Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 1 हम पंछी उन्मुक्त गगन के Textbook Exercise Questions and Answers.
The questions presented in the RBSE Solutions for Class 7 Hindi are solved in a detailed manner. Get the accurate RBSE Solutions for Class 7 all subjects will help students to have a deeper understanding of the concepts. Here are अपठित गद्यांश कक्षा 7 with answers to learn grammar effectively and quickly.
कविता से -
प्रश्न 1.
हर तरह की सुख-सुविधाएँ पाकर भी पक्षी पिंजरे में बंद क्यों नहीं रहना चाहते?
उत्तर :
हर तरह की सुख-सुविधाएँ पाकर भी पक्षी पिंजरे में इसलिए बंद नहीं रहना चाहते, क्योंकि उन्हें बंधन में रहना पसन्द नहीं। वे अपनी इच्छा के अनुसार खुले आसमान में ऊँची उड़ान भरना, बहता जल पीना और निबौरियाँ खाना ही चाहते हैं।
प्रश्न 2.
पक्षी उन्मुक्त रहकर अपनी कौन-कौन सी इच्छाएँ| पूरी करना चाहते हैं?
उत्तर :
पक्षी उन्मुक्त रहकर आकाश की सीमा जानना चाहते हैं, क्षितिज से प्रतियोगिता करना चाहते हैं, बहता जल पीकर, कड़वी निबौरियाँ खाकर, पेड़ों की ऊँची टहनियों पर झूलकर और अपनी चोंच से आकाश के अनार के दाने रूपी तारे चुगकर अपनी इच्छाएं पूरी करना चाहते हैं।
प्रश्न 3.
भाव स्पष्ट कीजिए"या तो क्षितिज मिलन बन जाता। या तनती साँसों की डोरी।"
उत्तर :
भाव-उपर्युक्त पंक्ति में पक्षी अपनी हार्दिक इच्छा। प्रकट कर कहता है कि यदि मैं आजाद होता तो उस असीम क्षितिज से मेरी होड़ा-होड़ी हो जाती। मैं अपने पंखों से उड़कर या तो उस क्षितिज से जाकर मिल जाता या फिर मेरा प्राणान्त हो जाता।
कविता से आगे -
प्रश्न 1.
बहुत से लोग पक्षी पालते हैं
(क) पक्षियों को पालना उचित है अथवा नहीं? अपने विचार लिखिए।
(ख) क्या आपने या आपकी जानकारी में किसी ने कभी कोई पक्षी पाला है? उसकी देखरेख किस प्रकार की जाती। होगी, लिखिए।
उत्तर :
(क) भले ही लोग अपने शौक के लिए पक्षी पालते हों, पर हमारे विचार से पक्षियों को पालना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है, क्योंकि भगवान ने पक्षियों को स्वच्छन्दता के साथ जीवन जीने के लिए बनाया है। इसीलिए उन्हें उड़ने के लिए पंख दिए। इसी कारण अपनी इच्छा से ऊँची से ऊंची उड़ान भरना, पेड़ों पर घोंसले बनाकर रहना, बहता पानी पीना और फल-फूल खाना उनकी प्रवृत्ति है। तो भला पक्षी पिंजरे में कैद रहकर कैसे खुश रह सकता है। हमें उनकी आजादी में बाधक नहीं बनना चाहिए।
(ख) हाँ, हमने भी एक बार तोता पाला था। मेरे पिताजी ने उसे एक बहेलिया से खरीदा था। पिताजी उसके लिए एक पिंजरा भी खरीद कर लाए थे। उसी पिंजरे में उसे रखा था। तोते की परवरिश भी एक छोटे बच्चे की तरह की जाती है। हमने पिंजरे में पानी पीने के लिए एक कटोरी रखी थी। उसको खाने के लिए अमरूद, आम जैसे मौसमी फल और हरी मिर्च आदि देते थे। सुबह जब पिताजी उसे पिंजरे में रख कर बगीचे में ले जाते थे तब वह पेड़ों और हरियाली को देखकर बहुत प्रसन्न हो जाता था। पिंजरे से बाहर निकलने के लिए और उड़ने के लिए पिंजरे में पंख फड़फड़ाने लगता था।
प्रश्न 2.
पक्षियों को पिंजरे में बंद करने से केवल उनकी आजादी का हनन ही नहीं होता, अपितु पर्यावरण भी प्रभावित होता है। इस विषय पर दस पंक्तियों में अपने विचार लिखिए।
उत्तर :
यह ठीक बात है कि पक्षियों को पिंजरे में बन्द करने से केवल आजादी का ही हनन नहीं होता, क्योंकि उनका सहज स्वाभाविक स्वभाव होता है, 'उड़ना'। उड़े बिना वे नहीं रह सकते। पिंजरे में बन्द करके तो हम उनकी आजादी छीन लेते हैं। जिससे वे उड़ने के लिए पिंजरे में ही छटपटाते रहते हैं। इसके साथ ही हमारा पर्यावरण भी प्रभावित होता है, क्योंकि पर्यावरण में संतुलन बनाये रखने में पक्षियों की बहुत बड़ी भागीदारी होती है।
पक्षियों के न रहने पर यह सन्तुलन बिगड़ने लगता है। बहुत से पक्षी कीड़े-मकोड़ों को खाकर पर्यावरण को स्वच्छ बनाने में सहयोग करते रहते हैं। इससे हमारा पर्यावरण सन्तुलित रहता है। इसके साथ ही पक्षी फलों को खाकर उनके बीजों का प्रकीर्णन करते हैं। इस प्रकार पक्षी पेड़-पौधे के उगने तथा उनकी वृद्धि करने में भी सहायक होते हैं।
अनुमान और कल्पना -
प्रश्न 1.
क्या आपको लगता है कि मानव की वर्तमान जीवन-शैली और शहरीकरण से जड़ी योजनाएँ पक्षियों के लिए घातक हैं? पक्षियों से रहित वातावरण में अनेक समस्याएँ हो सकती हैं। इन समस्याओं से बचने के लिए हमें क्या करना चाहिए? उक्त विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन कीजिए। उत्तर :
यह कथन सही है कि वर्तमान जीवन-शैली और शहरीकरण की योजनाएँ पक्षियों के लिए घातक हैं। वृक्ष काटे जा रहे हैं, पक्षियों के लिए स्वतन्त्र पर्यावरण का अभाव है। इसलिए वृक्ष लगाने चाहिए, वनों की रक्षा करनी चाहिए तथा प्रदूषण से पर्यावरण बचाना चाहिए। वाद-विवाद में इन बिन्दुओं को रखा जाना चाहिए।
प्रश्न 2.
यदि आपके घर के किसी स्थान पर किसी पक्षी ने अपना आवास बनाया है और किसी कारणवश आपको अपना घर बदलना पड़ रहा है तो उस पक्षी के लिए किस तरह का प्रबन्ध करना आवश्यक समझेंगे? लिखिए।
उत्तर :
ऐसी दशा में हम उस पक्षी के घोसले को उचित तथा सुरक्षित स्थान पर रखेंगे। हम ऐसी व्यवस्था करेंगे ताकि वह पक्षी आराम से बाहर आ-जा सके और अपना जीवन स्वच्छन्दता से जी सके।
भाषा की बात -
प्रश्न 1.
स्वर्ण-श्रृंखला और लाल किरण-सी में रेखांकित शब्द गुणवाचक विशेषण हैं। कविता से ढूँढकर इस प्रकार के तीन और उदाहरण लिखिए।
उत्तर :
प्रश्न 2.
'भूखे-प्यासे' में द्वंद्व समास है। इन दोनों शब्दों के बीच लगे चिह्न को सामासिक चिह्न (-) कहते हैं। इस चिह्न से 'और' का संकेत मिलता है, जैसे - भूखेप्यासे = भूखे और प्यासे।
इस प्रकार के दस अन्य उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तर :
प्रश्न 1.
पिंजरे में बन्द रहकर पक्षी
(क) गा नहीं पायेंगे
(ख) उदास नहीं रह पायेंगे
(ग) खूब खायेंगे
(घ) उनके पंख नहीं देंगे।
उत्तर :
(क) गा नहीं पायेंगे
प्रश्न 2.
पक्षियों की अभिलाषा है
(क) कनक-कटोरी में खाने-पीने की
(ख) आराम का जीवन बिताने की
(ग) सोने के पिंजरे में रहने की
(घ) आकाश की ऊँचाइयाँ पाने की।
उत्तर :
(घ) आकाश की ऊँचाइयाँ पाने की।
प्रश्न 3.
पंखों की होड़ा-होड़ी से क्या तात्पर्य है?
(क) हमेशा उड़ते रहने की चाह
(ख) एक-दूसरे से आगे बढ़ने की चाह
(ग) पिंजरे को छोड़ने की चाह
(घ) क्षितिज पाने की चाह।
उत्तर :
(ख) एक-दूसरे से आगे बढ़ने की चाह
प्रश्न 4.
सोने के पिंजरे में बन्द रह कर पक्षी भूल जाएँगे
(क) स्वाभाविक रूप से उड़ना।
(ख) पेड़ों की फुनगी पर बैठना।
(ग) पेड़ों की डालों पर झूलना।
(घ) बहता पानी पीना।
उत्तर :
(क) स्वाभाविक रूप से उड़ना।
प्रश्न 5.
पक्षियों को खाने में अच्छा लगता है
(क) नीम की कड़वी निबौरियाँ खाना
(ख) नदियों और झरनों का बहता पानी पीना
(ग) कटोरी में रखी मैदा खाना
(घ) पिंजरे में रखे स्वादिष्ट फल खाना।
उत्तर :
(क) नीम की कड़वी निबौरियाँ खाना
रिक्त स्थानों की पूर्ति -
प्रश्न 6.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कोष्ठक में दिए गये सही शब्दों से कीजिए
(क) हम ........... जल पीने वाले। (बहता/ठहरा)
(ख) अपनी ................... उड़ान सब भूले। (मति/गति)
(ग) आश्रय छिन्न-भिन्न ............ डालो। (कर/हर)
उत्तर :
(क) बहता
(ख) गति
(ग) कर।
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न -
प्रश्न 7.
'हम पंछी उन्मुक्त गगन के' शीर्षक कविता में कवि ने किस भावना को उजागर किया है?
उत्तर :
इस कविता में कवि ने स्वतन्त्रता के महत्त्व की भावना को उजागर किया है।
प्रश्न 8.
पक्षी क्या सपना देखते हैं?
उत्तर :
पक्षी पेड़ की ऊँची फुनगी पर झूलने का सपना देखते
प्रश्न 9.
घोंसला न मिलने पर भी पक्षी कैसे खुश रहेंगे?
उत्तर :
घोंसला न मिलने पर भी पक्षी ऊँची उड़ान भर कर खुश रहेंगे।
प्रश्न 10.
पिंजरे में बन्द पक्षी अपने पंख क्यों नहीं फैलाते
उत्तर :
पक्षी पंख इसलिए नहीं फैलाते हैं, कि पिंजरे की सलाखों से टकरा कर उनके पंख टूट जायेंगे।
प्रश्न 11.
पक्षी कैसा जीवन जीना चाहते हैं?
उत्तर :
पक्षी स्वच्छन्द एवं स्वतन्त्र जीवन जीना चाहते हैं।
प्रश्न 12.
पक्षियों का अपने आप से क्या प्रण है?
उत्तर :
पक्षियों का अपने आप से प्रण है कि या तो क्षितिज मिलन करेंगे या फिर प्राण त्याग देंगे।
लघूत्तरात्मक प्रश्न -
प्रश्न 13.
पक्षी पिंजरे में बन्द होकर भूखे-प्यासे क्यों मर जायेंगे?
उत्तर :
क्योंकि पक्षियों को खुले वातावरण में घूम-घूम कर बहता जल पीना और नीम की कड़वी निबौरियाँ खाना ही अच्छा लगता है।
प्रश्न 14.
पक्षी सपनों में किस बात को सोचते हैं और क्यों?
उत्तर :
पक्षी पिंजरे में कैद होने के कारण पेड़ की सबसे ऊँची चोटी पर झूलने की बात केवल सपनों में ही सोचते। हैं। कैद होना उनकी विवशता है।
प्रश्न 15.
पिंजड़े में बन्द पक्षियों के अरमान क्या हैं?
उत्तर :
पिंजड़े में बन्द पक्षियों के अरमान ये हैं कि वे उड़ते-उड़ते नीले आकाश की सीमा को छू लें और अपनी लाल किरणों-सी चोंच से अनार के दानों रूपी आसमान के तारों को चुग लें।
निबन्धात्मक प्रश्न -
प्रश्न 16.
'हम पंछी उन्मुक्त गगन के' कविता हमें किस बात के लिए प्रेरित करती है?
उत्तर :
यह कविता हमें इस बात के लिए प्रेरित करती है कि हम बंधनमुक्त होकर अपनी इच्छा से जीवन जीएँ क्योंकि परतंत्र रहकर हमें दूसरों की इच्छाओं के आधार पर ही जीना पड़ता है। साथ ही परतन्त्रता के सभी सुखों से ऊपर स्वतन्त्रता होती है।
प्रश्न 17.
'हम पंछी उन्मुक्त गगन के' कविता के माध्यम से कवि हमें क्या सन्देश देना चाहता है?
उत्तर :
इस कविता के माध्यम से कवि हमें संदेश देना चाहता है कि हमें परतंत्रता किसी भी कीमत पर पसन्द नहीं है। यदि किसी कारण परतंत्रता की बेड़ियाँ पड़ भी जाएँ तो हमें स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु निरन्तर प्रयास करना चाहिए।
पाठ-परिचय - इस कविता के रचयिता शिवमंगल सिंह 'सुमन' हैं। इसमें अन्य सभी सुविधाओं की तुलना में पक्षियों के माध्यम से आजादी को श्रेष्ठ बताया गया है।
सप्रसंग व्याख्याएँ -
1. हम पंछी उन्मुक्त ............................................................ की मैदा से।
कठिन-शब्दार्थ :
प्रसंग - यह पद्यांश श्री शिवमंगल सिंह 'सुमन' द्वारा रचित 'हम पंछी उन्मुक्त गगन के' शीर्षक कविता से लिया गया है। यहाँ पिंजरे में बन्द पक्षी मनुष्य से अपनी अभिलाषा व्यक्त करते हुए कहते हैं।
व्याख्या - पक्षी कहते हैं कि हम खुले आसमान में उड़ने वाले आजाद पक्षी हैं। इसलिए पिंजरे में कैद होकर हम अपना मधुर गान नहीं गा सकेंगे। भले ही वह पिंजरा सोने का बना हुआ क्यों न हो? उल्लास में खुले हुए हमारे पंख पिंजरे में लगी इन सोने की तीलियों से टकराकर टूट जाएँगे। हम पक्षी नदियों और झरनों का बहता जल पीने वाले हैं। हम पिंजरे में कैद होकर भूखे-प्यासे रहकर मर जाएँगे। हमारे लिए पिंजरे में सोने की कटोरी में रखे हुए मैदा से तो अच्छी नीम की कड़वी निबौरी है। भाव यह है कि पिंजरे में कैद होकर सोने की कटोरी में रखी मैदा खाने से आजाद होकर खुले आकाश में उड़ना अधिक अच्छा है।
2. स्वर्ण-श्रृंखला के बंधन में .............................................. अनार के दाने।
कठिन-शब्दार्थ :
प्रसंग - यह पद्यांश 'हम पंछी उन्मुक्त गगन के' शीर्षक कविता से लिया गया है। इसके रचयिता श्री शिवमंगल सिंह 'सुमन' हैं। यहाँ पक्षी अपने बंधनयुक्त जीवन की परेशानियों और अपनी इच्छाओं को व्यक्त कर रहे हैं।
व्याख्या - पक्षी कहते हैं कि सोने की इन जंजीरों में बंधकर हम अपनी स्वाभाविक चाल और उड़ने के ढंग आदि सभी को भूल गये हैं। पेड़ों की फुनगी पर बैठना और पंखों के सहारे झूलना, अब तो हमारे लिए बस सपने की बात बनकर रह गयी है। इस बंधन में पड़ने से पहले हमारी भी यही इच्छा थी कि हम इस खले नीले आसमान की सीमा तक उड़ें और सूर्य की लाल किरणों के समान अपनी चोंच खोलकर आकाश में छाये तारों रूपी अनार के दाने चुगते रहें।
3. होती सीमा हीन। .................................................................... विजन डालो।
कठिन-शब्दार्थ :
प्रसंग - यह पद्यांश श्री शिवमंगल सिंह 'सुमन' द्वारा रचित 'हम पंछी उन्मुक्त गगन के' शीर्षक कविता से लिया गया है। पक्षी यहाँ अपने भावों को व्यक्त कर रहे हैं।
व्याख्या - पक्षी कहते हैं कि स्वतन्त्र रहते हुए आसमान की ऊँचाइयों को छूते हुए उनके पंखों में इस प्रकार की होड़ लग जाती कि उड़ते-उड़ते या तो वे क्षितिज को पा जाते या फिर अपने प्राण गंवा देते। पक्षी कहते हैं कि चाहे उन्हें रहने के लिए घोंसला न दो। टहनी का आश्रय भी तहस-नहस कर दो, लेकिन ईश्वर ने उन्हें पंख दिए हैं तो उनकी उड़ान में बाधा न डालो। उन्हें आजादी के साथ उड़ने दो।