RBSE Class 11 Economics Important Questions Chapter 5 भारत में मानव पूँजी का निर्माण

Rajasthan Board RBSE Class 11 Economics Important Questions Chapter 5 भारत में मानव पूँजी का निर्माण Important Questions and Answers.

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RBSE Class 11 Economics Important Questions Chapter 5 भारत में मानव पूँजी का निर्माण

वस्तुनिष्ठ प्रश्न:

प्रश्न 1. 
भारत सरकार द्वारा 86वें संविधान संशोधन द्वारा जिस आयु वर्ग के बच्चों के लिए निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा को मौलिक अधिकार घोषित किया है, वह है।
(अ) 6 - 12 
(ब) 6 - 16
(स) 6 - 14 
(द) 6 - 10 
उत्तर:
(स) 6 - 14 

RBSE Class 11 Economics Important Questions Chapter 5 भारत में मानव पूँजी का निर्माणा 

प्रश्न 2. 
मानव पूंजी निर्माण का स्रोत हैं।
(अ) शिक्षा में निवेश 
(ब) स्वास्थ्य में निवेश 
(स) कार्य के दौरान प्रशिक्षण
(द) उपर्युक्त सभी। 
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी। 

प्रश्न 3. 
भारत में मानव पूंजी निर्माण में मुख्य समस्या क्या।
(अ) निर्धनता एवं बेरोजगारी 
(ब) शिक्षा सुविधाओं का अभाव 
(स) स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव
(द) उपर्युक्त सभी। 
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी। 

प्रश्न 4. 
विश्व बैंक की रिपोर्ट 'भारत और ज्ञान अर्थव्यवस्था शक्तियों और अवसरों का सदुपयोग' के अनुसार वर्ष 2020 में भारत की प्रतिव्यक्ति आय हो जाएगी।
(अ) 1100 अमेरिकी डॉलर 
(ब) 2200 अमेरिकी डॉलर 
(स) 3000 अमेरिकी डॉलर
(द) 4500 अमेरिकी डॉलर। 
उत्तर:
(स) 3000 अमेरिकी डॉलर

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प्रश्न 5. 
भारत की प्रशासन व्यवस्था में सम्मिलित हैं।
(अ) केन्द्र सरकार 
(ब) राज्य सरकार
(स) स्थानीय निकाय 
(द) उपर्युक्त सभी। 
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी। 

प्रश्न 6. 
भारत में दिसम्बर, 2002 में सरकार ने किस संविधान संशोधन के तहत 6-14 आयु वर्ग के बच्चों के लिए निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा को मौलिक अधिकार घोषित किया? 
(अ) 81वें संविधान संशोधन के तहत 
(ब) 83वें संविधान संशोधन के तहत 
(स) 86वें संविधान संशोधन के तहत 
(द) 91वें संविधान संशोधन के तहत।
उत्तर:
(स) 86वें संविधान संशोधन के तहत 

रिक्त स्थान वाले प्रश्ननीचे दिए गए वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति करें:

प्रश्न 1. 
भारत सरकार ने सभी केन्द्रीय करों पर ........... शिक्षा उपकर लगाया है। 
उत्तर:
2 प्रतिशत

प्रश्न 2. 
वर्ष ........... में भारत सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम का कानून बनाया। 
उत्तर:
2002 

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प्रश्न 3. 
वर्ष 2011 - 12 में ग्रामीण क्षेत्रों में स्नातक व उससे ऊपर अध्ययन किए युवा पुरुषों के बीच बेरोजगारी दर ............थी।
उत्तर:
19 प्रतिशत 

प्रश्न 4. 
............ में निवेश को मानव पूँजी का एक प्रमुख स्रोत माना है।
उत्तर:
शिक्षा

प्रश्न 5. 
वर्ष 2015-16 में भारत में शिशु मृत्यु दर ............ रही।
उत्तर:
34

सत्य / असत्य वाले प्रश्न नीचे दिए गए कथनों में सत्य / असत्य कथन छाँटिए:

प्रश्न 1. 
वर्ष 2015 - 16 में भारत की साक्षरता दर 76 प्रतिशत रही। 
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 2. 
आयरलैण्ड को विश्व ज्ञान अर्थव्यवस्था के श्रेष्ठ प्रयोग करने वाला देश माना जाता है। 
उत्तर:
सत्य

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प्रश्न 3. 
मानव पूंजी की अवधारणा शिक्षा और स्वास्थ्य को श्रम की उत्पादकता बढ़ाने का माध्यम मानती है। 
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 4. 
परिवहन सेवाओं में निवेश को मानव पूंजी का एक प्रमुख स्रोत माना है।
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 5. 
भारत में 2015 - 16 में महिला जीवन प्रत्याशा 86 वर्ष
उत्तर:
असत्य 

मिलान करने वाले प्रश्न|निम्न को सुमेलित कीजिए:

प्रश्न 1.

1. 2015 में पुरुष साक्षरता दर

(अ) 76 प्रतिशत

2. 2015 में महिला साक्षरता दर

(ब) 6.4 प्रति हजार

3. 2015 में युवा/पुरुष साक्षरता दर

(स) 92 प्रतिशत

4. 2015-16 में भारत की साक्षरता दर

(द) 81 प्रतिशत

5. 2015-16 में भारत की मृत्यु दर

(य) 63 प्रतिशत

6. 2015-16  में पुरुष जीवन प्रत्याशा

(र) 67 वर्ष

उत्तर:

1. 2015 में पुरुष साक्षरता दर

(द) 81 प्रतिशत

2. 2015 में महिला साक्षरता दर

(ब) 6.4 प्रति हजार

3. 2015 में युवा/पुरुष साक्षरता दर

(स) 92 प्रतिशत

4. 2015-16 में भारत की साक्षरता दर

(य) 63 प्रतिशत

5. 2015-16 में भारत की मृत्यु दर

(अ) 76 प्रतिशत

6. 2015-16  में पुरुष जीवन प्रत्याशा

(र) 67 वर्ष


अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1. 
मानव पूंजी किसे कहते हैं?
उत्तर:
किसी देश में कुशल, शिक्षित तथा प्रशिक्षित मानवीय संसाधनों को मानव पूँजी कहते हैं।

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प्रश्न 2. 
भारत सरकार ने 86वें संविधान संशोधन द्वारा किस आयु वर्ग के बच्चों के लिए निःशुल्क शिक्षा का अधिकार घोषित किया है?
उत्तर:
6 से 14 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों के लिए।

प्रश्न 3. 
मानव पूँजी निर्माण से आप क्या समझते
उत्तर:
मानवीय संसाधनों अथवा मनुष्यों को अधिक कुशल, शिक्षित, प्रशिक्षित एवं अनुभवी बनाना ही मानव पूंजी निर्माण करना है।

प्रश्न 4. 
मानव पूँजी निर्माण के मुख्य स्रोत कौनकौनसे हैं?
उत्तर:
मानव पूँजी निर्माण के मुख्य स्रोत शिक्षा में निवेश, स्वास्थ्य में निवेश, कार्य के दौरान प्रशिक्षण, प्रवसन, सूचना प्राप्त करना इत्यादि हैं।

प्रश्न 5. 
भौतिक पूँजी एवं मानव पूंजी में कोई एक अन्तर बताइए।
उत्तर:
भौतिक पूँजी में मानवीय पूंजी की तुलना में अधिक गतिशीलता पाई जाती है।

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प्रश्न 6. 
भौतिक पूँजी एवं मानवीय पूँजी में कोई एक समानता बताइए।
उत्तर:
भौतिक पूंजी एवं मानवीय पूँजी दोनों में ही | समय के साथ-साथ मूल्य-हास होता है।

प्रश्न 7. 
मानव पूंजी निर्माण का कोई एक लाभ बताइए। 
उत्तर:
मानव पूँजी निर्माण देश की समृद्धि एवं विकास में सहायक होता है।

प्रश्न 8.
मनुष्य द्वारा कार्यों को कुशलतापूर्वक करने हेतु किन तत्त्वों की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
कार्यों को कुशलतापूर्वक करने हेतु अच्छे प्रशिक्षण एवं कौशल की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 9. 
शिक्षित श्रम के कोई दो लाभ बताइए। 
उत्तर:

  1. शिक्षित श्रम अधिक उत्पादक होते हैं।
  2. शिक्षित श्रम नई प्रौद्योगिकी को अपनाने में सहायक होते हैं।

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प्रश्न 10. 
शिक्षा के कोई दो लाभ बताइए। 
उत्तर:

  1. उपार्जन क्षमता में वृद्धि होती है।
  2. श्रम शक्ति को अधिक उत्पादक बनाया जा सकता है।

प्रश्न 11. 
व्यक्ति शिक्षा पर निवेश क्यों करता है?
उत्तर:
व्यक्ति अपनी भविष्य की आय में वृद्धि के लिए शिक्षा पर निवेश करता है।

प्रश्न 12. 
शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकारी हस्तक्षेप के पक्ष में कोई एक तर्क दीजिए।
उत्तर:
सरकारी हस्तक्षेप के माध्यम से शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में निजी क्षेत्र के एकाधिकार एवं शोषण को रोका जा सकता है।

प्रश्न 13. 
भारत में मानव पूंजी निर्माण के मार्ग में आने वाली कोई दो बाधाएँ अथवा समस्याएँ बताइए।
उत्तर:

  1. निर्धनता एवं बेरोजगारी की समस्या 
  2. निरक्षरता की समस्या।

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प्रश्न 14. 
शिक्षा क्षेत्र को नियोजित करने वाली कोई दो सरकारी संस्थाओं के नाम बताइए। 
उत्तर:

  1. राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद्
  2. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग।

प्रश्न 15. 
भारत में चिकित्सा क्षेत्र को नियोजित करने वाले किन्हीं दो सरकारी संगठनों के नाम बताइए।
उत्तर:

  1. स्वास्थ्य मन्त्रालय 
  2. भारतीय चिकित्सा अनुसन्धान परिषद्।

प्रश्न 16. 
युवा साक्षरता दर में किस आयु वर्ग की साक्षरता दर की गणना की जाती है?
उत्तर:
युवा साक्षरता दर में 15 से 24 वर्ष की आयु वर्ग की साक्षरता की गणना की जाती है।

प्रश्न 17. 
भारत सरकार द्वारा कितना 'शिक्षा उपकर' लगाया जाता है?
उत्तर:
भारत सरकार द्वारा सभी केन्द्रीय करों पर 2 प्रतिशत का शिक्षा उंपकर लगाया जाता है। 

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प्रश्न 18. 
शिक्षा उपकर से प्राप्त राजस्व का उपयोग किस कार्य में किया जाता है?
उत्तर:
शिक्षा उपकर से प्राप्त राजस्व को प्राथमिक शिक्षा पर व्यय करने हेतु सुरक्षित रखा जाता है।

प्रश्न 19. 
व्यक्ति की उपार्जन क्षमता का संवर्द्धन करने वाले कोई दो कारक बताइए।
उत्तर:

  1. शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाएँ। 
  2. कार्य के दौरान प्रशिक्षण।

प्रश्न 20. 
शिक्षा एवं स्वास्थ्य क्षेत्रों में सरकारी हस्तक्षेप के पक्ष में दो तर्क दीजिए।
उत्तर:

  1. निजी क्षेत्र के एकाधिकार को रोकना। 
  2. निर्धन वर्ग को पर्याप्त सेवाएँ उपलब्ध करवाना।

प्रश्न 21. 
भारत में उच्च शिक्षा में सुधार हेतु कोई दो सुझाव दीजिए।
उत्तर:

  1. सरकार को उच्च शिक्षा हेतु अधिक धन का आबंटन करना चाहिए।
  2. उच्च शिक्षा संस्थानों के स्तर में सुधार।

प्रश्न 22. 
वयस्क साक्षरता दर में किस आयु वर्ग की साक्षरता की गणना की जाती है?
उत्तर:
वयस्क साक्षरता दर में 15 वर्ष से अधिक आयु : वर्ग की साक्षरता दर की गणना की जाती है।

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प्रश्न 23. 
भारत सरकार ने 6 से 14 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के लिए निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का मौलिक अधिकार किस संविधान संशोधन में घोषित किया?
उत्तर:
86वां संविधान संशोधन।

प्रश्न 24. 
मानव पूंजी निर्माण करने के कोई दो उपाय |बताइए।
उत्तर:

  1. देश में शिक्षा में निवेश किया जाना चाहिए।
  2. देश में चिकित्सा सेवाओं में निवेश किया जाना चाहिए।

प्रश्न 25. 
मानवीय पूँजी की आर्थिक विकास में कोई एक भूमिका बताइए।
उत्तर:
मानवीय पूँजी से श्रम को प्रशिक्षित कर उसे अधिक कार्यकुशल एवं उत्पादक बनाया जा सकता है।

प्रश्न 26. 
प्रवसन अथवा पलायन से किस प्रकार मानव पूँजी का निर्माण होता है?
उत्तर:
इसमें लोग कम वेतन का स्थान छोड़कर अधिक वेतन वाले स्थान पर जाते हैं, जिससे उनकी कार्यकुशलता में वृद्धि होती है।

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प्रश्न 27. 
नारी शिक्षा के प्रोत्साहन की कोई एक आवश्यकता बताइए।
उत्तर:
नारी शिक्षा, प्रजनन दर एवं बच्चों के स्वास्थ्य सम्बन्धी देखभाल पर अनुकूल प्रभाव डालती है।

प्रश्न 28. 
भारत में शिक्षा व्यवस्था में सुधार हेतु कोई एक सुझाव दीजिए।
उत्तर:
शिक्षा पर किए जाने वाले व्यय में वृद्धि करनी चाहिए।

प्रश्न 29. 
भारत में स्वास्थ्य क्षेत्र की कोई दो समस्याएँ बताइए।
उत्तर:

  1. निर्धनता के कारण भारत में लोग कुपोषण का शिकार होते हैं।
  2. भारत में स्वास्थ्य सेवाओं का नितान्त अभाव है।

प्रश्न 30. 
सामाजिक आधार डाँचे में सम्मिलित कोई दो घटक बताइए।
उत्तर:

  1. शिक्षा 
  2. स्वास्थ्य 

लघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1. 
मानव विकास के कोई तीन संकेतकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. शिक्षा: जिस देश में साक्षरता दर ऊँची होती है वहाँ पर मानव विकास का स्तर भी ऊँचा होता है।
  2. स्वास्थ्य सुविधाएँ: जहाँ स्वास्थ्य सुविधाएँ पर्याप्त होंगी वहाँ मानव विकास का स्तर ऊँचा होगा।
  3. प्रशिक्षण: कर्मचारियों को दिए जाने वाले प्रशिक्षण का आर्थिक विकास पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है।

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प्रश्न 2. 
शिक्षा एवं प्रशिक्षण का मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
शिक्षा एवं प्रशिक्षण का मानव जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। किसी भी कार्य को कुशलतापूर्वक एवं कौशल के साथ करने हेतु प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है तथा शिक्षा के माध्यम से भी श्रम को आसानी से कुशल एवं प्रशिक्षित बनाया जा सकता है, अत: शिक्षा एवं प्रशिक्षण से लोगों की आय उपार्जन क्षमता बढ़ती है जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार होता है। इसके साथ ही शिक्षा एवं प्रशिक्षण की सहायता से लोगों को उच्च सामाजिक स्थिति एवं गौरव की प्राप्ति होती है। 

प्रश्न 3. 
शिक्षा का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है?
अथवा 
शिक्षा सामाजिक विकास में किस प्रकार सहायक होती है?
उत्तर:
शिक्षा के माध्यम से लोगों को उच्च सामाजिक स्थिति एवं सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। शिक्षित व्यक्ति अपने जीवन में बेहतर विकल्पों का आसानी से चयन करने योग्य बन जाता है। शिक्षा व्यक्ति को समाज में चल रहे परिवर्तनों की बेहतर समझ प्रदान करती है तथा समाज में नवीन प्रौद्योगिकी एवं नव-परिवर्तनों को बढ़ावा मिलता है। इन सबके फलस्वरूप लोगों की आय व उत्पादन में वृद्धि होती है तथा सामाजिक स्थिति में सुधार होता है।

प्रश्न 4. 
मानव पूँजी से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
मानवीय संसाधनों अथवा मनुष्यों को अधिक कुशल, शिक्षित, प्रशिक्षित एवं अनुभवी बनाना ही मानव पूँजी निर्माण कहलाता है। अत: मानव पूंजी निर्माण का तात्पर्य ऐसे लोगों की संख्या में वृद्धि करना है जो अधिक अनुभवी, अधिक प्रशिक्षित, अधिक कुशल एवं अधिक शिक्षित हों। उदाहरण के लिए, किसी छात्र को उच्च शिक्षा प्रदान कर उसे डॉक्टर, इंजीनियर, अध्यापक आदि बनाना मानव पूंजी निर्माण करना है।

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प्रश्न 5. 
मानव पूँजी निर्माण के प्रमुख स्रोतों को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:

  1. शिक्षा में निवेश: शिक्षा में निवेश द्वारा लोगों को अधिक उत्पादक एवं योग्य बनाया जा सकता है।
  2. स्वास्थ्य में निवेश: स्वास्थ्य में निवेश द्वारा लोगों को उत्पादक बनाया जा सकता है।
  3. कार्य के दौरान प्रशिक्षण: कर्मचारियों को प्रशिक्षण प्रदान कर उन्हें अधिक कार्यकुशल बनाया जा सकता है।
  4. प्रवसन: कम आय प्राप्त स्थान से अधिक आय प्राप्त वाले स्थान पर पलायन द्वारा भी मानव पूंजी का निर्माण किया जा सकता है।
  5. सूचना प्राप्त करना: विभिन्न प्रकार की सूचनाओं द्वारा मनुष्य को अधिक जागरूक एवं उत्पादक बनाया जा सकता है।

प्रश्न 6. 
स्वास्थ्य सेवाएँ किस प्रकार मानव पूँजी निर्माण को प्रभावित करती हैं?
अथवा 
स्वास्थ्य सेवाएँ मानव पूँजी निर्माण में किस प्रकार सहायक हैं?
उत्तर:
एक स्वस्थ मनुष्य की काम करने की क्षमता एवं योग्यता एक अस्वस्थ व्यक्ति से सदैव अधिक होती है। स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश में वृद्धि कर लोगों को पर्याप्त मात्रा में स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध करवायी जाती हैं जिससे वे लोग सदैव स्वस्थ रहते हैं। इसके परिणामस्वरूप वे सदैव उत्पादक बने रहते हैं तथा अस्वस्थ व्यक्ति भी स्वस्थ होकर उत्पादक बन जाते हैं। इससे उत्पादन में वृद्धि होती है।

प्रश्न 7. 
किसी फर्म द्वारा अपने कर्मचारियों को किन विधियों द्वारा प्रशिक्षित किया जा सकता है?
उत्तर:
किसी फर्म द्वारा अपने कर्मचारियों को कई तरीकों से प्रशिक्षित किया जा सकता है। फर्म अपने कर्मचारियों को अपने कार्य-स्थान पर ही पहले से काम को जानने वाले कुशल कर्मियों द्वारा प्रशिक्षित करा सकती है। इसके अतिरिक्त एक अन्य विधि के अन्तर्गत फर्म अपने कर्मचारियों को किसी अन्य स्थान/संस्थान में प्रशिक्षण पाने हेतु भेज सकती है।

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प्रश्न 8. 
अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने से फर्म को क्या लाभ प्राप्त होता है?
उत्तर:
एक फर्म अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षित कर उन्हें अधिक कार्यकुशल बना सकती है। प्रशिक्षण से फर्म को कई लाभ प्राप्त होते हैं, प्रशिक्षित कर्मचारी अधिक उत्पादक होते हैं जिससे फर्म के उत्पादन में वृद्धि होती है तथा अधिक उत्पादन से फर्म को अधिक लाभ की प्राप्ति होती है। इसके अतिरिक्त प्रशिक्षित कर्मचारियों द्वारा किए गए उत्पादन की गुणवत्ता में भी वृद्धि होती है जिसका लाभ भी फर्म को प्राप्त होता है।

प्रश्न 9. 
भारत में मानव पूँजी निर्माण की मुख्य समस्याएँ क्या हैं?
उत्तर:
भारत में मानव पूँजी निर्माण की मुख्य समस्याएँ निम्न प्रकार हैं

  1. भारत में निर्धनता एवं बेरोजगारी की समस्या से मानव पूंजी निर्माण में बाधा उत्पन्न होती है।
  2.  भारत में साक्षरता दर कम है।
  3. भारत में श्रम में कार्यकुशलता एवं प्रशिक्षण का अभाव पाया जाता है।
  4. देश में चिकित्सा सुविधाएँ पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं।
  5. देश में शिक्षा सुविधाओं का अभाव है।
  6. देश की जनसंख्या में तीन वृद्धि हो रही है एवं देश में संसाधनों का अभाव है।

प्रश्न 10. 
मानव विकास के विभिन्न संकेतकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
मानव विकास के प्रमुख संकेतक निम्न प्रकार:

  1. मृत्यु दर एवं शिशु मृत्यु दर में कमी आए। 
  2. जन्म के समय जीवन प्रत्याशा दर में वृद्धि हो। 
  3. साक्षरता दर में वृद्धि हो। 
  4. लोगों को पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध हों। 
  5. वास्तविक प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हो आदि।

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प्रश्न 11. 
"सूचना प्राप्त करने पर किया गया व्यय भी मानव पूंजी निर्माण का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है।" स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सूचना प्राप्त करने पर किया गया व्यय पूँजी निर्माण का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है। सूचनाओं के माध्यम से दूसरे देशों तथा दूसरे बाजारों की जानकारी प्राप्त होती है, साथ ही दूसरे बाजारों की शैक्षिक संस्थाओं एवं स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी प्राप्त होती है। इन सबके फलस्वरूप श्रमिकों एवं मानव पूंजी की जानकारी बढ़ती है तथा इससे उनकी कुशलता एवं उत्पादकता में वृद्धि होती है। अतः सूचना प्राप्त करने पर किया गया व्यय मानव पूंजी निर्माण का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है।

प्रश्न 12. 
भौतिक पूँजी एवं मानव पूँजी में कोई दो अन्तर बताइए।
उत्तर:

  1. भौतिक पूँजी अन्य वस्तुओं की तरह दृश्य होती है तथा इसे बाजार में बेचा जा सकता है जबकि मानव पूंजी अदृश्य होती है तथा इसे बाजार में नहीं बेचा जा सकता है, मानव पूंजी की केवल सेवाओं को बेचा जा सकता है।
  2. भौतिक पूँजी में अधिक गतिशीलता पाई जाती है, जबकि मानव पूँजी की गतिशीलता अपेक्षाकृत कम होती है।

प्रश्न 13. 
"मानव पूँजी की वृद्धि के कारण आर्थिक संवृद्धि होती है।" क्या इस कथन को व्यावहारिक साक्ष्य के आधार पर सत्य सिद्ध किया जा सकता है?
उत्तर:
इसे सिद्ध करने हेतु व्यावहारिक साक्ष्य अभी स्पष्ट नहीं है। इसका मुख्य कारण मापन की समस्या है। जैसे उदाहरण हेतु स्कूल वर्षों की गणना, शिक्षक-विद्यार्थी अनुपात, नामांकन आदि के आधार पर शिक्षा का मापन उसकी गुणवत्ता को आर्थिक रूप से व्यक्त नहीं कर पाता। इसी प्रकार स्वास्थ्य सेवाओं पर मौद्रिक व्यय, जीवनप्रत्याशा तथा मृत्यु दर आदि से देश की जनसंख्या के वास्तविक स्वास्थ्य स्तर का सही ज्ञान नहीं होता। अत: उपर्युक्त कथन को व्यावहारिक साक्ष्य के आधार पर सत्य सिद्ध नहीं किया जा सकता।

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प्रश्न 14. 
भारत को ज्ञानाधारित अर्थव्यवस्था में परिवर्तन करने का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
भारत को एक ज्ञानाधारित अर्थव्यवस्था में परिवर्तन करने का भविष्य में अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट 'भारत और ज्ञान अर्थव्यवस्था शक्तियों और अवसरों का सदुपयोग' के अनुसार भारत अपने आप को एक ज्ञानाधारित अर्थव्यवस्था में परिवर्तन कर सकता है, यदि यह भी आयरलैण्ड के समान ज्ञान का प्रयोग करे तो भारत की प्रति व्यक्ति आय 2020 में वर्तमान अनुमान 1000 अमरिका डालर से बढ़कर 3000 डॉलर हो सकती है जिसका अर्थव्यवस्था पर कई दृष्टियों से सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

प्रश्न 15. 
भारत में मानव पूँजी निर्माण हेतु मुख्य रूप से किन स्त्रोतों पर विशेष ध्यान दिया गया है?
उत्तर:
भारत में मानव पूंजी निर्माण हेतु शिक्षा तथा स्वास्थ्य सुविधाओं पर निवेश पर विशेष ध्यान दिया गया है। भारत एक विकासशील राष्ट्र है तथा यहाँ पर लोगों की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण उनमें शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है, जिससे मानव पूंजी निर्माण में बाधा आती है। अतः भारत में केन्द्र सरकार, राज्य सरकार तथा स्थानीय निकायों के स्तर पर शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार एवं विकास पर विशेष ध्यान दिया गया है ताकि मानव पूँजी निर्माण हो सके।

प्रश्न 16. 
भारत जैसे विकासशील देश में मानव पूँजी निर्माण हेतु कोई तीन सुझाव दीजिए।
उत्तर:

  1. भारत जैसे देशों में साक्षरता दर अत्यन्त कम है अतः शिक्षा के विस्तार एवं विकास हेतु सार्वजनिक व्यय में वृद्धि करनी चाहिए।
  2. देश में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव के कारण लोगों का स्वास्थ्य सही नहीं है, अतः देश में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार करना चाहिए।
  3. देश में श्रमिकों को तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि वे अधिक उत्पादक एवं कुशल बन सकें।

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प्रश्न 17. 
भारत में शिक्षा के क्षेत्र में सार्वजनिक व्यय की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर:
भारत एक विकासशील देश है तथा यहाँ के लगभग 22 प्रतिशत लोग निर्धनता रेखा से नीचे रहते हैं जिनके पास शिक्षा पर व्यय करने हेतु धन नहीं है, अत: वे अशिक्षित ही रहते हैं। इसके अतिरिक्त निजी शैक्षणिक संस्थाओं में शिक्षा काफी महंगी पड़ती है। अतः देश में साक्षरता दर बढ़ाने एवं निर्धन लोगों को शिक्षा उपलब्ध करवाने हेतु सार्वजनिक व्यय करने की अति आवश्यकता है ।

प्रश्न 18. 
क्या भारत में शिक्षा पर सार्वजनिक व्यय में निरन्तर वृद्धि हो रही है? 
उत्तर:
भारत में विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में शिक्षा पर व्यय को विशेष महत्त्व दिया गया है तथा विभिन्न योजनाओं में शिक्षा पर किए व्यय में निरन्तर वृद्धि हो रही है। वर्ष 1952 में शिक्षा पर कल सरकारी व्यय का 7.92 प्रतिशत व्यय किया गया तथा यह व्यय बढ़कर 2014 में 15.7 प्रतिशत हो गया।

प्रश्न 19. 
भारत में शिक्षा एवं चिकित्सा क्षेत्रों के नियमन हेतु स्थापित संस्थाओं के नाम बताइए।
उत्तर:
शिक्षा क्षेत्र के नियमन हेतु स्थापित संस्थाएँ:

  1. शिक्षा मंत्रालय 
  2. राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद् 
  3. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग 
  4. अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद्। 

स्वास्थ्य क्षेत्र के नियमन हेतु स्थापित संस्थाएँ:

  1. चिकित्सा मंत्रालय 
  2. विभिन्न संस्थाओं के स्वास्थ्य विभाग 
  3. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद्।

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प्रश्न 20. 
"भारत में शिक्षा पर किया गया व्यय वांछित स्तर से काफी कम है।" स्पष्ट कीजिए।
उसर:
भारत में शिक्षा पर किया गया व्यय वांछित स्तर से कम है। विभिन्न आयोगों के द्वारा शिक्षा व्यय के वांछित स्तर के साथ यदि शिक्षा व्यय की तुलना की जाए तो शिक्षा व्यय की अपर्याप्तता स्पष्ट हो जाएगी। वर्ष 1964-66 में नियुक्त शिक्षा आयोग के अनुसार शैक्षिक उपलब्धियों की संवृद्धि दर में उल्लेखनीय सुधार लाने हेतु सकल घरेलू उत्पाद का कम-से-कम 6 प्रतिशत शिक्षा पर व्यय किया जाना चाहिए, जबकि वर्तमान में भारत में सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 4 प्रतिशत ही व्यय किया जाता है।

प्रश्न 21. 
भारत में शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने हेतु सरकार द्वारा किए गए किन्हीं तीन प्रयासों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. भारत सरकार द्वारा शिक्षा क्षेत्र के विकास हेतु किए जाने वाले सार्वजनिक व्यय में निरन्तर वृद्धि की गई।
  2. भारत सरकार ने सभी केन्द्रीय करों पर 2 प्रतिशत शिक्षा उपकर लगाना प्रारम्भ किया है। इस उपकर से प्राप्त राजस्व को प्राथमिक शिक्षा पर व्यय करने हेतु सुरक्षित रखा
  3. सरकार द्वारा उच्च शिक्षार्थियों हेतु ऋण योजना की घोषणा की गई।

प्रश्न 22. 
भारत में महिला साक्षरता की स्थिति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में साक्षरता की दर नीची है तथा महिला साक्षरता की दर तो बहुत कम है। भारत में महिलाओं की साक्षरता दर वर्ष 1951 में मात्र 8.9 प्रतिशत थी, वह वर्ष 2001 में बढ़कर 53.7 प्रतिशत हो गई। भारत में वर्ष 2000 में महिलाओं की वयस्क साक्षरता दर 45.4 प्रतिशत थी वह वर्ष 2015 में बढ़कर 63 प्रतिशत हो गई। किन्तु यह दर बहुत कम है।

प्रश्न 23. 
भारत में शिक्षा के विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
भारत में शिक्षा सामाजिक आधार ढाँचे का एक आधार अंग है तथा योजनाबद्ध विकास के दौरान शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय विकास हुआ है। भारत में शिक्षा पर सरकारी व्यय में भी निरन्तर वृद्धि हुई है। भारत में वर्ष 1951 में साक्षरता दर मात्र 16.67 प्रतिशत थी वह बढ़कर वर्ष 2015-16 में 76 प्रतिशत हो गई। महिला साक्षरता दर में भी अच्छी वृद्धि हुई है। इसके अतिरिक्त देश में विभिन्न शिक्षण संस्थाओं की संख्या में भी तीव्र वृद्धि हुई है। 

RBSE Class 11 Economics Important Questions Chapter 5 भारत में मानव पूँजी का निर्माणा

प्रश्न 24. 
"मानवीय संसाधनों के विकास हेतु शिक्षा एक आधार अंग है।" स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सामाजिक आधार ढाँचे के अन्तर्गत मानवीय संसाधनों के विकास हेतु शिक्षा एक आधार अंग है। शिक्षा से जहाँ एक ओर सामाजिक क्षेत्र में विकासोन्मुख परिवर्तन लाने में मदद मिलती है वहीं दूसरी ओर मानवीय संसाधनों का बौद्धिक एवं मानसिक विकास होता है, रोजगार बढ़ता है लोगों की उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है। अनुसन्धान एवं शोध कार्यों को प्रोत्साहन मिलता है। इसके अतिरिक्त शिक्षा से सामाजिक रूढ़िवादिता, परम्पराओं और गलत धारणाओं के समापन में मदद मिलती है।

प्रश्न 25. 
सामाजिक विकास में शिक्षा का क्या योगदान है?
उत्तर:
शिक्षा से समाज में उच्च स्थिति एवं प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। शिक्षा के द्वारा व्यक्ति अपने जीवन में बेहतर विकल्पों का चयन करने योग्य बनता है एवं समाज में हो रहे परिवर्तनों को बेहतर तरीके से समझ सकता है। जब व्यक्ति का स्वयं का विकास होगा तो समाज का विकास स्वतः ही होगा। शिक्षा से समाज में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं, लोगों की उपार्जन क्षमता बढ़ती है तथा समाज में पुरुषों एवं महिलाओं के बीच अन्तर में भी कमी आती है।

प्रश्न 26. 
भारत में वयस्क साक्षरता दर में हुई वृद्धि को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वयस्क साक्षरता दर में 15 वर्ष से अधिक आयु |वर्ग में साक्षरों का प्रतिशत ज्ञात किया जाता है। भारत में पिछले वर्षों में पुरुष एवं महिला दोनों में वयस्क साक्षरता दर में वृद्धि हुई है। वर्ष 2000 में पुरुष वर्ग में वयस्क साक्षरता दर 68.4 प्रतिशत थी जो वर्ष 2015 में बढ़कर 81 प्रतिशत हो गई। इसी प्रकार महिला वर्ग में वयस्क साक्षरता दर वर्ष 2000 में 454 प्रतिशत थी, वह वर्ष 2015 में बढ़कर 63 प्रतिशत हो गई है।

प्रश्न 27. 
युवा साक्षरता दर से आप क्या समझते हैं? भारत में युवा साक्षरता दर की स्थिति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
युवा साक्षरता दर के अन्तर्गत 15 से 24 वर्ष आयु वर्ग की साक्षरता दर ज्ञात की जाती है। भारत में युवा साक्षरता दर में निरन्तर वृद्धि हुई है। भारत में पुरुष वर्ग में युवा साक्षरता दर का प्रतिशत वर्ष 2000 में 79.7 प्रतिशत था वह वर्ष 2015 में बढ़कर 92 प्रतिशत हो गया। इसी प्रकार भारत में महिला वर्ग में युवा साक्षरता दर वर्ष 2000 में 64.8 प्रतिशत थी वह बढ़कर 2015 में बढ़कर 87 प्रतिशत हो गई।

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प्रश्न 28. 
"प्रवसन पर किया व्यय मानव पूँजी निर्माण का एक स्रोत है।" स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रवसन का तात्पर्य रोजगार के बेहतर विकल्पों हेतु एक स्थान से दूसरे स्थान पर पलायन करने से है। भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के कम अवसर उपलब्ध होते हैं अतः लोग शहरों की ओर प्रवसन अथवा पलायन करते हैं। इसी प्रकार उच्च शिक्षा प्राप्त लोग एक देश से दूसरे देश की ओर पलायन करते हैं। नए स्थानों पर जाने पर लोगों की| लागत तो बढ़ती है किन्तु उनकी आय में लागतों की अपेक्षा | अधिक वृद्धि होती है इसीलिए वे प्रवसन करते हैं। अतः प्रवसन पर किया गया व्यय मानव पूंजी निर्माण का एक स्रोत है।

प्रश्न 29. 
शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकारी हस्तक्षेप के पक्ष में दो तर्क दीजिए।
उत्तर:
(1) यदि शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकारी हस्तक्षेप न हो तो निजी क्षेत्र का इन सेवाओं पर एकाधिकार होगा तथा वे ऊँची कीमत वसूल करेंगे, अतः शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के उचित कीमत निर्धारण हेतु सरकारी हस्तक्षेप आवश्यक है।

(2) निर्धनता रेखा से नीचे निवास करने वाले लोगों को शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाएँ निःशुल्क उपलब्ध करवानी पड़ती हैं तथा यह कार्य सरकार ही कर सकती है क्योंकि निजी क्षेत्र लाभ प्राप्ति हेतु कार्य करता है।

प्रश्न 30. 
भारत में मानव पूंजी निर्माण में आने वाली किन्हीं दो समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(1) देश की बढ़ती जनसंख्या की तुलना में स्वास्थ्य सुविधाओं का नितान्त अभाव है तथा स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव से लोगों को आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं हो पाती हैं तथा मानव पूंजी निर्माण नहीं हो पाता है।

(2) भारत में संसाधनों के अभाव के कारण यहाँ शिक्षा पर अधिक व्यय नहीं किया गया है जिसके कारण यहाँ शिक्षा सुविधाओं के अभाव के कारण मानव पूंजी निर्माण में बाधा उत्पन्न होती है।

प्रश्न 31. 
क्या श्रम बाजार तथा अन्य बाजारों के विषय में जानकारी प्राप्त करने पर किया गया व्यय मानव पूँजी निर्माण का स्रोत है?
उत्तर:
व्यक्ति श्रम बाजार तथा दूसरे बाजारों जैसे शिक्षा - और स्वास्थ्य से सम्बन्धित सूचनाओं को प्राप्त करने के लिए व्यय करते हैं। वे यह जानना चाहते हैं कि विभिन्न प्रकार के कार्यों में वेतन क्या है या फिर क्या शैक्षिक संस्थाएं सही - प्रकार के कौशल में प्रशिक्षण दे रही हैं और किस लागत पर? यह जानकारी मानव पूंजी में निवेश करने से प्राप्त मानव पूंजी के भंडार का सदुपयोग करने की दृष्टि से बहुत उपयोगी होती है। इसीलिए श्रम बाजार तथा अन्य बाजारों के विषय में जानकारी प्राप्त करने पर किया गया व्यय भी मानव पूंजी निर्माण का स्रोत है।

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प्रश्न 32. 
भारत जैसे विकासशील देश में आर्थिक संवृद्धि में मानव पूंजी का क्या योगदान है?
उत्तर:
आर्थिक संवृद्धि में मानव पूँजी का निम्न योगदान:

  1. मानव पूंजी से उत्पादकता एवं कौशल में वृद्धि होती है जिससे श्रम की उपार्जन क्षमता बढ़ती है।
  2. लोग नवीन तकनीक को अपनाने को प्रोत्साहित होते हैं। 
  3. भौतिक पूँजी की वृद्धि में मानव पूँजी सहायक | होती है।
  4. प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर उपयोग संभव हो पाता है।
  5. राष्ट्रीय आय एवं उत्पादन में तीव्र वृद्धि संभव हो पाती है।
  6. श्रम के कौशल में वृद्धि होती है। 
  7. समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 33. 
क्या भौतिक पूँजी निर्माण मुख्यतः एक आर्थिक और तकनीकी प्रक्रिया है?
उत्तर:
भौतिक पूँजी निर्माण सुविचारित निवेश निर्णयों का परिणाम होता है। भौतिक पूँजी में निवेश का निर्णय अपने ज्ञान के आधार पर लिया जाता है। इस सम्बन्ध में उद्यमी के पास अनेक प्रकार के निवेश विकल्पों की आन्तरिक | प्रतिफल दर का आकलन कर पाने का ज्ञान होता है। इस गणना के बाद ही वह अपना विवेक आधारित निवेश करता है। भौतिक पूंजी का स्वामित्व उस व्यक्ति के सुविचारित निर्णय का परिणाम होता है। अतः भौतिक पूँजी निर्माण मुख्यतः एक आर्थिक एवं तकनीकी प्रक्रिया है।

प्रश्न 34. 
क्या मानव पूँजी निर्माण एक सामाजिक प्रक्रिया है? 
उत्तर:
मानव पूंजी के निर्माण का महत्त्वपूर्ण भाग व्यक्ति के जीवन की उस अवधि में होता है, जब वह यह निर्णय लेने में असमर्थ होता है। उदाहरण के लिए, बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य से सम्बन्धित निर्णय उनके अभिभावक  तथा समाज द्वारा लिया जाता है। समाज में लोग जैसी धारणा रखते हैं अन्य लोग भी उनकी धारणाओं से प्रभावित होकर निर्णय लेने लगते हैं। जैसे शहरों में अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय को लोग सही मानते हैं तो अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों को उन्हीं में प्रवेश दिलाते हैं। मानव पूंजी निर्माण आंशिक रूप से एक सामाजिक प्रक्रिया है तथा अंशत: मानव पूँजी को धारण करने वालों के सुविचारित निर्णय का प्रतिफल है।

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प्रश्न 35. 
मानव पूँजी द्वारा सृजित हितलाभ के प्रवाह का स्वरूप भौतिक पूँजी से किस प्रकार भिन्न है? 
उत्तर:
मानव पूँजी से केवल उसका स्वामी ही नहीं वरन् सारा समाज लाभान्वित होता है। एक सुशिक्षित व्यक्ति लोकतान्त्रिक प्रक्रिया में प्रभावपूर्ण भागीदारी के माध्यम से राष्ट्र की सामाजिक, आर्थिक प्रगति में योगदान करता है। एक स्वस्थ व्यक्ति अपने व्यक्तिगत स्तर पर तथा आस-पास में सफाई आदि के माध्यम से रोगों का संक्रमण रोक उन्हें महामारियों का रूप धारण नहीं करने देता। अत: मानवीय पूँजी से व्यक्तिगत के साथ-साथ सामाजिक हित लाभों का भी सृजन होता है। किन्तु भौतिक पूजी तो प्राय: निजी लाभ को ही जन्म दे पाती है। पूँजीगत पदार्थों के लाभ उन्हीं को मिल पाते हैं जो उनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की कीमत चुका सकें।

प्रश्न 36. 
क्या मानव पूंजी निर्माण से व्यक्ति की उपार्जन क्षमता का संवर्धन होता है?
उत्तर:
एक शिक्षित व्यक्ति का श्रम-कौशल अशिक्षित व्यक्ति की अपेक्षा अधिक होता है। इसी कारण वह अपेक्षाकृत अधिक आय अर्जित कर पाता है। आर्थिक संवृद्धि का अर्थ देश की वास्तविक राष्ट्रीय आय में वृद्धि से होता है तो फिर स्वाभाविक ही है कि किसी शिक्षित व्यक्ति का योगदान अशिक्षित की तुलना में कहीं अधिक होगा। इसी प्रकार एक स्वस्थ व्यक्ति अधिक समय तक व्यवधानरहित श्रम की पूर्ति कर सकता है, इसीलिए स्वास्थ्य भी आर्थिक संवृद्धि का एक महत्त्वपूर्ण कारक बन जाता है। अत: कार्य के दौरान प्रशिक्षण, श्रम बाजार की जानकारी, प्रवसन आदि के साथ-साथ शिक्षा और स्वास्थ्य व्यक्ति की उपार्जन क्षमता का संवर्धन करते हैं।

प्रश्न 37. 
"मानव पूँजी निर्माण, नवीन प्रौद्योगिकी को अपनाने में सहायक होता है।" इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मानव की संवर्धित उत्पादकता या मानव पूँजी न केवल श्रम की उत्पादकता को बढ़ाती है बल्कि यह साथ-साथ परिवर्तन को प्रोत्साहित कर नवीन प्रौद्योगिकी को आत्मसात् करने की क्षमता भी विकसित करती है जिससे आविष्कारों और नव-परिवर्तनों में सहायता मिलती है। शिक्षा समाज में परिवर्तनों और वैज्ञानिक प्रगति को समझने की क्षमता प्रदान करती है, जिससे आविष्कारों और नव परिवर्तनों में सहायता मिलती है। शिक्षित व्यक्ति को नवीन प्रौद्योगिकी के सम्बन्ध में आसानी से प्रशिक्षित किया जा सकता है। इसीलिए शिक्षित श्रम-शक्ति की उपलब्धता नवीन प्रौद्योगिकी को अपनाने में सहायक होती है। अत: मानव पूंजी निर्माण, नवीन प्रौद्योगिकी को अपनाने में सहायक होता है।

प्रश्न 38. 
क्या स्वतंत्रता के समय भारत मानव पूँजी की दृष्टि से पिछड़ा हुआ था?
अथवा 
स्वतंत्रता के समय भारत में मानव पूंजी की क्या स्थिति थी?
उत्तर:
स्वतंत्रता के समय भारत मानव पूंजी की दृष्टि से काफी पिछड़ी हुई अवस्था में था क्योंकि इससे पूर्व ब्रिटिश शासकों ने भारत में मानव पूंजी निर्माण हेतु कोई प्रयास नहीं किए थे। स्वतंत्रता के समय, वर्ष 1951 में भारत में प्रति व्यक्ति वास्तविक आय मात्र 7651 रुपये वार्षिक थी। उस समय अशोधित मृत्यु दर भी 25.1 थी तथा शिशु मृत्यु दर 146 थी जो बहुत ऊँची थी। भारत में स्वतंत्रता के समय साक्षरता दर मात्र 16.67 प्रतिशत थी तथा वर्ष 1951 में पुरुषों की जन्म के समय जीवन प्रत्याशा 37.2 वर्ष एवं महिलाओं में यह दर 36.2 वर्ष थी। अत: स्वतंत्रता के समय भारत मानव पूंजी की दृष्टि से काफी पिछड़ा हुआ था।

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प्रश्न 39. 
क्या कृषि क्षेत्र में भी मानव पूँजी निर्माण की कोई भूमिका है?
उत्तर:
मानव पूंजी की सहायता से कृषि क्षेत्र में उत्पादन एवं उत्पादकता को तेजी से बढ़ाया जा सकता है तथा कृषि क्षेत्र का तीव्र विकास किया जा सकता है। एक शिक्षित एवं स्वस्थ किसान, एक अशिक्षित एवं अस्वस्थ कृषक से कहीं अधिक उत्पादक होता है। एक शिक्षित कृषक अपने संसाधनों का सही उपयोग कर सकता है तथा नवीन तकनीकों को भी आसानी से समझ सकता है जिसके फलस्वरूप अब अपनी कृषि भूमि पर अन्य कृषकों की अपेक्षा अधिक उत्पादन कर सकता है । इसके अतिरिक्त शिक्षित कृषक की आय अर्जन करने की क्षमता भी अधिक होती है।

प्रश्न 40.
“शिक्षा एक श्रमिक के जीवन को कई प्रकार से प्रभावित करती है।" इस कथन को स्पष्ट करें।
उत्तर:
शिक्षा का एक श्रमिक के जीवन पर कई प्रकार से सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। किसी शिक्षित व्यक्ति का श्रम-कौशल एवं उत्पादकता अशिक्षित व्यक्ति से अधिक होता है। इसी कारण शिक्षित श्रमिक, अशिक्षित की तुलना में अधिक आय सृजित करता है और आर्थिक समृद्धि में उसका योगदान अधिक होता है। शिक्षा श्रम को उच्चतम सामाजिक स्थिति और गौरव प्रदान करती है। यह किसी व्यक्ति को अपने जीवन में बेहतर विकल्पों का चयन कर पाने में योग्य बनाती है, व्यक्ति को समाज में चल रहे परिवर्तनों की समझ प्रदान करती है तथा नव-प्रवर्तनों को बढ़ावा देती है। शिक्षित श्रम-शक्ति की उपलब्धता नई प्रौद्योगिकी को अपनाने में भी सहायक होती है। 

प्रश्न 41. 
भौतिक पूँजी एवं मानवीय पूँजी में गतिशीलता के आधार पर अन्तर स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
भौतिक पूँजी तथा मानवीय पूँजी, दोनों प्रकार की पँजियों में उनके स्थानों की गतिशीलता के आधार पर अन्तर होता है। प्रायः कुछ कृत्रिम अपवादों को छोड़कर भौतिक पूंजी का विश्व भर में निर्बाध आवागमन चलता रहता है। किन्तु मानव पूंजी का प्रवाह इतना निर्बाध नहीं होता, इसके मार्ग में राष्ट्रीयता और संस्कृति सम्बन्धी ऊँची बाधाएँ आ जाती हैं। अतः भौतिक पूँजी का निर्माण तो आयात के सहारे भी किया जा सकता है, किन्तु मानवीय पूँजी की रचना तो समाज तथा अर्थव्यवस्था की अंतर्भूत विशेषताओं के अनुरूप सुविचारित नीति निर्धारण सम्बन्धी निर्णयों तथा सरकार और व्यक्तिगत व्यय के आधार पर होती है।

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प्रश्न 42. 
भारत में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में क्या सुधार किए जाने चाहिए?
उत्तर:
भारत में उच्च शिक्षा प्राप्त लोगों की काफी कमी है तथा जनसंख्या को देखते हुए भारत में उच्च शिक्षा प्राप्त लोगों का अनुपात काफी कम है। यही नहीं, देश में उच्च शिक्षित युवाओं में बेरोजगारी की दर भी काफी अधिक है। अत: सरकार को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विशेष प्रयास करने होंगे, लोगों को उच्च शिक्षा हेतु प्रोत्साहित करना होगा तथा उच्च शिक्षा सम्बन्धी संस्थाओं का भी विस्तार करना होगा। अतः सरकार को उच्च शिक्षा के लिए अधिक धन का आवंटन करना चाहिए तथा उच्च शिक्षा संस्थाओं के स्तर में सुधार लाना चाहिए ताकि वहाँ पढ़ रहे छात्र रोजगार योग्य कौशल प्राप्त कर सके। 

निबन्धात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1. 
मानव पूँजी निर्माण से आप क्या समझते हैं? मानव पूँजी निर्माण के विभिन्न स्रोतों का उल्लेख कीजिए।
अथवा 
मानव पूँजी निर्माण पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
मानव पूंजी निर्माण-मानवीय संसाधनों अथवा मनुष्यों को अधिक कुशल, शिक्षित, प्रशिक्षित एवं अनुभवी बनाना मानव पूंजी निर्माण कहलाता है अर्थात् मानव पूँजी निर्माण का तात्पर्य ऐसे लोगों की संख्या में वृद्धि करना है जो अधिक अनुभवी, अधिक प्रशिक्षित, अधिक कुशल एवं अधिक शिक्षित हों। उदाहरण के लिए, किसी छात्र को उच्च शिक्षा प्रदान कर उसे डॉक्टर, इंजीनियर, अध्यापक आदि बनाना मानव पूंजी निर्माण करना है।


मानव पूंजी निर्माण के स्रोत मानव पूंजी निर्माण को अनेक कारक प्रभावित करते हैं। मानव पूंजी निर्माण के प्रमुख स्रोत निम्न प्रकार हैं।
1. शिक्षा में निवेश: शिक्षा मानव पूंजी निर्माण का महत्वपूर्ण स्रोत है। शिक्षा के माध्यम से श्रम को अधिक कुशल एवं प्रशिक्षित किया जा सकता है, जिससे श्रम की उत्पादकता में वृद्धि होती है। शिक्षा में किया गया निवेश अनुत्पादक होता है; किन्तु अधिक उत्पादकता एवं श्रम की अधिक कुशलता के रूप में इसका लाभ प्राप्त होता है। अत: शिक्षा मानव पूंजी निर्माण का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है।

2. स्वास्थ्य में निवेश: स्वास्थ्य सेवाएँ मानव पूँजी निर्माण का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। स्वास्थ्य में किया निवेश मानव पूंजी निर्माण पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। किसी कार्य को अच्छी तरह करने हेतु व्यक्ति का स्वस्थ होना आवश्यक है क्योंकि एक अस्वस्थ व्यक्ति की उत्पादकता कम होती है। अत: स्वास्थ्य पर निवेश करने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है तथा उसकी उत्पादकता बढ़ती है। साथ ही अस्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य में सुधार कर उसे भी उत्पादक बनाया जा सकता है।

3. कार्य के दौरान प्रशिक्षण: कार्य के दौरान प्रशिक्षण मानव पूँजी निर्माण का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है। किसी फर्म द्वारा जब कार्य के दौरान प्रशिक्षण दिया जाता है तो इससे श्रम की कार्यकुशलता में वृद्धि होती है तथा उस श्रम की उत्पादकता में भी वृद्धि होती है, जिसका फर्म को अधिक उत्पादन के रूप में लाभ प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त कई बार नई प्रौद्योगिकी एवं नई मशीनों के संचालन हेतु भी कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे अधिक कुशलता से कार्य कर सकें। 

4. प्रवसन पर व्यय: प्रवसन का तात्पर्य रोजगार के बेहतर विकल्पों हेतु एक स्थान से दूसरे स्थान पर पलायन करने से है। भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के कम अवसर उपलब्ध हैं अतः लोग रोजगार हेतु गांवों से शहरों की ओर प्रवसन अथवा पलायन करते हैं। इसी प्रकार उच्च शिक्षा प्राप्त लोग एक देश से दूसरे देश की ओर पलायन - करते हैं। नए स्थानों पर जाने से लोगों का व्यय तो बढ़ता है; किन्तु इस व्यय की तुलना में उनकी आय में अधिक वृद्धि होती है। अत: प्रवसन पर किया गया व्यय भी मानव = पूँजी निर्माण का एक महत्त्वपूर्ण स्त्रोत है।

5. सूचना पर व्यय: सूचना प्राप्त करने पर किया गया व्यय मानव पूंजी निर्माण का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है। सूचनाओं के माध्यम से दूसरे देशों एवं दूसरे बाजारों की जानकारी प्राप्त होती है, साथ ही दूसरे बाजारों की शैक्षिक संस्थाओं एवं स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी प्राप्त होती है। इन ने सबके फलस्वरूप मानवीय संसाधनों की जानकारी बढ़ती है तथा उपलब्ध जानकारी के आधार पर हमारे यहाँ की सेवाओं का एवं मानवीय संसाधनों की कुशलता एवं उत्पादकता में वृद्धि क होती है।

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प्रश्न 2. 
आँकड़ों की सहायता से स्पष्ट कीजिए कि भारत में योजना अवधि में शिक्षा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार हुआ है। 
उत्तर:
उपर्युक्त तालिका से स्पष्ट है कि भारत में योजनावधि में शिक्षा एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी सभी सूचकों में सुधार हुआ है। हमारी प्रति व्यक्ति वास्तविक आय जो वर्ष 1951 में 7651 रुपये वार्षिक थी वह 2015 - 16 में बढ़कर 77803 रुपये वार्षिक हो गई। योजनावधि में स्वास्थ्य सुविधाओं के फलस्वरूप मृत्यु-दर में अत्यन्त कमी आई है, यह 1951 में 25.1 प्रति हजार थी, जो कम होकर वर्ष 2015 - 16 में 6.4 प्रति हजार हो गई। इसी प्रकार शिशु मृत्यु-दर 146 से कम होकर वर्ष 2015 - 16 में 34 हो गई। तालिका से स्पष्ट है कि भारत में 1951 की तुलना में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा में काफी सुधार हुआ है। वर्ष 1951 में भारत में साक्षरता की दर बहुत कम 16.67 प्रतिशत ही थी वह बढ़कर 2015 - 16 में 76 प्रतिशत हो गई।

प्रश्न 3. 
भारत में शिक्षा क्षेत्र के विकास हेत किए गए प्रयासों के फलस्वरूप प्राप्त शैक्षिक उपलब्धियों को स्पष्ट कीजिए।
अथवा 
भारत की शिक्षा क्षेत्र की उपलब्धियों पर एक लेख लिखिए।
उत्तर:
भारत में योजनावधि में शिक्षा एवं स्वास्थ्य: 
1. क्षेत्र में सुधार हेतु कई प्रयास किए गए एवं सार्वजनिक व्यय में भी निरन्तर वृद्धि की गई। इसका शिक्षा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है जिसे निम्न तालिका से स्पष्ट

2. महिला साक्षरता दर में वृद्धि: भारत सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के फलस्वरूप महिला साक्षरता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। वर्ष 1951 में महिलाओं की |साक्षरता दर मात्र 8.9 प्रतिशत थी वह बढ़कर वर्ष 2000 में 45.4 प्रतिशत एवं 2015 में 63 प्रतिशत हो गई।

3. शिक्षण संस्थाओं का विकास: भारत में सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के फलस्वरूप शिक्षण संस्थाओं की संख्या में तीव्र गति से वृद्धि हुई है तथा साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है।

4.वयस्क साक्षरता दर में वृद्धि: वयस्क साक्षरता दर में 15 वर्ष से अधिक आयु वर्ग में साक्षरता की गणना की जाती है। भारत में वर्ष 1990 में पुरुषों की वयस्क साक्षरता दर 619 प्रतिशत थी वह बढ़कर 2000 में 68.4 प्रतिशत एवं 2015 में 81 प्रतिशत हो गई। इसी अवधि में महिला वर्ग में वयस्क साक्षरता दर 379 प्रतिशत से बढ़कर 2000 में 45.4 प्रतिशत एवं 2015 में 63 प्रतिशत हो गई।

5. प्राथमिक शिक्षा सम्पूर्ति दर: भारत में योजनावधि में किए गए प्रयासों के फलस्वरूप प्राथमिक शिक्षा सम्पूर्ति दर में वृद्धि हुई है। देश में 1990 में पुरुष वर्ग की प्राथमिक शिक्षा सम्पूर्ति दर 78 प्रतिशत थी वह 2000 में 85 प्रतिशत एवं 2015 में 94 प्रतिशत हो गई तथा महिला वर्ग में यह 61 प्रतिशत से बढ़कर 2000 में 69 प्रतिशत व 2015 में 199 प्रतिशत हो गई।

6. युवा साक्षरता दर: युवा साक्षरता दर में 15 से 24 आयु वर्ग की साक्षरता दर की गणना की जाती है। वर्ष उपर्युक्त तालिका से स्पष्ट है कि भारत में योजनावधि में शिक्षा एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी सभी सूचकों में सुधार हुआ है। हमारी प्रति व्यक्ति वास्तविक आय जो वर्ष 1951 में 7651 रुपये वार्षिक थी वह 2015 - 16 में बढ़कर 77803 रुपये वार्षिक हो गई। योजनावधि में स्वास्थ्य सुविधाओं के फलस्वरूप मृत्यु-दर में अत्यन्त कमी आई है, यह 1951 में 25.1 प्रति हजार थी, जो कम होकर वर्ष 2015 - 16 में 6.4 प्रति हजार हो गई।

इसी प्रकार शिशु मृत्यु-दर 146 से कम होकर वर्ष 2015 - 16 में 34 हो गई। तालिका से स्पष्ट है कि भारत में 1951 की तुलना में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा में काफी सुधार हुआ है। वर्ष 1951 में भारत में साक्षरता की दर बहुत कम 16.67 प्रतिशत ही थी वह बढ़कर 2015 - 16 में 76 प्रतिशत हो गई।

1990 में पुरुष वर्ग की युवा साक्षरता दर 76.6 प्रतिशत थी| वह वर्ष 2000 में 79.7 प्रतिशत एवं 2015 में 92 प्रतिशत हो गई तथा इसी समयावधि में महिला वर्ग में यह दर 54.2 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2000 में 64.8 प्रतिशत एवं 2015 में 87 प्रतिशत हो गयी है।

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प्रश्न 4. 
भारत जैसे विकासशील देश में मानव पूँजी निर्माण हेतु सुझाव दीजिए।
उत्तर:
मानव पूँजी निर्माण हेतु सुझाव-भारत जैसे विकासशील देश में मानव पूँजी निर्माण हेतु निम्न प्रमुख सुझाव दिए जा सकते हैं।

  1. देश में शिक्षा का अभाव है तथा शिक्षण संस्थाओं की भी कमी है, अत: सरकार को सार्वजनिक व्यय में वृद्धि कर शिक्षा क्षेत्र के विकास को बढ़ाना चाहिए।
  2. भारत में उच्च शिक्षा पर बहुत कम व्यय किया जाता है तथा उच्च शिक्षा के प्रति लोगों में रुझान भी काफी कम है। अतः सरकार को उच्च शिक्षा के लिए अधिक धन का आबंटन करना चाहिए तथा उच्च शिक्षा संस्थानों के स्तर में सुधार लाना चाहिए।
  3. भारत में बढ़ती हुई जनसंख्या को देखते हुए स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है, अत: सरकार को देश में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार करना चाहिए।
  4. देश में शिक्षा प्रणाली रोजगारोन्मुख नहीं है अत: देश में शिक्षा प्रणाली में सुधार करना चाहिए तथा तकनीकी शिक्षा पर अधिक बल देना चाहिए अर्थात् शिक्षा प्रणाली को रोजगारोन्मुखी बनाना चाहिए।
  5. देश में पर्याप्त प्रशिक्षण के अभाव में श्रमिकों एवं कर्मचारियों की कार्यकुशलता एवं उत्पादकता कम है। अत: विभिन्न सरकारी एवं गैर-सरकारी उद्योगों एवं संगठनों में कर्मचारियों के प्रशिक्षण को बढ़ावा देना चाहिए।
  6. शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ समाज के सभी वर्गों को सुनिश्चित रूप से सुलभ करायी जानी चाहिए।

प्रश्न 5. 
भौतिक पूँजी एवं मानवीय पूँजी में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भौतिक पूँजी एवं मानवीय पूँजी में अन्तरभौतिक पूँजी एवं मानवीय पूँजी में अन्तर को निम्न बिन्दुओं की सहायता से स्पष्ट किया जा सकता है

  1. भौतिक पूंजी में निवेश का निर्णय व्यक्ति स्वयं के ज्ञान के आधार पर लेता है, जबकि मानवीय पूँजी में निवेश का निर्णय समाज की आवश्यकताओं के आधार पर समाज द्वारा लिया जाता है।
  2. भौतिक पूँजी दृश्य होती है, जबकि मानवीय पूँजी अदृश्य होती है।
  3. भौतिक पूँजी का विक्रय किया जा सकता है, जबकि मानवीय पूँजी का विक्रय नहीं किया जा सकता; बल्कि मानवीय पूंजी के अन्तर्गत व्यक्ति अपनी सेवाओं का विक्रय करता है।
  4. भौतिक पूँजी निर्माण एक आर्थिक एवं तकनीकी प्रक्रिया है, जबकि मानव पूँजी निर्माण आंशिक रूप से एक सामाजिक प्रक्रिया है।
  5. भौतिक पूंजी के स्वामी को सदैव उत्पादन स्थल पर उपस्थित नहीं रहना पड़ता, जबकि मानवीय पूंजी के स्वामी को सदैव उत्पादन स्थल पर उपस्थित रहना पड़ता
  6. भौतिक पूँजी में गतिशीलता अधिक पाई जाती है, जबकि मानवीय पूँजी में काफी कम गतिशीलता पाई जाती है।
  7. भौतिक पूँजी का लाभ केवल उसके स्वामी को ही मिलता है, जबकि मानवीय पूँजी का लाभ न केवल उसके स्वामी वरन् पूरे समाज को मिलता है।

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प्रश्न 6. 
भारत में मानव पूँजी निर्माण की स्थिति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत एक विकासशील राष्ट्र है। यहाँ मानव पँजी निर्माण का स्तर काफी अच्छा नहीं है। स्वतन्त्रता के समय भारत की मानव पूँजी निर्माण की दृष्टि से स्थिति काफी पिछड़ी हुई थी। योजनावधि के दौरान भारत सरकार | ने मानव पूँजी निर्माण पर विशेष ध्यान दिया है तथा मानव पूँजी निर्माण के प्रयास किये हैं। भारत सरकार ने मानव पूँजी निर्माण के दो प्रमुख स्रोतों शिक्षा तथा स्वास्थ्य में निवेश पर विशेष ध्यान दिया है। भारत में केन्द्र सरकार, राज्य सरकार तथा स्थानीय निकायों द्वारा शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हेतु प्रयास किए जा रहे हैं। 

भारत में शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार हेतु सरकारी हस्तक्षेप की नीति अपनाई गई। भारत में शिक्षा के अन्तर्गत संघ और राज्य स्तर पर शिक्षा मन्त्रालय तथा राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान और प्रशिक्षण परिषद्, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद् आती हैं। स्वास्थ्य क्षेत्रक के अन्तर्गत संघ और राज्य स्तरों पर स्वास्थ्य मन्त्रालय और विभिन्न संस्थाओं के स्वास्थ्य विभाग तथा भारतीय चिकित्सा अनुसन्धान परिषद् आदि कार्य कर रही हैं। भारत सरकार द्वारा निर्धन वर्ग हेतु निःशुल्क शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था की गई है ताकि लोगों को बुनियादी शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएँ प्राप्त हो | सकें। भारत में शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं पर किए जाने वाले सरकारी व्यय में भी निरन्तर वृद्धि हुई है।

प्रश्न 7. 
भारत में शिक्षा के क्षेत्र में भविष्य की संभावनाओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत एक विकासशील देश है तथा यहाँ साक्षरता दर काफी कम है तथा विशेष रूप से महिला साक्षरता दर काफी कम है। भारत में शिक्षा के क्षेत्र में भविष्य में काफी सुधार की संभावनाएं हैं। भारत में 86वें संविधान संशोधन के तहत 6 से 14 वर्ष के बच्चों हेतु निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा को मौलिक अधिकार बना दिया गया है अत: भविष्य में भारत के पूर्ण साक्षर होने की संभावना है जिससे देश में मानव पूंजी निर्माण का स्तर और ऊँचा उठ जाएगा।

अब साक्षरता में पुरुषों तथा महिलाओं के बीच का अन्तर कम हो रहा है जो लिंग समता की दिशा में सकारात्मक विकास है। नारी शिक्षा को भारत में और प्रोत्साहन दिए जाने के कई कारण हैं जैसे शिक्षा नारी की आर्थिक स्वतंत्रता और सामाजिक स्तर में सुधार और साथ ही स्त्री शिक्षा, प्रजनन दर और स्वियों व बच्चों के स्वास्थ्य देखभाल पर अनुकूल प्रभाव डालती है। अत: हमें साक्षरता स्तर सुधारने के अपने प्रयासों में शिथिलता नहीं आने देनी चाहिए। भविष्य में साक्षरता के क्षेत्र में लिंग असमानता समाप्त होने की पूरी संभावना है।

भारत में उच्च शिक्षा प्राप्त लोगों की काफी कमी है, देश की जनसंख्या को देखते हुए उच्च शिक्षा प्राप्त लोगों का अनुपात बहुत कम है। यही नहीं, शिक्षित युवाओं की बेरोजगारी दर भी उच्चतम है। राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन के आँकड़ों के अनुसार वर्ष 2011 - 12 में ग्रामीण क्षेत्रों में स्नातक एवं उससे ऊपर अध्ययन किए हुए युवा पुरुषों में बेरोजगारी दर 19 प्रतिशत थी जो शहरी क्षेत्रों में अपेक्षाकृत थोड़ी कम 16 प्रतिशत थी।

इसके विपरीत ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में प्राथमिक स्तर के शिक्षित युवाओं में केवल 3 से 6 प्रतिशत ही बेरोजगार थे। अतः सरकार को उच्च शिक्षा के लिए अधिक धन का आबंटन करना चाहिए तथा उच्च शिक्षा संस्थाओं के स्तर में सुधार लाना चाहिए ताकि वहाँ पढ़ रहे छात्र रोजगार योग्य कौशल प्राप्त कर सकें। अतः भारत में भविष्य में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की संभावना है।

RBSE Class 11 Economics Important Questions Chapter 5 भारत में मानव पूँजी का निर्माणा

प्रश्न 8. 
"भौतिक पूँजी निर्माण मुख्यतः एक आर्थिक एवं तकनीकी प्रक्रिया है जबकि मानव पूँजी निर्माण एक सामाजिक प्रक्रिया है।" इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भौतिक पूँजी निर्माण सुविचारित निवेश निर्णयों का परिणाम होता है। भौतिक पूँजी में निवेश का निर्णय अपने ज्ञान के आधार पर लिया जाता है। इस सम्बन्ध में उद्यमी के पास अनेक प्रकार के निवेश विकल्पों की आन्तरिक  प्रतिफल दर का आकलन कर पाने का ज्ञान होता है। इस गणना के बाद ही वह अपना विवेक निवेश करता है। भौतिक पूँजी का स्वामित्व उस व्यक्ति के सुविचारित निर्णय का परिणाम होता है।

अतः भौतिक पूँजी निर्माण मुख्यत: एक आर्थिक एवं तकनीकी प्रक्रिया है। मानव पूंजी के निर्माण का महत्त्वपूर्ण भाग व्यक्ति के जीवन की उस अवधि में होता है, जब वह यह निर्णय लेने में असमर्थ होता है। उदाहरण के लिए, बच्चों की शिक्षा एवं  स्वास्थ्य सुविधाओं से सम्बन्धित निर्णय उनके अभिभावक तथा समाज द्वारा लिए जाते हैं। उनके समकक्षी लोग, उनके मानव पूंजी निर्माण सम्बन्धी निर्णय को प्रभावित करते हैं तथा वे अपने अधिकांश निर्णय समाज के आधार पर ही लेते हैं।

समाज में लोग जैसी धारणा रखते हैं अन्य लोग भी उनकी धारणाओं से प्रभावित होकर निर्णय लेने लगते हैं। जैसे शहरों में अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय को लोग सही मानते हैं तो अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों को उन्हीं विद्यालयों में प्रवेश दिलाते हैं। इस प्रकार मानव पूंजी निर्माण आंशिक रूप से एक सामाजिक प्रक्रिया है तथा अंशत: मानव पूंजी को धारण करने वालों के सुविचारित निर्णय का प्रतिफल है।

Prasanna
Last Updated on Aug. 22, 2022, 5:43 p.m.
Published July 13, 2022