Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 11 रहीम की दोहे Textbook Exercise Questions and Answers.
The questions presented in the RBSE Solutions for Class 7 Hindi are solved in a detailed manner. Get the accurate RBSE Solutions for Class 7 all subjects will help students to have a deeper understanding of the concepts. Here are अपठित गद्यांश कक्षा 7 with answers to learn grammar effectively and quickly.
दोहे से -
प्रश्न 1.
पाठ में दिए गए दोहों की कोई पंक्ति कथन है और कोई कथन को प्रमाणित करने वाला उदाहरण। इन दोनों प्रकार की पंक्तियों को पहचान कर अलग-अलग लिखिए।
उत्तर :
कथन -
उपर्युक्त पंक्तियों में कथन को प्रभावित करने के उदाहरण -
प्रश्न 2.
रहीम ने क्वार के मास में गरजने वाले बादलों की तुलना ऐसे निर्धन व्यक्तियों से क्यों की है जो पहले कभी धनी थे और बीती बातों को बताकर दूसरों को प्रभावित करना चाहते हैं? दोहे के आधार पर आप सावन के बरसने और गरजने वाले बादलों के विषय में क्या कहना चाहेंगे?
उत्तर :
क्वार के बादल केवल गरजते हैं, वे कम ही बरसते हैं या नहीं बरसते हैं। उसी से उनकी तुलना निर्धन व्यक्ति से की गई है। दोहे के आधार पर हम यह कहना चाहेंगे कि सावन के बादल जल बरसाने की सामर्थ्य से युक्त होते हैं, इसलिए ही वे गरजने के साथ-साथ बरसते भी हैं। वे दिखावा न करके परहित साधना भी करते हैं और धरती व जन-मन को आनन्दित करते हैं।
दोहों से आगे -
प्रश्न 1.
नीचे दिए गए दोहों में बताई गई सच्चाइयों को यदि हम अपने जीवन में उतार लें तो उनके क्या लाभ होंगे? सोचिए और लिखिए।
(क) तरुवर फल ................ सचहिं सुजान॥
(ख) धरती की-सी ................. यह देह॥
उत्तर :
(क) यदि पेड़ों और सरोवरों की तरह हमारा स्वभाव भी परोपकारी बन जाए तो हमारे आस-पास का जन-जीवन भी सुखी हो जाएगा। लोगों के मध्य फैली कटुता, द्वेष और विषमता की भावना कम हो जायेगी और सद्भाव बढ़ेगा। निश्चित ही समाज और राष्ट्र का कल्याण होगा।
(ख) मनुष्य को धरती की तरह ही सहनशील होना चाहिए। यदि हम इस सत्य को स्वीकार कर लें तो निश्चित ही जीवन में आने वाले सुख-दु:ख को सहज रूप में स्वीकार कर जीवन में सफलता प्राप्त कर सकेंगे।
भाषा की बात -
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित हिंदी रूप लिखिए
जैसे - परे-पड़े (रे,ड़े)
बिपति - बादर
मछरी - सीत
उत्तर :
प्रश्न 2.
नीचे दिए उदाहरण पढ़िए -
(क) बनत बहुत बहु रीत।
(ख) जाल परे जल जात बहि।
उपर्युक्त उदाहरणों की पहली पंक्ति में 'ब'का प्रयोग कई बार किया गया है और दूसरी में 'ज' का प्रयोग। इस प्रकार बार-बार एक ध्वनि के आने से भाषा की सुंदरता बढ़ जाती है। वाक्य रचना की इस विशेषता के अन्य उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तर :
(क) तजि मीनन को मोह। 'म' की आवृत्ति
(ख) संपति-सचहिं सुजान। 'स' की आवृत्ति
(ग) जैसी परे सो सहि रहे। 'स की आवृत्ति'
प्रश्न 1.
धन-दौलत होने पर बहुत से लोग बन जाते हैं -
(क) मित्र
(ख) शत्रु
(ग) संबंधी
(घ) परिवारी।
उत्तर :
(क) मित्र
प्रश्न 2.
सच्चे मित्र की परख होती है
(क) सुख के समय
(ख) विपत्ति के समय
(ग) तीज-त्यौहार पर
(घ) समारोह मे।
उत्तर :
(ख) विपत्ति के समय
प्रश्न 3.
सजन पुरुष संपत्ति का संग्रह करते हैं
(क) सुख के लिए
(ख) परहित के लिए
(ग) प्रशंसा पाने के लिए
(घ) दूसरों पर रौब जमाने के लिए।
उत्तर :
(ख) परहित के लिए
प्रश्न 4.
आश्विन महीने के बादल क्या करते हैं?
(क) केवल गरजते हैं।
(ख) केवल जल बरसाते हैं।
(ग) केवल घुमड़ते हैं।
(घ) केवल गरजते और बरसते हैं।
उत्तर :
(क) केवल गरजते हैं।
रिक्त स्थानों की पूर्ति -
प्रश्न 6.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कोष्ठक में दिए गये सही शब्दों से कीजिए -
(क) बिपति कसौटी जे कसे, .................. साँचे मीत। (वेही/तेई)
(ख) जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को .............। (छोह/मोह)
(ग) ........ की-सी रीत है, सीत घाम औ मेह। (धरती/परती)
उत्तर :
(क) तेई
(ख) मोह
(ग) धरती।
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न -
प्रश्न 7.
रिश्ते-नाते कब तक साथ देते हैं?
उत्तर :
रिश्ते-नाते तब तक साथ देते हैं, जब तक हमारे पास धन-दौलत होती है।
प्रश्न 8.
जाल के पानी के बह जाने पर मछली क्या करती
उत्तर :
जाल के पानी के बह जाने पर मछली अपने प्राण त्याग देती है।
प्रश्न 9.
तरुवर स्वयं फल क्यों नहीं खाते हैं?
उत्तर :
तरुवर दूसरों की भलाई करने के कारण स्वयं फल नहीं खाते हैं।
प्रश्न 10.
धरती की क्या रीत है?
उत्तर :
धरती सभी ऋतुओं का प्रभाव समान रूप से सहती है।
प्रश्न 11.
सरोवर अपना जल स्वयं क्यों नहीं पीता है?
उत्तर :
सरोवर अपना जल दूसरों की भलाई के लिए देता है, इसलिए वह अपना जल नहीं पीता है।
प्रश्न 12.
मछली किसका मोह नहीं छोड़ पाती है?
उत्तर :
मछली पानी का मोह नहीं छोड़ पाती है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न -
प्रश्न 13. 'रहीम के दोहों' से प्राप्त कोई दो शिक्षाएँ लिखिए।
उत्तर :
'रहीम के दोहों' से प्राप्त दो शिक्षाएँ निम्नलिखित -
(i) हमें अपने मित्र का दुःख-सुख में बराबर साथ देना चाहिए।
(ii) हमारे मन में हमेशा दूसरों के लिए परोपकार की भावना होनी चाहिए।
प्रश्न 14.
मनुष्य को धरती की भाँति सहनशील क्यों होना चाहिए?
उत्तर :
मनुष्य को धरती की भाँति इसलिए सहनशील होना चाहिए कि वह भी धरती की तरह सुख-दुःख को समान रूप से सहन कर सके अर्थात् स्वीकार कर सके।
प्रश्न 15.
धनी पुरुष निर्धन हो.जाने पर भी अमीरी की बात क्यों करते हैं?
उत्तर :
धनी पुरुष निर्धन हो जाने पर भी अमीरी की बात इसलिए करते हैं क्योंकि वे अपने बीते समय को याद कर दिखावा करना चाहते हैं।
निबन्धात्मक प्रश्न -
प्रश्न 16.
रहीम ने क्वार के बादलों की तुलना किससे और क्यों की है?
उत्तर :
रहीम ने क्वार के बादलों की तुलना उन लोगों से की है जो पहले अमीर थे लेकिन अब वे गरीब हो चुके हैं। जैसे क्वार माह के बादल केवल गरजते हैं, पर बरसते नहीं हैं। ठीक उसी प्रकार अमीरी से निर्धन हुए व्यक्ति केवल दिखावे रूप में अमीरी की बात करते हैं जबकि वे भीतर से खोखले होते हैं।
प्रश्न 17.
कवि रहीम मनुष्य को धरती से क्या सीख देना चाहते हैं?
उत्तर :
कवि रहीम मनुष्य को धरती के माध्यम से यह सीख देना चाहते हैं कि जिस प्रकार धरती सर्दी, गर्मी और बरसात सभी मौसमों में समान रहकर उनको सहती है वैसे ही मनुष्य को भी अपने जीवन में आने वाले सुख-दुःख को समान रूप से सहना चाहिए। इनसे विचलित होने से कोई लाभ नहीं होता है इसलिए मनुष्य में भी सहनीय भाव की प्रबलता होनी चाहिए।
पाठ-परिचय - इस पाठ में कवि रहीम द्वारा रचे गये दोहे दिये गये हैं। इन दोहों में मित्रता, नैतिकता, सज्जनता, सदाचरण आदि की शिक्षा दी गई है।
सप्रसंग व्याख्याएं -
1. कहि रहीम संपति सगे ........................................... साँचे मीत॥
कठिन-शब्दार्थ :
प्रसंग - यह दोहा 'रहीम के दोहे' शीर्षक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता कवि रहीम हैं। कवि ने यहाँ सच्चे मित्र के संबंध में बताया है।
व्याख्या - रहीमजी कहते हैं कि जब तक मनुष्य के पास धन-दौलत रहती है, तब तक उसके साथ अनेक प्रकार के रिश्ते-नाते बनाने के लिए लोग कई तरह से प्रयास करते हैं। लेकिन जो व्यक्ति गरीबी और मुसीबत के समय काम आता है, वही सच्चा मित्र होता है।
2. जाल परे .............................................. छाँइति छोह॥
कठिन-शब्दार्थ :
प्रसंग - यह दोहा 'रहीम के दोहे' शीर्षक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता रहीमजी हैं। कवि ने इसमें मछली के प्रेमी स्वभाव का वर्णन किया है
व्याख्या - रहीमजी कहते हैं कि पानी में जाल डालने पर मछली तो जाल में फंस जाती है लेकिन पानी बहकर निकल जाता है। लेकिन मछली तो जल से प्रेम करती है, उसका विछोह होने पर मछली तड़प-तड़प कर प्राण त्याग देती है, परन्तु जल उससे प्रेम नहीं करता है, इसलिए वह मछली को जाल में छोड़कर बह जाता है।
3. तरुवर फल नहि ........................................ सचाहिं सुजान॥
कठिन-शब्दार्थ :
प्रसंग - यह दोहा 'रहीम के दोहे' शीर्षक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता रहीमजी हैं। कवि ने इसमें परोपकारी स्वभाव का वर्णन किया है।
व्याख्या - रहीमजी कहते हैं कि दूसरों की भलाई के कारण ही पेड़ अपने फलों को स्वयं नहीं खाते हैं तथा तालाब भी अपना जल स्वयं नहीं पीते हैं। ठीक इसी प्रकार सज्जन लोग दूसरों की भलाई के लिए ही धन जोड़ते हैं।
4. थोथे बादर क्वार के ...................................... पाछिली बात॥
कठिन-शब्दार्थ :
प्रसंग - यह दोहा 'रहीम के दोहे' शीर्षक पाठ से लिया गया है। इसमें कवि रहीमजी ने बतलाया है कि समय बदल जाने पर भी कुछ लोग गीली बातें करने की आदत नहीं छोडं पाते हैं।
व्याख्या - रहीमजी कहते हैं कि धनी पुरुष निर्धन हो जाने पर भी अपनी अमीरी की आदत नहीं छोड़ते हैं और अपने उन दिनों की बड़बोलेपन की बातें ठीक उसी प्रकार से करते हैं जैसे क्वार माह के जलहीन बादल उमड़-घुमड़ कर आते हैं, लेकिन बरसते नहीं हैं।
5. धरती की-सी रीत है ...................................... यह देह॥
कठिन-शब्दार्थ :
प्रसंग - यह दोहा 'रहीम के दोहे' शीर्षक पाठ से लिया गया है। इसके रचयिता रहीमजी हैं। कवि ने यहाँ धरती और मनुष्य के शरीर की सहनशीलता की तुलना की है।
व्याख्या - रहीमजी कहते हैं कि धरती सभी ऋतुओं सर्दी, गर्मी और वर्षा को बराबर रूप से सहती है। वैसे ही इस मानव शरीर को भी जीवन में प्राप्त सुखों और दु:खों को समान रूप से सहन करना चाहिए।