RBSE Class 11 Economics Notes Chapter 2 आँकड़ों का संग्रह

These comprehensive RBSE Class 11 Economics Studies Notes Chapter 2 आँकड़ों का संग्रह will give a brief overview of all the concepts.

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Economics in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 11. Students can also read RBSE Class 11 Economics Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 11 Economics Notes to understand and remember the concepts easily.

RBSE Class 11 Economics Chapter 2 Notes आँकड़ों का संग्रह

→ प्रस्तावना:
किसी भी आर्थिक समस्या के विश्लेषण हेतु आंकड़ों के संग्रहण की आवश्यकता होती है। आंकड़ों के संग्रह का उद्देश्य किसी समस्या के स्पष्ट एवं ठोस समाधान के लिए साक्ष्य को जुटाना है । आँकड़ा एक ऐसा साधन है, जो सूचनाएँ प्रदान कर समस्याओं को समझने में सहायक होता है। आँकड़ों के अनेक स्रोत तथा आँकड़ों को संग्रहित करने की अनेक विधियाँ हैं।

→ आँकड़ों के स्रोत क्या हैं?:
सांख्यिकी आँकड़े मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं-प्राथमिक आँकडे एवं द्वितीयक आँकड़े प्राथमिक आँकड़े वे होते हैं जो कोई व्यक्ति जांच-पड़ताल या पूछताछ करके एकत्रित करता है, ये प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त की गई जानकारी पर आधारित होते हैं। जब किसी दूसरी संस्था द्वारा इन प्राथमिक आँकड़ों को संगृहीत एवं संशोधित किया जाता है तो इसे द्वितीयक आँकड़े कहा जाता है। द्वितीयक आँकड़ों को या तो प्रकाशित स्रोतों से या किसी अन्य स्रोत से प्राप्त किया जा सकता है।

→ हम आँकड़े कैसे संग्रहीत करते हैं?:
हम आँकड़े एकत्रित करने हेतु विभिन्न प्रश्नों की सहायता से सर्वेक्षण करते हैं। सर्वेक्षण वह विधि है जिसके द्वारा विभिन्न व्यक्तियों से सूचना एकत्र की जाती है।

→ सर्वेक्षण के साधनों की तैयारी:
सर्वेक्षण करने हेतु सबसे प्रचलित साधन प्रश्नावली या साक्षात्कार अनुसूची है। प्रश्नावली अथवा साक्षात्कार अनुसूची तैयार करते समय कई बातों को ध्यान में रखा जाता है। प्रश्नावली ज्यादा लम्बी नहीं होनी चाहिए। प्रश्नावली को सामान्य प्रश्नों से शुरू करना चाहिए तथा उसके पश्चात् विशिष्ट प्रश्नों की ओर बढ़ना चाहिए। प्रश्न यथातथ्य एवं स्पष्ट होने चाहिए, प्रश्न अनेकार्थक या अस्पष्ट नहीं होने चाहिए। प्रश्न दोहरी नकारात्मकता वाले नहीं होने चाहिए। प्रश्न से उत्तर के संकेत नहीं मिलने चाहिए। अतः प्रश्नावली में अनेक बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि उत्तरदाता शीघ्र, सही एवं स्पष्ट उत्तर देने में सक्षम रहे । प्रश्नावली में परिमितोत्तर (संरचित) प्रश्न या मुक्तोत्तर (असंरचित) प्रश्न या दोनों प्रकार के प्रश्न हो सकते हैं।

RBSE Class 11 Economics Notes Chapter 2 आँकड़ों का संग्रह 

→ आँकड़ा संग्रह की विधि:
आंकड़ा संग्रह की तीन आधारभूत विधियाँ हैं

  • वैयक्तिक साक्षात्कार-इस विधि के अन्तर्गत शोधकर्ता सभी सदस्यों अथवा उत्तरदाता के पास जाता है तथा उत्तरदाता के साक्षात्कार द्वारा आँकड़े एकत्र करता है। यह विधि सरल एवं कई दृष्टियों से उपयुक्त है। इसमें गलतफहमी की काफी कम संभावना रहती है किन्तु यह विधि काफी खर्चीली विधि है एवं समय अधिक लगता है।
  • डाक द्वारा प्रश्नावली भेजना-जब सर्वेक्षण में आंकड़ों को डाक द्वारा संगृहीत किया जाता है, तो प्रत्येक उत्तरदाता को डाक द्वारा प्रश्नावली इस निवेदन के साथ भेजी जाती है कि वह इसे पूरी कर एक निश्चित तारीख तक वापस अवश्य भेज देवे। यह काफी कम खर्चीली प्रणाली है तथा समय की भी बचत होती है। इस विधि के द्वारा शोधकर्ता दूर-दराज के क्षेत्रों तक पहुँच सकते हैं। परन्तु इस विधि में प्रश्नावली के निर्देशों के स्पष्टीकरण के अवसर नहीं मिलते हैं तथा कई बार उत्तरदाता द्वारा ये प्रश्नावली लौटाई ही नहीं जाती।
  • टेलीफोन साक्षात्कार-टेलीफोन साक्षात्कार के अन्तर्गत शोधकर्ता/जांचकर्ता टेलीफोन के माध्यम से सर्वेक्षण करता है। यह विधि काफी सरल, सस्ती तथा समय की बचत करने वाली है। परन्तु कई बार उत्तरदाता टेलीफोन पर कई प्रश्नों के उत्तर नहीं दे पाता है।

→ प्रायोगिक सर्वेक्षण:
एक बार जब सर्वेक्षण हेतु प्रश्नावली तैयार हो जाती है तो उसे छोटे समूह पर प्रयोग करके देखा जाता है कि प्रश्नावली सही है या नहीं। यदि प्रश्नावली में कोई कठिनाई आती है तो उसमें सुधार किया जाता है।

→ जनगणना तथा प्रतिदर्श सर्वेक्षण
जनगणना या पूर्ण गणना:
वह सर्वेक्षण जिसके अन्तर्गत जनसंख्या के सभी तत्त्व शामिल होते हैं, उसे जनगणना या पूर्ण गणना की विधि कहा जाता है। इस विधि की प्रमुख विशेषता यह है कि इसके अन्तर्गत सम्पूर्ण जनसंख्या की प्रत्येक व्यक्तिगत इकाई को सम्मिलित करना होता है; जैसे-भारत की जनगणना करना।

→ प्रतिदर्श:
इसके अन्तर्गत सर्वेक्षक एक प्रतिनिधि प्रतिदर्श चुनता है जिसमें समूह की लगभग सभी विशेषताएँ आ जाएँ क्योंकि समस्त समष्टि का अध्ययन करना कठिन होता है। एक आदर्श प्रतिदर्श सामान्यतः समष्टि से छोटा होता है तथा अपेक्षाकृत कम लागत एवं कम समय में समष्टि के बारे में पर्याप्त सही सूचनाएँ प्रदान करने में सक्षम होता है। अधिकतर सर्वेक्षण प्रतिदर्श सर्वेक्षण ही होते हैं।

→ यादृच्छिक प्रतिचयन:
यादृच्छिक प्रतिचयन वह होता है जहाँ समष्टि प्रतिदर्श समूह से व्यष्टिगत इकाइयों को यादृच्छिक रूप से चुना जाता है । यादृच्छिक प्रतिचयन में प्रत्येक व्यक्ति के चुने जाने की समान संभावना होती है तथा चुना गया व्यक्ति ठीक वैसा ही होता है जैसा कि नहीं चुना गया व्यक्ति।

→ अयादृच्छिक प्रतिचयन:
किसी अयादृच्छिक प्रतिदर्श में इस समष्टि की सभी इकाइयों को चुने जाने की समान संभावनाएँ नहीं होती हैं और इसमें सर्वेक्षक की सुविधा या निर्णय की भूमिका महत्त्वपूर्ण हो जाती है।

RBSE Class 11 Economics Notes Chapter 2 आँकड़ों का संग्रह

→ प्रतिचयन एवं अप्रतिचयन त्रुटियाँ
प्रतिचयन त्रुटियाँ: यह त्रुटि तब सामने आती है जब आप समष्टि से प्राप्त किए गए प्रतिदर्श का प्रेक्षण करते हैं। समष्टि के प्राचल का वास्तविक मूल्य और उसके आकलन के बीच का अन्तर ही प्रतिचयन त्रुटि कहलाती है।
अप्रतिचयन त्रुटियाँ: अप्रतिचयन त्रुटियाँ, प्रतिचयन त्रुटियों की अपेक्षा अधिक गंभीर होती हैं ; क्योंकि इन्हें बड़े आकार के प्रतिदर्श लेकर कम नहीं किया जा सकता है। अयादृच्छिक त्रुटियों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं

  • आँकड़ा अर्जन में त्रुटियाँ
  • अनुत्तर संबंधी त्रुटियाँ
  • प्रतिदर्श अभिनति।

→ भारत की जनगणना तथा राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण (NSS):
राष्ट्रीय तथा राज्य दोनों ही स्तरों पर ऐसी अनेक संस्थाएँ हैं, जो सांख्यिकीय आँकड़ों को संगृहीत, संसाधित तथा सारणीकृत करती हैं। इनमें से राष्ट्रीय स्तर की कुछ प्रमुख संस्थाएँ इस प्रकार हैं-सेन्सस ऑफ इण्डिया, राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन (NSSO), केन्द्रीय सांख्यिकीय संगठन (CSO), भारत का महापंजीकार (RGI), वाणिज्यिक सतर्कता एवं सांख्यिकी महानिदेशालय (DGCIS) आदि। सेन्सस ऑफ इण्डिया, जनसंख्या सम्बन्धी आँकड़े प्रस्तुत करता है। राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन कई प्रकार के आँकड़े प्रस्तुत करता है।

Prasanna
Last Updated on July 4, 2022, 10:17 a.m.
Published July 4, 2022