Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 10 अपूर्व अनुभव Textbook Exercise Questions and Answers.
The questions presented in the RBSE Solutions for Class 7 Hindi are solved in a detailed manner. Get the accurate RBSE Solutions for Class 7 all subjects will help students to have a deeper understanding of the concepts. Here are अपठित गद्यांश कक्षा 7 with answers to learn grammar effectively and quickly.
पाठ से -
प्रश्न 1.
यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाने के लिए तोत्तो-चान ने अथक प्रयास क्यों किया? लिखिए।
उत्तर :
यासुकी-चान तोत्तो-चान का घनिष्ठ मित्र था लेकिन वह पोलियोग्रस्त था। उस कारण उसके हाथ-पैर सही रूप में काम नहीं करते थे। जापान के शहर तोमोए में प्रत्येक बच्चे का एक निजी पेड़ था लेकिन यासुकी-चान ने अपनी शारीरिक अपंगता के कारण किसी भी पेड़ को निजी नहीं बनाया था। उसके मन की पेड़ पर चढ़ने की इच्छा थी, जिसे पूरा करने के लिए तोत्तो-चान ने उसे अपने पेड पर चढ़ाने का अथक प्रयास किया।
प्रश्न 2.
दृढ़ निश्चय और अथक परिश्रम से सफलता पाने के बाद तोत्तो-चान और यासुकी-चान को अपूर्व अनुभव मिला। इन दोनों के अपूर्व अनुभव कुछ अलगअलग थे। दोनों में क्या अन्तर रहे? लिखिए।
उत्तर :
दृढ निश्चय और अथक परिश्रम से सफलता पाने के बाद तोत्तो-चान और यासुकी-चान को मिले अपूर्व अनुभव में अन्तर यह था कि यासुकी-चान पोलियोग्रस्त होने के कारण किसी भी पेड़ पर चढ़ने में सर्वथा असमर्थ था। सपने में भी नहीं सोच सकता था कि वह पेड़ पर चढ़कर ऐसा सुखद अनुभव कर सकता है। तोत्तो-चान ने जब अथक परिश्रम से अपने पोलियोग्रस्त साथी को पेड़ पर चढ़ाकर उसका स्वागत किया तो उसे हार्दिक खुशी और संतुष्टि प्राप्त हुई।
प्रश्न 3.
पाठ में खोजकर देखिए-कब सूरज का ताप यासुकी-चान और तोत्तो-चान पर पड़ रहा था, वे दोनों पसीने से तरबतर हो रहे थे और कब बादल का एक टुकड़ा उन्हें छाया देकर कड़कती धूप से बचाने लगा था। आपके अनुसार इस प्रकार परिस्थिति के बदलने का कारण क्या हो सकता है?
उत्तर :
तोत्तो-चान ने अपने विकलांग मित्र को पेड़ पर चढ़ाने के लिए सीढ़ी का उपयोग किया, फिर असमर्थ रहने के कारण उसने तिपाई का उपयोग किया। उसने अपने अथक परिश्रम से तिपाई के सहारे ऊपर चढ़ाने का प्रयास किया। इस प्रयास में दोनों ही सूर्य की तेज गर्मी होने के कारण पसीने से तरबतर हो गये। लेकिन जब अथक परिश्रम के बाद तोत्तो-चान के सहारे से यासुकी-चान पेड़ की द्विशाखा पर चढ़ गया, तब बादल का एक टुकड़ा बीच-बीच में छाया करके उन्हें कड़कती धूप से बचा रहा था। हमारे अनुसार इस परिस्थिति के बदलने का कारण यह हो सकता है कि जो सच्चे मन से अपने मित्र की सहायता करता है, उसकी सहायता प्रकृति अर्थात् भगवान भी खुश होकर करता है।
प्रश्न 4.
'यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह..अंतिम मौका था।' इस अधूरे वाक्य को पूरा कीजिए और लिखकर बताइए कि लेखिका ने ऐसा क्यों लिखा होगा?
उत्तर :
'यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह पहला और अन्तिम मौका था।' लेखिका ने ऐसा इसलिए। लिखा होगा कि तोत्तो-चान ने अपने मित्र पोलियोग्रस्त यासुकी-चान को बहुत जोखिम उठाकर पेड़ पर चढ़ाया था। शायद वह दोबारा अपने मित्र की इच्छा को पूरा करने के लिए ऐसा कभी नहीं कर पायेगी।
पाठ से आगे -
प्रश्न 1.
तोत्तो-चान ने अपनी योजना को बड़ों से इसलिए छिपा लिया कि उसमें जोखिम था, यासुकीचान के गिर जाने की संभावना थी। फिर भी उसके मन में यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने की दृढ़ इच्छा थी। ऐसी दृढ़ इच्छाएँ बुद्धि और कठोर परिश्रम से अवश्य पूरी हो जाती हैं। आप किस तरह की सफलता के लिए तीव्र इच्छा और बुद्धि का उपयोग कर कठोर परिश्रम करना चाहते हैं?
उत्तर :
यह बात सही है कि तोत्तो-चान और यासुकी-चानने पेड़ पर चढ़ने का कार्य अत्यन्त दृढ़ निश्चय और परिश्रम से पूरा किया था। ऐसी दृढ़ इच्छाएँ वास्तव में बुद्धि और कठोर परिश्रम से अवश्य पूरी होती हैं। मैं भी मेहनत करके एक वैज्ञानिक बनना चाहता हूँ। मैं चाहता हूँ कि मेरे आविष्कारों से समाज को बहुल लाभ मिले।
प्रश्न 2.
हम अकसर बहादुरी के बड़े-बड़े कारनामों के बारे में सुनते रहते हैं, लेकिन 'अपूर्व अनुभव' कहानी एक मामूली बहादुरी और जोखिम की ओर हमारा ध्यान खींचती है। यदि आपको अपने आसपास के संसार में कोई रोमांचकारी अनुभव प्राप्त करना हो तो कैसे प्राप्त करेंगे?
उत्तर :
विद्यार्थी स्वयं अपनी कल्पना व अध्यापक की सहायता से पूरा करें।
अनुमान और कल्पना -
प्रश्न 1.
अपनी माँ से झूठ बोलते समय तोत्तो-चान की नज़रें नीची क्यों थीं?
उत्तर :
अपनी माँ से झूठ कहा कि वह यासुकी-चान से मिलने उसके घर, डेनेन चोफु' जा रही है, तोत्तो-चान में आत्मविश्वास पहले जैसा नहीं था। इसी कारण वह अपनी माँ से नज़रें मिलाकर बात नहीं कर पा रही थी और उसकी नज़रें नीची थीं।
प्रश्न 2.
यासुकी-चान जैसे शारीरिक चनौतियों से गजरने वाले व्यक्तियों के लिए चढ़ने-उतरने की सुविधाएँ हर जगह नहीं होतीं। लेकिन कुछ जगहों पर ऐसी सुविधाएँ दिखाई देती हैं। इन सुविधावाली जगहों की सूची बनाइये।
उत्तर :
यासुकी-चान जैसे शारीरिक चुनौतियों से गुजरने वाले व्यक्तियों के लिए चढ़ने-उतरने की सुविधाएँ अगर प्रदान कर दी जाएँ तो उनके चलने-फिरने में सहूलियत हो सकती है। लेकिन कुछ जगहों पर ऐसी सुविधाएँ दिखाई देती हैं, जैसे-अस्पतालों, बस अड्डों, रेलवे प्लेटफार्म, हवाई अड्डों, सामुदायिक केन्द्रों, स्कूल-कॉलेज भवनों तथा सिनेमा गृहों आदि में। इनके चढ़ने के लिए 'रैंप' बने हुए होते हैं।
भाषा की बात -
प्रश्न 1.
द्विशाखा शब्द द्वि और शाखा के योग से बना है। द्वि का अर्थ है-दो और शाखा का अर्थ है-डाल। द्विशाखा पेड़ के तने का वह भाग है जहाँ से दो मोटीमोटी डालियाँ एक साथ निकलती हैं। द्वि की भाँति आप त्रि से बनने वाला शब्द त्रिकोण जानते होंगे। त्रि का अर्थ है तीन। इस प्रकार, चार, पाँच, छह, सात, आठ, नौ और दस संख्यावाची संस्कृत शब्द उपयोग में अकसर आते हैं। इन संख्यावाची शब्दों की जानकारी प्राप्त कीजिए और देखिए कि क्या इन शब्दों की ध्वनियाँ अंग्रेजी संख्या के नामों से कुछ-कुछ मिलती-जुलती हैं, जैसे - हिन्दी-आठ, संस्कृत-अष्ट, अंग्रेज़ी-एट। .
उत्तर :
प्रश्न 2.
पाठ में 'ठिठियाकर हँसने लगी', 'पीछे से धकियाने लगी' जैसे वाक्य आए हैं। ठिठियाकर हँसने के मतलब का आप अवश्य अनुमान लगा सकते हैं। ठी-ठीठी हँसना या ठठा मारकर हँसना बोलचाल में प्रयोग होता है। इनमें हँसने की ध्वनि के एक खास अंदाज को हैंसी का विशेषण बना दिया गया है। साथ ही ठिठियाना और धकियाना शब्द में 'आना' प्रत्यय का प्रयोग हुआ है। इस प्रत्यय से फ़िल्माना शब्द भी बन जाता है। आना' प्रत्यय से बनने वाले चार सार्थक शब्द लिखिए।
उत्तर :
'आना' प्रत्यय से बनने वाले चार सार्थक शब्द -
प्रश्न 1.
तोत्तो-चान का पेड़ था -
(क) बड़ा-सा
(ख) छोटा-सा
(ग) नाटा-सा
(घ) मँझला-सा।
उत्तर :
(क) बड़ा-सा
प्रश्न 2.
बच्चे निजी सम्पत्ति मानते थे -
(क) अपने-अपने घरों को
(ख) अपने-अपने पेड़ को
(ग) अपने-अपने स्कूल को
(घ) अपनी-अपनी किताबों को।
उत्तर :
(ख) अपने-अपने पेड़ को
प्रश्न 3.
तोत्तो-चान ने यासुकी-चान को न्योता दिया था -
(क) बाजार घूमने का
(ख) अपने घर आने का
(ग) अपने पेड़ पर चढ़ने का
(घ) अपने साथ खेलने का।
उत्तर :
(ग) अपने पेड़ पर चढ़ने का
प्रश्न 4.
यासुकी-चान की बहन रहती थी -
(क) अमरीका में
(ख) जापान में।
(ग) मलेशिया में
(घ) इंग्लैण्ड में।
उत्तर :
(क) अमरीका में
प्रश्न 5.
यासुकी-चान ने तोत्तो-चान को बताया था -
(क) रेडियों के बारे में
(ख) वी.सी.आर. के बारे में
(ग) टेलीविजन के बारे में
(घ) डी.वी.डी. के बारे में।
उत्तर :
(ग) टेलीविजन के बारे में
रिक्त स्थानों की पूर्ति -
प्रश्न 6.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कोष्ठक में दिए गये सही शब्दों से कीजिए -
(क) तोत्तो-चान का पेड़ मैदान के बाहरी हिस्से में कुहोन्नुत्सु जाने वाली ............. के पास था। (नदी/सड़क)
(ख) तोत्तो-चान यासुकी-चान को अपने ............... की ओर ले गई।
(ग) यासुकी-चान पूरी शक्ति के साथ ................ रहा था। (घर/पेड़)
(घ) उन दिनों .................... के बारे में कोई नहीं जानता था। (रेडियो/टेलीविजन)
उत्तर :
(क) सड़क
(ख) पेड़
(ग) जूझ
(घ) टेलीविजन।
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न -
प्रश्न 7.
'अपूर्व अनुभव' किस भाषा में लिखी कहानी है?
उत्तर :
'अपूर्व अनुभव' मूल रूप से जापानी भाषा में लिखी कहानी है।
प्रश्न 8.
यासुकी-चान कौन था?
उत्तर :
यासुकी-चान तोत्तो-चान का पोलियो से ग्रस्त मित्र था।
प्रश्न 9.
यासुकी-चान के लिए तोत्तो-चान खतरा क्यों उठा रही थी?
उत्तर :
यासुकी-चान के लिए तोत्तो-चान खतरा इसलिए उठा रही थी, क्योंकि वह उसे द्विशाखा का आनंद देना चाहती थी।
प्रश्न 10.
तोत्तो-चान के पेड़ की द्विशाखा जमीन से कितनी ऊँची थी?
उत्तर :
तोत्तो-चान के पेड़ की द्विशाखा जमीन से छह फुट ऊँची थी।
प्रश्न 11.
तोमोए में बच्चों में क्या प्रचलन था?
उत्तर :
तोमोए में यह प्रचलन था कि हरेक बच्चा बाग के एक पेड़ को खुद के चढ़ने का पेड़ मानता था।
प्रश्न 12.
तोत्तो-चान की हार्दिक इच्छा क्या थी?
उत्तर :
यासुकी-चान उसके पेड़ पर चढ़े, यही तोत्तो-चान की हार्दिक इच्छा थी।
लघूत्तरात्मक प्रश्न -
प्रश्न 13.
तोत्तो-चान ने पेड़ का चुनाव कहाँ किया था?
उत्तर :
तोत्तो-चान ने कहोन्बुत्सु नामक स्थान तक जाने वाली सड़क के पास पेड़ का चुनाव किया था।
प्रश्न 14.
यासुकी-चान किसी पेड़ को अपनी निजी संपत्ति मानने में असमर्थ क्यों था?
उत्तर :
यासुकी-चान पोलियोग्रस्त था, इसलिए वह किसी पेड़ को अपनी निजी संपत्ति मानने में असमर्थ था।
प्रश्न 15.
यासुकी-चान ने पेड़ पर चढ़कर तोत्तो-चान को किस वस्तु के रहस्य के बारे में बतलाया?
उत्तर :
यासुकी-चान ने पेड़ पर चढ़कर तोत्तो-चान को टेलीविजन के बारे में बतलाया कि टेलीविजन एक गोल डिब्बे जैसा होता है। उसमें घर बैठे चीजों को देखा जा सकता है।
निबन्धात्मक प्रश्न -
प्रश्न 16.
'अपूर्व अनुभव' शीर्षक संस्मरण में क्या सन्देश दिया गया है?
उत्तर :
'अपूर्व अनुभव' शीर्षक संस्मरण में यह सन्देश दिया गया है कि हमें सामान्यजन की तरह विकलांग व्यक्ति को कभी किसी से कम नहीं समझना चाहिए, बल्कि उनकी इच्छाओं को जानने का प्रयत्न करना चाहिए और उन्हें हर संभव सहारा प्रदान करना चाहिए। हमें तोत्तो-चान की तरह ही यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाकर उसकी इच्छाओं को पूरा करना चाहिए।
गद्यांश पर आधारित प्रश्न -
प्रश्न 17.
निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए -
1. यासुकी-चान के हाथ-पैर इतने कमजोर थे कि वह पहली| सीढ़ी पर भी बिना सहारे के चढ़ नहीं पाया। इस पर तोत्तो-चान नीचे उतर आई और यासुकी-चान को पीछे से धकियाने लगी। पर तोत्तो-चान थी छोटी और नाजुकसी, इससे अधिक सहायता क्या करती! यासुकी-चान ने अपना पैर सीढ़ी पर से हटा लिया और हताशा से सिर झकाकर खड़ा हो गया। तोत्तो-चान को पहली बार लगा कि काम उतना आसान नहीं है जितना वह सोचे बैठी थी। अब क्या करे वह?
प्रश्न :
(क) यह गद्यांश किस पाठ से लिया गया है? नाम लिखिए।
(ख) यासुकी-चान को चढ़ाने के लिए तोत्तो-चान ने क्या किया?
(ग) यासुकी-चान ने हताशा में क्या किया?
(घ) तोत्तो-चान को क्या अनुभव हुआ?
उत्तर :
(क) पाठ का नाम है-अपूर्व अनुभव।
(ख) यासुकी-चान के हाथ-पैर अतीव कमजोर थे, तोत्तोचान ने उसे पीछे से धकिया कर चढ़ाने में सहायता की।
(ग) यासुकी-चान कोशिश करने पर सफल नहीं हुई, इसलिए हताशा में उसने सिर झुका लिया।
(घ) तोत्तो-चान को पहली बार अनुभव हुआ कि किसी को पेड़ पर चढ़ाने का काम आसान नहीं है।
2. उस समय द्विशाखा पर खड़ी तोत्तो-चान द्वारा यासुकीचान को पेड़ की ओर खींचते अगर कोई बड़ा देखता तो वह जरूर डर के मारे चीख उठता। उसे वे सच में जोखिम उठाते ही दिखाई देते। पर यासुकी-चान को तोत्तो-चान पर पूरा भरोसा था और वह खुद भी यासुकी-चान के |लिए भारी खतरा उठा रही थी। अपने नन्हें-नन्हें हाथों से वह पूरी ताकत से यासुकी-चान को खींचने लगी। बादल का एक बड़ा टुकड़ा बीच-बीच में छाया करके उन्हें कड़कती धूप से बचा रहा था।
प्रश्न :
(क) यासुकी-चान को पेड़ पर कौन चढ़ाना चाहती थी?
(ख) तोत्तो-चान को कौन-सा कार्य जोखिम भरा लगा?
(ग) तोत्तो-चान पर यासुकी-चान को क्या भरोसा था?
(घ) उस समय उन दोनों की मदद कौन और कैसे कर रहा था?
उत्तर :
(क) यासुकी-चान को तोत्तो-चान पेड़ पर चढ़ाना चाहती थी।
(ख) तोत्तो-चान को पेड़ की डाल खींचते हुए यासुकीचान को चढ़ाना जोखिम-भरा कार्य लगा।
(ग) यासुकी-चान को यह भरोसा था कि तोत्तो-चान उसे पेड़ पर जरूर चढ़ा लेगा।
(घ) उस समय बादल का टुकड़ा बीच-बीच में छाया करके उन्हें कड़कड़ाती धूप से बचाने में मदद कर रहा था।
3. तोत्तो-चान उस समय यह तो न समझ पाई कि यासुकीचान के लिए, जो कहीं भी दूर तक चल नहीं सकता था, घर बैठे चीजों को देख लेने के क्या अर्थ होंगे? वह तो यह ही सोचती रही कि सूमो पहलवान घर में रखे किसी डिब्बे में कैसे समा जाएँगे? उनका आकार तो बड़ा होता है, पर बात उसे बड़ी लुभावनी लगी। उन दिनों टेलीविजन के बारे में कोई नहीं जानता था। पहलेपहल यासुकी-चान ने ही तोत्तो-चान को उसके बारे में बताया था।
प्रश्न :
(क) तोत्तो-चान को कौन-सी बात समझ में नहीं आ रही थी?
(ख) तोत्तो-चान उस समय क्या सोच रही थी?
(ग) टेलीविजन के बारे में किसने किसे बताया था?
(घ) तोत्तो-चान को कौन-सी बात लुभावनी लगी।
उत्तर :
(क) तोत्तो-चान यह नहीं समझा रही थी कि यासुकी चान को घर बैठे चीजें देखने से क्या लाभ होगा?
(ख) तोत्तो-चान उस समय सोच रही थी कि इतने बड़े आकार का सूमो पहलवान छोटे-से डिब्बे में कैसे समा जायेगा?
(ग) टेलीविजन के बारे में यासुकी-चान ने तोत्तो-चान को बताया था।
(घ) टेलीविजन पर बड़े-बड़े आकार के पहलवान आदि स्पष्ट दिखाई देते हैं, तोत्तो-चान की यह बात लुभावनी लगी।
पाठ-सार - 'अपूर्व अनुभव' शीर्षक पाठ एक संस्मरण है। इस संस्मरण में तेत्सुको कुरियानागी ने एक लड़की तोत्तोचान के साहस और आत्मीयता का रोचक वर्णन किया है।
कठिन-शब्दार्थ :