RBSE Class 11 Economics Notes Chapter 4 आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण

These comprehensive RBSE Class 11 Economics Studies Notes Chapter 4 आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण will give a brief overview of all the concepts.

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Economics in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 11. Students can also read RBSE Class 11 Economics Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 11 Economics Notes to understand and remember the concepts easily.

RBSE Class 11 Economics Chapter 4 Notes आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण

→ प्रस्तावना:
आँकड़ों को संग्रहित कर उन्हें वर्गीकृत अथवा परिष्कृत किया जाता है उसके पश्चात् आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण किया जाता है ताकि आँकड़ों को आसानी से समझ कर उनका प्रयोग किया जा सके। सामान्यतः आँकड़ों को तीन प्रकार से प्रस्तुत किया जा सकता है

  • पाठ विषयक या वर्णनात्मक प्रस्तुतीकरण
  • सारणीबद्ध प्रस्तुतीकरण
  • आरेखीय प्रस्तुतीकरण

→ आँकड़ों का पाठ विषयक प्रस्तुतीकरण-जब आँकड़ों का परिमाण बहुत अधिक न हो तो पाठ विषयक प्रस्तुतीकरण अधिक उपयोगी होता है। पाठ विषयक प्रस्तुतीकरण में आँकड़ों का विवरण पाठ के रूप में ही दिया जाता है। इसमें आँकड़ों को पाठ्य सामग्री के रूप में ही प्रस्तुत किया जाता है। इसकी कमी यह है कि हमें जानकारी प्राप्त करने हेतु पूरा पाठ पढ़ना पड़ता है। 

→ आँकड़ों का सारणीबद्ध प्रस्तुतीकरण: सारणीबद्ध प्रस्तुतीकरण में, आँकड़ों को पंक्तियों (क्षैतिज) तथा स्तंभों (ऊर्ध्वाधर) के रूप में प्रस्तुत किया जाता है अर्थात् इसमें आँकड़ों को सारणी अथवा तालिका के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। सारणीयन में प्रयुक्त वर्गीकरण को चार भागों में विभाजित किया जा सकता है

  • गुणात्मक वर्गीकरण-जब वर्गीकरण गुणात्मक विशिष्टता के साथ किया जाता है तो इसे गुणात्मक वर्गीकरण कहा जाता है, जैसे-सामाजिक स्थिति, भौतिक स्थिति, राष्ट्रीयता आदि।
  • मात्रात्मक वर्गीकरण-मात्रात्मक वर्गीकरण में आँकड़ों का वर्गीकरण उन विशिष्टताओं के आधार पर किया जाता है जो स्वाभाविक रूप से मात्रात्मक होती हैं जैसे आयु, भार, कर, आय आदि। इन विशिष्टताओं को मात्रात्मक रूप में मापा जा सकता है।
  • कालिक वर्गीकरण-इस वर्गीकरण में आँकड़ों को समय के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है जैसे घण्टे, दिन, हफ्ते, महीने, वर्षों इत्यादि।
  • स्थानिक वर्गीकरण-जब आँकड़ों का वर्गीकरण स्थान के आधार पर किया जाता है तो इसे स्थानिक वर्गीकरण कहते हैं जैसे गाँव, राज्य, शहर, जिला आदि के आधार पर वर्गीकरण।

→ आँकड़ों का सारणीकरण तथा सारणी के अंग: जब सांख्यिकीय सारणी के सभी अंगों को सुव्यवस्थित क्रम में एक साथ प्रस्तुत किया जाता है तो ये सारणी के रूप में हो जाते हैं। सारणी में आँकड़ों को कुछ व्याख्यात्मक सूचनाओं के साथ पंक्तियों एवं स्तंभों में व्यवस्थित किया जाता है। एक सारणी के निम्नलिखित अंग होने चाहिए
(क) सारणी संख्या
(ख) शीर्षक
(ग) उप शीर्षक या स्तम्भ शीर्षक
(घ) अवशीर्ष या पंक्ति शीर्षक
(ङ) सारणी का मुख्य भाग
(च) माप की इकाई
(छ) स्रोत
(ज) टिप्पणी।

RBSE Class 11 Economics Notes Chapter 4 आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण 

→ आँकड़ों का आरेखी प्रस्तुतीकरण:
आँकड़ों को प्रस्तुत करने की यह तीसरी विधि है। यह विधि सारणीकृत या पाठ विषयक प्रस्तुतीकरण की तुलना में आँकड़ों के आधार पर वस्तुस्थिति को जल्दी समझने में सबसे अधिक सहायक होती है।

इसमें आँकड़ों को आरेख की सहायता से प्रस्तुत किया जाता है। मुख्य आरेख के निम्न प्रकार हैं
(i) ज्यामितीय आरेख: ज्यामितीय आरेख में दण्ड आरेख तथा वृत्त आरेख को सम्मिलित किया जाता है। ये अग्र प्रकार हैं
(क) दंड आरेख-दण्ड आरेख तीन प्रकार का होता है-सरल दंड आरेख, बहु दंड आरेख तथा घटक दंड आरेख । सरल दंड आरेख के अन्तर्गत समान अन्तरालों तथा समान विस्तार वाले आयताकार दंडों का एक समूह प्रत्येक श्रेणी/वर्ग के आँकड़ों को दर्शाता है। दंड आरेख बारम्बारता एवं गैर-बारम्बारता दोनों प्रकार के चरों एवं गुणों के लिए उपयुक्त होते हैं। बहु दण्ड आरेख का प्रयोग दो या अधिक आँकड़ा समुच्चयों की तुलना के लिए किया जाता है। घटक दंड आरेख (या चार्ट या उप-आरेख भी कहा जाता है) का प्रयोग विभिन्न घटकों के आकारों की तुलना करने के लिए तथा इन घटकों तथा उनके अभिन्न अंगों के संबंधों पर प्रकाश डालने के लिए किया जाता है।

(ख) वृत्त आरेख: वृत्त आरेख एक घटक आरेख है, किन्तु घटक दण्ड आरेख के स्थान पर इसे एक ऐसे वृत्त द्वारा प्रस्तुत किया जाता है, जिसके क्षेत्र को आनुपातिक रूप से उन घटकों में विभाजित किया जाता है। इसे वृत्त चार्ट भी कहते हैं।

(ii) बारम्बारता आरेख:
समूहीकृत बारम्बारता वितरण के रूप में प्रस्तुत आँकड़ों को सामान्यतया बारम्बारता आरेख के द्वारा प्रस्तुत किया जाता है, जैसा कि आयत चित्र, बारम्बारता बहुभुज, बारम्बारता वक्र तथा तोरण (ओजाइव) आदि। आयत चित्र एक द्विविम आरेख है, यह आयतों का एक ऐसा समुच्चय है, जिसमें वर्ग सीमाओं के अन्तराल आधार का कार्य करते हैं तथा जिनके क्षेत्रफल वर्ग बारम्बारता के अनुपात में होते हैं। बारम्बारता बहुभुज सीधी रेखाओं से घिरा हुआ एक समतल है, जिसमें सामान्यतः चार या अधिक रेखाएँ होती हैं। बारम्बारता बहुभुज आयत चित्र का विकल्प होता है जो आयत चित्र से ही व्युत्पन्न होता है । बारम्बारता वक्र को, बारम्बारता बहुभुज के बिन्दुओं से निकटतम गुजरते हुए मुक्त हस्त से वक्र बनाकर आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। तोरण को संचयी बारम्बारता वक्र के नाम से जाना जाता है क्योंकि संचयी बारम्बारताएँ दो प्रकार की होती हैं, अतः किसी संचयी बारम्बारता वितरण आँकड़ों के लिए दो प्रकार के तोरण भी होते हैं।

(iii) अंकगणितीय रेखाचित्र:
अंकगणितीय रेखाचित्र को काल श्रेणी आलेख भी कहा जाता है तथा यह आँकड़ों की आरेखी प्रस्तुति की विधि है। इसके अन्तर्गत समय को X अक्ष पर आलेखित किया जाता है और चरों के मानों को Y अक्ष पर आलेखित किया जाता है। इन आलेखित बिन्दुओं को जोड़ने से प्राप्त रेखाचित्र अंकगणितीय रेखा कहलाती है।

Prasanna
Last Updated on July 4, 2022, 10:31 a.m.
Published July 4, 2022