RBSE Class 11 Economics Important Questions Chapter 4 निर्धनता

Rajasthan Board RBSE Class 11 Economics Important Questions Chapter 4 निर्धनता Important Questions and Answers.

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RBSE Class 11 Economics Important Questions Chapter 4 निर्धनता

वस्तुनिष्ठ प्रश्न:

प्रश्न 1. 
निर्धन वर्ग में सम्मिलित हैं। 
(अ) गली में काम करने वाले मोची 
(ब) मालाएँ गूंथने वाली महिलाएँ 
(स) कागज - कतरन बीनने वाले
(द) उपर्युक्त सभी। 
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी। 

RBSE Class 11 Economics Important Questions Chapter 4 निर्धनता 

प्रश्न 2. 
ग्रामीण क्षेत्र में निर्धनता के लक्षणों में सम्मिलित हैं। 
(अ) बुनियादी साक्षरता एवं कौशल से वंचित लोग 
(ब) धन के अभाव में अस्वस्थ एवं गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोग
(स) ऋणग्रस्त भूमिहीन मजदूर
(द) उपुर्यक्त सभी। 
उत्तर:
(द) उपुर्यक्त सभी। 

प्रश्न 3. 
ग्रामीण क्षेत्र में निर्धनता रेखा से ऊपर रहने के लिए एक व्यक्ति का न्यूनतम कितना कैलोरी उपभोग होना चाहिए?
(अ) 2100 कैलोरी 
(ब) 2300 कैलोरी का 
(स) 2400 कैलोरी 
(द) 3400 कैलोरी की 
उत्तर:
(स) 2400 कैलोरी 

प्रश्न 4. 
शहरी क्षेत्र में निर्धनता रेखा से ऊपर रहने के लिए एक व्यक्ति का न्यूनतम कितना कैलोरी उपभोग होना चाहिए? 
(अ) 1800 कैलोरी 
(ब) 2100 कैलोरी दि 
(स) 2400 कैलोरी 
(द) 3100 कैलोरी का 
उत्तर:
(ब) 2100 कैलोरी दि 

प्रश्न 5. 
भारत में निर्धनता का कारण है। 
(अ) धन के वितरण में असमानता
(ब) बेरोजगारी 
(स) ऋणग्रस्तता र 
(द) उपर्युक्त सभी 
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी 

प्रश्न 6. 
स्वरोजगार हेतु सरकार द्वारा चलाए जाने वाला कार्यक्रम है। 
(अ) ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम 
(ब) प्रधानमंत्री रोजगार योजना में 
(स) स्वर्णजयन्ती शहरी रोजगार योजना
(द) उपर्युक्त सभी। 
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी। 

प्रश्न 7. 
भारत के संसद में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम जिस वर्ष में पारित किया है। 
(अ) 2002.
(ब) 2003 
(स) 2004
(द) 2005 
उत्तर:
(द) 2005 

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प्रश्न 8. 
निर्धनों के खाद्य उपभोग और पोषण स्तर को प्रभावित करने वाला प्रमुख कार्यक्रम है। 
(अ) सार्वजनिक वितरण व्यवस्था 
(ब) एकीकृत बाल विकास योजना 
(स) मध्यावकाश भोजन योजना 
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी।

रिक्त स्थान वाले प्रश्ननीचे दिए गए वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति करें:

प्रश्न 1. 
स्वतन्त्रता पूर्व भारत में सबसे पहले ............... ने निर्धनता रेखा की अवधारणा पर विचार किया था। 
उत्तर:
दादाभाई नौरोजी

प्रश्न 2. 
जिन व्यक्तियों का प्रतिदिन ग्रामीण क्षेत्रों में ...........कलौरी से कम उपभोग है उन्हें निर्धनता रेखा से नीचे माना जाता है। 
उत्तर:
2400

प्रश्न 3. 
जिन व्यक्तियों का प्रतिदिन शहरी क्षेत्रों में ................ कलौरी अ से कम उपयोग है उन्हें निर्धन माना गया है।
उत्तर:
2100 

प्रश्न 4. 
भारत में 2011 - 12 में ................. प्रतिशत जनसंख्या निर्धनता रेखा से नीचे निवास करती है।
उत्तर:
22

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प्रश्न 5. 
वर्ष .................. में प्रधानमन्त्री जन-धन योजना नामक एक योजना प्रारम्भ की गई। 
उत्तर:
2014 

प्रश्न 6. 
सदा निर्धन व सामान्यतः निर्धन वर्गों को मिलाकर हम ................. निर्धन वर्ग का नाम देते हैं।
उत्तर:
चिरकालीन 

सत्य / असत्य वाले प्रश्न नीचे दिए गए कथनों में सत्य / असत्य कथन छाँटिए:

प्रश्न 1. 
निरन्तर निर्धन तथा यदाकदा निर्धन वर्गों को मिलाकर हम अल्पकालीन निर्धन वर्ग का नाम देते हैं। 
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 2. 
भारत में सबसे पहले निर्धनता रेखा की अवधारणा का विचार अमर्त्य सेन ने दिया।
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 3. 
2011 - 12 में निर्धनता रेखा को ग्रामीण क्षेत्रों में 816 रु. प्रति व्यक्ति प्रतिमाह उपभोग के रूप में परिभाषित किया। 
उत्तर:
सत्य

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प्रश्न 4. 
2011 - 12 में निर्धनता रेखा को शहरी क्षेत्रों में 2000 रु. प्रति व्यक्ति प्रति माह के रूप में परिभाषित किया है।
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 5. 
भारत में वर्ष 1973 - 74 में निर्धनों की कुल संख्या 320 मिलियन से अधिक थी।
उत्तर:
सत्य

मिलान करने वाले प्रश्ननिम्न को सुमेलित कीजिए:

प्रश्न 1.

1. ग्रामीण क्षेत्रों निर्धनता रेखा हेतु कैलोरी आवश्यकता

(अ) 55 प्रतिशत

2. शहरी क्षेत्रों में निर्धनता रेखा हेतु कैलोरी आवश्यकता

(ब) 2005

3. 2011-12 में निर्धनता अनुपात

(स) 2400 कैलोरी

4. प्रधानमन्त्री जनधन योजना का वर्ष

(द) 2100 कैलोरी

5. महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम का वर्ष

(य) 2014

6. 1973-77 में निर्धनता प्रतिशत

(र) 22 प्रतिशत

उत्तर:

1. ग्रामीण क्षेत्रों निर्धनता रेखा हेतु कैलोरी आवश्यकता

(स) 2400 कैलोरी

2. शहरी क्षेत्रों में निर्धनता रेखा हेतु कैलोरी आवश्यकता

(द) 2100 कैलोरी

3. 2011-12 में निर्धनता अनुपात

(य) 2014

4. प्रधानमन्त्री जनधन योजना का वर्ष

(र) 22 प्रतिशत

5. महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम का वर्ष

(अ) 55 प्रतिशत

6. 1973-77 में निर्धनता प्रतिशत

(ब) 2005


अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1. 
निर्धनों के खाद्य उपभोग और पोषण स्तर को प्रभावित करने वाले दो कार्यक्रम लिखिए।
उत्तर:

  1. एकीकृत बाल विकास योजना 
  2. मध्यावकाश भोजन योजना।

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प्रश्न 2. 
कैलोरी के आधार पर निर्धनता की पहचान कैसे की जाती है?
उत्तर:
ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 2400 कैलोरी एवं शहरी क्षेत्रों में 2100 कैलोरी से नीचे उपभोग वाले व्यक्ति को निर्धन माना जाएगा।

प्रश्न 3. 
चिरकालीन अथवा दीर्घकालीन निर्धन वर्ग का वर्गीकरण कीजिए।
उत्तर:
इसमें निर्धन के दो वर्ग हैं:

  1. सदा निर्धन 
  2. सामान्य निर्धन।

प्रश्न 4. 
अल्पकालीन निर्धन वर्ग का वर्गीकरण कितने भागों में किया जा सकता है?
उत्तर:
इसमें निर्धन को दो भागों में बाँटा जा सकता है:

  1. निरन्तर निर्धन 
  2. यदाकदा निर्धन ।

प्रश्न 5. 
निर्धनता के न्यूनतम कैलोरी उपभोग मापदण्ड - के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में न्यूनतम कितना कैलोरी उपभोग होना चाहिए?
उत्तर:
2400 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन।

प्रश्न 6. 
निर्धनता के न्यूनतम कैलोरी उपभोग मापदण्ड के अनुसार शहरी क्षेत्रों में न्यूनतम कितना कैलोरी उपभोग होना चाहिए?
उत्तर:
2100 कैलोरी प्रति व्यक्ति प्रति दिन। 

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प्रश्न 7. 
भारत की कोई दो प्रमुख समस्याएँ बताइए। 
उत्तर:

  1. निर्धनता, 
  2. बेरोजगारी। 

प्रश्न 8. 
निर्धनता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
वह स्थिति जिसमें व्यक्ति जीवन की आधारभूत एवं अति आवश्यक आवश्यकताओं को पूरा न कर पाए।

प्रश्न 9. 
निर्धनता से सम्बन्धित माने जाने वाले कोई दो प्रमुख कारक बताइए।
उत्तर:

  1. आय और सम्पत्ति का स्वामित्व 
  2. स्वास्थ्य सेवा एवं पेयजल की सुलभता।

प्रश्न 10. 
निर्धनता रेखा के निर्धारण में ध्यान रखने योग्य कोई दो सामाजिक कारक बताइए।
उत्तर:

  1. साक्षरता 
  2. संसाधनों की उपलब्धता।

प्रश्न 11. 
निर्धनता निवारण योजनाओं का मुख्य ध्येय क्या होना चाहिए?
उत्तर:
निर्धनता निवारण योजनाओं का मुख्य ध्येय मानवीय जीवन में सर्वांगीण सुधार होना चाहिए।

प्रश्न 12. 
निर्धनता सम्बन्धी 'सेन सूचकांक' का विकास किसने किया?
उत्तर:
निर्धनता सम्बन्धी 'सेन सूचकांक' का विकास नॉबेल पुरस्कार सम्मानित अर्थशास्त्री प्रो. अमर्त्य सेन ने किया।

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प्रश्न 13. 
व्यक्ति गणना अनुपात किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब निर्धनों की संख्या का अनुमान निर्धनता रेखा से नीचे के जनानुपात द्वारा किया जाता है तो उसे 'व्यक्ति गणना अनुपात' कहते हैं।

प्रश्न 14. 
स्वतन्त्रता पूर्व भारत में सबसे पहले किसने निर्धनता रेखा की अवधारणा पर विचार किया?
उत्तर:
दादाभाई नौरोजी।

प्रश्न 15. 
प्रधानमंत्री की रोजगार योजना एवं ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम का विलय किस कार्यक्रम में कर दिया गया है?
उत्तर:
15 अगस्त, 2008 को इन दोनों कार्यक्रमों का विलय कर प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया।

प्रश्न 16. 
निर्धनों के लिए आर्थिक अवसर सीमित क्यों होते हैं?
उत्तर:
बुनियादी शिक्षा एवं कौशल के अभाव में निर्धनों के लिए आर्थिक अवसर सीमित होते हैं।

प्रश्न 17. 
भारत में निर्धनता सम्बन्धी आँकड़े कौन उपलब्ध करवाता है?
उत्तर:
भारत में योजना आयोग, निर्धनता सम्बन्धी आँकड़े उपलब्ध करवाता है। 

प्रश्न 18. 
सामान्यतः निर्धन किसे कहते हैं? कोई एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
सामान्यतः निर्धन वर्ग में वे व्यक्ति आते हैं जिनके पास कभी-कभी कुछ धन आ जाता है, जैसे अनियत मजदूर।

प्रश्न 19. 
निर्धनता को जन्म देने वाले सामाजिक कारक कौन से हैं?
उत्तर:
निरक्षरता, अस्वस्थता, संसाधनों की अनुपलब्धता, भेदभाव आदि।

प्रश्न 20. 
निर्धनता निवारण योजनाओं का मुख्य ध्येय क्या होना चाहिए?
उत्तर:
निर्धनता निवारण योजनाओं का मुख्य ध्येय मानवीय जीवन में सर्वांगीण सुधार लाना होना चाहिए।

प्रश्न 21. 
NSSO का पूरा नाम लिखिए। 
उत्तर:
Nsso = राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन। 

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प्रश्न 22. 
भारत में निर्धनता के कोई दो कारण बताइए।
उत्तर:

  1. जनसंख्या का दबाव 
  2. निम्न पूँजी निर्माण।

प्रश्न 23. 
भारत में निर्धनता दूर करने हेतु एक सुझाव ने दीजिए।
उत्तर:
भारत में साक्षरता एवं आधारभूत संरचना में वृद्धि की जानी चाहिए।

प्रश्न 24. 
भारत में निर्धनता निवारण हेतु सरकार द्वारा चलाए जा रहे कोई दो कार्यक्रमों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. स्वर्ण जयन्ती शहरी रोजगार योजना, 
  2. स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना।

प्रश्न 25. 
महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम कब पारित किया गया?
उत्तर:
महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम वर्ष 2005 में पारित किया गया।

प्रश्न 26. 
स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना कब प्रारम्भ की गई?
उत्तर:
स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना 1 अप्रैल, 1999 को प्रारम्भ की गई।

प्रश्न 27. 
भारत के किन राज्यों में सर्वाधिक निधनता पाई जाती है?
उत्तर:
भारत में अधिकांश निर्धनता निम्न पाँच राज्यों में पाई गई-तमिलनाडु, ओडिशा, बिहार, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल।

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प्रश्न 28. 
भारत में बेरोजगारी के कोई दो कारण बताइए।
उत्तर:

  1. आर्थिक विकास की धीमी गति। 
  2. जनसंख्या में तीव्र वृद्धि।

प्रश्न 29. 
बेरोजगारी का अर्थ बताइए।
उत्तर:
बेरोजगारी का अर्थ उन व्यक्तियों को काम न मिलने से है, जो काम करने योग्य हैं तथा जो काम करना चाहते हैं।

प्रश्न 30. 
जवाहर ग्राम समृद्धि योजना कब प्रारम्भ की गई?
उत्तर:
जवाहर ग्राम समृद्धि योजना 1 अप्रैल, 1999 को प्रारम्भ की गई।

प्रश्न 31. 
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम के अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में चयनित परिवार के एक सदस्य को एक वर्ष में कितने दिन के रोजगार की गारण्टी दी गई?
उत्तर:
100 दिन। 

प्रश्न 32. 
सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना कब प्रारम्भ की गई?
उत्तर:
सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना 25 सितम्बर, 1 2001 को प्रारम्भ की गई।

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प्रश्न 33. 
स्वर्ण जयन्ती शहरी रोजगार योजना को किस नाम से पुनस्थापित किया गया है?
उत्तर:
राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन 

प्रश्न 34. 
स्वर्ण जयन्ती ग्रामीण रोजगार योजना को किस नाम से पुनर्स्थापित किया गया है?
उत्तर:
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन। 

प्रश्न 35. 
निरपेक्ष गरीबी का क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
निरपेक्ष गरीबी का तात्पर्य आधारभूत आवश्यकताओं की पर्याप्त मात्रा में पूर्ति नहीं होना है।

प्रश्न 36. 
सापेक्ष गरीबी का क्या तात्पर्य है? 
उत्तर:
सापेक्ष गरीबी का तात्पर्य आय की असमानता।

प्रश्न 37. 
'निर्धनता अनुपात' ज्ञात करने का सूत्र लिखिए। देश में निर्धन व्यक्तियों की संख्या 
उत्तर:
निर्धनता अनुपात - देश की कुल जनसंख्या

प्रश्न 38. 
भारत में निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रमों की कोई एक कमी बताइए।
उत्तर:
भारत में इन कार्यक्रमों का लाभ प्रायः गैरनिर्धनों ने उठाया है। 

लघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1. 
एक अर्थशास्त्री के रूप में आप ग्रामीण क्षेत्र में गरीबी निवारण, रोजगार सृजन एवं परिसम्पत्तियों के निर्माण हेतु संयुक्त कार्यक्रम समझाइए।
उत्तर:
एक अर्थशास्त्री के रूप में हमारा मानना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी निवारण, रोजगार सृजन तथा परिसम्पत्तियों के निर्माण हेतु महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारन्टी अधिनियम एक महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम है। यह कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्र में प्रत्येक परिवार के एक वयस्क सदस्य को 100 दिन के अकुशल श्रम की गारण्टी देता है, जिसके फलस्वरूप उस परिवार की गरीबी दूर करने में मदद मिलती है, साथ ही इस कार्यक्रम के तहत ग्रामीण विकास हेतु विभिन्न परिसम्पत्तियों के निर्माण सम्बन्धी कार्य किए जाते हैं।

प्रश्न 2. 
गरीबी अथवा निर्धनता से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
गरीबी अथवा निर्धनता का अभिप्राय उस सामाजिक अवस्था से है जिसमें समाज का एक वर्ग अपने जीवन की बुनियादी आवश्यकताओं से भी वंचित रहे और वह न्यूनतम जीवन स्तर से भी नीचे जीवन यापन करे अर्थात् गरीबी अथवा निर्धनता वह सामाजिक स्थिति है, जिसमें समाज का एक वर्ग अपने जीवन की अति आवश्यक आवश्यकताओं, जैसे-भोजन, स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास आदि को भी पूरा नहीं कर पाता हो। 

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प्रश्न 3. 
निरपेक्ष एवं सापेक्ष गरीबी की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
निरपेक्ष गरीबी: एक व्यक्ति की निरपेक्ष गरीबी का अर्थ है कि उसका उपभोग व्यय इतना कम है कि वह न्यूनतम भरण - पोषण स्तर से नीचे स्तर पर जीवन - यापन कर रहा है। सापेक्ष गरीबी-सापेक्ष गरीबी से तात्पर्य आय की विषमताओं से है अर्थात् गरीबी की इस अवधारणा में तुलनात्मक आधार पर निर्धनता को परिभाषित किया जाता है।

प्रश्न 4. 
भारत में योजना आयोग ने निर्धनता की माप का मापदण्ड क्या रखा है?
उत्तर:
भारत में योजना आयोग ने ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 2400 कैलोरी एवं शहरी क्षेत्रों में प्रतिदिन 2100 कैलोरी से कम उपभोग करने वाले व्यक्तियों को गरीब माना है। तेन्दुलकर समिति ने 2011 - 12 में प्रति व्यक्ति औसत मासिक उपयोग व्यय ग्रामीण क्षेत्रों में 816 रुपये एवं शहरी क्षेत्रों में 1000 रुपये लिया है।

प्रश्न 5. 
निर्धनता रेखा का निर्धारण करते समय |किन-किन कारकों को ध्यान में रखा जाना चाहिए?
उत्तर:
निर्धनता रेखा का निर्धारण करते समय अनेक आर्थिक एवं सामाजिक कारकों को ध्यान में रखा जाना चाहिए। आर्थिक कारकों के अन्तर्गत सबसे महत्त्वपूर्ण कारक व्यक्ति की आय एवं सम्पत्ति का स्वामित्व हैं, इन्हें ध्यान में रखा जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त बुनियादी शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएँ, स्वच्छ पेयजल, स्वच्छता की सुलभता आदि को ध्यान में रखा जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त कुछ सामाजिक कारकों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए; जैसे - निरक्षरता, अस्वस्थता, संसाधनों की अनुपलब्धता, भेदभाव या नागरिक और राजनीतिक स्वतन्त्रताओं का अभाव आदि।

प्रश्न 6. 
निर्धनता के वर्गीकरण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
निर्धनता को दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है।

  1. चिरकालिक निर्धन: चिरकालिक निर्धन में दो वर्ग आते हैं - एक, सदा निर्धन, जो सदैव निर्धन रहते हैं तथा दूसरा, सामान्यतः निर्धन, जो निर्धन तो होते हैं; किन्तु कभी - कभी उनके पास कुछ धन भी आ जाता है। 
  2. अल्पकालिक निर्धन अल्पकालिक निर्धन में दो वर्ग आते हैं - पहला चक्रीय निर्धन, जो निरन्तर निर्धन . एवं गैर-निर्धन वर्ग के बीच झूलता रहता है तथा दूसरा वर्ग यदाकदा निर्धन का है, जो अधिकांश समय धनी रहते हैं किन्तु कभी - कभी निर्धन की श्रेणी में आ जाते हैं।

प्रश्न 7. 
भारत में निर्धनता निवारण कार्यक्रमों का मुख्य ध्येय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में निर्धनता निवारण कार्यक्रम का मुख्य ध्येय निर्धनता को कम करना है, साथ ही मानवीय जीवन का सर्वांगीण विकास करना है। इन कार्यक्रमों के अन्तर्गत लोगों की मूलभूत आर्थिक एवं सामाजिक आवश्यकता को पूरा करना मुख्य ध्येय रहता है। जैसे-रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, भोजन, आवास इत्यादि ताकि लोगों का सर्वांगीण विकास हो सके। साथ ही व्यक्ति के कर्म पथ की बाधाओं का निवारण करना; जैसे- निरक्षरता, अस्वस्थता, संसाधनहीनता, राजनीतिक स्वतन्त्रता का अभाव इत्यादि का निवारण करना।

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प्रश्न 8. 
“भारत में निर्धनता में निरन्तर कमी आई है।" इस कथन को उपयुक्त आँकड़ों के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् निर्धनता में निरन्तर कमी आई है। वर्ष 1973 - 74 में 320 मिलियन से अधिक लोग निर्धनता रेखा से नीचे थे। यह संख्या वर्ष 2011 - 12 में तेन्दुलकर समिति के अनुसार लगभग 270 मिलियन रह गई। आनुपातिक दृष्टि से 1973 - 74 में कुल जनसंख्या की 55 प्रतिशत जनसंख्या निर्धनता रेखा से नीचे थी। यह अनुपात वर्ष 2011 - 12 में तेन्दुलकर समिति के अनुसार 22 प्रतिशत रह गया। अत: भारत में निर्धनता में निरन्तर कमी हो रही है।

प्रश्न 9. 
भारत में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में निर्धनता अथवा गरीबी की तुलना कीजिए।
उत्तर:
भारत में ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में निर्धनता अनुपात में अन्तर है, देश में ग्रामीण क्षेत्रों में शहरी क्षेत्रों की अपेक्षा निर्धनता अधिक है; किन्तु ग्रामीण क्षेत्रों में शहरों की अपेक्षा निर्धनता में तीव्रता से कमी आई है। वर्ष 2004 - 05 में ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धनता अनुपात 41.8 प्रतिशत था जो कम होकर वर्ष 2011 - 12 में तेन्दुलकर समिति के अनुसार 25.7 प्रतिशत रह गया। इसी प्रकार वर्ष 2004 - 2005 में शहरी क्षेत्रों में निर्धनता अनुपात 25.7 प्रतिशत था, जो कम होकर तेन्दुलकर समिति के अनुसार वर्ष 2011 - 12 में 13.7 प्रतिशत रह गया।

प्रश्न 10. 
भारत में निर्धनता के किन्हीं चार कारणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. भारत में जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि हो रही है जिससे निर्धनता में भी वृद्धि हो रही है।
  2. देश में सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक असमानताएँ व्याप्त हैं, जिससे निर्धनता बढ़ती है।
  3. देश में निर्धनता का एक अन्य प्रमुख कारण देश में व्याप्त बेरोजगारी की समस्या है। 
  4. देश में निम्न पूँजी निर्माण भी निर्धनता का एक न प्रमुख कारण है।

प्रश्न 11. 
भारत में निर्धनता दूर करने हेतु कोई चार हो सुझाव दीजिए।
उत्तर:

  1. देश में आर्थिक विकास की दर को बढ़ाकर व्य निर्धनता की समस्या का निवारण किया जा सकता है।
  2. देश में बचत, विनियोग एवं पूँजी निर्माण में वृद्धि करके निर्धनता का निवारण किया जा सकता है।
  3. सरकार द्वारा जनसंख्या नियन्त्रण कार्यक्रमों को अधिक प्रभावी बनाकर निर्धनता का निवारण किया जा सकता है।
  4. देश में बेरोजगारी की समस्या का निवारण कर निर्धनता का निवारण किया जा सकता है।

प्रश्न 12. 
अंग्रेजी शासन काल की किन्हीं तीन नीतियों का उल्लेख कीजिए, जो निर्धनता बढ़ाने में सहायक रहीं।
उत्तर:

  1. अंग्रेजों ने कृषि क्षेत्र पर भारी लगान लगाया, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धनता में वृद्धि हुई।
  2. अंग्रेजों की नीतियों के फलस्वरूप भारत में घरेलू उद्योगों का पतन हो गया जिससे देश में बेरोजगारी एवं निर्धनता में वृद्धि हुई। 
  3. अंग्रेजों ने भारत को कच्चे माल का निर्यातक एवं तैयार माल का आयातकं बना दिया, जिससे देश में निर्धनता का विस्तार हुआ।

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प्रश्न 13. 
भारत सरकार की निर्धनता निवारण की त्रि - आयामी नीति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत सरकार ने निर्धनता निवारण की त्रि - आयामी नीति अपनाई:

  1. संवृद्धि आधारित रणनीति-इस नीति में सरकार ने आर्थिक संवृद्धि अर्थात् सकल घरेलू उत्पाद एवं प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि करने की नीति अपनाई।
  2. रोजगार संवर्द्धन की नीति-इसके अन्तर्गत सरकार ने रोजगार सृजन हेतु अनेक कार्यक्रम प्रारम्भ किए।
  3. न्यूनतम आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की नीति-इसके अन्तर्गत सरकार ने लोगों को न्यूनतम आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने हेतु अनेक कार्यक्रम चलाए।

प्रश्न 14. 
निर्धनता निवारण कार्यक्रमों की कोई तीन प्रमुख कमियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. निर्धनता निवारण कार्यक्रमों का अधिक लाभ गैर-निर्धन लोगों को मिला है।
  2. विभिन्न निर्धनता निवारण कार्यक्रमों में समन्वय न होने के कारण वांछनीय लाभ प्राप्त नहीं हो पाए हैं। से
  3. निर्धनता निवारण कार्यक्रमों हेतु आवंटित संसाधन पर्याप्त नहीं रहे हैं।

प्रश्न 15. 
स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना पर व संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
भारत सरकार ने 1 अप्रैल, 1999 को स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना प्रारम्भ की। इस योजना में पूर्व में चल रहे छ: कार्यक्रमों-समन्वित ग्रामीण विकास : कार्यक्रम, दस लाख कुओं की योजना, ट्राइसम, द्वाकरा, सीटरा तथा जे.के. वाई. को मिला दिया गया। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकाधिक लघु उद्योगों की| स्थापना से गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले परिवारों को लाभान्वित कर तीन वर्षों में गरीबी रेखा से ऊपर उठाना है।

प्रश्न 16. 
सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना का शुभारम्भ रोजगार आश्वासन योजना एवं जवाहर ग्राम समृद्धि योजना को मिलाकर 25 सितम्बर, 2001 को किया गया। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी सामुदायिक, सामाजिक तथा भौतिक सम्पत्ति का निर्माण करना है। इस योजना का एक अन्य उद्देश्य बेरोजगार गरीबों के लिए - रोजगार के अवसर उत्पन्न करना है। तथा खाद्यान्न सुरक्षा करना है। इसे 1 अप्रैल, 2008 को महात्मा गाँधी राष्ट्रीय - ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना में मिला दिया गया।

प्रश्न 17. 
महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम अथवा योजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
इस योजना का शुभारम्भ 2 फरवरी, 2006 को किया गया तथा 1 अप्रैल, 2008 को इस योजना को सम्पूर्ण देश में लागू किया गया। इस योजना में 'काम के बदले अनाज' एवं 'सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना' का विलय किया गया। इस अधिनियम के अन्तर्गत चयनित जिलों में ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक चयनित परिवार के एक वयस्क सदस्य को वर्ष में कम - से - कम 100 दिन अकुशल श्रम वाले रोजगार की गारण्टी दी गई है। अत: रोजगार की गारण्टी देने वाला एकमात्र कार्यक्रम है।

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प्रश्न 18. 
ग्रामीण क्षेत्र में निर्धनता के कोई तीन दुष्प्रभाव बताइए।
उत्तर:

  1. ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धनता के कारण लोग बुनियादी साक्षरता एवं कौशल से वंचित रह जाते हैं।
  2. ग्रामीण क्षेत्र में लोग निर्धनता के कारण साहूकारों से ऋण लेते हैं तथा वे जीवनपर्यन्त उस ऋणग्रस्तता से मुक्त - नहीं हो पाते।
  3. निर्धनता के कारण गाँवों में अनेक लोग कुपोषण र का शिकार रहते हैं।

प्रश्न 19. 
भारत में निर्धनता के आकार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् निर्धनता में निरन्तर कमी आई है किन्तु अभी भी निर्धनता अनुपात ऊँचा है। भारत में वर्ष 1973 - 74 में 320 मिलियन से अधिक लोग निर्धनता रेखा से नीचे निवास करते थे, यह संख्या वर्ष 2004 - 05 में घटकर 300 मिलियन एवं 2011 - 12 में तेन्दुलकर समिति के अनुसार 270 मिलियन रह गई। आनुपातिक दृष्टि से भारत में वर्ष 1973 - 74 में कुल जनसंख्या की 55 प्रतिशत जनसंख्या निर्धनता रेखा से नीचे निवास करती थी। यह अनुपात वर्ष 2004 - 05 में कम होकर 37 प्रतिशत एवं 2011 - 12 में तेन्दुलकर समिति के अनुसार 22 प्रतिशत रह गया। स] प्रश्न 20. शहरी क्षेत्र में निर्धन कौन है? - उत्तर-भारत में निर्धन लोग शहरी एवं ग्रामीण दोनों स क्षेत्रों में निवास करते हैं। पारिभाषिक दृष्टि से शहरी क्षेत्रों में ए| जिन लोगों को प्रतिदिन 2100 कैलोरी से कम उपभोग होता ना है वे निर्धन माने जाते हैं। शहरी क्षेत्र में प्राय: रेहड़ी वाले, य गली में काम करने वाले मोची, कचरा बीनने वाले, मालाएँ गूथने वाली महिलाएँ, फेरी वाले, रिक्शे वाले, भिखारी पर आदि निर्धनतापूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं। ये लोग शहरों में प्राय: कच्ची बस्तियों में निवास करते हैं जहाँ इनकी अधिकांश मूलभूत आवश्यकताएँ भी पूरी नहीं हो पाती हैं। 

प्रश्न 21. 
निर्धनता निवारण की संवृद्धि आधारित रणनीति को स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
संवृद्धि आधारित रणनीति के अन्तर्गत सरकार द्वारा सकल घरेलू उत्पाद और प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि का प्रयास किया जाता है। इसका प्रभाव धीरे-धीरे समाज के मम निर्धनतम वर्ग तक पहुंचता है तथा समाज में रोजगार के की अवसरों में पर्याप्त वृद्धि होती है। भारत में इस हेतु सरकार ने प्रथम कुछ पंचवर्षीय योजनाओं में औद्योगीकरण को बढ़ावा न दिया तथा कृषि क्षेत्र में विकास हेतु हरित क्रान्ति की नीति अपनायी इसका अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा।

प्रश्न 22. 
निर्धन कौन हैं तथा इनकी प्रमुख समस्याएँ क्या हैं?
उत्तर:
निर्धन वे होते हैं जो अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को भी पूरा नहीं कर पाते हैं, जिनके पास आवास की उपयुक्त व्यवस्था नहीं होती है, जिन्हें दोनों समय भोजन भी प्राप्त नहीं होता है तथा जिन्हें बुनियादी साक्षरता एवं कौशल भी प्राप्त नहीं होता। निर्धनों की अनेक समस्याएँ पाई जाती हैं, उन्हें रोजगार नहीं मिल पाता, भोजन के अभाव में उन्हें अनेक गंभीर बीमारियाँ लग जाती हैं तथा इनमें अधिकांश लोग कुपोषण के शिकार रहते हैं। निर्धन लोग जीवन भर ऋणग्रस्त रहते हैं। निर्धन लोग ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि एवं मजदूरी पर निर्भर रहते हैं।

RBSE Class 11 Economics Important Questions Chapter 4 निर्धनता

प्रश्न 23. 
भारत में निर्धनता उन्मूलन हेत अपनाए गए किन्हीं दो कार्यक्रमों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  1. समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम: इस कार्यक्रम का शुभारम्भ छठी योजना के दौरान गाँवों में रहने वाले गरीब लोगों को आय अर्जित करने की सुविधा जुटाने तथा अपना कारोबार शुरू करने के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया था।
  2. काम के बदले अनाज कार्यक्रम: यह कार्यक्रम 1970 के दशक में प्रारम्भ किया गया। यह कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में उन गरीबों के लिए लागू किया गया, जो अकुशल श्रमिक हैं तथा काम करना चाहते हैं।

प्रश्न 24. 
चिरकालीन निर्धनों के विभिन्न प्रकारों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
चिरकालीन निर्धन वर्ग में वे लोग आते हैं, जो लम्बे समय से निर्धन हैं। इन्हें दो भागों में विभाजित किया जा सकता है

  1. सदैव निर्धन - इसमें वे लोग शामिल हैं, जो सदैव निर्धनता रेखा से नीचे जीवनयापन करते हैं। 
  2. सामान्यतः निर्धन - सामान्य वा में वे लोग आते हैं, जो व्यक्ति अधिकांशतः निर्धनता रेखा से नीचे जीवनयापन करते हैं, किन्तु कभी - कभी उनके पास धन अ' जाता है। जैसे - अनियत मजदूर।

प्रश्न 25. 
अल्पकालीन निर्धन किसे कहते हैं? इ.पके कितने प्रकार हैं?
उत्तर:
अल्पकालीन निर्धन लोग वे होते हैं, जो अल्पकाल हेतु निर्धन वर्ग में आते हैं। इसमें दो प्रकार के लोगों को शामिल किया जाता है

  1. चक्रीय निर्धन - चक्रीय निर्धन वे होते हैं जो निरन्तर निर्धन तथा यदा-कदा निर्धनता के बीच झूलते रहते हैं। कभी वे लम्बे समय तक निर्धन हो जाते हैं तो कभी है कभी लम्बे समय तक धनी हो जाते हैं। जैसे-मौसमी  मजदूर।
  2.  यदा - कदा निर्धन - यह वह वर्ग है, जो अधिकांश समय धनी रहता है किन्तु कभी-कभी निर्धनता रेखा से नीचे आ जाता है।

प्रश्न 26. 
ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धन लोगों के लक्षण बताइए।
उत्तर:
ग्रामीण क्षेत्रों में वे लोग निर्धन हैं जिन्हें बुनियादी शिक्षा एवं कौशल ज्ञान भी प्राप्त नहीं हो पाया। फलस्वरूप उन्हें रोजगार प्राप्त नहीं हो पाता। ग्रामीण क्षेत्र में वे लोग निर्धन हैं जिन्हें पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएँ प्राप्त नहीं हो पाती हैं तथा वे बीमार एवं कुपोषित हैं। यहाँ वे लोग निर्धन हैं जो अपनी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु साहूकारों से ऋण लेते हैं तथा वे जीवनपर्यन्त ऋणग्रस्त ही रहते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धनों को बिजली एवं पर्याप्त स्वच्छ जल की प्राप्ति भी नहीं हो पाती है। निर्धन वर्ग की महिलाओं को मातृत्व काल में पर्याप्त भोजन भी नहीं मिल पाता है तथा उनके बच्चे भी प्रायः कुपोषण के शिकार रहते

प्रश्न 27. 
भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद निर्धनता के आकलन हेतु क्या प्रयास किए गए?
उत्तर:
स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद से भारत में निर्धनता के आकलन के कई प्रयास हुए हैं। योजना आयोग द्वारा इस कार्य के लिए 1962 में एक अध्ययन दल का गठन किया गया। वर्ष 1979 में एक अन्य दल 'प्रभावी उपभोग मांग और न्यूनतम आवश्यकता अनुमानन कार्य बल' गठित हुआ। वर्ष 1989 में एक विशेषज्ञ दल' का गठन किया गया। इन संगठित प्रयासों के अतिरिक्त अनेक अर्थशास्त्रियों द्वारा व्यक्तिगत रूप से भी ऐसी ही प्रक्रियाओं के प्रयास किए गए।

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प्रश्न 28. 
क्या आप मासिक प्रतिव्यक्ति उपभोग व्यय विधि को देश में निर्धन परिवारों की पहचान का उपयुक्त तरीका मानते हैं? 
उत्तर:
हमारे अनुसार मासिक प्रतिव्यक्ति उपभोग व्यय विधि को देश में निर्धन परिवारों की पहचान का उपयुक्त तरीका नहीं माना जा सकता। इस विधि की सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह सभी निर्धनों को एक वर्ग में मान लेता है और अति निर्धनों और अन्य निर्धनों में कोई अन्तर नहीं करता। यह विधि भी मुख्यतः भोजन और कुछ चुनी हुई वस्तुओं पर व्यय को आय का प्रतीक मानती है, पर कुछ अर्थशास्त्री इसे उचित नहीं मानते हैं। इससे सरकार की सहायता के पात्र व्यक्तियों के समूचे समूह का निर्धारण तो हो जाता है पर इसकी पहचान नहीं हो पाती है कि सबसे 3 अधिक सहायता की आवश्यकता किन निर्धनों को है।

प्रश्न 29. 
निर्धनता निवारण की रोजगार संवर्द्धन की नीति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
निर्धनता निवारण की रोजगार संवर्धन की नीति के अन्तर्गत सरकार ने देश में रोजगार के अवसरों में वृद्धि करने हेतु अनेक रोजगार संवर्द्धन कार्यक्रम अपनाए जिनसे: रोजगार के अवसरों में वृद्धि हो सके। इस हेतु सरकार ने अनेक कार्यक्रम चलाए, जैसे - काम के बदले अनाज कार्यक्रम, समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम, स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार कार्यक्रम, जवाहर रोजगार योजना, महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम आदि। इसके अतिरिक्त शहरी क्षेत्र में भी अनेक रोजगार संवर्द्धन कार्यक्रम चलाए गए।

प्रश्न 30. 
भारत में निर्धनता निवारण हेतु सुझाव दीजिए।
उत्तर:

  1. सरकारी नीतियों का कुशल संचालन करना। 
  2. जनसंख्या पर नियन्त्रण करना। 
  3. धन के समान वितरण के प्रयास करने चाहिए। 
  4. आधारिक संरचना का विकास करना चाहिए। 
  5. बचत एवं विनियोगों में वृद्धि करनी चाहिए। 
  6. उद्योगों का तीव्र विकास किया जाना चाहिए।
  7. ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की विशेष योजनाएं चलाई जानी चाहिए।
  8. शिक्षा एवं स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार करना चाहिए।
  9. देश में वितरण व्यवस्था में सुधार करना चाहिए। 
  10. कल्याणकारी योजनाओं का विस्तार होना चाहिए।

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प्रश्न 31. 
निर्धनता निवारण योजनाओं का ध्येय क्या होना चाहिए?
उत्तर:
निर्धनता निवारण योजनाओं का ध्येय मानवीय जीवन का सर्वांगीण विकास होना चाहिए। उसमें ये बातें अवश्य होनी चाहिए कि मनुष्य क्या बन सकता है और क्या कर सकता है अर्थात् अधिक स्वस्थ, सुपोषित तथा ज्ञानसम्पन्न हो, सामाजिक जीवन में भागीदारी कर सके। इस दृष्टि से विकास का अर्थ होगा व्यक्ति के कर्म पथ की बाधाओं का निवारण जैसे उसे निरक्षरता, अस्वस्थता, संसाधनहीन नागरिक और राजनीतिक स्वतंत्रता के अभाव से मुक्ति दिलाना।

प्रश्न 32. 
भारत में निर्धनता के मुख्य कारणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत में निर्धनता का अनुपात काफी ऊंचा है तथा भारत में निर्धनता अनुपात के ऊँचे होने के अनेक कारण हैं। देश में निर्धनता के मुख्य कारण अग्र प्रकार हैं सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक असमानता, सामाजिक बहिष्कार, बेरोजगारी, ऋणग्रस्तता, धन के वितरण की असमानता, निम्न पूंजी निर्माण, आधारिक संरचना का अभाव, मांग का अभाव, जनसंख्या का दबाव, सामाजिक कल्याण व्यवस्था का अभाव, अल्प विकास, निम्न उत्पादकता, निम्न प्रौद्योगिकी, कृषि क्षेत्र की नीची विकास दर, कीमतों में वृद्धि की प्रवृत्ति, सामाजिक कुरीतियाँ, अंधविश्वास, शिक्षा का अभाव आदि। 

प्रश्न 33. 
सरकार की निर्धनता निवारण की संवृद्धि आधारित रणनीति पूर्ण रूप से सफल नहीं हो पाई इसके क्या कारण थे?
उत्तर:
संवृद्धि आधारित रणनीति पूर्ण रूप से सफल नहीं हो पायी इसके कई कारण थे। देश में जनसंख्या वृद्धि के कारण प्रति व्यक्ति आय में कमी आई जिससे आर्थिक असमानता में वृद्धि हुई। हरित क्रान्ति से भी अधिक लाभ बड़े किसानों को ही मिला जिससे छोटे एवं बड़े किसानों में आर्थिक विषमता बढ़ी। इसके अतिरिक्त भूमि का पुनर्वितरण भी पूरी तरह सफल नहीं हो पाया। देश में उद्योगों का भी पर्यास विकास नहीं हो पाया तथा इसमें क्षेत्रीय विषमता बनी रही।

प्रश्न 34. 
प्रधानमन्त्री जन - धन योजना पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
भारत में वर्ष 2014 में प्रधानमन्त्री जन-धन योजना चालू की गई जिसके अन्तर्गत भारतवासियों को बैंक खाता खोलने के लिए प्रोत्साहित किया गया। बचत को बढ़ावा देने के साथ-साथ इस योजना का उद्देश्य सरकारी योजनाओं के अन्तर्गत मिलने वाले लाभों तथा आर्थिक सहायता को सीधे खाताधारियों को हस्तान्तरित करना भी है। इस योजना में प्रत्यक खाता धारी को 1 लाख रुपये के जीवन बीमा तथा 30,000 रुपये के जीवन बीमा रक्षा का अधिकार है। 

निबन्धात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1. 
निर्धनता का क्या अभिप्राय है? भारत में - निर्धनता के आकार को स्पष्ट कीजिए। ।
उत्तर:
निर्धनता-निर्धनता अथवा गरीबी का अभिप्राय - उस सामाजिक अवस्था से है जिसमें समाज का एक वर्ग अपने जीवन की बुनियादी आवश्यकताओं से भी वंचित रहता है तथा न्यूनतम जीवन स्तर से भी नीचे जीवन-यापन करता है। निर्धन व्यक्ति की जीवन की अति आवश्यक आवश्यकताएँ यथा भोजन, कपड़ा, रोजगार, आवास, चिकित्सा है आदि भी पूरी नहीं हो पाती हैं। भारत में न्यूनतम कैलोरी उपभोग के आधार पर जिस - व्यक्ति को ग्रामीण क्षेत्रों में 2400 कैलोरी प्रतिदिन तथा शहरी क्षेत्र में 2100 कैलोरी प्रतिदिन से कम उपभोग होता है, वह निर्धन माना जाता है। वर्ष 2011 - 12 में निर्धनता रेखा को ग्रामीण क्षेत्रों में 816 रुपये प्रति व्यक्ति प्रतिमाह उपभोग के रूप में तथा शहरी क्षेत्रों में 1000 रुपये प्रति व्यक्ति प्रतिमाह के रूप में परिभाषित किया गया।

भारत में निर्धनता का आकार-भारत में निर्धनता की समस्या एक महत्वपूर्ण समस्या है। भारत में स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् निर्धनता में निरन्तर कमी आई है, किन्तु अभी भी निर्धनता अनुपात ऊँचा है। भारत में 1973 - 74 में 320 मिलियन से अधिक व्यक्ति निर्धनता की रेखा से नीचे थे। यह संख्या घटकर वर्ष 2004 - 05 में 300 मिलियन तथा वर्ष 2011 - 12 में तेन्दुलकर समिति के अनुसार लगभग 270 मिलियन रह गई। आनुपातिक दृष्टि से भारत में वर्ष 1973 - 74 में कुल जनसंख्या की 55 प्रतिशत जनसंख्या निर्धनता रेखा से नीचे निवास करती थी। यह अनुपात वर्ष 2004 - 05 में कम होकर 37 प्रतिशत एवं 2011 - 12 में तेन्दुलकर समिति के अनुसार 22 प्रतिशत रह गया।

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प्रश्न 2. 
भारतीय अर्थव्यवस्था के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि भारतीय अर्थव्यवस्था में निर्धन कौन हैं?
उत्तर:
भारत में शहरी एवं ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में निर्धनता की समस्या व्याप्त है तथा बहुत लोग निर्धन हैं। शहरी क्षेत्र में प्राय: रेहड़ी वाले, गली में काम करने वाले मोची, कचरा बीनने वाले, मालाएँ गूंथने वाली महिलाएं, फेरी वाले, रिक्शे वाले, भिखारी आदि निर्धनतापूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं। ये लोग शहरों में प्राय: कच्ची बस्तियों में निवास करते हैं जहाँ इनकी अधिकांश मूलभूत आवश्यकताएँ भी पूरी नहीं हो पाती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में भी भूमिहीन श्रमिक, मजदूर, निर्धन किसान आदि निर्धनता का जीवन-यापन करते हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में इन निर्धनों को दो वक्त का भोजन भी नहीं मिल पाता है। वहाँ वे लोग निर्धन हैं जिन्हें बुनियादी शिक्षा एवं कौशल ज्ञान भी प्राप्त नहीं हो पाता, इस कारण उन्हें पर्याप्त रोजगार अवसर प्राप्त नहीं हो पाते। ग्रामीण क्षेत्र में वे निर्धन हैं जिन्हें पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएँ प्राप्त नहीं हो पाती हैं तथा वे बीमार एवं कुपोषित होते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में वे लोग भी निर्धन हैं, जो अपनी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु साहूकारों से ऋण लेते हैं तथा वे जीवनपर्यन्त ऋणग्रस्त ही रहते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धनों को बिजली एवं पर्याप्त स्वच्छ पेयजल की प्राप्ति भी नहीं हो पाती है। निर्धन वर्ग की महिलाओं को मातृत्व काल में पर्याप्त भोजन भी नहीं मिल पाता है तथा उनके बच्चे भी प्राय: कुपोषण के शिकार रहते हैं।

प्रश्न 3. 
भारत में निर्धनता के विभिन्न कारणों को स्पष्ट कीजिए तथा निर्धनता निवारण हेतु उपयुक्त सुझाव दीजिए।
उत्तर:
भारत में निर्धनता के कारण:
भारत में निर्धनता हेतु जिम्मेदार प्रमुख कारण निम्न प्रकार हैं

  1. सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक असमानता-भारत में विभिन्न प्रान्तों एवं विभिन्न लोगों में सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक विषमता पाई जाती है, जो निर्धनता का एक प्रमुख कारण है। देश में आय एवं धन के वितरण में अत्यधिक विषमता है, जो गरीबी का मुख्य कारण है।
  2. सामाजिक बहिष्कार-देश में समाज के अनेक वर्गों को सामाजिक रूप से बहिष्कृत कर दिया जाता है तथा उनके साथ भेदभाव किया जाता है जिससे निर्धनता में वृद्धि होती है।
  3. बेरोजगारी-देश में रोजगार के पर्याप्त अवसर प्राप्त न हो पाने के कारण बेरोजगारी पाई जाती है जो निर्धनता का एक मुख्य कारण है।
  4. ऋणग्रस्तता-देश में अधिकांश जनसंख्या कृषि पर निर्भर है परन्तु अधिकांश कृषक साहूकार से ऋण लेकर ऋणग्रस्त हो गए तथा वे इस चंगुल से जीवनपर्यन्त बाहर नहीं निकल पाते हैं अत: वे निर्धन हैं।
  5. धन के वितरण की असमानता-देश में धन तथा सम्पत्ति के वितरण में व्यापक विषमता पाई जाती है, जिससे निर्धनता में वृद्धि होती है।
  6. निम्न पूँजी निर्माण-भारत में बचत एवं विनियोग में कमी रहती है, जिससे पूँजी निर्माण की दर बहुत कम है जिस कारण देश में निर्धनता बनी हुई है।
  7. आधारिक संरचनाओं का अभाव-देश में आधारभूत संरचनाओं का अभाव है जिस कारण लोगों को रोजगार के भी कम अवसर उपलब्ध हो पाते हैं तथा रोजगार के अभाव में निर्धनता बढ़ती है।
  8.  माँग का अभाव-देश में अधिकांश जनसंख्या की आर्थिक स्थिति सही नहीं होने के कारण माँग का अभाव पाया जाता है। फलस्वरूप उत्पादन भी कम होता है एवं रोजगार में वृद्धि भी कम होती है जिससे निर्धनता बढ़ती है।
  9. जनसंख्या का दबाव-देश की जनसंख्या में निरन्तर वृद्धि हो रही है तथा यह बढ़ती हुई जनसंख्या निर्धनता का एक प्रमुख कारण है।
  10. सामाजिक/कल्याण व्यवस्था का अभावदेश में सामाजिक एवं कल्याण व्यवस्था का अभाव है जिस कारण निर्धनता पर नियन्त्रण नहीं हो पाता है।
  11. अन्य कारण-उपर्युक्त कारणों के अतिरिक्त भी निर्धनता के अनेक कारण हैं। जैसे-अल्प विकास, निम्न उत्पादकता, निम्न प्रौद्योगिकी, कृषि क्षेत्र की नीची विकास दर, कीमतों में वृद्धि की प्रवृत्ति, सामाजिक कुरीतियाँ, अंधविश्वास, शिक्षा का अभाव इत्यादि।


निर्धनता निवारण हेतु सुझाव भारत में निर्धनता निवारण हेतु निम्न सुझाव दिए जा सकते हैं

  1. सरकारी नीतियों का कुशल संचालन-सरकार ने गरीबी निवारण हेतु अनेक नीतियाँ एवं कार्यक्रम संचालित किए हैं, इनके कुशल संचालन द्वारा निर्धनता निवारण संभव है।
  2. सामाजिक चेतना-देश में निर्धनता निवारण कार्यक्रमों, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि के बारे में सामाजिक चेतना उत्पन्न कर निर्धनता का निवारण किया जा सकता है।
  3. जनसहयोग-केवल सरकार व प्रशासन के प्रयासों से गरीबी का निवारण नहीं हो सकता, इस हेतु जनता को अपना पूरा सहयोग देना चाहिए।
  4. प्रशासनिक सुधार-हमारी प्रशासनिक व्यवस्था अकुशल, भ्रष्ट एवं निर्णय लेने में अक्षम है, अत: देश में एक संवेदनशील एवं कुशल प्रशासन होना चाहिए।
  5. जनसंख्या नियन्त्रण-हमें निर्धनता निवारण हेतु देश की बढ़ती हुई जनसंख्या को उच्च प्राथमिकता देकर नियंत्रित करना चाहिए।
  6. वितरण व्यवस्था में सुधार-देश में असमानताओं एवं निर्धनता को दूर करने हेतु सार्वजनिक वितरण व्यवस्था में सुधार करना चाहिए तथा इसमें भ्रष्टाचार को कम करना चाहिए।
  7. कृषि विकास-हमारे देश में ग्रामीण जनता का अधिकांश भाग कृषि पर निर्भर है, अत: कृषि का विकास कर ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धनता को कम किया जा सकता है।
  8. बचत एवं विनियोग में वृद्धि-साधनों का पूर्ण उपयोग करने के लिए बचत एवं विनियोग में वृद्धि करनी होगी जिससे रोजगार में वृद्धि होगी। इसके लिए कर व्यवस्था, वित्तीय संस्थाओं के ढाँचे एवं विनियोग संस्थाओं की कार्य-प्रणाली में सुधार करना होगा तथा जनता को इसके लिए प्रोत्साहित करना होगा।
  9. औद्योगिक विकास-कृषि पर जनसंख्या के दबाव को कम करने के लिए औद्योगिक विकास पर ध्यान
  10. देना होगा, इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे तथा गरीबी दूर होगी।
  11. उपलब्ध साधनों का पूर्ण उपयोग-भारत में प्राकृतिक एवं मानवीय संसाधनों की कमी नहीं है। देश में उपलब्ध संसाधनों का पूर्ण उपयोग कर गरीबी को कम किया जा सकता है।
  12. ग्रामीण विकास की विशेष योजनाएँ-ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी अधिक व्यापक है, अत: ग्रामीण विकास के विशेष कार्यक्रम लागू कर ग्रामीण क्षेत्रों से गरीबी को कम किया जा सकता है।
  13. शहरी विकास के कार्यक्रम-शहरी क्षेत्र में गरीबी निवारण के विशेष कार्यक्रम लागू किए जा सकते हैं। इसके लिए वित्त एवं तकनीकी सहायता देकर गरीब परिवारों को रोजगार उपलब्ध करवाया जा सकता है।

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प्रश्न 4. 
भारत में औपनिवेशिक शासन की नीतियाँ निर्धनता बढ़ाने में किस प्रकार सहायक सिद्ध हुईं?
अथवा 
ब्रिटिश शासन व्यवस्था से देश में किस प्रकार निर्धनता को बढ़ावा मिला?
उत्तर:
भारत में औपनिवेशिक शासन व्यवस्था की नीतियों के कारण निर्धनता को बढ़ावा मिला। भारत में अंग्रेजों द्वारा कृषकों पर भारी लगान लगाया गया जिससे व्यापारी एवं महाजन बड़े भू-स्वामी बन गए जिस कारण ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धनता में निरन्तर वृद्धि हुई। अंग्रेज भारत को मुख्य रूप से कच्चे माल का निर्यातक बनाना चाहते थे तथा निर्मित माल का आयातक बनाना चाहते थे, अत: उन्होंने अपनी नीतियों से देश की औद्योगिक व्यवस्था को समाप्त कर दिया तथा देश के अधिकांश उद्योग नष्ट हो गए जिसके फलस्वरूप देश में बेरोजगारी एवं निर्धनता में वृद्धि देश में अंग्रेजी व्यवस्था के फलस्वरूप जमींदार एवं जागीरदारों का उदय हुआ जिन्होंने किसानों का शोषण किया, जो निर्धनता का एक मुख्य कारण था।
 

ब्रिटिश शासनकाल में भारत से खाद्यान्नों का निर्यात प्रारम्भ कर दिया गया, जबकि अकाल में यहाँ खाद्य संकट उत्पन्न हो गया था। भारत की अधिकांश आय अंग्रेजों के ऋणों के भुगतान में चली जाती थी जिससे निर्धनता को और बढ़ावा मिला। अंग्रेजों ने हमारे प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक शोषण किया तथा हमारे उद्योगों को भी अपने उत्पादों को सस्ते में अंग्रेजों को बेचने हेतु मजबूर किया, जिसके कारण निर्धनता में तीन वृद्धि हुई।

प्रश्न 5. 
भारत सरकार की निर्धनता निवारण की नीति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
निर्धनता निवारण की नीतियाँ:
भारत सरकार ने निर्धनता निवारण हेतु त्रि: आयामी नीति अपनाई। इस नीति का विस्तृत विवेचन निम्न प्रकार
1. संवृद्धि आधारित रणनीति: इस नीति के अन्तर्गत सरकार ने आर्थिक संवृद्धि अर्थात् सकल घरेलू उत्पाद और प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि का प्रयास किया। इसमें सरकार का मानना था कि इसका प्रभाव धीरे-धीरे समाज के निर्धनतम वर्ग तक पहुंचेगा तथा उनके लिए रोजगार के अवसरों में पर्याप्त वृद्धि होगी। इस हेतु सरकार ने प्रथम कुछ पंचवर्षीय योजनाओं में औद्योगीकरण को बढ़ावा दिया तथा कृषि क्षेत्र में विकास हेतु हरित क्रान्ति की नीति अपनाई। हालांकि यह नीति आंशिक रूप से ही सफल हो पायी। 

2. रोजगार संवर्द्धन की नीति: इस नीति के अन्तर्गत सरकार ने देश में रोजगार के अवसरों में वृद्धि करने हेतु अनेक रोजगार संवर्द्धन कार्यक्रम अपनाए, ताकि रोजगार के अवसर में वृद्धि हो सके। इन कार्यक्रमों को विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में लागू किया गया। इस हेतु सरकार ने अनेक कार्यक्रम अपनाए, जैस - 'काम के बदले अनाज' कार्यक्रम, ग्रामीण युवा स्वरोजगार प्रशिक्षण योजना, समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम, स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना, जवाहर रोजगार योजना, नेहरू रोजगार योजना, रोजगार आश्वासन योजना, स्वर्ण जयन्ती शहरी रोजगार योजना, जवाहर ग्राम समृद्धि योजना सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन इत्यादि।

3. न्यूनतम आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने की नीति-भारत सरकार ने ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में न्यूनतम आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने हेतु अनेक कार्यक्रम प्रारम्भ किए। विशेष रूप से ये कार्यक्रम अनिवार्य खाद्यान्न, पेयजल, शिक्षा, पोषण, स्वास्थ्य सेवाएँ, संचार, विद्युत आपूर्ति आदि से सम्बन्धित थे। निर्धनों में खाद्य उपभोग एवं पोषण के स्तर को सुधारने हेतु तीन प्रमुख कार्यक्रम चलाएसार्वजनिक वितरण व्यवस्था, एकीकृत बाल विकास योजना, मध्यावकाश भोजन योजना।

इसके अतिरिक्त प्रधानमन्त्री ग्राम सड़क योजना, प्रधानमन्त्री ग्रामोदय योजना, वाल्मीकि अम्बेडकर आवास योजना, प्रधानमन्त्री जन-धन योजना आदि भी इसी दिशा में चलाए जाने वाले अन्य कार्यक्रम हैं। केन्द्र सरकार इसी श्रृंखला में राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम चला रही है, इसके अन्तर्गत निराश्रित वृद्ध-जनों को निर्वाह के लिए पेंशन दी जाती है तथा अति निर्धन महिलाएँ और अकेली विधवाएँ भी इसी योजना के अन्तर्गत आती हैं। साथ ही सरकार ने गरीब लोगों को स्वास्थ्य बीमा प्रदान करने की भी कुछ योजनाएँ प्रारम्भ की हैं।

प्रश्न 6. 
भारत के निर्धनता उन्मूलन तथा रोजगार सृजन हेतु चलाए गए विभिन्न कार्यक्रमों को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
अथवा 
गरीबी एवं बेरोजगारी उन्मूलन हेतु संचालित विभिन्न कार्यक्रमों को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
भारत में निर्धनता उन्मूलन एवं रोजगार सृजन हेतु कार्यक्रम भारत सरकार ने गरीबी एवं बेरोजगारी दूर करने हेतु निम्न प्रमुख कार्यक्रम चलाए हैं
1. समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम-इस कार्यक्रम का शुभारम्भ छठी योजना के दौरान गाँवों में रहने वाले गरीब लोगों को आय अर्जित करने की सुविधा जुटाने तथा अपना कारोबार शुरू करने के अवसर प्रदान करने के उद्देश्य
से किया था। 1 अप्रैल, 1999 को इसे स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना में मिला दिया गया। 

2. काम के बदले अनाज कार्यक्रम-यह कार्यक्रम 1970 के दशक में प्रारम्भ किया गया। यह कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में उन गरीबों के लिए लागू किया गया, जो अकुशल श्रमिक हैं तथा काम करना चाहते हैं। इसे बन्द कर दिया गया था किन्तु 14 नवम्बर, 2004 को इसे पुनः शुरू किया गया। अब इस कार्यक्रम को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम में मिला दिया गया है।

3. राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कार्यक्रम-ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार वृद्धि तथा गरीबी निवारण का यह कार्यक्रम 'काम के बदले अनाज' कार्यक्रम की कमियों को दूर करने हेतु चलाया गया किन्तु 1989 में इस कार्यक्रम को जवाहर  रोजगार योजना में मिला दिया गया।

4. ग्रामीण युवाओं को स्वरोजगार हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम-इस योजना को भारत सरकार ने 15 अगस्त, 1979 को ग्रामीण युवाओं को जो गरीबी रेखा से नीचे थे उन्हें कृषि, उद्योग, व्यापारिक गतिविधियों आदि में स्वरोजगार | हेतु प्रशिक्षण देने हेतु चलाया गया। 1 अप्रैल, 1999 को इसे स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना में मिला दिया गया। 

5. जवाहर रोजगार योजना-केन्द्र सरकार ने इस योजना में पूर्व में ग्रामीण क्षेत्रों में चलाए जा रहे रोजगार कार्यक्रमों NREP तथा RLEGP कार्यक्रमों को मिला दिया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य बेरोजगार एवं अन्य रोजगारित ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध करवाकर ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक व सामाजिक पूँजी का निर्माण करना है। अब इस कार्यक्रम के स्थान पर अप्रैल, 1999 से जवाहर ग्राम संवृद्धि योजना प्रारम्भ कर दी

6. इन्दिरा आवास योजना-1999-2000 में शुरू की गई यह योजना गरीबों के लिए निःशुल्क मकानों के निर्माण की प्रमुख योजना है। इस योजना का क्रियान्वयन जिला ग्रामीण विकास अभिकरण अथवा जिला परिषदों द्वारा किया जाता है।

7. रोजगार आश्वासन योजना-यह योजना 2 अक्टूबर, 1993 को देश-भर में लागू की गई। इस योजना के अन्तर्गत 18 से 60 वर्ष तक के सभी ग्रामीणों को 100 दिन के रोजगार का आश्वासन दिया। बाद में इसे सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना में मिला दिया गया।

8. प्रधानमन्त्री की रोजगार योजना-यह योजना गरीबी निवारण एवं स्वरोजगार की योजना है। इस योजना का प्रारम्भ 2 अक्टूबर, 1993 को किया गया, जिसका प्रमुख उद्देश्य 18 से 35 वर्ष के शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार सहायता उपलब्ध करवाना था; परन्तु अनुसूचित जाति, जनजाति, महिलाओं व विकलांगों को आयु सीमा में 10 वर्ष की छूट प्रदान की गई। 2008 में इसे प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम में मिला दिया गया।

9. सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना-सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना का शुभारम्भ 15 अगस्त, 2001 को रोजगार आश्वासन योजना एवं जवाहर ग्राम संवृद्धि योजना को मिलाकर किया गया। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी सामुदायिक, सामाजिक तथा भौतिक सम्पत्ति का निर्माण करना है। इस योजना का एक अन्य उद्देश्य बेरोजगार गरीबों के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न करना तथा खाद्यान्न सुरक्षा है। इस योजना को अब महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी योजना में मिला दिया गया है।

10. स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना-इस योजना का शुभारम्भ 1 अप्रैल, 1999 को किया गया। इस योजना में पूर्व में चल रही समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम, ट्राइसम, ग्रामीण महिला एवं बाल विकास कार्यक्रम, उन्नत टूल किट योजना, दस लाख कुओं की योजना एवं गंगा कल्याण योजना को मिला दिया गया। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार को प्रोत्साहित करना तथा जिन ग्रामीणों को सहायता प्रदान की जा रही है उन्हें तीन वर्षों में गरीबी रेखा से ऊपर उठाना था। इस योजना को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका के नाम से पुनर्गठित किया गया है।

11. स्वर्ण जयन्ती शहरी रोजगार योजना-यह योजना 11 दिसम्बर, 1997 को प्रारम्भ की गई। इसमें पूर्व में चल रही-नेहरू रोजगार योजना, शहरी निर्धनों के लिए मूलभूत सेवा कार्यक्रम तथा प्रधानमन्त्री को समन्वित शहरी गरीबी उन्मूलन योजना को मिला दिया गया। इस योजना का उद्देश्य शहरी निर्धनों को स्वरोजगार उपक्रम स्थापित करने हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करना तथा रोजगार सृजन हेतु उत्पादक परिसम्पत्तियों का निर्माण करना था। सितम्बर, 2013 में इस योजना को राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन से जोड़ दिया गया।

12. अम्बेडकर वाल्मीकि मलिन बस्ती आवास योजना-यह योजना 2 दिसम्बर, 2001 को प्रारम्भ की गई। इस योजना का प्रमुख उद्देश्य शहरी क्षेत्र की गन्दी बस्तियों में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों के लिए आवासीय इकाइयों का निर्माण व उन्नयन करना तथा सामुदायिक शौचालयों का निर्माण करना है।

13. महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम-यह अधिनियम अथवा योजना 2 फरवरी, 2006 को प्रारम्भ की गई तथा 1 अप्रैल, 2008 को इसे सम्पूर्ण देश में लागू कर दिया गया। इस योजना के तहत चयनित जिलों में ग्रामीण क्षेत्रों में चयनित परिवार के एक वयस्क सदस्य को वर्ष में कम-से-कम 100 दिन की अकुशल श्रम वाले रोजगार की गारण्टी दी गई है। 

14. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना 2013-इस योजना - के तहत चिन्हित प्राथमिकता परिवारों के प्रत्येक व्यक्ति को 15 किलोग्राम खाद्यान्न प्रतिमाह रियायती दर पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली की उचित मूल्य की। दुकानों द्वारा उपलब्ध करवाया जाएगा।

15. राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन-इस कार्यक्रम की शुरुआत 12 अप्रैल, 2005 को ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धनतम परिवारों को वहनीय एवं विश्वसनीय गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध करवाने हेतु की गई।

16. प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम-यह कार्यक्रम 15 अगस्त, 2008 को प्रधानमंत्री की रोजगार योजना व - ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम को मिलाकर प्रारम्भ किया - गया। इस कार्यक्रम के तहत ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में छोटे - उद्योगों की स्थापना के जरिए रोजगार के नए अवसर सृजित - किए जाएंगे। 

17. अन्य कार्यक्रम-उपर्युक्त कार्यक्रमों के अतिरिक्त = कई अन्य कार्यक्रम एवं योजनाएँ भी चलाई जा रही हैं; जैसे आम आदमी बीमा योजना, जवाहर ग्राम समृद्धि योजना, अन्नपूर्णा योजना, जननी सुरक्षा योजना, राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम आदि।

RBSE Class 11 Economics Important Questions Chapter 4 निर्धनता

प्रश्न 7. 
भारत में निर्धनता निवारण कार्यक्रमों की समीक्षा कीजिए।
उत्तर:
भारत में सरकार द्वारा निर्धनता उन्मूलन व रोजगार उन्मूलन हेतु अनेक कार्यक्रम प्रारम्भ किए गए। इन कार्यक्रमों के फलस्वरूप कई राज्यों में निर्धनता की निरपेक्ष संख्या में कमी आई है। इसके अतिरिक्त कई राज्यों में लोगों के जीवनस्तर में भी वृद्धि हुई है। किन्तु इन कार्यक्रमों के वांछनीय परिणाम अथवा अपेक्षानुसार परिणाम प्राप्त नहीं हुए हैं। इन कार्यक्रमों से कोई क्रान्तिकारी प्रभाव अर्थव्यवस्था पर नहीं पड़ा है। भारत में निर्धनता के अनुपात में कमी तो हुई है। किन्तु अभी भी निर्धनता का अनुपात काफी ऊँचा बना हुआ है। वर्ष 1973 - 94 में कुल जनसंख्या का 55 प्रतिशत निर्धनता रेखा से नीचे था जो वर्ष 2011 - 12 में 22 प्रतिशत रह गया।

देश के निर्धनता निवारण कार्यक्रमों का अधिकांश लाभ गैर-निर्धन वर्ग को प्राप्त हुआ है। इन कार्यक्रमों में भ्रष्टाचार के कारण गरीबों को पूरा लाभ प्राप्त नहीं हो पाया है। इसके अतिरिक्त इन कार्यक्रमों हेतु आबंटित संसाधन पर्याप्त नहीं रहे तथा संसाधनों के अभाव के कारण निर्धनता उन्मूलन के लक्ष्यों को प्राप्त नहीं किया जा सका है। इन कार्यक्रमों में प्रायः जन-सहयोग का अभाव पाया गया जिससे वांछित परिणाम प्राप्त नहीं हुए। इन नीतियों में उन लोगों पर भी ध्यान नहीं दिया गया, जो गरीबी की रेखा से केवल कुछ ऊपर निवास कर रहे थे। इन कार्यक्रमों की सफलता हेतु जन-सहयोग की अति आवश्यकता है। 

अत: भारत में निर्धनता निवारण कार्यक्रमों से निर्धनता में कमी तो आई किन्तु वांछनीय अथवा कोई क्रान्तिकारी प्रभाव नहीं पड़ा। देश में निर्धनता निवारण हेतु इन कार्यक्रमों को अधिक व्यापक एवं कुशल बनाना होगा एवं निर्धनताग्रस्त क्षेत्रों में आधारिक संरचना का विकास करना होगा।

प्रश्न 8. 
भारत में निर्धनता निवारण कार्यक्रमों की प्रमुख कमियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
निर्धनता निवारण कार्यक्रमों की प्रमुख कमियाँ-भारत में निर्धनता निवारण कार्यक्रमों की प्रमुख कमियाँ निम्न प्रकार हैं

  1. भारत में निर्धनता निवारण एवं रोजगार उन्मूलन हेतु कई अलग-अलग कार्यक्रम चलाए गए, जिनमें परस्पर समन्वय का अभाव पाया गया।
  2. इन कार्यक्रमों का सकारात्मक प्रभाव कुछ राज्यों तक ही सीमित रहा, कुछ राज्यों में इन कार्यक्रमों का विशेष प्रभाव नहीं पड़ा।
  3. भूमि और अन्य परिस्थितियों के वितरण की विषमताओं के कारण प्रत्यक्ष निर्धनता निवारण कार्यक्रमों का लाभ प्रायः गैर-निर्धन वर्ग द्वारा अधिक उठाया गया।
  4. इन कार्यक्रमों हेतु आबंटित संसाधन अपर्याप्त थे जिससे बांछनीय लाभ प्राप्त नहीं हो सके।
  5. इन कार्यक्रमों में अधिकारियों में उपयुक्त चेतना का अभाव, अपर्याप्त प्रशिक्षण, भ्रष्टाचार पाया गया तथा समाज के सशक्त वर्गों के दबाव के कारण संसाधनों का दुरुपयोग अधिक हुआ है।
  6. इन कार्यक्रमों में प्रायः जन-सहयोग का अभाव देखा गया।
  7. इन कार्यक्रमों में समाज के उस वर्ग पर ध्यान नहीं दिया गया जो निर्धनता रेखा से कुछ ऊपर निवास कर
  8. इन कार्यक्रमों के अन्तर्गत निर्धनताग्रस्त क्षेत्रों एवं निर्धनों की सही पहचान नहीं की गई।

RBSE Class 11 Economics Important Questions Chapter 4 निर्धनता

प्रश्न 9. 
निर्धनता के वर्गीकरण को स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
निर्धनता का वर्गीकरण:
निर्धनता के वर्गीकरण की अनेक विधियाँ हैं। मुख्य रूप से निर्धनों को दो भागों में वर्गीकृत किया जा सकता।
(1) चिरकालीन निर्धन: चिरकालीन निर्धन वर्ग में वे लोग आते हैं, जो लम्बे समय से निर्धन हैं। इसे पुन: दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है।
(i) सदैव निर्धन: इसमें वे लोग शामिल हैं, जो सदैव निर्धनता रेखा से नीचे जीवन - यापन करते हैं। सामान्यतः निर्धन - सामान्य वर्ग में वे लोग आते हैं, जो व्यक्ति अधिकांशतः निर्धनता रेखा से नीचे जीवन - यापन करते हैं; किन्तु कभी - कभी उनके पास धन आ जाता है। जैसे - अनियत मजदूर। 

(2)अल्पकालीन निर्धन-अल्पकालीन निर्धन लोग वे होते हैं, जो अल्पकाल हेतु निर्धन वर्ग में आते हैं। इसमें दो प्रकार के लोग शामिल होते हैं।

  1. चक्रीय निर्धन: चक्रीय निर्धन वे होते हैं जो निरन्तर निर्धन तथा यदाकदा निर्धनों के बीच झूलते रहते हैं। कभी वे लम्बे समय तक निर्धन हो जाते हैं तो कभी लम्बे समय तक धनी हो जाते हैं; जैसे-छोटे किसान व मौसमी मजदूर।
  2. यदाकदा निर्धन: यह वह वर्ग है, जो अधिकांश समय धनी रहता है; किन्तु कभी-कभी निर्धनता रेखा से नीचे आ जाता है।

प्रश्न 10. 
दादाभाई नौरोजी की निर्धनता रेखा की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व निर्धनता रेखा की अवधारणा का विचार देने वाले प्रथम व्यक्ति दादाभाई नौरोजी थे। दादाभाई नौरोजी ने जेल के कैदियों को दिए जाने वाले भोजन का बाजार कीमतों पर मूल्यांकन कर 'जेल की निर्वाह लागत' का आकलन किया। किन्तु प्रायः जेलों में वयस्क व्यक्ति ही बन्द होते हैं जबकि समाज में बच्चे भी शामिल होते हैं, अत: जेल की निर्वाह लागत में कुछ संशोधन कर उन्होंने निर्धनता रेखा की अवधारणा का प्रतिपादन करने का प्रयास किया।

इस हेतु उन्होंने यह माना कि देश की कुल जनसंख्या में एक - तिहाई बच्चे होते हैं, जिनमें से आधे बच्चों का उपभोग बहुत कम होता है तथा शेष आधे बच्चों का भोजन भी वयस्कों से आधा ही रहता है। इस प्रकार उन्होंने 3/4 सूत्र की रचना की यथा 1/6 x 0 + 1 / 6  x 1 / 2 + 2 / 3 x 1 - 1 / 12 x 2 / 331 + 8 / 12 = 9 / 12 = 3 / 41 इस आधार पर उन्होंने जनसंख्या के इन तीन खण्डों के उपभोग के भारित औसत को औसत निर्धनता रेखा का माप माना था। यह जेल के वयस्कों की निर्वाह लागत का 3/4 अंश था।

प्रश्न 11. 
भारत में कई किसानों द्वारा आत्महत्या करने हेतु जिम्मेदार कारकों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में विगत दशक में कई स्थानों पर किसानों द्वारा आत्महत्या की गई। देश में किसानों द्वारा आत्महत्या करने के पीछे अनेक कारक जिम्मेदार हैं जिनके कारण देश में किसान आत्महत्या करने पर विवश होते हैं। कई विद्वानों ने किसानों की आत्महत्या के लिए विवश करने वाले अनेक कारकों की व्याख्या की हैं, जो निम्न प्रकार हैं।

  1. परम्परागत कृषि से हटकर उच्च उत्पादकता व्यावसायिक कृषि की ओर उस समय अग्रसर होना जबकि पर्याप्त तकनीकी सुविधाओं का नितान्त अभाव है और सरकार भी अपनी तकनीकी प्रसार योजनाओं के माध्यम से किसानों की सहायता के कार्यक्रमों को समाप्त कर चुकी है।
  2. पिछले दो दशकों में कृषि में सार्वजनिक व्यय एवं निवेश में निरन्तर गिरावट आ रही है। 
  3. अन्तर्राष्ट्रीय कम्पनियों के बीजों में प्रस्फुटन की निम्न दर और निजी दलालों द्वारा नकली बीजों व कीटनाशकों की पूर्ति करना।
  4. कीट संक्रमण, अकाल और फसल का विनाश होना।
  5. महाजनों द्वारा 36 से लेकर 120 प्रतिशत ब्याज की ऊँची दरों पर लिए गए ऋण जिन्हें चुकाने में अधिकांश कृषक असमर्थ रहे।
  6. सस्ते आयातों के कारण कीमत और लाभों में गिरावट आई जिससे कृषकों की आय बहुत कम हो गई तथा उनका जीवन निर्वाह मुश्किल हो गया।
  7. सिंचाई की सुविधाओं का अभाव जिसने किसानों को बहुत गहराई से पानी निकालने वाले पम्प लगाने के लिए अति उच्च ब्याज पर उधार लेने को विवश किया है जिसे न चुकाने के कारण कृषक आत्महत्या कर लेते हैं। अत: भारत में अनेक कारण हैं जिनके कारण कृषक आत्महत्या करने पर विवश हो गये।
Prasanna
Last Updated on July 13, 2022, 4:38 p.m.
Published July 13, 2022