Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 7 Social Science History Chapter 2 नए राजा और उनके राज्य Textbook Exercise Questions and Answers.
Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 7 Social Science in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 7. Students can also read RBSE Class 7 Social Science Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 7 Social Science Notes to understand and remember the concepts easily. Go through these प्लेट क्यों घूमती है and get deep explanations provided by our experts.
पृष्ठ संख्या 16
प्रश्न 1.
क्या आप आज के उन राज्यों की पहचान कर सकते हैं जिन पर गुर्जर-प्रतिहार, राष्ट्रकूट, पाल, चोल और चाहमानों (चौहानों) का नियंत्रण था?
उत्तर:
(i) गुर्जर-प्रतिहार - केन्द्रीय मध्य प्रदेश
(ii) राष्ट्रकूट - महाराष्ट्र, उत्तरी आंध्रप्रदेश, कर्नाटक
(iii) पाल - पश्चिमी बंगाल
(iv) चोल - दक्षिणी कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु
(v) चौहान - उत्तरी-पश्चिमी मध्यप्रदेश तथा दक्षिणी-पूर्वी राजस्थान
पृष्ठ संख्या 17
प्रश्न 1.
क्या आपके विचार में उस दौर में एक शासक बनने के लिए क्षत्रिय के रूप में पैदा होना महत्त्वपूर्ण था?
उत्तर:
नहीं, उस काल में एक शासक बनने के लिए क्षत्रिय के रूप में पैदा होना महत्त्वपूर्ण नहीं था। उदाहरण के लिए, आठवीं सदी के मध्य में एक राष्ट्रकूट प्रधान दंतीदुर्ग ने अपने चालुक्य स्वामी की अधीनता से इन्कार कर दिया, उसे हराया और ब्राह्मणों की सहायता से हिरण्यगर्भ नामक अनुष्ठान किया। इससे यह माना जाता था कि जो राजा, जन्म से क्षत्रिय न होते हुए, भी पुनः क्षत्रियत्व प्राप्त कर लेगा। इसी तरह कदंब मयूर शर्मण और गुर्जर-प्रतिहार हरिचन्द्र जन्म से ब्राह्मण थे। इन्होंने सैन्य कौशल का इस्तेमाल कर कर्नाटक और राजस्थान में सफलतापूर्वक राज्य स्थापित किए।
पृष्ठ संख्या 18
प्रश्न 1.
क्या आज इनमें से कोई कर वसूले जाते हैं?
उत्तर:
हाँ, आज भी भूमि एवं सम्पत्ति कर वसूले जाते हैं।
प्रश्न 2.
प्रशासन का यह रूप आज की व्यवस्था में किन मायनों में भिन्न है?
उत्तर:
वर्तमान काल में प्रशासन का स्वरूप राजतंत्रीय तथा विशेषाधिकार तंत्रीय न होकर प्रजातंत्रीय है, जहाँ कानून के समक्ष सभी समान हैं। किसी से कोई जबरन कार्य नहीं करा सकता। कोई भी व्यक्ति जो कानून का उल्लंघन करता है, दंड का भागी होता है। आज राज्य में प्रशासनिक पदाधिकारियों की नियुक्ति वंशानुगत न होकर योग्यता के आधार पर परीक्षा के माध्यम से होती है।
पृष्ठ संख्या 19
प्रश्न 1.
इस अभिलेख में उल्लिखित इलाकों में से कुछ को मानचित्र 1 में (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ 16) ढूँढ़ने की कोशिश करें। दूसरे राजाओं ने भी इसी तरह के दावे किये थे। आपके विचार से ऐसे दावे उन्होंने क्यों किए होंगे?
उत्तर:
हाँ, कन्नौज, कलिंग और अनरटा के इलाकों को देखा जा सकता है। राजाओं ने इन इलाकों पर अधिकार के लिए इसी तरह के दावे किये थे। ऐसे दावे उन्होंने अपने आपको विशाल साम्राज्य के विजयी यौद्धा बताने के लिए किये होंगे।
पृष्ठ संख्या 20
प्रश्न 1.
लेख में सिंचाई के जितने संभव स्रोतों का उल्लेख है, उनकी सूची बनाइए और विचार-विमर्श कीजिए कि इनका कैसे इस्तेमाल होता था?
उत्तर:
लेख में सिंचाई के निम्न संभव स्रोतों का उल्लेख है-
पृष्ठ संख्या 21
प्रश्न 1.
मानचित्र 1 (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ-16) को देखें और वे कारण बताइए, जिनके चलते ये शासक कन्नौज और गंगा घाटी के ऊपर नियंत्रण चाहते थे।
उत्तर:
गुर्जर प्रतिहार, राष्ट्रकूट और पालवंशों के शासक सदियों तक कन्नौज और गंगाघाटी के ऊपर नियंत्रण के लिए आपस में लड़ते रहे । इसका कारण यह था कि यह इलाका उत्पादन और व्यापार में समृद्ध था। यहाँ की भूमि उपजाऊ थी तथा गंगा नदी व इसकी सहायक नदियों के कारण सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध था।
प्रश्न 2.
मानचित्र 1 (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ 16 ) को दुबारा देखिए और विचार-विमर्श कीजिए कि चाहमानों (चौहानों) ने अपने इलाके का विस्तार क्यों करना चाहा होगा?
उत्तर:
चाहमान राजवंश भारतीय उपमहाद्वीप में केन्द्रीय स्थिति में था। इसलिए इसके शासक अपने साम्राज्य को पूर्वी तथा पश्चिमी इलाकों की ओर भी विस्तृत करना चाहते थे। वे अपने सभी पड़ोसी राजवंशों से समृद्ध होना भी चाहते थे तथा वे गंगाघाटी के क्षेत्र को अपने नियंत्रण में लेना चाहते थे।
पृष्ठ संख्या 27
प्रश्न 1.
क्या आपको लगता है कि महिलाएँ इन सभाओं में हिस्सेदारी करती थीं? क्या आप समझते हैं कि समितियों के सदस्यों के चुनाव के लिए लॉटरी का तरीका उपयोगी होता है?
उत्तर:
मुझे लगता है कि महिलाएँ इन सभाओं में हिस्सेदारी नहीं करती थीं क्योंकि अभिलेखों में महिलाओं की भागीदारी का कोई उल्लेख नहीं मिलता है।
नहीं, समितियों के सदस्यों के चुनाव के लिए लॉटरी का तरीका उपयोगी तरीका नहीं होता है। सही तरीका चुनाव की प्रक्रिया ही है।
प्रश्न 2.
क्या इस पुरवे में कुछ ब्राह्मण थे? जितनी तरह की गतिविधियाँ चल रही थीं, उनका वर्णन करें। आपके ख्याल से अभिलेखों में इन सबका उल्लेख क्यों नहीं किया गया है?
उत्तर:
इस पुरवे में ब्राह्मण नहीं थे क्योंकि यह पुलाया लोगों का एक छोटा-सा पुरवा था और इस समूह को ब्राह्मण समाज से बाहर माना जाता था।
इस पुरवे में जो गतिविधियाँ चल रही थीं, वे थीं-इसमें अनेक किस्म के पेशों में लगे खेतिहर मजदूर रहते थे, झोंपड़ियों के अहातों में छोटे मुर्गे-मुर्गियाँ झुंडों में घुमते रहते थे; बच्चे छोटे पिल्लों को उठाए उछलते चल रहे थे; पेड़ों की छाया में एक मजदूरनी ने अपने बच्चे को चमड़े की एक चादर पर सुला दिया था। नारियल के पेड़ों के नीचे जमीन में बने छोटे गड्ढों में कुतिया पिल्लों को दूध पिलाने के बाद लेटी हुई थी। मुर्गे ने बाँग दे दी थी तथा धान कूटती पुलाया स्त्रियों के गाने की आवाज फैल रही थी।
इन गतिविधियों का उल्लेख अभिलेखों में इसलिए नहीं हुआ क्योंकि यह समूह ऐसा था जिसे ब्राह्मण और वेल्लाल प्रतिष्ठित समाज के बाहर मानते थे और वे इन गतिविधियों को महत्त्वहीन समझते थे।
कल्पना कीजिए-
प्रश्न 1.
आप एक सभा के चुनाव में मौजूद हैं। जो कुछ आप देख और सुन रहे हैं, उसका वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सभा में विभिन्न समितियाँ होती थीं। इनकी सदस्यता के लिए सबसे पहले योग्य व्यक्तियों का नामांकन किया गया। इसके बाद उनके नाम ताड़पत्रों के छोटे टिकटों पर लिखे गये। फिर इन्हें एक मिट्टी के बर्तन में रख दिया गया। तत्पश्चात् किसी छोटे लड़के को हर समिति के लिए एक के बाद एक टिकट निकालने के लिए कहा गया। इस प्रकार प्रत्येक समिति के सदस्य निर्वाचित घोषित किये गये।
फिर से याद करें-
प्रश्न 1.
जोड़े बनाओ :
गुर्जर-प्रतिहार |
पश्चिमी दक्कन |
राष्ट्रकूट |
बंगाल |
पाल |
गुजरात और राजस्थान |
चोल |
तमिलनाडु |
उत्तर:
गुर्जर-प्रतिहार |
गुजरात और राजस्थान |
राष्ट्रकूट |
पश्चिमी दक्कन |
पाल |
बंगाल |
चोल |
तमिलनाडु |
प्रश्न 2.
'त्रिपक्षीय संघर्ष' में लगे तीनों पक्ष कौन-कौनसे थे?
उत्तर:
त्रिपक्षीय संघर्ष में लगे तीनों पक्ष थे-
प्रश्न 3.
चोल साम्राज्य में सभा की किसी समिति का सदस्य बनने के लिए आवश्यक शर्ते क्या थीं?
उत्तर:
चोल साम्राज्य में सभा की किसी समिति का सदस्य बनने के लिए निम्न शर्ते आवश्यक थीं-
प्रश्न 4.
चाहमानों के नियंत्रण में आने वाले दो प्रमुख नगर कौन से थे?
उत्तर:
चाहमानों के नियंत्रण में आने वाले दो प्रमुख नगर देहली (इन्द्रप्रस्थ) और अजमेर थे।
आइये समझें-
प्रश्न 5.
राष्ट्रकट कैसे शक्तिशाली बने?
उत्तर:
प्रारंभ में राष्ट्रकूट कर्नाटक के चालुक्य राजाओं के अधीनस्थ थे। आठवीं सदी के मध्य में एक राष्ट्रकूट प्रधान दंतीदुर्ग ने अपने चालुक्य स्वामी की अधीनता से इन्कार कर दिया, उसे हराया और हिरण्यगर्भ नामक एक अनुष्ठान ब्राह्मणों की सहायता से सम्पन्न कराया और जन्मना क्षत्रिय न होते हुए भी क्षत्रिय के रूप में दुबारा क्षत्रियत्व प्राप्त कर शक्तिशाली शासक बने।
प्रश्न 6.
नये राजवंशों ने स्वीकृति हासिल करने के लिए क्या किया?
उत्तर:
नये राजवंशों ने स्वीकति हासिल करने के लिए ब्राह्मणों की सहायता से हिरण्यगर्भ नामक एक अनुष्ठान किया।
प्रश्न 7.
तमिल क्षेत्र में किस तरह की सिंचाई व्यवस्था का विकास हुआ?
उत्तर:
तमिल क्षेत्र में सिंचाई व्यवस्था का विकास निम्न प्रकार से हुआ-
प्रश्न 8.
चोल मंदिरों के साथ कौन-कौन सी गतिविधियाँ जुड़ी हुई थीं?
उत्तर:
चोल मंदिर सिर्फ पूजा-आराधना के ही स्थान नहीं थे; वे आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन के केन्द्र भी थे। यथा-
आइये विचार करें-
प्रश्न 9.
मानचित्र 1 (पाठ्यपुस्तक पृष्ठ 16) को दुबारा देखें और तलाश करें कि जिस प्रान्त में आप रहते हैं, उसमें कोई पुरानी राजशाहियाँ ( राजाओं के राज्य) थीं या नहीं?
उत्तर:
हम राजस्थान प्रान्त में रहते हैं। इस प्रान्त में उस समय अजमेर तथा उसके आस-पास के क्षेत्र में चाहमान वंश की राजशाही थी।
प्रश्न 10.
जिस तरह के पंचायती चुनाव हम आज देखते हैं, उनसे उत्तरमेरुर के 'चुनाव' किस तरह से अलग थे?
उत्तर:
वर्तमान के पंचायती चुनाव उत्तरमेरुर के चुनाव से निम्न रूपों में अलग थे-