RBSE Class 12 Biology Important Questions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन

Rajasthan Board RBSE Class 12 Biology Important Questions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन Important Questions and Answers.

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RBSE Class 12 Biology Chapter 2 Important Questions पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन


अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. 
अनिषेकफल क्या है? 
उत्तर:
बिना निषेचन के विकसित हुए बीज रहित फल अनिषेकफल कहलाते है।

RBSE Class 12 Biology Important Questions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन

प्रश्न 2. 
किसी एक द्विबीजपत्री भ्रूणपोषी बीज का उदाहरण दें। 
उत्तर:
अरण्ड (Ricinus)।

प्रश्न 3. 
परागकणों को पराग बैंक में किस प्रकार रखा गया है। 
उत्तर:
परागकणों को द्रव नाइट्रोजन में - 196°C पर पराग बैंको में अनेक वर्षों तक जीवनक्षम बनाये रखा जाता है। 

प्रश्न 4. 
परागकणों को पराग बैंको में रखने की क्या उपयोगिता है? 
उत्तर:
पराग बैंकों में रखे पराग कण फसल प्रजनन कार्यक्रमों में प्रयोग में लाये जाते है। यह प्रजाति के संरक्षण में भी सहायक हैं। 

प्रश्न 5. 
कूट या आभासी फलों के दो उदाहरण दीजिए। 
उत्तर:
सेब, कटहल।

प्रश्न 6. 
उभयलिंगाश्रयी शब्द का अर्थ बताइये। 
उत्तर:
उभयलिंगाश्रयी (monoecious) वे पौधे हैं जिन पर एकलिंगी नर पुष्प व मादा पुष्प अलग - अलग लगे रहते हैं, जैसे मक्का। 

प्रश्न 7. 
गुरुबीजाणु मातृ कोशिका द्वारा गुरुबीजाणु जनन प्रक्रिया द्वारा चार गुरुबीजाणु क्यों बनाये जाते हैं? 
उत्तर:
गुरुबीजाणु मातृ कोशिका एक द्विगुणित कोशिका है यह गुरुबीजाणुजनन (अर्धसूत्री विभाजन) द्वारा अगुणित गुरुबीजाणु बनाती है, ताकि अगुणित युग्मकोद्भिद् बनाया जा सके। अर्धसूत्री विभाजन में एक द्विगुणित कोशिका से चार अगुणित कोशिकाएं बनती हैं।

प्रश्न 8. 
परागकण के बाह्य चोल में पाये जाने वाले कठोर, प्रतिरोधक कार्बनिक पदार्थ का नाम लिखिए। 
उत्तर:
स्पोरोपोलेनिन (sporopollenin)। 

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प्रश्न 9. 
पौधे के किस प्रकार के बदलाव पुष्पीय आय कलिका (floral primordia) निर्माण को प्रेरित करते हैं? 
उत्तर:
अनेक हार्मोनल व संरचनात्मक बदलाव पुष्पीय आद्य कलिका के निर्माण को प्रेरित करते हैं। 

प्रश्न 10. 
परागकोष भित्ति की उस परत का नाम लिखिए जिसकी कोशिकाएँ प्रायः द्विकेन्द्रकी हो जाती हैं। 
उत्तर:
टेपीटम।

प्रश्न 11. 
लघु बीजाणु चतुष्क की गुणिता (ploidy) क्या होगी? 
उत्तर:
अगुणित (haploid) 

प्रश्न 12. 
आवृतबीजियों के नर युग्मकोद्भिद को किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
परागकण। 

प्रश्न 13. 
परागकणों का अन्तःचोल किसका बना होता है? 
उत्तर:
परागकणों का अन्तःचोल (intine) सेल्यूलोज व पेक्टिन का बना होता हैं।

प्रश्न 14. 
परागकण की कौन - सी कोशिका बड़ी, प्रचुर खाद्य व अनियमित आकार के केन्द्रक वाली होती है? 
उत्तर:
वर्धा (कायिक) कोशिका। 

प्रश्न 15. 
आपको अरंड तथा सेम के बीच दिए गए हैं। भ्रूणपोष का अवलोकन करने के लिए आप इनमें से किसका चयन करेंगे?
उत्तर:
अरंड के बीज का। 

प्रश्न 16. 
चम्पा (Michelia) का जायांग किस प्रकार का होता है? 
उत्तर:
बहुअण्डपी (multicarpellary) व मुक्ताण्डपी (apocarpous)। 

प्रश्न 17. 
गेहूँ व धान के अण्डाशय में कितने बीजाण्ड होते हैं? 
उत्तर:
एका। 

प्रश्न 18. 
किसी अनुन्मील्य परागणी पौधे का नाम लिखिए। 
उत्तर:
कोमेलाइना (commelina)। 

प्रश्न 19. 
किस प्रकार के परागण वाले पौधे के पुष्पों में पंखवत् (feathery) वर्तिकान होता है? 
उत्तर:
वायु परागण प्रदर्शित करने वाले पौधों में। 

प्रश्न 20. 
एक लिंगी पुष्पों को धारण करने वाले एक ऐसे पौधे का नाम लिखिए जो ऑटोगैमी तो रोक सकता हो मगर जीटोनोगैमी नहीं, क्यों? 
उत्तर:
मक्का। क्योकि मक्का में पौधा उभयलिंगाश्रयी (Monoecious) होता है। चूंकि नर व मादा एकलिंगी पुष्प एक ही पौधे पर होते है अत: इनमें जीटोनोगैमी नहीं रोकी जा सकती। 

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प्रश्न 21. 
केले को अनिषेक फलन का एक अच्छा उदाहरण क्यों माना जाता है?
उत्तर:
केले को अनिषेक फलन (parrheno carpy) का अच्छा उदारहण माना जाता है क्योंकि यह बिना निषेचन के विकसित होता है तथा बीजरहित (seed less) होता है। 

प्रश्न 22. 
परागकण लम्बे समय तक संरक्षित क्यों रहते हैं?
उत्तर:
परागकणों का बाह्यचोल (exine) प्रतिरोधी पदार्थ स्पोरोपोलेनिन (sporopollenin) का बना होता है, जिससे उनका ताप, एंजाइम आदि से अपघटन नहीं हो पाता अत: वह संरक्षित बने रहते हैं। 

प्रश्न 23. 
जब आप नारियल पानी पीते हैं तो इस पौधे के लैंगिक जनन में बनने वाली किस रचना का सेवन करते हैं? 
उत्तर:
मुक्त केन्द्रकीय भ्रूणपोष (Free nuclear endosperm)। 

प्रश्न 24. 
भ्रूणीय अक्ष का मूलांकुर से ठीक ऊपर का भाग क्या कहलाता है? 
उत्तर:
बाजपत्राधार (Hypocotyl)। 

प्रश्न 25. 
संतरे व नींबू के बीज लैंगिक जनन से जुड़ी किस विशेषता को प्रदर्शित करते हैं? 
उत्तर:
बहुभ्रूणता।

प्रश्न 26. 
एक ऐसा परागकोष जिसमें टेपीटम ठीक से कार्य नहीं करता, अनेक बार स्वस्थ नर युग्मकोभिद उत्पन्न नहीं कर पाता। एक कारण बताइये।
उत्तर:
टेपीटम परागकोष भित्ति का सबसे भीतरी पोषक स्तर है जो लघुबीजाणुओं/परागकणों को उनके विकास के समय पोषण उपलब्ध कराता है। इसके ठीक से कार्य न करने पर परागकणों का उचित विकास नहीं होगा व उनकी बाह्य चोल ठीक से विकसित नहीं होगी। अत: स्वस्थ परागकण या नर युग्मकोद्भिद् विकसित नहीं होते। 

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प्रश्न 27. 
पार्थेनियम पादप से विकसित कौन - सी रचना मनुष्यों में एलर्जी रोग उत्पन्न करती है?
उत्तर:
परागकण। 

प्रश्न 28. 
उन्मील परागी व अनुन्मील्य परागणी पुष्पों मे अन्तर बताइये।
उत्तर:
उन्मील्य परागणी (chasmogamous) पुष्प सामान्य पुष्प है जिनके परागकोष व वर्तिकाम अनावृत (खुले) होते हैं। अनुन्मील्य परागणी (Cleistogamous) पुष्प कभी नहीं खुलते/खिलते। अतः इनके परागकोष व वर्तिकान हमेशा डके रहते हैं। इनमें हमेशा स्व परागण होता है।

प्रश्न 29. 
पुष्पी पादपों में भ्रूणपोष की सूत्रगुणिता क्या होती है?
उत्तर:
3N (त्रिगुणित) 

प्रश्न 30. 
मक्का के भुट्टे के लम्बे रेशमी वाल पुष्प के किस भाग का प्रतिनिधित्व करते हैं?
उत्तर:
वर्तिकाय (Stigma) व वर्तिका (Style) मक्का में टेसल (tassel) इसके पौधों के नर पुष्प क्रम हैं। 

प्रश्न 31. 
नारंगी के एक बीज को जब निचोड़ा जाता है, तब एक भ्रूण के स्थान पर अनेक भ्रूण देखते जाते हैं। समझाइए कि यह किस प्रकार है?
उत्तर:
एक भ्रूण के स्थान पर अनेक भूणों का दिखाई देना बहुभ्रूणता (Polyembryony) के कारण संभव होता है। 

प्रश्न 32. 
आवृतबीजी में भूणपोष का विकास भूण से पहले क्यों होता है?
उत्तर:
भ्रूणपोष का विकास भ्रूण से पहले होता है, क्योंकि भ्रूणपोष काफी मात्रा में खाद्य पदार्थ का संचय कर लेता है। यह खाद्य संचय विकसित होने वाले भ्रूण के लिए पोषक ऊतक का कार्य करता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. 
नीचे दिये गये परागकोष की अनुप्रस्थ काट के चित्र में भाग A में उपस्थित चार रचनाओं के नाम लिखिए। भाग B किस ऊतक का प्रतिनिधित्व करता है? 
उत्तर:
A भाग लघुबीजाणुधानी (परागकोष) की भित्ति का प्रतिनिधित्व करता है। इसके भाग हैं-

  • एपीडर्मिस 
  • एण्डोथीसियम 
  • मध्य परतें 
  • टेपीटम। 

B भाग बीजाणुजन ऊतक (sporogenous tissne) का प्रतिनिधित्व करता है जो बाद में लघुबीजाणु मातृ कोशिकाएँ बनाता है।
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प्रश्न 2. 
(a) नारियल में भ्रूणपोष (endospam) के बनने का वर्णन कीजिए
(b) नरम नारियल को एक स्वास्थ्य वर्धक पोषण स्रोत क्यों माना जाता है? 
(c) एंडोस्पर्म के सन्दर्भ में, अरंड के बीजों की तुलना में मटर के बीज किस प्रकार भिन्न होते है?
उत्तर:
(a) नारियल में मुक्त केन्द्रकीय भ्रूणपोष (frunmlear endosperm) बनता है। इसका अर्थ है त्रिसंलयन से बना प्राथमिक भ्रूणपोष केन्द्रक (PEN) अनेक बार विभाजित होकर बहुत से केन्द्रक बना देता है। जो परिधि की ओर व्यवस्थित रहते हैं। नारियल का पानी यही युक्त केन्द्रकीय भ्रूणपोष होता है। 

(b) नरम नारियल, नारियल के फल/बीज के पोषक भाग अर्थात अणमोष (endosperm) का प्रतिनिधित्व करता है। इसमें भ्रूण की वाद के लिए अनेक प्रकार के पोषक पदार्थों का संग्रह रहता है। अत: मनुष्य के लिए भी यह सभी पोषकों का स्वास्थ्य वर्धक स्रोत माना जाता है। इसमें कोशिकीय अवयवों, केन्द्रकों के साथ - साथ प्रोटीन, वसा, खनिज, विटामिन आदि भी प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं। 

(c) अरण्ड के बीच भ्रूणपोषी (endospermic) होते हैं जिनसे पोषक पदार्थ एंडोस्पर्म में संचित रहते हैं। मटर एक अभूणपोषी बीज है जिसमें खाद्य पदार्थ बीजपत्रों में संचित रहते है। 

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प्रश्न 3. 
बताइये असंगजनन क्या होता है? इसके महत्त्व पर टिप्पणी कीजिए। व्यावसायिक रूप से इसे किस प्रकार इस्तेमाल किया जा सकता है?
उत्तर:
असंगजनन एक प्रकार का अलैंगिक जनन है जो लैंगिक जनन की नकल करता है। यह लैंगिक जनन के प्रतिस्थापन की ऐसी अलैंगिक विधि है जिसमें बिना युग्मक संलयन के भ्रूण का निर्माण हो जाता है। सरल शब्दों में बिना निषेचन के बीज बनने की क्रिया असंगजनन (apomixis) कहलाती है। कुछ घासे व एस्टीरेसी कुल के कुछ सदस्य असंगजनन प्रदर्शित करते हैं। असंगजनन से बने भ्रूण कभी द्विगुणित कोशिका से विकसित होते हैं व कभी अगुणित कोशिका से। अपस्थानिक भ्रूणता, अर्थात बीजाण्डकाय की किसी कोशिका का भ्रूण में परिवर्तित हो जाना भी असंगजनन का प्रकार है, जैसे सिट्रस में। असंगजनन के कारण एक बीज में एक से अधिक भ्रूण स्थित हो सकते हैं, यह अवस्था बहुभ्रूणता कहलाती है। असंगजनन का महत्व संकर बीज उद्योग में असंगजनन का विशेष महत्व है व विश्व की अनेक प्रयोगशालाओं में इस पर कार्य चल रहा है। ऐसी संकर फसल बनाने का प्रयास किया जा रहा है जो असंगजननिक (apomict) हों। इनको उगाने से ऐसे संकर प्राप्त होंगे जिनके बीजों को साल दर साल उगाया जा सकेगा और उनमें लक्षणों का पृथक्करण नहीं होगा। अत: किसान को हर वर्ष महंगे नये संकर बीज खरीदने की आवश्यकता नहीं होगी।

प्रश्न 4. एक प्रारूपी आवृतबीजी बीजाण्ड के भागों का स्पष्ट एवं साफ सुथरा नामांकित चित्र बनायें
उत्तर:
प्रारूपिक बीजाण्ड (एनादापस बीजाण्ड): पुष्पीय पौधों में बीजाण्ड या गुरुबीजाणुधानी अण्डाशय के बीजाण्डासन पर स्थित होता है। एक अण्डाशय में एक या अनेक बीजाण्ड हो सकते हैं। 
इसके विभिन्न भाग निम्नलिखित है:
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  1. बीजाण्ड व्रत (Funicle): बीजाण्ड, एक वृत जिसे पयूनिकिल कहते हैं, द्वारा अण्डाशय के बीजाण्डासन भाग से जुड़ा रहता है। बीजाण्ड का वह भाग जहाँ फ्युनिकिल जुड़ा होता है हायलम (hilum) कहलाता है। 
  2. अध्यावरण (Integument): बीजाण्ड एक अथवा दो सुरक्षात्मक आवरणों से ढका रहता है जो अध्यावरण कहलाते है।
  3. बीजाण्ड द्वार: बीजाण्ड पर एक ओर एक छोटा छिद्र पाया जाता है जो बीजाण्डद्वार कहलाता है। बीज का यह वह भाग हे जहाँ अध्यावरण नहीं पाया जाता। परागनलिका बीजाण्डद्वार से ही प्राय: बीजाण्ड में प्रवेश करती है। 
  4. बीजाण्डकाय (Nucellus): बीज का केन्द्रीय भाग या मुख्य शरीर मृदूतकी कोशिकाओं का बना बीजाण्डकाय होता है। बीजाण्ड का बीजाण्डकाय से विपरीत दिशा वाला सिरा निभाग (chalaza) कहलाता है।
  5. भूणकोष (Embryo Sac): बीजाणुधानी के मध्य में मादा युग्मकोभिद् या भ्रूणकोष स्थित होता है। एक प्रारूपिक भ्रूणकोष 7 कोशिकीय व 8 केन्द्रकीय होता है। इसमें बीजाण्डद्वारीय सिरे की ओर एक अण्ड कोशिका व दो सहायक कोशिका वाला अण्ड उपकरण तथा विपरीत सिरे की ओर तीन प्रतिमुखी कोशिकाएँ (antipodal cells) होती है। बीच की केन्द्रीय कोशिका में दो ध्रुवीय केन्द्रक (Polar nuclei) पाये जाते हैं। 

प्रश्न 5. 
अनुन्मील्य परागण (क्लीस्टोगैमी) का एक लाभ तथा एक हानि बताइये।
अथवा 
अनुन्मील्य परागण क्या है? पौधे के लिए इसका लाभ तथा एक हानि लिखिए। 
उत्तर:
अनुन्मौल्य परागण कुछ पौधे के स्व:परागण का एक प्रकार है जो न खिलने वाले पुष्पों में होता है। 
लाभ- परागण की सुनिश्चितता होती है तथा परागण के बाह्य साधनों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। 
हानि- लगातार स्वपरागण से अन्तः प्रजनन अवनमन (Inbreeding depression) उत्पन्न हो जाता है। 

प्रश्न 6. 
किन्हीं दो तरीकों को समझाइए जिनके द्वारा असंगजननीय बीजों का विकास हो सकता है?
उत्तर:
असंगजनन एक प्रकार का ऐसा अलैंगिक जनन है, जो लैगिक जनन की नकल करता है। असंगजनिक बीज (apomictic seeds) बनने के कई तरीके हैं उनमें से प्रमुख दो तरीके निम्नलिखित है-

  1. कुछ प्रजातियों में अण्ड कोशिका का निर्माण बिना अर्द्धसूत्री विभाजन के हो जाता है। ऐसी द्विगुणित अण्ड कोशिकाएं बिना निषेचन के भ्रूण के रूप में विकसित हो जाती हैं। यह आवर्ती असंगजनन (Recurrent apomixis) कहलाता है। 
  2. अनावी असंगजनन (Non recurrent apomixis) में अगुणित भ्रूणकोष की किसी कोशिका से बिना निषेचन अगुणित भ्रूण का निर्माण हो जाता है।

प्रश्न 7. 
उस कोशिका का नाम लिखिए जिससे भ्रूण कोष का विकास होता है?
उत्तर:
गुरुबीजाणु मातृकोशिका के अर्धसूत्री विभाजन से बने चार अगणित गुरुबीजाणुओं में एक कार्यशील गुरुबीजाणु बनता है। यही कार्यशील गुरुबीजाणु ही विकसित होकर भ्रूणकोष (embryosac) बनाता है। 

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प्रश्न 8. 
अनिषेकफलन तथा अनिषेकजनन में विभेद कीजिष्ट। प्रत्येक का एक - एक उदाहरण भी बीजिए।
उत्तर:
कुछ पादपों में परागण एवं निषेचन के बिना भी फल का निर्माण होता है, परन्तु फल बीज रहित होता है। इसको अनिषेकफलन (Parthenocarpy) कहते हैं। उदाहरण- केला। बिना निषेचन के मादा भ्रूण से भ्रूण के बनने की प्रक्रिया अनिषेक जनन (Parthenogenesis) कहलाती है। इससे बने अण्डे अगुणित होते हैं। इस प्रकार के अगुणित भ्रूण बंध्य (sterile) होते हैं। उदारहण- ऑइनोथेरा। 

प्रश्न 9. 
परागकणों के स्रोत के आधार पर परागण की विभिन्न किस्मों की सूची बनाइए।
उत्तर:
परागकणों के स्रोत के आधार पर परागण को निम्न प्रकार से बाँटकर सूची बनाई जा सकती है-
1. स्व - परागण (SelfPollination): स्व - परागण में दो स्थितियाँ हो सकती हैं-

  • आटोगैमी, 
  • जीटोनोगेमी। 

2. परपरागण। 

प्रश्न 10. 
एक एंजियोस्पर्मी पौधे के ऐसे बीज का उदाहरण दीजिष्ट जिसमें परिभूणपोष मौजूद है। उस भाग का नाम लिखिए जिसमें परिभ्रूणपोष विकसित हुआ है।
उत्तर:
काली मिर्च में परिभ्रूणपोष मौजूद होता है। परिभ्रूणपोष का विकास बीजाण्डकाय से होता है। 

प्रश्न 11. 
भ्रूणपोष किसे कहते हैं? मुक्त केन्द्रकी भ्रूणपोष एवं कोशिकीय भ्रूणपोष का वर्णन कीजिए।
अथवा 
भ्रूणपोष क्या है? विभिन्न प्रकार के भ्रूणपोषों को समझाइये।
उत्तर:
द्विनिषेचन की क्रिया के त्रिसंलयन (riple fusion) पद से बने त्रिगुणित प्राथमिक भ्रूणपोष केन्द्रक से धूणपोष (endosprum) का विकास होता है। भ्रूणपोष पुष्पी पौधों के बीजों में बनने वाला एक पोषक भाग है जिसका संचित खाद्य, बढ़ते भ्रूण को पोषण प्रदान कर है। यह निम्न प्रकार का होता हैमुक्त केन्द्रकीय भ्रूणपोष (Free nuclear endsperm) यह सर्वाधिक सामान्य प्रकार का भ्रूणपोष है। इसमें त्रिसंलयन से बना प्राथमिक धूणपोष केन्द्रक अनेक बार विभाजित होकर बहुत से मुक्त केन्द्रक बना देता है जो परिधि की ओर व्यवस्थित रहते हैं। यह अवस्था मुक्त केन्द्रकीय भ्रूणपोष कहलाती है। बाद में कोशिका भित्ति निर्माण होता है। कच्चा नारियल, हजारों केन्द्रकों से बना मुक्त केन्द्रकीय भ्रूणपोष है। इसके चारों और कोशिकीय भ्रूणपोष बनना प्रारम्भ हो जाता हैं।

कोशिकीय भ्रूणपोष इस प्रकार के भ्रूणपोष में प्रत्येक केन्द्रकीय विभाजन के साथ - साथ कोशिका भित्ति का निर्माण भी होता है। हेलोबियल भ्रूणपोष इस प्रकार का भ्रूणपोष केन्द्रकीय व कोशिकीय व प्रकार के भ्रूणपोषों का मिश्रण होता है, अर्थात दोनों के गुण प्रदर्शित करता है। 

प्रश्न 12. 
पुष्पी पौधे के अनिषेचित भ्रूणकोष के भीतर स्थित सभी अगुणित कोशिकाओं के नाम लिखिए। इसमें कोशिकाओं की कुल संख्या लिखिए।
उत्तर:
एक अण्ड कोशिका, दो सहायक कोशिकाएँ (Synergids), तीन प्रतिमुखी कोशिकाएँ (antipodal cells), एक केन्द्रीय कोशिका जिसमें 2 ध्रुवीय केन्द्रक होते है। अत: कुल 7 कोशिकाएँ व 8 केन्द्रक होते हैं। 

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प्रश्न 13. 
पर परागण की कोई तीन कमियाँ लिखिए 
उत्तर:
पर परागण की कमियाँ (Drawbacks of Cross Pollination) 

  • इस प्रकार के परागण में पौधों को पुष्पों की गन्ध, मकरन्द व रंगरूप के रूप में ऊर्जा व संसाधनों का व्यय करना पड़ता है अत: यह पौधे के लिए किफायती नहीं है। 
  • परागण कर्ता साधन पर निर्भर रहने के कारण इसकी विश्वसनीयता पर हमेशा प्रश्न चिह्न रहता है। 
  • पौधों में कुछ अनावश्यक गुणों का विकास हो सकता है। 

प्रश्न 14. 
गुड़हल (हिबिस्कस) की अण्डप का एक स्वच्छ नामांकित चित्र बनाइये। 
उत्तर:
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प्रश्न 15. 
वैलिसनेरिया में परागण की प्रक्रिया की व्याख्या कीजिष्ट।
उत्तर:
वैलिसनेरिया (Vallisneria) में मादा पुष्पों का पुष्प वंत बहुत लम्बा व कुंडलित होता है जिसके कारण वह जल की सतह पर आ जाते हैं। नर पुष्पों द्वारा उत्पन्न परागकण भी जल की सतह पर मुक्त होते हैं। अतः परागण जल की सतह पर सम्पन्न होता है। 

प्रश्न 16. 
एकलिंगी तथा उभयलिंगी पुष्पों वाले पौधों में कृत्रिम संकरण में विपुंसन तथा बैगिंग के लाभों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
कृत्रिम संकरण द्वारा व्यापारिक रूप से उन्नत किस्मों वाली फसलें प्राप्त की जाती है। यह संकरण फसल सुधार कार्यक्रमों का एक महत्त्वपूर्ण तरीका है। इस संकरण में विपुंसन तथा बैगिंग तकनीक का सहारा लियः जाता है। इस तकनीक में यह सुनिश्चित करना आवश्यक होता है कि परागण में केवल वांछित गुणों वाले परागकण लिए जाएँ तथा वर्तिकार को अवांछित परागकणों के संदूषण से बचाया जा सके। 

प्रश्न 17. 
पुष्पी पौधों में पाई जाने वाली तीन बहिः प्रजनन युक्तियों के नाम लिखिए। बताइये कि वह किस प्रकार पर परागण को बढ़ावा देती है?
उत्तर:
पुष्पों द्वारा स्व परागण रोकने के लिए विकसित की गई दो कार्य नीतियाँ हैं-
1. भिन्न कालपक्वता (Dichogamy) भिन्न कालपक्वता स्वपरागण रोकने अर्थात बहि: प्रजनन को बढ़ावा देने वाली प्रमुख युक्ति है। इस विधि में परागकोषों से परागकणों की मुक्ति के समय व वर्तिकान की ग्राह्यता (receptivity) के समय में सामन्जस्य नहीं होता। इसका अर्थ है कि परागकोष व वर्तिकाग्र अलग - अलग समय पर परिपक्व होते हैं, अत: स्व परागण नहीं हो पाता। यह दो प्रकार की होती है-

  • पुंपूर्वता (Protandry): इसमें परागकण वर्तिकान के ग्राह्य होने से पहले परिपक्व हो जाते हैं, जैसे साल्विया, सूरजमुखी। 
  • स्त्रीपूर्वता (Protogyny): इस अवस्था में वर्तिकान, परागकणों के परिपक्वन से पहले ही ग्राह्य (परिपक्व) हो जाते हैं, जैसे रेननकुलस। 

2. एकलिंगता (Unisexuality) पपीता, खजूर आदि में नर व मादा पुष्प अलग-अलग पौधों पर स्थित होते है। अर्थात यह एकलिंगाश्रयी (Dioecious) होते हैं। इन पौधों में स्वपरागण की सम्भावना पूर्णतः समाप्त हो जाती है। 

स्व असंगतता अथवा स्व अनिषेच्यता (स्व - अयोग्यता) (Self incompatibility): स्व असंगतता, स्य अनिषेच्यता (स्व बन्ध्यता) एक प्रकार की आनुवांशिक प्रक्रिया है जो अन्त: प्रजनन (inbreeding) को रोकने का कार्य करती है। इस प्रक्रिया में किसी पुष्प के वर्तिकान पर उसी पुष्प के परागकण अथवा उसी पौधे पर स्थित किसी अन्य पुष्प के परागकण का या तो अंकुरण ही रुक जाता है अथवा पराग नलिका की वृद्धि बाधित हो जाती है। सीधे शब्दों में यह स्वपरागण को सफल न होने देने की प्रक्रिया है। बीज बनने के लिए निषेचन एक अनिवार्यता है। पुष्पीय पौधों में परागण के बाद नर युग्मक को मादा युग्मक के पास तक लाने का कार्य पराग नलिका करती है। पराग नलिका द्वारा नर बुग्मक का मादा युग्मक के पास तक पहुँचना साइफोनोगैमी (siphonogamy) कहलाता है। चूंकि स्व असंगतता प्रदर्शित करने वाले पौधों में स्व परागण के बाद या तो परागकण का अंकुरण ही रोक दिया जाता है, अथवा वर्तिका में ही पराग नलिका की वृद्धि बाधित कर दी जाती है। अत: नर युग्मक मादा युग्मक तक नहीं पहुँच पाता। दूसरे शब्दों में निषेचन के लिए अनिवार्य साइफोनोगैमी पर रोक लगने के कारण बीज निर्माण सम्भव नहीं हो पाता। 

प्रश्न 18. 
एक परिपक्व परागकण की काट का नामांकित चित्र बनाइये। इसके किन्हीं दो भागों के प्रमुख कार्य बताइये? 
उत्तर:
दो प्रमुख भागों के कार्य:
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  • जनन कोशिका विभाजित होकर दो नर युग्मक बनाती है।
  • बाह्य चोल - परागकण का सुरक्षात्मक आवरण बनाता है। 

प्रश्न 19. 
पुष्पी पौधों में डाइधिकस परागकोष का क्या अर्थ ? इसकी लघुबीजाणुधानी की संरचना का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पुष्पी पादपों में परागकोष द्विपालित (bilobed) होते हैं। प्रत्येक मालि (lobe) में दो कोष्ठ या लघु बीजाणुधानी होती है। दो पालियों के कारण यह डाइथिकस (dithecous) कहलाते हैं। 

लघुबीजाणुधानी की संरचना: प्रत्येक लघुबीजाणुधानो पराग कोष की पूरी लम्बाई में फैली रहती है। अनुप्रस्थ कार में यह लगभग वृत्ताकार दिखाई देती है। इसकी भित्ति चार परतों से बनी होती है। सबसे बाहर की ओर एपीडर्मिस, उसके अन्दर ऐडोथीसियम, फिर मध्य परतें (middle layers) व सबसे अन्दर की ओर टेपीटम (Tapetum) होता है। बाहर के तीन स्तर सुरक्षात्मक आवरण हैं तथा पराग कोष के सुटन (dehiscence) में भी मदद करते हैं, जिससे परिपक्व परागकण बहर निकलते हैं। टेपौटम विकसित होते परागकणों को पोषण प्रदान करता है। टेपीटम की कोशिकाओं में सघन कोशिका द्रव्य व सामान्यत: एक से अधिक केन्द्रक होते हैं? अपरिपक्व लघुबीजाणुधानी में बीज का समान बीजाणुजन ऊतक (Sporogenons tissue) से भरा रहता है। इसी से विकसित लघुबीजाणु मात्र कोशिकाएँ अर्धसूत्री विभाजन द्वारा माणित लघुबीजाणु (परागकणों) का निर्माण करती है। 
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प्रश्न 20. 
किसान ऐसा क्यों महसूस करते हैं कि संकरबीजों का उत्पादन महँगा सौदा है?
उत्तर:
संकर बीजों के प्रयोग में एक समस्या यह है कि संकर फसलों को प्रतिवर्ष उगाया जाना आवश्यक है। इसका अर्थ यह है कि एक का संकर फसल उगाकर उनके बीजों को पुनः प्रयोग नहीं किया जा सकता अगले वर्ष बीज फिर बाजार से ही प्राप्त किए जाते हैं। अत: संकर फसलों को साल दर साल नए सिरे से उगाना काफी महँगा होता है। संकर बीजों का उत्पादन भी होता है अत: किसान के लिए प्रतिवर्ष नए
संकर बीजों को खरीदना बहुत महंगा पड़ता है। 

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प्रश्न 21. 
लघुबीजाणु जनन व गुरुबीजाणु जनन में तीन अन्तर लिखिए 
उत्तर:
लघुबीजाणु जनन व गुरुबीजाणु जनन में अन्तर-

लघुबीजाणु जनन (Microsporogenesis)

गुरुबीजाणु जनन (Megasporogenesis)

1. लघुबीजाणु जनन पराग कोष (लघुबीजाणुधानी) में सम्पन्न होता है।

गुरुबीजाणु जनन गुरुबीजाणुधानी या बीजाण्ड में सम्पन्न होता है

2. एक लपुबीजाणुधानी में अनेक लपुबीजाणु मातृ कोशिका होती है जो अर्धसूत्री विभाजन द्वारा अनेक लघुबीजाणु चतुष्क (Microspore tetrad) बनाती है।

एक गुरुबीजाणुधानी में प्राय: केवल एक गुरुबीजाणु मातृ कोशिकाएँ होती है जो अर्धसूत्री विभाजन द्वारा चार गुरुबीजाणु बनाती है।

3. एक चतुष्क के चारों लघुवीजाणु कार्यशील होते है।

चार गुरुबीजाणुओं में से केवल एक गुरुबीजाणु कार्यशील (functional) होता है।


प्रश्न 22. 
मक्का के दाने की ऊर्ध्व काट का चित्र बनाइये तथा फलभित्ति, वरूथिका (Seutellum), प्रांकुर चोल तथा मूलांकुर को नामांकित करिए।
उत्तर:
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प्रश्न 23. 
पराग - स्त्रीकेसर संकर्षण (पारस्परिक क्रिया) को विस्तार से समझाइये।
उत्तर:
पराग कण अण्डप पारस्परिक क्रिया (Pollen - Pistil Interaction) अण्डप के वतिका (Stigma) में सही व गलत प्रकार के परागकण को पहचानने की क्षमता होती है। सही परागकण का अर्थ संगत (compatible) व गलत का अर्थ असंगत (incompatible) है। अण्डप की पराग कणों की पहचान की क्षमता व इसके फलस्वरूप उसके द्वारा परागकणों को स्वीकार या अस्वीकार किया जाना, परागकण भव अण्डप के बीच चलने वाली सतत व लम्बी परस्पर क्रिया (interaction) का परिणाम है। परागकण व अण्डय के बीच की यह क्रियाएँ दोनों साझेदारों के रासायनिक घटकों की मध्यस्थता से सम्पन्न होती है। यही क्रियाएँ जिनके कारण अण्डप परागकण को पहचान कर, संगत होने पर उसके अंकुरण को प्रेरित करता है तथा असंगत होने पर अंकुरण या पराग नलिका की वृद्धि रोक देता है, परागकण अण्डप पारस्परिक क्रिया कहलाती है। इस क्रिया का ज्ञान वनस्पति शास्त्रियों के लिए आवश्यक है क्योकि इस क्रिया में फेरबदल (manipulation) कर असंगतता प्रदर्शित करने वाले परागकणों द्वारा भी वांछित गुणों वाले जनकों का संकरण करा कर उत्तम नस्ल वाले संकर प्राप्त किये जा सकते हैं।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. 
वायु परागित व कीट परागित पुष्पों में विभेद कीजिए।
उत्तर:

गुण

वायु परागित पुष्प (Anemophilous)

कीट परागित पुष्प (Entomophilous)

1. आकार (Size)

दलपत्र पुष्प छोटे, पुष्प आसानी से दिखाई न पड़ने वाले।

दलपत्र (petals) व पुष्प बड़े, छोटे होने पर पुष्प क्रम के रूप में संगठित।

2. रंग - रूप (Form)

पुष्प प्रायः हरे या अप्रभावशाली, दल पत्र व बाह्य दल पत्र प्रायः समान गन्धहीन।

पुष्प रंगीन बड़े, आकर्षक, प्रायः सुगन्धित।

3. वर्तिकाग्र (Stigma)

बड़ा पंखवत (feathery) जो परागकण पकड़ने को पुष्प से बाहर निकला रहता है।

छोटा, पुष्प के अन्दर समाहित व चिपचिपा वर्तिकाम।

4. पुंकेसर पराग कोष (Stamen - Anther)

पुंकेसर प्रायः पुष्प से बाहर लटके हुए (exposed) परागकोष मुक्त रूप से दोलन करने वाले।

पुंकेसर पुष्प नाल में स्थित, परागकोष अपने आधार से पुततु से जुड़े अत: गतिहीन (Immovable)।

5. परागकण (Pollen grain)

हल्के, छोटे, सूखे व चिकनी भित्ति वाले।

अपेक्षाकृत भारी व बड़े, चिपचिपे व कंटक युक्त भिति वाले।

6. मकरन्द (Netar)

मकरन्द का उत्पादन नहीं होता

परागण कर्ताओं को आकर्षित करने के लिए मकरन्द कोष में मकरन्द का उत्पादन होता है।


प्रश्न 2. 
एक लघुबीजाणु से परिपक्व परागकण बनने तक की अवस्थाओं को केवल चित्रों द्वारा प्रदर्शित कीजिए। 
उत्तर:
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प्रश्न 3. 
पश्च परागण अवस्था प्ररर्शित करती एक अण्डप का नामांकित चित्र बनाइये जिसमें परागनलिका परिपक्व भूणकोष में प्रवेश करती हुई दिखाई गई हो। इस चित्र में परागनलिका, प्रतिमुख कोशिकाएँ, नर युग्मक व ध्रुवीय कोशिकाओं को नामांकित कीजिए।
अथवा 
एक ऐसे स्त्रीकेसर का आरेख बनाइए, जहाँ परागण सफलतापूर्वक सम्पन्न हो चुका हो। उन भागों को नामांकित कीजिए जो नर युग्मकों को उनके वांछित स्थान तक पहुँचाने में निहित होते हैं।
उत्तर:
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प्रश्न 4. 
निषेचन पश्च घटनाओं से आपका क्या तात्पर्य है? पुष्प में होने वाली पश्च निषेचन घटनाओं को सूचीबद्ध कीजिए। 
उत्तर:
पुष्पीय पौधों में द्विनिषेचन (double fertilization) के बाद से फल के परिपक्वन तक की घटनाएँ सम्मिलित रूप से पश्च निषेचन घटनाएँ कहलाती हैं। प्रमुख पश्च निषेचन घटनाएँ निम्न हैं-

  1. प्राथमिक भ्रूणपोष केन्द्रक (PEN) से भ्रूणपोष का विकास
  2. युग्मनज (Zygote) से भ्रूण का विकास, युग्मनज का प्राक्भूण (proembryo), गोलाकार, हृदयाकार स्थितियों से गुजरते हुए परिपक्व भ्रूण में परिवर्तित होना। 
  3. बीजाण्ड का बीज में रूपान्तरण (इसमें अध्यावरण का बीज चोल में परिवर्तन, बीजाण्डकाय का या तो पूर्णतः समाप्त हो जाना अथवा परिभ्रूणपोष के रूप में बचा रहना, बीज से जल की हानि (dehydration), बीज का प्रमुप्ति में प्रवेश आदि परिघटनाएँ शामिल हैं।
  4. अण्डाशय का फलभित्ति (Pericarp) के रूप में विकास (बाह्य दलपत्र, दल पत्र, पुंकेसर, आदि का सूखकर गिर जाना, तथा अण्डाशय का फूलकर फल के रूप में रूपान्तरित हो जाना जिसमें बीज स्थित हों) 

प्रश्न 5. 
किसी द्विबीजपत्री पावप के युग्मनज से पूर्ण विकसित भ्रूण बनने तक की अवस्थाओं को केवल नामांकित चित्रों द्वारा प्रदर्शित कीजिए। 
उत्तर:
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प्रश्न 6. 
(a) एक ऐसे प्रयोग की योजना बनाइये और प्रयोग के विभिन्न चरणों का एक प्रवाह चार्ट भी बनाइये, जिससे यह सुनिश्चित हो सकें कि बीजों का निर्माण केवल वांछित समुच्चय वाले परागकणों से हुआ है। आपने जो प्रयोग किया है उसके प्रकार का नाम बताइये।
(b) ऐसे प्रयोग का महत्व भी बताइये।
उत्तर:
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महत्व- कृत्रिम संकरण, पादप प्रजनन (plant breeding) की एक महत्त्वपूर्ण विधि है। इस विधि द्वारा दो जनकों के वांछित गुण संतति में लाये जाते हैं। अर्थात कृत्रिम संकरण में ऐसी संतति बनायी जाती है जिसमें दोनों जनकों के वांछित गुण हों। जैसे एक जनक की रोग प्रतिरोधकता व दूसरे की उच्च उत्पादकता, दोनों को प्रदर्शित करने वाली संतति बनाई जाती है। 

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प्रश्न 7. 
एक आवृतबीजी में गुरुबीजाणुजनन के प्रक्रम का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गुरुबीजाणुजनन (Megasporogenesis): गुरुबीजाणु मातृकोशिका (Megaspore Mother Cell) से अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा गुरुबीजाणुओं (Megaspores) के निर्माण की प्रक्रिया गुरुबीजाणुजनन कहलाती है। बीजाण्डकाय (necellus) में बीजाण्ड द्वारा की ओर एक गुरुबीजाणु मातृकोशिका भिन्न होने लगती है। गुरुबीजाणु मातृ कोशिका अर्द्धसूत्री विभाजन (reduction division) द्वारा चार अगुणित (haploid) गुरुबीजाणुओं का निर्माण करती है। गुरुबीजाणु युग्माकोद्भिद पीड़ी की प्रथम कोशिका का प्रतिनिधित्व करता है। इसी से युग्मकोद्भिद का विकास होता है। जो मादा युग्मक का निर्माण करता है। अत: गुरुबीजाणु मातृ कोशिका में अर्द्धसूत्री विभाजन होना आवश्यक है। 

प्रश्न 8. 
निम्नलिखित के कार्य लिखिए
(i) सहायक कोशिका 
(ii) बीजाण्डद्वार। 
उत्तर:
(i) सहायक कोशिका (Synergids): सहाय कोशिकाएँ बीजाण्डकाय से पोषक पदार्थों के अवशोषण व परागनलिका को आकर्षित करने वाले रसायनों का स्राव जैसे कार्य करती है। 

(ii) बीजाण्डद्वार (Micropyle): निषेचन के लिए परागनलिका बीजाण्ड में प्राय: बीजाण्डद्वार से प्रवेश करती है। बीजाण्ड से निषेचन के पश्चात् बीज बन जाने पर भी बीजाण्डद्वार का अस्तित्व बना रहता है तथा यह बीज के अंकुरण के समय जल व ऑक्सीजन के प्रवेश द्वार का भी कार्य करता है।

प्रश्न 9. 
विपुंसन किसे कहते हैं?
उत्तर:
पादप प्रजनन (plant breeding) की एक प्रमुख विधि है कृत्रिम संकरण (artificial hybridization)। कृत्रिम संकरण में वांछित गुणों वाले किन्ही दो पादपों में संकरण कराया जाता है। इस संकरण में अगर मादा जनक के रूप में लिया जाने वाला पौधा द्विलिंगी पुष्प धारण करता है तब उसकी कली अवस्था में परागकोषों के स्फुटन से पहले ही परागकोषों को हटाना आवश्यक हो जाता है ताकि यह ग्राहा वर्तिकान को परागित न कर दें। मादा जनक के द्विलिंगी पुष्प से कलिका अवस्था में चिमटी द्वारा परागकोषों को काटकर हटा देना विपुंसन कहलाता है। इस तकनीक का प्रयोग कृत्रिम संकरण में किया जाता है ताकि द्विलिंगी पुष्प के परागकोष से निकले परागकण, मादा जनक के रूप में प्रयोग किये जा रहे पुष्प के वर्तिकान को परागित न कर दें। कृत्रिम परागण की सफलता हेतु यह एक अत्यावश्यक प्रक्रिया है। 

प्रश्न 10. 
एक आवृतबीजी के नर युग्मकोद्भिद में निम्नलिखित संरचनाएँ कहाँ उपस्थित होती है? प्रत्येक के कार्य का उल्लेख कीजिष्ट।
(a) जनन छिद्र 
(b) स्पोरोपोलेनिन
(c) जनन कोशिका। 
उत्तर:
(a) जनन छिद्र (Germ Pore): परागकण में कुछ स्थानों पर बाह्य चोल पतला होता है, इन स्थानों को जनन छिद्र कहा जाता है। जनन छिद्र से ही पराग नलिका निकलती है। 

(b) स्पोरोपोलेनिन (Sporopollenin): परागकण की बाह्य चोल स्पोरोपोलेनिन से बनी होती है। स्पोरोपोलेनिन जीव जगत में पाया जाने वाला ज्ञात सर्वाधिक प्रतिरोधक पदार्थ है। इस पर उच्च तापमान, अम्लों व क्षारों का प्रभाव नहीं होता। 

(c) जनन कोशिका (Generative Cell): जनन कोशिका, परिपक्व परागकण में समाहित होती है। जनन कोशिका समसूत्री विभाजन द्वारा विभाजित दो नर युग्मकों का निर्माण करती है। 

प्रश्न 11. 
एक पुष्पी पौधे में एक लघुबीजाणु जनक कोशिका चार नर युग्मकोद्भिद उत्पन्न करती है, जबकि एक गुरुबीजाणु जनक कोशिका केवल एक मादा युग्मकोभिव उत्पन्न करती है। व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
द्विगुणित लघुबीजाणु मातृ कोशिकाएँ अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा चार अगुणित लघुबीजाणाओं का निर्माण होता है। ये लघु बीजाणु, निर्माण के तुरन्त बाद चार के समूह में या आपस में जुड़े रहते हैं। जिसे लघुबीजाणु चुतुष्क कहा जाता है। परागकोष के परिपक्वन व जल हानि से लघुबीजाणु चतुष्क वियोजित होकर स्वतन्त्र चार परागकणों या चार नर युग्मकोद्भिद के रूप में बदल जाते है। गुरुबीजाणु मातृ कोशिका के अर्द्धसूत्री विभाजन से बने चार अगुणित गुरुबीजाणु में से तीन अपविकसित या हासित हो जाते हैं। शेष बचा चौथा गुरुबीजाणु (जिसे कार्यशील गुरुबीजाणु कहते है) ही विकसित होकर मादा युग्मकोद्भिद बनाता है।

बहुविकल्पीय प्रश्न (प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्न सहित) 

प्रश्न 1. 
निषेचन में द्वितीयक नाभिक (secondary nucleus) बनाता है-
(a) भ्रूण
(b) बीजपत्र
(c) बीज
(d) भ्रूणपोष 
उत्तर:
(d) भ्रूणपोष 

प्रश्न 2. 
एक परागकोष में 28 परागमातृ कोशिकाएँ हैं तो इनसे बनने वाले परागचतुष्कों की संख्या होगी-
(a) 7 
(b) 28 
(c) 14 
(d) 112 
उत्तर:
(b) 28 

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प्रश्न 3. 
लैंगिक चक्र की निम्नलिखित में से कौन - सी प्रक्रिया में युग्मक संलयन एंव अर्द्धसूत्री विभाजन दोनों होते हैं-
(a) असंग जनन
(b) उभयमिश्रण 
(c) बहुप्रभावी जीन 
(d) प्रबलता 
उत्तर:
(b) उभयमिश्रण 

प्रश्न 4. 
युक्ताण्डपी अण्डाशय पाया जाता है-
(a) सरसों 
(b) गेहूँ 
(c) मक्का 
(d) बटरकप 
उत्तर:
(a) सरसों 

प्रश्न 5. 
निम्नलिखित घास कुल के एक सदस्य के भ्रूण की ऊर्ध्वाधर काट में A से G तक सही नामांकन करें तथा उचित विकल्प का चयन करें-
RBSE Class 12 Biology Important Questions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन 11
(a) A - स्क्यूटेलम, B - कोलिओप्टाइल, C - प्ररोह शीर्ष, D - एपीब्लास्ट, E - मूलांकुर, F - मूलगोप, G - कोलियोराइजा 
(b) A - मूलगोप, B - प्ररोह शीर्ष, C - स्क्युटेलम, D - कोलिओप्टाइल, E - एपीब्लास्ट, F - मूलांकुर, G - कोलियोराइजा 
(c) A - कोलियोराइजा, B - मूलांकुर,C - एपीब्लास्ट, D - कोलिओप्टाइल, E - मूलगोप, F - स्क्यू टेलम, G - प्ररोह शार्ष
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं 
उत्तर:
(a) A - स्क्यूटेलम, B - कोलिओप्टाइल, C - प्ररोह शीर्ष, D - एपीब्लास्ट, E - मूलांकुर, F - मूलगोप, G - कोलियोराइजा 

प्रश्न 6. 
परागकण की बायभित्ति बनी होती है-
(a) सेल्यूलोज से
(b) स्पोरोपोलेनिन से 
(c) पेक्टोसेल्यूलोज से 
(d) लिग्निन से 
उत्तर:
(b) स्पोरोपोलेनिन से 

प्रश्न 7. 
निम्न में से असंगत (odd) है-
(a) माइक्रोपाइल (बीजाण्डद्वार) 
(b) भ्रूणकोष
(c) बीजाण्डकाय 
(d) परागकण 
उत्तर:
(d) परागकण 

प्रश्न 8. 
जनन छिद्र का क्या कार्य होता है-
(a) मुलांकुर का निकलना 
(b) बीज अंकुरण के लिए जल का अवशोषण
(c) परागनलिका निकास 
(d) नर युग्मक का बाहर आना 
उत्तर:
(c) परागनलिका निकास 

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प्रश्न 9. 
पूर्णतः परिपक्व नर युग्मकोद्भिद् प्रायः कितनी कोशिकाओं का बना होता है-
(a) एक
(b) दो 
(c) तीन
(d) चार 
उत्तर:
(c) तीन

प्रश्न 10. 
पुष्पीय पौधों मे नर युग्मक किसके विभाजन से बनते हैं-
(a) लघुबीजाणु
(b) जनन कोशिका 
(c) कायिक कोशिका 
(d) लघुबीजाणु मात कोशिका 
उत्तर:
(b) जनन कोशिका 

प्रश्न 11. 
निम्नलिखित में से कौन - सा भाग एक एन्जाइम क्रिया के लिए प्रतिरोधी होता है-
(a) पराग का बाह्य चोल 
(b) पत्ती का क्यूटिकिल 
(c) कार्क
(d) काष्ठ रेशे (wood fibre) 
उत्तर:
(a) पराग का बाह्य चोल

प्रश्न 12. 
निम्नलिखित में कौन एक कैलोस भित्ति द्वारा घिरा रहता है-
(a) लघुबीजाणु मातृ कोशिका 
(b) नर युग्मक 
(c) अण्ड
(d) परागकण 
उत्तर:
(a) लघुबीजाणु मातृ कोशिका 

प्रश्न 13. 
पुष्पीय पौधों में अर्धसूत्री विभाजन पाया जाता है-
(a) परागकोष में
(b) मूलशीर्ष में 
(c) कैम्बियम में
(d) परागकण में 
उत्तर:
(a) परागकोष में

प्रश्न 14. 
पेरिस्पर्म (परिपूणपोष) होता है-
(a) सहायक कोशिकाओं का विघटित भाग 
(b) भ्रूणपोष का बाहरी भाग 
(c) द्वितीयक केन्द्रक का विघटित भाग
(d) बीजाण्डकाय का अवशिष्ट भाग 
उत्तर:
(d) बीजाण्डकाय का अवशिष्ट भाग 

प्रश्न 15. 
यदि किसी पौधे की जड़ की कोशिका में गुणसूत्र संख्या 14 है तो उसके बीजाण्ड की सहायक कोशिका में गुणसूत्रों की संख्या होगी-
(a) 7
(b) 14 
(c) 21
(d) कुछ कहा नहीं जा सकता
उत्तर:
(a) 7

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प्रश्न 16. 
भ्रूणकोष होता है-
(a) गुरुबीजाणुधानी 
(b) गुरुबीजाणु
(c) मादा युग्मदकोमिद् 
(d) मादा युग्मक 
उत्तर:
(c) मादा युग्मदकोमिद् 

प्रश्न 17. 
गुरुबीजाणुधानी किसके समतुल्य है-
(a) बीजाण्ड के
(b) भ्रूण कोष के 
(c) फल के
(d) बीजाण्ड काय के 
उत्तर:
(a) बीजाण्ड के

प्रश्न 18. 
परिपक्व पोलीगोनम प्रकार के भ्रूणकोव में पाये जाते हैं-
(a) 7 कोशाएँ, 8 केन्द्रक 
(b) 7 केन्द्रक, 8 कोशाएँ
(c) 8 कोशाएँ, 8 केन्द्रक 
(d) 7 कोशाएँ, 7 केन्द्रक 
उत्तर:
(a) 7 कोशाएँ, 8 केन्द्रक 

प्रश्न 19. 
पुष्पीय पौधों के किस भाग में फिलीफार्म उपकरण पाया जाता है-
(a) नर युग्मक 
(b) प्रतिरोधी कोशिकाएँ 
(c) अण्ड
(d) सहायक कोशिकाएँ 
उत्तर:
(d) सहायक कोशिकाएँ 

प्रश्न 20. 
पुष्पीय पौधों में गुरुबीजाणुओं के रेखिक चतुष्क में से कार्यशील गुरुबीजाणु होता है-
(a) प्रथम जो बीजाण्डद्वार के समीप होता है 
(b) बीजाण्डद्वार से दूसरा 
(c) बीजाण्डद्वार से तीसरा
(d) अन्तिम, बीजाण्डद्वार से दूरस्थ 
उत्तर:
(d) अन्तिम, बीजाण्डद्वार से दूरस्थ 

प्रश्न 21. 
निम्न में से किस में अनुन्मील्य परागणी पुष्प पाये जाते हैं-
(a) सूरजमुखी
(b) वैलिसनेरिया 
(c) कोमेलाइना 
(d) केलोट्रापिस 
उत्तर:
(c) कोमेलाइना

प्रश्न 22. 
मक्का के दाने में पाई जाने वाली एल्यूरॉन परत किससे समृद्ध होती है-
(a) लिपिड्स
(b) स्टार्च 
(c) प्रोटीन्स
(d) आक्जिंस 
उत्तर:
(c) प्रोटीन्स

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प्रश्न 23. 
मक्का के भुट्टे में पाई जाने वाली बाल सदृश्य रचनाएं हैं-
(a) बीज रोम
(b) वर्तिकान 
(c) वर्तिका
(d) बैक्ट का रूपान्तरण 
उत्तर:
(c) वर्तिका

प्रश्न 24. 
वायु परागण सामान्यतः पाया जाता है-
(a) आर्किड्स में
(b) अंजीर में 
(c) लिली में
(d) घासों में 
उत्तर:
(d) घासों में

प्रश्न 25. 
साल्विया में किस प्रकार का परागण होता है-
(a) जल परागण
(b) वायु परागण 
(c) कोट परागण 
(d) घोंघा द्वारा परागण 
उत्तर:
(c) कोट परागण 

प्रश्न 26. 
पंखवत वर्तिकान किसमें पाया जाता है-
(a) गेहूँ में
(b) मटर में
(c) धतूरा में
(d) अमलतास में 
उत्तर:
(a) गेहूँ में

प्रश्न 27. 
स्वपरागण में सहायक है-
(a) द्विलैंगिकता
(b) समकाल पक्वता 
(c) अनुन्मील्य परागणता 
(d) ये सभी 
उत्तर:
(d) ये सभी 

प्रश्न 28. 
यक्का में किस प्रकार का परागण होता है-
(a) कोट परागण
(b) जल परागण 
(c) वायु परागण 
(d) पक्षी परागण
उत्तर:
(a) कोट परागण

प्रश्न 29. 
बिना निषेचन फल का विकास कहलाता है-
(a) अनिषेकजनन
(b) अनिषेकफलन
(c) असंगजनन
(d) बहुभ्रणता 
उत्तर:
(b) अनिषेकफलन

प्रश्न 30. 
त्रिसंलयन के फलस्वरूप विकसित होने वाला बीज का भाग है-
(a) बीजाण्डकाय
(b) बीजपत्र 
(c) भ्रूणपोष
(d) भ्रूणकर 
उत्तर:
(c) भ्रूणपोष

प्रश्न 31. 
परागकोष के टेपीटम का कार्य है-
(a) सुरक्षा 
(b) पोषण 
(c) परागकोष स्फुटन
(d) यांत्रिक बल प्रदान करना 
उत्तर:
(b) पोषण 

प्रश्न 32. 
निषेचन के बाद अण्डाशय परिवर्तित हो जाता है-
(a) भ्रूण में
(b) भ्रूणपोष में क 
(c) भ्रूणकोष में
(d) फल में 
उत्तर:
(d) फल में 

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प्रश्न 33. 
पराग नलिका का बीजाण्डद्वार द्वारा बीजाण्ड में प्रवेश कहलाता है-
(a) चैलेजोगैमी
(b) पोरोगैमी वजन 
(c) मोजोगैमी
(d) असंगजनन 
उत्तर:
(b) पोरोगैमी वजन 

प्रश्न 34. 
मूंगफली में किस प्रकार का बीज होता है-
(a) भ्रूणपोषी 
(b) अभूणपोषी 
(c) उपर्युक्त a व b दोनों
(d) मूंगफली में बीज नहीं पाये जाते 
उत्तर:
(b) अभूणपोषी 

प्रश्न 35. 
बहुमूणता सामान्य है-
(a) केले में
(b) सिट्स में 
(c) गेहूं में
(d) इनमें से सभी में 
उत्तर:
(b) सिट्स में 

प्रश्न 36. 
नारियल का पानी व इसका खाया जाने वाला भाग वानस्पतिक रूप से किसका प्रतिनिधित्व करता है-
(a) मीजोकार्प
(b) भ्रूणपोष
(c) भ्रूण
(d) बीजपत्री 
उत्तर:
(b) भ्रूणपोष

प्रश्न 37. 
मटर में किस प्रकार का परागण होता है-
(a) पक्षी परागण
(b) वायु परागण
(c) चीटियों द्वारा परागण 
(d) स्व परागण
उत्तर:
(d) स्व परागण

प्रश्न 38. 
कंटिकीय बाहा चोल वाले परागकण किस प्रकार के परागण से सम्बन्धित है-
(a) कोट परागण
(b) वायु परागण 
(c) जल परागण
(d) ये सभी 
उत्तर:
(a) कोट परागण

प्रश्न 39. 
निम्न में से किस में प्रेरित अनिषेकफलन हानिकारक सिद्ध होगा-
(a) केला
(b) तरबूज 
(c) संतरा
(d) अनार 
उत्तर:
(d) अनार

प्रश्न 40. 
सेब में फल का खाद्य भाग है-
(a) मांसल फलभित्ति 
(b) मांसल पुष्पासन
(c) मांसल पुष्पक्रम 
(d) उपरोक्त सभी 
उत्तर:
(b) मांसल पुष्पासन

प्रश्न 41. 
प्रांकुर चोल किसकी विशेषता है-
(a) द्विबीजपत्री भ्रूण 
(b) एकबीजपत्री भ्रूण 
(c) अनिषेकफल
(d) भ्रूणपोष 
उत्तर:
(b) एकबीजपत्री भ्रूण 

प्रश्न 42. 
पोपी (पेपेवर) में अण्डप होते हैं-
(a) मुक्ताण्डपी 
(b) युक्ताण्डपी (Syncarpous)
(c) एकाण्डपी
(d) उपर्युक्त कोई नहीं 
उत्तर:
(b) युक्ताण्डपी (Syncarpous)

RBSE Class 12 Biology Important Questions Chapter 2 पुष्पी पादपों में लैंगिक प्रजनन

प्रश्न 43. 
मकरन्द (nectar) बनाने की आवश्यकता नहीं होती-
(a) वायु परागित पुष्यों को 
(b) कीट परागित पुष्यों को 
(c) पक्षी द्वारा परागित पुष्पों को
(d) चमगादड़ द्वारा परागित पुष्पों को 
उत्तर:
(a) वायु परागित पुष्यों को 

प्रश्न 44. 
निम्न चित्र में A व B भाग है क्रमशः
(a) नर युग्मक व वर्धी कोशिका का केन्द्रक 
(b) वर्षी व जनन कोशिकाएँ 
(c) लघुबीजाणु मातृ कोशिका व जनन कोशिका 
(d) उपर्युक्त कोई नहीं
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उत्तर:
(a) नर युग्मक व वर्धी कोशिका का केन्द्रक 

प्रश्न 45. 
निम्न चित्र में दिखाए भाग A, B व C में से कौन - सा भाग भ्रूण के रूप में विकसित होगा-
(a) A 
(b) B 
(c) C 
(d) A, B, C तीनों
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उत्तर:
(c) C 

प्रश्न 46. 
निम्न में से कूट फल है-
(a) आम
(b) अमरूद 
(c) सेब
(d) केला 
उत्तर:
(c) सेब

प्रश्न 47. 
एक लिंगाश्रयी पौधे में कृत्रिम संकरण कराने पर कौन - सा पद गौण हो जाता है-
(a) बैगिंग 
(b) वर्तिकान पर परागकणों का छिड़काव 
(c) जनकों का चयन
(d) विपुंसन 
उत्तर:
(d) विपुंसन 

प्रश्न 48. 
निम्नलिखित में से कौन - सा कथन सही है-
(a) परागकण का बाहरी कठोर आवरण अन्त: चोल कहलाता है 
(b) बीजाणुजन ऊतक अगुणित होता है 
(c) अन्तस्थीसियम लघुबीजाणु उत्पन्न करती है।
(d) टेपीटम विकसित हो रहे परागकणों का पोषण करती है 
उत्तर:
(d) टेपीटम विकसित हो रहे परागकणों का पोषण करती है

प्रश्न 49. 
सामान्यतः लैंगिक जनन का उत्पाद क्या बनाता है-
(a) बीज की लम्बी जीवन क्षमता 
(b) प्रवर्धित प्रसुप्ति 
(c) नये आनुवांशिक संयोग जो विभिन्नता की ओर अग्रसर होते है 
(d) विशाल जीव संहति
उत्तर:
(c) नये आनुवांशिक संयोग जो विभिन्नता की ओर अग्रसर होते है

प्रश्न 50. 
अनुन्मील्य परागण का क्या लाभ है-
(a) उच्चतर आनुवांशिक विविधता
(b) अधिक प्रबल संतान 
(c) परागण कारकों पर निर्भरता नहीं
(d) सजीव प्रजता 
उत्तर:
(c) परागण कारकों पर निर्भरता नहीं

प्रश्न 51. 
परिभ्रूणपोष, भूणपोष से कैसे भिन्न है?
(a) इसका अगुणित ऊतक होना 
(b) इसमें संचित भोजन न होना 
(c) इसका द्विगुणित ऊतक होना 
(d) द्वितीयक केन्द्रक के साथ अनेक शुक्राणुओं के संयोजित होने से इसका बनना 
उत्तर:
(c) इसका द्विगुणित ऊतक होना 

प्रश्न 52. 
अनुन्मील्य परागणों पुष्प स्वपरागणी होते हैं क्योंकि-
(a) वे उभयलिंगी (द्विलिंगी) पुष्य होते हैं जो कभी भी अनावृत्त नहीं होते 
(b) वे उभयलिंगी (द्विलिंगी) तथा अनावृत्त पुष्य होते है 
(c) वे एकलिंगी होते हैं 
(d) परागकोष के स्फुटन से पहले ही वर्तिकाप परिपक्व हो जाता
उत्तर:
(a) वे उभयलिंगी (द्विलिंगी) पुष्य होते हैं जो कभी भी अनावृत्त नहीं होते 

प्रश्न 53. 
स्वपरागण पूर्णरूपेण सुनिश्चित होता है, यदि-
(a) पुष्प द्विलिंगी (उभयलिगी) है 
(b) डंठल तन्तु की अपेक्षा वर्तिका लम्बी होती है 
(c) पुष्प अनुन्मील्य है 
(d) पुप में स्त्रीकेसर तथा पुंकेसर के परिपक्व होने के समय में अन्तर होता है 
उत्तर:
(c) पुष्प अनुन्मील्य है 

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प्रश्न 54. 
एक आवृतबीजी (ऍजिओस्पर्म) के मादा युग्मकोभिद में कौन - सी संरचना अनुपस्थित होती है?
(a) जनन छिद्र
(b) सहाय कोशिकाएँ 
(c) तंतुरूप समुच्चय 
(d) केन्द्रीय कोशिका
उत्तर:
(a) जनन छिद्र

HOTS : High Order Thinking Skill Questions 

प्रश्न 1. 
कुछ विशिष्ट पौधों में संकरण प्रयोग कर रहे एक पादप प्रजनन विज्ञानी ने अपने प्रयोगों में विपुंसन सम्पन्न नहीं कराया। उसके ये प्रयोग बिना विपुंसन के भी सफल रहे। प्रकाश डालिए ऐसा कैसे सम्भव हुआ? क्या इनमें बैगिंग भी आवश्यक नहीं? 
उत्तर:
सन्दर्भित पादप प्रजनन विज्ञानी किसी ऐसे पौधे में संकरण प्रयोग सम्पन्न करा रहा होगा जिसमें मादा जनक पौधा एक लिंगी पुष्प धारण करता हो। स्त्रीकेसरी या मादा (Pistillate) पुष्पों में चूंकि नर जनन भाग पुंकेसर होता ही नहीं है, अत: विपुंसन की आवश्यकता नहीं होती। हाँ पुष्प के खिलने से पहले ही पुष्प कलिकाओं को थैले से ढकना (bagging) आवश्यक है, ताकि अवांछित परागकणों द्वारा परागण न हो सके। 

प्रश्न 2. 
पर परागण के लाभ बहुत अधिक व स्पष्ट हैं। एकलिंगाश्रयी पौधे बनाकर पर परागण को आसानी से सुलभ बनाया जा सकता था लेकिन प्रकृति में एकलिंगाश्रयी पौधे कम ही पाये जाते हैं, अधिकतर पौधे द्विलिंगी ही होते हैं। सम्भावित कारण दीजिए। 
उत्तर:
बीज व फल का निर्माण पुष्य के मादा भाग में ही होता है। अगर पौधा एकलिंगाश्रयी होगा तो मादा पौधे ही बीज व फूल बनाएगें अर्थात लगभग आधे पौधों में ही फल व बीज बनेगें। परागकणों की भी भारी हानि होगी इससे ऊर्जा व पदाधों का अपव्यय होगा। इसी के कारण विकास के दौरान प्रकृति ने द्विलिंगी पौधों को चुना है, ताकि संसाधनों की किफायत की जा सके व प्रत्येक पौधा फल व बौज बनाए। 

प्रश्न 3. 
अनार में अनिषेकफलन हानिकारक सिद्ध होता है। कारण स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
अनिषेकफलन (Parthenocarpy) बिना निषेचन के फलों के निर्माण की प्रक्रिया है। चूंकि इस प्रक्रिया में निषेचन का अभाव होता है अत: इस प्रकार बनने वाले फल बीज रहित (seedless) होते हैं। अनार में बीजों का रसौला (juicy) बाह्य चोल ही खाद्य भाग होता है। अगर बीज ही नहीं बनेंगे तो अनार का आर्थिक महत्व ही समाप्त हो जायेगा। अतः अनार में अनिषेकफलन प्रेरित नहीं किया जाता। 

प्रश्न 4. 
निम्नवर्गीय पौधों में निषेचन के लिए जल की अनिवार्यता को पुष्पीय पादपों में किस प्रकार समाप्त किया गया है? 
उत्तर:
निम्नवर्गीय पौधों के विपरीत पुष्पीय पौधों के नर व मादा दोनों प्रकार के बुग्मक अचल (immotile) होते हैं। अर्थात इनमें सीलिया व फ्लेजैला का अभाव होता है। नर व मादा युग्मक को निषेचन हेतु पास - पास लाने के लिए पुष्पीय पौधों में निम्न विकास हुए हैमादा युग्मक, गुरुबीजाणुधानी (बीजाण्ड) के अन्दर, मादा युग्मकोद्भिद् अर्थात भ्रूणकोष में स्थित होता है। (बीज का निर्माण) नर युग्मक को इस के पास ले जाने का कार्य नर युग्मकोद्भिद् वा परागकण करता है। परागकण से निकली पराग नलिका नर युग्मक को मादा युग्मक के पास ले जाती है। इस प्रकार बाहा जल की अनिवार्यता समाप्त हो जाती है। (साइफोनोगैमी) 

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प्रश्न 5. 
मक्का का दाना (maize grain) एक फल का प्रतिनिधित्व करता है बीज का नहीं, स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
पुष्पीय पौधों में बीज फल के अन्दर बन्द होते हैं। मक्का व गेहूँ के दाने वास्तव में फल ही है क्योकि इनमें पतली व शुष्क फलभित्ति (pericarp) बीज चोल से संलयित (fused) रहती है। इसे आसानी से अलग नहीं किया जा सकता। अतः बीज जैसा दिखाई देने वाला मक्का का दाना इसका शुष्क सरल फल कैरियोप्सिस (caryopsis) है।
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प्रश्न 6. 
नीचे दिये गये चित्र में विकसित होते धूण को दर्शाती बीज की खड़ी काट प्रदर्शित की गई है। 
(a) A से लेकर F तक की रचनाओं के नाम लिखिए, विकसित होते बीज में बीजपत्र तथा/या भ्रूणपोष हो सकते हैं।
(b) इन दोनों रचनाओं की भूमिका की एक समानता बताइये।
(c) इन दोनों रचनाओं को आनुवांशिक प्रकृति में एक अन्तर बताइये। 
उत्तर:
(a) A - बीज पत्र; B - प्रांकुर; C - मूलांकुर; D - निलम्बक; E - आधारी कोशिका; F - बीजाण्ड द्वार 
(b) बीज पत्र (cotyledons) व भ्रूणपोष (endosperm) दोनों ही विकसित होते भ्रूण व बीज को अंकुरण के समय पोषण प्रदान करते हैं। अभ्रूणपोषी बीजों में बीजपत्र तथा भ्रूणपोषी बीजों में भ्रूणपोष पोषण प्रदान करने का कार्य करते हैं। 
(c) बीजपत्र चूंकि भ्रूणीय अक्ष का भाग है अतः यह द्विगुणित (diploid) होता है। भ्रूणपोष चूंकि त्रिसंलयन से बनता है अत: यह त्रिगुणित होता है।

NCERT EXEMPLAR PROBLEMS

बहुविकल्पीय प्रश्न 

प्रश्न 1. 
नीचे दिये पारिभाषिक शब्दों में से पुष्पीय भूमियों के तकनीकी रूप से गलत शब्द है-
(i) पुमंग
(ii) अण्डप 
(iii) दलपत्र समूह 
(iv) बाह्य दल 
(a) i व iv
(b) iii व iv 
(c) ii व iv
(d) i and ii 
उत्तर:
(c) ii व iv

प्रश्न 2. 
एक द्विबीजपत्री पादप पुष्प तो धारण करता है लेकिन कभी भी फल व बीज नहीं बनाता। इस स्थिति के लिए सर्वाधिक सम्भावित कारण है। 
(a) पौधा एकलिंगाश्रयी है व केवल स्त्रीकेसरी (pistillate) पुष्प धारण करता है 
(b) पौधा एकलिंगाश्रयी है व स्त्रीकेसरी व पुंकेसरी दोनों प्रकार के पुष्प धारण करता है 
(c) पौधा उभयलिंगाश्रयी है 
(d) पौधा एक लिंगाश्रयी है व केवल पुंकेसरी (staminate) पुष्प धारण करता है। 
उत्तर:
(d) पौधा एक लिंगाश्रयी है व केवल पुंकेसरी (staminate) पुष्प धारण करता है। 

प्रश्न 3. 
किसी परागकोष की लघुबीजाणुधानी की बाह्यतम व सबसे भीतरी परते क्रमशः होंगी-
(a) एन्डोथीसियम व टेपोटम 
(b) एपीडर्मिस व एन्डोडर्मिस 
(c) एपीडर्मिस व मध्य परतें
(d) एपीडर्मिस व टेपोटम 
उत्तर:
(d) एपीडर्मिस व टेपोटम 

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प्रश्न 4. 
एक उन्मील परागणी (chasmogamous flower) में ऑटोगैमी सम्पन्न से सकती है यदि-
(a) परागकण वर्तिकान के ग्राह्य होने से पहले परिपक्व हो जाते हैं 
(b) वर्तिकान परागकणों के परिपक्व होने से पहले ग्राह्य हो जाता है 
(c) परागकण व वर्तिका एक ही समय पर परिपक्व होते हैं 
(d) परागकोष व वर्तिकान दोनों की लम्बाई बराबर है
उत्तर:
(c) परागकण व वर्तिका एक ही समय पर परिपक्व होते हैं 

प्रश्न 5. 
पौधों की एक विशिष्ट प्रजाति हल्के व न चिपकने वाले परागकण बड़ी संख्या में बनाती है तथा इसका वर्तिकान लम्बा व पंखवत है। यह रूपान्तरण किस प्रकार के परागण में मदद करते हैं-
(a) कीट परागण
(b) जल परागण 
(c) वायु परागण
(d) जन्तु परागण 
उत्तर:
(c) वायु परागण

प्रश्न 6. 
किसी एक लिंगाश्रयी पौधे के लिए कृत्रिम संकरण की योजना बनाने में निम्न में से कौन - सा पद किसी महत्व का नहीं-
(a) मादा पुष्प की बैगिंग 
(b) वर्तिकान पर परागकणों का छिड़काव 
(c) विपुंसन 
(d) परागकण एकत्रीकरण
उत्तर:
(c) विपुंसन 

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. 
किसी भ्रूणकोष के अण्ड उपकरण (egg apparatus) बनाने वाली कोशिकाओं के नाम लिखिए। 
उत्तर:

  1. अण्ड कोशिका व 
  2. सहायक कोशिकाएँ।

प्रश्न 2. 
बीज पत्र व बीजाण्डकाय के कार्य में क्या समानता है? 
उत्तर:
दोनों का कार्य पोषण प्रदान करना है। 

प्रश्न 3. 
ऐसे परागकण जो त्रिकोशिकीय अवस्था में परागकोष से मुक्त होते हैं, में स्थित कोशिकाओं के नाम लिखिए। 
उत्तर:

  1. कायिक कोशिक व 
  2. नर युग्मक 

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प्रश्न 4. 
दिये गये चित्र में दर्शाये अण्डपों के प्रकार बताइये-
उत्तर:
(a) बहुअण्डपी, युक्ताण्डपी (Multicarpellary, Syncarpous)
(b) बहुअण्डपी मुक्ताण्डपी (Multicarpellary Apocarpous)
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प्रश्न 5. 
एक निषेचित बीजाण्ड में उपस्थित त्रिगुणित ऊतक का नाम बताइये। 
उत्तर:
त्रिगुणित ऊतक - धूणपोष (Endosperm)
परागण नलिका से मुक्त हुए दो नर युग्मको में से एक नर युग्मक भूणकोष को केन्द्रीय कोशिका में स्थित 2 ध्रुवीय केन्द्रकों (Polar nuclei) के साथ संलयित होकर त्रिगुणित प्राथमिक भ्रूणपोष केन्द्रक बनाता है। यह प्राथमिक भ्रूणपोष केन्द्रक अनेक समसूत्री विभाजनों द्वारा त्रिगुणित भ्रूणपोष बनाता है।

लघु उत्तरीय प्रश्न 

प्रश्न 1. 
कृत्रिम संकरण प्रक्रिया में अपनाये जाने वाले कुछ पद नीचे दिये गए हैं। इन्हें सही क्रम में व्यवस्थित कीजिए-
(a) पुन: बैगिंग 
(b) जनकों का चयन 
(c) बैगिंग 
(d) वर्तिकान पर परागकणों का छिड़काव 
(e) विपुंसन 
(f) नर जनक से पराग कणों का एकत्रीकरण। 
उत्तर:
(b) जनकों का चयन → (e) विपुंसन → (c) बैगिंग → (f) नर जनक से पराग कणों का एकत्रीकरण → (d) वतिकान पर परागकणों का छिड़काव → (a) पुनः बैंगिंग 

प्रश्न 2. 
नीचे दिये गये चित्र में परागनलिका, धूवीय केन्द्रक सहायक कोशिका, नर युग्मक व अण्डकोशिका को नामांकित कीजिए। 
उत्तर:

  1. धूवीय केन्द्रक
  2. अण्ड 
  3. सहायक कोशिका 
  4. नर युग्मक 
  5. परागनलिका

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प्रश्न 3. 
एक आवृतबीजी (एंजियोस्पर्म) के पूर्णतः विकसित भ्रूणकोष का आरेख बनाइए। इसके कैलेजल (निभागीय) सिरे को तथा भूणकोष के किन्हीं अन्य पाँच भागों को नामांकित कीजिए।
उत्तर:
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Bhagya
Last Updated on Dec. 4, 2023, 10:01 a.m.
Published Dec. 3, 2023