These comprehensive RBSE Class 11 Physics Notes Chapter 2 मात्रक और मापन will give a brief overview of all the concepts.
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→ मात्रक-भौतिक राशि के लिये वह सुपरिभाषित मान, जिससे तुलना करने पर उसी प्रकार की भौतिक राशि का परिमाण ज्ञात किया जाता है, मात्रक कहलाता है।
→ मूल मात्रक-वे मात्रक जो पूर्ण रूप से स्वतंत्र हों और एकदूसरे से सम्बंधित नहीं किये जा सकते, मूलं मात्रक कहलाते हैं।
→ व्युत्पन्न मात्रक-जो मात्रक मूल मात्रकों पर आधारित होते हैं उन्हें व्युत्पन्न मात्रक कहते हैं। क्षेत्रफल, आयतन, घनत्व इत्यादि के मात्रक व्युत्पन्न मात्रक हैं। विभिन्न मात्रक पद्धतियों में उपर्युक्त राशियों के मात्रक इस प्रकार हैं
→ मात्रकों की पद्धतियाँ-मात्रकों की तीन पद्धतियाँ हैं
(अ) सेन्टीमीटर ग्राम सेकण्ड पद्धति या (C.G.S.) ।
(ब) फुट पाउण्ड सेकण्ड अथवा ब्रिटिश पद्धति (FP.S.), इसमें लम्बाई फुट में, द्रव्यमान पाउण्ड में तथा समय सेकण्ड में नापा जाता है।
(स) मीटर किलोग्राम से. (M.K.S.) में लम्बाई (L) मीटर में, द्रव्यमान (m), किलोग्राम (Kg) में तथा समय (S) सेकण्ड में।
→ S.I. पद्धति के मूल मात्रक निम्नलिखित हैं
→ अन्तर्राष्ट्रीय मात्रक पद्धति में सात मूल राशियाँ हैं जो निम्न हैं
→ दूरी का सबसे बड़ा मात्रक पारसेक तथा द्रव्यमान का सबसे बड़ा मात्रक चन्द्रशेखर सीमा (C.S.L.) है।
1 पारसेक = 3.1 x 1016 मीटर = 3.28 प्रकाश वर्ष, अति सूक्ष्म दूरी का मात्रक 1 फर्मी (fm) = 10-15 m
1C.S.L. = 1.4 x सूर्य का द्रव्यमान ।
→ समय का सबसे छोटा मात्रक शेक है।
1 शेक = 10-8 सेकण्ड
→ मापन करने के लिये दो अतिरिक्त पूरक मात्रक
(अ) सरल कोण तथा
(ब) ठोस कोण, ये क्रमशः रेडियन (rad) तथा स्टेरेडियन (Sr) हैं।
→ द्रव्यमान तथा संहति-वस्तु में उपस्थित द्रव्य की मात्रा को द्रव्यमान कहते हैं।
→ जड़त्व का द्रव्यमान-किसी पिण्ड का वह द्रव्यमान जो उसके जड़त्व की माप है
m = \(\frac{F}{a}\)
→ गुरुत्वीय द्रव्यमान-किसी पिण्ड पर पृथ्वी के द्वारा जो आयतित गुरुत्वीय खिंचाव से पिण्ड के गुरुत्वीय द्रव्यमान का निर्धारण होता है।
m = \(\frac{W}{g}\)
→ प्रकाश वर्ष - एक वर्ष में प्रकाश द्वारा तय की गयी दूरी को प्रकाश वर्ष कहते हैं ।
1 L.Y = 9.46 × 1015
→ परमाणु द्रव्यमान मात्रक (amu )
1 amu = \(\frac{1}{12}\) [C12 के परमाणु का द्रव्यमान ]
→ किसी भौतिक राशि का मापन एक सीमा तक ही शुद्धतापूर्वक किया जा सकता है। भौतिक राशि के वास्तविक एवं मापित मान में अन्तर को त्रुटि कहते हैं ।
→ त्रुटि को सदैव प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है।
→ मापन में त्रुटियाँ - किसी भौतिक राशि का शुद्ध मापन संभव नहीं है। मापन में यह अनिश्चितता त्रुटि कहलाती है।
→ मापन में उत्पन्न त्रुटियों को तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है
→ परम त्रुटि - किसी भौतिक राशि के वास्तविक मान तथा प्रेक्षित मान के अन्तर को परम त्रुटि कहते हैं। इस मान को 4a से प्रदर्शित किया जाता है । यह मान भिन्न-भिन्न परिस्थितियों में धनात्मक एवं ऋणात्मक हो सकते हैं।
→ आपेक्षिक त्रुटि
→ माध्य परम त्रुटि - किसी राशि के सभी मापन से प्राप्त परम त्रुटियों के परिमाण का अंकगणितीय माध्य परम त्रुटि कहलाता है।
→ त्रुटियों में संयोजन या संचरण
(i) राशियों के योग व व्यवकलन में त्रुटि
\(\frac{\Delta x}{x}=\pm\left(\frac{\Delta a}{a}+\frac{\Delta b}{b}\right)\)
(ii) राशियों का गुणनफल - अधिकतम भिन्नात्मक त्रुटि का मान
\(\frac{\Delta \mathrm{x}}{\mathrm{x}}=\pm\left(\frac{\Delta \mathrm{a}}{\mathrm{a}}+\frac{\Delta \mathrm{b}}{\mathrm{b}}\right)\)
नोट- गुणन एवं भागफल संक्रियाओं में भिन्नात्मक त्रुटि का अधिकतम मान =\(\pm\left(\frac{\Delta \mathrm{a}}{\mathrm{a}}+\frac{\Delta \mathrm{b}}{\mathrm{b}}\right)\) होता है।
(iv) दो राशियों की घातों के कारण त्रुटि
\(\pm \frac{\Delta \mathrm{x}}{\mathrm{x}}=\pm\left(\mathrm{n} \frac{\Delta \mathrm{a}}{\mathrm{a}}+\mathrm{m} \frac{\Delta \mathrm{b}}{\mathrm{b}}\right)\)
→ सार्थक अंक-किसी भौतिक राशि के मापन में यथार्थता की माप को सार्थक अंक कहते हैं। भौतिक राशि के मापन के परिणामों में विश्वसनीय अंकों और पहले अनिश्चित अंक को संख्या के सार्थक अंक में लेते हैं।
→ पूर्णांकता-किसी संख्या को निश्चित सार्थक अंकों वाली संख्या में परिवर्तन करने की प्रक्रिया पूर्णांकित करना कहलाती है।
→ भौतिक राशियों की विमायें-किसी भौतिक राशि की विमायें उन घातों (या घातांकों) को कहते हैं जिन्हें उस राशि को व्यक्त करने के लिये मूल राशियों पर चढ़ाना पड़ता है।
यांत्रिकी में, सभी भौतिक राशियों की विमाओं [L], [M] और [T] के पदों में व्यक्त किया जा सकता है। किसी वस्तु द्वारा घेरा गया आयतन उसकी लम्बाई, चौड़ाई और ऊँचाई अथवा तीन लम्बाइयों के गुणन द्वारा व्यक्त किया जाता है।
∴ आयतन का विमीय सूत्र = [L] × [L] × [L] = [L]3 = [L]3
→ विमा एवं विमीय समीकरण-भौतिक राशियों के व्युत्पन्न मात्रकों को लम्बाई (L), द्रव्यमान (M), समय (T) आदि के मूल मात्रकों में व्यक्त किया जा सकता है। लम्बाई, द्रव्यमान और समय आदि के मूल मात्रकों पर लगी हुई घातों को व्युत्पन्न मात्रकों की विमा कहते हैं। प्रत्येक भौतिक राशि P को एक समीकरण P = (MaLbTc.......) द्वारा निरूपित किया जा सकता है। a, b तथा c भौतिक राशि की द्रव्यमान, लम्बाई और समय में विमा है। इस प्रकार के समीकरण को विमीय समीकरण कहते हैं।
→ विमीय समीकरणों के उपयोग
→ भौतिक राशियों के विमीय सूत्र-किसी भौतिक राशि का विमीय सूत्र ज्ञात करने के लिये उस राशि को अन्य. सरल राशियों में, जिनकी विमायें ज्ञात हों, व्यक्त करते हैं नीचे कुछ भौतिक राशियों के विमीय सूत्र ज्ञात किये गये हैं