Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 4 Hindi Chapter 6 हमें जलाशय लगते प्यारे Textbook Exercise Questions and Answers.
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सोचें और बताएँ -
हमें जलाशय लगते प्यारे प्रश्न 1.
सुकाल के सेतु किसे बताया गया है?
उत्तर :
पोखर, झील और तालाब अर्थात् जलाशयों को सुकाल का सेतु बताया गया है।
RBSE Class 4 Hindi Chapter 6 Question Answer प्रश्न 2.
धरती के अनुपम दानी किन-किनको बताया गया है?
उत्तर :
कुआँ, बावड़ी, कुई-कुंड को धरती का अनुपम दानी बताया गया है।
Class 4 Hindi Chapter 6 प्रश्न 3.
अपना पानी कौन नहीं पीते हैं?
उत्तर :
जलाशय अपना पानी नहीं पीते हैं।
लिखें -
Class 4 Hindi Chapter 6 Question Answer प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों में से उचित शब्द चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति करें -
(बादल, झीलें, अकाल, लबालब)
(अ) ......... अमृत जल भर लाते।
(ब) पोखर ......... या हो ताल।
(स) जहाँ ............. ये मिलते हैं।
(द) वहाँ न होता कभी ..........।
उत्तर :
(अ) बादल
(ब) झीलें
(स) लबालब
(द) अकाल।
Class 4th Hindi Chapter 6 Question Answer प्रश्न 2.
सुकाल कब होता है?
उत्तर :
जब बादल बरसते हैं, और जलाशय लबालब भर जाते हैं, तब सुकाल होता है।
कक्षा 4 हिंदी के प्रश्न उत्तर पाठ 6 प्रश्न 3.
जलाशय पर लोग क्या-क्या करते हैं?
उत्तर :
जलाशय पर लोग पूजा, तर्पण, संध्या वन्दन करते हैं और नमाजी लोग वजू करते हैं।
Hindi Class 4 Chapter 6 प्रश्न 4.
जलाशयों को अनुपम दानी क्यों कहा गया
उत्तर :
जलाशय अपना पानी स्वयं नहीं पीकर औरों के हित के लिए इकट्ठा करते हैं, इसलिए जलाशयों को अनुपम दानी कहा गया है।
Class 4 Chapter 6 Hindi Question Answer प्रश्न 5.
हमें जलाशयों की सरक्षा क्यों करनी चाहिए?
उत्तर :
जलाशयों के नष्ट होने पर प्राणियों के जीवन पर भारी संकट आ सकता है। क्योंकि जल के बिना जीवन नहीं रह सकता। इसलिए हमें जलाशयों की सुरक्षा करनी चाहिए।
भाषा की बात -
पाठ में 'अमृत-जल' जैसे शब्द आए हैं। अमृत और जल के बीच में (-) चिह्न लगाया गया है। इस चिह्न को 'योजक' चिह्न अर्थात् जोड़ने वाला |चिह्न कहते हैं। इस पाठ में आए, इस प्रकार के शब्दों को छाँटकर लिखिए।
उत्तर :
वारे-न्यारे, दीप-जहाजी, धर्म-आस्था, द्वारे-द्वारे, कुई-कुण्ड, अमृत-जल।
यह भी करें -
अपने परिवेश में उपलब्ध जल-स्रोतों की सूची बनाओ। उनकी स्वच्छता पर ध्यान रखें, जल की बचत करें।
उत्तर :
राजस्थान में प्रमुख जल-स्रोत हैं - कुएँ, तालाब पोखर, झील, नदियाँ। इनकी स्वच्छता के लिए जन| सहयोग जरूरी है।
जल के उपयोग क्या-क्या हैं? अगर प्रकृति में जल नहीं रहेगा, तो हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा? अपने शब्दों में एक लेख तैयार कर कक्षा में सुनाएँ।
उत्तर :
जल का उपयोग पीने में, खाना बनाने में, नहाने व कपड़े धोने में, घर की साफ-सफाई करने में, पेड़पौधों व खेती की सिंचाई करने में तथा अन्य अनेक कामों में किया जाता है। अगर जल नहीं होगा, तो प्रकृति सूख जायेगी और सभी प्राणी प्यास से व्याकुल होकर मर जायेंगे।
जल-संरक्षण के उपाय क्या-क्या हो सकते हैं? अपने से बड़ों से चर्चा कर लिखिए।
उत्तर :
जल-संरक्षण के ये उपाय हो सकते हैं -
वस्तुनिष्ठ प्रश्न -
प्रश्न 1.
अमृत-जल भर कर कौन लाते हैं?
(अ) कुआँ
(ब) तालाब
(स) पोखर
(द) बादल।
उत्तर :
(द) बादल।
प्रश्न 2.
धर्म-आस्था के धारे कहे गये हैं -
(अ) संध्या
(ब) तर्पण
(स) जलाशय
(द) व्रत।
उत्तर :
(स) जलाशय
प्रश्न 3.
नमाजी जलाशय पर क्या करते हैं?
(अ) वजू
(ब) पूजा
(स) व्रत
(द) तर्पण।
उत्तर :
(अ) वजू
प्रश्न 4.
जलाशयों की रक्षा की जिम्मेदारी किसकी है?
(अ) सरकार की
(ब) हम सब की
(स) विद्यार्थियों की
(द) महिलाओं की।
उत्तर :
(ब) हम सब की
रिक्त स्थान भरो -
1. हमें .......... लगते प्यारे। (बादल/जलाशय)
2. करने आते वजू .........। (पुजारी/नमाजी)
3. खुशहाली के ये ...........। (रखवारे/हरकारे)
4. धर्म ............. के ये धारे। (आस्था /पुण्य)
उत्तर :
1. जलाशय
2. नमाजी
3. हरकारे
4. आस्था।
सत्य/असत्य -
1. ये सब जीवन के रखवारे। (सत्य/असत्य)
2. कोई न इनकी पूजा करता। (सत्य/असत्य)
3. धर्म-आस्था के ये धारे। (सत्य/असत्य)
4. खुशहाली के ये हरकारे। (सत्य/असत्य)
उत्तर :
1. सत्य
2. असत्य
3. सत्य
4. सत्य।
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न -
प्रश्न 1.
सबके जीवन का रखवाला किन्हें बताया गया
उत्तर :
जलाशयों को सबके जीवन का रखवाला बताया गया है।
प्रश्न 2.
जलाशयों को किसका हरकारा बताया गया
उत्तर :
जलाशयों को खुशहाली का हरकारा बताया गया है।
प्रश्न 3.
जलाशय किसके लिए पानी संचित करते हैं?
उत्तर :
जलाशय सभी प्राणियों के लिए पानी संचित करते हैं।
प्रश्न 4.
बादल बरसने पर क्या होता है?
उत्तर :
बादल बरसने पर जलाशय लबालब भर जाते हैं।
प्रश्न 5.
हमारी क्या जिम्मेदारी है?
उत्तर :
जलाशयों की रक्षा और सुरक्षा करना हम सबकी जिम्मेदारी है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न -
प्रश्न 1.
जलाशयों से सबके जीवन में खुशहाली कैसे आती है?
उत्तर :
जलाशय चाहे वो झील हो, कुआँ हो, तालाब हो या कुण्ड सभी में यदि पानी उपलब्ध रहेगा तो खेतों में फसल उगाई जा सकेगी और इससे सबके जीवन में खुशहाली आएगी। सब तरफ सुकाल होगा और लोगों के वारे-न्यारे होंगे।
प्रश्न 2.
जलाशयों को दानी क्यों बताया गया है?
उत्तर :
जलाशय परोपकार का कार्य करते हैं। वे सभी प्राणियों के लिए पीने व अन्य कार्यों के लिए पानी एकत्रित करते हैं और उस पानी में से स्वयं के लिए कुछ भी नहीं रखते। इसलिए जलाशयों को दानी बताया गया है।
प्रश्न 3.
हम जलाशयों की सुरक्षा कैसे कर सकते हैं?
उत्तर :
जलाशय हमारी अनमोल धरोहर हैं। हम पानी को गन्दा होने से बचाकर उसे प्रदूषण मुक्त रख सकते हैं। कुआँ, बावड़ी, तालाब व झील इत्यादि में बारिश का पानी आने का मार्ग खुला छोड़कर उनमें पानी भरने दें और पानी की व्यर्थ बर्बादी रोककर हम जलाशयों की रक्षा कर सकते हैं।
प्रश्न 4.
'औरों के हित संचित करते' इससे क्या आशय है?
उत्तर :
इसका आशय यह है कि जलाशय जो जल संचित करते हैं, वे उसका उपयोग खुद नहीं करते हैं, वे तो दूसरों के लिए जल एकत्र करते हैं और सदा दूसरों की भलाई करते हैं। एक प्रकार से वे परोपकारी होते हैं।
प्रश्न 5.
'जीवन हँसता द्वारे-द्वारे' इससे क्या अभिप्राय है?
उत्तर :
जलाशय में जो जल रहता है, उसका उपयोग सभी प्राणी करते हैं। जलाशय के कारण ही सभी के जीवन की रक्षा होती है और प्रत्येक घर में खुशी दिखाई देती है। सभी लोगों का जीवन प्रसन्न रहता है।
निबन्धात्मक प्रश्न -
प्रश्न 1.
'हमें जलाशय लगते प्यारे' कविता में कवि ने क्या सन्देश दिया है?
उत्तर :
इस कविता के माध्यम से कवि ने सन्देश दिया है कि जल से जीवन की रक्षा होती है। इसलिए जल का संरक्षण करना चाहिए। पोखर, तालाब, झील, कुआँ या कुण्ड आदि सभी जलाशयों की सफाई और सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए। जलाशयों का जल सभी के काम आता है। जलाशय सुन्दर लगते हैं, उपयोगी और परोपकारी होते हैं। जलाशय लबालब भरे रहने पर अकाल नहीं पड़ता है। हमें इनकी रक्षा करनी चाहिए।
प्रश्न 2.
'हमें जलाशय लगते प्यारे' कविता का मूल भाव अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
यह कविता जल एवं जलाशय के महत्त्व पर आधारित है। जलाशयों में जब लबालब जल भरा रहता है, तो उसका उपयोग सभी लोग अपनी-अपनी जरूरत के अनुसार करते हैं। कोई सन्ध्या, तर्पण, व्रत कर दीपदान करता है, कोई वजू करता है। जलाशय का जल पीने, नहाने एवं खेती-बाड़ी के काम में आता है। हमारे देश में जलाशयों में पवित्र आस्था रखते हैं। ये हमें अत्यन्त प्यारे लगते हैं। जलाशय अपना जल स्वयं नहीं पीते हैं, ये सदा दूसरों की भलाई करते हैं। अतः हम सभी को जलाशयों या जलस्रोतों की रक्षा करनी चाहिए।
पाठ परिचय - प्रस्तुत कविता में कवि ने जलाशयों की उपयोगिता बताते हुए जल संरक्षण के महत्त्व के बारे में बताया है। कविता में कवि ने बताया है कि जलाशय जाति-धर्म से ऊपर उठकर सब लोगों के जीवन में खशहाली लाते हैं।
ये अनुपम दानी हैं, जो समस्त प्राणियों को नि:स्वार्थ भाव से सिर्फ देने का काम करते हैं। यदि जलाशय नष्ट हो गए तो हम सब पर भारी आफत आ सकती है। इसलिए इन जलाशयों का संरक्षण करना हमारी सबकी जिम्मेदारी है।
हमें जलाशय लगते प्यारे कठिन शब्दार्थ एवं सरलार्थ :
हमें जलाशय लगते प्यारे
ये सब जीवन के रखवारे।
बादल अमृत-जल भर लाते,
पोखर झीलें या हो ताल।
जहाँ लबालब ये मिलते हैं,
वहाँ न होता कभी अकाल।
ये सुकाल के सेतु इनसे,
सबके हैं वारे-न्यारे।
हमें जलाशय लगते प्यारे।
कठिन शब्दार्थ :
सरलार्थ -कवि कहता है कि जलाशय हमें बहुत प्यारे लगते हैं। ये समस्त प्राणियों के रखवाले हैं। बादल जब वर्षा करते हैं और अमृत के समान जल भरकर लाते हैं, तो ये पोखर, तालाब, झीलें आदि सब पानी से लबालब भर जाते हैं। फिर कभी अकाल नहीं होता है। ये जलाशय सुखसमृद्धि और सम्पन्नता के मार्ग हैं। इन्हीं से लोगों में सम्पन्नता आती है, इसलिए ये जलाशय हमें बहुत प्यारे लगते हैं।
कोई जल की पूजा करते,
करने आते वजू नमाजी।
कोई संध्या, तर्पण, व्रत कर,
तैराते हैं दीप-जहाजी।
धर्म-आस्था को ये धारे,
जीवन हँसता द्वारे-द्वारे।
हमें जलाशय लगते प्यारे।
कठिन शब्दार्थ :
सरलार्थ - धार्मिक कार्यों के लिए जलाशयों के महत्त्व को बताते हुए कवि लिखता है कि कई लोग जल की पूजा करते हैं, नदी, कुआँ इत्यादि की पूजा करते हैं। जलाशयों पर ही नमाज अता करने से पहले नमाजी लोग वजू करने अर्थात् हाथ-पैर धोने आते हैं। जलाशयों पर कई लोग संध्या वन्दन करते हैं, अपने पूर्वजों का तर्पण करते हैं।
यहीं पर लोग व्रत इत्यादि की पूजा करते हैं और दीपदान करते हैं। ये जलाशय ही सब लोगों की आस्था और धर्म के रक्षक हैं। इन्हीं के कारण लोगों के घर खुशहाली से भरे रहते हैं। इसलिए ये जलाशय हमें प्यारे लगते हैं।
औरों के हित संचित करते,
कभी न पीते अपना पानी।
कूप, बावड़ी, कुई-कुण्ड ये,
इस धरती के अनुपम दानी।
खुशहाली के ये हरकारे,
पक्षी आते पंख पसारे।
हमें जलाशय लगते प्यारे।
कठिन शब्दार्थ :
सरलार्थ - कवि कहता है कि ये जलाशय केवल दूसरों की भलाई के लिए ही जल इकट्ठा रखते हैं। ये कभी भी अपना पानी खुद नहीं पीते। कुआँ, बावड़ी, कुई, कुण्ड ये सभी इस धरती पर सर्वोत्तम दानी हैं। ये सब खुशहाली के वाहक हैं।। पक्षी भी इनके पास अपने पंख फैलाकर आते हैं, इसलिए हमें जलाशय बहुत प्यारे लगते हैं।
इनकी रक्षा और सुरक्षा,
हम सबकी है जिम्मेदारी।
इनके रूठे आ सकती है,
हर प्राणी पर आफत भारी।
हैं ये सबके सहज सहारे,
हमें जलाशय लगते प्यारे।
कठिन शब्दार्थ :
सरलार्थ - अन्त में कवि हमें अपनी जिम्मेदारी याद दिलाते हुए कहता है कि इन जलाशयों की रक्षा और सुरक्षा हमारी सबकी जिम्मेदारी है, अर्थात् हमें इन्हें प्रदूषण से और नष्ट होने से बचाना है। कवि कहना है कि यदि ये जलाशय हम से रूठ गए, अर्थात् नष्ट हो गए तो सभी प्राणियों पर भारी संकट आ सकता है। ये जलाशय 'हमारे जीवन के सबसे सुलभ सहारे हैं। इसलिए ये जलाशय हमें प्यारे लगते हैं।