RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 20 उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 20 उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 12 Home Science Solutions Chapter 20 उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण

RBSE Class 12 Home Science उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
निम्नलिखित को दो-तीन पंक्तियों में समझाइए-
(क) उपभोक्ता 
(ख) उपभोक्ता के अधिकार
(ग) उपभोक्ता के दायित्व
(घ) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम
(ङ) उपभोक्ता समस्यायें। 
उत्तर:
(क) उपभोक्ता-हम उपभोक्ता को वस्तुओं और सेवाओं को अपनी व्यक्तिगत जरूरतों की संतुष्टि के लिए खरीददारी करने वाले के रूप में परिभाषित कर सकते हैं, जिनमें प्राकृतिक उत्पादों से लेकर बाजार के उत्पाद व सेवाएँ शामिल हैं।

(ख) उपभोक्ता के अधिकार-उपभोक्ता अधिकार वे अधिकार होते हैं, जो कानूनी रूप से उपभोक्ता हितों की सुरक्षा के लिए प्रदान किए जाते हैं । ताकि सभी उपभोक्ताओं को उचित गुणवत्तापूर्ण वस्तुएँ और सेवाएँ उचित कीमतों पर प्राप्त हो सकें।

(ग) उपभोक्ता के दायित्व-उपभोक्ता के रूप में प्रत्येक मनुष्य के दायित्व भी हैं, वे कानूनों की पूर्ण जानकारी रखें, ईमानदारी से वस्तुओं व सेवाओं को खरीदें, मानकीकरण चिन्हों वाले उत्पाद खरीदें तथा खरीद की रसीद व संबद्ध दस्तावेज अपने पास रखें।

(घ) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-भारत सरकार ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत छ: उपभोक्ता अधिकारों को स्वीकृत तथा प्रतिष्ठापित किया है। ये हैं-(1) सुरक्षा, (2) सूचित किए जाने, (3) चयन, (4) सुने जाने, (5) निवारण तथा (6) शिक्षा के अधिकार।

(ङ) उपभोक्ता समस्यायें-उपभोक्ता को वस्तु के निर्माण/सेवा प्रदाता द्वारा खराब उत्पादों को बेचने, मिलावटखोरी, अधिक कीमतों, गलत तौल व वजन, अधूरी जानकारी देने, नकली वस्तुएँ तथा भ्रमित विज्ञापनों आदि की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित को सूचीबद्ध कीजिए-
(क) कोई तीन उपभोक्ता अधिकार
(ख) कोई तीन उपभोक्ता दायित्व
(ग) कोई पांच उपभोक्ता समस्यायें
(घ) कोई तीन मानकीकरण चिन्ह (मार्क)।
उत्तर:
(क) तीन उपभोक्ता अधिकार ये हैं-

  • सुरक्षा का अधिकार
  • सूचित किए जाने का अधिकार
  • चयन का अधिकार

(ख) तीन उपभोक्ता दायित्व ये हैं-

  • विभिन्न कानूनों और वैधानिक प्रावधानों के विषय में अपनी जानकारी को नियमित तौर पर अद्यतन करना।
  • मानकीकरण चिन्हों वाले उत्पाद खरीदना।
  • खरीद की रसीद तथा अन्य दस्तावेजों को अपने पास रखना।

(ग) पांच उपभोक्ता समस्यायें ये हैं-

  • व्यापारी द्वारा कम स्तर की खराब गुणवत्ता वस्तुएं बेचना।
  • मिलावटखोरी।
  • व्यापारी द्वारा वस्तु की अधिक कीमत लेना।
  • गलत तौल और माप।
  • व्यापारी द्वारा अप्रामाणिक/नकली/जाली उत्पाद बेचना।

(घ) तीन मानकीकरण चिन्ह निम्नलिखित हैं-

  • आई.एस.आई. मार्क
  • एगमार्क और फल उत्पाद आदेश (एफ.पी.ओ.)
  • वूल मार्क।

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प्रश्न 3.
बताइए कि निम्नलिखित वक्तव्य सत्य हैं या असत्य-
(क) आई.एस.आई. मार्क बी.आई.एस. द्वारा दिया जाता है।
(ख) एगमार्क कृषि उत्पादों के लिए होता है।
(ग) सुरक्षा का अधिकार उपभोक्ता अधिकार नहीं है।
(घ) 'वॉयस' एक उपभोक्ता संगठन का नाम है।
उत्तर:
(क) सत्य,
(ख) सत्य,
(ग) असत्य,
(घ) सत्य।

प्रश्न 4.
उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण की मूलभूत संकल्पनाओं की संक्षेप में चर्चा कीजिए।
उत्तर:
उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण की मूलभूत संकल्पनाएँ
उपभोक्ता शिक्षा और संरक्षण की मूलभूत संकल्पनाएँ निम्नलिखित हैं- 
(1) उपभोक्ता-हम उपभोक्ता को वस्तुओं और सेवाओं को अपनी व्यक्तिगत जरूरतों की संतुष्टि के लिए खरीददारी करने वाले के रूप में परिभाषित कर सकते हैं, जिनमें प्राकृतिक उत्पादों से लेकर बाजार के उत्पाद और सेवाएँ तक शामिल होती हैं। 

उपभोक्ता किसी सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र के प्राथमिक घटक होते हैं क्योंकि प्रत्येक मनुष्य छोटे से बड़े स्तर तक का उपभोक्ता है। 

(2) उपभोक्ता उत्पाद-उपभोक्ता उत्पाद का अर्थ है-ऐसी कोई भी वस्तु जिसे उपभोक्ता के व्यक्तिगत या परिवार के प्रयोग के लिए अपने घर में अथवा किसी संस्थान, जैसे-विद्यालय, अस्पताल, महाविद्यालय, कार्यालय आदि में अथवा व्यावसायिक उद्देश्य से निर्मित किया या बिक्री के लिए वितरित किया जाता है।

(3) उपभोक्ता व्यवहार-उपभोक्ता व्यवहार वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा खरीदार खरीदने के बारे में निर्णय लेता है।

(4) उपभोक्ता फोरम-उपभोक्ता फोरम वह स्थान/संगठन है, जहां उपभोक्ता, उपभोक्ता-उत्पादों, सेवाओं और उनके लाभ और हानियों के बारे में चर्चा कर सकते हैं। कुछ फोरम (मंच) ऐसे समर्थन समूहों के रूप में कार्य करते हैं जो उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करते हैं और उपभोक्ता उत्पादों द्वारा होने वाली समस्याओं को प्रस्तुत करने में सहायता करते हैं।

(5) उपभोक्ता आगमन संख्या-उपभोक्ता आगमन संख्या का अर्थ है-किसी स्थान विशेष जैसे किसी दुकान, स्टोर अथवा किसी मॉल में आने वाले उपभोक्ताओं अथवा ग्राहकों की संख्या।

(6) उपभोक्ता-अपेक्षाएँ-वस्तओं को खरीदते समय उपभोक्ताओं की जो अपेक्षाएँ होती हैं उन्हें उपभोक्ता अपेक्षाएँ कहते हैं। वस्तु खरीदते समय उपभोक्ता यह उम्मीद करता है कि वस्तु के बारे में उसे उपयुक्त जानकारी हो, वस्तु प्रामाणिक (असली) हो, वह गुणवत्तापूर्ण हो, शुद्ध हो, उसका वजन व माप सही हो तथा वह उचित कीमत पर मिले। उपभोक्ता की वस्तु खरीदते समय की ये अपेक्षाएँ (उम्मीदें) ही उपभोक्ता-अपेक्षाएँ हैं।

(7) उपभोक्ता समस्यायें-अनेक बार उपभोक्ता इसलिए समस्याओं का सामना करते हैं क्योंकि निर्माता या सेवा प्रदाता उनकी सभी अपेक्षाओं को पूरा करने में असमर्थ रहते हैं। उनमें से कुछ धोखेबाजी भी कर सकते हैं, और अनेक उपभोक्ता निर्माताओं या खुदरा व्यापारियों द्वारा खराब उत्पादों को बेचने, अधिक कीमतों, मिलावटखोरी, गलत तौल व वजन के शिकार हो जाते हैं तथा उन्हें विभिन्न संरक्षण उपायों की जानकारी नहीं होती है। ये सभी उपभोक्ताओं द्वारा झेली जाने वाली समस्यायें हैं, जिन्हें उपभोक्ता समस्याओं के नाम से जाना जाता है।

(8) उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, उपभोक्ता के हित में भारत सरकार द्वारा 1986 में पारित किया गया एक कानून है। इसका मुख्य कार्य उपभोक्ताओं की बाजार में मौजूद कपटपूर्ण बाजार नीतियों से सुरक्षा करना और उनकी शिकायतों का निवारण करना है। यह उपभोक्ता की शिकायतों के लिए उन्हें सरल, शीघ्र और सस्ता निवारण उपलब्ध कराता है।

इस अधिनियम के निम्नलिखित दो पहलू हैं-
(i) यह उपभोक्ता को अपनी शिकायत, अधिकारी से करने का अधिकार देता है और उस शिकायत के तत्काल निवारण की मांग करता है।

(ii) उपभोक्ता इसके तहत विनिर्माता द्वारा की गई लापरवाही की वजह से होने वाली किसी हानि अथवा क्षति के लिए हर्जाने का दावा कर सकता है। यह बात सभी वस्तुओं और सेवाओं पर लागू होती है, सिवाय उन वस्तुओं के जिन्हें केन्द्र सरकार द्वारा स्पष्ट रूप से अधिसूचित किया गया है। इस अधिनियम ने उपभोक्ता आंदोलन को सशक्त, व्यापक आधार वाला, प्रभावी और जनमूलक बना दिया है। 

(9) उपभोक्ता अधिकार-उपभोक्ता अधिकार वे अधिकार होते हैं जो कानूनी रूप से उपभोक्ता के हितों की सुरक्षा के लिए प्रदान किए जाते हैं । इस अधिकारों की रचना यह सुनिश्चित करने के लिए की गई है कि सभी उपभोक्ताओं को उचित गुणवत्तापूर्ण वस्तुएं और सेवाएं, उचित कीमतों पर प्राप्त हो सके।

भारत में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत उपभोक्ताओं को छः उपभोक्ता अधिकार प्राप्त हैं। ये हैं-

  • उपभोक्ता के स्वास्थ्य/जीवन को होने वाले हानिकारक प्रभाव से सुरक्षा का अधिकार।
  • वस्तुओं तथा सेवाओं की गुणवत्ता, मात्रा, क्षमता, शुद्धता स्तर और कीमत के बारे में जानकारी पाने का अधिकार।
  • प्रत्येक खरीदार को विभिन्न उत्पादों में से इच्छानुसार चयन का अधिकार।
  • उपभोक्ताओं के हितों पर उपयुक्त मंचों पर बात सुने जाने का अधिकार।
  • शिकायत निवारण प्राप्त करने का अधिकार।
  • उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार।

(10) मानकीकरण-उपभोक्ता संरक्षण की एक अन्य कार्यविधि मानकीकरण चिन्ह (मार्क) के जरिए संरक्षण प्रदान करना है। उपभोक्ताओं को मानकीकरण वाले उत्पादों को ही खरीदना चाहिए ताकि उत्पाद की गुणवत्ता/शुद्धता सुनिश्चित की जा सके। कुछ मानक चिन्ह इस प्रकार हैं-

  • आई.एस.आई. मार्क-यह भारतीय मानक ब्यूरो (बी.एस.आई.) का प्रमाणन चिन्ह है। आई.एस.आई. मानकों में खाद्य वस्तुएँ जैसे-सब्जियां, फल, व मांस उत्पाद, मसाले, संसाधित खाद्य पदार्थ, अनाज तथा सोया उत्पाद, टॉफी और पेय पदार्थ आदि आते हैं।
  • एगमार्क और फल उत्पाद आदेश (एफ.पी.ओ.)-ये मानक भारत सरकार द्वारा लागू किये गए हैं। उपभोक्ता को कोई भी कृषि उत्पाद खरीदने से पहले उस पर एगमार्क मुहर देख लेनी चाहिए। एफ.पी.ओ. विभिन्न फल एवं सब्जी उत्पादों की गुणवत्ता, संसाधन की सुविधाओं आदि के संदर्भ में वैधानिक न्यूनतम मान्यता निर्धारित करता है।
  • वल मार्क-यह अच्छी गुणवत्ता की ऊन तथा ऊनी वस्त्रों के लिए अन्तर्राष्ट्रीय ऊन सचिवालय का मानक चिन्ह है।
  • सिल्क मार्क-यह शुद्ध रेशम के आश्वासन के लिए गुणवत्ता आश्वासन का लेबल है जो शुद्ध प्राकृतिक रेशम के ब्रांड का काम करता है।
  • हॉल मार्क-एक प्लैटिनम, चांदी, सोने के आभूषणों की शुद्धता की मात्रा का चिन्ह है।

(11) उपभोक्ता के दायित्व-उपभोक्ता के अधिकारों के साथ-साथ उसके कर्त्तव्य भी होते हैं।
अपने अधिकारों का प्रयोग करने से पहले हमें उपभोक्ता के दायित्वों की जानकारी होना आवश्यक है। उपभोक्ता के प्रमुख दायित्व निम्नलिखित हैं-

  • सरकार द्वारा बनाए गए विभिन्न कानूनों और वैधानिक प्रावधानों के विषय में नियमित तौर पर अद्यतन जानकारी करना।
  • सभी लेन-देन ईमानदारी से करना।
  • बाजार का सर्वेक्षण कर उपलब्ध वस्तुओं के विभिन्न ब्रांडों का ज्ञान तथा उनकी कीमतों की तुलना करना।
  • उपलब्ध विभिन्न किस्मों में से बिना रोक-टोक चयन करना।
  • खरीदारी करते समय वस्तु के लेबल पर लिखी समस्त जानकारी पढ़ना।
  • मानकीकरण के चिन्हों वाले उत्पाद खरीदना।
  • उपभोक्ता को खरीद की रसीद और अन्य संबद्ध दस्तावेज अपने पास रखना। 
  • बीमा, क्रेडिट कार्ड, बैंक जमा आदि सेवाओं को खरीदते समय, उसकी सभी शर्तों और नियमों, दायित्वों तथा सेवा प्रभावों को समझ लेना। 
  • विभिन्न राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय उपभोक्ता संगठनों की गतिविधियों व कार्यों के बारे में जानकारी बढ़ाना।
Prasanna
Last Updated on July 25, 2022, 3:14 p.m.
Published July 23, 2022