RBSE Class 11 Economics Important Questions Chapter 6 ग्रामीण विकास

Rajasthan Board RBSE Class 11 Economics Important Questions Chapter 6 ग्रामीण विकास Important Questions and Answers.

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RBSE Class 11 Economics Important Questions Chapter 6 ग्रामीण विकास 

वस्तुनिष्ठ प्रश्न: 

प्रश्न 1. 
कृषि आगतों में सम्मिलित है।
(अ) बीज 
(ब) रासायनिक उर्वरक
(स) कृषि औजार 
(द) उपर्युक्त सभी 
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी 

RBSE Class 11 Economics Important Questions Chapter 6 ग्रामीण विकास 

प्रश्न 2. 
ग्रामीण क्षेत्रों में कृषकों को साख की आवश्यकता पड़ती।
(अ) कृषि आगतों को क्रय करने हेतु 
(ब) पारिवारिक निर्वाह खर्च एवं गैर कृषि कार्यों हेतु
(स) भूमि सुधार हेतु 
(द) उपर्युक्त सभी 
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी 

प्रश्न 3. 
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की स्थापना किस वर्ष की गई? 
(अ) वर्ष 1976 में 
(ब) वर्ष 1979 में
(स) वर्ष 1982 में 
(द) वर्ष 1991 में 
उत्तर:
(स) वर्ष 1982 में 

प्रश्न 4. 
'हरित क्रान्ति' का सम्बन्ध है।
(अ) कृषि क्षेत्र से 
(ब) उद्योग क्षेत्र से 
(स) सेवा क्षेत्र से
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं 
उत्तर:
(अ) कृषि क्षेत्र से 

प्रश्न 5. 
ग्रामीण बैंकों की संस्थागत संरचना में सम्मिलित संस्था।
(अ) व्यापारिक बैंक 
(ब) क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक 
(स) सहकारी तथा भूमि विकास बैंक
(द) उपर्युक्त सभी 
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी 

प्रश्न 6. 
कृषि साख के गैर संस्थागत स्रोतों में सम्मिलित हैं।
(अ) साहूकार 
(ब) ग्रामीण व्यापारी 
(स) अमीर किसान एवं सम्बन्धी
(द) उपर्युक्त सभी 
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

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प्रश्न 7. 
'स्वर्णिम क्रान्ति' का सम्बन्ध है।
(अ) दुग्ध उत्पादन से 
(ब) खाद्यान्न फसलों से
(स) बागवानी उत्पादों से 
(द) मत्स्य पालन से 
उत्तर:
(स) बागवानी उत्पादों से 

प्रश्न 8. 
'ऑपरेशन फ्लड' का सम्बन्ध किस उत्पाद से है।
(अ) खाद्यान्न 
(ब) दुग्ध 
(स) फल 
(द) सब्जियाँ
उत्तर:
(ब) दुग्ध 

रिक्त स्थान वाले प्रश्ननीचे दिए गए वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति करें:

प्रश्न 1. 
देश में बागवानी क्षेत्र में विकास हेतु उठाए गए कदमों को .................... की संज्ञा दी गई है।
उत्तर:
स्वर्णिम क्रान्ति

प्रश्न 2. 
भारत में 2007-12 के दौरान, कृषि उत्पादन ...................... प्रतिशत की दर से बढ़ा है।
उत्तर:
3.2

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प्रश्न 3. 
भारत में सामाजिक बैंकिंग का आरम्भ वर्ष .............. में किया गया।
उत्तर:
1956

प्रश्न 4. 
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ............... के समन्वय के लिए एक शीर्ष संस्थान है। 
उत्तर:
ग्रामीण वित्त व्यवस्था

प्रश्न 5. 
तमिलनाडु में महिलाओं को नवीनतम कृषि तकनीकों का प्रशिक्षण देने के लिए ..................... नामक योजना प्रारम्भ की गई। उत्तर:
तनवा। 

सत्य / असत्य वाले प्रश्न| नीचे दिए गए कथनों में सत्य / असत्य कथन छाँटिए:

प्रश्न 1. 
देश के समस्त मत्स्य उत्पादन का 64 प्रतिशत अन्तलवर्ती क्षेत्रों से तथा 36 प्रतिशत महासागरीय क्षेत्रों से प्राप्त हो।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 2. 
भारत में बागवानी क्षेत्र समस्त कृषि उत्पादन का लगभग एक-तिहाई और सकल घरेलू उत्पाद का 16 प्रतिशत।
उत्तर:
असत्य 

प्रश्न 3. 
फल सब्जियों के उत्पादन में भारत का विश्व में दूसरा।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 4. 
जैविक कृषि खेती करने की वह पद्धति है जो पर्यावरण सन्तुलन को पुनः स्थापित करके उसका संरक्षण एवं संवर्द्धन करती है। 
उत्तर:
सत्य

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प्रश्न 5. 
'ऑपरेशन फ्लड' का सम्बन्ध बागवानी से है। 
उत्तर:
असत्य 

मिलान करने वाले प्रश्ननिम्न को सुमेलित कीजिए:

प्रश्न 1. 

1. सांसद आदर्श ग्राम योजना

(अ) 6 प्रतिशत का वर्ष

2. बागवानी क्षेत्र का सकल घरेलू

(ब) 1969 उत्पाद में योगदान

3. मत्स्य उत्पादन का सकल घरेलू

(स) जुलाई 1982 उत्पाद में योगदान

4. पशुपालन में मुर्गीपालन का अंश

(द) अक्टूबर 2014

5. सामाजिक बैंकिंग का आरम्भ

(य) 58 प्रतिशत वर्ष

6. नाबार्ड का स्थापना वर्ष

(र) 0.8 प्रतिशत

उत्तर:

1. सांसद आदर्श ग्राम योजना

(द) अक्टूबर 2014

2. बागवानी क्षेत्र का सकल घरेलू

(य) 58 प्रतिशत वर्ष

3. मत्स्य उत्पादन का सकल घरेलू

(र) 0.8 प्रतिशत

4. पशुपालन में मुर्गीपालन का अंश

(स) जुलाई 1982 उत्पाद में योगदान

5. सामाजिक बैंकिंग का आरम्भ

(अ) 6 प्रतिशत का वर्ष

6. नाबार्ड का स्थापना वर्ष

(ब) 1969 उत्पाद में योगदान


अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1. 
'स्वर्णिम क्रान्ति' क्या है?
उत्तर:
देश में बागवानी क्षेत्र के विकास हेतु उठाए कदमों को 'स्वर्णिम क्रान्ति' की संज्ञा दी गई।

प्रश्न 2. 
'स्वर्णिम क्रान्ति' का आरम्भ काल किसे मानते हैं?
उत्तर:
1991 - 2003 की अवधि को 'स्वर्णिम क्रान्ति' का आरम्भ काल मानते हैं।

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प्रश्न 3. 
ग्रामीण विकास का अर्थ बताइये।
उत्तर:
उन घटकों के विकास पर ध्यान केन्द्रित करना जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सर्वांगीण विकास हेतु आवश्यक

प्रश्न 4. 
ग्रामीण विकास को प्रभावित करने वाले किन्हीं चार घटकों के नाम बताइए।
उत्तर:

  1. साक्षरता 
  2. स्वच्छता एवं जनस्वास्थ्य 
  3. उत्पादक संसाधनों का विकास 
  4. आधारिक संरचना का विकास।

प्रश्न 5. 
ग्रामीण क्षेत्रों में मानवीय संसाधनों के विकास को प्रभावित करने वाले कोई दो कारक बताइए।
उत्तर:

  1. साक्षरता 
  2. स्वच्छता एवं जन स्वास्थ्य। 

प्रश्न 6. 
ग्रामीण विकास हेतु कोई एक उपाय बताइए।
उत्तर:
ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार किया जाना चाहिए।

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प्रश्न 7. 
नए आर्थिक सुधारों का कृषि पर क्या प्रभाव
उत्तर:
नए आर्थिक सुधारों के दौरान देश में कृषि क्षेत्र की संवृद्धि दर में कमी आई है।

प्रश्न 8. 
ग्रामीण विकास के मार्ग में आने वाली कोई दो बाधाएँ बताइए।
उत्तर:

  1. अपर्याप्त आधारिक संरचना
  2. उद्योगों एवं सेवा क्षेत्रों में वैकल्पिक रोजगार अवसरों का अभाव।

प्रश्न 9. 
ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि साख की आवश्यकता के कोई एक कारण बताइए।
उत्तर:
कृषि की आगतों को क्रय करने हेतु कृषि साख आवश्यक है।

प्रश्न 10. 
भारत में सामाजिक बैंकिंग व्यवस्था का आरम्भ कब हुआ?
उत्तर:
भारत में सामाजिक बैंकिंग व्यवस्था का आरम्भ 1969 में हुआ।

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प्रश्न 11. 
भारत में कृषि क्षेत्र के विकास हेतु स्थापित सबसे बड़ी संस्था/बैंक का नाम बताइए।
उत्तर:
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड)।

प्रश्न 12. 
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की स्थापना किस वर्ष की गई?
उत्तर:
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की स्थापना 12 जुलाई, 1982 को की गई।

प्रश्न 13. 
भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि साख उपलब्ध कराने वाले किन्हीं दो गैर संस्थागत स्रोतों का नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. साहूकार 
  2. व्यापारी।

प्रश्न 14. 
ग्रामीण बैंक की संस्थागत संरचना में सम्मिलित = किन्हीं तीन संस्थाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. व्यापारिक बैंक 
  2. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आर. आर. बी.) 
  3. सहकारी तथा भूमि विकास बैंक। 

प्रश्न 15. 
'ऑपरेशन फ्लड' क्या है?
उत्तर:
ऑपरेशन फ्लड का सम्बन्ध दुग्ध क्रान्ति से है जिसमें दुग्ध उत्पादन में वृद्धि के प्रयास किए गए।

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प्रश्न 16. 
ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका का मुख्य साधन क्या है?
उत्तर:
ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका का मुख्य साधन कृषि है।

प्रश्न 17. 
आधारिक संरचना में सम्मिलित कोई दो घटक बताइए।
उत्तर:

  1. विद्युत एवं सिंचाई 
  2. परिवहन सुविधाएँ।

प्रश्न 18. 
देश में सरकार को बाजार में हस्तक्षेप करने को क्यों बाध्य होना पड़ा?
उत्तर:
सरकार को निजी व्यापारियों को नियन्त्रित करने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करने को बाध्य होना पड़ा।

प्रश्न 19. 
भारत में कृषि विपणन व्यवस्था के कोई दो उद्देश्य बताइए। 
उत्तर:

  1. किसानों को उपज का उचित मूल्य दिलाना। 
  2. निर्धनों को उचित कीमत पर वस्तुएँ उपलब्ध करवाना।

प्रश्न 20. 
ग्रामीण बैंक व्यवस्था के तीव्र विस्तार का ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
बैंकिंग व्यवस्था के तीव्र विस्तार का कृषि और गैर कृषि उत्पाद, आय और रोजगार पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

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प्रश्न 21. 
ग्रामीण क्षेत्रों में साख के संस्थागत स्रोतों की भ| कोई एक कमी बताइए।
उत्तर:
ग्रामीण क्षेत्रों में संस्थागत स्रोत ऋणों की वसूली त करने में असफल रहे हैं।

प्रश्न 22. 
कृषि विपणन में सुधार हेतु सरकार द्वारा किए गए कोई एक प्रयत्न का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में आधारिक संरचना का विकास किया गया है।

प्रश्न 23. 
'ऑपरेशन फ्लड' का सम्बन्ध किससे है? 
उत्तर:
'ऑपरेशन फ्लड' का सम्बन्ध दुग्ध उत्पादन से

प्रश्न 24. 
'स्वर्णिम क्रान्ति' का सम्बन्ध किससे है? 
उत्तर:
'स्वर्णिम क्रान्ति' का सम्बन्ध बागवानी से है। 

प्रश्न 25. 
जैविक कृषि का कोई एक लाभ बताइए।
उत्तर:
जैविक कृषि से सुरक्षित आहार की पूर्ति एवं रोजगार अवसरों में वृद्धि हुई है।

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प्रश्न 26. 
जैविक कृषि की कोई एक सीमा अथवा समस्या बताइए।
उत्तर:
प्रारम्भ में जैविक कृषि की उत्पादकता अत्यन्त कम होती है।

प्रश्न 27. 
अवधि के अनुसार कृषि साख को कितने भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है।
उत्तर:
अवधि के अनुसार कृषि साख के तीन प्रकार:

  1. अल्पकालीन साख 
  2. मध्यकालीन साख 
  3. दीर्घकालीन साख। 

प्रश्न 28. 
कृषि साख के गैर संस्थागत स्रोत कौन से।
उत्तर:
कृषि साख के गैर संस्थागत स्रोतों में साहूकार, देशी बैंकर, भू-स्वामियों, व्यापारियों, रिश्तेदारों आदि को सम्मिलित किया जाता है।

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प्रश्न 29. 
कृषि साख के संस्थागत स्रोत कौन से हैं?
उत्तर:
कृषि साख के संस्थागत स्रोतों में विभिन्न वित्तीय संस्थाओं, सहकारी समितियों, सरकार आदि को सम्मिलित किया जाता है।

प्रश्न 30. 
सहकारी साख के दो प्रमुख स्रोत लिखिए। 
उत्तर:

  1. प्राथमिक साख समितियाँ 
  2. केन्द्रीय सहकारी बैंक।

प्रश्न 31. 
उत्पादन गतिविधियों के विविधीकरण का कोई एक लाभ बताइए।
उत्तर:
इससे ग्रामीण लोगों को वैकल्पिक धारणीय आजीविका के अवसर उपलब्ध होते हैं।

प्रश्न 32. 
किन्हीं दो बागवानी फसलों के नाम लिखिए। 
उत्तर:

  1. औषधीय एवं सुगंधित पौधे 
  2. चाय एवं कॉफी। 

प्रश्न 33. 
'नाबार्ड' का पूरा नाम लिखिए। 
उत्तर:
राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक।

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प्रश्न 34. 
कृषि साख के गैर संस्थागत स्रोतों का कोई एक दोष लिखिए। 
उत्तर:
गैर संस्थागत स्रोतों द्वारा ऊँची ब्याज दर पर से साख उपलब्ध करवाई जाती है। 

प्रश्न 35. 
अल्पकालीन ऋण की अवधि सामान्यतः क्या होती है? 
उत्तर:
सामान्यतः अल्पकालीन ऋण की अवधि एक वर्ष तक होती है किन्तु इसकी अधिकतम अवधि 15 माह होती है।

प्रश्न 36. 
कृषि साख के संस्थागत कृषि स्रोत एवं गैर - संस्थागत स्रोतों में क्या अन्तर है?
उत्तर:
संस्थागत स्रोतों पर भारतीय रिजर्व बैंक का पूर्ण नियन्त्रण होता है जबकि गैर संस्थागत स्रोतों पर कोई नियन्त्रण नहीं होता है।

प्रश्न 37. 
भारत में दीर्घकालीन विकास हेतु कौनसी सहकारी साख संस्था साख उपलब्ध करवाती है?
उत्तर:
भारत में दीर्घकालीन विकास हेतु भूमि विकास बैंक साख उपलब्ध करवाता है।

प्रश्न 38. 
भारत में कृषि साख के विस्तार हेतु कोई एक सुझाव दीजिए।
उत्तर:
सहकारी समितियों का विस्तार एवं विकास किया जाना चाहिए।

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प्रश्न 39. 
बागवानी के विकास हेतु कोई एक सुझाव दीजिए।
उत्तर:
बागवानी के विकास हेतु शीतगृह व्यवस्था तथा विपणन माध्यमों का विकास किया जाना चाहिए। 

लघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1. 
भारत में ग्रामीण विकास की क्या आवश्यकता है?
उत्तर:
भारतीय अर्थव्यवस्था में लगभग दो-तिहाई जनसंख्या गाँवों में निवास करती है तथा उनमें से अधिकांश लोग रोजगार हेतु कृषि पर निर्भर हैं। वर्तमान में कृषि पर आधारित जनसंख्या इतनी अधिक है कि कृषि से सबकजीवन-निर्वाह नहीं हो सकता है। साथ ही गांवों में काफी कृषक निर्धन हैं तथा गांवों में वैकल्पिक रोजगार के अवसर भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं। अतः भारत में ग्रामीण विकास की आवश्यकता है। 

प्रश्न 2. 
भारत में ग्रामीण विकास के मार्ग में आने वाली कोई तीन बाधाएँ बताइए।
उत्तर:

  1. भारत में ग्रामीण क्षेत्र की अधिकांश जनसंख्या कृषि पर निर्भर है किन्तु कृषि अत्यन्त पिछड़ी अवस्था में है।
  2. ग्रामीण क्षेत्रों में आधारभूत संरचना का नितान्त अभाव है।
  3. भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के वैकल्पिक अवसरों का अभाव है अत: वहाँ बेरोजगारी एवं निर्धनता व्याप्त है।

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प्रश्न 3. 
ग्रामीण क्षेत्रों में मानव संसाधनों के विकास को प्रभावित करने वाले कारकों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ग्रामीण क्षेत्रों में अनेक कारक हैं जो मानव संसाधनों को प्रभावित करते हैं। मानव संसाधनों को प्रभावित करने वाला सबसे महत्त्वपूर्ण कारक शिक्षा है, शिक्षा का विकास मानव संसाधनों के विकास हेतु अति आवश्यक है। शिक्षा के अलावा स्वास्थ्य अन्य महत्त्वपूर्ण कारक है, आर्थिक विकास हेतु लोगों का स्वस्थ रहना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त ग्रामीण क्षेत्रों में मानव संसाधनों के विकास को कई अन्य कारक भी प्रभावित करते हैं जैसे भूमि सुधार, उत्पादक संसाधनों का विकास, आधारिक संरचना का विकास, कृषि अनुसंधान, सूचना प्रसार की सुविधाएँ, निर्धनता एवं रोजगार उन्मूलन कार्यक्रम आदि।

प्रश्न 4. 
नाबार्ड पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
देश में कृषि वित्त की आवश्यकता पूर्ति एवं ग्रामीण विकास हेतु शीर्ष संस्था के रूप में राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की स्थापना 12 जुलाई, 1982 को की गई। नाबार्ड का मुख्य कार्य कृषि एवं ग्रामीण विकास के लिए वित्त प्रदान करने के साथ-साथ विभिन्न ग्रामीण वित्त संस्थाओं में समन्वय स्थापित करता है। नाबार्ड ग्रामीण ऋण ढाँचे की एक शीर्षस्थ संस्था है।

प्रश्न 5. 
भारत में कृषि साख की आवश्यकता पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
कृषि क्षेत्र के विकास हेतु साख की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। भारतीय कृषक को बीज, खाद, कीटनाशकों, उन्नत औजार आदि को क्रय करने हेतु साख की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त जीवनयापन करने, सामाजिक कार्यों, ब्याज तथा पुराने ऋण चुकाने इत्यादि के लिए भी भारतीय कृषक को ऋण लेना पड़ता है। भूमि में स्थायी सुधार, ऊँची कीमतों के आधुनिक यन्त्रों, भूमि क्रय करने, मकान एवं कुएँ निर्माण इत्यादि के लिए कृषक को दीर्घकालीन ऋणों की आवश्यकता पड़ती है।

प्रश्न 6. 
ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि साख के स्रोतों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि साख के स्रोतों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है।

  1. गैर संस्थागत स्रोत: इसमें वे स्रोत शामिल होते हैं जिन पर भारतीय रिजर्व बैंक का कोई नियंत्रण नहीं होता। इसमें साहूकार, व्यापारी, महाजन, बड़े किसान, देशी बैंकर, रिश्तेदार आदि सम्मिलित होते हैं।
  2. संस्थागत स्रोत: इसमें वे स्रोत हैं जिन पर भारतीय रिजर्व बैंक का नियन्त्रण होता है। इसमें सहकारी बैंक, व्यापारिक बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, भूमि विकास बैंक इत्यादि सम्मिलित होते हैं।

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प्रश्न 7. 
जैविक भोजन से आपका क्या अभिप्राय
उत्तर:
जैविक भोजन वह है जो जैविक कृषि द्वारा उत्पादित होता है। इसमें रासायनिक उर्वरकों एवं विषाक्त कीटनाशकों के बिना जैविक विधियों से उत्पादन किया जाता है, जिसका मानव स्वास्थ्य एवं प्रकृति पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता। जैविक भोजन से हमें सन्तुलित आहार की प्राप्ति होती है, इस भोजन में पौष्टिक तत्त्वों की मात्रा अधिक पाई जाती है जो स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होते हैं।

प्रश्न 8. 
सहकारी साख संस्थाओं पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
भारत में कृषि सहकारी साख संस्थाओं को मोटे तौर पर दो भागों में विभाजित किया जा सकता हैअल्पकालीन सहकारी साख संस्थाएँ तथा दीर्घकालीन सहकारी साख संस्थाएँ। भारत में अल्पकालीन सहकारी साख व्यवस्था में तीन तरह की समितियाँ साख उपलब्ध करवाने का कार्य करती हैं - प्राथमिक कृषि साख समितियाँ, केन्द्रीय सहकारी बैंक एवं राज्य सहकारी बैंक। भारत में कृषि के दीर्घकालीन विकास हेतु ऋण भूमि विकास बैंक द्वारा दिया जाता है।

प्रश्न 9. 
भारत में संस्थागत कृषि साख के महत्त्व के कोई तीन बिन्दु स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

  1. भारत में संस्थागत कृषि साख के अन्तर्गत कम ब्याज दर पर कृषकों को पर्याप्त साख उपलब्ध होती है।
  2. संस्थागत कृषि साख स्रोतों के फलस्वरूप कृषकों को गैर संस्थागत स्रोतों यथा महाजन, साहूकार आदि के शोषण से मुक्ति मिली है।
  3. भारत में संस्थागत कृषि साख के फलस्वरूप ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के वैकल्पिक अवसरों में वृद्धि हुई है।

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प्रश्न 10. 
भारत में ग्रामीण बैंकिंग के विस्तार के फलस्वरूप होने वाले कोई तीन सकारात्मक प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. ग्रामीण बैंकिंग व्यवस्था के विस्तार से कृषकों को देशी बैंकरों अथवा गैर संस्थागत स्रोतों के शोषण से मुक्ति मिली है।
  2. ग्रामीण बैंकिंग व्यवस्था के विस्तार से कृषि व गैर कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि हुई है।
  3. ग्रामीण बैंकिंग व्यवस्था के विस्तार से ग्रामीण क्षेत्रों में आय एवं रोजगार के वैकल्पिक अवसरों में वृद्धि हुई

प्रश्न 11. 
कृषि विपणन की उचित व्यवस्था के अभाव में ग्रामीण विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
कृषि विपणन की उचित व्यवस्था के अभाव में ग्रामीण विकास में अनेक बाधाएँ उत्पन्न होती हैं। कृषि विपणन व्यवस्था के अभाव में कृषकों को अपना उत्पाद कम मूल्य पर महाजनों, साहूकारों एवं व्यापारियों को बेचना पड़ता है, साथ ही ये मध्यस्थ तोल में हेरा-फेरी व खातों में गड़बड़ी करके कृषकों का शोषण करते हैं। उपयुक्त भंडारण व्यवस्था के अभाव में काफी उत्पाद खराब हो जाता है अत: कृषकों को कम कीमत पर अपना उत्पाद बेचना पड़ता है।

प्रश्न 12. 
जैविक कृषि क्या है? यह धारणीय विकास को किस प्रकार बढ़ावा देती है?
उत्तर:
जैविक कृषि, खेती करने की वह पद्धति है जो पर्यावरण सन्तुलन को पुनः स्थापित करके उसका संरक्षण और संवर्द्धन करती है। जैविक कृषि धारणीय विकास को बढ़ावा देती है क्योंकि इसमें ऐसी विधियों का प्रयोग किया जाता है जो पर्यावरण मित्र होती हैं अर्थात् जिनका पर्यावरण पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता। इस कृषि में रासायनिक उर्वरकों एवं विषाक्त कीटनाशकों का प्रयोग नहीं किया जाता जिससे हमारे पर्यावरण, स्वास्थ्य एवं पशुधन पर हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ते।

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प्रश्न 13. 
भारत में कृषि विपणन व्यवस्था के विकास में आने वाली कोई तीन बाधाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. भारत में आज भी बिचौलियों एवं मध्यस्थों द्वारा कृषकों का शोषण किया जाता है। वे कम कीमत पर कृषकों का उत्पाद खरीद कर ऊँची कीमत पर बेचते हैं।
  2. भारत में कृषि में लगे अधिकांश लोगों की आर्थिक स्थिति सही नहीं है तथा वे अशिक्षित हैं जिस कारण कृषि विपणन व्यवस्था के विकास में बाधा उत्पन्न होती है।
  3. अधिकांश भारतीय कृषक निर्धन हैं, उनके पास भण्डारण की पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण उनकी फसलें नष्ट हो जाती हैं।

प्रश्न 14. 
भारत में कृषि विपणन व्यवस्था में सुधार हेतु सरकार द्वारा अपनाए गए उपायों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
भारत में सरकार ने कृषि विपणन व्यवस्था हेतु अनेक उपाय अपनाए हैं। भारत सरकार ने सर्वप्रथम व्यवस्थित एवं पारदर्शी विपणन की दशाओं के निर्माण हेतु बाजार का नियमन किया है। सरकार द्वारा कृषि विपणन व्यवस्था में - सुधार करने हेतु आधारिक संरचनाओं का विकास किया गया है। सरकार ने कृषि विपणन हेतु सरकारी विपणन द्वारा कृषकों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य दिलाया है। इसके अतिरिक्त सरकार ने न्यूनतम समर्थन कीमत, खाद्य के सुरक्षित भण्डार, सार्वजनिक वितरण प्रणाली आदि नौतियों को अपनाया है। 

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प्रश्न 15. 
भारत में पशुपालन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि के साथ-साथ पशुपालन रोजगार का मुख्य विकल्प है। अनेक कृषक ग्रामीण क्षेत्रों में गाय, भैंस, बकरी, मुर्गी, बतख आदि का पालन कर आय प्राप्त करते हैं। इस क्षेत्र से महिलाओं को भी बड़ी संख्या में रोजगार उपलब्ध हो रहा है। पशुपालन के अनेक सकारात्मक प्रभाव पड़े हैं, जैसे लोगों की आय में वृद्धि हुई है तथा दुग्ध, मांस, ऊन तथा अण्डों के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

प्रश्न 16. 
ग्रामीण विकास में साख के कोई दो महत्त्व बताइए।
उत्तर:

  1. कृषि एवं गैर कृषि कार्य में महत्त्वग्रामीण विकास हेतु साख आवश्यक है क्योंकि कृषि एवं गैर कृषि कार्यों हेतु साख लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि की जा सकती है।
  2. कृषि आगतों हेतु-कृषि साख की सहायता से जिससे उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि होती है।

प्रश्न 17. 
ग्रामीण क्षेत्रों में वैकल्पिक रोजगार के रूप में बागवानी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
कृषि के अतिरिक्त ग्रामीण क्षेत्रों में बागवानी रोजगार एवं आय उपलब्ध कराने वाली महत्त्वपूर्ण क्रिया है। बागवानी के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार के फलों, सब्जियों, रेशेदार फसलों, औषधीय तथा सुगन्धित पौधों, मसालों, चाय, कॉफी आदि का उत्पादन किया जाता है, जिससे ग्रामीणों की आय में वृद्धि होती है तथा रोजगार के अवसर उपलब्ध होते हैं। बागवानी के फलस्वरूप ग्रामीण महिलाओं को भी बड़ी मात्रा में रोजगार प्राप्त हुआ है।

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प्रश्न 18. 
भारत में मत्स्यपालन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
मत्स्यपालन ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की आजीविका का महत्त्वपूर्ण स्रोत है। विशेष रूप से तटीय क्षेत्रों में यह आजीविका का मुख्य स्रोत है। पिछले कुछ वर्षों में मत्स्यपालन हेतु बजटीय प्रावधानों में वृद्धि की गई है। साथ ही मत्स्य पालन एवं जल कृषिकी के क्षेत्र में नवीन प्रौद्योगिकी का प्रवेश हुआ है, इससे मत्स्यपालन के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।

प्रश्न 19. 
ग्रामीण विकास पर सूचना प्रौद्योगिकी के कोई दो सकारात्मक प्रभावों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:

  1. नवीन प्रौद्योगिकी की सहायता से मौसम, मृदा दशाओं, उदीयमान तकनीकों आदि की उपयुक्त जानकारी प्राप्त हो सकती है, जिसका उत्पादन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  2. नवीन सूचना प्रौद्योगिकी से ग्रामीण क्षेत्रों से बड़े स्तर पर रोजगार के वैकल्पिक अवसर उत्पन्न हुए हैं तथा भविष्य में भी रोजगार के और अधिक अवसर उत्पन्न होने की संभावना है। 

प्रश्न 20. 
जैविक कृषि के कोई तीन सकारात्मक प्रभावों अथवा लाभों का उल्लेख कीजिए।
अथवा 
जैविक कृषि के कोई दो लाभ बताइये।
उत्तर:

  1. जैविक कृषि के फलस्वरूप विश्वभर में सुरक्षित खाद्यान्नों की पूर्ति में वृद्धि हुई है।
  2. जैविक कृषि में स्थानीय आगतों का ही प्रयोग किया जाता है, जिस कारण कम लागत पर कृषि उत्पादन संभव हो पाता है।
  3. विश्व भर में जैविक कृषि उत्पादों माँग में वृद्धि होने से निर्यातों में भी वृद्धि हुई है तथा भविष्य में भी निर्यातों से और अधिक आय की संभावना है।

प्रश्न 21. 
जैविक कृषि की कोई तीन सीमाओं अथवा बाधाओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. जैविक कृषि की नई विधियों का प्रयोग करने में किसानों में इच्छाशक्ति एवं जागरूकता का अभाव पाया गया।
  2. जैविक कृषि संवर्धन के लिए उपयुक्त नीतियों एवं विपणन व्यवस्था का अभाव रहा है।
  3. जैविक कृषि की उत्पादकता रासायनिक कृषि की तुलना में कम रहती है अतः छोटे एवं सीमान्त कृषक इसे नहीं अपनाते।

प्रश्न 22. 
जैविक कृषि को लोकप्रिय बनाने हेतु कोई दो सुझाव दीजिए।
उत्तर:

  1. जैविक कृषि को लोकप्रिय बनाने हेतु नई विधियों का प्रयोग करने के लिए कृषकों में जागरूकता उत्पन्न करनी चाहिए तथा उन्हें इस हेतु सहायता प्रदान कर प्रोत्साहित करना चाहिए।
  2. जैविक कृषि संवर्द्धन हेतु उपयुक्त नीतियों का 7 निर्माण करना चाहिए तथा जैविक उत्पादों हेतु विपणन व्यवस्था न| को अधिक सुदृढ़ बनाना चाहिए ताकि कृषक जैविक कृषि हेतु प्रोत्साहित हो सके।

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प्रश्न 23. 
सरकारी विपणन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
कृषि विपणन व्यवस्था के लिए सरकार ने सरकारी विपणन व्यवस्था विकसित की है जिसके माध्यम से सरकार कृषकों का उत्पाद क्रय कर उन्हें उनके उत्पादों का उचित मूल्य सुलभ करवाया जाता है। सहकारी समितियों के फलस्वरूप देश में दुग्ध व्यवसाय में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। गुजरात तथा देश के कई अन्य भागों में दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों ने ग्रामीण क्षेत्रों के सामाजिक तथा आर्थिक परिदृश्य का कायाकल्प कर दिया है।

प्रश्न 24. 
भारत में मत्स्यपालन व्यवसाय से जुड़े लोगों की प्रमुख समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
देश में मत्स्यपालन कृषि के अतिरिक्त वैकल्पिक रोजगार का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं, किन्तु आज भी मत्स्यपालन से जुड़े लोगों के जीवन में अनेक समस्याएँ हैं। मत्स्यपालन से जुड़े लोग अत्यधिक निर्धन हैं तथा उनकी आय भी अत्यन्त कम है। इस व्यवसाय में रोजगार के ग अवसर भी सीमित होते हैं। इस व्यवसाय में लगे लोगों का न अन्य कार्यों की ओर प्रवाह का अभाव है अत: वे पूरी तरह से मत्स्यपालन पर ही निर्भर हैं। इसके अतिरिक्त अधिकांश में मछुआरे उच्चतर निरक्षरता दर एवं गंभीर ऋणग्रस्तता की नी समस्या से ग्रस्त हैं।

प्रश्न 25. 
भारत में कृषि विपणन के दोषों को संक्षेप वा में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में कृषि उपज का विपणन संगठन बहुत ग कमजोर है। इसमें अनेक दोष विद्यमान हैं। भारत में कृषि विपणन के प्रमुख दोष निम्न प्रकार हैं-कृषकों के पास वित्तीय सुविधाओं का अभाव, कृषक संगठनों का अभाव, यातायात एवं संचार सुविधाओं का अभाव, उत्पादन की ग्रेडिंग एवं प्रमाणीकरण का अभाव, गोदामों एवं भण्डारों का अभाव, मध्यस्थों द्वारा शोषण इत्यादि। 

प्रश्न 26. 
कृषि साख अथवा वित्त के संस्थागत स्रोतों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कृषि साख के संस्थागत स्रोत-कृषि साख के संस्थागत स्रोतों के अन्तर्गत वे स्रोत आते हैं जिन पर भारतीय नई| रिजर्व बैंक का पूर्ण नियन्त्रण होता है। संस्थागत स्रोतों के ता अन्तर्गत व्यापारिक बैंकों, भारतीय स्टेट बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, भूमि विकास बैंक एवं अन्य सहकारी संस्थाओं, नाबार्ड, सरकार आदि को शामिल किया जाता है।

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प्रश्न 27. 
अल्पकालीन साख से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
अल्पकालीन साख वह होती है जो बहुत कम समयावधि हेतु ली जाती है। अल्पकालीन साख की अवधि 15 महीने तक होती है। अल्पकालीन साख चालू आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ली जाती है, जैसे - खाद, बीज, कीटनाशक आदि क्रय करना। किसान गाँव के महाजन या सहकारी समिति से इस प्रकार के ऋण प्राप्त करते हैं। ऐसे ऋण उपभोग की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भी लिए जाते हैं।

प्रश्न 28. 
भारत में कृषि विपणन व्यवस्था में सुधार हेतु कोई चार सुझाव दीजिए।
उत्तर:

  1. कृषकों को बैंकों तथा सहकारी समितियों के माध्यम से कम ब्याज पर अधिक वित्तीय सुविधाएँ प्रदान की जानी चाहिए।
  2. गाँवों में आधारिक संरचना का तीव्र गति से विकास किया जाना चाहिए।
  3. देश में पर्याप्त संख्या में सुसंगठित, व्यवस्थित तथा नियमित मण्डियों का विकास किया जाना चाहिए।
  4. मण्डियों के भावों का रेडियो, समाचार पत्रों आदि द्वारा कुशल प्रसारण होना चाहिए।

प्रश्न 29. 
भारत में कृषि विपणन हेतु किए गए कोई दो सरकारी प्रयास बताइए।
उत्तर:

  1. बाजारों का नियमन: भारत में कृषि विपणन व्यवस्था के सुधार हेतु सरकार ने सर्वप्रथम देश में व्यवस्थित एवं पारदर्शी विपणन की दशाओं का निर्माण करने हेतु बाजार का नियमन किया। इस हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में अनेक संगठित मण्डियों की स्थापना की गई।
  2. आधारिक संरचना का विकास: देश में कृषि , विपणन व्यवस्था के सुधार हेतु आधारित संरचना का विकास  किया गया। इसके अन्तर्गत सड़कों, रेलमार्गों, भंडारगृहों, गोदामों, शीतगृहों एवं प्रसंस्करण इकाइयों आदि का विकास किया गया।

प्रश्न 30. 
भारत में कृषि विपणन हेतु सरकार द्वारा अपनाए गए नीतिगत उपायों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में सरकार ने कृषि विपणन हेतु अनेक प्रयास किए जिनके अन्तर्गत सरकार ने कृषि विपणन हेतु कई नीतियां बनाई। सरकार के कुछ नीतिगत उपाय निम्न प्रकार हैं।

  1. कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन कीमत सुनिश्चित करना।
  2. भारतीय खाद्य निगम द्वारा गेहूँ और चावल के व सुरक्षित भण्डार रखना एवं उनका रख-रखाव करना। जनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से खाद्यान्नों एवं चीनी तथा अन्य आवश्यक वस्तुओं का वितरण करना।

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प्रश्न 31.
सार्वजनिक वितरण प्रणाली के कोई तीन उद्देश्य बताइए।
उत्तर:
(1) सार्वजनिक वितरण प्रणाली के द्वारा उपभोक्ताओं को आवश्यक उपभोक्ता वस्तुओं की उचित कीमत पर वितरण की व्यवस्था करना।

(2) सार्वजनिक वितरण प्रणाली द्वारा उपभोक्ताओं को ऊँची कीमतों के शोषण से बचाना तथा उन्हें न्यूनतम पौष्टिकता स्तर प्रदान करना है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली का एक उद्देश्य आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हुए क्षेत्रों में आवश्यक वस्तुओं के वितरण का समुचित व्यवस्था करना है।

प्रश्न 32.
प्राथमिक कृषि साख समितियाँ क्या हैं?
उत्तर:
प्राथमिक कृषि साख समितियों के द्वारा कृषि कार्यों के लिए अल्पकालीन ऋण सामान्यतः एक वर्ष के लिए दिए जाते हैं, इन समितियों द्वारा दिए गए ऋणों पर ब्याज दर बहुत कम होती है। इन समितियों में लाभ का हिस्सेदारों में लाभांश के रूप में वितरण नहीं किया जाता है वरन् उसका उपयोग प्रायः ग्राम कल्याणकारी कार्यों में किया जाता है।

प्रश्न 33. 
नाबार्ड द्वारा कृषि एवं ग्रामीण विकास हेतु किए जाने वाले कोई चार कार्य बताइए।
उत्तर:

  1. नाबार्ड लघु एवं कुटीर उद्योगों के लिए उत्पादन व विनियोग साख के लिए पुनर्वित्त की सुविधा प्रदान करता है।
  2. नाबार्ड विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय एजेन्सियों व रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया से कृषि विकास एवं ग्रामीण विकास हेतु कर्ज प्राप्त करता है।
  3. नाबार्ड राज्य सहकारी बैंकों व अन्य वित्तीय संस्थाओं को कर्ज प्रदान करते हैं।
  4. यह भारत सरकार, योजना आयोग व राज्य सरकारों के कार्यों में समन्वय स्थापित करते हैं।

प्रश्न 34. 
ग्रामीण विकास से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
ग्रामीण विकास का तात्पर्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था के उन घरकों के विकास पर ध्यान केन्द्रित करना है जो पिछड़े हुए हैं किन्तु वे ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सर्वांगीण विकास हेतु आवश्यक हैं। इसके अन्तर्गत कई घटकों को शामिल किया जा सकता है, जैसे-साक्षरता, महिला साक्षरता, स्वच्छता एवं जनस्वास्थ्य, भूमि सुधार, उत्पादक संसाधनों का विकास, बिजली, सिंचाई, ऋण, विपणन, परिवहन सुविधाएँ; निर्धनता निवारण आदि। ग्रामीण क्षेत्रों में अनेक बाधाएँ एवं समस्याएँ हैं तथा ग्रामीण विकास के अन्तर्गत उन्हें दूर करने का प्रयास किया जाता है।

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प्रश्न 35. 
कृषि विपणन से आप क्या समझते हैं? भारत में कृषि विपणन व्यवस्था पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
कृषि विपणन वह प्रक्रिया है जिससे देशभर में उत्पादित कृषि पदार्थों का संग्रह, भंडारण, प्रसंस्करण, परिवहन, पैकिंग, वर्गीकरण और वितरण आदि किया जाता है। स्वतंत्रता के समय कृषि विपणन व्यवस्था के अभाव में मध्यस्थों द्वारा कृषकों का शोषण किया जाता था। अतः सरकार ने कृषि विपणन व्यवस्था में सुधार हेतु अनेक प्रयास किये हैं। इसके अन्तर्गत बाजार का नियमन किया गया कृषि विपणन व्यवस्था से सम्बन्धित आधारिक संरचना का निर्माण किया गया है। सरकारी विपणन द्वारा कृषकों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य प्रदान किया गया। इसके अतिरिक्त न्यूनतम समर्थन कीमत, सुरक्षित भंडार, सार्वजनिक वितरण प्रणाली की नीतियाँ भी अपनाई गईं।

प्रश्न 36. 
भारत में उद्यान विज्ञान (बागवानी) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
बागवानी, कृषि के अतिरिक्त रोजगार एवं आय उपलब्ध करवाने वाली मुख्य क्रिया है। भारत में अनेक प्रकार के उद्यान एवं बागान हैं जिनमें फल, सब्जियाँ, रेशेदार फसलों, औषधीय तथा सुगन्धित पौधे, मसाले, चाय, कॉफी इत्यादि का उत्पादन किया जाता है। इन सभी उत्पादों के माध्यम से रोजगार उपलब्ध होता है, साथ-साथ भोजन एवं पोषण भी उपलब्ध होता है। भारत में वर्ष 1991 से 2003 की अवधि के दौरान 'स्वर्णिम क्रान्ति' के फलस्वरूप बागवानी में निवेश में वृद्धि हुई, साथ ही उत्पादन एवं उत्पादकता में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है। अतः अब बागवानी क्षेत्र ने एक धारणीय वैकल्पिक रोजगार का रूप धारण कर लिया

प्रश्न 37. 
जैविक कृषि से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जैविक कृषि, खेती करने की वह पद्धति है जो पर्यावरणीय संतुलन को पुनः स्थापित करके उसका संरक्षण और संवर्धन करती है। विगत कुछ वर्षों से कृषि में अत्यधिक रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों का प्रयोग करने से लोगों के स्वास्थ्य एवं पशुधन पर हानिकारक प्रभाव पड़ा है। मृदा एवं पर्यावरण पर भी विपरीत प्रभाव पड़ा है। अत: जैविक कृषि एक ऐसी प्रौद्योगिकी है जिसके द्वारा विकास की धारणीयता के लिए पर्यावरण मित्र प्रौद्योगिकीय विकास के प्रयास किए गए। जैविक कृषि से सुरक्षित खाद्यान्नों की पूर्ति में वृद्धि हुई है।
 
प्रश्न 38. 
मध्यकालीन एवं दीर्घकालीन साख में अन्तर बताइए।
उत्तर:
मध्यकालीन साख की अवधि 15 माह से 5 वर्ष होती है। मध्यकालीन साख कृषक कृषि यंत्र खरीदने, कुआँ खुदवाने, भूमि में सुधार करने आदि के लिए लेता है। दीर्घकालीन साख की अवधि पाँच वर्ष से अधिक होती है। दीर्घकालीन साख पुराने ऋणों को चुकाने, लघु सिंचाई सुविधाओं, भू-संरक्षण, बंजर भूमि को खेती योग्य बनाने, भूमि खरीदने, भूमि में स्थायी सुधार लाने, भारी मशीनरी खरीदने आदि हेतु लिया जाता है।

प्रश्न 39. 
निम्न को स्पष्ट कीजिए (क) केन्द्रीय सहकारी बैंक (ख) राज्य सहकारी बैंक।
उत्तर:
(क) केन्द्रीय सहकारी बैंक: ये बैंक एक निर्दिष्ट क्षेत्र में प्राथमिक साख समितियों के संघ हैं, जिनका कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण जिला होता है। इन बैंकों का मुख्य कार्य प्राथमिक सहकारी साख समितियों को ऋण प्रदान करना है।

(ख) राज्य सहकारी बैंक: इन बैंकों को शीर्ष सहकारी बैंक भी कहा जाता है। यह बैंक राज्य के केन्द्रीय सहकारी बैंकों को ऋण देता है एवं उनके कार्यों पर नियन्त्रण रखता है। यह रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया से उधार लेता है तथा राज्य सहकारी बैंक, रिजर्व बैंक एवं केन्द्रीय बैंक व प्राथमिक साख समितियों के बीच कड़ी का कार्य करता है।

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प्रश्न 40. 
ग्रामीण क्षेत्रों में मानव संसाधनों के विकास में किन-किन बातों/घटकों को सम्मिलित किया जाता है?
उत्तर:
ग्रामीण क्षेत्रों में मानव संसाधनों के विकास में अग्र को शामिल किया जाता है

  1. साक्षरता, विशेषकर नारी साक्षरता, शिक्षा और कौशल का विकास।
  2. स्वास्थ्य, जिसमें स्वच्छता और जन स्वास्थ्य दोनों शामिल हैं।
  3. भूमि सुधार। 
  4.  प्रत्येक क्षेत्र में उत्पादक संसाधनों का विकास।
  5. आधारिक संरचना का विकास जैसे बिजली, सिंचाई, साख (ऋण), विपणन, परिवहम सुविधाएँ, कृषि अनुसंधान विस्तार और सूचना प्रसार की सुविधाएँ।
  6. निर्धनता निवारण और समाज के कमजोर वर्गों - की जीवन दशाओं में महत्त्वपूर्ण सुधार के विशेष उपाय, जिसमें उत्पादक रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।

प्रश्न 41. 
भारत में ग्रामीण विकास हेतु क्या प्रयास किये जाने चाहिए?
अथवा 
भारत में ग्रामीण विकास हेतु सुझाव दीजिए।
उत्तर:
ग्रामीण क्षेत्र के लोग जो कृषि एवं गैर कृषि गतिविधियों में संलग्न हैं, उन्हें उत्पादकता बढ़ाने में विशेष सहायता देनी होगी। गैर कृषि उत्पादक क्रियाकलापों जैसे खाद्य प्रसंस्करण, स्वास्थ्य सुविधाओं की अधिक उपलब्धता, घर और कार्यस्थल पर स्वच्छता सम्बन्धी सुविधाएँ तथा सभी के लिए शिक्षा को सर्वोच्च वरीयता दी जानी चाहिए ताकि तीव्र ग्रामीण विकास हो सके। ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त आधारिक संरचना का विकास किया जाना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योग एवं सेवा क्षेत्रक में वैकल्पिक रोजगार अवसरों में वृद्धि की जानी चाहिए। निर्धनता निवारण और समाज के कमजोर वर्गों की जीवन.दशाओं में सुधार हेतु विशेष उपाय किए जाने चाहिए।

प्रश्न 42. 
भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग व्यवस्था की कमियों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में व्यावसायिक बैंकों को छोड़कर अन्य सभी औपचारिक साख संस्थाएँ जमा प्रवाह की संस्कृति को विकसित नहीं कर पाई हैं। न ये सही ऋण चाहने वालों को ऋण दे पाती हैं और न ही इनकी कोई प्रभावपूर्ण ऋण वसूली व्यवस्था बन पाई है। कृषि ऋणों की वसूली नहीं हो पाने की समस्या बहुत गंभीर है। कृषि ऋण का भुगतान न कर पाने वालों की संख्या में लगतार वृद्धि हुई है। अत: अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण बैंकिंग व्यवस्था पूरी तरह विकसित नहीं हो पाई है।

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प्रश्न 43. 
भारत में अतिलघु साख कार्यक्रम का एक उदाहरण बताइए।
उत्तर:
तमिलनाडु में महिलाओं को नवीनतम कृषि तकनीकों का प्रशिक्षण देने के लिए तनवा नामक परियोजना प्रारम्भ की गई है। यह महिलाओं को कृषि उत्पादकता और पारिवारिक आय की वृद्धि के लिए सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करती है। थिरुचिरापल्ली में एंथोनीअम्मल द्वारा संचालित प्रशिक्षित महिला समूह कृमि खाद बनाकर बेच रहा है और इस कार्य से आय कमा रहा है। अनेक कृषक महिला समूह अतिलघु साख व्यवस्था का सहारा लेकर अपने सदस्यों की बचतों को बढ़ावा देने में सक्रिय हैं तथा संचित बचतों से वे कई कुटीर उद्योगों का संचालन कर रही हैं।

प्रश्न 44. 
सांसद आदर्श ग्राम योजना (SAGY) परटिप्पणी लिखिए। 
उत्तर:
भारत सरकार ने अक्टूबर 2014 में सांसदों के निर्वाचन क्षेत्रों से सांसद आदर्श ग्राम योजना प्रारम्भ की। इस योजना के तहत सांसदों को एक गाँव की पहचान कर उसे विकसित करना होगा। शुरुआत में 2016 तक एक गाँव को विकसित करना होगा तथा 2019 तक दो और गाँव विकसित ष करने है। इस योजना में भारत के 2500 गाँवों को सम्मिलित से करने की योजना है। इसमें सांसद का स्वयं का या अपनी पत्नी। पति का गाँव नहीं होना चाहिए। इस योजना में गाँव में मा आधारभूत संरचना के विकास पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

प्रश्न 45. 
'ऑपरेशन फ्लड' पर संक्षिप्त टिप्पणी नलिखिए। 
उत्तर:
ऑपरेशन फ्लड का सम्बन्ध दुग्ध क्रान्ति से है जिसके अन्तर्गत दुग्ध के उत्पादन में वृद्धि हेतु प्रयास किए गए हैं। पिछले तीन दशकों में भारत में डेयरी उद्योग ने बहुत शानदार प्रगति दिखाई है, वर्ष 1960 से 2002 की अवधि में देश में दुग्ध का उत्पादन बढ़कर चार गुना से अधिक हो गया है। इसका मुख्य श्रेय 'ऑपरेशन फ्लड' को दिया जाता है। ऑपरेशन फ्लड एक ऐसी प्रणाली है जिसके अन्तर्गत सभी किसान अपना विक्रय योग्य दूध एकत्रित कर, उसकी गुणवत्ता के अनुसार प्रसंस्करण करते हैं और फिर उसे शहरी केन्द्रों में सहकारिताओं के माध्यम से बेचा जाता है। ऑपरेशन फ्लड की शुरुआत गुजरात राज्य से की गई। 

निबन्धात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1. 
कृषि साख अथवा कृषि वित्त से आप क्या समझते हैं? कृषि साख के विभिन्न स्रोतों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कृषि साख अथवा कृषि वित्त-कृषि साख अथवा वित्त से हमारा तात्पर्य वित्त की उस व्यवस्था से है जिसके माध्यम से कृषक अपनी वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु ऋण अथवा साख प्राप्त करते हैं।
कृषि साख के स्रोत-कृषि साख के मुख्य स्रोतों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है
(1) गैर संस्थागत स्रोत: गैर संस्थागत स्रोत वे होते हैं जिन पर भारतीय रिजर्व बैंक का कोई नियन्त्रण नहीं होता है। कृषि के साख के गैर संस्थागत स्रोतों के अन्तर्गत देशी बैंकरों, महाजनों, साहूकारों, व्यापारियों, आढ़तियों, बड़े कृषकों, रिश्तेदारों आदि को सम्मिलित किया जाता है। 

(2) संस्थागत स्रोत: कृषि साख के संस्थागत स्रोतों के अन्तर्गत वे स्रोत आते हैं जिन पर भारतीय रिजर्व बैंक का पूर्ण नियन्त्रण होता है। संस्थागत स्रोतों से कृषकों को देशी बैंकरों के चंगुल से मुक्ति मिलती है। संस्थागत स्रोतों के अन्तर्गत व्यापारिक बैंकों, भारतीय स्टेट बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, भूमि विकास बैंक एवं अन्य सहकारी संस्थाओं, नाबार्ड, सरकार आदि को शामिल किया जाता है।

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प्रश्न 2. 
अवधि के अनुसार कृषि साख के वर्गीकरण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अवधि के अनुसार कृषि साख को तीन भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है
(1) अल्पकालीन साख: अल्पकालीन साख वह होती है जिसकी अवधि 15 महीने तक होती है। अल्पकालीन साख चालू आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ली जाती है, कु जैसे - खाद, बीज, कीटनाशक, औजार आदि क्रय करना। कृ किसान गांव के महाजन या सहकारी समिति से इस प्रकार के ऋण प्राप्त करते हैं। ऐसे ऋण उपभोग की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भी लिए जाते हैं।

(2) मध्यकालीन साख: मध्यकालीन साख वह होती है जिसकी अवधि 15 माह से 5 वर्ष होती है। इसमें कृषक कृषि यंत्र खरीदने, कुआँ खुदवाने, भूमि में सुधार करने व आदि के लिए मध्यकालीन ऋण लेता है। इसके अतिरिक्त शादी व मृत्यु पर उपभोग खर्च के लिए भी मध्यकालीन 3 साख ली जाती है।

(3) दीर्घकालीन साख: दीर्घकालीन साख वह होती है जिसकी अवधि पांच वर्ष से अधिक होती है। इसमें से दीर्घकालीन साख पुराने ऋणों को चुकाने, लघु सिंचाई सुविधाओं, भू-संरक्षण, बंजर भूमि को खेती योग्य बनाने, नई भूमि खरीदने, भूमि में स्थायी सुधार लाने, भारी मशीनरी खरीदने आदि हेतु ली जाती है। गांवों में भूमि विकास बैंक मुख्य रूप से दीर्घकालीन ऋण प्रदान करता है।

प्रश्न 3. 
भारत में कृषि विपणन व्यवस्था में सुधार प्र हेतु सुझाव दीजिए।
उत्तर:
कृषि विपणन में सुधार हेतु सुझाव:

भारत में कृषि विपणन व्यवस्था में सुधार के सम्बन्ध में निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं

  1. कृषकों को उत्पादन एवं विपणन क्रियाओं हेतु सरकार द्वारा बैंकों तथा सहकारी समितियों के माध्यम से कम ब्याज पर पर्याप्त वित्तीय सुविधाएँ उपलब्ध करवायी जानी चाहिए।
  2. ग्रामीण क्षेत्रों में आधारिक संरचना को तीव्र गति से विकसित किया जाना चाहिए।
  3. देश में पर्याप्त संख्या में सुसंगठित, व्यवस्थित है, तथा नियमित मण्डियों का विकास किया जाना चाहिए।
  4. किसानों की जानकारी बढ़ाने हेतु मण्डियों के भावों का रेडियो, समाचारपत्रों आदि द्वारा कुशल प्रसारण होना चाहिए।
  5. कृषि में श्रेणीकरण व प्रमापीकरण को वैज्ञानिक बनाना चाहिए।
  6. कृषि में माप-तौल का प्रमापीकरण किया जाना चाहिए।
  7. कृषि क्षेत्र में सहकारी विपणन व्यवस्था को और अधिक बढ़ावा देना चाहिए।
  8. कृषकों में शिक्षा का प्रसार किया जाना चाहिए।
  9. ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक धार्मिक व सामाजिक कुरीतियों को दूर करने का प्रयास किया जाना चाहिए, जिससे कृषक ऋणग्रस्त न हो।
  10. कृषकों हेतु कृषि विपणन सम्बन्धी प्रशिक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए।
  11. बाजार शोध एवं सर्वेक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
  12. ग्रामीण क्षेत्रों में भण्डार व्यवस्था एवं शीत भण्डारों की व्यवस्था का विस्तार किया जाना चाहिए।
  13. भारत में कृषि लागत एवं मूल्य आयोग को अधिक कुशल बनाया जाना चाहिए।

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प्रश्न 4. 
कृषि विपणन से आप क्या समझते हैं? कृषि विपणन हेतु भारत सरकार द्वारा किए गए प्रयासों को स्पष्ट कीजिए।
अथवा 
भारत सरकार की कृषि विपणन व्यवस्था सम्बन्धी नीति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कृषि विपणन: कृषि विपणन वह प्रक्रिया है जिससे देश भर में उत्पादित कृषि पदार्थों का संग्रह, भंडारण, प्रसंस्करण, परिवहन, पैकिंग, वर्गीकरण और वितरण आदि किया जाता है। . कृषि विपणन हेतु किए गए सरकारी प्रयास-भारत में कृषि विपणन व्यवस्था में अनेक कमियाँ हैं, जिन्हें दूर करने हेतु सरकार ने कई प्रयास किए हैं। भारत में कृषि विपणन व्यवस्था हेतु सरकार द्वारा किए गए प्रयासों को निम्न बिन्दुओं की सहायता से स्पष्ट किया जा सकता है
(1) बाजारों का नियमन: भारत में कृषि विपणन व्यवस्था के सुधार हेतु सरकार ने सर्वप्रथम देश में व्यवस्थित एवं पारदर्शी विपणन की दशाओं का निर्माण करने हेतु बाजार का नियमन किया। इस हेतु ग्रामीण स्तरों पर अनेक संगठित मण्डियों की स्थापना की गई। अब सम्पूर्ण देश में नियन्त्रित बाजार व्यवस्था लागू की जा रही है।

(2) आधारिक संरचना का विकास: देश में कृषि विपणन व्यवस्था के सुधार हेतु आधारिक संरचना का विकास किया गया। इसके अन्तर्गत सड़कों, रेलमार्गों, भंडारगृहों, गोदामों, शीतगृहों एवं प्रसंस्करण इकाइयों आदि का विकास |किया गया तथा इस क्षेत्र में निरन्तर प्रयास किए जा रहे हैं।

(3) सरकारी विपणन: कृषि विपणन व्यवस्था हेतु सरकार ने सरकारी विपणन व्यवस्था विकसित की है जिसके माध्यम से सरकार कृषकों का उत्पाद क्रय कर किसानों को उनके उत्पादों हेतु उचित मूल्य सुलभ करवाया जाता है। सहकारी समितियों के फलस्वरूप देश में दुग्ध व्यवसाय में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।

(4) सरकार के नीतिगत उपाय: इस प्रयास के अन्तर्गत सरकार ने कृषि विपणन हेतु कई नीतियाँ बनाई। सरकार के कुछ नीतिगत साधन निम्न प्रकार हैं

  1. कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन कीमत सुनिश्चित करना
  2. भारतीय खाद्य निगम द्वारा गेहूँ और चावल के सुरक्षित भण्डार रखना एवं उनका रखरखाव करना।
  3. सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से खाद्यान्नों एवं चीनी का वितरण करना। 

प्रश्न 5. 
भारत में क्रय-विक्रय के वैकल्पिक माध्यमों के प्रादुर्भाव पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
उत्तर:
भारत में कृषि विपणन व्यवस्था में अनेक कमियाँ रही हैं अत: विगत कुछ वर्षों में भारत में क्रय-विक्रय के अनेक वैकल्पिक माध्यमों का प्रादुर्भाव हुआ है। भारत में अनेक स्थानों पर ऐसी मंडियों को विकसित किया गया है जिसमें किसान स्वयं अपने उपभोक्ताओं को अपना उत्पाद बेचते हैं। पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में अपनी मंडी, पुणे की हाड़पसार मंडी, आन्ध्रप्रदेश की रायथूबाज नामक फल-सब्जी मंडियां तथा तमिलनाडु की उझावरमंडी के कृषक बाजार, इस प्रकार से विकसित हो रहे वैकल्पिक क्रय-विक्रय माध्यम के कुछ उदाहरण हैं।

इसके अतिरिक्त एक अन्य वैकल्पिक पद्धति विभिन्न राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा अपनाई जाती है। इस पद्धति के अन्तर्गत ये कम्पनियाँ कृषकों को निःशुल्क खाद, बीज, कीटनाशक उपलब्ध करवाती हैं तथा कृषकों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है। इसके उपरान्त कृषकों द्वारा उत्पाद को भी इन्हीं कम्पनियों द्वारा खरीद लिया जाता है जिससे कृषकों को कई प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष लाभ प्राप्त होते हैं। इससे किसानों को कीमत विषयक आशंकाओं एवं जोखिमों से मुक्ति मिलती है एवं कृषि कार्यों हेतु साख की भी कम आवश्यकता पड़ती है।

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प्रश्न 6. 
सार्वजनिक वितरण प्रणाली क्या है? भारत, में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की नीति क्यों अपनाई| गई?
उत्तर:
सार्वजनिक वितरण प्रणाली का अभिप्राय सरकार द्वारा आवश्यक उपभोक्ता वस्तुओं के वितरण की उस व्यवस्था में से है जिसमें गेहूँ, चावल, चीनी, मिट्टी का तेल, कोयला आदि जरूरी वस्तुओं का वितरण उचित मूल्यों (बाजार कीमतों से काफी कम कीमतों) पर देश के लगभग सभी निर्धन एवं जरूरतमंद उपभोक्ताओं को उपलब्ध करवाया जाता है।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली के उद्देश्य:
भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की नीति निम्न उद्देश्यों की पूर्ति के लिए अपनाई गई

  1. सार्वजनिक वितरण प्रणाली के द्वारा उपभोक्ताओं |को आवश्यक उपभोक्ता वस्तुओं को उचित कीमत पर वितरण की व्यवस्था करना।
  2. सार्वजनिक वितरण प्रणाली द्वारा उपभोक्ताओं को |ऊंची कीमतों के शोषण से बचाना और उन्हें न्यूनतम पौष्टिकता स्तर प्रदान करना।
  3. सार्वजनिक वितरण प्रणाली का एक उद्देश्य आर्थिक दृष्टि से पिछड़े हुए क्षेत्रों में आवश्यक वस्तुओं के |वितरण की समुचित व्यवस्था करनी है।
  4. सार्वजनिक वितरण प्रणाली का उद्देश्य बाजार में आवश्यक उपभोक्ताओं वस्तुओं की कीमतों में स्थिरता लाना तथा बाजार कीमतों पर आवश्यक नियन्त्रण स्थापित करना
  5. सरकार उत्पादकों से उनकी उपज उचित मूल्य पर खरीदकर फिर उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर बेचती है। अतः उत्पादकों को उनकी उपज के लिए उचित मूल्य दिलवाना, साथ ही उपभोक्ताओं को उचित मूल्यों पर आवश्यक उपभोक्ता वस्तुओं की आपूर्ति करना इसका मुख्य उद्देश्य है।

प्रश्न 7. 
भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में अल्पकालीन साख उपलब्ध करवाने वाली सहकारी संस्थाओं का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
अल्पकालीन साख उपलब्ध कराने वाली सहकारी साख संस्थाएँ भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में अल्पकालीन साख उपलब्ध करवाने हेतु त्रिस्तरीय सहकारी साख संस्थाओं का ढाँचा कार्य करता है। इसमें निम्न तीन संस्थाएँ कार्य करती हैं
(1) प्राथमिक कृषि साख समितियाँ: इन समितियों के द्वारा कृषि कार्यों के लिए अल्पकालीन ऋण सामान्यतः एक वर्ष के लिए दिये जाते हैं, जिनकी ब्याज दर बहुत कम होती है। लाभ का हिस्सेदारों में लाभांश के रूप में वितरण नहीं किया जाता है वरन् उनका उपभोग विभिन्न ग्राम कल्याणकारी कार्यों में किया जाता है।

(2) केन्द्रीय सहकारी बैंक: ये बैंक एक निर्दिष्ट क्षेत्र में प्राथमिक साख समितियों के संघ हैं, जिनका कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण जिला होता है। इन बैंकों का प्रमुख कार्य प्राथमिक साख समितियों को ऋण देना है, किन्तु इनसे यह अपेक्षा की गई थी कि ये सामान्य जनता की जमाओं को आकर्षित करेंगे, किन्तु इसमें ये बैंक सफल नहीं हो पाए।

(3) राज्य सहकारी बैंक-इन बैंकों को शीर्ष बैंक भी कहा जाता है। यह बैंक राज्य के केन्द्रीय सहकारी बैंकों को ऋण देता है, उनके कार्य का नियन्त्रण करता है। यह रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया से उधार लेता है और उसके तथा केन्द्रीय बैंकों और प्राथमिक साख समितियों के बीच कड़ी का कार्य करता है।

RBSE Class 11 Economics Important Questions Chapter 6 ग्रामीण विकास

प्रश्न 8. 
कृषि विकास की शीर्ष संस्था 'नाबार्ड' पर एक लेख लिखिए।
उत्तर:
नाबार्ड का पूरा नाम राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक है। यह देश में कृषि तथा ग्रामीण विकास के लिए वित्त उपलब्ध करवाने वाली शीर्ष संस्था है। नाबार्ड की स्थापना 12 जुलाई, 1982 को की गई थी। नाबार्ड ने कृषि पुनर्वित्त विकास निगम तथा भारतीय रिजर्व बैंक के कृषिगत साख विभाग के सभी कार्य अपने हाथ में ले लिए हैं। नाबार्ड द्वारा कृषि एवं ग्रामीण विकास हेतु अनेक कार्य किए जाते हैं। इनमें से मुख्य कार्य निम्न प्रकार हैं

  1. ग्रामीण क्षेत्रों में लघु एवं कुटीर उद्योगों के लिए उत्पादन व विनियोग साख के लिए पुनर्वित्त की सुविधा प्रदान करना।
  2. नाबार्ड विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय एजेन्सियों व रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया से कृषि विकास एवं ग्रामीण विकास हेतु कर्ज प्राप्त करता है।
  3. नाबार्ड राज्य सहकारी बैंकों व अन्य वित्तीय संस्थाओं को कर्ज प्रदान करते हैं।
  4. नाबार्ड भारत सरकार, योजना आयोग व राज्य सरकारों के कार्यों में समन्वय स्थापित करते हैं।
  5. नाबार्ड विभिन्न प्रोजेक्टों का क्रियान्वयन एवं मूल्यांकन करता है।
  6. नाबार्ड ने अनुसंधान व विकास कोष की स्थापना की है। 
  7. नाबार्ड प्रादेशिक ग्रामीण बैंकों व सहकारी बैंकों की जाँच हेतु जिम्मेदार है। 

प्रश्न 9. 
'उत्पादन गतिविधियों का विविधीकरण' पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
उत्तर:
उत्पादन गतिविधियों का विविधीकरण इसके अंतर्गत दो प्रकार से उत्पादन गतिविधियों का विविधीकरण किया गया। पहला फसलों की उत्पादन प्रणाली में परिवर्तन से सम्बन्धित है, दूसरा श्रम शक्ति को खेती से हटाकर अन्य सम्बन्धित कार्यों तथा गैर कृषि क्षेत्र में लगाना है। इसके फलस्वरूप रोजगार के अनेक अवसर सृजित होंगे तथा कृषकों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में अनेक नए धारणीय आजीविका विकल्पों का विकास हो रहा है।

उत्पादन गतिविधियों के विविधीकरण से हमारा तात्पर्य कृषि क्षेत्र के अलावा कृषि सम्बद्ध गतिविधियों को विकसित कर उनमें रोजगार के नए वैकल्पिक अवसर उत्पन्न करना है। इस हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में कुटीर एवं लघु उद्योगों को प्रोत्साहित किया गया है ताकि ग्रामीणों को रोजगार के स्थायी अवसर उपलब्ध हो पाएँ। ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन - में भी रोजगार की विपुल संभावनाएँ हैं। पशुपालन से रोजगार एवं आय दोनों को आसानी से बढ़ाया जा सकता है।

पशुपालन - के अतिरिक्त मत्स्यपालन एवं बागवानी मुख्य गतिविधियाँ हैं: जिनमें रोजगार के अनेक अवसर उपलब्ध हैं। इसके अतिरिक्त ग्रामीण क्षेत्रों में लघु एवं कुटीर उद्योगों का विकास करके भी - रोजगार में वृद्धि की जा सकती है। अत: ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि के अतिरिक्त अन्य गतिविधियों का विकास कर ग्रामीणों की र आर्थिक स्थिति में सुधार किया जा सकता है जिसका ग्रामीण में विकास पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

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प्रश्न 10. 
भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में संस्थागत साख व्यवस्था के विकास पर एक लेख लिखिए।
उत्तर:
स्वतन्त्रता के समय भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में महाजनों तथा व्यापारियों द्वारा साख सुविधाएँ प्रदान की जाती थीं किन्तु उनके द्वारा कृषकों का शोषण किया जाता था। वे किसानों तथा श्रमिकों से ऊँची ब्याज दर वसूल करते भारत में वर्ष 1969 में सामाजिक बैंकिंग की शुरुआत हुई। इस शुरुआत से ग्रामीण साख व्यवस्था में एक बदलाव चलाने का प्रयास किया गया।

ग्रामीण साख आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बहुसंस्था व्यवस्था का सहारा लिया गया। इसी क्रम में वर्ष 1982 में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की स्थापना की गई। यह बैंक सम्पूर्ण ग्रामीण ना वित्त व्यवस्था के समन्वय के लिए एक शीर्ष संस्था है। हरित क्रान्ति ने भी ग्रामीण साख व्यवस्था में बहुत बड़े जी परिवर्तन का सूत्रपात किया है, क्योंकि इसने ग्रामीण विकास के विभिन्न घटकों को उत्पादक ऋणों की ओर उन्मुख कर र विविधता प्रदान की।

वर्तमान में ग्रामीण बैंकिंग की संस्थागत संरचना में अनेक बहु-एजेन्सी संस्थान जैसे व्यापारिक बैंक, क्षेत्रीय का ग्रामीण बैंक, सहकारी संस्थाएँ, भूमि विकास बैंक आदि नी सम्मिलित हैं। ये कम व्याज दरों पर पर्याप्त ऋण की पूर्ति से करना चाहती हैं। हाल ही में औपचारिक साख व्यवस्था मे रह गई कमियों को दूर करते हुए स्वयं सहायता समूहों का भी ग्रामीण साख व्यवस्था में प्रादुर्भाव हुआ है, क्योंकि औपचारिक साख व्यवस्था न केवल अपर्याप्त थी, बल्कि ग्रामीण सामाजिक तथा सामुदायिक विकास में पूरी तरह समन्वित साबित हुई है। मार्च, 2003 के अन्त तक 'लगभग 7 लाख साख प्रदान करने वाले स्वयं सहायता समूह देश के अनेक भागों में कार्य कर रहे थे। इस प्रकार की साख उपलब्धता को अतिलघु साख कार्यक्रम भी कहा जाता है।

प्रश्न 11. 
ग्रामीण क्षेत्रों में उत्पादक गतिविधियों में विविधीकरण की क्या आवश्यकता है?
उत्तर:
ग्रामीण क्षेत्रों में विविधीकरण की आवश्यकता इसलिए उत्पन्न हो रही है, क्योंकि सिर्फ खेती के आधार पर आजीविका कमाने में जोखिम बहुत अधिक हो जाता है क्योंकि भारतीय कृषि अधिकांशत: मानसून पर निर्भर है। वर्षा न होने पर फसल नष्ट हो जाती है एवं कृषकों को आर्थिक संकटों का सामना करना पड़ता है। अतः विविधीकरण द्वारा हम न केवल खेती से जोखिम को कम करने में सफल होंगे बल्कि ग्रामीण जन-समुदाय को उत्पादक और वैकल्पिक धारणीय आजीविका के अवसर 5 भी उपलब्ध हो पाएंगे।

भारत में अधिकांश कृषि रोजगार खरीफ की फसल से जुड़ा रहता है किन्तु रबी की फसल के मौसम में तो यहाँ - पर्याप्त सिंचाई सुविधाएं नहीं हैं। उन क्षेत्रों में हम विविधीकरण के माध्यम से अन्य प्रकार की उत्पादक और लाभप्रद गतिविधियों में प्रसार के माध्यम से ही हम ग्रामीण जनसमुदाय को अधिक आय कमाकर गरीबी तथा अन्य विषम परिस्थितियों का सामना करने में समर्थ बना पाएंगे। वर्तमान में ग्रामीण क्षेत्रों में अनेक नए धारणीय आजीविका विकल्पों का विकास हो रहा है।

अतः ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने हेतु उत्पादक गतिविधियों के विविधीकरण के कारण ग्रामीण महिलाओं को भी गैर कृषि क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध हो रहा है। अतः ग्रामीण विकास हेतु ग्रामीण क्षेत्रों में उत्पादक गतिविधियों में विविधीकरण करना आवश्यक है।

Prasanna
Last Updated on July 14, 2022, 3:11 p.m.
Published July 14, 2022