्रश्न 22.
जब मटर के लम्बे पौधों में संकरण कराया गया तो इनकी एक - चौथाई संतति में बौने पौधे प्राप्त हुए। एक क्रास की सहायता से इसकी व्याख्या करें
उत्तर:
मटर में बौनापन अप्रभावी लक्षण है जो केवल समयुग्मजी (homozygous) अवस्था में प्रकट होता है। प्रयोग में दी अवस्था तभी उत्पन्न हो सकती है जब जनक विषम युग्मजी (hetroxygous) हों।
इसे निम्न पनेट वर्ग से प्रदर्शित किया जा सकता है-
प्रश्न 23.
सहलग्नता किसे कहते हैं? पक्षियों में लिंग निर्धारण की प्रक्रिया समझाइये।
उत्तर:
सहलग्नता (linkage) एक ही क्रोमोसोम पर स्थित जीन सहलग्न जीन तथा उनका एक साथ वंशागत होना सहलग्नता कहलाता है। अर्थात पूर्ण सहलग्न जीन स्वतन्त्र अपव्यूहन प्रदर्शित नहीं करते।
पक्षियों में लिंग निर्धारण (Sex determination in birds)
पक्षियों में ZW - ZZ प्रकार लिंग निर्धारण पाया जाता है। अर्थात इसमें मादा विषमयुग्मकता (female heterogamety) पायी जाती है। मादा पक्षी दो प्रकार के युग्मक (अण्ड) बनाती है। आधे अण्ड Z प्रकार के व आधे W प्रकार के होते हैं। नर पक्षी केवल एक प्रकार (Z) प्रकार के शुक्राणु बनाता है। Z अण्ड के Z शुक्राणु द्वारा निषेचन से नर पक्षी तथा W अण्ड के Z शुक्राणु के निषेचन से मादा पक्षी बनता है।
प्रश्न 24.
सहप्रभाविता से क्या अभिप्राय है? मानव में रुधिर वर्ग का उदाहरण देकर सह प्रभाविता को समझाइये।
अथवा
सह प्रभाविता किसे कहते हैं? उदाहरण देकर समझाइये।
अथवा
एक उदाहरण की सहायता से मनुष्य समष्टि में सह प्रभाविता व बहुअलीलता का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सह प्रभाविता (Codominance)
वंशागति का वह प्रकार जिसमें किसी विषमयुग्मजी (heteroxygous) के दोनों अलील अपना - अपना व बराबर का प्रभाव दिखाते हैं, सह प्रभाविता (codominance) कहलाता है। मानव में ABO रक्त समूह की वंशागति सह प्रभाविता का एक अच्छा उदाहरण है। मनुष्य में रक्त समूह का निर्धारण RBC पर उपस्थित एक एंटीजन द्वारा होता है। एंटीजन A की उपस्थिति से A रक्त समूह, B की उपस्थिति से B रक्त समूह A व B दोनों की उपस्थिति से AB रक्त समूह तथा किसी भी एंटीजन की अनुपस्थिति से O रक्त समूह बनता है। जीन I इन एंटीजनों के निर्धारण से सम्बन्धित है तथा इसके तीन अलील पाये जाते है। IA अलील -A एंटीजन निर्माण हेतु, IB अलील -B एंटीजन निर्माण हेतु जिम्मेदार होता है अलील i से कोई भी एंटीजन नहीं बनता। IA तथा IB प्रभावी तथा i अलील अप्रभावी होता है। किसी भी मनुष्य में कोई से दो अलील पाये जाते है। IAIB संयोजन में दोनों अलील अपना - अपना समान प्रभाव दिखाते हैं तथा A तथा B दोनों प्रकार के एंटीजन बनने के कारण रक्त समूह AB होता है। चूंकि दोनों अलौल के फौनोटाइप की अभिव्यक्ति होती है अतः यह सहप्रभाविता का उदाहरण है।
प्रश्न 25.
मानव में लिंग निर्धारण की क्रियाविधि को समझाइये।
उत्तर:
मनुष्य में XX - XY प्रकार का लिंग निर्धारण पाया जाता है। स्त्रियों में ऑटोसोम के अतिरिक्त XX लिंग क्रोमोसोम होते हैं, अत: वह समयुग्मकी होती हैं व एक ही प्रकार के युग्मको अण्ड का निर्माण करती है। इसका अर्थ है कि प्रत्येक युग्मक 22 + X प्रकार का होता है। पुरुषों की प्रत्येक कोशिका में आटोसोम के अतिरिक्त XY लिंग क्रोमोसोम होते हैं। अत: वह विषमयुग्मजी होते हैं व दो प्रकार के शुक्राणु बनाते हैं। आधे शुक्राणुओं में 22 आटोसोम्स के साथ X क्रोमोसोम होता है व शेष 50% में आटोसोम के साथ Y क्रोमोसोम पाया जाता है। इस प्रकार के लिंग निधारण को नरविषम युग्मकता (Male heterogamy) कहा जाता है। अगर अण्ड का निषेचन X क्रोमोसोम धारी शुक्राणु से होता है तो इससे बने जाइगोट से लड़की का जन्म होता है लेकिन जब अण्ड कोशिका Y क्रोमोसोम धारी शुक्राणु से निषेचित होती है तो बना जाइगोट नर शिशु बनाता है। स्पष्ट है एक स्त्री निषेचन हेतु एक ही प्रकार के अण्डों का योगदान करती है। पुरुष के शुक्राणु से ही यह निर्धारित होता है कि जन्म लेने वाला शिशु लड़का होगा या लड़की।
प्रश्न 26.
मटर के एक बौने पौधे और एक लम्बे पौधे के बीच एक संकर (मोनो हाइब्रिड) संकरण कराने पर पौधों की संतति समष्टियाँ समान अनुपात में बौनी और लम्बी प्राप्त हुई। इस संकरण का आरेखी प्रतिरूपण बनाइये ताकि स्पष्ट हो सके कि उपर्युक्त परिणाम किस प्रकार प्राप्त हुए?
उत्तर:
यह संकरण परीक्षार्थ संकरण (test cross) का प्रतिनिधित्व करता है। 50% बौनी व 50% लम्बा संतति सप्न करने का अर्थ है कि लम्बा जनक, संकर या विषमयुग्मजी (heterozygons) है क्योंकि इसके समयुग्मजी होने पर सभी संतति लम्बी होती। बौना पौधा समयुग्मजी होता है।
प्रश्न 27.
परीक्षार्थ संकरण किसी जीन के जीन प्रारूप को पहचानने में कैसे सहायक होता है? व्याख्या करें।
अथवा
परीक्षार्थ क्रास क्या होता है? इससे पौधे की विषम युग्मजता का पता निश्चित रूप से किस प्रकार लगाया जा सकता है?
उत्तर:
परीक्षार्थ क्रास: यह जानने के लिए किया गया क्रास कि प्रभावी लक्षण के लिए अज्ञात जीनोटाइप वाला जीव समयुग्मजी है या विषमयुग्मजी, परीक्षार्थ क्रास कहलाता है। अर्थात् F2 अज्ञात जीव का संकरण अप्रभावी जनक जीव से कराया जाना परीक्षार्थ क्रास कहलाता परीक्षार्थ संकरण से यह पता लगाया जाता है कि प्रभावी जीव समयुग्मजी है या विषमयुग्मजी। इस संकरण में अज्ञात जीनोटाइप वाले जीव का समयुग्मजी अप्रभावी जनक से संकरण कराया जाता है।
(i) एक संकर (Monohybrid) प्रभावी इस प्रकार के संकरण में केवल प्रभावी जीव उत्पन्न करेगा
अतः आसानी से बताया जा सकता है कि दिया गया प्रभावी जीव समयुग्मजी (Homozygous) है या विषमयुग्मजी (heterozygous) द्विसंकर (Dihybrid) परीक्षार्थ संकरण (RrYy x rryy) में संतति 1 : 1 : 1 : 1 के अनुपात में बनती है अर्थात चार प्रकार के जीव बनेंगे। जबकि समुयुग्मजी RRYY x rryy होने पर केवल एक प्रकार के जीव बनेंगे।
प्रश्न 28.
मेण्डल के विसंकर प्रयोग का वर्णन कीजिए। इस प्रयोग से प्रतिपादित नियम की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
दो जीनों की वंशागति (Inheritance of Two Genes)
मेण्डल ने संकरणों की एक दूसरी शृंखला भी प्रारम्भ की जिसमें शुद्ध प्रजननी पौधे (True breeding plants) दो विशेषकों (traits) में भिन्नता प्रदर्शित करते थे। इस प्रकार का संकरण जिसमें दो जौनों के, दो जोड़े कारकों/अलील की वंशागति का अध्ययन किया जाता है द्विसंकर संकरण (Dihybrid Cross) कहलाता है। मेण्डल ने ऐसे प्रयोग में मटर की ऐसी दो शुद्ध प्रजननी किस्मों को जनक के रूप में चुना जो दो लक्षणों (characters) में भिन्नता प्रदर्शित करती थीं।
मेण्डल ने इस संकरण में पहले जनक के रूप में ऐसा पौधा चुना जिसके बीजों का आकार गोल व रंग पीला था। इसी प्रकार दूसरे जनक के रूप में वह पौधा चुना जिसके बीजों का आकार अरींदार तथा रंग हरा था। इन शुद्ध प्रजननी पौधों ने जनक पौढ़ी (Parental Generation) के रूप में कार्य किया। इनके संकरण से F1 पीढ़ी तैयार की गई जिसके सभी बीजों का आकार गोल व रंग पीला था। चूंकि F1 पीढ़ी में हमेशा प्रभावी लक्षण प्रकट होते हैं अतः यह निष्कर्ष आसानी से निकाला जा सकता है कि बीजों के आकार में बीज का गोल (round) होना तथा बीजों के रंग में पीला (yellow) रंग प्रभावी लक्षण हैं। यह परिणाम, पीले रंग के बीज व हरे रंग के बीज तथा गोल बीज व झुरदार बीजों वाले पौधों के बीच अलग - अलग किए एक संकर संकरण के परिणामों के समान ही थे। प्रतीक Y को बीजों के प्रभावी पीले रंग के लिए तथा y को अप्रभावी हरे रंग के लिए, R को बीजों के गोल आकार के लिए तथा r को झुरींदार आकार के लिए प्रयोग करने पर जनक पौधे का जीनोटाइप निम्न प्रकार होगा (यहाँ यह याद रखना आवश्यक है कि प्रत्येक लक्षण के लिए किसी भी जीव में जीन की दो प्रतियाँ (अलील) होती हैं, अत: पीले रंग को केवल Y द्वारा तथा हरे रंग को केवल y द्वारा प्रदर्शित करने की भूल न करे।
चूंकि दोनों जनक समयुग्मकी (homozygous) हैं अत: यह संकरण के समय एक ही प्रकार के युग्मक बनाएंगे। गोल पीले बीज वाले पौधे के युग्मक RY प्रकार के तथा झुरींदार व हरे पौधे के युग्मक ry प्रकार के होंगे। युग्मक बनते समय अलील का पृथक्करण हो जाता है। निषेचन के समय युग्मक संलयित होकर F1 संकर का निर्माण करेंगे जिसका जीनोटाइप RrYy होगा। चूँकि R, T के ऊपर प्रभावी है तथा Y, y के ऊपर प्रभावी है अत: F1 संकरों का फीनोटाइप गोल व पीले रंग का होगा। मेण्डल ने F1 पौधों को स्व - परागण के लिए छोड़ा। F2 पीढ़ी में दो प्रकार के परिणामों की सम्भावना थी।
F1 पीढ़ी के पौधों में स्वपरागण कराने पर मेण्डल को रोचक परिणाम प्राप्त हुए। संतति में जनकों के समान न केवल गोल पीले व शरीदार हरे बीज वाले पौधे प्राप्त हुए बल्कि नये संयोजन गोल - हरे व झुरौंदार पीले बौज वाले पौधे भी बने। अतः दूसरी परिकल्पना सही सिद्ध हुई।
मेण्डल को इस संकरण में F2 पीढ़ी में निम्न अनुपात प्राप्त हुआ-
यह (dihybrid cross) का फीनोटाइप अनुपात है।
द्विसंकर संकरण के परिणामों के आधार पर मेण्डल ने स्वतन्त्र अपव्यूहन का सिद्धान्त प्रतिपादित किया।
स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम (Law of Independent Assortment): “जब किसी संकर में विशेषकों के दो जोड़े संयोजित हों तब युग्मक निर्माण के समय किसी लक्षण के दोनों कारकों (अलील) का पृथक्करण दूसरे लक्षण के कारकों से स्वतन्त्र होता है"।
या
"दो जीनों की वंशागति में प्रत्येक जीन के दोनों अलील युग्मक निर्माण के समय, दूसरी जीन के दोनों अलीलों से स्वतन्त्र रूप से पृथक तथा युग्मकों के संलयन में स्वतन्त्र रूप से पुनर्व्यवस्थित होते हैं। RrYy पौधों में अण्ड कोशिका व नर युग्मक के बनने के लिए हुए अर्धसूत्री विभाजन के समय जीन के दो जोड़ों के स्वतन्त्र पृथक्करण या विसंयोजन को पनेट वर्ग के प्रयोग द्वारा समझा जा सकता है।
जीन के एक जोड़े R व r के पृथक्करण के समय 50 प्रतिशत युग्मकों में जीन R तथा शेष 50 प्रतिशत में जीन होगा। अब R या r के साथ - साथ इसमें Y या y भी होना चाहिए। यहाँ महत्त्वपूर्ण यह है कि 50 प्रतिशत R व 50 प्रतिशत का r पृथक्करण 50 प्रतिशत Y तथा 50 प्रतिशत y के पृथक्करण से स्वतंत्र है। अत: r धारण करने वाले 50 प्रतिशत युग्मकों में न होगा तथा दूसरे 50 प्रतिशत युग्मकों में y। इस प्रकार 4 जीनोटाइप वाले युग्मक बनेंगे (4 प्रकार के नर युग्मक व 4 प्रकार के अण्ड)। यह चार प्रकार है RY, Ry, rY तथा ry. इनमें से प्रत्येक की आवृत्ति कुल युग्मका का आवृत्ति का 25 प्रतिशत या 1/4 होगी। पनेट वर्ग के दो तरफ चार प्रकार के अण्ड व 4 प्रकार के नर युग्मक लिखने पर F2 पीढ़ी में बनने वाले युग्मनज का जीनोटाइप लिखना सहज हो जाता है। इन 16 खानों में बनने वाले जीनोटाइप व फीनोटाइप को चित्र में दिखाया गया है। इन्हें नीचे दिए फामेंट में भी लिख सकते हैं।
पुनेट वर्ग के आँकड़ों से F2 में जीनोटाइप अनुपात भी प्राप्त किया जा सकता हैं।
फीनोटाइप अनुपात की व्याख्या: दोनों लक्षणों के बीजों की वंशागति का अलग - अलग अध्ययन कराने पर
बीज का रंग (Seed Colour) पीले (9 + 3 = 12), हरे (3 + 1 = 4) = 12 : 4 = अनुपात 3 : 1
बीज का आकार (Seed Shape) गोल (9 + 3 = 12), झुरौंदार (3 + 1 = 4) = 12 : 4 = अनुपात 3 : 1
प्रत्येक लक्षण का परिणाम एकल संकर अनुपात के समान है।
मेण्डल ने मटर पर किये गए अपने शोध को 1866 में एक शोध पत्रिका "द प्रोसीडिंग्स ऑफ द बून नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी" (The proceeding of the Brunn Natural History Society) में प्रकाशित किया था लेकिन दुर्भाग्यवश मेण्डल का कार्य सन् 1900 तक उपेक्षित रहा। इसके निम्न कारण थे-
प्रश्न 29.
पक्षियों में "लिंग निर्धारण' की क्रियाविधि की व्याख्या कीजिए। मानवों में लिंग निर्धारण से यह किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
ZW - ZZ प्रकार का लिंग निर्धारण (ZW - ZZ type Sex Determination)
पक्षियों व कुछ सरीसृपों के नर तथा मादा दोनों लिंगों (sexes) में दो लिंग क्रोमोसोम होते हैं लेकिन इनमें मादाएं विषमयुग्मकी होती हैं। अर्थात यह मादा विषमयुग्मकता (female heterogamety) का उदाहरण है। पहले वर्णित किये लिंग निर्धारणों से भिन्नता प्रदर्शित करने के उद्देश्य से पक्षियों में मादा के लिंग क्रोमोसोम को Z व W तथा नरों के लिंग क्रोमोसोम को ZZ नाम दिये गये हैं।
यह तथ्य स्मरणीय है कि सभी प्रकार के लिंग निर्धारणों में युग्मकों में लिंग क्रोमोसोम के अतिरिक्त ऑटोसोम की भी अगुणित संख्या होती है। अतः कभी-कभी युग्मकों को A + Z, A + W आदि के रूप में भी लिखा जाता है। इस स्थिति में द्विगुणित मादा जीव AA + ZW होगा।
मनुष्य में लिंग निर्धारण (Sex Determination In Humans)
यह स्पष्ट किया जा चुका है कि मनुष्य में XY - XX प्रकार का लिंग निर्धारण पाया जाता है। कुल 23 जोड़े गुणसूत्रों में से पुरुष व स्त्री में 22 जोड़े पूर्णत: समान होते हैं, यह ऑटोसोम (autosome) है। स्त्रियों में एक जोड़ी X क्रोमोसोम पाये जाते हैं जबकि XY लिंग क्रोमोसोम होने पर मनुष्य नर होता है। शुक्रजनन के समय नर दो प्रकार के शुक्राणु बनाता है। कुल शुक्राणुओं में से आधों में ऑटोसोम के अतिरिक्त X क्रोमोसोम होता है तथा आधों मेंY। स्त्रियाँ केवल एक ही प्रकार के अण्ड का निर्माण करती है तथा इन सभी में ऑटोसोम के अतिरिक्त केवल X क्रोमोसोम होता है। किसी अण्ड के X लिंग क्रोमोसोम धारी शुक्राणु व Y क्रोमोसोम धारी शुक्राणु से निषेचित होने की सम्भावना 50 - 50 प्रतिशत होती है। अगर अण्ड कोशिका X प्रकार के शुक्राणु से निषेचित होती है तब युग्मनज बालिका के रूप में विकसित होता है तथा जब अण्ड कोशिका का निषेचन Y प्रकार के शुक्राणु से होता है तो नर शिंशु का जन्म होता है। अत: यह स्पष्ट है कि शुक्राणु का आनुवंशिक संघटन ही शिशु के लिंग के निर्धारण के लिए उत्तरदायी होता है। यह भी स्पष्ट है कि सगर्भता की प्रत्येक स्थिति में नर शिशु व मादा शिशु की 50 - 50 प्रतिशत सम्भावना होती है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे समाज में कन्या को जन्म देने के लिए स्त्रियों को दोष दिया जाता है। महिलाओं को इस कारण प्रताड़ित भी किया जाता है।
प्रश्न 30.
बैंगनी फूल वाले मटर के पौधों की F1 संतति का तथा श्वान (स्नेपड्रेगन) पौधे की लाल पुष्प वाली F1 संतति का F2 संतति उत्पन्न करने के लिए स्वपरागण कराया गया। इन पौधों की F2 संतति के दृश्यप्ररूप (फीनोटाइप), जीनप्ररूप (जीनोटाइप) तथा वंशागति के पैटर्न की तुलना कीजिए।
उत्तर:
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
आपको मटर के ऐसे लम्बे पौधे दिये जाते हैं जिनमें पीले रंग के बीज बनते हैं
(a) तथा जिनके जीनरूप मालूम नहीं हैं आप इन पौधों का जीनरूप किस प्रकार पता लगायेंगे? क्रॉस की सहायता से समझाइये।
(b) आगे दी जा रही तालिका में a, b और c क्या हैं? बताइये
वंशागति का तरीका |
एक संकर F1 की फीनोटाइप अभिव्यक्ति |
1. सहप्रभाविता |
a |
2. b |
संतति में केवल एक जनक से समरूपता थी |
3. अपूर्ण प्रभाविता |
c |
उत्तर:
मटर के लम्बे व पीले रंग के बीज वाले पौधे समयुग्मजी (hormozygous) व विषमयुग्मजी (heterozygous) दोनों प्रकार के होते हैं। परीक्षार्थ संकरण (test cross) द्वारा इनकी प्रकृति का पता लगाया जा सकता है। परीक्षार्थ संकरण में अज्ञात जीनोटाइप वाले पौधे का समयुग्मजी द्विअप्रभावी (heterozygous double recessive) पौधे से संकरण कराया जाना है।
(i) मटर का पौधा समयुग्मजी होने पर
(ii) मटर का पौधा विषमयुग्मजी होने पर
(b) a = संतति में दोनों जनकों के लक्षण दिखाई पड़ते हैं
b = प्रभाविता
c = संतति में दोनों जनक के माध्यमिक (बीच) के लक्षण दिखाई देते हैं
प्रश्न 2.
(a) एक तवरूप प्रजननकारी समयुग्मी मटर के पौधे जिसमें हरी फली व अक्षीय फूल प्रभावी लक्षणे के रूप थे, एक अप्रभावी समयुग्मी मटर के पौधे जिसमें पीली फली तथा अन्त्य फूल थे, संकरण कराया गया। इस संकरण का F2 पीढ़ी तक हिसाब दर्शाइये और बताइये कि F1 तथा F2 पीढ़ियों का अपना-अपना लक्षण प्रारूपी अनुपात क्या था?
(b) मेण्डलीय सिद्धान्त बताइये जो इसी प्रकार के संकरण से प्राप्त किया जा सकता है न कि एक संकर से
उत्तर:
प्रभावी लक्षण हरी फली के लिए G, पीली फली के लिए g, अक्षीय (axial) फूल के लिए A तथा अन्त्य (terminal) फूल के लिए a प्रतीक लेने पर जनकों को इस प्रकार प्रदर्शित किया जा सकता है-
द्विसंकर क्रास (Dihybrid cross) के आधार पर मेण्डल ने स्वतन्त्र अपव्यूहन के नियम (Law of independent assortment) का प्रतिपादन किया। यह नियम दो जीनों की एक साथ वंशागति पर आधारित है।
"दो जीनों की वंशागति में प्रत्येक जीन के दोनों अलील युग्मक निर्माण के समय, दुसरी जीन के दोनों अलीलों से स्वतन्त्र रूप से पृथक तथा युग्मकों के संलयन में स्वतन्त्र रूप से पुनर्व्यवस्थित व अपव्यूहित होते है।"
प्रश्न 3.
(a) थैलेसीमिया और हीमोफीलिया को मेण्डलीय विकारों की श्रेणी में क्यों रखा जाता है? इनके रोग लक्षण बताइये। मानवों में इनकी वंशागति के पैटर्न की व्याख्या कीजिष्ट।
(b) हीमोफीलिया से ग्रस्त पुत्र को पैदा करने वाले सामान्य माता - पित का जीन प्रसिप लिखिए।
उत्तर:
(a) मेण्डलीय विकार वह चिकित्सीय स्थिति है जो जनकों से वंशागति अलील के कारण उत्पन्न होती है। थैलेसीमिया व हीमोफीलिया जैसे विकारों को मेण्डलीय विकार इसलिए कहा जाता है क्योकि यह सामान्य मेण्डलीय वंशागति के नियमों का पालन करते हैं। लक्षणों के लिए कृपया मनुष्य के कुछ आनुवंशिक विकार (पृष्ठ 219) नामक सारणी देखें।
हीमोफीलिया (Hemophilia): हीमोफीलिया एक रक्त विकार है जिसमें रक्त में एक महत्त्वपूर्ण स्कन्दनकर्ता कारक (Clotting factor) की कमी होती है। अत: रक्त का स्कन्दन बहुत ही देर में अथवा होता ही नहीं। रोगी के शरीर में हुआ एक छोटा - सा घाव जानलेवा साबित हो सकता है।
यह एक लिंग सहलग्न अप्रभावी (Sex linked recessive) रोग है जो नर शिशु में अप्रभावित वाहक (unaffected carrier) महिलाओं से आता है। वाहक महिलाएं हीमोफीलिया के लिए विषमयुग्मकी (heterozygous) होती हैं तथा इनमें सामान्य अलौल की उपस्थिति में हीमोफीलिया की स्थिति नहीं बनती। स्त्रियों के हीमोफीलिया से ग्रस्त होने की सम्भावना बहुत ही कम होती है क्योकि इस स्थिति के लिए उसकी माँ का वाहक होना तथा पिता का हीमोफीलिया से ग्रस्त होना आवश्यक होगा। हीमोफीलिया प्रस्त स्त्रियों की आयु अधिक नहीं होती। ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया के अनेक वंशज हीमोफीलिया से ग्रस्त थे तथा वह स्वयं इस रोग की वाहक थीं। हीमोफीलिया पर व्यापक अध्ययन हुआ है। चूंकि वाहक पुत्री में एक सामान्य अलौल है अत: वह रोग से बची रहेगी। पुत्र में Y क्रोमोसाम X के समजात नहीं है अतः वह केवल Xh की उपस्थिति से ही रोगी होगा।
X लिंग सहलग्न रोगों की विशेषताएँ
थैलेसीमिया (Thalassaemia)
थैलेसीमिया रक्त सम्बन्धी आनुवंशिक विकार समूह (group of disorder) है जिसमें हीमोग्लोबिन का उत्पादन प्रभावित हो जाता है। यह एक अलिंग गुणसूत्री अर्थात आटोसोमल अप्रभावी (autosomal recessive) रोग है जो संतति को जनकों से वंशागत (inherit) होता है।
कारण (Causes): सामान्य मनुष्य का हीमोग्लोबिन दो जोड़े ग्लोबिन प्रोटीन शृंखलाओं से बनता है जिन्हें अल्फा शृंखलाएँ (alpha chains) व बीटा श्रृंखलाएँ कहा जाता है। थैलेसीमिया में अल्फा अथवा बीटा शृंखलाओं का संश्लेषण कम हो जाता है जिससे हीमोग्लोबिन में अल्फा व बीटा शृंखलाओं का सन्तुलन अथवा अनुपात बिगड़ जाता है।
यह असामान्य हीमोग्लोबिन उत्पादन एक त्रुटिपूर्ण जीन की वंशागति के कारण होता है। सामान्य जीन में हुआ उत्परिवर्तन प्रमुखत: विलोपन (deletion), जिसके कारण फ्रेम शिफ्ट म्यूटेशन (frame shift mutation) हो जाता है, त्रुटिपूर्ण जीन (defective gene) बनने के लिए उत्तरदायी होता है।
प्रकार (Types): थैलेसीमिया रोग का वर्गीकरण इस आधार पर किया जाता है कि हीमोग्लोबिन की कौन - सी शृंखला प्रभावित हुई है।
सामान्यत: बीटा शृंखलाओं का उत्पादन बाधित होता है, जिससे बीटा थैलेसीमिया हो जाता है। यह ऑटोसोमल अप्रभावी रूप से वंशागत होता रहता है। अगर किसी व्यक्ति में जीन की एक त्रुटिपूर्ण प्रति है (अर्थात वह विषमयुग्मजी है) तब उसे बीटा थैलेसीमिया माइनर (beta thalassaemia minor) रोग से पीड़ित माना जाता है। यह अवस्था गम्भीर नहीं होती। अगर व्यक्ति त्रुटिपूर्ण अलील के लिए समयुग्मजी (homoxygous) है, अर्थात दोनों जनकों से एक - एक त्रुटिपूर्ण अलील प्राप्त करता है तब रोग की गम्भार स्थिति उत्पन्न होती है। इस स्थिति को बीटा थैलेसीमिया मेजर (beta thalassaemia major) कहा जाता है, जो कूले रक्ताल्पता (Cooley's anaemia) नाम से भी जानी जाती है। अत: माता - पिता दोनों के बीटा थैलेसीमिया माइनर से पीड़ित होने पर उनके बच्चे के बीटा थैलेसीमिया मेजर से पीड़ित होने की सम्भावना 25% होती है (अर्थात प्रति चार में से एक) अल्फा थैलेसीमिया, बीटा थैलेसीमिया की अपेक्षा कम सामान्य है। गम्भीर अल्फा थैलेसीमिया रोगी शिशु अवस्था में ही मर जाते हैं। अल्फा (α) थैलेसीमिया रोग क्रोमोसोम 16 पर स्थित सहलग्न जीन HBA1 व HEA2 द्वारा नियन्त्रित होता है। यह इन जीनों के चार अलौल में से किसी एक या अधिक के उत्परिवर्तन द्वारा प्रकट होता है। जितने अधिक अलील प्रभावित होगे उतनी ही कम मात्रा में अल्फा हीमोग्लोबिन संश्लेषित होगा। बीटा - थैलेसीमिया 11वें क्रोमोसोम पर स्थित एकल जीन द्वारा नियन्त्रित होता है तथा इस जीन के एक अथवा दोनों अलील के त्रुटिपूर्ण होने के कारण होता है।
लक्षण (Symptoms): हीमोग्लोबिन की अल्फा या बीटा श्रृंखलाओं के संश्लेषण की दर में कमी के कारण त्रुटिपूर्ण हीमोग्लोबिन का निर्माण होता है, जिससे रक्ताल्पता (anaemia) की स्थिति उत्पन्न होती है, यह इस रोग का प्रमुख लक्षण है। इसे हीमोलिटिक एनीमिया (Haemolytic anaemia) कहते हैं। अन्य लक्षण हैं - थकान, साँस फूलना, पीलिया, तिल्ली का बढ़ जाना आदि। थैलेसीमिया में हीमोग्लोबिन बनाने वाली प्रोटीन श्रृंखलाओं के संश्लेषण दर में कमी आती है फलस्वरूप कम हीमोग्लोबिन का निर्माण हो पाता है। अत: यह परिमाणात्मक (quantitative problem) समस्या है। दात्र कोशिका अरक्तता या सिकेल सैल एनीमिया में हीमोग्लोबिन संश्लेषित तो पूरी मात्रा में होता है पर यह विकृत (abnormal) होता है। अतः यह गुणात्मक समस्या (qualitative problem) हैं।
(b) माता वाहक (XXb), पिता सामान्य (XY)
प्रश्न 4.
मेण्डल के एक संकर प्रयोग को समझाइए। इस प्रयोग के आधार पर प्रतिपादित विषय लिखिए। प्रयोग का पुनेटवर्ग का उपयोग करते हुए चित्र बनाइए।
उत्तर:
एक संकर क्रॉस (Monohybrid Cross) ऐसा क्रॉस है जिसमें एक समय में एक जीन के दो विपर्यासी विभेदकों (traits) की वंशागति का अध्ययन किया जाता है। इसके तीन पद (steps) हैं।
शुद्ध प्रजननी जनकों का चयन, मटर के पौधे की लम्बाई के लक्षण के दो विभेदकों लम्बा व बौने शुद्ध प्रजननी जनकों का चयन।
इनके बीच संकरण (hybridization) तथा F1 का निर्माण।
F1 के पौधों के स्वपरागण से F2 पीढ़ी का निर्माण।
लम्बाई को T तथा बौनेपन के लिए t प्रतीकों का चयन करने पर जनकों के अलील होंगे-
मेण्डल के प्रभाविता के नियम के अनुसार एक जोड़ा विपर्यासी विभेदकों में अन्तर रखने वाले दो शुद्ध प्रजननी पौधों में संकरण कराने पर F1 पीढ़ी में केवल एक जनक के लक्षण प्रकट होते हैं। यह विभेदक प्रभावी तथा दूसरा जो F1 पौड़ी में छिपे रूप में रहता है, अप्रभावी होता है। मेण्डल का प्रभाविता का नियम F2 में अप्रभावी लक्षणों के पुनः प्रकट होने की भी व्याख्या करता है तथा कारकों की विच्छिन्न (discrete) प्रकृति स्पष्ट करता है।
प्रश्न 5.
सहप्रणाविता किसे कहते हैं। इसे मानव में कथित वर्ग निर्धारण के द्वारा समझाइए। तालिका द्वारा मानव जनसंख्या में रुधिर वर्गों का आंशिक आधार दर्शाइए।
उत्तर:
क्लाइनफेल्टर सिन्ड्रोम (Klinefelter's Syndrome):
इस आनुवंशिक रोग का कारण लिंग क्रोमोसोम X की एक अतिरिक्त प्रति का उपस्थित होना है, अतः रोगी व्यक्ति में लिंग क्रोमोसोम XXY होते हैं। फलस्वरूप कुल क्रोमोसोम की संख्या 46 के बजाय 47 हो जाती है। पीड़ित व्यक्ति की कद - काठी पुरुषों के समान होती है लेकिन यह गाएनेकोमैस्टिया (Gynaecomastia) प्रदर्शित करते हैं अर्थात इनके स्तन महिलाओं के समान उभरे होते हैं। इस सिन्ड्रोम से पीड़ित व्यक्ति बंध्य (sterile) होते हैं।
प्रश्न 6.
मेण्डल ने 'पीले एवं गोल' बीज वाले समयुग्मजी मटर के एक पौधे का 'हरे एवं झुरींदार' बीज वाले एक अन्य मटर के पौधे के साथ संकरण किया। उसने पाया कि F2 पीढ़ी की कुछ समष्टियों में जनक अभिलक्षणों के नए संयोजन परिलक्षित हो रहे हैं। जनक पौधों के अभिलक्षणों की F2 संतति में नए संयोजन के आविर्भाव की व्याख्या आप किस प्रकार करेंगे? पुनेट वर्ग की सहायता से अपने उत्तर का समर्थन कीजिए।
उत्तर:
दो जीनों की वंशागति (Inheritance of Two Genes)
मेण्डल ने संकरणों की एक दूसरी शृंखला भी प्रारम्भ की जिसमें शुद्ध प्रजननी पौधे (True breeding plants) दो विशेषकों (traits) में भिन्नता प्रदर्शित करते थे। इस प्रकार का संकरण जिसमें दो जौनों के, दो जोड़े कारकों/अलील की वंशागति का अध्ययन किया जाता है द्विसंकर संकरण (Dihybrid Cross) कहलाता है। मेण्डल ने ऐसे प्रयोग में मटर की ऐसी दो शुद्ध प्रजननी किस्मों को जनक के रूप में चुना जो दो लक्षणों (characters) में भिन्नता प्रदर्शित करती थीं।
मेण्डल ने इस संकरण में पहले जनक के रूप में ऐसा पौधा चुना जिसके बीजों का आकार गोल व रंग पीला था। इसी प्रकार दूसरे जनक के रूप में वह पौधा चुना जिसके बीजों का आकार अरींदार तथा रंग हरा था। इन शुद्ध प्रजननी पौधों ने जनक पौढ़ी (Parental Generation) के रूप में कार्य किया। इनके संकरण से F1 पीढ़ी तैयार की गई जिसके सभी बीजों का आकार गोल व रंग पीला था। चूंकि F1 पीढ़ी में हमेशा प्रभावी लक्षण प्रकट होते हैं अतः यह निष्कर्ष आसानी से निकाला जा सकता है कि बीजों के आकार में बीज का गोल (round) होना तथा बीजों के रंग में पीला (yellow) रंग प्रभावी लक्षण हैं। यह परिणाम, पीले रंग के बीज व हरे रंग के बीज तथा गोल बीज व झुरदार बीजों वाले पौधों के बीच अलग - अलग किए एक संकर संकरण के परिणामों के समान ही थे। प्रतीक Y को बीजों के प्रभावी पीले रंग के लिए तथा y को अप्रभावी हरे रंग के लिए, R को बीजों के गोल आकार के लिए तथा r को झुरींदार आकार के लिए प्रयोग करने पर जनक पौधे का जीनोटाइप निम्न प्रकार होगा (यहाँ यह याद रखना आवश्यक है कि प्रत्येक लक्षण के लिए किसी भी जीव में जीन की दो प्रतियाँ (अलील) होती हैं, अत: पीले रंग को केवल Y द्वारा तथा हरे रंग को केवल y द्वारा प्रदर्शित करने की भूल न करे। चूंकि दोनों जनक समयुग्मकी (homozygous) हैं अत: यह संकरण के समय एक ही प्रकार के युग्मक बनाएंगे। गोल पीले बीज वाले पौधे के युग्मक RY प्रकार के तथा झुरींदार व हरे पौधे के युग्मक ry प्रकार के होंगे। युग्मक बनते समय अलील का पृथक्करण हो जाता है।
निषेचन के समय युग्मक संलयित होकर F1 संकर का निर्माण करेंगे जिसका जीनोटाइप RrYy होगा। चूँकि R, T के ऊपर प्रभावी है तथा Y, y के ऊपर प्रभावी है अत: F1 संकरों का फीनोटाइप गोल व पीले रंग का होगा। मेण्डल ने F1 पौधों को स्व - परागण के लिए छोड़ा। F2 पीढ़ी में दो प्रकार के परिणामों की सम्भावना थी।
F1 पीढ़ी के पौधों में स्वपरागण कराने पर मेण्डल को रोचक परिणाम प्राप्त हुए। संतति में जनकों के समान न केवल गोल पीले व शरीदार हरे बीज वाले पौधे प्राप्त हुए बल्कि नये संयोजन गोल - हरे व झुरौंदार पीले बौज वाले पौधे भी बने। अतः दूसरी परिकल्पना सही सिद्ध हुई।
मेण्डल को इस संकरण में F2 पीढ़ी में निम्न अनुपात प्राप्त हुआ-
यह (dihybrid cross) का फीनोटाइप अनुपात है।
द्विसंकर संकरण के परिणामों के आधार पर मेण्डल ने स्वतन्त्र अपव्यूहन का सिद्धान्त प्रतिपादित किया।
स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम (Law of Independent Assortment): “जब किसी संकर में विशेषकों के दो जोड़े संयोजित हों तब युग्मक निर्माण के समय किसी लक्षण के दोनों कारकों (अलील) का पृथक्करण दूसरे लक्षण के कारकों से स्वतन्त्र होता है"।
या
"दो जीनों की वंशागति में प्रत्येक जीन के दोनों अलील युग्मक निर्माण के समय, दूसरी जीन के दोनों अलीलों से स्वतन्त्र रूप से पृथक तथा युग्मकों के संलयन में स्वतन्त्र रूप से पुनर्व्यवस्थित होते हैं। RrYy पौधों में अण्ड कोशिका व नर युग्मक के बनने के लिए हुए अर्धसूत्री विभाजन के समय जीन के दो जोड़ों के स्वतन्त्र पृथक्करण या विसंयोजन को पनेट वर्ग के प्रयोग द्वारा समझा जा सकता है।
जीन के एक जोड़े R व r के पृथक्करण के समय 50 प्रतिशत युग्मकों में जीन R तथा शेष 50 प्रतिशत में जीन होगा। अब R या r के साथ - साथ इसमें Y या y भी होना चाहिए। यहाँ महत्त्वपूर्ण यह है कि 50 प्रतिशत R व 50 प्रतिशत का r पृथक्करण 50 प्रतिशत Y तथा 50 प्रतिशत y के पृथक्करण से स्वतंत्र है। अत: r धारण करने वाले 50 प्रतिशत युग्मकों में न होगा तथा दूसरे 50 प्रतिशत युग्मकों में y। इस प्रकार 4 जीनोटाइप वाले युग्मक बनेंगे (4 प्रकार के नर युग्मक व 4 प्रकार के अण्ड)। यह चार प्रकार है RY, Ry, rY तथा ry. इनमें से प्रत्येक की आवृत्ति कुल युग्मका का आवृत्ति का 25 प्रतिशत या 1/4 होगी। पनेट वर्ग के दो तरफ चार प्रकार के अण्ड व 4 प्रकार के नर युग्मक लिखने पर F2 पीढ़ी में बनने वाले युग्मनज का जीनोटाइप लिखना सहज हो जाता है। इन 16 खानों में बनने वाले जीनोटाइप व फीनोटाइप को चित्र में दिखाया गया है। इन्हें नीचे दिए फामेंट में भी लिख सकते हैं।
पुनेट वर्ग के आँकड़ों से F2 में जीनोटाइप अनुपात भी प्राप्त किया जा सकता हैं।
फीनोटाइप अनुपात की व्याख्या: दोनों लक्षणों के बीजों की वंशागति का अलग - अलग अध्ययन कराने पर
बीज का रंग (Seed Colour) पीले (9 + 3 = 12), हरे (3 + 1 = 4) = 12 : 4 = अनुपात 3 : 1
बीज का आकार (Seed Shape) गोल (9 + 3 = 12), झुरौंदार (3 + 1 = 4) = 12 : 4 = अनुपात 3 : 1
प्रत्येक लक्षण का परिणाम एकल संकर अनुपात के समान है।
मेण्डल ने मटर पर किये गए अपने शोध को 1866 में एक शोध पत्रिका "द प्रोसीडिंग्स ऑफ द बून नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी" (The proceeding of the Brunn Natural History Society) में प्रकाशित किया था लेकिन दुर्भाग्यवश मेण्डल का कार्य सन् 1900 तक उपेक्षित रहा। इसके निम्न कारण थे-
बहुविकल्पीय प्रश्न (प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्न सहित)
प्रश्न 1.
दो जीन जो 50% पुनर्योगज आवृति दर्शाती हैं, उनके लिए निम्नलिखित कथनों में से कौन - सा कथन सत्य नहीं है?
(a) जीन भिन्न गुणसूत्रों पर स्थित हो सकती हैं
(b) जीन मजबूती से संयोजी हैं
(c) जीन स्वतन्त्र अपव्यूहन दिखाती है
(d) यदि जीन एक ही गुणसूत्र पर विद्यमान है तो ये प्रत्येक अर्धसूत्री विभाजन में एक से अधिक बार विनियमित होती है।
उत्तर:
(b) जीन मजबूती से संयोजी हैं
प्रश्न 2.
ऐसे संकरण के द्वारा कौन - सा वंशागति प्रकार प्रदर्शित होता है जिसमें F1 पीढ़ी दोनों ही जनकों से मिलती है-
(a) अपूर्ण प्रभाविता
(b) प्रभाविता का नियम
(c) एक जीन की वंशागति
(d) सह प्रभाविता
उत्तर:
(d) सह प्रभाविता
प्रश्न 3.
हीमोफीलिया के बारे में गलत कथन कौन - सा है?
(a) यह एक लिंग सहलग्न रोग है
(b) यह एक अप्रभावी रोग है
(c) यह एक प्रभावी रोग है
(d) रुधिर स्कन्दन में निहित केवल एक प्रोटीन प्रभावित होती है
उत्तर:
(c) यह एक प्रभावी रोग है
प्रश्न 4.
यदि दोनों ही जनक थैलेसीमिया, जो एक अलिंगसूत्री अप्रभावी विकार है के लिए वाहक है तो गर्भ के रूप में प्रभावित बच्चा धारण करने की क्या सम्भावनाएँ हैं?
(a) कोई सम्भावना नहीं है
(b) 50%
(c) 25%
(d) 100%
उत्तर:
(c) 25%
प्रश्न 5.
उत्परिवर्तनों के सन्दर्भ में कौन - सा कथन गलत है-
(a) क्षारक युग्मों के विलोपन तथा निवेशन होने से फ्रेम शिफ्ट उत्परिवर्तन होते है
(b) कैंसर कोशिकाओं में साधारण गुणसूत्रों में विपथगमन हुआ देखा जाता है
(c) UV तथा गामा किरणें उत्परिवर्तनजनी होती है
(d) DNA के अकेले एक ही बेस जोड़े में परिवर्तन होने से उत्परिवर्तन नहीं होता है
उत्तर:
(d) DNA के अकेले एक ही बेस जोड़े में परिवर्तन होने से उत्परिवर्तन नहीं होता है
प्रश्न 6.
डाउन सिन्ड्रोम का कारण निम्नलिखित में से किस गुणसूत्र की त्रिसूत्रता है?
(a) 6 वां
(b) नौवां
(c) इक्कीसवाँ
(d) तेईसवाँ
उत्तर:
(c) इक्कीसवाँ
प्रश्न 7.
क्लाइन फैल्टर के संलक्षण से पीड़ित व्यक्ति में नहीं होता है-
(a) एक नर का रंग रूप
(b) 46 गुणसूत्र
(c) लघुवृषण
(d) गाइनेकोमेस्टिया।
उत्तर:
(b) 46 गुणसूत्र
प्रश्न 8.
एक हीमोफीलियाग्रस्त पुरुष की शादी एक सामान्य स्त्री से होती है। उनके पुत्र के हीमोफीलियाग्रस्त होने की कितनी सम्भावना है-
(a) 100%
(b) 75%
(c) 50%
(d) 0%
उत्तर:
(d) 0%
प्रश्न 9.
निम्न में से कौन - सा एक लिंग सहलग्न रोग है?
(a) ल्यूकेमिया
(b) फीनाइल कीटोन्यूरिया
(c) वर्णान्धता
(d) डाउन सिन्ड्रोम।
उत्तर:
(c) वर्णान्धता
प्रश्न 10.
कोडोन GUG किस अमीनो अम्ल को कोड करता है?
(a) ग्लूटेमिक अम्ल
(b) फिनाइल एलेनीन
(c) वेलीन
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(c) वेलीन
प्रश्न 11.
मक्का में द्विगुणित क्रोमोसोम संख्या 20 है इसमें सहलग्नता समूह होंगे-
(a) 10
(b) 20
(c) 30
(d) 40
उत्तर:
(a) 10
प्रश्न 12.
निम्न में से किस रोग से पीड़ित में क्रोमोसोम की संख्या 45 होती-
(a) डाउन सिन्ड्रोम
(b) क्लाइनफेल्टर सिन्ड्रोम
(c) एडवई सिन्ड्रोम
(d) टर्नर सिन्ड्रोम।
उत्तर:
(d) टर्नर सिन्ड्रोम।
प्रश्न 13.
क्लाइने फेल्टर सिन्ड्रोम बनाने वाले अण्ड में क्रोमोसोम की संख्या होगी-
(a) 21
(b) 22
(c) 23
(d) 24
उत्तर:
(d) 24
प्रश्न 14.
निम्न में से कौन - सा अलिंगसूत्री प्रभावी रोग है?
(a) फीनाइल कीटोन्यूरिया
(b) सिकेल सैल एनीमिया
(c) सिस्टिक फाइब्रोसिस
(d) मायोटोनिक डिस्ट्राफी।
उत्तर:
(d) मायोटोनिक डिस्ट्राफी।
प्रश्न 15.
निम्न में से कौन - सा नियम मेण्डल ने प्रस्तावित नहीं किया था?
(a) प्रभाविता
(b) अपूर्ण प्रभाविता
(c) पृथक्करण का नियम
(d) स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम।
उत्तर:
(b) अपूर्ण प्रभाविता
प्रश्न 16.
अपूर्ण प्रभाविता का उदाहरण है-
(a) मटर में फूलों का रंग।
(b) एंटीराइनम में फूलों का रंग
(c) ड्रोसोफिला में आँख का रंग
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(b) एंटीराइनम में फूलों का रंग
प्रश्न 17.
निम्न में से कौन - सा बहुअलील के कारण होता है?
(a) फिनाइल कीटोन्यूरिया
(b) हीमोफीलिक
(c) रक्त समूह
(d) सिकेल सैल एनीमिया।
उत्तर:
(c) रक्त समूह
प्रश्न 18.
निम्न में से किस नियम को युग्मकों की शुद्धता के नियम के नाम से भी जाना जाता है?
(a) प्रभाविता का नियम
(b) पृथक्करण का नियम
(c) स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम
(d) बहु अलील का नियम।
उत्तर:
(b) पृथक्करण का नियम
प्रश्न 19.
दो लक्षणों के लिए विषमयुग्मजी F1 जीव का दोनो अप्रभावी लक्षणों वाले जीव से संकरण कराने पर सन्तति का फीनोटिपिक अनुपात होगा।
(a) 9 : 3 : 3 : 1
(b) 1 : 2 : 1
(c) 1 : 1 : 1 : 1
(d) 9 : 7
उत्तर:
(c) 1 : 1 : 1 : 1
प्रश्न 20.
एक ही जीन के अलील मिलते हैं-
(a) एक ही क्रोमोसोम पर
(b) समजात क्रोमोसोम पर
(c) X व Y क्रोमोसोम पर
(d) उपर्युक्त सभी पर।
उत्तर:
(b) समजात क्रोमोसोम पर
प्रश्न 21.
संकरण के समय पुष्प की कलिका से पुंकेसर का अलग करना कहलाता है-
(a) विपुंसन
(b) बैगिंग
(c) रेसीप्रोकल क्रॉस
(d) पर परागण।
उत्तर:
(a) विपुंसन
प्रश्न 22.
मोर्गन ने आनुवंशिकी का अध्ययन किया-
(a) मटर पर
(b) इवनिंग प्रिमरोज पर
(c) ड्रोसोफिला पर
(d) न्यूरोस्पोरा पर।
उत्तर:
(c) ड्रोसोफिला पर
प्रश्न 23.
मेण्डल के नियमों की पुनः खोज व वंशागति का गुणसूत्रीय सिद्धान्त जीव विज्ञान की किस शाखा में हुई विशेष प्रगति से सम्भव हो सके?
(a) पारिस्थितिकी
(b) कोशिका विज्ञान
(c) वर्गिको
(d) जैव विकास।
उत्तर:
(b) कोशिका विज्ञान
प्रश्न 24.
फ्रेम शिफ्ट म्यूटेशन से होने वाला रोग है-
(a) थैलेसीमिया
(b) डाउन सिन्ड्रोम
(c) क्लाइनफेल्टर सिन्ड्रोम
(d) टर्नर सिन्ड्रोम।
उत्तर:
(a) थैलेसीमिया
प्रश्न 25.
मेण्डल किस पर कार्य करने के लिए प्रसिद्ध है?
(a) पाइसम
(b) ड्रोसोफिला
(c) न्यूरोस्पोरा
(d) ओइनोथीरा।
उत्तर:
(a) पाइसम
प्रश्न 26.
सन् 1900 में तीन जीववैज्ञानिकों ने पृथक रूप से मेण्डल के सिद्धान्तों की पुनः खोज की, वे है-
(a) डी ब्रीज,कोरेन्स व शेरमॉक
(b) सटन, मोर्गन और ब्रिजेज
(c) एबरी, मैकलियाड व मैककार्टी
(d) बेटसन,पुनेट व ब्रिजेज।
उत्तर:
(a) डी ब्रीज,कोरेन्स व शेरमॉक
प्रश्न 27.
F1 द्विसंकर के स्वपरागण से F2 सन्तति में कितने प्रकार के जीनोटाइप बनते हैं?
(a) 6
(b) 3
(c) 9
(d) 4
उत्तर:
(c) 9
प्रश्न 28.
पादप जिसका जीनोटाइप AABbCC है उससे कितने प्रकार के युग्मक बनेंगे?
(a) 9
(b) 2
(c) 3
(d) 4
उत्तर:
(b) 2
प्रश्न 29.
मेण्डल ने मटर की फली में कितने विपरीत लक्षणी गुणों को चुना-
(a) 2
(b) 3
(c) 4
(d) 7
उत्तर:
(d) 7
प्रश्न 30.
Rr ,Yy जीनोटाइप से किस प्रकार के युग्मक बनेंगे?
(a) RY, Ry rY, ry
(b) RY, Ry ry, ry
(c) Ry, RyYy,ry
(d) Rr, RR, Yy, YY
उत्तर:
(a) RY, Ry rY, ry
प्रश्न 31.
मटर के पौधे में पीले बीज हरे बीजों पर प्रभावी होते है। यदि एक विषमयुग्मजी पीले बीज वाले पौधे का एक हरे बीज वाले पौधे के साथ संकरण किया जाय तो पीढ़ी में पीले और हरे बीज वाले पौधों का क्या अनुपात होगा?
(a) 1 : 1
(b) 9 : 1
(c) 1 : 3
(d) 3 : 1
उत्तर:
(a) 1 : 1
प्रश्न 32.
एक जीव जिसमें दो समरूप युग्मविकल्पी हैं एक दिए हुए विशेषक (trait) के लिए है-
(a) समयुग्मजी
(b) विसंयोजनी
(c) प्रभावी
(d) उभयलिंगी।
उत्तर:
(a) समयुग्मजी
प्रश्न 33.
द्विसंकर क्रॉस के F2 पीढ़ी में शुद्ध समयुग्मकी (Pure homozygous) सन्तति होगी-
(a) \(\frac{1}{2}\)
(b) \(\frac{1}{4}\)
(c) \(\frac{1}{8}\)
(d) \(\frac{1}{16}\)
उत्तर:
(c) \(\frac{1}{8}\)
प्रश्न 34.
विसंकर परीक्षार्थ संकरण का 1 : 1 : 1 : 1 अनुपात सिद्ध करता है कि-
(a) जीन सहलग्नता प्रदर्शित करते हैं
(b) जीन एक ही क्रोमोसोम पर स्थित हैं
(c) जीन सहलग्न नही हैं
(d) क्रॉसिंग ओवर त्रुटिपूर्ण है।
उत्तर:
(c) जीन सहलग्न नही हैं
प्रश्न 35.
ड्रोसोफिला में कितने जोड़ी क्रोमोसोम पाये जाते हैं?
(a) 4
(b) 5
(c) 12
(d) 24
उत्तर:
(a) 4
प्रश्न 36.
सहलग्नता से किसकी आवृत्ति कम हो जाती है?
(a) जनकीय रूप
(b) पुनर्सयोजन
(c) क्रॉसिंग ओवर
(d) नर युग्मक।
उत्तर:
(b) पुनर्सयोजन
प्रश्न 37.
पिता का रक्त समूह AB तथा माता का रक्त समूह ०है। इनके बच्चों में कौन - से रक्त समूह होने की सम्भावना है?
(a) A या B
(b) केवल A
(c) B या O
(d) केवल B
उत्तर:
(a) A या B
प्रश्न 38.
डाउन सिन्ड्रोम में नर शिशु के लिंग क्रोमोसोम होंगे-
(a) XY
(b) XXY
(c) XO
(d) XX
उत्तर:
(a) XY
प्रश्न 39.
निम्न चित्र में किस तरह का विकार दिखाया गया है?
(a) प्रभावी
(b) अप्रभावी
(c) X लिंग सहलग्न
(d) आँकड़े अपूर्ण हैं।
उत्तर:
(b) अप्रभावी
HOTS : Higher Order Thinking Skill
प्रश्न 1.
परीक्षार्थ संकरण में अज्ञात जीनोटाइप वाले प्रभावी जीव का संकरण समयुग्मजी आप्रभावी जीव से ही क्यों कराया जाता है? क्यों हम इसके लिए समयुग्मजी प्रभावी जीव जैसे TT प्रयोग नहीं करते?
उत्तर:
परीक्षार्थ संकरण में TT जैसे समयुग्मजी जीव प्रयोग करने पर हमेशा सभी (100%) सन्तति प्रभावी लक्षण वाली ही होगी। अतः पता नहीं लग पायेगा कि अज्ञात जीनोटाइप वाला जीव समयुग्मजी है या विषमयुग्मजी। अप्रभावी समयुग्मजी जीव प्रयोग करने पर एक विषमयुग्मजी प्रभावी 50% प्रभावी फीनोटाइप व 50% अप्रभावी फीनोटाइप सन्तति उत्पन्न करेगा। अतः पता लगाया जा सकता है कि अज्ञात जीनोटाइप वाला प्रभावी जीव समयुग्मजी है या विषम युग्मजी।
प्रश्न 2.
क्रोकस प्रजाति में द्विगुणित क्रोमोसोम संख्या 6 (2n = 6) है। इसके परागकण में उपस्थित विभिन्न क्रोमोसोम संयोजनों की गणना कीजिए।
उत्तर:
क्रोमोसोम के विभिन्न संयोजनों की सूत्र 2n से गणना की जाती है जहाँ n क्रोमोसोम की अगुणित संख्या है। क्रोकस में अगुणित क्रोमोसोम संख्या 3 है। अत: विभिन्न क्रोमोसोम संयोजनों की संख्या होगी 23 =8
प्रश्न 3.
नीचे दिया गया चित्र एक जोड़ा क्रोमोसोम पर स्थित 12 अलील के जीन स्थल (gene loci) प्रदर्शित कर रहा है। सैण्ट्रोमियर से उनकी आपेक्षिक दूरी को दिखाया गया है।
(a) चित्र में दिखाए क्रोमोसोम के वर्णन के लिए क्या शब्द प्रयोग किया जाता है। (यह किस प्रकार के क्रोमोसोम है)?
(b) किन जीन स्थलों के बीच क्रॉसिंग ओवर की सम्भावना सबसे अधिक होती है?
उत्तर:
(a) समजात क्रोमोसोम (Homologous Chromosome)
(b) शरीर का रंग (जैसे पीला शरीर/भूरा शरीर) तथा पंखों के आकार के बीच।
प्रश्न 4.
फीनाइलकीटोन्यूरिया की वंशागति के तरीके का अध्ययन निम्न चित्र से करें-
(a) इसका क्या प्रमाण है कि PKV एक अप्रभावी जीन द्वारा नियन्त्रित होता है।
(b) इसका क्या प्रमाण है कि PKV एक लिंग सहलग्न (sex linked) रोग नहीं है।
उत्तर:
(a) दम्पति 1 या 2 बाह्य रूप से (फीनोटाइप) सामान्य है लेकिन इनकी एक पुत्री प्रभावित (affected) है। अगर जीन प्रभावी हो तो कम से कम एक जनक प्रभावित जरूर होता। इस जीन को स्वतः उत्परिवर्तन जन्य (mutated) भी नहीं माना जा सकता क्योंकि परिवार का 3 नम्बर का व्यक्ति इससे प्रभावित है (अर्थात रोग परिवार में है)।
(b) 4 नम्बर वाली लड़की प्रभावित है, जिसके माता - पिता बाह्य रूप से सामान्य हैं। रोग को अप्रभावी मानने पर इसके माता - पिता में रोग के जीन की एक - एक प्रति होनी चाहिए। अगर यह रोग लिंग सहलग्न होता तो पिता इससे प्रभावित होना चाहिए था क्योंकि Y क्रोमोसोम X क्रोमोसोम के समजात नहीं होता व इस पर केवल लिंग सम्बन्धी जीन पाई जाती है। पिता पुत्री को X क्रोमोसोम का योगदान करता है।
प्रश्न 5.
निम्न में से कौन - सा युग्मक का व कौन - सा जीव का जीनोटाइप प्रदर्शित कर रहा है? क्यों?
(a) TYI
(b) GGPP
(c) RWPI
(d) TT
उत्तर:
(a) युग्मक
(b) जीव
(c) युग्मक
(d) जीव
किसी भी जीव में जीन के दो अलील उपस्थित होते हैं जबकि युग्मकों में जीन की केवल एक प्रति होती है।
प्रश्न 6.
अगर किसी स्त्री व उसकी बेटी को PKU (फिनाइलकीटोन्यूरिया) रोग है लेकिन पुत्र रोगी नहीं है, पिता का जीनोटाइप क्या होगा?
उत्तर:
पिता विषमयुग्मजी (heterozygous) होगा। बेटी ने पिता से रोग का अलील प्राप्त किया होगा। चूंकि दूसरी सन्तान सामान्य है अत: पिता का विषमयुग्मजी होना आवश्यक है। PKV एक ऑटोसोमल आप्रभावी रोग है।
प्रश्न 7.
पैत्रिकता सम्बन्धी विवाद में अगर किसी मनुष्य का रक्त समूह AB है तो वह किस रक्त समूह के बच्चे का पिता नहीं हो सकता।
उत्तर:
O रक्त समूह।
प्रश्न 8.
चित्र में एक व्यक्ति का कैरियोटाइप दिखाया गया है, इसे देखकर बताइये कि यह व्यक्ति किस रोग से पीड़ित है?
उत्तर:
डाउन सिन्ड्रोम। 21 वें क्रोमोसोम की त्रिगुणिता (trisomy)।
NCERT EXEMPLAR PROBLEMS
प्रश्न 1.
एक ही क्रोमोसोम पर स्थित सभी जीन-
(a) अपनी आपेक्षिक दूरी के अनुसार विभिन्न समूह बनाती हैं
(b) एक सहलग्नता समूह बनाती हैं
(c) कोई संलग्नता समूह नहीं बनाती
(d) परस्पर क्रिया प्रदर्शित करने वाले समूह बनाते हैं
उत्तर:
(b) एक सहलग्नता समूह बनाती हैं
प्रश्न 2.
केरियोटाइप की 2n \(\pm\) 1 या 2n \(\pm\) 2 अवस्था कहलाती है-
(a) असुगुणिता (Aneuploidy)
(b) बहुगुणिता (Polyploidy)
(c) पर - बहुगुणिता (Allopolyploidy)
(d) एकसूत्रता (Monosomy)।
उत्तर:
(a) असुगुणिता (Aneuploidy)
प्रश्न 3.
जीनों के बीच की दूरी व पुनर्सयोजनों की आवृति प्रदर्शित करती-
(a) एक सीधा सम्बन्ध
(b) एक व्युत्क्रम सम्बन्ध
(c) एक समानान्तर सम्बन्ध
(d) कोई सम्बन्ध नहीं।
उत्तर:
(a) एक सीधा सम्बन्ध
प्रश्न 4.
अगर एक आनुवंशिक रोग एक बाय रूप से सामान्य किन्त वाहक स्त्री से केवल कुछ नर सन्तति में संचरित होता है, रोग है-
(a) ऑटोसोमल प्रभावी
(b) ऑटोसोमल अप्रभावी
(c) लिंग सहलग्न प्रभावी
(d) लिंग सहलग्न अप्रभावी।
उत्तर:
(d) लिंग सहलग्न अप्रभावी।
प्रश्न 5.
सिकेल सैल एनिमिया में हीमोग्लोबिन की बीटा श्रृंखला में ग्लूटेमिक अम्ल, वेलीन द्वारा प्रतिस्थापित हो जाता है। निम्न में से कौन - सा त्रिक (triplet) वेलीन को कोड करता है?
(a) GGG
(b) AAG
(c) GAA
(d) GUG.
उत्तर:
(d) GUG.
प्रश्न 6.
व्यक्ति जिसका जीनोटाइप IA IB है, AB रक्त समूह प्रदर्शित करता है। यह किसके कारण है?
(a) प्लियोट्रॉपी
(b) सहप्रभाविता
(c) पृथक्करण
(d) अपूर्ण प्रभाविता।
उत्तर:
(b) सहप्रभाविता
प्रश्न 7.
ZZ / ZW प्रकार का लिंग निर्धारण पाया जाता है-
(a) प्लेटीपस में
(b) घोंघों में
(c) कॉकरोच में
(d) मोर में।
उत्तर:
(d) मोर में।
प्रश्न 8.
दो लम्बे पौधों के बीच क्रॉस से ऐसी सन्तति बनी जिसमें कुछ बौने पौधे थे। दोनों जनकों (parents) का जीनोटाइप क्या होगा?
(a) TT व Tt
(b) Tt व Tt
(c) Tt व tt
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(b) Tt व Tt
प्रश्न 9.
एक विसंकर क्रॉस में अगर 9 : 3 : 3 : 1 का फीनोटाइप अनुपात प्राप्त हुआ तो यह बताता है कि-
(a) दो जोन के अलील एक - दूसरे से पारस्परिक क्रिया कर रहे हैं
(b) यह बहुजीनी वंशागति है
(c) यह बहुअलील का उदाहरण है
(d) दो जीन के अलील स्वतन्त्र रूप से पृथक हो रहे हैं।
उत्तर:
(d) दो जीन के अलील स्वतन्त्र रूप से पृथक हो रहे हैं।
प्रश्न 10.
मेण्डल का स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम उन जीनों के लिए सही है जो स्थित होते हैं-
(a) असमजात क्रोमोसोम पर
(b) समजात क्रोमोसोम पर
(c) बाहा नाभिकीय आनुवंशिक पदार्थ पर
(d) उसी क्रोमोसोम पर।
उत्तर:
(a) असमजात क्रोमोसोम पर
प्रश्न 11.
कीटों के कुछ टेक्सॉन में कुछ में 17 क्रोमोसोम व कुछ अन्य में 18 क्रोमोसोम होते हैं। 17 व 18 क्रोमोसोम वाले यह जीव होते है-
(a) क्रमश: नर व मादा
(b) क्रमशः मादा व नर
(c) सभी नर
(d) सभी मादा।
उत्तर:
(a) क्रमश: नर व मादा
प्रश्न 12.
मनुष्यों की अनेक पीढ़ियों में किसी जीन की वंशागति का तरीका वंशावली विश्लेषण से अध्ययन किया जाता है। वंशावली विश्लेषण में अध्ययन किये लक्षण किसके समतुल्य है?
(a) मात्रात्मक विभेदक
(b) मेण्डेलियन विभेदक
(c) बहुजीनी विभेदक
(d) मातृ विभेदक।
उत्तर:
(b) मेण्डेलियन विभेदक
प्रश्न 13.
मेण्डल के विसंकर क्रॉस की F2 पीढ़ी में फीनोटाइप व जीनोटाइप की संख्या है-
(a) फीनोटाइप 4 जीनोटाइप 16
(b) फीनोटाइप 9 जीनोटाइप 4
(c) फीनोटाइप 4 जीनोटाइप 8
(d) फीनोटाइप 4 जीनोटाइप 9.
उत्तर:
(d) फीनोटाइप 4 जीनोटाइप 9.
प्रश्न 14.
किसी O रक्त समूह वाले व्यक्ति के माता व पिता का रक्त समूह क्रमशः A व B है। माता व पिता का जीनोटाइप क्या होगा?
(a) माता A रक्त समूह के लिए समयुग्मजी हैं तथा पिता B के लिए विषमयुग्मजी
(b) माता A रक्त समूह के लिए विषमयुग्मजी है तथा पिता B के लिए समयुग्मजी
(c) माता व पिता दोनों क्रमश: रक्त समूह A व B के लिए विषमयुग्मजी है
(d) माता व पिता दोनों क्रमशः रक्त समूह A व B के लिए समयुग्मजी है।
उत्तर:
(c) माता व पिता दोनों क्रमश: रक्त समूह A व B के लिए विषमयुग्मजी है
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
F1 की सन्तति व समयुग्मजी अप्रभावी जनक के बीच किया क्रॉस क्या कहलाता है? इसका क्या उपयोग है?
उत्तर:
परीक्षार्थ संकरण (Test cross)।
कोई प्रभावी फीनोटाइप वाला जीव विषमयुग्मजी है या समयुग्मजी यह परीक्षार्थ संकरण से ज्ञात किया जाता है।
प्रश्न 2.
नियन्त्रित पर परागण के विभिन्न चरणों की सूची बनाइये? क्या एक कुकरबिट में विपुंसन की आवश्यकता होगी? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर:
पर - परागण के चरण:
(a)
(b) नहीं, कुकरबिट में पुष्प एकालिंगी होते हैं
प्रश्न 3.
यह वंशावली चार्ट एक विशेष विभेदक (trait) को दर्शाता है जो जनकों में अनुपस्थित है तथा अगली पीढ़ी में दोनों लिंगों में उपस्थित। इस वंशावली के आधार पर इस विभेवक के बारे में अपना निष्कर्ष निकालिए।
उत्तर:
यह विभेदक अलिंगसूत्री (autosomal) व अप्रभावी (recessive) है। दोनों ही जनक वाहक (carrier) है। (अगर यह प्रभावी होता तो किसी - न - किसी जनक में उपस्थित होता) विषमयुग्मजी जनकों से यह दोनों लिंगों में पहुंचता है, अन्य सन्तति या तो सामान्य है या वाहक।
प्रश्न 4.
जीनों में किसी लक्षण को अभिव्यक्त करने की सूचना निहित होती है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
किसी जीव में उपस्थित जीन किसी उत्पाद के निर्माण द्वारा किसी लक्षण को दर्शाती है। यह प्रक्रिया अनुलेखन या ट्रांसक्रिप्शन (transcription) व अनुवाद या प्रोटीन संश्लेषण (translation) की मदद से सम्पन्न होती हैं।
प्रश्न 5.
किसी जीन के अलील कैसे भिन्न होते हैं? इसका महत्व बताइये।
उत्तर:
किसी जीन के अलील कुछ आनुवंशिक बदलावों की उपस्थिति के कारण एक - दूसरे से भिन्न होते हैं। जीन (DNA या कुछ विषाणुओं में RNA) मे यह बदलाव उत्परिवर्तन के कारण आते है। एक जीन के विभिन्न अलील जीव में विभिन्नताओं को जन्म देते है। यह विभिन्नताएँ जीव की उत्तरजीविता (survival) की सम्भावना बढ़ा देती है व जैव : विकास का आधार है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
किस प्रकार की वंशागति में एक संकर क्रॉस का F2 का जीनोटाइप व फीनोटाइप अनुपात समान होगा? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
किसी एक संकर (monohybrid) क्रॉस में अगर दोनों जनक प्रभावी व अप्रभावी लक्षणों के लिए समयुग्मजी हों तब F1 के संकर में केवल एक जनक के लक्षण स्पष्ट होंगे। लेकिन अपूर्ण प्रभाविता में परिणाम निम्न प्रकार होगे-
अत: अपूर्ण प्रभाविता (Incomplete dominance) में जीनोटाइप व फीनोटाइप अनुपात समान होता है।
प्रश्न 2.
किसी शुद्ध प्रजननी लाइन (True breeding line) के क्या लक्षण होते हैं?
उत्तर:
किसी शुद्ध प्रजननी लाइन (true breeding line) में किसी लक्षण विशेष की उपस्थिति पीढ़ी दर पीढ़ी बनी रहती है। अर्थात वह उस विभेदक (trait) के लिए शुद्ध होती है तथा समयुग्मजी (homozygous) होती हैं। जैसे लाल पुष्प वाले पौधों का पीढ़ी दर पीढ़ी लाल पुष्प वाले ही पौधे उत्पन्न करना इसके शुद्ध प्रजननी होने का लक्षण है।
प्रश्न 3.
डाउन सिन्ड्रोम क्या है इसका कारण व लक्षण बताइये कि माँ की रोने के बाद डाउन सिन्ड्रोम से पीड़ित बच्चा होने की सम्भावना अधिक क्यों होती हैं?
उत्तर:
डाउन सिन्ड्रोम मनुष्य का एक आनुवांशिक रोग है जो 21 वें क्रोमोसोम की त्रिसूत्रता (urisomy) के कारण होता है। अर्थात इसमें 21वें क्रोमोसोम की दो के बजाय तीन प्रतियाँ उपलब्ध होती हैं। अत: इस प्रकार के पीड़ित व्यक्ति असुगुणित (aneuploid) 2n +1 होते हैं जिससे उनमें क्रोमोसोम संख्या 47 होती है।
लक्षण: डाउन सिन्ड्रोम के प्रमुख लक्षण हैं मन्दबुद्धिता, प्रभावित या असामान्य वृद्धि, लगातार आंशिक रूप से खुला मुंह, गोल सिर व पलकों के किनारे झुके व हथेली की लाइन (Palm Crease) उभरी हुई। इसका कारण अण्ड के निर्माण के समय होने वाले अर्धसूत्री विभाजन में 21 वें समजात क्रोमोसोम जोड़े का पृथक न हो पाना अर्थात नॉन डिस्जंकशन (non disjunction) हैं। माँ के 40+ होने पर उसकी सम्भावना बढ़ने का कारण यह है कि किसी स्त्री में अण्डजनन की प्रक्रिया उसकी भूणावस्था में ही प्रारम्भ हो जाती है। अधिक आयु की कोशिकाएँ अनेक कारणों से क्रोमोसोमल विसंगतियों के लिए अधिक भेद्य या ग्राह्य (Vulnerable) होती हैं।
प्रश्न 4.
लाल - हरी वर्णान्धता की आवृत्ति पुरुषों में महिलाओं की अपेक्षा कई गुना अधिक क्यों होती है?
उत्तर:
लाल - हरी वर्णान्धता (red green colour blindness) एक X लिंग सहलग्न (X - Sex linked) अप्रभावी विकार है। अप्रभावी होने के कारण महिलाओं के विषमयुग्मजी होने पर यह प्रकट नहीं होता। महिलाओं में इसके प्रकट होने के लिए उनका समयुग्मजी (homozygous) होना आवश्यक है। ऐसा तभी हो सकता है जब उनकी माता वाहक या वर्णान्ध तथा पिता दोनों वर्णान्ध (colour blind) हो। दूसरी ओर पुरुषों में केवल एक X लिंग क्रोमोसोम होता है अतः यह अभिव्यक्त हो जाता है क्योंकि Y क्रोमोसोम इसके समजात नहीं होता।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
एक सामान्य दृष्टि वाली महिला जिसका पिता वर्णान्ध है, किसी सामान्य दृष्टि वाले पुरुष से विवाह करती है। उनके पुत्र, पुत्रियों के वर्णान्य होने की क्या प्रायिकता होगी? वंशावली चार्ट द्वारा अपने उत्तर को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सामान्य दृष्टि वाली महिला जिसका पिता वर्णान्ध है रोग की वाहक (carrier) होनी चाहिए क्योंकि पिता XcY निषेचन के समय पुत्री को Xc क्रोमोसोम का योगदान देता है। महिला का जीनोटाइप XX° होगा। पुरुष सामान्य है (कोई भी पुरुष वाहक नहीं होता) अतः उसका जीनोटाइप XY होगा। इनकी सन्तति में इस जीन की वंशागति को निम्न प्रकार प्रकट किया जा सकता है-
इसे वंशावली द्वारा निम्न प्रकार प्रदर्शित किया जा सकता है-