RBSE Class 12 Home Science Important Questions Chapter 25 विकास कार्यक्रमों का प्रबंधन

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RBSE Class 12 Home Science Important Questions Chapter 25 विकास कार्यक्रमों का प्रबंधन

बहुचयनात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
वर्तमान में कितने भारतीय गरीबी रेखा के नीचे रह रहे हैं-
(अ) 456 मिलियन 
(ब) 356 मिलियन
(स) 256 मिलियन 
(द) 656 मिलियन
उत्तर:
(अ) 456 मिलियन 

प्रश्न 2.
सहस्राब्दि विकास के विकास लक्ष्य हैं-
(अ) पांच 
(ब) दस
(स) आठ 
(द) सात
उत्तर:
(स) आठ

प्रश्न 3.
द्वितीयक पणधारी होते हैं-
(अ) प्रत्यक्ष रीति से प्रभावित होने वाले 
(ब) बिचौलिए
(स) अन्तिम रूप से कार्यक्रम से प्रभावित होने वाले
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) बिचौलिए

प्रश्न 4.
विकास कार्यक्रम चक्र का पहला चरण है-
(अ) विषयवस्तु का विश्लेषण करना 
(ब) योजनाओं को कार्यान्वित करना
(स) कार्य-योजना की रूपरेखा बनाना 
(द) योजना का मूल्यांकन करना
उत्तर:
(अ) विषयवस्तु का विश्लेषण करना

प्रश्न 5.
विकास कार्यक्रम का तीसरा चरण है-
(अ) विषय-वस्तु का विश्लेषण करना 
(ब) योजना को कार्यान्वित करना
(स) योजना का मूल्यांकन करना 
(द) योजना की रूपरेखा बनाना 
उत्तर:
(ब) योजना को कार्यान्वित करना

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रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

1. विकासात्मक घटक में ऐसे क्रियाकलाप होते हैं जिनका केन्द्र बिंदु मुख्य रूप से अंतः क्षेत्रों की .................. तैयार करना होता है।
2. विकास कार्यक्रम और मूल्यांकन को आजकल एक प्रक्रिया और ..................... की भांति जाना जाता है।
3. व्यक्तियों के साथ कार्यक्रम बनाने का अर्थ है-व्यक्तियों से सम्मिलित होने के विषय में .................. दृष्टिकोण अपनाना।
4. पणधारी वे व्यक्ति हैं, जिनका किसी कार्यक्रम में ..................... है।
5. विकास-कार्यक्रम चक्र का अन्तिम चरण है-योजना का...................।
उत्तर:
1. संकल्पना,
2. सामाजिक कार्य व्यवहार,
3. व्यापक,
4. निश्चित हित,
5. मूल्यांकन करना।

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
सहस्राब्दि विकास के कोई दो लक्ष्य बताइए। 
उत्तर:

  • अतिनिर्धनता और भूख का उन्मूलन।
  • जेंडर समानता तथा महिलाओं का सशक्तिकरण।

प्रश्न 2.
कार्यक्रम मूल्यांकन क्या है?
उत्तर:
कार्यक्रम मूल्यांकन एक प्रक्रिया है जिसका उपयोग रूपरेखा तथा प्रस्तुति क्षेत्र के प्रभावी होने तथा लक्ष्य किस सीमा तक प्राप्त हुआ है, को प्राप्त करने में किया जाता है।

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प्रश्न 3.
विकास कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाते समय उनमें कितने घटक होते हैं?
उत्तर:
विकास कार्यक्रमों की रूपरेखा बनाते समय ये तीन घटक होते हैं-

  • विकासात्मक,
  • संस्थागत,
  • सूचनात्मक।

प्रश्न 4.
विकासात्मक घटक में किस प्रकार के क्रियाकलाप होते हैं?
उत्तर:
विकासात्मक घटक में ऐसे क्रियाकलाप होते हैं जिनका केन्द्र बिन्दु अन्तः क्षेत्रों की संकल्पना तैयार करना होता है।

प्रश्न 5.
संस्थागत घटक में क्या सम्मिलित है? 
उत्तर:
संस्थागत घटक में कार्यक्रम के क्रियान्वयन में जुड़े विभिन्न व्यक्तियों की भूमिका की क्षमता का निर्माण सम्मिलित है। 

प्रश्न 6.
पणधारी कौन हैं?
उत्तर:
पणधारी वे व्यक्ति हैं, जिनका किसी कार्यक्रम में निश्चित हित है और वे किसी न किसी रूप में इससे जुड़े हुए हैं।

प्रश्न 7.
प्राथमिक पणधारी से क्या आशय है?
उत्तर:
प्राथमिक पणधारी वे व्यक्ति हैं जो प्रत्यक्ष रीति से या अंततोगत्वा कार्यक्रम से प्रभावित होते हैं।

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प्रश्न 8.
द्वितीयक पणधारी से क्या आशय है?
उत्तर:
द्वितीयक पणधारी बिचौलियों के रूप में होते हैं, जैसे-कार्यान्वित करने वाली संस्थाएं या अन्य व्यक्ति।

प्रश्न 9.
विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए विभिन्न पणधारियों को क्या कार्य करने की आवश्यकता है?
उत्तर:
विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए विभिन्न पणधारियों को अपने लिए आवश्यक विविध संसाधनों को जुटाकर एक साथ कार्य करने की आवश्यकता है।

प्रश्न 10.
मूल्यांकन कार्यक्रम चक्र के किस चरण पर किया जाता है?
उत्तर:
अधिकांश स्थितियों में मूल्यांकन परियोजना या कार्यक्रम के अंतिम चरण में किया जाता है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
विकासकार्यक्रम एवं मूल्यांकन में जनसाधारण की सहभागिता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 
उत्तर:
विकासकार्यक्रम एवं मूल्यांकन में जनसाधारण की सहभागिता-
विकास-कार्यक्रम एवं मूल्यांकन में जनसाधारण के साथ कार्यक्रम बनाने का अर्थ है-व्यक्तियों के सम्मिलित होने के विषय में व्यापक दृष्टिकोण अपनाना। आधुनिक संदर्भ में जनसाधारण की सहभागिता का अर्थ है-विचार प्रक्रिया तथा व्यवहार में व्यक्तियों की सहभागिता, कार्यक्रम के प्रारंभ से अन्त तक कार्यान्वयन में निर्णय लेने के अधिकार सहित सक्रिय भाग लेने की प्रक्रिया और संसाधनों व संस्थाओं तक पहुँच और नियंत्रण। 

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प्रश्न 2.
रचनात्मक मूल्यांकन को समझाइए। 
उत्तर:
रचनात्मक मूल्यांकन-रचनात्मक मूल्यांकन का केन्द्र बिन्दु कार्यक्रम सुधार, रूपान्तर तथा प्रबंधन के लिए सूचना पर होता है। यह परियोजना विकास के साथ प्रारंभ होता है और परियोजना के समाप्त होने तक लगातार चलता रहता है। इसका उद्देश्य है-किए जाने वाले क्रियाकलापों का मूल्यांकन करना तथा परियोजना का अनुवीक्षण तथा इसमें सुधार करना।

प्रश्न 3.
संकलनात्मक/प्रभाव मूल्यांकन को समझाइए।
उत्तर:
संकलनात्मक/प्रभाव मूल्यांकन-यह परियोजना की समाप्ति पर इसके निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति के मूल्यांकन के लिए होता है। यह परिणामों तथा उसे प्राप्त करने से संबंधित प्रक्रियाओं, कार्य नीतियों तथा क्रियाकलापों के बारे में सूचना एकत्रित करता है। यह महत्व या गुण का मूल्य निर्धारण है।

प्रश्न 4.
भारत सरकार द्वारा वर्तमान में संचालित प्रमुख विकास कार्यक्रमों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत सरकार द्वारा वर्तमान में संचालित प्रमुख विकास कार्यक्रम हैं-

  • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम।
  • समाकलित बाल विकास योजना, जो बच्चों तथा माँ की मृत्यु दर को कम करने का प्रयास करती है।
  • मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम।
  • सार्विक प्रारंभिक शिक्षा का सार्विकीकरण हेतु सर्व शिक्षा अभियान। 
  • राष्ट्रीय ग्रामीण (स्वास्थ्य मिशन/शहरी क्षेत्रों के विकास के लिए) (i) नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन तथा (ii) राजीव गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम।

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निबन्धात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
विकास-कार्यक्रमों तथा मूल्यांकन के क्षेत्र में आवश्यक ज्ञान एवं कौशल तथा कार्य-क्षेत्र पर एक लेख लिखिए।
उत्तर:
आवश्यक ज्ञान एवं कौशल
विकास कार्यक्रम तथा मूल्यांकन इसके व्यवसायियों से नयी भूमिकाओं की अपेक्षा रखता है, जैसे-विकास कार्यक्रमों के मूल्यांकन, कार्यक्रम योजनाकार, प्रबंधक, कार्यान्वयनकर्ता आदि। इन भूमिकाओं में विभिन्न क्षेत्रों में ज्ञान और कौशल की मांग होती है। आज विकास कार्यक्रम में सहभागिता के दृष्टिकोण को अपनाया जाता है, जिसमें डिजाइन करने, बजट बनाने, आंकड़े एकत्र करने के तरीकों तथा आंकड़ों के विश्लेषण तथा प्रस्तुतीकरण में उसी परम्परागत तकनीकी ज्ञान व कौशल की आवश्यकता होती है, लेकिन नए दृष्टिकोण में विशेष रूप से राजनैतिक और नैतिक क्षेत्र में अतिरिक्त कौशल और तैयारी की आवश्यकता होती है। यथा-

(1) राजनैतिक क्षेत्र-राजनैतिक क्षेत्र में विस्तार कार्मिक में संस्थागत संदर्भ और सत्ता ढांचे का विश्लेषण करने में अपनी वार्ता की क्षमताओं को सुधार करने का कौशल होना चाहिए। इसमें श्रवण कौशल तथा विभिन्न व्यक्तियों तथा संस्थाओं के साथ काम करते हुए आपसी विश्वास विकसित करना तथा क्षमताएं गठन करना सम्मिलित है।

(2) नैतिक क्षेत्र-नैतिक क्षेत्र में विस्तार तथा संचार से जडे रहने के साथ-साथ कार्यक्रम से संबंधित दसरे पक्ष के हितों, मूल्यों तथा प्रतिबद्धता से मूल्यांकन की क्षमता भी होनी चाहिए। यह महत्वपूर्ण है कि प्रोत्साहित करने के लिए किस प्रकार के परिवर्तनों पर विचार करें और किस प्रकार के प्रतिकूल प्रभावों से बचा जाए।

(3) पणधारियों एवं सहभागियों के सहयोग की क्षमता को सुनिश्चित करने का कौशल-रचनात्मक एवं प्रभावी कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए सभी संबंधित पणधारियों एवं सहभागियों के सहयोग तथा एकजुट कार्य करने की क्षमता को सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है।

(4)विकास शिक्षा के सिद्धान्तों को समझना इसके अतिरिक्त विकास कार्यक्रम के व्यावसायिकों को विकास शिक्षा के सिद्धान्तों को समझना तथा प्रयोग में अवश्य लाना चाहिए।

कार्यक्षेत्र
विकासकार्यक्रम तथा मल्यांकन ऐसे क्रियाकलाप हैं जो व्यष्टि और समष्टि दोनों स्तरों पर जबरदस्त प्रभाव डालते हैं। यथा-
(1) व्यष्टि स्तर-व्यष्टि स्तर पर विकास कार्यक्रम तथा मूल्यांकन से कार्यक्रमों की प्रभावशीलता तथा क्षमता को बढ़ाने में सहायता मिलती है तथा इनसे हिताधिकारियों को कार्यक्रम से लाभ पहुंचाने में मदद मिलती है।

(2) समष्टि स्तर-समष्टि स्तर पर कार्यक्रमों के कार्यान्वयन में बुनियादी स्तर की वास्तविकताओं के लिए अमूल्य अंतर्दृष्टि तथा प्रबंधन संभार-तंत्र के द्वारा सूचना उपलब्ध होती है। इससे वर्तमान नीतियों को बदलने तथा भविष्य की नीतियों को आकार देने में सहायता मिलती है।

Prasanna
Last Updated on July 27, 2022, 9:12 a.m.
Published July 26, 2022