RBSE Solutions for Class 7 Social Science History Chapter 6 नगर, व्यापारी और शिल्पिजन

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 7 Social Science History Chapter 6 नगर, व्यापारी और शिल्पिजन Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 7 Social Science Solutions History Chapter 6 नगर, व्यापारी और शिल्पिजन

RBSE Class 7 Social Science नगर, व्यापारी और शिल्पिजन InText Questions and Answers

पृष्ठ संख्या 76 

प्रश्न 1. 
आपके मत में लोग तंजावूर को एक महान नगर क्यों मानते थे? 
उत्तर:
तंजावूर एक मंदिर शहर था और लोग इसे एक महान नगर मानते थे, क्योंकि-

  • यह चोल साम्राज्य की अर्थव्यवस्था का केन्द्र था तथा नगरीकरण का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण प्रतिरूप था। 
  • यह कावेरी नदी के डेल्टा पर स्थित राजधानी नगर था तथा इसमें राजराजेश्वर मंदिर था। 
  • नगर के लिए जल की आपूर्ति कुओं तथा तालाबों से होती थी। 
  • यह अनाज, मसालों, कपड़ों तथा आभूषणों की बिक्री का बड़ा बाजार था। 

पृष्ठ संख्या 77 

प्रश्न 1. 
आपके विचार से लुप्तमोम प्रविधि' के प्रयोग के क्या-क्या लाभ थे? 
उत्तर:
चोलकालीन कांस्य मूर्तियाँ 'लुप्तमोम' तकनीक से बनाई जाती थीं। इस तकनीक से देवता की आकृति हूबहू उसी प्रकार की बन जाती थी, जैसी कि मूर्ति रेखांकित की गई थी। 

पृष्ठ संख्या 79 

प्रश्न 1. 
आज बाजार पर लगने वाले करों के बारे में कुछ और जानकारी प्राप्त करें-इन्हें कौन इकट्ठा करता है, वे किस प्रकार वसूल किए जाते हैं और उनका प्रयोग किस काम के लिए होता है? 
उत्तर:
वर्तमान में केवल एक टैक्स 'जीएसटी' वसूला जाता है जिसमें केन्द्र और राज्य सरकारों का अपना-अपना प्रतिशत होता है। इनका प्रयोग दोनों सरकारें जनता के कल्याणकारी कार्यों, रक्षा कार्यों तथा विकास कार्यों के लिए करती हैं। 

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पृष्ठ संख्या 80

प्रश्न 1. 
इस काल के दौरान लोगों तथा माल का आनाजाना लगा ही रहता था। आपके विचार से इस आवाजाही का नगरों तथा गाँवों के जनजीवन पर क्या प्रभाव पड़ा होगा? नगरों में रहने वाले कारीगरों की सूची बनाइए। 
उत्तर:
इस काल के दौरान भिन्न-भिन्न प्रकार के कारीगरों तथा शिल्पियों; जैसे-कुम्हारों, तेलियों, शक्कर बनाने वालों, ताड़ी बनाने वालों, सुनारों, लोहारों, पत्थर तोड़ने वाले आदि के अलग-अलग बाजार होते थे। कुछ व्यापारी तो नगरों में स्थायी रूप से बसकर अपना कारोबार चलाते थे, जबकि कुछ अन्य व्यापारी नगर-नगर घूम-घूमकर क्रय-विक्रय किया करते थे। आस-पास व दूर-दराज के व्यापारी इन नगरों में स्थानीय उपज खरीदने और दूरवर्ती स्थानों के उत्पाद, जैसे-घोड़े, नमक, कपूर, केसर, पान-सुपारी और कालीमिर्च जैसे मसाले बेचने आते थे। 

इस प्रकार इस काल के दौरान लोगों का तथा माल का आना-जाना लगा रहता था। इस आवाजाही का नगरों तथा गाँवों के जीवन पर यह प्रभाव पड़ा कि इससे व्यापार बढ़ा, लोगों की आवश्यकताएँ हाट व बाजारों में पूरी होने लगीं। नगरीकरण बढ़ा। 

पृष्ठ संख्या 83

प्रश्न 1. 
आपके विचार से हम्पी नगर किलेबंद क्यों था? 
उत्तर:
हमारे विचार से हम्पी नगर आक्रमणकारियों से रक्षा के लिए किलेबंद किया गया था। 

पृष्ठ संख्या 85

प्रश्न 1. 
अंग्रेजों और हॉलैंडवासियों ने मसूलीपट्टनम में अपनी बस्तियाँ बसाने का निर्णय क्यों लिया? 
उत्तर:
मसूलीपट्टनम गोलकुण्डा का मुख्य पत्तन था। यह अंग्रेजों तथा हॉलैण्डवासियों के लिए यहाँ निवास करने तथा व्यापार करने की सुविधा मिलती थी। इसलिए अंग्रेजों और हॉलैंडवासियों ने मसूलीपट्टनम में अपनी बस्तियाँ बसाने का निर्णय लिया।

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RBSE Class 7 Social Science नगर, व्यापारी और शिल्पिजन Textbook Questions and Answers

कल्पना करें-

प्रश्न 1.
आप सत्रहवीं शताब्दी में सूरत से पश्चिमी एशिया की यात्रा करने की योजना बना रहे हैं। इस संबंध में आप कैसी तैयारियाँ करेंगे?
उत्तर:
मैं वहाँ बेचने के लिए सूरत से जरी के बार्डर तथा सूती कपड़े की कुछ वस्तुओं की व्यवस्था कर उन्हें अपने साथ ले जाऊँगा। मैं अरब सागर के रास्ते से जाऊँगा। मैं पश्चिमी एशिया के कुछ देशों, विशेषकर सऊदी अरब की .यात्रा करूँगा। वहाँ से अपने देश में बेचने के लिए कुछ वस्तुएँ खरीदूंगा और वापस अपने देश में आ जाऊँगा। 

फिर से याद करें-

प्रश्न 1. 
रिक्त स्थानों की पर्ति करें: 
(क) राजराजेश्वर मंदिर ........... में बनाया गया था। 
(ख) अजमेर सूफी सन्त .......... से संबंधित है। 
(ग) हम्पी .............. साम्राज्य की राजधानी थी। 
(घ) हॉलैंडवासियों ने आंध्रप्रदेश में .............. पर अपनी बस्ती बसाई। 
उत्तर:
(क) 999 ई. 
(ख) ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती 
(ग) विजयनगर 
(घ) मसलीपट्टनम। 

प्रश्न 2. 
बताइए क्या सही है और क्या गलत : 
(क) हम राजराजेश्वर मंदिर के मूर्तिकार (स्थापित) का नाम एक शिलालेख से जानते हैं। 
(ख) सौदागर लोग काफिलों में यात्रा करने की बजाय अकेले यात्रा करना अधिक पसंद करते थे। 
(ग) काबुल हाथियों के व्यापार का मुख्य केन्द्र था। 
(घ) सूरतं बंगाल की खाड़ी पर स्थित एक महत्त्वपूर्ण व्यापारिक पत्तन था। 
उत्तर:
(क) सही 
(ख) गलत 
(ग) गलत 
(घ) गलत। 

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प्रश्न 3. 
तंजावूर नगर को जल की आपूर्ति कैसे की जाती थी? 
उत्तर:
तंजावूर नगर को जलापूर्ति कुओं और तालाबों से की जाती थी। 

प्रश्न 4. 
मद्रास जैसे बड़े नगरों में स्थित 'ब्लैक टाउन्स' में कौन रहता था? 
उत्तर:
मद्रास जैसे बड़े नगरों में स्थित 'ब्लैक टाउन्स' में भारतीय व्यापारी और शिल्पकार रहते थे। 

आइये समझें-

प्रश्न 5. 
आपके विचार से मंदिरों के आस-पास नगर क्यों विकसित हुए? 
उत्तर:

  • शासक मंदिरों को भूमि एवं धन अनुदान देते थे, जिनकी आय से धार्मिक अनुष्ठान सम्पन्न कराये जाते थे, तीर्थयात्रियों तथा पुरोहित-पीड़ितों को भोजन कराया जाता था। इसके साथ ही मंदिरों को दर्शनार्थियों द्वारा भी धन की प्राप्ति होती.थी। 
  • मंदिर के कर्ता-धर्ता मंदिर के धन को व्यापार एवं साहूकारी में लगाते थे। 
  • शनैःशनैः समय के साथ, बड़ी संख्या में पुरोहितपुजारी, कामगार, शिल्पी, व्यापारी मंदिर तथा उसके दर्शनार्थियों एवं तीर्थयात्रियों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मंदिर के आस-पास बसते गए। इस प्रकार मंदिर नगरों का विकास हुआ। 
  • इसी रीति से मंदिर के चारों ओर अनेक नगरों का आविर्भाव हुआ, जैसे-मध्यप्रदेश में भिल्लस्वामिन (विदिशा) और गुजरात में सोमनाथ, तमिलनाडु में कांचीपुरम और आंध्रप्रदेश में तिरुपति। 

प्रश्न 6. 
मंदिरों के निर्माण तथा उनके रख-रखाव के लिए शिल्पीजन कितने महत्त्वपूर्ण थे? 
उत्तर:
मंदिरों का निर्माण राजाओं द्वारा कराया जाता था। इनके निर्माण में भारी धन और नवीनतम तकनीकों व नक्काशी का प्रयोग होता था क्योंकि मंदिर भव्यता और ईश्वरत्व के प्रतीक होते थे। अतः इनके निर्माण में शिल्पीजनों; जैसेसुनार, कसेरे, लोहार, बढ़ई, राजमिस्त्री आदि की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती थी। 

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प्रश्न 7. 
लोग दूर-दूर के देशों-प्रदेशों से सूरत क्यों आते थे? 
उत्तर:
लोग दूर-दूर के देशों-प्रदेशों से सूरत आते थे, क्योंकि-
1. पश्चिमी व्यापार का वाणिज्य केन्द्र-मुगलकाल में सूरत, गुजरात में पश्चिमी व्यापार का वाणिज्य केन्द्र बन गया था। यह ओरमुख की खाड़ी से होकर पश्चिमी एशिया के साथ व्यापार करने के लिए मुख्य द्वार था। 

2. सर्वदेशीय नगर तथा प्रसिद्ध बंदरगाह-सूरत एक सर्वदेशीय नगर व प्रसिद्ध बंदरगाह था। बहुत से हजयात्री, जहाज से यहीं से रवाना होते थे। यहाँ सभी जातियों और धर्मों के लोग रहते थे। 17वीं सदी में यहाँ पुर्तगालियों, डचों और अंग्रेजों के कारखाने व मालगोदाम थे। 

3. वस्त्रों की प्रसिद्धि-सूरत में ऐसी अनेक दुकानें थीं जो सूती कपड़ा थोक व फुटकर कीमतों पर बेचती थीं। सूरत के वस्त्र अपने सुनहरे गोटा-किनारियों (जरी) के लिए प्रसिद्ध थे और उनके लिए पश्चिम एशिया, अफ्रीका और यूरोप में बाजार उपलब्ध थे। 

4. अन्य विशिष्टताएँ-

  • यहाँ विश्व के सभी भागों से आने वाले लोगों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अनेक विश्रामग्रह बना रखे थे। 
  • यहाँ भव्य भवन तथा असंख्य मनोरंजन-स्थल थे। 
  • यहाँ काठियावाड़ी सेठों और महाजनों की बड़ी-बड़ी साहूकारी कंपनियाँ थीं। यहाँ से जारी की गई हुडियों को दूर-दूर तक-मिस्र में काहिरा, इराक में बसरा और बेल्जियम में एंटवर्प के बाजारों में मान्यता प्राप्त थी। 

प्रश्न 8. 
कलकत्ता जैसे नगरों में शिल्प उत्पादन तंजावूर जैसे नगरों के शिल्प उत्पादन से किस प्रकार भिन्न था? 
उत्तर:
कलकत्ता एक व्यापारिक नगर था। इसलिए यहाँ शिल्प-उत्पादन सूती, रेशमी व जूट उत्पादन तक सीमित था। दूसरी तरफ तंजावूर एक मंदिर नगर था। इसलिए यहाँ सूती वस्त्रों के अतिरिक्त कांस्य मूर्तियाँ, धातु के दीपदान, मंदिरों के घंटे, आभूषण आदि का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता था। 

आइये विचार करें-

प्रश्न 9. 
इस अध्याय में वर्णित किसी एक नगर की तुलना आप अपने परिचित किसी कस्बे या गाँव से करें। क्या दोनों के बीच कोई समानता या अन्तर है? 
उत्तर:
इस अध्याय में सूरत का वर्णन किया गया है और हम देहली से परिचित हैं। 

दोनों के बीच अन्तर-

  • सूरत पश्चिमी एशिया का प्रवेश द्वार था क्योंकि यह पश्चिमी एशिया के साथ व्यापार का केन्द्र था। दूसरी तरफ देहली एक प्रशासनिक शहर था। 
  • सूरत सूती वस्त्रों तथा जरी के काम के लिए प्रसिद्ध था जबकि देहली व्यापार तथा बड़ी व्यापारिक इकाइयों के लिए प्रसिद्ध था। 

दोनों के बीच समानताएँ-

  • सूरत और देहली दोनों सर्वदेशीय नगर थे। दोनों में सभी जातियों और धर्मों के लोग रहते थे। 
  • मुगल काल में दोनों ही शहरों का विकास शासकों तथा व्यापारियों ने किया था। 

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प्रश्न 10. 
सौदागरों को किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ता था? आपके विचार से क्या वैसी कुछ समस्याएँ आज भी बनी हुई हैं? 
उत्तर:
सौदागरों की समस्यायें-

  • सौदागरों को अपने हितों की सुरक्षा के लिए व्यापार संघ (गिल्ड) का सदस्य बनना पड़ता था। 
  • उन्हें विभिन्न प्रकार के कर चुकाने पड़ते थे। 
  • उन्हें सामान को खरीदने और बेचने के लिए दूर स्थानों की यात्रा करनी पड़ती थी। 
  • उन्हें यात्राओं पर बहुत समय खर्च करना पड़ता था क्योंकि परिवहन के साधन के रूप में बैलगाड़ी, घोड़ागाड़ी, नार्वे और पाल वाले जहाज ही उपलब्ध थे। 
  • उन्हें कारवाओं (समूह) में यात्रा करनी पड़ती थी। यात्रा के दौरान कभी-कभी वे लूट भी लिये जाते थे। 
  • उन्हें कठिन जलवायु दशाओं का भी सामना करना पड़ता था। 

वर्तमान में भी सौदागरों को व्यापार संघ बनाने पड़ते हैं। उन्हें विभिन्न कर चुकाने पड़ते हैं तथा व्यापार के लिए दूरदूर के प्रदेशों की यात्राएँ भी करनी पड़ती हैं। लेकिन अब संचार एवं परिवहन के विकसित साधनों के कारण ये व अन्य समस्याएँ नगण्य हो गई हैं।

admin_rbse
Last Updated on June 9, 2022, 1:53 p.m.
Published June 8, 2022