Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 13 वस्त्र उद्योग में उत्पादन तथा गणवत्ता नियंत्रण Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
वृहद् उत्पादन से आप क्या समझते हैं? आज की अर्थव्यवस्था में इसका क्या महत्व है?
उत्तर:
वृहद् उत्पादन का अर्थ-वृहद उत्पादन का अर्थ सामान्य रूप से वह प्रक्रम है जिससे कोई उत्पाद बहुत मात्रा में एक ही प्रक्रिया का प्रयोग करके तैयार किया जाता है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि प्रत्येक उत्पाद सभी प्रकार से समान हो।
आज की अर्थव्यवस्था में वृहद् उत्पादन का महत्व आज के वैश्वीकरण के युग में वृहद् उत्पादन के महत्व को निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) उपभोक्ताओं की माँग के बढ़ते विकल्पों को पूरा करना-परिधान उद्योग चूँकि फैशन से चलता है और फैशन बदलता रहता है, निर्माता इकाइयों को बदलती प्रवृत्ति के साथ चलना पड़ता है। टेलीविजन और इंटरनेट जैसे प्रसार माध्यमों के विकास के साथ उपभोक्ता अधिक जागरूक और अधिक माँग करने वाले हो गए हैं। गुणवत्ता, मूल्य है। इसलिए वृहद् उत्पादन के द्वारा आज पूरे विश्व में परिधान श्रंखलाएँ चल सकी हैं जो उत्पाद की गुणवत्ता सुधारने और फैशन डिजाइनों के विविध प्रकार उपलब्ध कराने पर अधिक ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं।
(2) खरीदारी में समय व श्रम की बचत-वृहद् उत्पादन से उपभोक्ताओं को उत्पाद खरीदने में समय और श्रम की बचत हुई है। उदाहरण के लिए आपको एक कमीज खरीदनी है जिसका कोई मानक साइज नहीं है तो उपभोक्ता को प्रत्येक खरीद पर उपस्थित होकर विभिन्न ब्रांडों के विभिन्न साइज पहनकर देखने होंगे कि उनके लिए कौनसी कमीज सबसे अधिक फिट है। यहाँ तक कि एक ही ब्रैंड और एक ही साइज में प्रत्येक कमीज की फिटिंग और साइज अलग होगा। इससे खरीदारी बहुत समय लेने वाली और कष्टदायक होगी। आज वृहद पैमाने पर उत्पादन होने और मानकीकरण से आप विश्व के किसी भी भाग में ऐसी कमीज खरीद सकते हैं जो आपको चाहिए। बस आपको पहनने वाले के कॉलर साइज (38/40/42/44 इत्यादि) की जानकारी होनी चाहिए।
(3) खरीदारी का रुझान तैयार कपड़ों की तरफ-बड़े पैमाने के उत्पादन ने खरीदारों का रुझान दर्जी द्वारा नाप लेकर बनाए गए कपड़ों से हटाकर तैयार कपड़ों की तरफ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।
(4) फैशन के फुटकर व्यापार में वृद्धि-बड़े पैमाने के उत्पादन, उत्पादों के मानकीकरण, वैश्विक ब्रांडों की बढ़ती माँग के कारण फैशन के फुटकर व्यापार में तीव्र गति से वृद्धि हुई है।
प्रश्न 2.
वस्त्र उद्योग में उत्पादन के विभिन्न चरण क्या हैं?
उत्तर:
वस्त्र उद्योग में उत्पादन के चरण
वस्त्र (परिधान) उद्येग में उत्पादन के विभिन्न चरण अग्रलिखित हैं-
(1) कच्चे माल को जुटाना और उसकी जाँच करना-परिधान के निर्माण की प्रक्रिया कच्चे माल को जुटाने और उसकी जाँच से प्रारंभ होती है। इसमें कपड़ा की सजावट (जिपर, बटन, अस्तर, लेबल, टैग इत्यादि) शामिल हैं।
कपड़े की जाँच कपड़े में दोष या कमियाँ ढूँढने के लिए की जाती है। जब कपड़ा एक विश्वसनीय स्रोत से प्राप्त किया जाता है अथवा जब कपड़ा निर्माता द्वारा कपड़े को दोषमुक्त प्रमाणित कर दिया जाता है; तो केवल नमूने की प्रतिनिधिक मात्रा की जाँच की जाती है।
कपड़े की कमियाँ उसके दोषों के स्रोत के आधार पर वर्गीकृत की जा सकती हैं-
(क) धागे के दोषों से उत्पन्न कमियाँ-धागे के दोषों से उत्पन्न कमियाँ ये हैं-
(ख) बुनाई के दोषों से उत्पन्न कमियाँ-बुनाई के दोषों से उत्पन्न होने वाली प्रमुख कमियाँ ये हैं-
(ग) रंगाई के दोषों से उत्पन्न कमियाँ-वस्त्र में रंगाई के दोषों से उत्पन्न होने वाली कमियाँ ये होती हैं-
(घ) परिसज्जा के दोषों से उत्पन्न कमियाँ-वस्त्र में परिसज्जा के दोषों से उत्पन्न प्रमुख कमियाँ होती हैं-
(2) कपड़े/सामग्री को आकार देना और काटना-वस्त्रों के उत्पादन में अगला चरण कपड़े की कटाई की योजना और प्रक्रिया होती है। इसमें निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं-
(क) चिन्हित करने की योजना-चिन्हित करने का अर्थ है-कपड़े पर पैटर्न के टुकड़ों को इस प्रकार रखना जिससे कि प्रत्येक वस्त्र के लिए कपड़े का उपयोग इष्टतम हो। पहला चरण टुकड़ों की संख्या की पहचान करना है, जो एक वस्तु के पूरे पैटर्न को बनाते हैं। चिन्हित करने की योजना प्रतिवस्त्र हेतु कपड़े के औसत उपभोग को निर्धारित करती है, जो अन्ततः उत्पादन की लागत को प्रभावित करती है। वर्तमान में चिन्हितीकरण नियोजन की अधिक दक्ष तकनीक एक विशिष्ट कंप्यूटर सॉफ्टवेयर का उपयोग करना है।
(ख) फैलाना-चिन्हितीकरण के बाद कपड़े को समतल करके परतों के रूप में मेज की लम्बाई में फैला दिया जाता है। परत की लम्बाई मार्कर द्वारा निर्धारित की जाती है। कपड़े की एक परत को किनारे की एक लम्बाई के साथ नाप लिया जाता है और फिर सभी परतों को उसी के बराबर नाप लिया जाता है। कपड़े को हाब से या स्प्रेडर्स नामक मशीनों की सहायता से फैलाया जाता है।
(ग) चिन्हित (मार्किंग) करना-निर्धारित चिन्हित कारक के अनुसार सबसे ऊपरी सतह पर पैटर्न का खाका उतारा जाता है। कुछ मामलों में कपड़े की चौड़ाई की एक कंप्यूटरीकृत प्रतिलिपि कागज की शीट पर लेकर बिछाने को कवर करने के उपयोग में लाया जाता है। तब यह कपड़े की तहों के साथ काटा जाता है।
(घ) कटाई-तहों को एक साथ मशीनों द्वारा काटा जाता है, जिनका नियंत्रण हाथ से या कंप्यूटर प्रणालियों द्वारा किया जाता है।
(ङ) बंडल बनाना-काटे गए टुकड़ों के आगे होने वाली प्रक्रियाओं, जैसे-सिलना, कसीदाकारी, छपाई आदि के लिए बंडल बनाए जाते हैं।
(3) उत्पाद को जोड़ना-कपड़े को काटने के बाद वस्त्रों के टुकड़ों को जोड़ने या सिलने वाले विभाग में भेजते हैं, जहाँ विभिन्न प्रकार की सिलाई की मशीनें होती हैं। वे सिलाई की मशीनें विभिन्न प्रक्रियायें करने के लिए प्रयुक्त की जा सकती हैं अर्थात् वे केवल विशिष्ट प्रकार की ही सिलाई हेतु उपयोग में लाई जा सकती हैं। पहले वर्ग की मशीनों में अधिक प्रचलित एक सुई युक्त या लॉकस्टिच मशीन है। दूसरे, बुने कपड़े की सिलाई के लिए उपयोग में चेनस्टिच मशीन उपयोग में लाई जाती है।
जोड़ने की प्रक्रिया के लिए उत्पादन पद्धतियों के कई रूप हैं। इन पद्धतियों का कोई रूप या उनका संयोजन उपयोग में लिया जा सकता है। ये पद्धतियाँ हैं-(क) दर्जी पद्धति (ख) मॉड्यूल पद्धति (ग) इकाई उत्पादन पद्धति।
(4) परिसज्जा और पैकेजिंग (पैकेज बनाना)-सबसे अन्त में वस्त्र परिसज्जा और पैकेज बनाने के लिए भेजे जाते हैं। परिसज्जा की प्रक्रिया में अंतिम निरीक्षण, धब्बे हटाना, मरम्मत, प्रेस करना और तह लगाना शामिल होते हैं। प्रेस करने की तकनीकें भी वस्त्र के अंतिम स्वरूप (क्रीज, तहों, तह का साइज इत्यादि) का निर्धारण करती हैं।
वस्त्रों के पैकेज बनाने का कार्य कई प्रकार से किया जाता है, जैसे-वस्त्रों को हैंगरों में पैक करना, वस्त्रों की तह लगाकर हैंगरों में पैक करना तथा केवल तह लगाकर पैक करना।
वस्त्रों का पैक करना उनके पैकेज बनाने से भिन्न होता है। पैक करना वह प्रक्रिया है जो किसी उत्पाद को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने के लिए तैयार किया जाता है। इसकी सबसे सामान्य तकनीक गत्तों के डिब्बों (कार्टन) का प्रयोग करना है।
प्रश्न 3.
संसाधन से पूर्व वस्त्र निरीक्षण के महत्व की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
संसाधन से पूर्व वस्त्र निरीक्षण का महत्व
कपड़े का निरीक्षण वस्त्र उत्पादन की प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण चरण है। इसके महत्व को निम्न प्रकार स्पष्ट किया गया है-
(1) अंतिम गुणवत्ता का निर्धारण-कपड़े का निरीक्षण यह वस्त्र की या उत्पाद की अंतिम गुणवत्ता निर्धारित करता है। निरीक्षण कपड़े के साइज, प्रकार, फैलाव इत्यादि पर आधारित होते हैं। इसके अतिरिक्त इसमें रंग का पक्कापन, धागों की संख्या, कपड़े का भार, सिकुड़ना, ज्वाला अवरोधक इत्यादि का.परीक्षण भी किया जाता है।
जब निरीक्षण में वस्त्र की कमी और उसकी सीमा की पहचान हो जाती है, तो मरम्मत/संशोधन की सम्भावना की जाँच की जाती है। यदि कपड़े में सुधार हो सकता है, तो उसे चयनित प्रक्रिया के लिए भेज दिया जाता है। यदि सुधार नहीं हो सकता, तो कपड़े को अस्वीकार कर दिया जाता है।
(2) लागत के निर्धारण में महत्वपूर्ण-संसाधन से पूर्व वस्त्र का निरीक्षण लागत के निर्धारण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होता है क्योंकि किसी भी वस्त्र में कच्चे माल की कीमत लगभग 70 प्रतिशत होती है, जिसमें से 90 प्रतिशत या अधिक उसमें लगे कपड़े की कीमत होती है। यदि कपड़े के निरीक्षण की प्रक्रिया ठीक से पूरी नहीं की जाती है तो वस्त्र में कपड़े की लागत का भार बढ़ जाता है और इससे लाभ में कमी आती है और कभी-कभी हानि भी हो सकती है।
कभी-कभी निरीक्षण के पश्चात् दोष युक्त कपड़े को स्वीकार करने का निर्णय लिया जाता है, यदि कपड़े को पुनः संसाधित करने की लागत और लगने वाला समय ऑर्डर की लागत में मिला लिया जाए तो ऑर्डर की लागत बहुत अधिक बढ़ जाती है।
अतः निरीक्षण की प्रक्रिया लागत के निर्धारण का भी महत्वपूर्ण चरण है।
प्रश्न 4.
विभिन्न प्रकार की सिलाई की मशीनें कौन सी हैं? टाँके के प्रकार और विभिन्न कपड़ों पर उनके प्रयोग की दृष्टि से वे किस प्रकार भिन्न हैं।
उत्तर:
विभिन्न प्रकार की सिलाई की मशीनें-वस्त्र उत्पादन में कपड़े/सामग्री को आकार देने तथा उसकी कटाई के पश्चात् वस्त्रों के टुकड़ों को जोड़ने या सिलने हेतु सिलाई विभाग में भेजा जाता है, जहाँ विभिन्न प्रकार की सिलाई की मशीनें होती हैं और वे सिलाई की विभिन्न प्रक्रिया करने के लिए प्रयुक्त की जा सकती हैं अथवा विशिष्ट प्रकार की हो सकती हैं अर्थात् वे केवल विशिष्ट प्रकार की ही सिलाई हेतु उपयोग में लाई जा सकती हैं। ये सिलाई मशीनें और उनके प्रयोग निम्नलिखित हैं-
(1) लॉकस्टिच मशीन-बहुउद्देश्यीय सिलाई मशीनों में अधिक प्रचलित सिंगल नीडल (एक सुई युक्त) या लॉकस्टिच मशीन है।
यह मशीन सिलने के लिए दो धागों का उपयोग करती है, एक जो सुई द्वारा कपड़े में ऊपर से गुजरता है और दूसरा वह, जो फिरकी के माध्यम से कपड़े में प्रवेश करता है।
यह मशीन किसी भी प्रकार के कपड़े और किसी भी प्रकार की सिलाई प्रक्रिया के उपयोग में लाई जा सकती है। लॉकस्टिच उलटवीं और बहुत स्थायी, मजबूत और अलचीली सिलाई है। इसमें दोहरी सिलाई के लिए उलटा भी चलाया जा सकता है। इस मशीन के टांके के प्रकार को नीचे चित्र में दर्शाया गया है-
(2) चेन स्टिच मशीन-बुने कपड़े की सिलाई के लिए उपयोग में लाई जाने वाली मशीन चेन स्टिच मशीन होती है। इस स्टिच को बनाने के लिए 1-5 धागे उपयोग में लाए जा सकते हैं। इसमें नीचे वाला धागा एक अंकुशाकार साधन से आता है, जिसे 'लूपर' कहते हैं । लूपर स्वयं के धागे का स्रोत हो सकता है और नहीं भी हो सकता है।
चेन स्टिच लचीला होता है और इसे वापस उलटा नहीं किया जा सकता। यह मुख्य रूप से सिले जाने वाले कपड़े में खिंचाव को समायोजित करने के लिए प्रयुक्त होता है। इस प्रकार की सिलाई के लिए सामान्य रूप से ओवरलॉक मशीन उपयोग में लाई जाती है। बुने कपड़ों से बने सभी वस्त्रों में यह मशीन काम में ली जाती है। चेनस्टिच सिलाई के टांके के प्रकार को निम्न चित्र में देखा जा सकता है-
प्रश्न 5.
वस्त्र उद्योग में गुणवत्ता आश्वासन के लिए किन स्तरों पर निरीक्षण की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
वस्त्र उद्योग में गुणवत्ता आश्वासन के लिए निरीक्षण के स्तर-
उत्पाद की गुणवत्ता को उसकी 'प्रयोग के लिए उपयुक्तता' के रूप में परिभाषित किया जाता है। इसका अर्थ यह है कि ग्राहक की आवश्यकता ही वास्तव में तय करती है कि कोई उत्पाद गुणवत्तापूर्ण है या नहीं।
वस्त्र उद्योग में गुणवत्ता आश्वासन के लिए निम्नलिखित स्तरों पर निरीक्षण की आवश्यकता होती है-
(क) काम की उचित प्रक्रिया को अपनाकर-कच्चे माल से लेकर सुसज्जित वस्तुओं तक उत्पाद के विनिर्माण की पूर्ण प्रक्रिया को सुस्पष्ट करके और प्रत्येक विभाग के लिए प्रचालन विधियों की विस्तार से जानकारी देकर।
(ख) अपनाई गई ऊपर परिभाषित प्रक्रिया का अनुकरण करके।
(ग) जन शक्ति का प्रशिक्षण-यह वस्त्र निर्माण के सभी स्तरों-(1) कच्चे माल को जुटाना और उसकी जाँच करना, (2) कपड़े को आकार देना और काटना, (3) उत्पाद को जोड़ना और मिलाना तथा (4) परिसज्जा करना और पैक करना-पर किया जाता है अर्थात् प्रचालकों, पर्यवेक्षकों एवं प्रबंधन स्टाफ के लिए और यह मशीनों के रखरखाव, गुणवत्ता प्रणालियों, उत्पादन और उत्पाद से संबंधित होता है।
(घ) उपयुक्त मशीनों का चयन और प्रयोग-गुणवत्ता आश्वासन के लिए आवश्यकतानुसार उपयुक्त मशीनों के चयन और उनके प्रयोग के निरीक्षण की भी आवश्यकता होती है।
(ङ) उत्पाद के विभिन्न चरणों में उत्पाद का निरीक्षण-वस्त्र उद्योग में गुणवत्ता आश्वासन के लिए अन्तिम स्तर पर उत्पाद के विभिन्न चरणों या सभी चारों चरणों में उत्पाद के निरीक्षण की आवश्यकता होती है। इसके लिए प्रत्येक चरण में निर्णायक अवस्थाओं का चयन किया जाता है।
निरीक्षण की आवृत्ति और मात्रा के लिए कोई निर्धारित नियम नहीं है। इसके लिए कंपनियाँ अपने-अपने नियम स्वयं विकसित करती हैं। गुणवत्ता निर्धारण में सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि अंतिम रूप में उत्पाद दिए गए उत्पाद के लिए निर्धारित किए गए मानकों और मानदंडों के अनुरूप हों।
प्रश्न 6.
उद्योग में प्रयुक्त होने वाली विभिन्न उत्पादन पद्धतियाँ बताइए।
उत्तर:
वस्त्र उद्योग में प्रयुक्त होने वाली उत्पादन पद्धतियाँ
वस्त्र उद्योग में कपड़े को आकार देने और काटने के बाद उन्हें जोड़ना और मिलाने की प्रक्रिया प्रारंभ होती है, इसके बाद ही वस्त्र पोशाक का रूप धारण करता है। इस प्रक्रिया के लिए उत्पादन पद्धतियों का कोई एक रूप अथवा उनका संयोजन उपयोग में ले सकते हैं। वस्त्र उद्योग में प्रयुक्त होने वाली प्रमुख उत्पादन पद्धतियाँ निम्नलिखित हैं-
(क) दर्जी पद्धति-प्रत्येक दर्जी पूरे वस्त्र को जोड़कर सिलाई करता है। यह पद्धति मुख्य रूप से व्यक्ति विशेष के वस्त्रों के लिए उपयोग में ली जाती है अर्थात् उसके शरीर पर फिट बैठने वाले और एक ही ग्राहक के नाप के अनुसार वस्त्र बनाए जाते हैं। ये संचालक बहुत अधिक कुशल होते हैं और विविध प्रकार की मशीनों पर कार्य करने योग्य होते हैं।
(ख) दल द्वारा कार्य करना अथवा मॉड्यूल पद्धति-वस्त्र को प्रचालकों के एक समूह या टीम द्वारा जोड़ा जाता है। वस्त्र निर्माण में यह सबसे अधिक लोकप्रिय पद्धति है। प्रत्येक दल में कुशल, अर्धकुशल और अकुशल कार्मिकों का मिश्रण होता है और निर्माण प्रक्रिया की कौशल स्तर आवश्यकताओं के अनुसार कार्मिकों में कामों का वितरण किया जाता है।
(ग) इकाई उत्पादन पद्धति-वस्त्रों की संयोजन पद्धति को छोटी इकाइयों में बाँटा जाता है, जिन्हें प्रचालन कहते हैं। प्रत्येक प्रचालन को एक या अधिक प्रचालन दिए जाते हैं जो कि एक ही मशीन पर किए जाते हैं। उत्पाद के पूर्ण संयोजन के लिए एक पूर्व निर्धारित पैटर्न के अनुसार प्रत्येक टुकड़ा एक प्रचालन से अगले प्रचालन को दिया जाता है। यह पद्धति वृहद निर्माण सुविधाओं वाली इकाइयों अथवा/और बहुत से प्रचालनों वाली वस्त्र इकाइयों के लिए प्रभावी रूप से उपयोग में लाई जा सकती है। साथ ही उन निर्माण इकाइयों में भी प्रयुक्त की जा सकती है जो एक अकेले उत्पाद के उत्पादन के लिए काम करती हैं।
यह पद्धति प्रचालक के प्रशिक्षण पर अधिक निर्भर करती है। प्रचालक विशिष्ट मशीनों और विशेष प्रकार के प्रचालनों के लिए प्रशिक्षित किए जाते हैं, ताकि उनकी व्यक्तिगत उत्पादकता बढ़ सके। यह पद्धति छोटे ऑर्डरों और उन वस्त्रों, जिनमें बहुत कम प्रचालन होते हैं, भली-भांति काम नहीं करती।