Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Home Science Chapter 12 फ़ैशन डिज़ाइन और व्यापार Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
फैशन के प्रमुख विकास की रूपरेखा दीजिए।
उत्तर:
फैशन का विकास
फैशन अपेक्षाकृत नया विषय है। प्राचीनकाल और मध्यकालीन शैलियाँ एक साथ पूरी शताब्दी तक परिवर्तित नहीं होती थीं। नवजागरण काल में पश्चिमी सभ्यता ने विभिन्न संस्कृतियों, रीति-रिवाजों और पोशाकों की खोज करके फैशन परिवर्तन को बढ़ावा दिया। इसके साथ ही नए कपड़ों और विचारों की उपलब्धता के कारण लोग और ज्यादा नयी वस्तुओं के लिए लालायित हुए।
अन्तर्राष्ट्रीय फैशन में फ्रांस का प्रभुत्व 18वीं शताब्दी के प्रारंभ में शुरू हुआ। यथा-
(1) औद्योगिक क्रांति से पूर्व फैशन का केन्द्र फ्रांस-औद्योगिक क्रांति के पूर्व लोग दो प्रमुख वर्गों से सम्बन्ध रखते थे-अमीर और गरीब। उस समय केवल अमीर ही फैशन वाले कपड़े खरीदने में समर्थ थे। 18वीं सदी के अंत तक सम्राट लुईस चौदहवें के कोर्ट के सदस्य अपनी रुचि को प्राथमिकता देते हुए दिशा-दाता बन गए और पेरिस . को यूरोप की फैशन की राजधानी बना दिया। फ्रांस के बहुत से शहर कोर्ट के रेशमी वस्त्र, रिबन और लेस भेज रहे थे।
इस काल में फैशन के लिए सिलाई के जोड़ लगाने के लिए हाथ से सिलाई करने का, मेहनत वाला काम करना पड़ता था। सभी कपड़े हाथ से बने होते थे और ग्राहक के सही नाप के अनुसार बने होते थे।
शाही न्यायालय से समर्थन मिलने और वहाँ रेशम उद्योग के विकसित होने के कारण फ्रांस फैशन का केन्द्र बन गया। परिधान निर्माण की कला को 'कुटुअर' कहा जाता था। परिधान को डिजाइन करने वाला पुरुष 'कूटुरियर' और महिला 'कूटुरियरे' कहलाते थे।
(2) औद्योगिक क्रांति के बाद फैशन का विकास-वस्त्र निर्माण प्रौद्योगिकी से वस्त्र निर्माण उद्योग का विकास-औद्योगिक क्रांति ने वस्त्र निर्माण और परिधान उत्पादन की प्रौद्योगिकी का विकास हुआ। इस विकास के कारण कम समय में अधिक वस्त्रों का निर्माण होने लगा। इस काल में कातने वाला यंत्र और मशीन 'करघों का आविष्कार हुआ। इसके कारण अमरीका के वस्त्र निर्माण उद्योग का विकास हुआ।
(3) मध्य वर्ग का जन्म-तेजी से बढ़ते व्यापार और उद्योग ने मध्य वर्ग को जन्म दिया, जिसके पास जीवन की विलासिताओं और अच्छे कपड़ों को खरीदने के लिए धन था।
(4) सिलाई मशीन का आविष्कार और फैशन का लोकतंत्रीकरण-सिलाई मशीन के आविष्कार ने हस्तशिल्प को एक उद्योग में बदल दिया। इसने फैशन का लोकतंत्रीकरण कर दिया और इसे प्रत्येक के लिए सुलभ बना दिया।
वर्ष 1859 ई. में 'इसाक सिंगर' ने सिलाई मशीन को पैरों से चलाने के लिए पाँव चक्की (ट्रेडल) विकसित की, जिसने कपड़े को सिलने के लिए हाथों को मुक्त कर दिया। प्रारंभ में सिलाई मशीनों का उपयोग युद्ध के समय सैनिकों की वर्दी सिलने के लिए किया गया।
(5) डेनिम्स पेंटों का निर्माण व प्रचलन-19वीं सदी में लेवी स्ट्रॉस ने टेंटों और मालडिब्बों के कवरों के लिए बने कपड़ों का उपयोग करके ज्यादा चलने वाली पेंटें बनाईं, जिनमें औजार रखने के लिए जेबें लगाई गईं। बाद में इनके बहु प्रचलित होने से ये 'डेनिम्स' कहलाती थीं। यह मजदूरों के लिए विशेष रूप से बनाए जाने वाले कपड़ों की शुरुआत थी। यही एकमात्र परिधान है जो पिछले लगभग 150 वर्षों से एक जैसा रहा है।
(6) स्कर्ट तथा ब्लाउज का चलन-महिलाओं ने 1880 के दशक से स्कर्ट (घाघरा) और ब्लाउज पहनने शुरू किए। यह महिलाओं के लिए पहनने को तैयार कपड़ों के निर्माण की ओर एक कदम था। लम्बाई और कमर आसानी से माप के अनुकूल ठीक कर लिए जाते थे। इससे यह संभव हो सका कि रोजगार से जुड़ी महिलाओं की आलमारी में अलग परिधानों को केवल आपस में मिलाने से विविधता आ जाती थी।
(7) मेलों-बाजारों व दुकानों में जनसाधारण के लिए फैशन-19वीं शताब्दी में मेलों और बाजारों के माध्यम से जनसाधारण को उनकी जेब के अनुकूल फैशन के परिधान उपलब्ध कराए गए। यात्री व्यापारी इन बाजारों में कपड़े लाते थे और खरीदने वाले व बेचने वाले, दोनों अक्सर मोलभाव करते थे। चूँकि अधिक संख्या में लोग शहरों में बस गये थे, अत: उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बड़ी दुकानें स्थापित की गईं। विविध प्रकार के कपड़ों की बढ़ती माँग के साथ शहरों में खुदरा दुकानें पनपने लगीं।
प्रश्न 2.
फैशन चक्र के विभिन्न स्तरों की पहचान कीजिए और उनको समझाइए।
उत्तर:
फैशन-चक्र जिस तरीके से फैशन बदलता है, उसे सामान्यतः फैशन चक्र के रूप में जाना जाता है।
फैशन चक्र के विभिन्न स्तर-वह समय या जीवनकाल, जिसमें एक फैशन अस्तित्व में रहता है, प्रवेश से लेकर अप्रचलन तक निम्नलिखित पाँच स्तरों में गति करता है-
(1) शैली की प्रस्तुति-डिजाइनर अपने शोध और रचनात्मक विचारों को परिधान में ढालते हैं और फिर जनसाधारण को फैशन की नयी शैली उपलब्ध कराते हैं। डिजाइनों की रचना के लिए रूपरेखा, रंग, आकृति, वस्त्र जैसे अवयवों तथा अन्य विवरण को एवं उनके एक-दूसरे के साथ संबंध को बदलना पड़ता है।
(2) लोकप्रियता में वृद्धि-जब नया फैशन बहुत से लोगों द्वारा खरीदा, पहना और देखा जाता है, तो इसकी लोकप्रियता बढ़नी शुरू होती है।
(3) लोकप्रियता की पराकाष्ठा-जब कोई फैशन लोकप्रियता की ऊँचाई पर होता है, तो उसकी माँग इतनी अधिक हो जाती है कि बहुत से निर्माता उसकी नकल करते हैं या विभिन्न मूल्य स्तरों पर उसके रूपांतरणों का उत्पादन करते हैं।
(4) लोकप्रियता में कमी होना-अन्ततः उस फैशन की प्रतियों का भारी संख्या में उत्पादन होने से फैशन प्रिय व्यक्ति उस शैली से ऊब जाते हैं और नया देखना प्रारंभ कर देते हैं। इस घटती लोकप्रियता वाली सामग्री को दुकानों पर कम कीमत पर बेच दिया जाता है।
(5) अप्रचलन-फैशन चक्र के अन्तिम स्तर में कुछ उपभोक्ता पहले से ही नए रंग-रूप में आ जाते हैं और इस प्रकार नया फैशन चक्र प्रारंभ हो जाता है।
प्रश्न 3.
फैशन व्यापार से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
फैशन व्यापार का अर्थ-फैशन व्यापार का अर्थ है-बिक्री के प्रोत्साहन के लिए सही समय पर, सही स्थान पर और सही मूल्य पर आवश्यक योजना बनाना। यदि इन सभी स्थितियों की योजना बनाई जाए तो अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सकता है।
फैशन व्यापार के घटक-फैशन व्यापार के अर्थ को भली-भाँति समझने के लिए फैशन की वस्तुओं के उत्पादन, क्रय, संवर्धन और विक्रय में व्यापारियों की भूमिका को समझना आवश्यक है। यथा-
(1) विनिर्माण-विनिर्माण में फैशन व्यापारी किसी एक परिधान को बनाने में विभिन्न प्रकार के कपड़ों का उपयोग करते समय बहुत अधिक सावधानी बरतता है। कपड़ों और परिधान निर्माण के ज्ञान का उपयोग करते हुए, फैशन व्यापारी डिजाइनर द्वारा तैयार किए गए परिधान को ले लेता है और इसके उत्पादन का श्रेष्ठ तरीका ढूँढता है, साथ ही मूल्य और लक्षित बाजार जैसी बातों का भी ध्यान रखता है।
(2) क्रय-क्रय, फैशन व्यापार का हिस्सा बन जाता है, जब एक ब्यापारी फैशन की सामग्री दुकानों में रखने के लिए खरीदता है। एक फैशन व्यापारी को फैशन की वस्तुओं के लिए लक्षित बाजार की जानकारी अवश्य होनी चाहिए और साथ ही उसे फैशन प्रवृत्ति विश्लेषण और पूर्वानुमान लगाने में भी बहुत निपुण होना चाहिए। इससे अधिक सही आर्डर दिया जा सकता है। एक डिजाइनर के साथ मिलकर कार्य करने वाला फैशन व्यापारी एक बार फिर वस्त्र निर्माण और वस्त्रों के विषय में डिजाइनर को अपनी विशेषज्ञता प्रदान कर सकेगा।
(3) संवर्धन-जब फैशन व्यापारी डिजाइनर के लिए काम करता है, तब उसकी पहली वरीयता यह होती है कि वह डिजाइनर के उत्पाद को उन दुकानों तक पहुँचाए जो उसे अधिक मात्रा में खरीदना पसंद कर सकते हैं। फैशन व्यापारी डिजाइनर द्वारा तैयार परिधानों को फैशन प्रदर्शनों द्वारा बढ़ावा देता है, जहाँ रचनाएँ और उनके दृश्य-प्रभाव संभावित ग्राहकों को ध्यान आकर्षित करने के लिए बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किए जाते हैं। इसके अतिरिक्त फैशन व्यापारी डिजाइनर के कपड़ों के लिए लक्षित बाजार ढूँढते हैं, जैसे-बच्चों के कपड़ों की दुकानें, विभागीय दुकानें या छूट देने वाली दुकानें।
(4) विक्रय-फैशन व्यापार का अंतिम घटक विक्रय है। एक फैशन व्यापारी जो एक डिजाइनर के साथ काम करता है, दुकानों को फैशन की वस्तुएँ बेचने के लिए उत्तरदायी होता है और दुकानें वह माल ग्राहकों को बेचती हैं। जब फैशन व्यापारी एक खुदरा दुकान के लिए काम करता है तो उसके उत्तरदायित्वों में वस्तुओं को खरीदना और दुकान में सजाना भी शामिल रहता है।
प्रश्न 4.
व्यापार के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
व्यापार के विभिन्न स्तर
फैशन उद्योग में व्यापार निम्नलिखित तीन स्तरों पर होता है-
(1) खुदरा संगठन में व्यापारिक गतिविधियाँ-फैशन उद्योग के भीतर खुदरा संगठन में व्यापारिक गतिविधियाँ एक विशिष्ट प्रबंधन प्रकार्य है। यह व्यापार का वह स्तर है जिसमें फैशन की दुनिया को डिजाइनर के प्रदर्शन कक्ष से खुदरा दुकानों तक और फिर ग्राहकों के हाथों में पहुँचता है। यह खुदरा संगठन के आंतरिक नियोजन द्वारा प्राप्त किया जाता है जो यह सुनिश्चित करता है कि व्यापार में विक्रय के लिए उस मूल्य पर माल का पर्याप्त प्रावधान रहे, जिस मूल्य पर ग्राहक इच्छापूर्वक लेने को तैयार है, ताकि लाभप्रद प्रचालन सुनिश्चित रहे।
(2) क्रय एजेंसी के माध्यम से व्यापार-क्रय एजेन्सी वस्तु के क्रय के लिए परामर्श देती है। यह एजेन्सी ग्राहकों के लिए सामान उपलब्ध कराने के कार्यालय का काम करती है। क्रय एजेन्सी के माध्यम से खरीदना निर्यातकों के लिए लाभदायक रहता है क्योंकि यह लागत और समय की पर्याप्त बचत करती है।
क्रय एजेन्टों का उत्तरदायित्व विक्रेताओं की पहचान करना, मूल्य का मोलभाव करना, बनते समय गुणवत्ता की जाँच करना और लदानपूर्व गुणवत्ता की जाँच करना होता है। वे उत्पादन प्रक्रिया के दौरान गुणवत्ता पर नियमित नियंत्रण रखते हैं।
(3) निर्यात उद्यम में व्यापारिक गतिविधियाँ-निर्यात उद्यम में दो प्रकार के व्यापारी होते हैं-(i) क्रय एजेण्ट और (ii) उत्पादक व्यापारी। यथा
(i) क्रय एजेण्ट-क्रय एजेन्ट खरीदारों और उत्पादकों के बीच मध्यस्थता का कार्य करते हैं। उनकी जिम्मेदारी यह सुनिश्चित करना होती है कि उत्पाद का विकास खरीदार की आवश्यकताओं के अनुसार हुआ है। इस प्रकार, उनकी जिम्मेदारी स्रोत ढूँढने, नमूना लेने और खरीदार से बातचीत करने की होती है।
(ii) उत्पादक व्यापारी-उत्पादक व्यापारी उत्पादन और खरीदार व्यापारियों के बीच मध्यस्थता का कार्य करते हैं। उनकी जिम्मेदारी उत्पादन को समयबद्धता और खरीदार की आवश्यकताओं के अनुसार कराने की होती है।
प्रश्न 5.
"उपभोक्ता की माँग की व्याख्या करने के लिए 'लक्षित बाजार' और 'ग्राहक प्रोत्साहन' को समझना चाहिए।" विस्तार से बताइए।उत्तर:
व्यापारी के लिए उपभोक्ता की मांग की व्याख्या करने की आवश्यकता होती है। यह समझने के लिए। लक्षित बाजार और ग्राहक प्रोत्साहन को समझना आवश्यक है। यथा-
(अ) लक्षित बाजार-लक्षित बाजार को उपभोक्ता की उस श्रेणी के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसे व्यापारी अपने उत्पाद बेचने के लिए लक्षित करता है। लक्षित बाजार विक्रय विभाग को उन उपभोक्ताओं पर ध्यान केन्द्रित करने में सहयोग देता है, जिनके द्वारा सामान खरीदने की संभावना अधिक होती है और साथ ही विपणन/विक्रय पर हुए व्यय का अधिकतम लाभ मिलता है।
ऐसा बाजार विभाजन द्वारा किया जा सकता है। बाजार विभाजन ऐसी नीति है जो बड़े बाजार को उपभोक्ताओं के ऐसे उप समूहों में बाँटती है, जिनकी आवश्यकताएँ और समान उपयोगिताएँ तथा बाजार में उपलब्ध सेवाएँ सर्वमान्य होती हैं।
बाजार को विभिन्न प्रकार से विभाजित किया जा सकता है-बाजार को विभिन्न प्रकार से लक्षित बाजारों में विभाजित किया जा सकता है। यथा-
(ब) ग्राहक प्रोत्साहन-व्यापारी के रूप में उपभोक्ता की मांग की भी व्याख्या करने की आवश्यकता होती है। यह समझने की आवश्यकता होती है कि उपभोक्ता की खरीदारी के लिए प्रोत्साहन क्या होते हैं।
व्यापार के लिए सही बातें-ग्राहक प्रोत्साहन हेतु व्यापार के लिए सही बातें निम्नलिखित हैं-
प्रश्न 6.
उन ज्ञान और कौशलों के नाम बताइए जो एक फैशन डिजाइनर और व्यापारी के पास अवश्य होने चाहिए।
उत्तर:
एक फैशन डिजाइनर और व्यापारी के पास आवश्यक ज्ञान और कौशल
फैशन डिजाइन और व्यापार का क्षेत्र में जीविका शैली के साथ व्यापार बोध को जोड़ती है, इसलिए इस क्षेत्र में सफलता के लिए निम्नलिखित तीन ज्ञान और कौशल फैशन डिजाइनरों, व्यापारियों तथा बाजार चलाने वालों के पास होने चाहिए-
(1) पूर्वानुमान योग्यता-फैशन की प्रवृत्तियों के संबंध में पूर्वानुमान की योग्यता इस जीविका का आवश्यक भाग है। यह विगतकारी प्रवृत्तियों, वर्तमान प्रवृत्तियों का परिपूर्ण ज्ञान प्रदान करती है। यह पूर्वानुमान-योग्यता उस बात की जागरूकता प्रदान करती है कि किस प्रकार किसी उत्पाद का विपणन इन फैशन प्रवृत्तियों में योगदान करता है। इसके अतिरिक्त उनमें समय रहते व्यापार से पूँजी कमाने के लिए, इन फैशन प्रवृत्तियों के बारे में आगे की सोच रखने की क्षमता होनी चाहिए।
(2) विश्लेषणात्मक योग्यता-फैशन व्यापारी और बिक्री संवर्धनकर्ता में अपने कार्यों की पूँजी और समझदारी भाग का विश्लेषण करने की योग्यता होनी चाहिए अर्थात् उन्हें सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था, अपनी विशिष्ट कंपनियों की अर्थव्यवस्था की जानकारी होनी चाहिए और उस बात की समझ होनी चाहिए कि किस प्रकार कुछ शैलियाँ उपभोक्ता के बजट में समा सकेंगी। वे जटिल कारकों के समूह को इस प्रकार सुलझायें कि अपने नियोक्ताओं के लिए लाभ सुनिश्चित कर सकें।
(3) संप्रेषण कौशल-इस क्षेत्र में उत्कृष्ट संप्रेषण कौशल वाला होना अत्यन्त आवश्यक गुण है। उनमें निर्माता के साथ मूल्यों को तय करने के लिए बातचीत करने की योग्यता हो और जनसाधारण को उनके पसंद के फैशन बेच सकने की संप्रेषण कला हो। इसके लिए प्रायः वे विज्ञापन देते हैं, समाचार पत्रों में विज्ञप्तियाँ भेजते हैं और यहाँ तक कि उपभोक्ताओं को व्यक्तिगत रूप से पत्र भी लिखते हैं। इन सब कार्यों के लिए अच्छे संप्रेषण कौशल का होना जरूरी है।
प्रश्न 7.
आप अपने उस मित्र को क्या सलाह देंगे जो फैशन डिजाइनिंग और व्यापार को जीविका के रूप में अपनाना चाहता है?
उत्तर:
हम अपने उस मित्र को जो फैशन डिजाइनिंग और व्यापार को जीविका के रूप में अपनाना चाहता है, निम्न सलाह देंगे-
यदि वह इस क्षेत्र में अपना व्यापार अथवा खुदरा दुकान चलाना चाहता है, तो फैशन डिजाइन और व्यापार में क प्रकार के डिग्री कार्यक्रम हैं। वह इस क्षेत्र में एक प्रमाण-पत्र. डिप्लोमा, एक 'एसोसिएट' अथवा स्नातक उपाधि अर्जित कर सकते हैं। मेरे मित्र की पसंद अनेक कारकों पर निर्भर करेगी जो प्रत्येक उपाधि कार्यक्रम के विशिष्ट गुणों को ध्यान में रखेंगे। यथा-
(1) फैशन व्यापार में प्रमाण-पत्र या डिप्लोमा, डिग्री कार्यक्रम सामान्यतः छः माह से एक वर्ष में पूरा हो जाता है। कार्यक्रम की अवधि छोटी इसलिए होती है, क्योंकि अध्ययनकालीन अभ्यास कार्य को फैशन व्यापार के वास्तविक रोजगार पर केन्द्रित करना होता है। यदि मेरे मित्र के पास लंबी अवधि तक विद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने का धैर्य नहीं है और वह फैशन के क्षेत्र में ज्यादा जल्दी प्रवेश करने के योग्य बनना चाहते हैं तो एक प्रमाण-पत्र या डिप्लोमा कार्यक्रम उसके लिए उपयुक्त रहेगा।
(2) फैशन व्यापार से संबंधित उपाधियाँ दो वर्षीय स्नातकोत्तर कार्यक्रम हैं, जो फैशन और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में सहज कलाओं का ज्ञान आवश्यकतानुसार जोड़ सकते हैं।
(3) फैशन डिजाइन अथवा फैशन व्यापार में स्नातक उपाधियाँ चार वर्षीय कार्यक्रम हैं, जिनमें फैशन और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के साथ सहज कलाओं को आवश्यकतानुसार पर्याप्त मात्रा में जोड़ देते हैं। यदि मेरे मित्र में लम्बे समय तक पढ़ने का धैर्य होगा और उसमें एक व्यापक शिक्षा पाने की इच्छा और विभिन्न उन्नति के अवसर पाने की लालसा होगी, तो मैं उसे स्नातक उपाधि प्राप्त करने की सलाह दूंगा।