RBSE Class 12 Biology Important Questions Chapter 13 जीव और समष्टियाँ

Rajasthan Board RBSE Class 12 Biology Important Questions Chapter 13 जीव और समष्टियाँ Important Questions and Answers.

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RBSE Class 12 Biology Chapter 13 Important Questions जीव और समष्टियाँ

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. 
ऐसा क्यों है कि महासागरों के गहरे स्तरों पर हरे शैवालों के पाये जाने की सम्भावना नहीं होती?
उत्तर:
समुद्र में अधिक गहराई पर दृश्य प्रकाश (visible light) की केवल उच्च ऊर्जा नीले रंग वाली किरणें पहँच पाती हैं, जो लाल शैवालों द्वारा अवशोषित की जा सकती हैं। हरे शैवाल दृश्य प्रकाश के प्रमुख रूप से लाल नारंगी भाग का अवशोषण कर पाते हैं अत: गहरे समुद्र में नहीं पहुँच पाते। 

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प्रश्न 2. 
प्रकृति में परभक्षियों के द्वारा किये जाने वाले दो महत्वपूर्ण कार्यों को लिखिए?
उत्तर:

  • परभक्षी, पारिस्थितिक तंत्र में ऊर्जा के स्थानान्तरण को एक महत्त्वपूर्ण कड़ी बनाते है तथा शिकार समष्टि को भी नियंत्रित रखते है। 
  • यह शिकार प्रजातियों के बीच प्रतिस्पर्धा कम कर जैव विविधता संरक्षण में मदद करते हैं। 

प्रश्न 3. 
किसी जीव के पारिस्थितिक निकेत (इकोलॉजीकल निश) का क्या अर्थ है?
उत्तर:
अगर आवास (habitat) जीव का पता है तो निकेत उसका काम - धंधा या रोजगार (profession)। अतः किसी आवास में किसी जीव की भूमिका को उसकी कर्मता या निकेत (niche) कहते हैं। 

प्रश्न 4. 
छोटे आकार के गुंजन पक्षी (हमिंग बर्ड) के लिए धुवीय प्रदेश एक उपयुक्त आवास क्यों नहीं है?
उत्तर:
छोटे जन्तुओं में आयतन पृष्ठ सतह अनुपात अधिक होने के कारण ऊष्मा की हानि तेजी से होती है, अत: अधिक ठन्डे आवास उनके लिए उपयुक्त नहीं होते। ध्रुवीय प्रदेश बड़े जन्तुओं के लिए उपयुक्त स्थान है जिनमें आयतन: पृष्ठ सतह अनुपात कम होता है। 

प्रश्न 5. 
यदि प्रयोगशाला में 80 फल मक्खियों की जनसंख्या में 8 की एक सप्ताह में मृत्यु हो जाती है तो इस समय में जनसंख्या में मृत्युदर क्या होगी?
उत्तर:
मृत्युदर को प्रति जीव मृत्यु (per capita death) के रूप में मापा जाता है अत: मृत्युदर = 8/80 = 01 प्रति फल मक्खी प्रति सप्ताह। 

प्रश्न 6. 
ततैयों की परागणकारी प्रजाति में विशिष्ट अंजीर पौधों के साथ सहोपकारिता होती है। इस प्रकार की परस्पर क्रिया से मादा ततैयों को अंजीर के पौधों से क्या लाभ पहुंचता है?
उत्तर:

  • मादा ततैया अंजीर के पुष्पक्रम को अण्डे देने (oviposition) के स्थल के रूप में प्रयोग करती है। 
  • इसके लार्वा, अंजीर के विकसित होते बीजों से पोषण प्राप्त करते हैं।

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प्रश्न 7. 
पारिस्थितिकी को परिभाषित कीजिए। 
उत्तर:
जीव विज्ञान की वह शाखा जिसमें जीवों के बीच होने वाली तथा जीवों व उनके भौतिक (अजैविक) पर्यावरण के बीच होने वाली पारस्परिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है, पारिस्थितिकी (ecology)
कहलाती है। 

प्रश्न 8. 
पृथ्वी पर विभिन्न जीनोमों के निर्धारण हेतु उत्तरदायी दो प्रमुख कारकों का नाम लिखिए। 
उत्तर:
तापमान (temperature), वर्षा (precipitation) 

प्रश्न 9. 
विकास विज्ञानियों के अनुसार स्तनधारियों की सफलता का एक प्रमुख कारण बताइये। 
उत्तर:
उनका शरीर ताप को स्थिर बनाये रखने की क्षमता जिसके द्वारा यह अंटार्कटिक से सहारा मरुस्थल तक जीवित बने रहते हैं। 

प्रश्न 10. 
उपापचयी विधियों द्वारा ऊष्मा उत्पन्न कर ताप नियमन (thermoregulation) की सबसे बड़ी कमी क्या है? 
उत्तर:
यह प्रक्रिया ऊर्जा व्यय की दृष्टि से अत्यधिक महंगी है, जीव को अपने शरीर की ऊर्जा का एक बड़ा भाग ताप नियमन पर व्यय करना पड़ता है। 

प्रश्न 11. 
समष्टि किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में किसी नियम समय पर निवास करने वाले एक ही प्रजाति के जीवधारियों की संख्या उस जीव को समष्टि (Population) कहलाती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. 
"एक मैट्रो शहर (बड़े शहर) में एक समयावधि में समष्टि (जनसंख्या ) घनत्व में उतार - चढ़ाव परिलक्षित होते हैं।"
(a) इस मेट्रो शहर की जनसंख्या में वृद्धि की प्रवृत्ति कब परिलक्षित होगी? 
(b) मेट्रो शहर में जनसंख्या में कमी की प्रवृत्ति कब होगी?
(c) यदि समय पर समष्टि घनत्व 'N' है, तो समय 't+1' पर इसका समष्टि घनत्व लिखिए।
उत्तर:
(a) मेट्रो शहर की जनसंख्या की वृद्धि की प्रवृत्ति तब परिलक्षित होगी जब जन्म पर तथा आप्रवासन दर बढ़ेगी। 
(b) मेट्रो शहर की जनसंख्या में कमी की प्रवृत्ति तब होगी जब जन्म दर से उत्प्रवासन दर अधिक होगी। 
(c) Nt + 1 = Nt + [B + I] -[D + E] 

प्रश्न 2. 
प्रत्येक के एक - एक समुचित उदाहरण की सहायता से सहभोजिता तथा सहोपकारिता अंतःक्रियाओं में अन्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सहभोजिता (Commensalism) 
यह इस प्रकार की पारस्परिक क्रिया है जिसमें एक प्रजाति को लाभ होता है जबकि दूसरी अप्रभावित रहती है। अर्थात उसे न तो लाभ होता है न हानि। 
1. आम की एक शाखा पर अधिपादप (Epiphyte) के रूप में उगने वाला आर्किड का पौधा सहभोजिता का एक उदाहरण है। इस पारस्परिक क्रिया में आम को कोई लाभ या हानि नहीं होता लेकिन आर्किड को आम की शाखा से चिपकने पर प्रकाश पाने व अधिपादप की तरह उगने का अवसर मिल जाता है। यहाँ उल्लेखनीय है कि अधिपादप उस शाखा से किसी प्रकार का पोषण प्राप्त नहीं करता। अधिपादपों की जड़े वातावरण से नमी अवशोषित करती है। अर्थात हाइग्रोस्कोपिक होती हैं। 

2. ढेल की पीठ पर चिपके बाकिल सहभोजिता का उदाहरण है। इससे बेल को कोई हानि या लाभ प्राप्त नहीं होता जबकि बानेंकिल को घर का तथा जगह - जगह घूमकर भोजन प्राप्त करने का व कुछ सुरक्षा का अवसर मिल जाता है, अर्थात बाकिल लाभान्वित होता है। 

3. किसी खेत या घास के मैदान में मवेशी (Cattle) व केटल इगरेट या बगुले (Cattle egret) सहभोजिता का सर्वाधिक प्रसिद्ध उदाहरण है। जब पशु चलता है तो घास पर बैठे या जमीन पर बैठे कौट फुदककर अलग हट जाते हैं। उनमें गति होने से वह इगरेट पक्षी (बगले) को आसानी से दिखाई दे जाते हैं व वह उन्हें खा लेते हैं। इस उदाहरण में पशु को किसी प्रकार का नुकसान या फायदा नहीं होता लेकिन पक्षी इगरेट (बगुले) को कीटों के रूप में भोजन मिल जाता है। अत: इगरेट लाभान्वित होता है। बगुले (इगरेट) के लिए वनस्पतियों में छिपे कीटों को स्वयं खोजना आसान नहीं होता। 

4. सहभोजिता का एक और अच्छा उदाहरण है समुद्री एनिमोन (Sea anemone) व उसके दंशन स्पर्शक (Stinging tentacles) के बीच रहने वाली क्लाउन मछली (Clown Fish)। इसमें मछली को अपने परभक्षियों से सुरक्षा मिल जाती है क्योंकि परभक्षी सी - एनिमोन के दंशन स्पर्शकों (Stinging tentacles) से दूर बने रहते है। एनिमोन को इस पारस्परिक क्रिया से कोई लाभ मिलता प्रतीत नहीं होता। 

सहोपकारिता (Mutualism) 
सहोपकारिता (Mutualism) दो प्रजातियों के बीच होने वाली ऐसी सहजीवी (Symbiotic) पारस्परिक क्रिया है जिसमें दोनों ही प्रजातियों को लाभ होता है।
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सहोपकारिता के सम्बन्ध में साझेदार जीवों को भोजन प्राप्त करने व परभक्षियों से बचने में मदद मिलती है। परजीविता की तरह 'जीवों की दोस्ती' वाला यह सम्बन्ध जीवों के सभी जगतों (Kingdoms) में मिलता है। 

मोनेरा (Monera): जीवाणु जो मनुष्य की आहारनाल में निवास करते हैं, मनुष्य से भोजन प्राप्त करते हैं। लेकिन बदले में ऐसी विटामिन व अन्य पदार्थ संश्लेषित कर मनुष्य को उपलब्ध कराते हैं जो मनुष्य स्वयं नहीं कर सकता। मटर कुल के पौधों की जड़ों के राइजोबियम से आप परिचित है ही। 

प्रोटिस्टा (Protista): दीमक अर्थात टरमाइट जिसका प्रमुख भोजन लकड़ी (Wood) है। इसको खाने में समर्थ नहीं होती अगर इसकी आहार नाल में सेल्युलोज व लिग्निन को पचाने वाले सहोपकारी प्रोटोजोआ नहीं होते। 

कवक (Fungi): लाइकेन, एक कवक व प्रकाश संश्लेषी शैवाल (Algae) के बीच के घनिष्ट सहोपकारी सम्बन्धों का एक बेहतरीन उदाहरण हैं। इसमें शैवाल प्रकाश संश्लेषण कर भोजन बनाता है जबकि कवक जल व खनिजों के अवशोषण, सुरक्षा आदि जैसे कार्य सम्पन्न करता है। इसी प्रकार कवक व उच्चवर्ग के पौधों की जड़ों के बीच बनने वाला सहोपकारी सम्बन्ध माइकोराइजा (Mycorrhiza) कहलाता है। इसमें कवक पौधों की महत्त्वपूर्ण खनिजों के अवशोषण में मदद करता है तथा पौधे उन्हें ऊर्जा प्रदान करने वाले काबोहाइड्रेट प्रदान करते है।

जंतु (Animalia): सहोपकारिता के सबसे आकर्षक व विकास की दृष्टि से रोचक उदाहरण जन्तु - पादप सम्बन्धों में पाये जाते हैं। पौधों को अपने पुष्यों को परागित करने व बीजों के प्रकीर्णन (Dispersal) के लिए जन्तुओं की आवश्यकता होती है। अनेक ऐसे पुष्प हैं जो परागणकर्ता जंतु जैसे कौट आदि की अनुपस्थिति में परागित हो ही नहीं सकते। पौधे भी जन्तुओं के इस उपकार का बदला परागणकर्ताओं को पराग (Pollen), मकरन्द (Nectar) आदि के रूप में पुरस्कार देकर करते हैं। बीजों के प्रकीर्णन में सहायता करने वालों को रसीले, मीठे फलों का पुरस्कार दिया जाता है। पौधों और जन्तुओं के बीच की यह 'पक्की दोस्ती विकास के लम्बे सफर में विकसित हुई है। पौधे व जन्तुओं की इन पारस्परिक क्रियाओं में साझेदार (Partners) के सहविकास (Coevolution) की आवश्यकता होती है। इसका अर्थ है - पुष्प व इसके परागणकर्ता का विकास घनिष्ट रूप से जुड़ा होता है। 

अंजीर (Fig): अंजीर के पुष्प, पौधों व जन्तुओं के बीच के सहोपकारी सम्बन्ध के उल्लेखनीय उदाहरण हैं। अंजीर के पेड़ों की अनेक प्रजातियों का किसी - न - किसी बर्र की परागणकारी प्रजाति से घनिष्ट सम्बन्ध है। इसका अर्थ है कि अंजीर की कोई भी दी गई प्रजाति अपनी विशिष्ट साझीदार बर्र प्रजाति से ही परागित हो सकती है, किसी अन्य बरं प्रजाति से नहीं। प्रजाति विशिष्ट निर्भरता (अर्थात वैयक्तिक दोस्ती या पर्सनल फ्रेंडशिप) का यह एक अच्छा उदाहरण है। मादा बरं या ततैया (Wasp) अंजीर के फल को निम्न के लिए प्रयुक्त करती है-

  • अण्डे देने या ओवीपोजीशन (oviposition) के स्थल के रूप में (अर्थात मादा बरं अंजीर के पुष्पक्रम/फल के अन्दर अण्डे देती है।) 
  • लार्वाओं के पोषण के लिए अंजीर के फल के भीतर वृद्धि कर रहे बीजों का प्रयोग। 
  • अण्डे देने के लिए उपयुक्त स्थान की तलाश करते समय मादा बरं इस पुष्प क्रम में अनजाने में ही परागण सम्पन्न करा देती है। 

परागण करने के बदले में अंजीर का पुष्प वृद्धि कर रहे कुछ बीजों को माद बरं के विकास कर रहे लार्वाओं के भोजन के रूप में प्रस्तुत कर देता है। पौधों व जन्तुओं के 'परागण करने व भोजन पाने के इस सहोपकारी सम्बन्ध की आड़ में कुछ ऐसे धोखेबाज (Cheater) जन्तु भी विकसित हो गये हैं जो पौधों से पराग व मकन्द चुराते हैं मगर परागण में मदद नहीं करते। 

लैंगिक कपट व छदम मैथुन (Sexual Decelt and Pseudocopulation) 
पौधों व उनके परागणकर्ताओं के सहविकास (Co - evolution) ने अनेक अचरजकारी उदाहरण प्रस्तुत किये हैं। विश्व के सुन्दरतम पुष्यों में शामिल आर्किड लुभावनी विविधता दर्शाते हैं। यह किसी एक विशिष्ट व उचित परागणकर्ता को आकर्षित करने हेतु विकसित हुए हैं ताकि परागण सुनिश्चित किया जा सके।
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भूमध्य सागरीय क्षेत्र (मेडिटेरेनियन रीजन) में पाया जाने वाला आकिंड 'आफिस म्यूसीफेरा (Ophrys muscifera) इस मामले में कुछ विशिष्ट है। इस पुष्प की एक पंखुडी (Petal) आकार, रंग, रूप और चिह्नों में एक प्रजाति की मादा मक्खी की हूबहू नकल होती है। बिल्कुल मादा मक्खी जैसा दिखने के कारण नर मक्खी इसकी ओर आकर्षित होकर इसके साथ मैथुन का प्रयास करती है। अर्थात मक्खी को आकर्षित करने के लिए यह पुष्प लैंगिक धोखेबाजी या कपट (Sexual Deceit) का सहारा लेता है। पुष्य के साथ कूट या छद्म मैथुन (Pseudocopulation) के दौरान नर मक्खी पर आर्किड के कुछ परागकण छिटक कर गिर जाते हैं जब यह मक्खी आर्किड के किसी अन्य पुष्प के साथ छदम मैथुन करती है तब यह परागकणों का स्थानान्तरण कर देती है, अत: आर्किड में परागण सम्पन्न हो जाता है। अगर वास्तविक मक्खी का रंग - रूप विकास के दौरान किसी भी कारण से थोड़ा - सा भी बदलता है तब परागण की सफलता तब तक कम हो जाएगी जब तक कि आर्किड का पुष्प सह विकास द्वारा उसी प्रकार का बदलाव प्राप्त न कर ले।

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प्रश्न 3. 
यदि किसी 'N' साइज की समष्टि में जन्म - दर को 'b' तथा मृत्यु-दर को 'd' द्वारा निरूपित किया जाता है, तब इकाई समय अवधि 't' में 'N' में वृद्धि अथवा हास निम्न प्रकार से होगा-
\(\frac{d N}{d t}=(b-d) \times N\)
उपर्युक्त समीकरण को इस प्रकार भी निरूपित कर सकते हैं-
\(\frac{d N}{d t}= r \times N\), जिसमें r = (b - d) 
'r' क्या निरूपित करता है। किसी, समष्टि के लिए 'r' का परिकलन करने का कोई एक महत्त्व लिखिए।
उत्तर:
दिए गए समीकरण में 'r' प्राकृतिक वृद्धि की नैसर्गिक दर (Intrinsic rate of natural increase) कहलाती है। यह किसी जैविक अथवा अजैविक कारक के समष्टि वृद्धि पर प्रभाव के आकलन हेतु महत्त्वपूर्ण मापदण्ड है। 

प्रश्न 4. 
जीन प्रवाह या आनुवांशिक अपवाह (जेनेटिक ड्रिपट) किसी समष्टि को कैसे प्रभावित करता है जिसमें दोनों में से कोई एक प्रक्रम चल रहा हो।
उत्तर:
यदि जीन अभिगमन (migration) अनेक बार होता है तब इसे जीन प्रवाह (gene flow) कहते हैं। यदि समान परिवर्तन किसी विशेष परिस्थिति में होता है तब इसे जेनेटिक डिफ्ट कहते है। जीन प्रवाह तथा जेनेटिक ड्रिफ्ट पुरानी (old) तथा नई समष्टियों को ऐलीलिक आवृत्ति (Allelic frequency) को परिवर्तित करके प्रभावित करती है। 

प्रश्न 5. 
ऐसा माना जाता है कि किसी समष्टि में एक जीन की ऐलील आवृत्तियाँ पीढ़ी दर पीढ़ी एकसमान रहती हैं। हार्डी वीनवर्ग ने बीजगणितीय समीकरण की सहायता से इसकी व्याख्या किस प्रकार की?
उत्तर:
हार्डी बीनवर्ग के नियमानुसार एक आदर्श जनसंख्या में विभिन्न ऐलील और जीनोटाइप की आवृत्तियाँ पीढ़ी दर पीढ़ी अपरिवर्तित रहती हैं। माना द्विगुणित जनसंख्या जिसमें एलील तथा a का मिश्रण हो और इनकी आवृत्तियाँ f (A) = p तथा f (a) =q है जो कि इस प्रकार निर्धारित की गई हो कि p + q = 1 (सभी आवृत्तियों यह संभावनाओं के रूप में लिखी जाएंगी। 
इस आधार पर जीनोटाइप की आवृत्तियाँ निकालने पर हम पाते है कि 
f (AA) = p2, f (Aa) = 2pq 
और f (aa) = q 
हम पाते हैं कि 
f(AA) + f (Aa) + f (aa) = (p + q)2 = 1
= p2 + 2pq + q2 = 1 
जिससे हमें आनुवांशिक संतुलन की प्राप्ति होती है। 

प्रश्न 6. 
समष्टि की कोई चार विशेषताएँ बताइए। सहपरोपकारिता को विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
समष्टि गुण (Population Attributes) 
प्रकृति में जीव प्रायः एकाकी जीवन व्यतीत नहीं करते। उनमें से अधिकांश स्पष्ट, सुपरिभाषित भौगोलिक क्षेत्र में रहकर समान संसाधनों को साझा करते हैं, संसाधनों के लिए स्पर्धा करते हैं तथा आपस में प्रजनन करते हैं। यही जीवों की सहकारी इकाई (cooperative unit) अर्थात समष्टि है। आपस में प्रजनन का अर्थ यहाँ लैंगिक प्रजनन से है लेकिन पारिस्थितिक अध्ययनों में अलैगिक प्रजनन के फलस्वरूप बने जीवों को भी समष्टि ही माना जाता है। यह सही है कि परिवर्तित पर्यावरण का सामना व्यष्टि या एकाकी जीव ही करता है लेकिन प्राकृतिक वरण (Natural selection) समष्टि के स्तर पर ही संचालित होकर वांछित गुणों के विकास का कार्य करता है। समष्टि पारिस्थितिकी (Population ecology) समष्टि की, जीवों में आपस में व अपने पर्यावरण से होने वाली पारस्परिक क्रियाओं का अध्ययन है यह इकालॉजी का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, क्योंकि वह पारिस्थितिकी या इकालॉजी को समष्टि आनुवंशिकी (Population genetics) तथा विकास (Evolution) से जोड़ता है। एक समष्टि में कुछ ऐसे गुण होते हैं जो एकाकी जीव में नहीं पाये जाते जैसे जन्म दर व मृत्यु दर, लिंग अनुपात, आयु वितरण, समष्टि आकार व समष्टि घनत्व आदि। 

(A) जन्म दर व मृत्यु दर (Birth rate and Death rate) 
एकाकी जीव के सन्दर्भ में जन्म व मृत्यु का प्रयोग किया जाता है लेकिन समष्टि में जन्म दर व मृत्यु दर होती है। समष्टि में इन्हें क्रमश: प्रति व्यक्ति जन्म दर व मृत्यु दर के रूप में देखा जाता है। इसलिए दर को समष्टि के सदस्यों की संख्या में परिवर्तन (वृद्धि या कमी) के रूप में प्रकट किया जाता है। इस उदाहरण को देखिए-पिछले वर्ष एक तालाब में कमल के 20 पौधे थे तथा प्रजनन के कारण इस वर्ष इनकी संख्या में 8 की बढोत्तरी हो गई, इस प्रकार वर्तमान में 28 पौधे हो गये। अत: जन्म दर 8/20 = 0.4 संतति प्रति कमल का पौधा हुई। अगर प्रयोगशाला में फलों की मक्खी की समष्टि में 40 मक्खियां हैं। तथा दिये समय में, माना एक सप्ताह में इसमें से 4 मक्खियाँ मर गई तब उस समय में मृत्यु दर 4/40 = 01 जीव प्रति मक्खी प्रति सप्ताह हुई। 

(B) लिंग अनुपात (Sex ratio) 
एक जीव को नर या मादा के रूप में देखा जाता है लेकिन समष्टि में लिंग अनुपात का गुण होता है। जैसे 60 प्रतिशत समष्टि मादा व 40 प्रतिशत नर आदि। मानव समष्टि में इसे प्रति एक हजार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या के रूप में अभिव्यक्त किया जाता है। लिंग अनुपात 940 के रूप में अभिव्यक्त करने का अर्थ है कि नियत समय में 1000 पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या 940 है।

(C) आयु वितरण (Age distribution) 
किसी भी नियत समय पर समष्टि भिन्न - भिन्न आयु के जीवों से मिलकर बनती है। किसी समष्टि में विभिन्न आयु-वर्ग के जीवों की आपेक्षिक बहुलता (relative abundance) उस समष्टि का आयु वितरण (Age distribution) कहलाती है। किसी भी समष्टि में प्राय: तीन आयु वर्ग, चिह्नित किये जाते हैं।
पूर्व प्रजननी (pre reproductive) आयु समूह। 
जनन क्षम (Reproductive) आयु समूह। 
पश्च प्रजननी (Post Reproductive) आयु समूह। 

आयु वितरण जन्म दर व मृत्यु दर पर निर्भर करता है तथा समष्टि वृद्धि को निर्धारित करता है। अगर किसी समष्टि के लिए आयु वितरण (दी गई आयु या आयु समूह के जीवों का प्रतिशत) को आलेखित किया जाता है। तो बनने वाला आरेख (ग्राफ) आयु पिरामिड (Age pyramid) कहलाता है। मानव जनसंख्या के लिए बनाये आयु पिरामिड में पुरुष व स्त्रियों के आयु समूहों को संयुक्त रूप से दर्शाया जाता है। जैसे जननक्षम पुरुष व स्त्री एक आयु समूह बनाते हैं। जनन पूर्व अवस्था या पूर्व प्रजननी अवस्था वाले बच्चे व बच्चियाँ एक आयु समूह बनाते हैं। इस आधार पर निम्न तीन प्रकार की समष्टियों का निर्माण होता है-
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1. तेजी से बढ़ती समष्टि (Rapidly growing or expanding population): इस प्रकार की समष्टि में पूर्व प्रजननी जीवों की संख्या सबसे अधिक व पश्च प्रजननी जीवों की संख्या सबसे कम होती है। फलस्वरूप इससे जन्म दर अधिक व मृत्यु दर कम होती है। यह समष्टि में तीन वृद्धि की परिचायक होती है। वर्तमान में (सन् 2015) में भारत इसी प्रकार की जनसंख्या का देश है। 

2. स्थिर समष्टि (Stationary or stable population): इस प्रकार की समष्टि में पूर्व प्रजननी व प्रजननी आयु वर्ग लगभग समान आकार के होते है। फलस्वरूप समष्टि का आकार लगभग स्थिर रहता है। वह शून्य समष्टि वृद्धि की अवस्था है। 

3. घटती समष्टि (Declining population): इस प्रकार की समष्टि में पूर्व प्रजननी आयु वर्ग, प्रजननी आयु वर्ग से छोटा होता है। इसमें मृत्यु दर अधिक व जन्म दर कम होती है, फलस्वरूप समष्टि का आकार घटता है। भारत में पारसी समुदाय की जनसंख्या तेजी से घट रही है। 

(D) समष्टि आकार/घनत्व (Population size/Density): किसी भी समष्टि का आकार आवास में उसकी स्थिति या हैसियत के बारे में बहुत कुछ बताता है। किसी भी पारिस्थितिक प्रकिया जैसे किसी दूसरी जाति से स्पर्धा का परिणाम, किसी परभक्षी (predator) का प्रभाव या पीड़कनाशी के प्रयोग का असर आदि को समष्टि आकार में परिवर्तन के सन्दर्भ में ही देखा जाता है। जैसे कि वन में किसी नये परभक्षी जैसे बाघ के प्रवेश कराने से हिरणों की समष्टि पर एक वर्ष में कितना प्रभाव पड़ा।
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प्रकृति में यह बदलाव छोटी संख्या के रूप में, जैसे किसी वर्ष विशेष में भरतपुर के आर्द्र क्षेत्रों में 10 से कम साइबेरियन क्रेन या बड़ी संख्या के रूप में, जैसे किसी तालाब में क्लेमाइडोमोनास की संख्या में लाखों के बदलाव के रूप में हो सकते हैं। समष्टि आकार को तकनीकी रूप में समष्टि घनत्व (Population density) कहा जाता है तथा N द्वारा दर्शाया जाता है। समष्टि घनत्व को हमेशा संख्या के रूप में ही नहीं दर्शाया जाता है। यद्यपि, सामान्य रूप से, समष्टि घनत्व को कुल संख्या के रूप में ही मापा जाता है लेकिन कुछ मामलों में वह या तो अर्थहीन होती है या इनका निर्धारण अत्यधिक कठिन होता है। उदाहरण के लिए माना किसी क्षेत्र में एक विशाल कैनोपी वाला बरगद का पेड़ तथा 200 गाजर घास या पार्थीनियम के पौधे हैं। इस उदाहरण में यह कहना कि बरगद का समष्टि घनत्व गाजर घास की अपेक्षा कम है उचित व अर्थपूर्ण नहीं जान पड़ता। वह उस समुदाय में बरगद के पेड़ की भूमिका को कम करके आँकना है। ऐसी अवस्था में समष्टि के आकार को मापने हेतु प्रतिशत आवरण (Percent cover) अथवा जीव भार (Biomass) अधिक सार्थक है।

समष्टि अगर बहुत बड़ी है तथा जीवों की संख्या गिनना असम्भव है या गिनना बहुत अधिक समय लेने वाला है, ऐसी स्थिति में भी समष्टि के आकार के लिए जीवों की कुल संख्या आसानी से अपनाया जा सकने वाला विकल्प नहीं है। अगर प्रयोगशाला में पेट्री डिश में जीवाणुओं का एक घना संवर्धन है तब घनत्व निकालने के लिए कुल संख्या को आधार बनाना उचित नहीं है। इसमें, जीवभार को आधार बनाया जाता है। आच्छादित क्षेत्र व आधारी क्षेत्र (Cover and Basal Area) अनेक समुदायों में घनत्व जैसे मात्रात्मक (Quantitative) मूल्य जातियों के वितरण तथा प्रभाविता का सही चित्रण प्रस्तुत नहीं करते हैं। अत: ऐसे उदाहरणों में आच्छादित क्षेत्र व आधारी क्षेत्र मापा जाता है। आधारी क्षेत्र में प्रायः वृक्ष की कैनोपी के क्षेत्रफल को मापा जाता है। आधार क्षेत्र, प्रभाविता को निर्धारित करने वाले गुणों में प्रमुख है।

वृक्षों में इसे सीने की ऊंचाई (breast height) पर मापा जाता है। इसे आधार या कम ऊचाई पर कैलीपर्स से मापा जा सकता है। वृक्ष की परिधि को धागे की सहायता से मापकर गणितीय सूत्र द्वारा उसका क्षेत्रफल निकाला जा सकता है। कुछ पारिस्थितिक अध्ययनों में परिशुद्ध समष्टि घनत्व ज्ञात करने की आवश्यकता नहीं होती। आपेक्षिक घनत्वों (relative densities) को जान लेने से भी अपेक्षित उददेश्य की पूर्ति हो जाती है। उदाहरण के लिए किसी झील या तालाब में मछलियों के समष्टि घनत्व को प्रति पकड़ या ट्रैप में मछलियों की संख्या द्वारा भी जाना जा सकता है। कुछ मामलों में हम बिना जीवों को देखे या गिने समष्टि आकार का अप्रत्यक्ष रूप से आकलन करते हैं। हमारे राष्ट्रीय पार्को तथा टाइगर रिजर्व (Tiger reserves) में बाघों की गणना प्राय: पग चिह्न (Pug marks) व मल गुटिकाओं (Faecal pellets) पर आधारित होती है।

सहोपकारिता (Mutualism) 
सहोपकारिता (Mutualism) दो प्रजातियों के बीच होने वाली ऐसी सहजीवी (Symbiotic) पारस्परिक क्रिया है जिसमें दोनों ही प्रजातियों को लाभ होता है।
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सहोपकारिता के सम्बन्ध में साझेदार जीवों को भोजन प्राप्त करने व परभक्षियों से बचने में मदद मिलती है। परजीविता की तरह 'जीवों की दोस्ती' वाला यह सम्बन्ध जीवों के सभी जगतों (Kingdoms) में मिलता है। 

मोनेरा (Monera): जीवाणु जो मनुष्य की आहारनाल में निवास करते हैं, मनुष्य से भोजन प्राप्त करते हैं। लेकिन बदले में ऐसी विटामिन व अन्य पदार्थ संश्लेषित कर मनुष्य को उपलब्ध कराते हैं जो मनुष्य स्वयं नहीं कर सकता। मटर कुल के पौधों की जड़ों के राइजोबियम से आप परिचित है ही। 

प्रोटिस्टा (Protista): दीमक अर्थात टरमाइट जिसका प्रमुख भोजन लकड़ी (Wood) है। इसको खाने में समर्थ नहीं होती अगर इसकी आहार नाल में सेल्युलोज व लिग्निन को पचाने वाले सहोपकारी प्रोटोजोआ नहीं होते। 

कवक (Fungi): लाइकेन, एक कवक व प्रकाश संश्लेषी शैवाल (Algae) के बीच के घनिष्ट सहोपकारी सम्बन्धों का एक बेहतरीन उदाहरण हैं। इसमें शैवाल प्रकाश संश्लेषण कर भोजन बनाता है जबकि कवक जल व खनिजों के अवशोषण, सुरक्षा आदि जैसे कार्य सम्पन्न करता है। इसी प्रकार कवक व उच्चवर्ग के पौधों की जड़ों के बीच बनने वाला सहोपकारी सम्बन्ध माइकोराइजा (Mycorrhiza) कहलाता है। इसमें कवक पौधों की महत्त्वपूर्ण खनिजों के अवशोषण में मदद करता है तथा पौधे उन्हें ऊर्जा प्रदान करने वाले काबोहाइड्रेट प्रदान करते है।

जंतु (Animalia): सहोपकारिता के सबसे आकर्षक व विकास की दृष्टि से रोचक उदाहरण जन्तु - पादप सम्बन्धों में पाये जाते हैं। पौधों को अपने पुष्यों को परागित करने व बीजों के प्रकीर्णन (Dispersal) के लिए जन्तुओं की आवश्यकता होती है। अनेक ऐसे पुष्प हैं जो परागणकर्ता जंतु जैसे कौट आदि की अनुपस्थिति में परागित हो ही नहीं सकते। पौधे भी जन्तुओं के इस उपकार का बदला परागणकर्ताओं को पराग (Pollen), मकरन्द (Nectar) आदि के रूप में पुरस्कार देकर करते हैं। बीजों के प्रकीर्णन में सहायता करने वालों को रसीले, मीठे फलों का पुरस्कार दिया जाता है। पौधों और जन्तुओं के बीच की यह 'पक्की दोस्ती विकास के लम्बे सफर में विकसित हुई है। पौधे व जन्तुओं की इन पारस्परिक क्रियाओं में साझेदार (Partners) के सहविकास (Coevolution) की आवश्यकता होती है। इसका अर्थ है - पुष्प व इसके परागणकर्ता का विकास घनिष्ट रूप से जुड़ा होता है। 

अंजीर (Fig): अंजीर के पुष्प, पौधों व जन्तुओं के बीच के सहोपकारी सम्बन्ध के उल्लेखनीय उदाहरण हैं। अंजीर के पेड़ों की अनेक प्रजातियों का किसी - न - किसी बर्र की परागणकारी प्रजाति से घनिष्ट सम्बन्ध है। इसका अर्थ है कि अंजीर की कोई भी दी गई प्रजाति अपनी विशिष्ट साझीदार बर्र प्रजाति से ही परागित हो सकती है, किसी अन्य बरं प्रजाति से नहीं। प्रजाति विशिष्ट निर्भरता (अर्थात वैयक्तिक दोस्ती या पर्सनल फ्रेंडशिप) का यह एक अच्छा उदाहरण है। मादा बरं या ततैया (Wasp) अंजीर के फल को निम्न के लिए प्रयुक्त करती है-

  1. अण्डे देने या ओवीपोजीशन (oviposition) के स्थल के रूप में (अर्थात मादा बरं अंजीर के पुष्पक्रम/फल के अन्दर अण्डे देती है।) 
  2. लार्वाओं के पोषण के लिए अंजीर के फल के भीतर वृद्धि कर रहे बीजों का प्रयोग। 
  3. अण्डे देने के लिए उपयुक्त स्थान की तलाश करते समय मादा बरं इस पुष्प क्रम में अनजाने में ही परागण सम्पन्न करा देती है। 

परागण करने के बदले में अंजीर का पुष्प वृद्धि कर रहे कुछ बीजों को माद बरं के विकास कर रहे लार्वाओं के भोजन के रूप में प्रस्तुत कर देता है। पौधों व जन्तुओं के 'परागण करने व भोजन पाने के इस सहोपकारी सम्बन्ध की आड़ में कुछ ऐसे धोखेबाज (Cheater) जन्तु भी विकसित हो गये हैं जो पौधों से पराग व मकन्द चुराते हैं मगर परागण में मदद नहीं करते। 

लैंगिक कपट व छदम मैथुन (Sexual Decelt and Pseudocopulation) 
पौधों व उनके परागणकर्ताओं के सहविकास (Co - evolution) ने अनेक अचरजकारी उदाहरण प्रस्तुत किये हैं। विश्व के सुन्दरतम पुष्यों में शामिल आर्किड लुभावनी विविधता दर्शाते हैं। यह किसी एक विशिष्ट व उचित परागणकर्ता को आकर्षित करने हेतु विकसित हुए हैं ताकि परागण सुनिश्चित किया जा सके।
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भूमध्य सागरीय क्षेत्र (मेडिटेरेनियन रीजन) में पाया जाने वाला आकिंड 'आफिस म्यूसीफेरा (Ophrys muscifera) इस मामले में कुछ विशिष्ट है। इस पुष्प की एक पंखुडी (Petal) आकार, रंग, रूप और चिह्नों में एक प्रजाति की मादा मक्खी की हूबहू नकल होती है। बिल्कुल मादा मक्खी जैसा दिखने के कारण नर मक्खी इसकी ओर आकर्षित होकर इसके साथ मैथुन का प्रयास करती है। अर्थात मक्खी को आकर्षित करने के लिए यह पुष्प लैंगिक धोखेबाजी या कपट (Sexual Deceit) का सहारा लेता है। पुष्य के साथ कूट या छद्म मैथुन (Pseudocopulation) के दौरान नर मक्खी पर आर्किड के कुछ परागकण छिटक कर गिर जाते हैं जब यह मक्खी आर्किड के किसी अन्य पुष्प के साथ छदम मैथुन करती है तब यह परागकणों का स्थानान्तरण कर देती है, अत: आर्किड में परागण सम्पन्न हो जाता है। अगर वास्तविक मक्खी का रंग - रूप विकास के दौरान किसी भी कारण से थोड़ा - सा भी बदलता है तब परागण की सफलता तब तक कम हो जाएगी जब तक कि आर्किड का पुष्प सह विकास द्वारा उसी प्रकार का बदलाव प्राप्त न कर ले।

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प्रश्न 7. 
अण्डे देने के लिए बर्र उपयुक्त स्थल के लिए अंजीर के पुष्पक्रम को पसन्द करती है। कारण सहित समझाइये।
उत्तर:
अंजीर के पौधे व एक विशेष प्रजाति की बरं (Wasp) सहोपकारिता (mutualism) का एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। इसमें बर्र अंजीर के विशिष्ट प्रकार के पुष्पक्रम में परागण (pollination) सम्पन्न कराती है, बदले में अंजीर का पौधा मादा बरं को निम्न : सुविधाएं उपलब्ध कराता है-

  1. अण्डे देने (oviposition) के लिए सुरक्षित स्थला
  2. बरं के लार्वाओं को, विकसित हो रहे पोषक बीजों के रूप में खाद्य। 

प्रश्न 8. 
सहोपकारिता (म्यूच्युएलिज्म) क्या होता है? ऐसे कोई दो उदाहरण बताइये जिनमें सम्बद्ध जीव क्रषि के क्षेत्र में व्यापारिक दृष्टि से प्रयुक्त किये जाते हैं।
उत्तर:
दो जीवों के बीच होने वाली ऐसी पारस्परिक क्रिया जिसमें दोनों ही जीवों को लाभ होता है सहोपकारिता (mutualism) कहलाती है। कृषि के क्षेत्र में सहोपकारिता के निम्न दो उदाहरणों को व्यापारिक रूप से प्रयोग किया जाता है। 
(a) माइकोराइजा: कवक व उच्चवर्ग के पौधों की जड़ के बीच का सहोपकारी सम्बंधा 
(b) लेग्यूमिनस पौधे व राइजोबियम जीवाणु (Leguminous plants and Rhizobia): राइजोबियम जीवाणु नाइट्रोजन स्थिरीकरण करते है तथा मटर कुल के पौधों की जड़ों को दे देते हैं। इन दोनों ही उपायों से खेत की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होती है, इन्हें जैव उर्वरक (Biofertilizers) के रूप में प्रयोग किया जाता है।
धान के खेतों में एजोला - एनावीना का भी प्रयोग किया जा सकता है। 

प्रश्न 9. 
प्रतिकूल परिस्थितियों में जीवित बने रहने के लिए घोंघे, बीज, भालू, जूप्लेक्टान, कवक और जीवाणु अपने आप को किस प्रकार अनुकूलित कर लेते हैं।
उत्तर:
धोधे, बीज, भालू जूप्लैंक्टान, कवक व जीवाणु प्रतिकूल परिस्थितियों से बचने के लिए निलम्बन (suspend) नीति अपनाते हैं। यह जीव का 'समय से पलायन' (escape in time) है। जैसे- जीवाणु (Bacteria) व कवक (fungi) - मोटी भिति वाले बीजाणु (spores) बनाते हैं। प्रतिकूल परिस्थितियों में यह बीजाणु के रूप में निष्क्रिय पड़े रहते है व अनुकूल परिस्थिति आने पर अंकुरित हो जाते हैं। बीज (seeds) - में भविष्य का नन्हा पौधा कड़े सुरक्षित आवरण द्वारा ढका रहता है। इसमें उपापचय लगभग नगण्य होता है। प्रतिकूल परिस्थितियां समाप्त होने पर यह अंकुरित होकर नया पौधा बनाते है।

घोंघे (snails): अधिक ताप व शुष्कता से बचने के लिए यह कोमल शरीर वाले जीव ग्रीष्मनिष्क्रियता (aestivation) अपनाते हैं व अनुकूल वातावरण होने पर बाहर आ जाते हैं। 

भालू (Bear): ध्रुवीय भालू शून्य से भी बहुत नीचे वाले (कम तापमान) से बचने के लिए कुछ माह शीतनिष्क्रियता (hibernation) या (winter sleep) में चले जाते हैं। इस समय यह अपनी घटी हुई ऊर्जा आवश्यकताओं को संचित वसा से पूरा करते हैं। अनुकूल परिस्थितियां होने पर यह सक्रिय जीवन हेतु बाहर आ जाते हैं। 

जूप्लॅक्टान (zooplanktons): तालाब व झीलों में रहने वाले जूप्लैक्टॉन प्रतिकूल परिस्थितियों में विकास की निलम्बित अवस्था (suspended development) प्रदर्शित करते हैं जिसे उपरति (diapause) कहते हैं। 

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प्रश्न 10. 
(a) समष्टि के भीतर "जन्मदर" का क्या अर्थ है? एक उदाहरण देकर समझाइये। 
(b) वह दो अन्य विशिष्टताएँ लिखिए जो केवल समष्टि में देखी जाती हैं किसी व्यक्ति में नहीं देखी जा सकती।
उत्तर:
(a) समष्टि के अन्दर जन्मदर (Birth rate) का अर्थ है प्रति व्यक्ति जन्म (per capita birth) उदाहरण के लिए अगर एक तालाब में कमल के 20 पौधे थे, इस वर्ष प्रजनन द्वारा 8 नये पौधे और बन गये। अर्थात एक वर्ष में 20 से कुल 28 (20 + 8) पौधे हो गये। अत: जन्मदर होगी 8/20 = 0.4 संतति प्रति कमल का पौधा प्रतिवर्ष।

(b) समष्टि की तीन महत्वपूर्ण विशेषताएँ है - जन्मदर व मृत्युदर, लिंग अनुपात व आयु वितरण। 
1. जन्मदर व मृत्युदर (Birth Rate and Death Rate): जन्मदर (Birth rate) से तात्पर्य है प्रति जीव जन्म (per capita birth) मृत्युदर (Death rate) का अर्थ है प्रति जीव मृत्यु (per capita death) यह नियत समय में मापी जाती है।

2. लिंग अनुपात (sex ratio): जीव नर या मादा होते हैं जबकि समष्टि में लिंग अनुपात होता है। उदाहरण के लिए मनुष्य की जनसंख्या में लिंग अनुपात को प्रति 1000 पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या के रूप में देखा जाता है। 

3. आयु वितरण (Age distribution): समष्टि में जीवों को विभिन्न आयु वर्गों के रूप में विभाजित किया जाता है जैसे पूर्व प्रजननी आयु वर्ग (pre reproductive age group), प्रजननी आयु वर्ग (reproductive age group) तथा पश्च प्रजननी आयु वर्ग (Post reproductive age group)। इन आयु वर्गों में नर तथा मादा को साथ - साथ (combined) रखा जाता है। किसी समष्टि के विभिन्न आयु वर्गों का आरेखीय चित्रण आयु पिरामिड (age pyramid) कहलाता है। यह संकेत देता है कि समष्टि स्थिर है या बढ़ रही है अथवा घटने वाली है।

प्रश्न 11. 
किसी आवास में समष्टि घनत्व के घटने - बढ़ने के चार मूलभूत प्रक्रमों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
समष्टि गुण (Population Attributes) 
प्रकृति में जीव प्रायः एकाकी जीवन व्यतीत नहीं करते। उनमें से अधिकांश स्पष्ट, सुपरिभाषित भौगोलिक क्षेत्र में रहकर समान संसाधनों को साझा करते हैं, संसाधनों के लिए स्पर्धा करते हैं तथा आपस में प्रजनन करते हैं। यही जीवों की सहकारी इकाई (cooperative unit) अर्थात समष्टि है। आपस में प्रजनन का अर्थ यहाँ लैंगिक प्रजनन से है लेकिन पारिस्थितिक अध्ययनों में अलैगिक प्रजनन के फलस्वरूप बने जीवों को भी समष्टि ही माना जाता है। यह सही है कि परिवर्तित पर्यावरण का सामना व्यष्टि या एकाकी जीव ही करता है लेकिन प्राकृतिक वरण (Natural selection) समष्टि के स्तर पर ही संचालित होकर वांछित गुणों के विकास का कार्य करता है। समष्टि पारिस्थितिकी (Population ecology) समष्टि की, जीवों में आपस में व अपने पर्यावरण से होने वाली पारस्परिक क्रियाओं का अध्ययन है यह इकालॉजी का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, क्योंकि वह पारिस्थितिकी या इकालॉजी को समष्टि आनुवंशिकी (Population genetics) तथा विकास (Evolution) से जोड़ता है। एक समष्टि में कुछ ऐसे गुण होते हैं जो एकाकी जीव में नहीं पाये जाते जैसे जन्म दर व मृत्यु दर, लिंग अनुपात, आयु वितरण, समष्टि आकार व समष्टि घनत्व आदि। 

(A) जन्म दर व मृत्यु दर (Birth rate and Death rate) 
एकाकी जीव के सन्दर्भ में जन्म व मृत्यु का प्रयोग किया जाता है लेकिन समष्टि में जन्म दर व मृत्यु दर होती है। समष्टि में इन्हें क्रमश: प्रति व्यक्ति जन्म दर व मृत्यु दर के रूप में देखा जाता है। इसलिए दर को समष्टि के सदस्यों की संख्या में परिवर्तन (वृद्धि या कमी) के रूप में प्रकट किया जाता है। इस उदाहरण को देखिए-पिछले वर्ष एक तालाब में कमल के 20 पौधे थे तथा प्रजनन के कारण इस वर्ष इनकी संख्या में 8 की बढोत्तरी हो गई, इस प्रकार वर्तमान में 28 पौधे हो गये। अत: जन्म दर 8/20 = 0.4 संतति प्रति कमल का पौधा हुई। अगर प्रयोगशाला में फलों की मक्खी की समष्टि में 40 मक्खियां हैं। तथा दिये समय में, माना एक सप्ताह में इसमें से 4 मक्खियाँ मर गई तब उस समय में मृत्यु दर 4/40 = 01 जीव प्रति मक्खी प्रति सप्ताह हुई। 

(B) लिंग अनुपात (Sex ratio) 
एक जीव को नर या मादा के रूप में देखा जाता है लेकिन समष्टि में लिंग अनुपात का गुण होता है। जैसे 60 प्रतिशत समष्टि मादा व 40 प्रतिशत नर आदि। मानव समष्टि में इसे प्रति एक हजार पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या के रूप में अभिव्यक्त किया जाता है। लिंग अनुपात 940 के रूप में अभिव्यक्त करने का अर्थ है कि नियत समय में 1000 पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या 940 है।

(C) आयु वितरण (Age distribution) 
किसी भी नियत समय पर समष्टि भिन्न - भिन्न आयु के जीवों से मिलकर बनती है। किसी समष्टि में विभिन्न आयु-वर्ग के जीवों की आपेक्षिक बहुलता (relative abundance) उस समष्टि का आयु वितरण (Age distribution) कहलाती है। किसी भी समष्टि में प्राय: तीन आयु वर्ग, चिह्नित किये जाते हैं।
पूर्व प्रजननी (pre reproductive) आयु समूह। 
जनन क्षम (Reproductive) आयु समूह। 
पश्च प्रजननी (Post Reproductive) आयु समूह। 

आयु वितरण जन्म दर व मृत्यु दर पर निर्भर करता है तथा समष्टि वृद्धि को निर्धारित करता है। अगर किसी समष्टि के लिए आयु वितरण (दी गई आयु या आयु समूह के जीवों का प्रतिशत) को आलेखित किया जाता है। तो बनने वाला आरेख (ग्राफ) आयु पिरामिड (Age pyramid) कहलाता है। मानव जनसंख्या के लिए बनाये आयु पिरामिड में पुरुष व स्त्रियों के आयु समूहों को संयुक्त रूप से दर्शाया जाता है। जैसे जननक्षम पुरुष व स्त्री एक आयु समूह बनाते हैं। जनन पूर्व अवस्था या पूर्व प्रजननी अवस्था वाले बच्चे व बच्चियाँ एक आयु समूह बनाते हैं। इस आधार पर निम्न तीन प्रकार की समष्टियों का निर्माण होता है-
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  1. तेजी से बढ़ती समष्टि (Rapidly growing or expanding population): इस प्रकार की समष्टि में पूर्व प्रजननी जीवों की संख्या सबसे अधिक व पश्च प्रजननी जीवों की संख्या सबसे कम होती है। फलस्वरूप इससे जन्म दर अधिक व मृत्यु दर कम होती है। यह समष्टि में तीन वृद्धि की परिचायक होती है। वर्तमान में (सन् 2015) में भारत इसी प्रकार की जनसंख्या का देश है। 
  2. स्थिर समष्टि (Stationary or stable population): इस प्रकार की समष्टि में पूर्व प्रजननी व प्रजननी आयु वर्ग लगभग समान आकार के होते है। फलस्वरूप समष्टि का आकार लगभग स्थिर रहता है। वह शून्य समष्टि वृद्धि की अवस्था है। 
  3. घटती समष्टि (Declining population): इस प्रकार की समष्टि में पूर्व प्रजननी आयु वर्ग, प्रजननी आयु वर्ग से छोटा होता है। इसमें मृत्यु दर अधिक व जन्म दर कम होती है, फलस्वरूप समष्टि का आकार घटता है। भारत में पारसी समुदाय की जनसंख्या तेजी से घट रही है। 

(D) समष्टि आकार/घनत्व (Population size/Density): किसी भी समष्टि का आकार आवास में उसकी स्थिति या हैसियत के बारे में बहुत कुछ बताता है। किसी भी पारिस्थितिक प्रकिया जैसे किसी दूसरी जाति से स्पर्धा का परिणाम, किसी परभक्षी (predator) का प्रभाव या पीड़कनाशी के प्रयोग का असर आदि को समष्टि आकार में परिवर्तन के सन्दर्भ में ही देखा जाता है। जैसे कि वन में किसी नये परभक्षी जैसे बाघ के प्रवेश कराने से हिरणों की समष्टि पर एक वर्ष में कितना प्रभाव पड़ा।
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प्रकृति में यह बदलाव छोटी संख्या के रूप में, जैसे किसी वर्ष विशेष में भरतपुर के आर्द्र क्षेत्रों में 10 से कम साइबेरियन क्रेन या बड़ी संख्या के रूप में, जैसे किसी तालाब में क्लेमाइडोमोनास की संख्या में लाखों के बदलाव के रूप में हो सकते हैं। समष्टि आकार को तकनीकी रूप में समष्टि घनत्व (Population density) कहा जाता है तथा N द्वारा दर्शाया जाता है। समष्टि घनत्व को हमेशा संख्या के रूप में ही नहीं दर्शाया जाता है। यद्यपि, सामान्य रूप से, समष्टि घनत्व को कुल संख्या के रूप में ही मापा जाता है लेकिन कुछ मामलों में वह या तो अर्थहीन होती है या इनका निर्धारण अत्यधिक कठिन होता है। उदाहरण के लिए माना किसी क्षेत्र में एक विशाल कैनोपी वाला बरगद का पेड़ तथा 200 गाजर घास या पार्थीनियम के पौधे हैं। इस उदाहरण में यह कहना कि बरगद का समष्टि घनत्व गाजर घास की अपेक्षा कम है उचित व अर्थपूर्ण नहीं जान पड़ता। वह उस समुदाय में बरगद के पेड़ की भूमिका को कम करके आँकना है। ऐसी अवस्था में समष्टि के आकार को मापने हेतु प्रतिशत आवरण (Percent cover) अथवा जीव भार (Biomass) अधिक सार्थक है। समष्टि अगर बहुत बड़ी है तथा जीवों की संख्या गिनना असम्भव है या गिनना बहुत अधिक समय लेने वाला है, ऐसी स्थिति में भी समष्टि के आकार के लिए जीवों की कुल संख्या आसानी से अपनाया जा सकने वाला विकल्प नहीं है।

अगर प्रयोगशाला में पेट्री डिश में जीवाणुओं का एक घना संवर्धन है तब घनत्व निकालने के लिए कुल संख्या को आधार बनाना उचित नहीं है। इसमें, जीवभार को आधार बनाया जाता है। आच्छादित क्षेत्र व आधारी क्षेत्र (Cover and Basal Area) अनेक समुदायों में घनत्व जैसे मात्रात्मक (Quantitative) मूल्य जातियों के वितरण तथा प्रभाविता का सही चित्रण प्रस्तुत नहीं करते हैं। अत: ऐसे उदाहरणों में आच्छादित क्षेत्र व आधारी क्षेत्र मापा जाता है। आधारी क्षेत्र में प्रायः वृक्ष की कैनोपी के क्षेत्रफल को मापा जाता है। आधार क्षेत्र, प्रभाविता को निर्धारित करने वाले गुणों में प्रमुख है। वृक्षों में इसे सीने की ऊंचाई (breast height) पर मापा जाता है। इसे आधार या कम ऊचाई पर कैलीपर्स से मापा जा सकता है। वृक्ष की परिधि को धागे की सहायता से मापकर गणितीय सूत्र द्वारा उसका क्षेत्रफल निकाला जा सकता है।

कुछ पारिस्थितिक अध्ययनों में परिशुद्ध समष्टि घनत्व ज्ञात करने की आवश्यकता नहीं होती। आपेक्षिक घनत्वों (relative densities) को जान लेने से भी अपेक्षित उददेश्य की पूर्ति हो जाती है। उदाहरण के लिए किसी झील या तालाब में मछलियों के समष्टि घनत्व को प्रति पकड़ या ट्रैप में मछलियों की संख्या द्वारा भी जाना जा सकता है। कुछ मामलों में हम बिना जीवों को देखे या गिने समष्टि आकार का अप्रत्यक्ष रूप से आकलन करते हैं। हमारे राष्ट्रीय पार्को तथा टाइगर रिजर्व (Tiger reserves) में बाघों की गणना प्राय: पग चिह्न (Pug marks) व मल गुटिकाओं (Faecal pellets) पर आधारित होती है।

प्रश्न 12. 
रेगिस्तानी पौधों की पत्तियों में पाये जाने वाले चार अनुकूलन लिखिए।
उत्तर:

  1. पत्तियाँ या तो अनुपस्थित या काँटों (spines) में रूपान्तरित जैसे नागफनी (Opuntia) में। 
  2. पत्ती पर वाष्पोत्सर्जन रोकने के लिए मोटी उपचर्म (thick cuticle) 
  3. पर्णरन्ध्र गड्ढों में (गर्ती पर्णरन्ध्र) Sunken stomata 
  4. पत्तियों पर रोम (hairs) की उपस्थिति 

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प्रश्न 13. 
एक उदाहरण देते हुए समझाइये कि अण्ड परजीविता किसे कहते है?
उत्तर:
पक्षियों में पायी जाने वाली अण्ड परजीविता (Brood parasitism), परजीविता का एक अनूठा उदाहरण है। इस प्रकार की परजीविता में परजीवी पक्षी दूसरे (पोषक) पक्षी के घासले में अपने अण्ड दता हा पोषक पक्षी ही परजीवियों के अण्डों का सेचन (incubation) तथा अण्डों से निकलने के बाद उनके चूजों का पोषण करता है। प्राय: अण्डों में समानता होने के कारण पोषण पक्षी परजीवी पक्षी के अण्डों को पहचान नहीं पाता। कोयल (Cuckoo) इसी प्रकार का परजीवी है जो कौए के घोंसले में बसंत से गर्मी के बीच के प्रजनन काल में अण्डे देता है। 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. 
समय t में जनसंख्या घनत्व N के लिष्ट एक लॉजिस्टिक वृद्धि वक्र बनाइये तथा उसकी व्याख्या कीजिए जिसकी प्राकृतिक दर तथा वहन क्षमता K हो।
उत्तर:
लॉजिस्टिक समष्टि वृद्धि में समय के सापेक्ष समष्टि आकार को आरेखित करने पर 5 के आकार का या सिगमाइड वृद्धिवक्र (sigmoid growth curve) प्राप्त होता है यह वह स्थिति दर्शाता है जिसमें-
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एक नये पर्यावरण में किसी जीव का समष्टि पनत्व नवे पर्यावरण में अनुकूलित व स्थापित होने के कारण प्रारम्भ में धीमे - धीमे बढ़ता है- 
लॉग प्रावस्था (lag phase)

  1. जीव की प्राकृतिक वृद्धि की नैसर्गिक या इन्ट्रिसिक दर (r) के कारण जनसंख्या तेजी से बढ़ती है फिर त्वरण अवस्था में तेजी से बड़कर घातांकी वृद्धि प्राप्त कर लेता है - (acclerating phase)। यह धारण क्षमता (K) तक सम्भव है।
  2. फिर वृद्धि दर कम होना प्रारम्भ होती है (deceleration phase) 
  3. अन्त में वृद्धि दर शून्य हो जाती है (asymptote) जहाँ जन्मदर व मृत्युदर समान होती है। 

एक समष्टि जब सीमित संसाधनों वाले आवास/पर्यावरण में वृद्धि करती है तब वृद्धि का तरीका लॉजिस्टिक ही रहता है। इस प्रकार की समष्टि वृद्धि को वेरहस्ट पर्ल लॉजिस्टिक वृद्धि (Verhulst - Pearl Logistic Growth) कहा जाता है तथा निम्न समीकरण द्वार प्रदर्शित किया जाता है-
\(\frac{d N}{d t}=r N\left(\frac{K-N}{K}\right)\)
जहाँ N = t समय पर समष्टि घनत्व, 
r = प्राकृतिक वृद्धि की इन्ट्रिन्सिक दर तथा 
K = धारण क्षमता (Carrying capacity) है।
समष्टि वृद्धि दर में कमी का कारण आवश्यक संसाधनों जैसे खाद्य या स्थान के लिए बढ़ती स्पर्धा होती है। इस प्रकार की समष्टि वृद्धि को घनत्व निर्भर (density dependent) भी कहा जाता है क्योंकि किसी दिये गये संसाधन समुच्च्य के लिए वृद्धि दर, समष्टि में उपस्थित जीवों की संख्या पर निर्भर करती है।


प्रश्न 2. 
(a) एक व्यष्टि जीव की नहीं वरन् एक समष्टि के विभिन्न गुणों की सूची बनाइये। 
(b) समष्टि घनत्व क्या होता है? प्रत्येक का एक - एक उदाहरण देते हुए, किन्हीं तीन विभिन्न विधियों की व्याख्या कीजिए जिनसे समष्टि को मापा जा सकता है।
उत्तर:
(a) समष्टि की तीन महत्वपूर्ण विशेषताएँ है - जन्मदर व मृत्युदर, लिंग अनुपात व आयु वितरण। 

1. जन्मदर व मृत्युदर (Birth Rate and Death Rate): जन्मदर (Birth rate) से तात्पर्य है प्रति जीव जन्म (per capita birth) मृत्युदर (Death rate) का अर्थ है प्रति जीव मृत्यु (per capita death) यह नियत समय में मापी जाती है।

2. लिंग अनुपात (sex ratio): जीव नर या मादा होते हैं जबकि समष्टि में लिंग अनुपात होता है। उदाहरण के लिए मनुष्य की जनसंख्या में लिंग अनुपात को प्रति 1000 पुरुषों पर स्त्रियों की संख्या के रूप में देखा जाता है।

3. आयु वितरण (Age distribution): समष्टि में जीवों को विभिन्न आयु वर्गों के रूप में विभाजित किया जाता है जैसे पूर्व प्रजननी आयु वर्ग (pre reproductive age group), प्रजननी आयु वर्ग (reproductive age group) तथा पश्च प्रजननी आयु वर्ग (Post reproductive age group)। इन आयु वर्गों में नर तथा मादा को साथ - साथ (combined) रखा जाता है। किसी समष्टि के विभिन्न आयु वर्गों का आरेखीय चित्रण आयु पिरामिड (age pyramid) कहलाता है। यह संकेत देता है कि समष्टि स्थिर है या बढ़ रही है अथवा घटने वाली है।

(b) समष्टि आकार को अधिक तकनीकी रूप से समष्टि घनत्व (Population Density) कहा जाता है व 'N' द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। किसी प्रजाति का समष्टि घनत्व किसी आवास में उसकी स्थिति व हैसियत (status) के बारे में बहुत कुछ बताता है। किसी भी पारिस्थितिक क्रिया जैसे दो प्रजातियों के बीच की स्पर्धा या परभक्षण आदि का समष्टि पर प्रभाव समष्टि घनत्व पर पड़े प्रभाव के रूप में मापा जाता है।

  1. संख्या (Number): यह समष्टि घनत्व मापने का सर्वाधिक उपयुक्त व आम तरीका है जैसे भरतपुर के आईक्षेत्रों में 10 से कम साइबेरियन क्रेन, विद्यालय परिसर में 6 नीम के पेड़। 
  2. प्रतिशत आच्छद (Percent Cover): किसी क्षेत्र में अगर विशाल कैनोपी वाला एक वृहद् बरगद का पेड़ तथा 200 गाजर घास (पार्थीनियम) के पौधे हैं तो पार्थीनियम के सापेक्ष बरगद के समष्टि घनत्व को कम बताना उस समुदाय में बरगद की महती भूमिका को कम करके आँकना है। इस मामले में संख्या के बजाय प्रतिशत आच्छद (Percent cover) के रूप में समष्टि घनत्व दिया जाता है।
  3. जैवभार (Biomass): यीस्ट के सम्वर्धन में इसे जैवभार के रूप में मापा जा सकता है। 
  4. समष्टि घनत्व के स्थान पर आपेक्षिक घनत्व (relative densities) का मापन कुछ मामलों में उतना ही सटीक परिणाम देता है जैसे किसी झील में मछली की किसी प्रजाति के समष्टि घनत्व के मापन के लिए प्रति पकड़ (per trap) उस मछली की संख्या का जानना ही पर्याप्त होता है। 

बहुविकल्पीय प्रश्न (प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्न सहित)

प्रश्न 1. 
घीक्वार (Aloe vera) पौधे को किस श्रेणी में रखा जाता है?
(a) जलोद्भिद में 
(b) मरुद्भिद में 
(c) समोद्भिद् में 
(d) अधिपादप में
उत्तर:
(b) मरुद्भिद में 

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प्रश्न 2. 
सहोपकारिता पाई जाती है-
(a) पिचर प्लांट में 
(b) एगेरिकस में
(c) क्लेडोनिया में 
(d) आरोबैंकी में 
उत्तर:
(c) क्लेडोनिया में 

प्रश्न 3. 
रेतीली भूमि के रेगिस्तान में उगने वाले पौधे कौन - से समूह के अन्तर्गत आते हैं? 
(a) लिथोफाइट (Lithophyte) 
(b) सेमीफाइट (Psamophyte) 
(c) जलोद्भिद् (Hydrophyte)
(d) मरुद्भिद् (xerophyte) 
उत्तर:
(b) सेमीफाइट (Psamophyte) 

प्रश्न 4. 
जब एक जीव को हानि तथा दूसरे को न तो कोई लाभ तथा न कोई हानि हो तो समष्टि पारस्परिक क्रिया कहलाती है-
(a) परभक्षण
(b) परजीविता 
(c) सहोपकारिता 
(d) एमेन्सेलिज्म 
उत्तर:
(d) एमेन्सेलिज्म 

प्रश्न 5. 
निम्न में से कौन कवकों व उच्चवर्ग के पौधों की जड़ों के बीच सहोपकारी सम्बंध दर्शाता है।
(a) माइकोराइजा
(b) माइकोप्लाज्मा 
(c) लाइकेन
(d) माइकोबैक्टीरियम 
उत्तर:
(a) माइकोराइजा

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प्रश्न 6. 
किसी आवास विशेष में आपस में पारस्परिक क्रियाएँ करने वाली सभी समष्टियों को सामूहिक रूप किस रूप में व्यक्त किया जाता 
(a) समष्टि गतिकी 
(b) जैव समुदाय
(c) पारिस्थितिक तंत्र 
(d) सहजीविता 
उत्तर:
(b) जैव समुदाय

प्रश्न 7. 
किसी समष्टि की पारिस्थितिकी का अध्ययन कहलाता है-
(a) स्वपारिस्थितिकी 
(b) सिनइकोलॉजी 
(c) इकोटाइप
(d) डेमोग्राफी 
उत्तर:
(a) स्वपारिस्थितिकी 

प्रश्न 8. 
वृद्धि वक्र की सर्वाधिक वृद्धि पाई जाती है-
(a) स्थिर अवस्था में 
(b) लाग फेज में
(c) एक्सपोनेन्शियल फेज में 
(d) उपर्युक्त सभी में 
उत्तर:
(c) एक्सपोनेन्शियल फेज में 

प्रश्न 9. 
संसाधन असीमित होने पर किसी समष्टि में वृद्धि होती है-
(a) J के आकार की 
(b) S के आकार की 
(c) प्रारम्भ में Sआकार की फिर J आकार की
(d) वृद्धि नहीं हो सकती 
उत्तर:
(a) J के आकार की 

प्रश्न 10. 
बिस्टन बेटुलेरिया नामक शलभ एक उदाहरण है-
(a) अनुहरण (mimicry) का 
(b) छद्मावरण (camouflage) का 
(c) परभक्षण का
(d) सहोपकारिता का 
उत्तर:
(b) छद्मावरण (camouflage) का 

प्रश्न 11. 
समष्टि घनत्व को मापा जा सकता है-
(a) संख्या में
(b) जैवभार में 
(c) प्रतिशत आच्छद में 
(d) उपर्युक्त सभी में 
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी में 

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प्रश्न 12. 
किसी वर्षा वन में वृक्षों का सबसे ऊँचा स्तर कौन बनाता है-
(a) मरुद्भिद
(b) हीलियोफाइट 
(c) सियोफाइट
(d) उपरिरोही 
उत्तर:
(b) हीलियोफाइट 

प्रश्न 13. 
'लैंगिक धोखे' का एक उदाहरण है-
(a) एविनगडन कछुए 
(b) आफ्रिस म्यूसीफेरा 
(c) टीमेटोड परजीवी 
(d) बेलेनस बाकिल
उत्तर:
(b) आफ्रिस म्यूसीफेरा 

प्रश्न 14.
बूह परजीविता पाई जाती है-
(a) सी हार्स में
(b) ट्रॉपिकल मेड़कों में 
(c) कुछ पक्षियों में 
(d) गोल कृमियों में 
उत्तर:
(c) कुछ पक्षियों में 

प्रश्न 15. 
सी - एनीमोन व क्लाउन फिश के बीच की पारस्परिक क्रिया है-
(a) परजीविता
(b) सहोपकारिता
(c) परभक्षिता
(d) सहभोजिता
उत्तर:
(d) सहभोजिता

HOTS : Higher Order Thinking Skill Questions

प्रश्न 1. 
क्या एक से अधिक प्रजातियाँ एक ही कर्मता ग्रहण कर सकती है? 
उत्तर:
गॉस के कम्पटीटिव एक्सक्लुजन सिद्धान्त. (competitive exclusion principle) के अनुसार कोई दो घनिष्ठ रूप से सम्बंधित प्रजातियाँ जो समान संसाधनों के लिए स्पर्धा कर रही हों अनिश्चित काल तक साथ-साथ नहीं रह सकतीं तथा अंततः प्रतिस्पर्धात्मक रूप से कमजोर प्रजाति निष्कासित कर दी जाती है। लेकिन आधुनिक अनुसंधान ऐसे सकल सामान्यीकरण का समर्थन नहीं करते। यह अनुसंधान बताते हैं कि स्पर्धा करने वाली प्रजातियां ऐसी विधि विकसित कर सकती है जो सहअस्तित्व को बढ़ावा दें न कि निष्कासन को। ऐसी एक विधि संसाधन बंटवारा (Resource Partitioning) हैं, अर्थात प्रजातियाँ अपने भोजन ग्रहण करने के अलग समय का चयन कर स्पर्धा से बच सकती है। मैक आर्थर (Mac Arthur) ने प्रदर्शित किया कि वार्बलर (Warbler) की पाँच सम्बंधित प्रजातियाँ अपनी दाना खाने (feeding) की गतिविधियों में भिन्नता के कारण स्पर्धा से बची रहकर एक ही पेड़ पर अस्तित्व बना सकती है। अर्थात एक निश में एक से अधिक प्रजातियाँ भी कुछ बदलावों के साथ रह सकती है। 

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प्रश्न 2. 
एक ऐसी प्रजाति बताइये जो परभक्षी व शिकार दोनों होती हैं? 
उत्तर:
मेढ़क, कीटों को खाते समय परभक्षी व साँप का शिकार। 

प्रश्न 3. 
कुछ किसान कहते हैं कि मटर कुल के पौधे मृदा की मांग बढ़ा देते है? स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
मटर कुल के पौधों की जड़ों में पाये जाने वाले सहोपकारी जीवाणु राइजोबियम नाइट्रोजन स्थिरीकरण करते हैं। इससे पौधों में तेजी से वृद्धि होती है, अब इस मांग को पूरा करने के लिए जल के साथ पोटैशियम व फास्फोरस की मांग बढ़ जाती है। 

प्रश्न 4. 
उत्तरजीविता वक्र (Survivorship curves) क्या है? 
उत्तर:
प्रजनन योग्य आयु प्राप्त करने से पहले ही मर जाने वाले जीवों का प्रतिशत (पूर्व प्रजनन मोटॅलिटी - Pre reproductive mortality) समष्टि के आकार को प्रभावित करने वाला एक बड़ा कारण है। अनेक समष्टियाँ वर्ष दर वर्ष समान आकार की रहती हैं। इन मामलों में प्रत्येक नर व मादा से औसतन दो संततियों का प्रजनन आयु तक पहुंचना आवश्यक होता है। अगर हम नवजात जीवों की समष्टि से प्रारम्भ कर संख्या को समय के सापेक्ष आरेखित करें तो उत्तरजीविता वक्र प्राप्त होता है। ऊर्ध्वाधर अक्ष पर उत्तरजीवियों की वास्तविक संख्या या प्रतिशत उत्तरजीविता लिखी जाती है। 
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विभिन्न प्रजातियों के भिन्न-भिन्न प्रकार के उत्तरजीविता वक्र होते हैं-
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NCERT EXEMPLAR PROBLEMS

प्रश्न 1. 
स्वपारिस्थितिकी (autecology) है-
(a) एक पारिस्थितिक तंत्र व इसके पर्यावरण का अध्ययन 
(b) एक जीव व इसके पर्यावरण के सम्बंधों का अध्ययन 
(c) एक समुदाय व इसके पर्यावरण के सम्बंधों का अध्ययन
(d) एक जीवोम व इसके पर्यावरण के सम्बंधों का अध्ययन 
उत्तर:
(b) एक जीव व इसके पर्यावरण के सम्बंधों का अध्ययन 

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प्रश्न 2. 
इकोटोन (ecotone) है-
(a) एक प्रदूषित क्षेत्र 
(b) किसी झील का तल 
(c) दो समुदायों के बीच का अंतरण क्षेत्र
(d) विकास करते समुदाय का क्षेत्र 
उत्तर:
(c) दो समुदायों के बीच का अंतरण क्षेत्र

प्रश्न 3. 
जैवमण्डल है-
(a) पारिस्थितिक तंत्र का एक घटक 
(b) मृदा में उपस्थित पौधों से बना हुआ 
(c) बाह्य अंतरिक्ष में जीवन 
(d) पृथ्वी पर उपस्थित सभी जीवधारी जो अपने भौतिक पर्यावरण से पारस्परिक क्रिया करते हैं, से बना
उत्तर:
(d) पृथ्वी पर उपस्थित सभी जीवधारी जो अपने भौतिक पर्यावरण से पारस्परिक क्रिया करते हैं, से बना

प्रश्न 4. 
पारिस्थितिक कर्मता (niche) है-
(a) महासागरों की तली 
(b) पारिस्थितिक रूप से अनुकूलित क्षेत्र 
(c) समुदाय में एक प्रजाति की भौतिक स्थिति पर कार्यात्मक भूमिका
(d) एक झील के तल पर रहने वाले सभी पौधों व जन्तुओं से बना 
उत्तर:
(c) समुदाय में एक प्रजाति की भौतिक स्थिति पर कार्यात्मक भूमिका

प्रश्न 5. 
अलेन के नियम के अनुसार ठण्डे क्षेत्रों में रहने वाले स्तनधारी के
(a) छोटे कान व लम्बे पाद (limbs) होते हैं 
(b) लम्बे कान व छोटे पाद होते है
(c) लम्बे कान व लम्बे पाद होते हैं 
(d) छोटे कान व छोटे पाद होते हैं
उत्तर:
(d) छोटे कान व छोटे पाद होते हैं

प्रश्न 6. 
समुद्र के पानी की लवणता (salinity) प्रति हजार भाग में माप करने पर होती है-
(a) 10 - 15
(b) 30 - 70 
(c) 0 - 5
(d) 30 - 35 
उत्तर:
(d) 30 - 35 

प्रश्न 7. 
उष्णकटिबन्धीय वनों के बनने के लिए कितने माध्य वार्षिक औसत तापमान वं माध्य वार्षिक औसत वर्षा की आवश्यकता होती है-
(a) 18 - 25°C व 150 - 400 cm 
(b) 5 - 15°C व 50 - 100 cm 
(c) 30 - 50°C व 100 - 150 cm
(d) 5 - 15°C व 100 - 200 cm 
उत्तर:
(a) 18 - 25°C व 150 - 400 cm 

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प्रश्न 8. 
लाइकेन बनते हैं-
(a) जीवाणु व कवक से 
(b) शैवाल व जीवाणु से
(c) कवक व शैवाल से 
(d) कवक व विषाणु से 
उत्तर:
(c) कवक व शैवाल से 

प्रश्न 9. 
निम्न में से कौन - सा आंशिक मूल परजीवी (root parasite)
(a) चन्दन का पेड़ (Sandal wood Tree) 
(b) ओरोबैंकी (Orobanche) 
(c) मिसिलटो (Mistletoe)
(d) गेनोडर्मा (Ganoderma) 
उत्तर:
(a) चन्दन का पेड़ (Sandal wood Tree)

प्रश्न 10. 
अपने देश के राष्ट्रीय पार्क व अभयारण्यों में बाघों की गणना हेतु किस विधि का प्रयोग किया जाता है? 
(a) पद चिह या पग मार्क 
(b) पद चिन्ह व मल गुटिकाएं (pug marks and faecal pellets) 
(c) केवल मल गुटिकाएं 
(d) वास्तविक बाघ की पहचान
उत्तर:
(b) पद चिन्ह व मल गुटिकाएं (pug marks and faecal pellets) 

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. 
वह प्रजातियाँ जो तापमान के संकीर्ण परास को सहन कर सकती हैं। क्या कहलाती हैं? 
उत्तर:
स्टेनोथर्मल (Stenothermal)

प्रश्न 2. 
यूरीथर्मिक प्रजातियाँ क्या हैं? 
उत्तर:
वह प्रजातियाँ जो तापमान के विस्तृत परास (wide range) को सहन कर सकती हैं यूरीधर्मल (Eurythermal) प्रजातियाँ कहलाती है। 

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प्रश्न 3. 
माइकोराइजा क्या है? 
उत्तर:
कवक व उच्च वर्ग के पौधों की जड़ों के बीच का सहोपकारी (mutualistic) सम्बंध माइकोराइजा कहलाता है। 

प्रश्न 4. 
समुद्र किनारों के पेड़ जो समुद्र की लवणता को सहन कर लेते हैं, क्या कहलाते हैं? 
उत्तर:
हेलोफाइट (Halophyte)

प्रश्न 5. 
संसाधनों के असीमित होने पर वृद्धि दर का तरीका क्या होगा? 
उत्तर:
चरघातांकी (Exponential) 

प्रश्न 6. 
बाह्य परजीवी व अन्तः परजीवी को परिभाषित कीजिए व उपयुक्त उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
किसी पोषक के शरीर की बाहरी सतह पर रहकर पोषण प्राप्त करने वाले परजीवी बाह्य परजीवी कहलाते हैं जैसे मनुष्य के जूँ। पोषक के शरीर के अन्दर रहकर पोषण प्राप्त करने वाले परजीवी अन्तः परजीवी कहलाते हैं जैसे टेपवर्म। 

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. 
स्वच्छ जलीय जीवों में संकुचनशील रिक्तियाँ पाई जाती है जबकि अधिकांश समुद्रजल वाले जीवों में इनका अभाव होता है। क्यों? 
उत्तर:
स्वच्छ जलीय जीवों में जल अन्त: परासरण (endosmosis) द्वारा लगातार शरीर के अन्दर प्रवेश करता है क्योंकि बाह्य जल कोशिका द्रव की अपेक्षा (Hypotonic) या तनु (Dilute) होता है। कोशिका द्रव्य में जल की मात्रा बहुत अधिक बढ़ जाने से उपापचय पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। अत: जल की अतिरिक्त मात्रा को संकुचनशील रिक्तिका लगातार शरीर से बाहर निकालती रहती है। समुद्री जल में रहने वाले जीवों में बाह्य वातावरण समपरासरी (Isotonic) होता है अत: इसकी आवश्यकता नहीं होती। 

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प्रश्न 2. 
हीलियोफाइट व सियोफाइट को परिभाषित कीजिए। अपने इलाके के एक एक हीलियोफाइट व सियोफाइट के उदाहरण दीजिए। 
उत्तर:
प्रकाशप्रिय पौधे अर्थात प्रकाश की उच्च तीव्रता में उगने वाले पौधे होलियोफाइट (heliophyte) कहलाते हैं जैसे सूरजमुखी। छाया में उगने वाले या कम तीव्रता का प्रकाश पसन्द करने वाले पौधे सियोफाइट (Sciophyte) कहलाते हैं जैसे मनी प्लाण्ट। 

प्रश्न 3. 
निम्न पौधों को जलोद्भिद, लवणोभिद, समोभिद व मरवृभिव के रूप में वर्गीकृत कीजिए। अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए-
(a) साल्वीनिया 
(b) नागफनी 
(c) राइजोफोरा
(d) मैंगीफेरा। 
उत्तर:
साल्वीनिया (Salvinia): जलोद्भिद (Hydrophyte) है क्योंकि यह जल में पाया जाता है। 
नागफनी (Opuntia) मरुद्भिद है क्योंकि यह जल की कमी वाले क्षेत्रों में पाया जाता है। 
राइजोफोरा (Rhizophora) लवणोद्भिद (Halophyte) है क्योंकि यह मैग्रोव वनों में लवणीय परिस्थितियों में मिलता है। 
मैंगोफेरा (Mangifera) अर्थात आम एक समोद्भिद (Mesophyte) है जो न तो शुष्क वातावरण में मिलता है न अधिक आर्द्र क्षेत्रों में अर्थात जल की औसत अवस्था में मिलता है।

प्रश्न 4. 
किसी तालाब में हमें तैरने वाले, पानी में डूबे व जड़ वाले, जड़ वाले मगर पानी से बाहर निकलने वाले तथा जड़ वाले लेकिन तैरने वाली पत्तियों वाले पौधे मिलते हैं। इन पौधों के नाम के आगे उनका प्रकार लिखिए। 
(a) हाइडिला 
(b) टायफा 
(c) निम्फिया 
(d) लेम्ना 
(e) वैलिसनेरिया 
उत्तर:

पौधे का नाम (Plant Name)

प्रकार (Type)

(a) हाइडिला (Hydrilla)

जड़ वाले डूबे (निमग्न) (Rooted Submerged)

(b) टायफा (Typha)

जड़ वाले बाहर निकले हुए (Rooted emerged)

(c) निम्फिया (Nymphora)

जड़ वाले मगर तैरने वाली पत्तियाँ (Rooted with floating leaves)

(d) लेम्ना (Lemna)

तैरने वाला मुक्त प्लावी (Free floating)

(e) वैलिसनेरिया (Vallisnaria)

जड़ वाले निमग्न (Raoted Submerged)


प्रश्न 5.
किसी आवास में एक समष्टि का घनत्व प्रति इकाई क्षेत्र विभिन्न इकाइयों में मापा जाता है। निम्न के आगे मापन की इकाई लिखिए।
(a) जीवाणु 
(b) बरगद 
(c) मृग 
(d) मछली 
उत्तर:
जीवाणु - जैवभार, बरगद - प्रतिशत आच्छद (percent cover), मृग - संख्या (Number) मछली - संख्या (आपेक्षिक घनत्व) के रूप में

प्रश्न 6.
RBSE Class 12 Biology Important Questions Chapter 13 जीव और समष्टियाँ 8
(a) इस आयु पिरामिड में स्तर 1,2,3 का नामांकन कीजिए। 
(b) इस आयु पिरामिड से किस प्रकार की समष्टि वृद्धि का प्रतिनिधित्व हो रहा है? 
उत्तर:
(a) 

  1. पूर्वप्रजननी आयुवर्ग (Prereproductive age group)
  2. प्रजननी आयु वर्ग (Reproductive age group)
  3. पश्च प्रजननी आयुवर्ग (Post reproductive age group) 

(b) बढ़ती समष्टि (Increasing population)

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प्रश्न 7. 
मनुष्य की आंत में पाये जाने वाले दो सूक्ष्मजीवों के वैज्ञानिक नाम लिखिए। 
उत्तर:
लैक्टोबेसीलस लैक्टिस (Lactobacillus lactis)
एश्चीरीचिया कोली (Escherechia coli) 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. 
नीचे दिये गये चित्र का अवलोकन कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
RBSE Class 12 Biology Important Questions Chapter 13 जीव और समष्टियाँ 9
(a) कौन - सा जीवोम वार्षिक वर्षा का सर्वाधिक बड़ा परास (range) दिखाता है? 
(b) कौन - सा जीवोम तापमान का सर्वाधिक बड़ा परास दिखाता 
(c) शंकुधारी वन (coniferous forest) के लिए माध्य वार्षिक तापमान का परास बताइये। 
(d) शीतोष्ण वन (temperate forest) के लिए माध्य वार्षिक वर्षा का परास बताइये। 
(e) किस जीवोम का माध्य वार्षिक तापमान सबसे कम है? 
उत्तर:
(a) उष्णकटिबन्धीय वन (Tropical forest)
(b) घास के मैदान (Grass land) 
(c) 0°C से 15°C 
(d) 55 से 250 cm
(e) आकटिक व एल्पाइन टुण्डा 

RBSE Class 12 Biology Important Questions Chapter 13 जीव और समष्टियाँ

प्रश्न 2. 
प्रतिवर्ष सर्दियों में रूस से साइबेरियन क्रेन प्रजनन के लिए भारत में प्रवास करते हैं। वर्ष 2006 में किए एक सर्वेक्षण के मान नीचे समीकरण में दिये हैं-
N(t + 1) = Nt + (B + I) - (D + E)
N(t + 1) = 1200 + (600 + 700) - (200 + 800) 
इसके आधार पर निम्न का उत्तर दीजिए-
(a) जन्मदर (Natality)
(b) मृत्युदर (Mortality)
(c) अप्रवासित (immigrated) क्रेनों की संख्या
(d) उत्प्रवासित (emigrated) क्रेनों की संख्या।
(e) सन् 2006 में भारत में क्रेन की समष्टि। 
उत्तर:
(a) 600 (जन्मदर) B
(b) 200 (मृत्युदर) D 
(c) 700 (अप्रवासित) (Immigrated) I 
(d) 800 उत्प्रवासित (Emigrated) E 
(e) 1200 + (600 + 700) - (200 + 800)
1200 + (1300) - (1000) 
1200 + 300 = 1500 - N(t + 1)

Bhagya
Last Updated on Dec. 4, 2023, 10:15 a.m.
Published Dec. 3, 2023