These comprehensive RBSE Class 11 Economics Studies Notes Chapter 3 आँकड़ों का संगठन will give a brief overview of all the concepts.
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→ प्रस्तावना:
विभिन्न प्रकार के आँकड़ों को संग्रहीत करने के उपरान्त आँकड़ों को वर्गीकृत करना आवश्यक है। अपरिष्कृत आँकड़ों को वर्गीकृत कर उन्हें व्यवस्थित किया जाता है, ताकि उन्हें सांख्यिकीय विश्लेषण के योग्य बनाया जा सके। जिस प्रकार कबाड़ वाला अपने खरीदे गए कबाड़ को वर्गीकृत करके रखता है तथा एक विद्यालय के पुस्तकालय में पुस्तकों को वर्गीकृत करके रखा जाता है। उसी प्रकार आँकड़ों को भी वर्गीकृत किया जाता है इससे सुविधा एवं समय की बचत होती है। अतः वर्गीकरण का तात्पर्य एकसमान वस्तुओं को समूह या वर्गों में व्यवस्थित करने से है।
→ अपरिष्कृत आँकड़े:
जाँचकर्ता जो आँकड़े एकत्रित करता है वे अत्यधिक अव्यवस्थित होते हैं क्योंकि ये अवर्गीकृत अथवा अपरिष्कृत होते हैं । अपरिष्कृत आँकड़ों का विश्लेषण करना अत्यन्त कठिन कार्य है, सबसे पहले इस प्रकार के आँकड़ों का उचित संगठन तथा प्रस्तुतीकरण आवश्यक होता है, ताकि व्यवस्थित रूप से सांख्यिकीय विश्लेषण किया जा सके। अतः आँकड़ों के संग्रह के पश्चात् उन्हें संगठित कर वर्गीकृत किया जाता है। वर्गीकरण के द्वारा अपरिष्कृत आँकड़ों को संक्षिप्त एवं बोधगम्य बनाया जाता है।
→ आँकड़ों का वर्गीकरण:
किसी वर्गीकरण के वर्ग या समूह कई तरीकों से बनाए जा सकते हैं। जब आँकड़ों को समय के अनुसार समूहित किया जाता है, तब इस प्रकार के वर्गीकरण को कालानुक्रमिक वर्गीकरण कहते हैं । इस प्रकार के वर्गीकरण में आँकड़ों को समय के सन्दर्भ जैसे वर्ष, तिमाही, मासिक या साप्ताहिक आदि के रूप में आरोही या अवरोही क्रम में वर्गीकृत किया जा सकता है। आँकड़ों को स्थान के अनुसार भी वर्गीकृत किया जा सकता है। इसे स्थानिक वर्गीकरण कहते हैं। स्थानिक वर्गीकरण के अन्तर्गत आँकड़ों का वर्गीकरण भौगोलिक स्थितियों जैसे कि देश, राज्य, शहर, जिला, कस्बा आदि के सन्दर्भानुसार होता है। कई बार हम आँकड़ों को मात्रा के आधार पर वर्गीकृत न करके गुणों के आधार पर भी वर्गीकृत करते हैं जैसे लिंग, धर्म, वैवाहिक स्थिति आदि, इसे गुणात्मक वर्गीकरण कहा जाता है। जब आँकड़ों का वर्गीकरण मात्रा के आधार पर किया जाता है तो उसे मात्रात्मक वर्गीकरण कहा जाता है।
→ चर : संतत और विविक्त:
चरों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है
(क) संतत
(ख) विविक्त।
संतत चर का कोई भी संख्यात्मक मान हो सकता है। यह पूर्णांक मान, भिन्नात्मक मान तथा वे मान जो यथातथ्य भिन्न नहीं हैं, हो सकते हैं। भार, समय, ऊँचाई, दूरी आदि संतत चर के उदाहरण हैं। संतत चर के विपरीत विविक्त चर केवल निश्चित मान हो सकते हैं। इसके मान केवल परिमित 'उछाल' से बदलते हैं। यह उछाल एक मान से दूसरे मान के बीच होते हैं, परन्तु इसके बीच में कोई मान नहीं आता है, उदाहरण के लिए कक्षा में छात्रों की संख्या।
→ बारम्बारता वितरण क्या है?:
बारम्बारता वितरण अपरिष्कृत आँकड़ों को एक मात्रात्मक चर में वर्गीकृत करने का एक सामान्य तरीका है। यह दिखाता है कि किसी चर के भिन्न मान विभिन्न वर्गों में, अपने अनुरूप वर्गों की बारम्बारताओं के साथ कैसे वितरित किए जाते हैं। एक विशेष वर्ग में मानों की संख्या को वर्ग बारम्बारता कहते हैं । बारम्बारता वक्र किसी बारम्बारता वितरण का आलेखीय प्रस्तुतीकरण है।
→ बारम्बारता वितरण कैसे तैयार करें?
अपरिष्कृत आँकड़ों से बारम्बारता वितरण तैयार करते समय हमें अग्र प्रश्नों की व्याख्या पर ध्यान देना चाहिए
→ बारम्बारता सारणी:
विविक्त चर के लिए, आँकड़ों का वर्गीकरण बारम्बारता सारणी के नाम से जाना जाता
→ द्विचर बारंबारता वितरण:
एकल चर के बारम्बारता वितरण को एक विचर वितरण कहा जाता है जबकि एक द्विचर बारम्बारता वितरण दो चरों का बारम्बारता वितरण है।