RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 16 मानव संसाधन प्रबंधन

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 16 मानव संसाधन प्रबंधन Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 12 Home Science Solutions Chapter 16 मानव संसाधन प्रबंधन

RBSE Class 12 Home Science मानव संसाधन प्रबंधन Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1. 
मानव संसाधन प्रबंधन की संकल्पना की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मानव संसाधन प्रबंधन की संकल्पना-मानव संसाधन प्रबंधन को किसी संस्था के प्रबंधन के कार्यनीति परक तथा संगत अधिगम के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिससे कि संस्था की सबसे मूल्यवान परिसंपत्ति अर्थात संस्था की मानव रूपी पूंजी यानि कि उसमें कार्य करने वाले व्यक्तियों का प्रबंधन किया जा सके, जो व्यक्तिगत या सामूहिक रूप से संस्था के लक्ष्यों की प्रभावी और दक्षतापूर्ण प्राप्ति के लिए अपना योगदान देते हैं ताकि उन कर्मचारियों की कार्यक्षमताओं तथा कार्यनिष्पादन में अधिकतम वृद्धि की जा सके। अत: 

(1) मानव संसाधन प्रबंधन व्यक्ति के मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करके व्यक्तियों के सहयोग से अच्छे परिणाम प्राप्त करने से संबद्ध है-यह उन सभी क्रियाकलापों को कार्यान्वित करने का उल्लेख करता है, जो कर्मचारियों के व्यवहारों को प्रभावित करते हैं। यह व्यक्तियों का अधिकतम विकास प्राप्त करने, नियोक्ताओं और कर्मचारियों के बीच तथा कर्मचारियों में परस्पर अभीष्ट कार्य संबंध स्थापित करने में उपयुक्त कार्य परिस्थितियाँ उपलब्ध कराके सहायता करता है।

(2) मानव संसाधन प्रबंधन एक बहु-आयामी प्रक्रिया है-मानव संसाधन प्रबंधन में अनेक प्रक्रियाएँ सम्मिलित हैं, जैसे-कर्मचारियों का चयन तथा स्थगन, उनका प्रवेश तथा प्रशिक्षण, उनके कार्य का मूल्यांकन, जीविका आयोजन तथा कर्मचारियों का संभावित विकास। इसमें अभिप्रेरणा, नेतृत्व, संसाधनों का प्रबंधन तथा संस्था में समस्त कर्मचारियों का प्रशिक्षण तथा विकास सम्मिलित है।

(3) मानव संसाधन प्रबंधन में मानव संसाधन विकास भी सम्मिलित है-मानव संसाधन विकास संस्था में कर्मचारियों के ज्ञान, कौशलों और कार्यक्षमताओं में वृद्धि की प्रक्रिया है। यह संस्था के सदस्यों से उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त करने का भी लक्ष्य रखता है। इस प्रकार उत्पादक-कर्मचारी संस्था के वित्तीय लाभ में योगदान करते हैं।

मानव संसाधन प्रबंधन का प्राथमिक उद्देश्य कर्मचारियों के कार्य तथा जीवन की दशाओं में सुधार करके संस्था की उत्पादकता को अधिकतम करने को सुनिश्चित करना, उन्हें अत्यावश्यक तथा महत्वपूर्ण संसाधन की भांति मानना तथा उन्हें यथासंभव प्रभावी बनाने में सहायता करना है। इस प्रयास में, मानव संसाधन प्रबंधन वैयक्तिक विकास, कर्मचारी की संतुष्टि तथा नियम-विनियमों के पालन पर ध्यान केन्द्रित करता है।

प्रश्न 2. 
मानव संसाधन व्यावसायिकों में किन गुणों का होना आवश्यक है?
उत्तर:
मानव संसाधन व्यावसायिकों के लिए आवश्यक गुण
मानव संसाधन व्यावसायिकों में निम्नलिखित गुणों का होना आवश्यक है-
(1) लक्ष्यों के संबंध में स्पष्टता-मानव संसाधन व्यावसायिकों को कंपनी के लक्ष्यों के बारे में स्पष्ट जानकारी होनी चाहिए और उनकी प्राप्ति के लिए सुव्यवस्थित रूप से कार्य करना चाहिए। यह केवल तभी संभव है यदि अच्छे संचार कौशलों, योजना बनाने, कर्मचारियों की अपेक्षाएँ तथा उनकी भूमिका के साथ-साथ लक्ष्यों की स्पष्टता भी हो। 

(2) समय प्रबंधन में दक्षता-मानव संसाधन व्यावसायिकों से समय प्रबंधन में दक्ष होने की अपेक्षा रखी जाती जाती है कि वे दी गई समय-सीमा में योजना तैयार करेंगे और समय व्यर्थ करने वाले तत्वों की पहचान करेंगे। 

(3) कार्य निष्पादनों में तुलना-सामान्यतः लोग परिस्थितियों तथा स्थितियों के बजाए दो विभिन्न व्यक्तियों की आपस में तुलना करने लगते हैं। किसी व्यक्ति के व्यवहार का विश्लेषण करने की बजाए हम व्यक्ति के रूप में उसका विश्लेषण करने लगते हैं, जबकि कोई भी दो व्यक्ति एक जैसे नहीं होते। 

एक अच्छा मानव संसाधन व्यावसायिक इसे सदैव ध्यान में रखता है और अपने निर्णय पूर्वाग्रहरहित होकर करता है। 

(4) व्यवसाय तथा उद्योग के बारे में ज्ञान-मानव संसाधन प्रबंधक के लिए व्यवसाय और कंपनी के लक्ष्यों को जानना और समझना महत्वपूर्ण है जिससे कर्मचारियों के लिए प्रभावशाली योजनाएँ और नीतियाँ बनाई जा सकें। 

(5) विभाग, टीम तथा संस्था के लिए कल्पनादृष्टि तथा लक्ष्य-एक मानव संसाधन प्रबन्धक में संगठन के . लिए मानव संसाधन परिप्रेक्ष्य तथा अपने विभाग तथा टीम के लिए लक्ष्यों के सम्बन्ध में उसकी कल्पनादृष्टि होनी चाहिए। जब तक वह अपनी मंजिल के बारे में निश्चित नहीं होता, वह किसी भी मार्ग पर नहीं चल सकता। 

(6) बांटने का/विकसित करने का उत्साह /अनुशिक्षक तथा परामर्शदाता-मानव संसाधन व्यावसायिकों/प्रबंधकों की स्थिति विशेषाधिकार युक्त और अद्वितीय होती है, जहाँ वे व्यक्तियों का विकास कर सकते हैं। उनकी आवश्यकता स्टॉफ के दृष्टिकोण तथा व्यवहार में परिवर्तन लाने में सहायता करने के लिए होती है। उन्हें अत्यन्त महत्वपूर्ण तथा कठिन भूमिका निभानी पड़ती है। इस कार्य में सफल होने के लिए मानव संसाधन अधिकारियों को प्रभावशाली परामर्शदाता तथा प्रशिक्षक बनने के लिए अपना रवैया उत्साहपूर्ण तथा सकारात्मक रखना चाहिए। 

(7) कार्य आचार नीति/विश्वसनीयता-सभी मानव संसाधन व्यावसायिकों/प्रबंधकों में इस गुण का होना अत्यन्त आवश्यक है। मानव संसाधन व्यावसायिकों को कर्मचारियों के विश्वास को जीतना होता है और फिर उस विश्वास को बनाए रखना होता है। यह बात उन मानव संसाधन व्यावसायिकों के लिए बिल्कुल सच है जो 'कर्मचारी संबंध' क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। किसी भी प्रकार का सम्बन्ध विश्वास और ईमानदारी पर आधारित होता है। 

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प्रश्न 3. 
मानव संसाधन व्यावसायिकों के कार्यों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मानव संसाधन प्रबंधन व्यावसायिकों के कार्य 
मानव संसाधन प्रबंधन व्यावसायिकों के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं-
(1) कर्मचारियों की भर्ती तथा व्यवस्था सम्बन्धी कार्य मानव संसाधन व्यावसायिक का प्रमुख कार्य कर्मचारियों की भर्ती तथा उनकी व्यवस्था करने का है। उसके इस कार्य को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया है- 
(i) जनशक्ति/मानव संसाधन योजना जन शक्ति या मानव संसाधन योजना का सम्बन्ध संस्था के वर्तमान संसाधनों तथा भावी अनुमानित मांगों तथा में संस्था के वर्तमान तथा भावी आवश्यकताओं के निर्धारण से है। अतः जनशक्ति की माँग और पर्ति को संतुलन में लाने के लिए उचित कदम उठाने की योजना बनाई जाती है। इसलिए पहला चरण है-वर्तमान कर्मचारियों के विवरण का व्यापक चित्र तैयार किया जाए और भावी आवश्यकताओं का निर्धारण किया जाए। अतः कर्मचारियों की भर्ती से पहले पहला चरण है-कार्य का विश्लेषण। यथा- 

(क) कार्य का विश्लेषण-यह किसी भी रोजगार (कार्य) को करने के लिए कर्त्तव्यों, उत्तरदायित्वों, आवश्यक कौशलों, परिणामों और कार्य परिवेश के बारे में सूचना एकत्र करने की प्रक्रिया है। इसका मुख्य उद्देश्य रोज़गार विवरण तथा रोजगार विनिर्देशन तैयार करना है, जो अन्त में संस्था में उचित गुणवत्ता के कर्मचारियों की नियुक्ति में सहायक होता है। इसमें किसी रोजगार की आवश्यकताओं तथा किए गए रोजगार का प्रलेख तैयार किया जाता है, जो आवश्यक कर्मचारियों की वास्तविक संख्या और उनके आवश्यक कौशलों को निर्धारित करने में सहायक होता है। 

(ख) रोजगार (कार्य) विवरण-नियत कार्यों के विश्लेषण से प्राप्त सूचनाओं को कार्य (रोजगार) विवरण में लिखा जाता है जिससे यह निर्धारित किया जा सके कि आवेदकों में कौन-सी शारीरिक और मानसिक विशेषताएं अवश्य होनी चाहिए तथा कौनसे गुण वांछित हैं। इस प्रकार कार्य विवरण' 'कार्य विश्लेषण' का एक परिणाम है। 

(ग) कर्मचारियों की संख्या निर्धारित करना-कार्य विवरण के आधार पर कंपनी भर्ती की योजना और पदों को विज्ञापित करने के लिए विभिन्न पदानुक्रमिक स्तरों पर पदों की संख्या, प्रत्येक पद के लिए व्यक्तियों की संख्या निर्धारित करती है। 

(घ) आवेदकों की लघु सूची तैयार करना-विज्ञापन के प्रत्युत्तर में आवेदन प्राप्त करने के पश्चात् मानव संसाधन प्रबंधन विभाग आवेदन पत्रों की छानबीन कर साक्षात्कार के लिए उपयुक्त आवेदकों की लघु सूची तैयार करता है। 

(ii) कर्मचारियों का चयन तथा भर्ती-
भर्ती का अर्थ है-साक्षात्कार तथा परीक्षाएँ आयोजित करके तथा प्रलेखों और संदर्भो का सत्यापन करके, अनेक आवेदकों में से सर्वोत्तम आवेदक का नौकरी के लिए निर्धारण करना। 

चयन का अर्थ है-उपयुक्त तथा अनुकूल कर्मचारी की नियुक्ति करना। ऐसे उपयुक्त व्यक्तियों को खोजने के लिए संस्थाएं मानव संसाधन व्यावसायिकों को अपने यहाँ काम पर रखती व्य कार्य है-(क) प्रतिभाशाली कर्मचारियों को आकर्षित करना. (ख) उन्हें संस्था में आने के लिए प्रेरित करके उनका चयन करना। 

(2) कर्मचारियों का प्रशिक्षण तथा विकास- 
चयन और भर्ती के बाद मानव संसाधन प्रबंधन का अगला प्रमुख कार्य प्रशिक्षण तथा विकास है, जो नए कर्मचारियों के प्रवेश कार्यक्रमों के आयोजन से प्रारंभ होता है। 

(क) प्रशिक्षण-प्रशिक्षण उन अभिवृत्तियों, ज्ञान और कौशलों का व्यवस्थित विकास है जो किसी व्यक्ति को दिए गए कार्य को उचित रूप से पूरा करने के लिए आवश्यक है। 

(ख) विकास-विकास किसी व्यक्ति की योग्यता, समझ तथा जागरूकता की वृद्धि है। इसमें कर्मचारियों के ज्ञान के आधार को बढ़ाने के लिए मार्गदर्शन और निर्देशन होता है, जिससे वे इस ज्ञान को कौशलों में परिवर्तित करके संस्था के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रयुक्त कर सकें। 

(ग) प्रशिक्षण तथा विकास की सामान्य तकनीकें-प्रशिक्षण तथा विकास की कुछ सामान्य तकनीकें/प्रक्रियाएँ निम्नलिखित हैं- 

  • वरिष्ठ या विशेषज्ञ प्रबंधकों द्वारा व्याख्यान तथा वार्ताएँ। 
  • सम्मेलन तथा बैठक। 
  • वरिष्ठ कर्मचारियों द्वारा आवश्यक जानकारी देना। 
  • अभ्यास तथा वास्तविक स्थितियों का अनुकरण।
  • वीडियो तथा कंप्यूटर शिक्षण सम्बन्धी क्रियाकलाप। 
  • केस (विषय) अध्ययन तथा विचार-विमर्श, परीक्षण, प्रश्नोत्तरियाँ, खेल, समूह-मंच, प्रेक्षण-निरीक्षण तथा रिपोर्ट बनाने की तकनीकें।

इसके अतिरिक्त जीविका परामर्श तथा मार्गदर्शन, जीविका योजना, प्रबंधन विकास भी मानव संसाधन विकास के प्रमुख उत्तरदायित्व हैं।

(3) विनियमों का अनुपालन तथा सुरक्षित न्यायसंगत परिवेश सुनिश्चित करना-
इसके अन्तर्गत शामिल हैं-(क) सरकार तथा नगरपालिका के कानूनों तथा विनियमों का अनुपालन, (ख) प्रबंधक वर्ग तथा यूनियनों के बीच पारस्परिक क्रिया तथा (ग) कर्मचारी का व्यवहार व अनुशासन।

प्रायः कर्मचारी का मूल्यांकन किया जाता है तथा अनुशासनहीनता की स्थिति में कर्मचारी के व्यवहार को परिवर्तित करने के प्रयत्न किए जाते हैं। मानव संसाधन प्रबंधन व्यावसायिक से ऐसी नीतियाँ विकसित करने तथा मुद्दों से निपटने की अपेक्षा की जाती है, जैसे-यौन उत्पीड़न, चोरी, अभद्र व्यवहार आदि। 

(क) संचार-कर्मचारियों तथा प्रबंधकों के बीच सहयोग तथा संचार को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों का प्रबंध करने की आशा की जाती है। 

(ख) सुरक्षा और स्वास्थ्य-मानव संसाधन प्रबंधन विभाग का एक मुख्य दायित्व अपने सभी कर्मचारियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य से संबंधित है, जिसमें कार्यस्थल पर खतरों से बचाव भी शामिल है। मानव संसाधन प्रबंधन विभाग के प्रबंधकों को सुरक्षा निवारक कार्यक्रमों को लागू करके कंपनी के जोखिम को न्यूनतम करने का प्रयास करना चाहिए। 

(ग) कर्मचारी संबंध-मानव संसाधन प्रबंधन विभाग वेतन प्रणाली के विकास, कर्मचारी की गुणवत्ता, प्रतिधारण, संतुष्टि तथा प्रोत्साहन के लिए उत्तरदायी है। कर्मचारियों को दिए गए हितलाभ जैसे-सेवानिवृत्ति पेंशन, ग्रेच्युटी, प्रोत्साहन, स्वास्थ्य हित-लाभ, जैसे-चिकित्सा सेवाएँ, चिकित्सा बीमा, अपंगता बीमा, छुट्टियाँ आदि मानव संसाधन प्रबंधन विभाग के क्षेत्र में आते हैं। 

(घ) कर्मचारी प्रोत्साहन-अच्छा प्रदर्शन करने वाले कर्मचारियों को संस्था में बनाए रखने के लिए प्रबंधक भिन्न-भिन्न नीतियाँ, जैसे-पुरस्कार, प्रतिपूर्ति पैकेज प्रोत्साहन-उपयोग में लाते हैं। 

(4) कर्मचारियों का प्रतिधारण तथा शिकायत निवारण- 
अनेक संस्थाओं में अच्छे कर्मचारियों को रोके रखने (प्रतिधारण) के लिए तथा दूसरों को आकर्षित करने के लिए मानव संसाधन अधिकारी कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य एवं कल्याण योजनाएँ बनाते हैं, उनमें सुरक्षित परिवेश के बारे में जागरूकता उत्पन्न करते हैं तथा दो तरफा संचार रखते हैं। वे स्वयं या विशेषज्ञों से सम्पर्क करके देखभाल सेवाएं प्रदान करते हैं। वे विवादों, शिकायतों तथा औद्योगिक कार्यवाही, जो प्रायः यूनियन अथवा स्टॉफ प्रतिनिधियों से संबंधित होती है, को भी सुलझाने का कार्य करते हैं। 

मानव संसाधन व्यावसायिकों के कार्यों में रिकार्ड रखना तथा समान अवसरों, करों, अन्य हितलाभों, जैसे-छुट्टी के विकल्पों, पेंशनों, अन्य लाभों का परिमाणन को मॉनीटर करना भी सम्मिलित है। 

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प्रश्न 4. 
कर्मचारियों (कार्यबल) का चयन करते समय किन प्राचलों (पैरामीटर) का ध्यान रखना चाहिए? 
उत्तर:
कर्मचारियों के चयन का अर्थ है-उपयुक्त तथा अनुकूल कर्मचारी को नियुक्त करना। 

नौकरी दिलाने वाली एजेंसियाँ/संस्थाएँ मानव संसाधन व्यावसायिकों को ऐसे उपयुक्त व्यक्तियों को खोजने के लिए अपने यहाँ काम पर रखती हैं। इनका मुख्य कार्य है-प्रतिभाशाली कर्मचारियों को आकर्षित करना तथा उन्हें संस्था में आने के लिए प्रेरित करके भर्ती करना। भर्ती से आशय है-साक्षात्कार तथा परीक्षण आयोजित करके तथा प्रलेखों और संदर्भो का सत्यापन करके, अनेक आवेदकों में से सर्वोत्तम आवेदक को नौकरी पर रखना। 

इस प्रकार कर्मचारियों का चयन करते समय निम्न पैरामीटर का ध्यान रखना आवश्यक है-
1. रोजगार विवरण-रोजगार विवरण के आधार पर कंपनी भर्ती की योजना बनाती है तथा पदों को विज्ञापित करने के लिए विभिन्न पदानुक्रम स्तरों पर पदों की संख्या, प्रत्येक पद के लिए व्यक्तियों की संख्या निर्धारित करती है। विज्ञापन के प्रत्युत्तर में आवेदन पत्र प्राप्त करने के पश्चात, मानव संसाधन विभाग आवेदन पत्रों की छानबीन करता है तथा साक्षात्कार के लिए उपयुक्त आवेदकों की लघु सूची तैयार करता है। 

2. साक्षात्कार तथा परीक्षा आयोजित करना-इस चरण में कर्मचारियों की भर्ती के लिए परीक्षण का आयोजन किया जाता है। 

परीक्षा में निर्धारित अंक प्राप्त करने वाले सफल विद्यार्थियों की एक सूची बनाई जाती है तथा उन्हें साक्षात्कार हेतु बुलाया जाता है, जहाँ उनके प्रलेखों और संदर्भो का सत्यापन किया जाता है और साक्षात्कार लिया जाता है। 

3. साक्षात्कारकर्ता विशेषज्ञों का चयन-साक्षात्कार के लिए संस्थाएँ मानव संसाधन व्यावसायिकों को उपयुक्त कर्मचारियों के चयन हेतु अपने यहाँ काम पर रखती है। इनका मुख्य कार्य है-प्रतिभाशाली कर्मचारियों को आकर्षित करना तथा उन्हें संस्था में आने के लिए प्रेरित करके भर्ती करना। 

प्रश्न 5. 
कार्य विश्लेषण का क्या अभिप्राय है? 
उत्तर:
कार्य विश्लेषण-कार्य विश्लेषण किसी विशेष रोजगार को करने के लिए कर्त्तव्यों, उत्तरदायित्वों, आवश्यक कौशलों, परिणामों तथा कार्य परिवेश के बारे में सूचना एकत्र करने की प्रक्रिया है। कार्य या रोजगार विश्लेषण की एक महत्वपूर्ण संकल्पना यह है कि विश्लेषण व्यक्ति का नहीं बल्कि रोजगार (कार्य) का किया जाता है। 

रोजगार तथा कार्य का विश्लेषण रोजगार के क्षेत्र की परिभाषा, रोजगार का वर्णन, कार्य निष्पादन, मूल्यांकन का विकास, चयन पद्धति, प्रोन्नति के मानदंड, प्रशिक्षण की आवश्यकताओं का निर्धारण तथा प्रतिपूर्ति की योजना के आधार के रूप में किया जाता है। 

रोजगार या कार्य विश्लेषण का मुख्य उद्देश्य रोजगार विवरण और रोजगार विनिर्देशन तैयार करना है जो अन्त में संस्था के उचित गुणवत्ता के कर्मचारियों की नियुक्ति में सहायक होता है। इसका सामान्य उद्देश्य किसी रोजगार की आवश्यकताओं और किए गए रोजगार का प्रलेख तैयार करना है जो आवश्यक कर्मचारियों की वास्तविक संख्या और इन कर्मचारियों में कौन-से कौशल होने आवश्यक हैं, का निर्धारण करने में सहायता करता है। 

प्रश्न 6. 
प्रशिक्षण के कुछ लाभों की जानकारी दीजिए। 
उत्तर:
प्रशिक्षण के लाभ-प्रशिक्षण उन अभिवृत्तियों, ज्ञान तथा कौशल का व्यवस्थित विकास है जो किसी व्यक्ति को दिए गए कार्य को उचित रूप से पूरा करने के लिए आवश्यक है। 

प्रशिक्षण के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं-

  • प्रशिक्षण कर्मचारियों को ऊँचे स्तर के कार्य करने के लिए तैयार करता है। 
  • नए कर्मचारियों को परम्परागत प्रशिक्षण प्राप्त होता है। 
  • इससे कर्मचारियों के कार्य की दक्षता तथा कार्य निष्पादन के स्तर को ऊँचा उठाने का प्रयास किया जाता है। 
  • स्वास्थ्य तथा सुरक्षा संबंधी प्रशिक्षण धानिक आवश्यकताओं को पूरा करता है। 
  • प्रशिक्षण व्यक्तियों को कार्य की जानकारी देता है तथा उन्हें परस्पर एक-दूसरे से परिचित कराता है तथा नए कर्मचारियों के लिए दशा अनुकूलन प्रक्रिया प्रदान करता है। 

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प्रश्न 7. 
प्रशिक्षण तथा विकास में प्रयोग में लाई जाने वाली विभिन्न तकनीकें क्या हैं? 
उत्तर:
प्रशिक्षण तथा विकास की कुछ तकनीकें 
प्रशिक्षण तथा विकास में प्रयोग में लाई जाने वाली कुछ सामान्य तकनीकें निम्नलिखित हैं-

  • वरिष्ठ या विशेषज्ञ प्रबंधकों द्वारा व्याख्यान तथा वार्ताएँ। 
  • चर्चा समूहों के क्रियाकलाप (सम्मेलन तथा बैठक)। 
  • वरिष्ठ स्टाफ (कर्मचारियों) द्वारा आवश्यक जानकारी देना। 
  • भूमिका निभाने के अभ्यास तथा वास्तविक स्थितियों का अनुकरण। 
  • वीडियो तथा कंप्यूटर शिक्षण संबंधी क्रियाकलाप। 
  • केस (विषय) अध्ययन तथा विचार-विमर्श, परीक्षण प्रश्नोत्तरियाँ, खेल, समूह मंच, प्रेक्षण अभ्यास, निरीक्षण तथा रिपोर्ट बनाने की तकनीकें।
Prasanna
Last Updated on July 22, 2022, 5:06 p.m.
Published July 21, 2022