Rajasthan Board RBSE Class 11 Economics Important Questions Chapter 1 अर्थशास्त्र में सांख्यिकी का परिचय Important Questions and Answers.
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वस्तुनिष्ठ प्रश्न:
प्रश्न 1.
जब कोई व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने के लिए वस्तुएँ खरीदता है तो वह कहलाता।
(अ) उत्पादक
(ब) उपभोक्ता
(स) व्यापारी
(द) सेवाप्रदाता
उत्तर:
(ब) उपभोक्ता
प्रश्न 2.
जब कोई व्यक्ति लाभ प्राप्त करने के लिए वस्तुओं को बेचता है तो उसे कहा जाता है।
(अ) उत्पादक
(ब) उपभोक्ता
(स) विक्रेता
(द) सेवाधारी
उत्तर:
(स) विक्रेता
प्रश्न 3.
जब कोई भुगतान लेकर अन्य व्यक्तियों को सेवा प्रदान करता है वह कहलाता है।
(अ) नियोक्ता
(ब) कर्मचारी
(स) व्यापारी
(द) उपभोक्ता
उत्तर:
(अ) नियोक्ता
प्रश्न 4.
जब कोई दूसरों के लिए कार्य करता है तथा उसेपारिश्रमिक मिलता है वह कहलाता है।
(अ) नियोक्ता
(ब) व्यापारी
(स) उत्पादक
(द) कर्मचारी
उत्तर:
(स) उत्पादक
प्रश्न 5.
निम्न में से किसे आर्थिक क्रियाकलाप में शामिल किया जाएगा?
(अ) उपभोग
(ब) उत्पाद
(स) वितरण
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(अ) उपभोग
प्रश्न 6.
सांख्यिकी में मात्रात्मक आँकड़ों का उदाहरण है
(अ) वर्ष 2019 - 20 में देश में गेहूँ का उत्पादन
(ब) वर्ष 2019 - 20 में चावल का आयात
(स) वर्ष 2019 - 20 में बैंक जमा में वृद्धि
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(ब) वर्ष 2019 - 20 में चावल का आयात
प्रश्न 7.
सांख्यिकी का महत्त्व है।
(अ) आर्थिक समस्याओं को समझने में सहायक
(ब) नीति निर्माण में सहायक
(स) आँकड़ों के संक्षिप्तीकरण में सहायक
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(स) आँकड़ों के संक्षिप्तीकरण में सहायक
प्रश्न 8.
निम्न में से आर्थिक समस्या है।
(अ) मूल्य वृद्धि
(ब) बेरोजगारी
(स) निर्धनता
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 9.
जब कोई व्यक्ति किसी वस्तु का उत्पादन करता है तो वह कहलाता है।
(अ) विक्रेता
(ब) उपभोक्ता
(स) उत्पादक
(द) व्यापारी
उत्तर:
(अ) विक्रेता
प्रश्न 10.
डॉक्टर निम्न में से किस श्रेणी के अन्तर्गत आएगा।
(अ) नियोक्ता
(ब) उपभोक्ता
(स) सेवाधारी
(द) विक्रेता
उत्तर:
(अ) नियोक्ता
रिक्त स्थान वाले प्रश्ननीचे दिए गए वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति करें:
प्रश्न 1.
जब हम अपनी आवश्यकताओं की संतुष्टि हेतु वस्तु खरीदते हैं तो हम .................. कहलाते हैं।
उत्तर:
उपभोक्ता
प्रश्न 2.
वकील, बैंकर, टैक्सी चालक, सामान वाहक आदि ................... कहलाते हैं।
उत्तर:
नियोक्ता
प्रश्न 3.
आवास, भोजन, वस्त्र, बिजली, पेयजल आदि, आवश्यकताएँ कहलाती हैं।
उत्तर:
आवश्यक
प्रश्न 4.
जब कोई व्यक्ति किसी वस्तु का उत्पादन करता है तो उसे ................... कहा जाता है।
उत्तर:
उत्पादक
प्रश्न 5.
राष्ट्रीय आय के मजदूरी, लाभ, किराए व ब्याज में विभाजन को .................. कहा जाता है।
उत्तर:
वितरण
सत्य / असत्य वाले प्रश्ननीचे दिए गए कथनों में सत्य / असत्य कथन छाँटिए:
प्रश्न 1.
जब कोई वस्तुओं को स्वयं के लाभ के लिए बेचते हैं तो वह उत्पादक कहलाता है।
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 2.
आर्थिक क्रिया वे होती हैं जो धन प्राप्त करने के लिए की जाती हैं।
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 3.
सांख्यिकी का सम्बन्ध आँकड़ों के एकत्रीकरण, प्रस्तुतीकरण तथा विश्लेषण से होता है।
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 4.
सभी आर्थिक समस्याओं का मुख्य कारण अभाव है।
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 5.
सांख्यिकी आँकड़ों के समूह को संक्षिप्तीकरण करने में सहायक नहीं होती हैं।
उत्तर:
असत्य
मिलान करने वाले प्रश्ननिम्न को सुमेलित कीजिए:
प्रश्न 1.
(1) गैर आर्थिक क्रिया |
(अ) कर्मचारी |
(2) आर्थिक क्रिया |
(ब) उत्पादक |
(3) उत्पादन करने वाला |
(स) ग्रहणी द्वारा गृह कार्य |
(4) दूसरों के लिए कार्य |
(द) किसान द्वारा कृषि करना करने वाला |
(5) भुगतान लेकर सेवा |
(य) नियोक्ता प्रदान करने वाला |
उत्तर:
(1) गैर आर्थिक क्रिया |
(स) ग्रहणी द्वारा गृह कार्य |
(2) आर्थिक क्रिया |
(द) किसान द्वारा कृषि करना करने वाला |
(3) उत्पादन करने वाला |
(ब) उत्पादक |
(4) दूसरों के लिए कार्य |
(अ) कर्मचारी |
(5) भुगतान लेकर सेवा |
(य) नियोक्ता प्रदान करने वाला |
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
सांख्यिकी किसे कहते हैं?
उत्तर:
सांख्यिकी का संबंध आँकड़ों के एकत्रीकरण, प्रस्तुतीकरण तथा विश्लेषण से है।
प्रश्न 2.
आवश्यक आवश्यकताओं के उदाहरण दीजिए।
उत्तर;
भोजन, आवास, वस्त्र, बिजली, पेयजल आदि आवश्यक आवश्यकताएं हैं।
प्रश्न 3.
नियोक्ता के कोई दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 4.
सांख्यिकी के दो महत्त्व बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 5.
आधुनिक अर्थशास्त्र के किसी एक प्रवर्तक का नाम बताइए।
उत्तर:
एल्फ्रेड मार्शल।
प्रश्न 6.
जब कोई व्यक्ति अपने या अपने परिवार की आवश्यकताओं हेतु वस्त्र खरीदता है तो उसे क्या कहा जाता है?
उत्तर:
उपभोक्ता।
प्रश्न 7.
कोई उपभोक्ता वस्तुओं को क्यों क्रय करता है?
उत्तर:
उपभोक्ता अपनी तथा अपने परिवार की आवश्यकताओं की सन्तुष्टि करने हेतु वस्तुएँ खरीदता है।
प्रश्न 8.
विक्रेता किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब कोई व्यक्ति स्वयं के लाभ के लिए वस्तुओं का विक्रय करता है अथवा बेचता है, उसे विक्रेता कहा जाता है।
प्रश्न 9.
उत्पादक किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब कोई व्यक्ति किसी वस्तु का उत्पादन करता है, उसे उत्पादक कहा जाता है।
प्रश्न 10.
जब कोई व्यक्ति आय अथवा पारिश्रमिक हेतु दूसरों के लिए कार्य करता है तो उसे क्या कहा जाता
उत्तर:
कर्मचारी।
प्रश्न 11.
नियोक्ता कौन होता है?
उत्तर:
जब कोई व्यक्ति भुगतान लेकर अन्य व्यक्तियों को सेवा प्रदान करता है, उसे नियोक्ता कहा जाता है।
प्रश्न 12.
आर्थिक क्रिया किसे कहते हैं?
उत्तर:
वे सभी क्रियाएँ आर्थिक क्रियाएँ हैं, जो व्यक्ति द्वारा धन प्राप्त करने के लिए की जाती हैं।
प्रश्न 13.
अर्थशास्त्र की मूलभूत आर्थिक समस्या क्या है?
उत्तर:
आवश्यकताएँ असीमित हैं, जबकि उन्हें पूरा करने हेतु संसाधन सीमित हैं, यही अर्थशास्त्र की मूलभूत आर्थिक समस्या है।
प्रश्न 14.
जब हमारी आवश्यकताएँ असीमित होती हैं तथा साधन सीमित होते हैं, तो हमारे सम्मुख कौनसी समस्या उत्पन्न होती है?
उत्तर:
चुनाव की समस्या।
प्रश्न 15.
सभी आर्थिक समस्याओं का मुख्य कारण क्या हैं?
उत्तर:
सभी आर्थिक समस्याओं का मुख्य कारण अभाव है।
प्रश्न 16.
आर्थिक क्रियाकलापों को कितने भागों में विभाजित किया जा सकता है?
उत्तर:
आर्थिक क्रियाकलापों को प्राय: तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है-उपभोग, उत्पादन तथा वितरण।
प्रश्न 17.
नीतियाँ किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब हम आर्थिक समस्याओं को सुलझाने हेतु उपाय सुझाते हैं तो ऐसे उपायों को नीतियाँ कहा जाता है।
प्रश्न 18.
सांख्यिकी का कोई एक महत्त्व बताइए।
उत्तर:
सांख्यिकी एक ऐसा अपरिहार्य साधन है, जो किसी आर्थिक समस्या को समझने में सहायता करती है।
प्रश्न 19.
वितरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
राष्ट्रीय आय के मजदूरी, लाभ, किराए तथा ब्याज में विभाजन को वितरण कहा जाता है।
प्रश्न 20.
सांख्यिकी में मात्रात्मक आँकड़ों का कोई एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
भारत में वर्ष 2019 - 20 में गेहूँ का उत्पादन।
प्रश्न 21.
सांख्यिकी में गुणात्मक आँकड़ों का कोई एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
भारत में स्वस्थ श्रमिकों की संख्या।
प्रश्न 22.
उत्पादन के साधन कौन - कौन से हैं?
उत्तर:
उत्पादन के चार साधन होते हैं - भूमि, पुँजी, श्रम तथा उद्यमी।
प्रश्न 23.
क्या सांख्यिकी, निपुणता में वृद्धि करती
उत्तर:
हाँ, सांख्यिकी निपुणता में वृद्धि करती है।
प्रश्न 24.
विनिमय किसे कहते हैं?
उत्तर:
व्यक्तियों द्वारा वस्तुओं तथा सेवाओं के परस्पर लेन-देन को विनिमय कहा जाता है।
प्रश्न 25.
आँकड़ों के प्रस्तुतीकरण से क्या अभिप्राय
उत्तर:
आँकड़ों के प्रस्तुतीकरण से अभिप्राय आँकड़ों को ग्राफ, चित्र अथवा तालिका के जरिए प्रस्तुत करने से है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
अर्थशास्त्र के अध्ययन की आवश्यकता के कोई चार कारण बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
सांख्यिकी के कोई चार कार्य बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 3.
अर्थशास्त्र में सांख्यिकी की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
उत्तर:
देश की आधारभूत समस्याओं के अध्ययन हेतु आर्थिक तथ्यों की आवश्यकता पड़ती है, इन आर्थिक तथ्यों को आँकड़े भी कहा जाता है। इन आंकड़ों के आधार पर मूलभूत समस्याओं का अध्ययन किया जाता है। आर्थिक समस्याओं का विश्लेषण करने के पश्चात् आर्थिक समस्याओं को सुलझाने सम्बन्धी उपायों की खोज की जाती है, अर्थशास्त्र में ऐसे उपायों को नीतियों के रूप में जाना जाता है। अतः अर्थशास्त्र में आर्थिक विश्लेषण एवं नीतियों के निर्माण हेतु आँकड़ों का होना आवश्यक है तथा आँकड़ों की प्राप्ति तथा विश्लेषण हेतु सांख्यिकी की आवश्यकता पड़ती है।
प्रश्न 4.
सांख्यिकी से आप क्या समझते हैं?
अथवा
सांख्यिकी का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सांख्यिकी का संबंध आंकड़ों के एकत्रीकरण, प्रस्तुतीकरण तथा विश्लेषण से होता है। सांख्यिकी का संबंध अर्थशास्त्र के क्षेत्र में आँकड़ों से है। आँकड़ों का तात्पर्य मात्रात्मक तथा गुणात्मक उन दोनों प्रकार के तथ्यों से है जिनका अर्थशास्त्र में प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 5.
उपभोक्ता तथा विक्रेता में अन्तर बताइए।
उत्तर:
उपभोग तथा विक्रय अर्थशास्त्र की मुख्य आर्थिक क्रियाएँ हैं। वस्तुओं एवं सेवाओं का उपयोग करने वाला उपभोक्ता तथा विक्रय करने वाला विक्रेता कहलाता है। जब कोई व्यक्ति अपने तथा अपने परिवार की आवश्यकताओं की सन्तुष्टि हेतु वस्तुओं तथा सेवाओं को खरीदता है तो वह उपभोक्ता कहलाता है। इसके विपरीत जब कोई व्यक्ति स्वयं के लाभ के लिए वस्तुओं एवं सेवाओं को बेचता है तो वह विक्रेता कहलाता है।
प्रश्न 6.
उत्पादक तथा कर्मचारी में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उत्पादक तथा कर्मचारी दोनों ही आर्थिक क्रिया करते हैं; किन्तु दोनों की आर्थिक क्रियाओं में अन्तर पाया जाता है। उत्पादक वह होता है जो वस्तुओं का उत्पादन करता है जैसे - किसान द्वारा खाद्यान्न उत्पादन करना आदि। इसके विपरीत कर्मचारी वह व्यक्ति है जो आय प्राप्त करने अथवा पारिश्रमिक प्राप्त करने हेतु कोई नौकरी करता है अथवा दूसरों के लिए कार्य करता है जैसे - किसी व्यक्ति द्वारा उत्पादक के यहाँ लेखापाल कार्य करना आदि।
प्रश्न 7.
कर्मचारी व नियोक्ता में क्या अन्तर होता
उत्तर:
कर्मचारी व नियोक्ता दोनों ही आर्थिक कार्य करते हैं; किन्तु इनमें अन्तर पाया जाता है। कर्मचारी, वह व्यक्ति होता है जो आय अथवा पारिश्रमिक अथवा मजदूरी हेतु नौकरी करता है अर्थात् दूसरों के यहाँ पर कार्य करता है। उदाहरण के लिए किसी व्यक्ति द्वारा बैंक में मैनेजर के रूप में कार्य करना। इसके विपरीत नियोक्ता वह व्यक्ति होता है जो भुगतान लेकर अन्य व्यक्तियों को सेवा प्रदान करते हैं; जैसे-डॉक्टर, वकील, आदि।
प्रश्न 8.
आर्थिक क्रिया किसे कहते हैं?
अथवा
आर्थिक क्रियाओं से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
विभिन्न व्यक्तियों द्वारा विभिन्न प्रकार के कार्य किए जाते हैं। कोई व्यक्ति वस्तुओं का उत्पादन करता है, कोई किसी दूसरे के यहाँ नौकरी करता है तथा कोई व्यक्ति भुगतान लेकर अन्य व्यक्तियों की सेवा करता है। इन सभी क्रियाओं को आर्थिक क्रिया कहा जाता है क्योंकि इन सबसे व्यक्ति आय अथवा धन अर्जन करता है। अत: व्यक्तियों द्वारा की जाने वाली कोई भी ऐसी क्रिया जो व्यक्ति धन प्राप्त करने के लिए करता है वह आर्थिक क्रिया कहलाती है।
प्रश्न 9.
अर्थशास्त्र का आधारभूत सबक क्या है?
उत्तर:
वास्तविक जीवन में मनुष्य की इच्छाएँ तथा आवश्यकताएँ असीमित होती हैं तथा उन इच्छाओं को पूरा करने के लिए उसके पास संसाधन सीमित होते हैं। वह उन सीमित संसाधनों से अपनी सभी आवश्यकताएँ पूरी नहीं कर सकता है। अत: उस समय मनुष्य के सामने चुनाव की समस्या उत्पन्न हो जाती है, वह सभी आवश्यकताओं में से कुछ आवश्यकताओं का चुनाव करता है। अत: वह सबसे पहले उस आवश्यकता को पूरा करता है जो सबसे ज्यादा आवश्यक होती है, यही अर्थशास्त्र का आधारभूत सबक है।
प्रश्न 10.
"अभाव सभी आर्थिक समस्याओं की जड़ है।" इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
यह सत्य है कि अभाव सभी आर्थिक समस्याओं की जड़ है। यदि अभाव न हो तो कोई आर्थिक समस्या उत्पन्न न ही हो। हम अपने दैनिक जीवन में विभिन्न प्रकार के अभावों का सामना करते हैं। रेलवे आरक्षण खिड़कियों पर लगी लम्बी कतारें, भीड़ भरी बसें तथा रेलगाड़ियाँ, आवश्यक वस्तु की कमी, किसी नई फिल्म को देखने के लिए टिकट की भारी भीड़ आदि सभी बातें अभाव को व्यक्त करती हैं। हम अभाव का सामना इसलिए करते हैं क्योंकि जिन वस्तुओं से हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति होती है, उनकी उपलब्धता सीमित होती है। अतः अभाव सभी आर्थिक समस्याओं की जड़
प्रश्न 11.
उपभोग से आप क्या समझते हैं?
अथवा
अर्थशास्त्र में उपभोग के अध्ययन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
अर्थशास्त्र की विभिन्न आर्थिक क्रियाओं में से उपभोग महत्त्वपूर्ण क्रिया है। जब कोई व्यक्ति अपनी तथा अपने परिवार की आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने हेतु कोई वस्तु खरीदता है वह उपभोक्ता कहलाता है तथा उपभोक्ता द्वारा अपनी आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने हेतु विभिन्न वस्तुओं एवं सेवाओं को काम में लेना उपभोग कहलाता है। उपभोक्ता की आवश्यकताएँ असीमित होती हैं तथा उन्हें प्राप्त करने हेतु साधन सीमित होते हैं। अत: उपभोक्ता अपनी सीमित आय को विभिन्न वस्तुओं पर किस प्रकार व्यय करे ताकि वह उससे अधिकतम सन्तुष्टि प्राप्त कर सके? यही उपभोग का अध्ययन होता है।
प्रश्न 12.
उत्पादन के अध्ययन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
उत्पादन एक महत्त्वपूर्ण आर्थिक क्रिया है। जब कोई व्यक्ति लोगों की आवश्यकता सन्तुष्ट करने हेतु कोई वस्तु बनाता है अथवा उत्पादित करता है तो वह उत्पादक कहलाता है। उत्पादक के सम्मुख भी चुनाव की प्रमुख समस्या होती है। कोई उत्पादक जिसे अपनी लागत तथा कीमतों का ज्ञान होता है, इसका चयन कैसे करता है कि बाजार में क्या उत्पाद करे? इसे ही उत्पादन का अध्ययन कहा जाता है।
प्रश्न 13.
वितरण का अध्ययन क्या है?
उत्तर:
वितरण महत्त्वपूर्ण आर्थिक क्रिया है। जब कोई साहसी पूँजी, श्रम व भूमि की सहायता से वस्तुओं का उत्पादन करता है तो इससे देश को आय प्राप्त होती है, जो कि देश के उत्पादन से प्राप्त होती है। इस उत्पादन में उत्पादन के सभी साधनों यथा - पूंजी, श्रम, भूमि तथा साहसी का हिस्सा होता है। अतः देश के कुल उत्पादन में से लाभ, लगान, ब्याज तथा मजदूरी का वितरण कैसे किया जाए? यही वितरण का अध्ययन है।
प्रश्न 14.
नीति निर्धारण में आँकड़ों का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
जब हम देश की किसी मूलभूत समस्या को दूर करना चाहते हैं तो उस समस्या का विश्लेषण आवश्यक है। इस प्रकार के अध्ययन के लिए आवश्यक है कि हम आर्थिक तथ्यों को संख्या के रूप में भली - भाँति जानें, इस प्रकार के आर्थिक तथ्यों को आंकड़े कहा जाता है। इन आर्थिक समस्याओं के बारे में आंकड़े संग्रह करने का उद्देश्य इन समस्याओं के विभिन्न कारणों को जानना और उनकी व्याख्या करना है तथा इन समस्याओं को सुलझाने के लिए इसी व्याख्या के आधार पर नीतियाँ बनाई जाती हैं।
प्रश्न 15.
आँकड़ों के विभिन्न प्रकारों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आँकड़ों को मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित किया जाता है: मात्रात्मक आँकड़े तथा गुणात्मक आँकड़े। मात्रात्मक आँकड़े उन आँकड़ों को कहा जाता है जिन्हें संख्याओं के द्वारा मापा जा सकता है अथवा संख्या के रूप में व्यक्त किया जा सकता है जैसे वर्ष 2019-20 में देश में उत्पादित खाद्यान्न की मात्रा। दूसरे प्रकार के आँकड़े गुणात्मक आँकड़े हैं। गुणात्मक आँकड़ों से अभिप्राय उन चरों से है जिन्हें संख्याओं द्वारा मापना संभव नहीं है। जैसे-सुन्दरता।
प्रश्न 16.
अर्थशास्त्र में गुणात्मक आँकड़े महत्त्वपूर्ण क्यों होते हैं?
उत्तर:
अर्थशास्त्र में मात्रात्मक आँकड़ों के साथ ही गुणात्मक आँकड़ों का भी प्रयोग होता है। इस प्रकार की सूचना की मुख्य विशेषता यह होती है कि इसमें किसी व्यक्ति विशेष या व्यक्तियों के समूह विशेष के ऐसे महत्त्वपूर्ण गुणों की व्याख्या होती है, जिन्हें मात्रात्मक रूप से तो नहीं मापा जा सकता, लेकिन यथासंभव सही रूप से आलेखित करना आवश्यक होता है। उदाहरण के लिए, लोगों के अच्छे तथा बुरे स्वास्थ्य की तुलना हेतु गुणात्मक आँकड़ों की आवश्यकता पड़ती है।
प्रश्न 17.
सांख्यिकी आर्थिक समस्या को समझने में किस प्रकार सहायक होती है?
उत्तर:
सांख्यिकी एक ऐसा अपरिहार्य साधन है, जो किसी आर्थिक समस्या को समझने एवं उसके निवारण हेतु नीति-निर्माण में सहायक होता है। सांख्यिकी की विभिन्न विधियों का प्रयोग करते हुए किसी आर्थिक समस्या के कारणों को गुणात्मक एवं मात्रात्मक आँकड़ों की सहायता से खोजने का प्रयास किया जाता है। एक बार जब समस्या के कारणों का पता चल जाता है, तब इससे निपटने के लिए निश्चित नीतियों का निर्माण करना सरल हो जाता है।
प्रश्न 18.
सांख्यिकी के कोई तीन महत्त्व बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 19.
पूर्वानुमान लगाने में सांख्यिकी का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
अर्थशास्त्री प्रायः किसी अन्य कारक में परिवर्तन के फलस्वरूप किसी एक आर्थिक कारक में परिवर्तनों का पूर्वानुमान लगाने में रुचि रखते हैं। उदाहरणार्थ, अर्थशास्त्रियों की रुचि भविष्य की राष्ट्रीय आय पर आज के निवेश के प्रभाव को जानने में हो सकती है। इस प्रकार की कोई भी कार्य प्रक्रिया सांख्यिकी के ज्ञान के बिना नहीं की जा सकती है। सांख्यिकी की विभिन्न विधियों का प्रयोग कर आसानी से पूर्वानुमान लगाया जा सकता है।
प्रश्न 20.
सांख्यिकी विधियों से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
सांख्यिकी विधियों से हमारा अभिप्राय उन विधियों से है, जो अनेक कारणों से प्रभावित संख्यात्मक आँकड़ों की व्याख्या करने के लिए विशेष रूप से उपयोगी होती हैं। सांख्यिकी विधियों के अन्तर्गत वे सभी विधियाँ शामिल की जाती हैं जिनका सम्बन्ध संख्यात्मक आँकड़ों के संग्रहण, व्यवस्थीकरण, प्रस्तुतीकरण, विश्लेषण तथा निर्वाचन से है।
प्रश्न 21.
व्यावहारिक सांख्यिकी किसे कहा जाता है?
उत्तर:
व्यावहारिक सांख्यिकी के अन्तर्गत उन सभी विधियों का अध्ययन किया जाता है जिनका उपयोग विशेष समस्याओं के समाधान के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय आय, कृषि क्षेत्रक, उद्योग क्षेत्रक, बेरोजगारी, निर्धनता आदि का अध्ययन करने के लिए जिन सांख्यिकी विधियों तथा तकनीकों का प्रयोग किया जाता है उन्हें व्यावहारिक सांख्यिकी कहा जाता है।
प्रश्न 22.
तथ्यों की तुलना में सांख्यिकी के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सांख्यिकी में आँकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है। तुलनात्मक अध्ययन के बिना आंकड़े अर्थहीन हो सकते हैं और उद्देश्यों को पूरा नहीं कर पाते हैं, आंकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन करने पर आंकड़ों की उपयोगिता में वृद्धि की जा सकती है। जैसे यह कहा जाए कि राम के अर्थशास्त्र में प्राप्तांक 60 हैं। इसके आधार पर कोई भी निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है। परन्तु यह कहा जाये कि राम के अर्थशास्त्र में प्राप्तांक 60 तथा मनीष के प्राप्तांक 75 हैं तो दोनों समंकों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि राम की तुलना में मनीष के प्राप्तांक अधिक हैं।
प्रश्न 23.
आँकड़ों को सरलता से प्रस्तुत करने में सांख्यिकी किस प्रकार सहायक है?
उत्तर:
सांख्यिकी में जटिल तथ्यों अथवा आँकड़ों को छोटे समूह या वर्गों में रखकर सरल बनाने का प्रयास किया जाता है। आँकड़ों को एकत्र कर उन्हें प्रभावी रूप से प्रस्तुत करना सांख्यिकी का मुख्य कार्य है। संक्षिप्त एवं उचित प्रस्तुतीकरण से उपयोगिता तथा प्रभावशीलता बनी रहती है अन्यथा आँकड़ों को समझने में असुविधा होती है। बिन्दुरेखीय एवं चित्रमय प्रदर्शन द्वारा आँकड़ों को सरलता से समझा जा सकता है। सरल आँकड़ों को याद करना आसान होता है तथा वे लम्बे समय तक मस्तिष्क पर प्रभाव डालते हैं।
निबन्धात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
अर्थशास्त्र से आप क्या समझते हैं? अर्थशास्त्र की विभिन्न आर्थिक क्रियाओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अर्थशास्त्र का अर्थ-हमारी आवश्यकताएँ असीमित हैं तथा उन्हें पूरा करने हेतु संसाधन सीमित हैं। अतः अर्थशास्त्र की नीतियों एवं सिद्धान्तों की सहायता से हम अपनी असीमित आवश्यकताओं को सीमित संसाधनों के कुशल प्रयोग द्वारा अधिक से अधिक सन्तुष्ट करने का प्रयास करते हैं। दूसरे शब्दों में, व्यक्ति और समाज अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तथा समाज के विभिन्न व्यक्तियों एवं समूहों में उपयोग हेतु वितरित करने के लिए इसका चुनाव कैसे करे कि वैकल्पिक प्रयोग बाले अल्प संसाधनों का प्रयोग विभिन्न वस्तुओं के उत्पादन में हो सके, अर्थशास्त्र इसका अध्ययन है।
आर्थिक क्रियाएँ: अर्थशास्त्र में आर्थिक क्रियाओं को मुख्य रूप से निम्न चार भागों में विभाजित किया जा सकता है।
(1) उपभोग: जब कोई व्यक्ति अपने तथा अपने परिवार की आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने हेतु कोई वस्तु खरीदता है या सेवा का उपभोग करता है तो वह उपभोक्ता कहलाता है। उपभोक्ता यह निर्णय कैसे करता है कि वह अपनी निश्चित आय और ज्ञात कीमतों को देखते हुए अनेक वैकल्पिक वस्तुओं एवं सेवाओं को खरीदे, यह उपयोग का अध्ययन है।
(2) उत्पादन: जब कोई व्यक्ति लोगों की आवश्यकता को सन्तुष्ट करने हेतु कोई वस्तु बनाता है तो वह उत्पादक कहलाता है। कोई उत्पादक, जिसे अपनी लागत और कीमतें ज्ञात हैं, इसका चयन कैसे करता है कि बाजार के लिए क्या उत्पादन करे? यह उत्पादन का अध्ययन
(3) वितरण: साहसी, उत्पादन के विभिन्न साधनों का उपयोग कर उत्पादन करता है। देश के कुल उत्पादन को ही राष्ट्रीय आय कहा जाता है। इस राष्ट्रीय आय को उत्पादन के विभिन्न साधनों यथा - भूमि, श्रम, पूँजी तथा साहसी में किस प्रकार वितरित किया जाता है? यही वितरण का अध्ययन है।
(4) विनिमय: जब वस्तुओं एवं सेवाओं का आपस में लेन - देन किया जाता है तो वह विनिमय कहलाता है। वस्तुओं एवं सेवाओं का क्रय - विक्रय या लेन - देन कीमतों के आधार पर किया जाता है।
प्रश्न 2.
सांख्यिकी से आप क्या समझते हैं? सांख्यिकी के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सांख्यिकी का अर्थ-सांख्यिकी का संबंध आँकड़ों के एकत्रीकरण, प्रस्तुतीकरण तथा विश्लेषण से है। सांख्यिकी शब्द का प्रयोग दो अर्थों में किया जाता है-एक एकवचन के रूप में तथा दूसरा बहुवचन के रूप में। एकवचन के रूप में सांख्यिकी शब्द का अर्थ संख्याओं के संकलन, वर्गीकरण तथा प्रयोग का विज्ञान है अर्थात् कोई संख्यात्मक तथ्य है। बहुवचन के रूप में सांख्यिकी शब्द का सरल अर्थ 'आँकड़ों' से है। ऑक्सफोर्ड शब्दकोश के अनुसार बहुवचन के रूप में सांख्यिकी का तात्पर्य, "व्यवस्थित रूप से संगृहीत तथ्यों" से है। सांख्यिकी अथवा आंकड़ों का तात्पर्य मात्रात्मक एवं गुणात्मक उन दोनों प्रकार के तथ्यों से है, जिनका अर्थशास्त्र में प्रयोग किया जाता है।
सांख्यिकी का महत्त्व / आवश्यकता: सांख्यिकी के महत्व अथवा आवश्यकता को निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट किया जा सकता है।
(1) आर्थिक समस्या को समझने में सहायककिसी अर्थशास्त्री के लिए सांख्यिकी एक ऐसा अपरिहार्य साधन है, जो किसी आर्थिक समस्या को समझने में उसकी सहायता करता है। इसकी विभिन्न विधियों का उपयोग करते हुए किसी आर्थिक समस्या के कारणों को गुणात्मक एवं मात्रात्मक तथ्यों की सहायता से खोजने का प्रयास किया जाता है। अत: सांख्यिकी की सहायता से आर्थिक समस्या को आसानी से समझा जा सकता है।
(2) नीति निर्धारण में सहायक: सांख्यिकी की सहायता से आर्थिक समस्याओं को आसानी से समझा जा सकता है तथा उनके कारणों का भी पता लगाया जा सकता है तथा आर्थिक समस्याओं के इस विश्लेषण के आधार पर
नीतियों का निर्माण किया जा सकता है।
(3) अधिक विश्वसनीय तथ्य: सांख्यिकी किसी अर्थशास्त्री को आर्थिक तथ्यों को यथातथ्य तथा निश्चित रूप से प्रस्तुत करने योग्य बनाता है जो, दिए गए कथन को सही ढंग से समझने में सहायता करता है। जब आर्थिक तथ्यों को सांख्यिकीय रूप में व्यक्त किया जाता है तब वे यथार्थ तथ्य बन जाते हैं। यथार्थ तथ्य अस्पष्ट कथनों की अपेक्षा अधिक विश्वसनीय होते हैं।
(4) सरल प्रस्तुतीकरण: सांख्यिकी में जटिल तथ्यों को छोटे समूह या वर्गों में रखकर सरल बनाने का प्रयास किया जाता है। आंकड़ों को प्रभावी रूप से प्रस्तुत करना सांख्यिकी का मुख्य कार्य है। संक्षिप्त एवं उचित प्रस्तुतीकरण से उपयोगिता व प्रभावशीलता बनी रहती है अन्यथा आँकड़ों को समझने में असुविधा होती है। बिन्दुरेखीय एवं चित्रमय प्रदर्शन द्वारा भी आँकड़ों को सरलता से समझा जा सकता है।
(5) आँकड़ों का संक्षिप्तीकरण: सांख्यिकी, आँकड़ों के समूह को कुछ संख्यात्मक मापों के रूप में संक्षिप्त करने में सहायता करती है, ये संख्यात्मक माप आँकड़ों के संक्षिप्तीकरण में सहायता करते हैं। सांख्यिकी के द्वारा आँकड़ों के समूह के विषय में सार्थक एवं समग्न सूचनाएँ प्रस्तुत की जाती हैं।
(6) विभिन्न आर्थिक कारकों के बीच सम्बन्धों का ज्ञान: सांख्यिकी का प्रयोग विभिन्न आर्थिक कारकों के बीच सम्बन्धों को ज्ञात करने के लिए किया जाता है। किसी एक कारक में परिवर्तन का अन्य कारक पर क्या प्रभाव पड़ेगा तथा कितना प्रभाव पड़ेगा यह सांख्यिकी की सहायता से आसानी से जाना जा सकता है।
(7) पूर्वानुमान लगाने में सहायक: अर्थशास्त्री किसी अन्य कारक में परिवर्तन के फलस्वरूप किसी एक आर्थिक कारक में परिवर्तनों का पूर्वानुमान लगाने में रुचि रख सकते हैं। उदाहरणार्थ, उनकी रुचि भविष्य की राष्ट्रीय आय पर आज के निवेश के प्रभाव को जानने में हो सकती है। इस प्रकार की कोई भी कार्य-प्रक्रिया सांख्यिकी के ज्ञान के बिना नहीं की जा सकती है।
(8) तथ्यों की तुलना करना: सांख्यिकी में आंकड़े का तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है। इसके अध्ययन के बिना आँकड़े अर्थहीन हो सकते हैं और उद्देश्यों को पूरा नहीं कर पाते हैं, तुलना करने पर आँकड़ों की उपयोगिता में वृद्धि की जा सकती है।
प्रश्न 3.
अर्थशास्त्र में पूर्वानुमान लगाने में सांख्यिकी की क्या भूमिका है?
उत्तर:
अर्थशास्त्र में अर्थशास्त्री किसी अन्य कारक में परिवर्तन के फलस्वरूप किसी एक आर्थिक कारक में परिवर्तनों का पूर्वानुमान लगाने में रुचि रख सकते हैं। उदाहरणार्थ, अर्थशास्त्रियों की रुचि भविष्य में राष्ट्रीय आय पर वर्तमान में किए निवेश के प्रभाव को जानने में हो सकती है। इस प्रकार की कोई भी कार्य-प्रक्रिया सांख्यिकी के ज्ञान के बिना नहीं की जा सकती है। सांख्यिकी की विधियों की सहायता से सरलता से पूर्वानुमान लगाए जा सकते हैं।
कभी - कभी योजनाओं एवं नीतियों के निर्माण के लिए भविष्य की प्रवृत्तियों के ज्ञान की आवश्यकता होती है। उदाहरणार्थ, एक आर्थिक योजनाकार 2019 में यह निर्णय करता है कि 2021 में अर्थव्यवस्था में कितना उत्पादन होना चाहिए। दूसरे शब्दों में, यह जानना आवश्यक होगा कि वर्ष 2021 के लिए उत्पादन योजना निश्चित करने के लिए वर्ष 2021 में अपेक्षित उपभोग स्तर क्या होगा? ऐसी स्थिति में कोई व्यक्ति वर्ष 2021 के उपभोग के अनुमान के आधार पर निर्णय ले सकता है। विकल्प के रूप में, वह वर्ष 2021 में उपभोग के पूर्वानुमान के लिए सांख्यिकीय विधियों का प्रयोग करता है। ऐसा पिछले वर्षों के अथवा हाल के कुछ वर्षों के सर्वेक्षण से प्राप्त उपभोग आँकड़ों के आधार पर हो सकता है।
प्रश्न 4.
विभिन्न आर्थिक कारकों के बीच सम्बन्धों को ज्ञात करने में सांख्यिकी किस प्रकार सहायक है।
उत्तर:
सांख्यिकी का प्रयोग विभिन्न आर्थिक कारकों के बीच सम्बन्धों को ज्ञात करने के लिए किया जाता है। किसी अर्थशास्त्री की रुचि यह जानने में हो सकती है कि जब किसी वस्तु की कीमत में कमी अथवा वृद्धि होती है तो उसकी मांग पर क्या प्रभाव पड़ता है? या फिर उस वस्तु की अपनी ही कीमतों में परिवर्तन से उसकी पूर्ति कैसे प्रभावित होगी? या जब लोगों की औसत आय बढ़ती है तो क्या उनके उपभोग व्यय पर क्या प्रभाव पड़ेगा? या जब सार्वजनिक व्यय बढ़ जाता है।
तो सामान्य मूल्य स्तर पर क्या प्रभाव पड़ता है? ऐसे प्रश्नों का उत्तर तभी दिया जा सकता है जब विभिन्न आर्थिक घटकों के बीच किसी प्रकार का सम्बन्ध विद्यमान हो इस प्रकार का कोई सम्बन्ध है या नहीं, इसे उन आँकड़ों में सांख्यिकीय विधियों का प्रयोग करके सरलता से सत्यापित किया जा सकता है। कभी-कभी अर्थशास्त्री उनके बीच एक निश्चित सम्बन्ध की कल्पना करके इसका परीक्षण कर सकते हैं कि सम्बन्ध के बारे में उनकी पूर्व धारणा वैध है या नहीं। अर्थशास्त्री ऐसा केवल सांख्यिकीय तकनीकों का प्रयोग करके ही कर सकता है।