RBSE Class 11 Economics Notes Chapter 8 आधारिक संरचना

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RBSE Class 11 Economics Chapter 8 Notes आधारिक संरचना

→ परिचय:
भारत में विभिन्न राज्यों में आधारिक संरचना के आधार पर काफी असमानता पाई जाती है। किसी राज्य में जिस क्षेत्र में अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर आधारित संरचना है वे राज्य उस क्षेत्र में अन्य राज्यों की तुलना | में आगे बढ़े हुए हैं। किसी भी देश या राज्य हेतु आधारिक संरचना उसके विकास हेतु आवश्यक है। किसी देश की वे समस्त सहयोगी संरचनाएँ जो उस देश के विकास को सम्भव बनाती हैं, उस देश की आधारिक संरचना का निर्माण करती हैं।

→ आधारिक संरचना क्या है?:

  • आधारिक संरचना उद्योग, कृषि, व्यापार, वाणिज्य आदि को सहयोगी सेवाएँ उपलब्ध कराती है। किसी देश की आधारिक संरचना में सड़क, रेल, बन्दरगाह, हवाई अड्डे, बाँध, बिजलीघर, तेल व गैस, | पाइपलाइन, दूरसंचार सुविधाएँ, स्कूल-कॉलेज सहित देश की शैक्षिक व्यवस्था, अस्पताल व स्वास्थ्य व्यवस्था, सफाई, पेयजल, बैंकिंग व्यवस्था, बीमा, विभिन्न वित्तीय संस्थाएँ एवं मुद्रा प्रणाली शामिल होती हैं । उस देश के विभिन्न क्षेत्रों का विकास इसी आधारिक संरचना पर निर्भर करता है।
  • आधारिक संरचना को हम दो भागों में विभाजित कर सकते हैं - सामाजिक आधारिक संरचना एवं आर्थिक आधारिक संरचना। आर्थिक आधारिक संरचना में ऊर्जा, परिवहन एवं संचार व्यवस्था आदि सम्मिलित होती हैं जबकि सामाजिक आधारिक संरचना में देश की शिक्षा, स्वास्थ्य तथा आवास व्यवस्था सम्मिलित होती हैं।

RBSE Class 11 Economics Notes Chapter 8 आधारिक संरचना 

→ आधारिक संरचना की प्रासंगिकता:
किसी भी अर्थव्यवस्था की कार्यकुशलता एवं उसका विकास देश की आधारिक संरचना पर निर्भर करता है। देश के आर्थिक एवं सामाजिक विकास हेतु आधारिक संरचना का होना आवश्यक है। आधुनिक कृषि का विकास भी आधारिक संरचना पर निर्भर करता है। आधारिक संरचना देश में उत्पादन के तत्त्वों की उत्पादकता में वृद्धि करती है तथा लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करती है। देश में लोगों के स्वास्थ्य हेतु स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था सुदृढ़ होनी चाहिए। औद्योगिक विकास में भी आधारिक संरचना का महत्त्वपूर्ण योगदान है।

→ आधारिक संरचना की स्थिति:
पारम्परिक रूप से देश की आधारिक संरचना को विकसित करने की जिम्मेदारी केवल सरकार की थी किन्तु अब निजी क्षेत्रक एवं सरकार दोनों मिलकर आधारिक संरचना विकास हेतु प्रयास कर रहे | हैं। भारत में आधारिक संरचना का स्तर काफी पिछड़ा हुआ है। देश के ग्रामीण क्षेत्रों में ईंधन, जल, बिजली तथा अन्य | बुनियादी आवश्यकताओं का अभाव है। भारत की आधारिक.संरचना अन्य कई देशों की तुलना में काफी पिछड़ी हुई | है तथा हमारे देश का आधारिक संरचना पर किया गया निवेश भी काफी कम है। देश को तीव्र आर्थिक एवं सामाजिक विकास हेतु आधारिक संरचना में निवेश बढ़ाना होगा। आर्थिक संरचना का विकास देश के आर्थिक विकास के साथसाथ होता है। देश में कृषि एवं औद्योगिक क्षेत्रक आधारिक संरचना पर निर्भर करता है।

→ ऊर्जा:
किसी भी देश के विकास की प्रक्रिया में ऊर्जा का महत्त्वपूर्ण स्थान है, यह औद्योगिक विकास हेतु भी महत्त्वपूर्ण है। ऊर्जा का कृषि एवं घरेलू उपयोग में भी काफी महत्त्व है। आधारिक संरचना के रूप में ऊर्जा का विवेचन निम्न बिन्दुओं के माध्यम से किया जा सकता है

  • ऊर्जा के स्त्रोत: ऊर्जा को मुख्य रूप से व्यावसायिक एवं गैर-व्यावसायिक स्रोतों में विभाजित किया जा सकता है। व्यावसायिक स्रोत में कोयला, पैट्रोल, बिजली आदि शामिल होते हैं जबकि गैर-व्यावसायिक स्रोतों में लकड़ी, कूड़ा-कचरा, सूखा गोबर आदि शामिल होते हैं।
  • ऊर्जा के गैर: पारम्परिक स्रोत-ऊर्जा के स्रोतों को पारम्परिक एवं गैर-पारम्परिक स्रोतों में भी विभाजित किया जा सकता है। ऊर्जा के पारम्परिक स्रोतों में ऊर्जा के व्यावसायिक एवं गैर-व्यवसायिक स्रोत आते हैं जबकि ऊर्जा के गैर-पारम्परिक स्रोतों में सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा तथा ज्वार ऊर्जा को शामिल किया जाता है।
  • व्यावसायिक ऊर्जा की उपभोग पद्धति: भारत में कुल ऊर्जा उपभोग का 74 प्रतिशत व्यावसायिक ऊर्जा से पूरा होता है। इसमें मुख्य रूप से कोयला, तेल, प्राकृतिक गैस, जल ऊर्जा को शामिल किया जाता है। भारत में लगभग 26 प्रतिशत ऊर्जा उपभोग गैर-व्यावसायिक ऊर्जा स्रोतों द्वारा पूरा किया जाता है। व्यावसायिक ऊर्जा के क्षेत्रवार उपभोग के अन्तर्गत सर्वाधिक ऊर्जा का उपभोग उद्योग क्षेत्र में किया जाता है। समस्त व्यावसायिक ऊर्जा उपभोग में तेल और गैस का अंश सबसे अधिक है।
  • ऊर्जा/विद्युत ऊर्जा: किसी भी देश का आर्थिक विकास विद्युत अर्थात् बिजली पर निर्भर करता है। देश की आर्थिक वृद्धि दर बढ़ाने हेतु बिजली की पूर्ति में भी वृद्धि होनी आवश्यक है। भारत में कुल बिजली उत्पादन का लगभग 67 प्रतिशत तापीय स्रोत से प्राप्त होता है जबकि जल व वायु का अनुपात लगभग 31 प्रतिशत है तथा परमाणु | स्रोतों से लगभग 2 प्रतिशत प्राप्त होता है। भारत की ऊर्जा नीति में जल और वायु के ऊर्जा स्रोतों को प्रोत्साहित किया गया है।
  • विद्युत क्षेत्रक की कुछ चुनौतियाँ: भारत में विद्युत क्षेत्र में अनेक चुनौतियाँ हैं। भारत में बिजली का कुशलता से उपयोग नहीं किया जाता है। भारत की वर्तमान विद्युत उत्पादन क्षमता देश के आर्थिक विकास एवं समद्धि हेतु पर्याप्त नहीं है। राज्य विद्युत बोर्ड जो विद्युत वितरित करते हैं उसमें काफी हानि होती है। बिजली के क्षेत्र में निजी क्षेत्रक की भूमिका बहुत कम है। भारत के विभिन्न भागों में बिजली की ऊँची दरें और लम्बे समय तक बिजली की कटौती से लोगों में काफी असन्तोष है। देश में ऊर्जा की माँग में भी तीव्र गति से वृद्धि हो रही है तथा माँग पूर्ति से बहुत अधिक है।

RBSE Class 11 Economics Notes Chapter 8 आधारिक संरचना

→ स्वास्थ्य:
किसी भी राष्ट्र के सामाजिक विकास में स्वास्थ्य सुविधाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। लोगों के स्वास्थ्य का निर्धारण शिशु मृत्यु-दर, मातृत्व मृत्यु-दर, जीवन प्रत्याशा, पोषण, विभिन्न संक्रामक और असंक्रामक रोगों जैसे सूचकों द्वारा करते हैं। भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास एवं विस्तार की जिम्मेदारी सरकार की है। स्वास्थ्य आधारिक संरचना में अस्पताल, डॉक्टर, नर्स एवं अन्य अर्द्ध-चिकित्साकर्मी, बेड, उपकरण तथा सुविकसित दवा उद्योग को शामिल किया जाता है।
भारत में स्वास्थ्य व्यवस्था को निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट किया जा सकता है
(1) स्वास्थ्य आधारिक संरचना की स्थिति-भारत में केन्द्रीय सरकार स्वास्थ्य सम्बन्धी नीतियाँ एवं योजनाएँ| बनाती एवं लागू करती है। पिछले कुछ वर्षों में सरकार द्वारा किए प्रयासों के फलस्वरूप देश में स्वास्थ्य सुविधाओं का काफी विकास एवं विस्तार हुआ है।

(2) निजी क्षेत्रक में स्वास्थ्य आधारिक संरचना-देश में स्वास्थ्य सेवाओं में निजी क्षेत्रक का भी महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। लगभग 70 प्रतिशत से अधिक अस्पताल निजी क्षेत्रक में हैं। देश में निजी क्षेत्रक में स्वास्थ्य सुविधाओं का तीव्र गति से विस्तार हो रहा है।

(3) चिकित्सा की भारतीय प्रणाली-भारत में चिकित्सा व्यवस्था में निम्न छः व्यवस्थाएँ हैं-आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध, प्राकृतिक चिकित्सा तथा होम्योपैथी।

(4) स्वास्थ्य और स्वास्थ्य आधारिक संरचना के सूचक : एक मूल्यांकन-भारत में स्वास्थ्य आधारिक संरचना का पूरी तरह विकास नहीं हो पाया है। भारत में कई संक्रामक एवं गम्भीर बीमारियाँ फैली हुई हैं। यहाँ वर्तमान में स्वास्थ्य सुविधाएँ जनसंख्या के अनुपात में बहुत कम हैं ।

(5) शहरी-ग्रामीण तथा धनी-निर्धन विभाजन-भारत में शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सविधाओं में| काफी असमानता है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का काफी अभाव है तथा निर्धन लोगों को बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। भारत में कुछ राज्यों की स्थिति स्वास्थ्य सुविधाओं की दृष्टि से काफी पिछड़ी हुई है।

(6) महिला स्वास्थ्य-भारत में महिलाओं हेतु स्वास्थ्य सुविधाओं का काफी अभाव है। अधिकांश विवाहित महिलाएँ रक्ताभाव एवं रक्त-क्षीणता से ग्रस्त हैं। भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं में तीव्र गति से विस्तार किया जाना चाहिए तथा साथ ही जनता को भी स्वास्थ्य एवं सफाई के प्रति जागरूक बनाना होगा।

Prasanna
Last Updated on July 4, 2022, 12:13 p.m.
Published July 4, 2022