These comprehensive RBSE Class 11 Physics Notes Chapter 3 सरल रेखा में गति will give a brief overview of all the concepts.
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→ एकविमीय गति-यदि कोई पिण्ड किसी सीधी रेखा में | गतिशील होता है तो उसकी गति को एकविमीय गति कहते हैं। यह गति x अक्ष, y अक्ष तथा Z अक्ष में से किसी एक अक्ष में होती है। सीधी रेल की पटरी पर गतिशील रेलगाड़ी की गति को एकविमीय गति कहा जा सकता है।
→ वस्तुओं की गति-यदि किसी वस्तु की स्थिति में किसी निर्देश तन्त्र के सापेक्ष एवं समय के साथ परिवर्तन होता है तो वस्तु गतिशील अवस्था में कहलाती है। उदाहरणार्थ-सूर्य के चारों ओर भ्रमण करते हुए पृथ्वी सहित अन्य सभी ग्रह।
→ गति के प्रकार
→ दूरी व विस्थापन
दूरी-किसी गतिशील वस्तु (पिण्ड) द्वारा निश्चित समय अन्तराल में उसकी गति के अन्तिम तथा प्रारम्भिक स्थितियों के मध्य तय किये गये पथ की लम्बाई को दूरी (distance) कहते हैं। यह एक अदिश राशि है। दूरी को नापने का यंत्र ओडीमीटर होता है।
विस्थापन-विस्थापन की दिशा प्रारम्भिक स्थिति से अन्तिम स्थिति की ओर इंगित होती है। मूल बिन्दु के सापेक्ष अन्तिम स्थिति दायीं ओर होने पर विस्थापन सदिश धनात्मक तथा अन्तिम स्थिति बायीं ओर होने पर विस्थापन सदिश ऋणात्मक लिया जाता है।
जैसे वृत्ताकार पथ के लिए यदि कोई वस्तु स्थिति A से गतिशील होकर पुनः A पर आ जाये तब
दूरी = 2πr और विस्थापन = शून्य
→ चाल व वेग. चाल-एकांक समय में वस्तु द्वारा तय की गई दूरी को वस्तु की चाल कहते हैं। यह एक अदिश राशि है।
वेग - किसी गतिशील वस्तु द्वारा निश्चित दिशा में एकांक समय में तय की गई दूरी को वस्तु का वेग कहते हैं। यह एक सदिश राशि है। अर्थात् वेग का मान धनात्मक, ऋणात्मक, शून्य कुछ भी हो सकता है ।
→ औसत चाल की गणना के लिए कुछ महत्त्वपूर्ण बिन्दु
(i) समय औसत चाल
vav = \(\frac{v_1 t_1+v_2 t_2+v_3 t_3+\ldots \ldots}{t_1+t_2+t_3+\ldots \ldots}\)
विशेष स्थिति:
जब कण अपनी कुल मात्रा के आधे समय तक V1 चाल से तथा शेष आधे समय तक V2 चाल से गति करता है तो
vav = \(\frac{v_1+v_2}{2}\)
(ii) दूरी औसत चाल vav = \(\frac{s_1+s_2+s_3+\ldots .}{\frac{s_1}{v_1}+\frac{s_2}{v_2}+\frac{s_3}{v_3}+\ldots .}\)
(a) जब कण पहली आधी दूरी V1 चाल से तथा आधी दूरी V2 चाल से तय करता है तो
vav = \(\frac{2 v_1 v_2}{v_1+v_2}\)
(b) जब कण प्रथम एक-तिहाई दूरी v2 चाल से, अगली एक-तिहाई दूरी v2 चाल से तथा अन्तिम एक-तिहाई दूरी v3 चाल से तय करता है, तो
vav = \(\frac{3 v_1 v_2 v_3}{v_1 v_2+v_2 v_3+v_3 v_1}\)
→ रेखा (v) तथा समय (t) में आलेख - एकसमान गति में वेग और समय के मध्य खींचे गये ग्राफ ( सरल रेखा) व समय अक्ष के मध्य बन रहे आयत का क्षेत्रफल, पिण्ड द्वारा तय की गई दूरी (विस्थापन) के बराबर होता है ।
→ त्वरण - "किसी गतिमान वस्तु के को त्वरण कहते हैं।" यह एक सदिश राशि करते हैं।
त्वरण के प्रकार-
→ एकसमान त्वरण से गतिमान वस्तु का शुद्धगतिकी सम्बन्धी समीकरण
v = u + at
s = ut + \(\frac{1}{2}\)at2
v2 = u2 + 2as
यदि s = x – x0 है तब इनका रूप
x - x0 = ut + \(\frac{1}{2}\)at2
x = x0 + ut + \(\frac{1}{2}\)at2
और v2 = u2 +2a(x - x0)
→ किसी विशेष सेकण्ड में वस्तु का विस्थापन
sn = u + \(\frac{1}{2}\)a (2n - 1)
→ गुरुत्व के अन्तर्गत गति-इस स्थिति में कण के लिए परिवर्तित गति के समीकरण निम्न होंगे
(i) जब गुरुत्वीय त्वरण, त्वरण के रूप में कार्य करता है
v = u + gt
h = ut + \(\frac{1}{2}\)gt2
v2= u2 + 2gh
(ii) जब गुरुत्वीय त्वरण मंदक के रूप में कार्य करता है
v = u - gt
h = ut - \(\frac{1}{2}\)gt2
v2= u2 - 2gh
n सेकण्ड में चली दूरी (ऊँचाई)
h = u - \(\frac{1}{2}\)(2n - 1)
नोट-जब किसी वस्तु को नीचे से ऊर्ध्वाधर ऊपर की ओर फेंकी जाती है तो वस्तु का अन्तिम वेग (v) = 0 होता है।
→ आपेक्षिक वेग-एक कण के सापेक्ष अन्य कण की स्थिति में समय के साथ परिवर्तन की दर को सापेक्ष वेग या आपेक्षिक वेग कहलाता है। वाहन A का B के सापेक्ष वेग निम्न होता है
\(\overrightarrow{\mathrm{v}_{\mathrm{AB}}}=\overrightarrow{\mathrm{v}_{\mathrm{A}}}-\overrightarrow{\mathrm{v}_{\mathrm{B}}}\)
वाहन B का वाहन A के सापेक्ष वेग निम्न होता है
\(\overrightarrow{\mathrm{v}_{\mathrm{BA}}}=\overrightarrow{\mathrm{v}_{\mathrm{B}}}-\overrightarrow{\mathrm{v}_{\mathrm{A}}}\)
यदि दोनों वाहन एक-दूसरे की ओर आ रहे हैं, तब
| VAB| = | VBA| = | VA| + |VB| होता है।
→ जब हम विस्थापन और समय में ग्राफ खींचते हैं तो उसका ढाल वेग के बराबर होता है।
→ जब हम वेग और समय में ग्राफ को खींचते हैं तो उसका ढाल त्वरण के बराबर होता है। वेग समय ग्राफ में वक्र और समय अक्ष के मध्य का क्षेत्रफल, पिण्ड के विस्थापन के बराबर होता है।