Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 English Kaleidoscope Non-fiction Chapter 4 Why the Novel Matters Textbook Exercise Questions and Answers.
The questions presented in the RBSE Solutions for Class 12 English are solved in a detailed manner. Get the accurate RBSE Solutions for Class 12 all subjects will help students to have a deeper understanding of the concepts. Our team has come up with job letter class 12 to ensure that students have basic grammatical knowledge.
Understanding the Text :
Question 1.
How does the novel reflect the wholeness of a human being?
उपन्यास किस प्रकार मनुष्य की सम्पूर्णता को प्रदर्शित करता है?
Answer:
According to the writer, the novel is the book of life but books are not so. A novel, like most other literary genres, consists of characters. These characters manifest the real human beings on paper. The author claims that he is not a soul, not a body, a mind, an intelligence, a brain, a nervous system but he is alive and greater than his soul, spirit, body, mind, consciousness or anything.
He says that the liveliness of the novel depends entirely upon its characters. The novel exhibits several personality traits of characters. It peeps into deep insight of the characters. In this way the novel reflects the wholeness of the human being.
लेखक के अनुसार, उपन्यास जीवन की पुस्तक है लेकिन पुस्तकें ऐसी नहीं हैं। एक उपन्यास में, अधिकतर अन्य साहित्यिक विधाओं की तरह, पात्र होते हैं । ये पात्र पेपर पर वास्तविक मनुष्यों को प्रदर्शित करते हैं। लेखक दावा करता है कि वह आत्मा नहीं है, शरीर नहीं है, मस्तिष्क, बुद्धि, दिमाग, तन्त्रिका-तन्त्र भी नहीं है बल्कि वह सजीव है और अपनी आत्मा, रूह, शरीर, मस्तिष्क, अन्तर्चेतना अथवा किसी भी अन्य चीज से श्रेष्ठ है।
वह कहता है कि उपन्यास की सजीवता पूरी तरह से उसके पात्रों पर निर्भर करती है। उपन्यास पात्रों के व्यक्तित्व के अनेकों गुणों को प्रदर्शित करता है। यह पात्रों की गहन अन्तर्दृष्टि में झाँकता है। इस प्रकार एक उपन्यास मनुष्य की सम्पूर्णता को प्रदर्शित करता है।
Question 2.
Why does the author consider the novel superior to philosophy, science or even poetry?
लेखक उपन्यास को दर्शनशास्त्र, विज्ञान अथवा काव्य तक से भी क्यों श्रेष्ठ मानता है?
Answer:
The author considers the novel superior to other genres like philosophy, science or even poetry. He is of the opinion that all the books are not so lively as a novel. The novel like, a tree, grows in all the dimensions not in a particular direction.
A novel induces a kind of liveliness in the readers which makes the entire man alive. In his opinion, Bible, Shakespeare and Homer all are great novels. Philosophy reflects different types of thoughts, science considers all parts of body as dead while poetry is known for imagination. But on the contrary, novel induces life in the readers. Thus, novel is considered superior to philosophy, science or even poetry.
लेखक उपन्यास को अन्य विधाओं से जैसे दर्शनशास्त्र, विज्ञान और काव्य तक से श्रेष्ठ मानता है। उसका मत है कि सभी पुस्तकें इतनी जीवन्त नहीं होती हैं जितना कि उपन्यास। उपन्यास, एक पेड़ की तरह, सभी दिशाओं में बढ़ता है, किसी एक विशेष दिशा में नहीं बढ़ता है। उपन्यास पाठकों में एक प्रकार की जीवन्तता लाता है जो कि सम्पूर्ण मनुष्य को सजीव कर देती है। उसके विचार में, बाइबिल, शेक्सपियर और होमर सभी महान उपन्यास हैं।
दर्शनशास्त्र विभिन्न प्रकार के विचारों को प्रदर्शित करता है, विज्ञान शरीर के सभी अंगों को मृत मानता है जबकि काव्य कल्पनाशीलता के लिए जाना जाता है। लेकिन इसके विपरीत उपन्यास पाठकों में जीवन का संचार करता है। इस प्रकार उपन्यास दर्शनशास्त्र, विज्ञान और काव्य तक से भी श्रेष्ठ माना जाता है।
Question 3.
What does the author mean by tremulations on ether' and the novel as a tremulation'?
लेखक का 'वायु में कम्पन' तथा 'उपन्यास एक कम्पन के रूप में' से क्या आशय है ?
Answer:
The author means to say that 'tremulation on ether' induces a kind of life in readers which the other books can't do. Other books do not stimulate the readers so they seem similar to reading messages or hearing news over the radio. Thus, the words, thoughts, sighs and aspirations of a philosopher are the 'tremulations in the ether.
They are not alive, but if a person accepts them in his life, they become alive. “The novel as a tremulation' can make the whole man alive tremble. Novel on its Zenith is important as a tremulation. The novel as a tremulation makes the readers tremble with life and the wisdom of life with its wholeness. Thus, the novel is a life inducing agent of the writer's thought process which has considerable effects on the readers.
लेखक का कहने का अभिप्राय यह है कि 'वायु में कम्पन' पाठकों में एक प्रकार का जीवन भर देता है जो कि अन्य पुस्तकें नहीं कर सकती हैं। दूसरी पुस्तकें पाठकों को प्रेरित नहीं करती हैं अतः वे सन्देशों को पढ़ने अथवा रेडियो पर समाचार सुनने के समान प्रतीत होती हैं। इस प्रकार, शब्द, विचार, आहे और दार्शनिक की आशाएँ 'वायु में कम्पन' के समान हैं । वे सजीव नहीं हैं, लेकिन यदि कोई व्यक्ति उन्हें जीवन में स्वीकार करता है, तो वे सजीव हो जाती हैं।
'कम्पन के रूप में उपन्यास' सम्पूर्ण सजीव व्यक्ति को कंपा सकता है। अपने सर्वोच्च शिखर पर उपन्यास कम्पन के रूप में महत्त्वपूर्ण है। कम्पन के रूप में उपन्यास पाठकों को जीवन के साथ कम्पायमान कर देता है और जीवन का ज्ञान अपनी सम्पूर्णता से कम्पायमान कर देता है। इस प्रकार, उपन्यास लेखक के विचारशील प्रवाह का जीवनदायक एजेन्ट है जिसका पाठकों पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
Question 4.
What are the arguments presented in the essay against the denial of the body by spiritual thinkers?
आध्यात्मिक विचारकों द्वारा शरीर के इन्कार के विरुद्ध निबन्ध में क्या तर्क प्रस्तुत किये गये हैं ?
Answer:
Lawrence is of the opinion that our body is not merely a vessel for containing the soul and that soul is the only living entity. He says that our hand itself is alive. It hops from word to word to write something like a grasshopper. It is as much active ones alive as the mind which dictates the words to be written.
In the same way, a person talks about the importance of souls in Heaven. But according to Lawrence "paradise is in the palm of your hand.” A philosopher talks about infinity and the pure spirit who knows everything. Hence, the body is alive, perhaps more alive than any other entity and denying it is an erroneous decision by spiritual thinkers or priests.
लॉरेन्स का मत है कि हमारा शरीर आत्मा को रखने के लिए केवल एक साधन मात्र नहीं है और यह कि आत्मा एकमात्र तत्व है। वह कहता है कि हमारा हाथ स्वयं में ही सजीव है। यह एक टिड्डे की भाँति शब्द से शब्द तक फुदकता रहता है । यह उतना ही सक्रिय और सजीव है जितना कि हमारा मस्तिष्क जो कि लिखने के लिए शब्द बोलता है।
ठीक इसी प्रकार, एक धर्मगुरु स्वर्ग में आत्मा के महत्त्व के बारे में बोलता है। लेकिन लॉरेन्स के अनुसार, "स्वर्ग तो आप के हाथ की हथेली में है।" एक दार्शनिक अनन्तता के बारे में और शुद्ध आत्मा के बारे में बात करता है जो कि सब कुछ जानती है। इस प्रकार, शरीर सजीव है शायद किसी भी अन्य अस्तित्व से ज्यादा सजीव और इससे इन्कार करना आध्यात्मिक विचारकों और धर्मगुरुओं का त्रुटिपूर्ण निर्णय है।
Page 168.
Question 1.
What are the things that mark animate things from the inanimate?
वे कौनसी बातें हैं जो सजीव वस्तुओं को निर्जीव वस्तुओं की तुलना में ज्यादा महत्त्वपूर्ण बनाती हैं ?
Answer:
The author says that all the things that are within our body are alive including brain, soul, skin and hair. He says that animate things have flicker in them but the inanimate things do not have. Animate things make a whole body with many parts but inanimate things do not have this quality.
Animate things have their complete existence and they do activities during the entire life but the inanimate things do not have these qualities. No doubt, inanimate things like words, thoughts, signs and aspirations are helpful and supportive to our life but they are not alive.
लेखक कहता है कि वे सारी वस्तुएँ जो हमारे शरीर में हैं, वे सजीव हैं जिनमें मस्तिष्क, आत्मा, त्वचा और बाल भी शामिल हैं। वह कहता है कि सजीव वस्तुओं में कार्य करने की क्षमता है लेकिन निर्जीव वस्तुओं में यह नहीं है। सजीव वस्तुएँ अलग-अलग अनेक अंगों से पूरा शरीर बनाती हैं लेकिन निर्जीव वस्तुओं में यह गुण नहीं होता है।
सजीव वस्तुओं का अपना अस्तित्व होता है और अपने जीवन भर वे क्रियाएँ करती रहती हैं लेकिन निर्जीव वस्तुओं में यह गुण नहीं होता है। निःसन्देह, निर्जीव वस्तुएँ जैसे शब्द, विचार, चिह्न तथा आशाएँ हमारे जीवन में सहायक और सहयोगात्मक होती हैं लेकिन वे सजीव नहीं हैं।
Question 2.
What is the simple truth that eludes the philosopher or the,scientist?
वह कौनसा साधारण सत्य है जो दार्शनिक अथवा वैज्ञानिक के दृष्टिकोण से दूर हट जाता है ?
Answer:
According to the author, novel is the real thing in life. Neither a philosopher nor a scientist sees life as a whole. The philosopher talks about the Paradise and his thoughts matter. He considers thought to be life. A scientist takes each body part as a living being and considers the man as dead. He considers each body part equally important not the whole. In this way, both of them fail to see the truth that life is a whole and no part of life can be able to define life completely.
लेखक के अनुसार, उपन्यास जीवन में वास्तविक चीज होती है। न तो दार्शनिक और न ही वैज्ञानिक जीवन को सम्पूर्ण रूप में देखता है। दार्शनिक स्वर्ग के बारे में बात करता है और उसके विचारों का महत्त्व होता है। वह विचारों को जीवन मानता है। एक वैज्ञानिक शरीर के प्रत्येक अंग को सजीव मानता है और व्यक्ति को मृतक मानता है। वह शरीर के प्रत्येक अंग को बराबर महत्त्व देता है, सम्पूर्ण रूप में नहीं। इस प्रकार, वे दोनों ही इस सत्य को देखने में असफल हो जाते हैं कि जीवन सम्पूर्ण है और जीवन का कोई भी भाग सम्पूर्ण जीवन की व्याख्या करने में समर्थ नहीं है।
Page 171.
Question 1.
How does Lawrence reconcile inconsistency of behaviour with integrity?
लॉरेन्स व्यवहार की अस्थिरता का सत्यनिष्ठा के साथ किस प्रकार समायोजन करता है?
Answer:
According to the writer, nothing is absolute in this world. Change continuous every time in everything. Lawrence is aware of the changes in human behaviour. He says that love for change is a natural instinct. A thing that is important today may not be so tomorrow. Even in a novel if the characters do not change, the novel becomes a dead thing.
But even in the change, one maintains a certain integrity. The behaviour changes with the passage of time but that change occurs with a certain design that depends on the will of the human being.
लेखक के अनुसार, इस संसार में कुछ भी सम्पूर्ण नहीं है। प्रत्येक समय पर प्रत्येक वस्तु में परिवर्तन होता रहता है। लॉरेन्स मानवीय व्यवहार में परिवर्तन के प्रति सचेत है। वह कहता है कि परिवर्तन के लिए प्रेम एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। एक वस्तु जो आज महत्त्वपूर्ण है, वह कल इतनी महत्त्वपूर्ण न हो, ऐसा हो सकता है।
एक उपन्यास में भी, यदि पात्र परिवर्तित नहीं होते हैं तो उपन्यास मृत समान हो जाता है। लेकिन परिवर्तन में भी व्यक्ति एक निश्चित सत्यनिष्ठा बनाये रखता है। व्यवहार समय के साथ परिवर्तित हो जाता है लेकिन यह परिवर्तन एक निश्चित आकार में होता है जो कि मानवीय इच्छा पर निर्भर करता है।
Talking about the Text :
Discuss in pairs :
Question 1.
The interest in a novel springs from the reactions of characters to circumstances. It is more important for characters to be true to themselves (integrity) than to what is expected of them (consistency). (A foolish consistency is the hobgoblin of little minds-Emerson.)
एक उपन्यास में रुचि परिस्थितियों के प्रति पात्रों की प्रतिक्रियाओं से जाग्रत होती है। पात्रों के लिए यह ज्यादा महत्त्वपूर्ण है कि वे उनसे जिसकी भी आशा की जाती है (सामंजस्य) उसकी तुलना में वे अपने प्रति सत्य बने रहें (सत्यनिष्ठा)। (एक मूर्खतापूर्ण सामंजस्य तुच्छ मस्तिष्कों के लिए पक्षियों को डराने का पुतला होता है-एमर्सन।)
Answer:
It is true that characters are the backbone of any literary text. Everything including plot, story, dialogues, revolve round the characters. Hence, it is very difficult for the characters to be true. If they fail to remain true to themselves, they lose their charm and become dull and flat characters which remain unaffected during the entire course of the novel. On the contrary, Round characters continuously go on developing with the progression of the story.
They help to take the reader to the climax and the readers are glued to the novel. Thus, if there are flat characters, they make the novel to be monotonous and the novel will lose its charm. This is the reason why it is more important for characters to be true to themselves (integrity) than to what is expected of them (consistency).
यह सत्य है कि पात्र किसी भी साहित्यिक आलेख की रीढ़ होते हैं। प्रत्येक चीज जिसमें शामिल है-कथावस्तु, कहानी, संवाद सभी पात्रों के चारों ओर घूमते हैं। इस प्रकार, पात्रों के लिए यह अत्यन्त आवश्यक है कि वे सत्यनिष्ठ बने रहें। यदि वे अपने आप में सत्यनिष्ठ बने रहने में असफल हो जाते हैं तो उनका आकर्षण समाप्त हो जाता है और वे नीरस और सपाट पात्र बन जाते हैं जो कि सम्पूर्ण उपन्यास में अप्रभावशाली बने रहते हैं।
इसके विपरीत, प्रमुख एवं वास्तविक पात्र लगातार कहानी के साथ विकास करते रहते हैं। वे पाठकों को चरमोत्कर्ष पर ले जाते हैं और पाठक उपन्यास से चिपके रहते हैं । इस प्रकार, यदि सपाट पात्र होंगे तो वे उपन्यास को नीरस बना देंगे और उपन्यास अपना आकर्षण खो देगा। यही कारण है कि पात्रों का अपने प्रति सत्य बने रहना आवश्यक होता है (सत्यनिष्ठा) बजाय इसके कि वे उनसे क्या आशा की जाती है (सामंजस्य)।
Question 2.
'The novel is the one bright book of life'. 'Books are not life'. Discuss the distinction between the two statements. Recall Ruskin's definition of 'What is a Good Book?' in Woven Words Class XI.
"उपन्यास जीवन की एक शानदार पुस्तक होता है।" "पुस्तकें जीवन नहीं होती हैं।" दोनों वाक्यों में अन्तर के बारे में बताइये । रस्किन की परिभाषा "एक अच्छी पुस्तक क्या है ?" को याद करिये जो कक्षा XI में Woven Words में आई है।
Answer:
According to the author, the novel portrays the real issues in life. Novel also depicts life in its truest form and this is the reason why the readers are overwhelmed reading a novel. The readers get an insight into life and acquire several lessons in life. So, the author calls the novel to be "the bright book of life". But in the same tone, he says "Books are not life.”
This statement means that it is true that the novel depicts real-like issues and characters, yet it is not real in itself. If seems to be a figment of author's imagination which might have been inspired by real life issues and characters. Thus, although it depicts reality yet novel is not real in itself.
Ruskin Bond also lays stress in his work “what is a good book?". He says that a reader must know the feelings of the author what the author wants to convey. In this regard both Ruskin Bond and Lawrence have the same idea. Lawrence also wants that the readers should get inspired from the novel.
लेखक के अनुसार, उपन्यास जीवन में वास्तविक समस्याओं को प्रदर्शित करता है। उपन्यास जीवन को भी वास्तविक स्वरूप में दिखाता है और यही कारण है कि उपन्यास पढ़कर पाठक भाव-विभोर हो जाते हैं। पाठक जीवन में एक अन्तर्दृष्टि प्राप्त करते हैं और जीवन में अनेकों शिक्षाएँ ग्रहण करते हैं। इसलिए लेखक उपन्यास को 'जीवन की एक शानदार पुस्तक' कहता है, लेकिन ठीक उसी धुन में, वह कहता है, "पुस्तकें जीवन नहीं होती हैं।"
इस वाक्य का अर्थ है कि यह सत्य है कि उपन्यास वास्तविक दिखाई देने वाली समस्याओं और पात्रों को प्रदर्शित करता है, लेकिन फिर भी यह अपने आप में वास्तविक नहीं होता है। यह लेखक की कल्पनाओं में होता है जिसका वास्तविक संसार में अस्तित्व नहीं होता है जो कि वास्तविक जीवन की समस्याओं और पात्रों द्वारा प्रेरित प्रतीत होती हैं। इस प्रकार, यद्यपि यह वास्तविकता को प्रदर्शित करता है लेकिन उपन्यास अपने आप में वास्तविक नहीं होता है।
रस्किन बॉण्ड भी अपने कार्य 'एक अच्छी पुस्तक क्या है?' में इस बात पर जोर देता है। वह कहता है कि एक पाठक को लेखक की भावनाओं की समझ होनी चाहिए कि लेखक क्या विचार व्यक्त करना चाहता है। इस प्रकार से रस्किन बॉण्ड और लॉरेन्स दोनों के समान विचार हैं। लॉरेन्स भी चाहता है कि पाठक उपन्यास से प्रेरित होने चाहिए।
Appreciation :
Question 1.
Certain catch phrases are recurrently used as pegs to hang the author's thoughts throughout the essay. List these and discuss how they serve to achieve the argumentative force of the essay.
सम्पूर्ण निबन्ध में कुछ आकर्षित करने वाले वाक्य खूटी की तरह इस प्रकार बार-बार प्रयोग किये गये हैं कि जिन पर लेखक के विचारों को प्रदर्शित किया जा सके। उनकी सूची बनाइये और व्याख्या कीजिए कि वे किस प्रकार निबन्ध की तर्कयुक्त शक्ति को प्राप्त करने में सहायक हैं।
Answer:
The author has put a number of catch phrases in the essay which convey a direct idea to the readers. These catch phrases are :
1. 'Body' in which the author depicts the importance of the poetry.
2. 'Me alive' in which the author presents that until a man is alive, he can do nothing at all.
3. 'Spirit - the author considers spirit to be a misleading concept which makes a man delve deep into vagueness.
4. 'Tremulations in the ether'-where he thinks that tremulations are the ideas of the saints and philosophers which influence a man to change.
5. 'I am man alive' -where the author thinks that he is able to do because he is alive. This is a realistic concept in which he believes that everything happens because man is alive.
6. 'According to pattern'-where the author thinks that everything happens with a framework.
7. 'Superior to poetry, philosophy and science'.In this catch phrase, the author believes that novel is for superior to poetry, philosophy and science.The whole essays depicts the author's emphasis on the fact that all the body parts make him alive which form a 'wholeness'. So these phrases are extremely important to prove the essence of life and novel.
लेखक ने निबन्ध में अत्यधिक आकर्षित करने वाले वाक्यों को प्रस्तुत किया है जो कि पाठकों को एक सीधा सन्देश देते हैं । ये आकर्षित करने वाले विचार हैं-
1. 'शरीर-जिसमें लेखक ने शरीर के महत्त्व को प्रदर्शित किया है ।
2. 'मैं सजीव-जिसमें लेखक प्रस्तुत करता है कि जब तक मनुष्य जीवित नहीं है, वह कुछ भी नहीं कर सकता है।
3. 'आत्मा'-लेखक आत्मा को भ्रमित करने वाला सिद्धान्त मानता है जो कि मनुष्य को अस्पष्टता में शामिल कर देता है।
4. 'वायु में कम्पन'-जहाँ पर वह सोचता है कि ये कम्पन सन्तों और दार्शनिकों के विचार हैं जो कि मनुष्य को परिवर्तित होने के लिए प्रभावित करते हैं।
5. 'मैं सजीव हूँ-जहाँ पर लेखक सोचता है कि वह इसलिए कार्य को करने योग्य है क्योंकि वह जीवित है। यह एक वास्तविक
सिद्धान्त है जिसमें वह विश्वास करता है कि प्रत्येक कार्य इसलिए होता है क्योंकि मनुष्य जीवित है।
6. 'आकृति विशेष के अनुसार-जहाँ पर लेखक सोचता है कि सब कुछ एक फ्रेमवर्क के अनुसार होता है।
7. 'काव्य, दर्शनशास्त्र और विज्ञान से श्रेष्ठ'-इस विचार में लेखक विश्वास करता है कि उपन्यास काव्य, दर्शनशास्त्र और विज्ञान से श्रेष्ठ है। सम्पूर्ण निबन्ध लेखक के इस तथ्य पर जोर देने को प्रदर्शित करता है कि शरीर के सम्पूर्ण अंग उसे सजीव बनाते हैं जो कि 'सम्पूर्णता' का निर्माण करते हैं। अतः ये वाक्य जीवन और उपन्यास के सार को समझने के लिए अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं।
Question 2.
The language of argument is intense and succeeds in convincing the reader through rhetorical devices. Identify the devices used by the author to achieve this force.
तर्क-वितर्क की भाषा अत्यन्त गहन होती है और आलंकारिक भाषा के माध्यम से पाठकों को प्रभावित करने में सफल होती है। उन योजनाओं को पहचानिये जिन्हें लेखक ने इस शक्ति को प्राप्त करने के उद्देश्य से प्रयोग किया है।
Answer:
Rhetorical devices are used by the authors to make their text deep and intense. These devices convince the readers to understand the arguments. Lawrence has used so many devices at different places and occasions.
1. Allusion-The author has used the allusion of Bible.
2. He asks - When the author puts the question whether there is any significant difference between his
hand or brain or mind.
3. Amplification-The author has used the repetitive use of words like 'manalive', 'spirit', tremulations', to emphasize his arguments.
4. We're in a Cul-de-sac at present means the poet wants to convey the idea that we are living in such a street which is closed at the other end. Apart this, the author has given a number of examples in which he establishes the superiority of novel over poetry, philosophy and science. He presents the novel as perfect genre of literature.
लेखकों द्वारा आलंकारिक भाषा का प्रयोग अपने लेखों में गहन एवं अन्तर्दृष्टि समाहित करने के लिए किया जाता है। ये योजनाएँ पाठकों को तर्क को समझने में सहायता करती हैं । लॉरेन्स ने विभिन्न योजनाओं का प्रयोग विभिन्न स्थानों और अवसरों पर किया है।
1. उद्धरण-लेखक ने बाइबिल का उद्धरण प्रस्तुत किया है।
2. वह पूछता है-जब लेखक यह प्रश्न पूछता है कि क्या उसके हाथ, अथवा मस्तिष्क अथवा दिमाग में कोई महत्त्वपूर्ण अन्तर है।
3. विस्तार-लेखक ने दोहराये जाने वाले शब्दों का प्रयोग किया है, जैसे-'सजीव-मनुष्य', 'आत्मा', 'कम्पन', ताकि वह अपने तर्कों को प्रभाव दे सके।
4. हम वर्तमान में एक बन्द गली में रह रहे हैं जिसका अर्थ है कि कवि अपना विचार व्यक्त करना चाहता है कि हम एक ऐसी गली में रह रहे हैं जो कि दूसरे छोर पर बन्द है। इसके अतिरिक्त, लेखक ने अनगिनत उदाहरण दिए हैं जिनमें वह उपन्यास की काव्य, दर्शनशास्त्र और विज्ञान पर श्रेष्ठता स्थापित करता है। वह उपन्यास को साहित्य की एक सम्पूर्ण विधा के रूप में प्रस्तुत करता है।
Language Work:
A. Vocabulary
Question 1.
There are a few non-English expressions in the essay. Identify them and mention the language they belong to. Can you guess the meaning of the expressions from the context?
Answer:
1. Mens sana in corpore sano : This is a Latin phrase which means “a healthy mind in a healthy body."
2. Nirvana : This is a term taken from Hindu scriptures which means renunciation.
3. C'est la vie : This is a Latin phrase which means to express acceptance or resignation in the fire of a difficult or unpleasant situation.
4. Cul-de-sac : This is also a Latin phrase which means a street which is closed at the other end.
Question 2.
Given below are a few roots from Latin. Make a list of the words that can be derived from them
mens (mind) -- corpus (body) -- sanare (to heal)
Answer:
Latin words -- English meaning
mens -- mind
corpus -- body
sanare -- to heal
annus -- year
aqua -- water
bene -- well, good
naturae -- nature
solis occasum -- setting of the sun
B. Task
Question 1.
Identify the intransitive verbs and the copulas in the examples below, from the text in this unit. Say what the category of the complement is. You can work in pairs or groups and discuss the reasons for your analysis.
(i) I am a thief and a murderer.
(ii) Right and wrong is an instinct.
(iii) The flower fades.
(iv) I am a very curious assembly of incongruous parts.
(v) The bud opens.
(vi) The Word shall stand forever.
(vii) It is a funny sort of superstition.
(viii) You're a philosopher.
(ix) Nothing is important.
(x) The whole is greater than the part.
(xi) I am a man, and alive.
(xii) I am greater than anything that is merely a part of me.
(xiii) The novel is the book of life.
Answer:
(i) be + Noun phrase
(ii) be + Noun phrase
(iii) Transitive verb
(iv) be + Adjective phrase
(v) Transitive verb
(vi) Transitive verb
(vii) be + adjective phrase
(viii) be + noun phrase
(ix) be + adjective
(x) be + adjective phrase
(xi) be + noun phrase
(xii) be + adjective phrase
(xiii) be + noun phrase
Question 2.
Identify other sentences from the text with intransitive verbs and copulas.
(i) They talk.
Answer: Transitive verb
(ii) It is nonsense.
Answer: be + Adjective
(iii) All things are alive and amazing.
Answer: be + Adjective
(iv) I am man alive.
Answer: be + Noun phrase
C. Spelling and Pronunciation
Look for other words with 'ch', 'gh’ letter combinations and guess how they are pronounced.
Answer:
Short Answer Type Questions :
Question 1.
How does the writer compare the novelist and the man of religion?
लेखक उपन्यासकार और धार्मिक व्यक्ति की तुलना किस प्रकार करता है?
Answer:
According to the writer, only a novelist is a man who understands the importance of the man alive profoundly. A man of religion can never do so. The man of theology or a man of religion depends on the theory of soul and life after death. But the novelist is the person who thinks only about the present moment and life at present. He seems to be more realistic than others.
लेखक के अनुसार, केवल एक उपन्यासकार ही ऐसा व्यक्ति होता है जो गहनता से एक सजीव व्यक्ति के महत्त्व को समझता है। एक धार्मिक व्यक्ति कभी भी ऐसा नहीं कर सकता है। धर्मशास्त्र का अथवा धार्मिक व्यक्ति आत्मा और मृत्यु के बाद के जीवन के सिद्धान्त पर निर्भर रहता है। लेकिन एक उपन्यासकार वह व्यक्ति होता है जो वर्तमान जीवन और वर्तमान क्षण के बारे में सोचता है। वह दूसरों की तुलना में ज्यादा यथार्थवादी होता है।
Question 2.
How does the author compose novelist and scientist?
लेखक उपन्यासकार और वैज्ञानिक की किस प्रकार तुलना करता है ?
Answer:
According to the author, the scientist gives no value to living beings and wants to analyze them. He analyzes a dead and motionless body through a microscope. A scientist always considers human beings only a sum of different organs like stomach, liver and heart. But so far as a novelist concerns, he gives equal importance to all parts which make a greater whole or a superior living being.
लेखक के अनुसार, वैज्ञानिक सजीव मनुष्यों को कोई महत्त्व नहीं देता है और उनका परीक्षण करना चाहता है। वह सूक्ष्मदर्शी की सहायता से एक मृत और गतिहीन शरीर का परीक्षण करता है। एक वैज्ञानिक हमेशा मनुष्यों को विभिन्न अंगों का एक समूह मानता है, जैसे-पेट, लीवर और हृदय । लेकिन जहाँ तक एक उपन्यासकार का सम्बन्ध है, वह सभी हिस्सों को बराबर महत्त्व देता है जो कि एक सम्पूर्ण शरीर अथवा श्रेष्ठ सजीव व्यक्ति का निर्माण करता है।
Question 3.
What does the author say about live and not live?
लेखक सजीव और निर्जीव के बारे में क्या कहता है ?
Answer:
The author makes a great difference between live and not live. He puts a question why we should make a difference between the hand that writes and the mind that directs the hand to write. He feels that the hand is as full of life and that it learns and knows as many things as the mind is and does. Our hand is alive upto the finger tips but the pen with which we write is not alive.
लेखक सजीव एवं निर्जीव के बीच अत्यधिक भिन्नता प्रकट करता है। वह प्रश्न पूछता है कि हमें हाथ जो लिखता है तथा मस्तिष्क जो हाथ को लिखने के लिए निर्देश देता है, के बीच कोई अन्तर क्यों करना चाहिए। वह महसूस करता है कि हाथ जीवन से परिपूर्ण है और यह उतनी ही बातों को जानता है जितनी मस्तिष्क जानता है और करता है। हमारा हाथ अंगुलियों के सिरों तक जीवित है परन्तु वह पेन जिससे हम लिखते हैं, वह सजीव नहीं है।
Question 4.
Why does the author refer hair, skin, bottle and jug etc.?
लेखक बाल, त्वचा, बोतल और जग का सन्दर्भ क्यों देता है?
Answer:
The author argues that every bit of our body as the hand or the hair or the skin is alive. He refers 'whatever is me alive is me.' He says that everything can't be compared. We are completely wrong in comparing any part of our body with a bottle or a jug or a tin cane or a vessel of clay. Every tiny part of our body is full of life as the whole body but a bottle or a jug is lifeless.
लेखक तर्क देता है कि हमारे शरीर का प्रत्येक अंश जैसे हाथ अथवा बाल अथवा त्वचा सजीव हैं। वह सन्दर्भ देता है, 'मैं जो भी हूँ, वह सजीव है।' वह कहता है कि प्रत्येक चीज की तुलना नहीं की जा सकती है। हम अपने शरीर के किसी भी अंग की तुलना किसी बोतल अथवा जग अथवा टीन की कैन अथवा मिट्टी के पात्र से करने पर पूरी तरह से गलत होंगे। हमारे शरीर का प्रत्येक छोटे-से छोटा अंग भी जीवन से भरपूर है जिस प्रकार हमारा शरीर है, परन्तु बोतल अथवा जग निर्जीव है।
Question 5.
How does the writer prove that life exists during our life time?
लेखक किस प्रकार सिद्ध करता है कि जीवन हमारे जीवनकाल में ही चलता है ?
Answer:
When one is a novelist, he knows that every bit of our body is alive. But this idea is liable to become unknown to us if we are a philosopher or a scientist or a stupid person. A person speaks about souls in Heaven, but a novelist talks about paradise in the palm of our hand or at the end of our nose because he feels the existence of life during his life time.
जब कोई व्यक्ति उपन्यासकार होता है तो वह जानता है कि हमारे शरीर का प्रत्येक अंग सजीव है। लेकिन यह विचार भी अज्ञानता का उत्तरदायी है यदि हम दार्शनिक अथवा वैज्ञानिक अथवा मूर्ख व्यक्ति हैं। व्यक्ति आत्माओं के स्वर्ग में रहने के बारे में कहता है लेकिन एक उपन्यासकार स्वर्ग को हमारे हाथ की हथेली में होने के बारे में बताता है अथवा हमारी नाक के अन्तिम सिरे तक होने में बताता है क्योंकि वह महसूस करता है कि जीवन का अस्तित्व जीवनकाल में ही है।
Question 6.
What is the most important aspect of life?
जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण पक्ष क्या है ?
Answer:
According to Lawrence, being live is the most important aspect of life. He says that anything that is living is certainly more amazing than a dead thing. A living dog is better than a dead lion though a living lion is better than a living dog. He says that a living human being can do anything whatever he likes but a dead man can do nothing.
लॉरेन्स के अनुसार, सजीव रहना जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण पक्ष है। वह कहता है कि कोई भी वस्तु जो सजीव है, निश्चित रूप से किसी भी मृत वस्तु की तुलना में ज्यादा आश्चर्यजनक है। एक सजीव कुत्ता एक मृत शेर से ज्यादा अच्छा है यद्यपि एक जीवित शेर एक जीवित कुत्ते से ज्यादा अच्छा है। वह कहता है कि एक सजीव व्यक्ति वह सब कुछ कर सकता है जो वह चाहे लेकिन एक मृत व्यक्ति कुछ भी नहीं कर सकता है।
Question 7.
What does the author say about his being a novelist?
लेखक अपने उपन्यासकार होने के बारे में क्या कहता है ?
Answer:
The author says that he is not simply a soul or a body or a mind, or intelligence, or glands. He is the sum total of all these and greater than all these. He as a man alive, is a novelist. So as a novelist, he is greater than and superior to the scientist, the philosopher and the poet. Since they deal with only a part of man's body whereas as the novelist he deals with the whole body.
लेखक कहता है कि वह एक साधारण आत्मा अथवा शरीर अथवा मस्तिष्क, अथवा बौद्धिकता अथवा ग्रन्थि नहीं है। वह इन सबका एक योग है और इन सबसे उच्च स्थान पर है। वह एक सजीव व्यक्ति के रूप में उपन्यासकार है। अतः एक उपन्यासकार के रूप में वह वैज्ञानिक, दार्शनिक और कवि से ज्यादा महान है और उनसे श्रेष्ठ है। क्योंकि वे मनुष्य के शरीर के केवल एक अंश से व्यवहार करते हैं जबकि वह एक उपन्यासकार के रूप में सम्पूर्ण शरीर से व्यवहार करता है।
Question 8.
How does a man change, according to the writer?
लेखक के अनुसार, व्यक्ति किस प्रकार परिवर्तित होता है?
Answer:
According to the author, man constantly undergoes changes and a man today is not exactly what he was yesterday and he will also be entirely different tomorrow. Even the woman loved by a man constantly undergoes changes and he continues to love her because of the change. He says that all things change but even change is not absolute. Change also changes according to the time.
लेखक के अनुसार, मनुष्य लगातार परिवर्तित होता रहता है और वह आज ठीक वैसा ही नहीं है जैसा वह बीते हुए कल में था और वह आने वाले कल को भी पूरी तरह से परिवर्तित हो जाएगा। यहाँ तक कि एक महिला जिसे पुरुष द्वारा प्रेम किया जाता है, वह भी सतत् परिवर्तित होती रहती है और वह पुरुष उस महिला को परिवर्तन के कारण लगातार प्रेम करता रहता है। वह कहता है कि सभी वस्तुएँ परिवर्तित हो जाती हैं लेकिन परिवर्तन भी सम्पूर्ण नहीं है। परिवर्तन भी समय के अनुसार परिवर्तित हो जाता है।
Question 9.
How does the author differentiate between alive and dead man?
लेखक सजीव और मृत व्यक्ति के बीच किस प्रकार अन्तर करता है?
Answer:
The author tells us that in a novel what a man alive does and when a man becomes a dead man in life. For instance, it tells us how an alive man loves a woman and how a dead man in life courts her; how an alive man eats his dinner and how a dead man in life munches it and how an alive man shoots his enemy, how a man in life shoots his enemy and how a dead man in life throws bombs mercilessly at men.
लेखक बताता है कि उपन्यास में एक सजीव व्यक्ति क्या करता है और एक व्यक्ति जीवन में कब मृत हो जाता है। उदाहरण के लिए, यह हमें बताता है कि एक सजीव व्यक्ति किस प्रकार एक महिला को प्रेम करता है और किस प्रकार एक मृत व्यक्ति उससे शादी कर लेता है, एक सजीव व्यक्ति किस प्रकार अपना रात्रि भोज लेता है और एक मृत व्यक्ति किस प्रकार अपने भोजन का आनन्द लेता है और एक सजीव व्यक्ति किस प्रकार अपने दुश्मनों को गोली मारता है और जीवन में एक मृत व्यक्ति किस प्रकार क्रूरता से मनुष्यों पर बम बरसाता है।
Question 10.
What do you think by “tremulations on the ether'?
'वायु में कम्पन' से आप क्या समझते हैं ?
Answer:
Lawrence says that for the philosophers, nothing but thoughts are important. Lawrence calls these thoughts to be “tremulations on the ether.” Because the author thinks that these tremulations are not alive. They are like radio signals which float in the air. But these signals are useless until they reach the receiver. Similarly when thoughts are received by a man alive they become meaningful.
लॉरेन्स कहता है कि दार्शनिकों के लिए, विचारों के अतिरिक्त कोई भी चीज महत्त्वपूर्ण नहीं होती है। लॉरेन्स इन विचारों को 'वायु में कम्पन' मानता है क्योंकि लेखक सोचता है कि ये कम्पन सजीव नहीं हैं । ये रेडियो की तरंगों की तरह हैं जो कि हवा में तैरते रहते हैं। लेकिन ये संकेत अनुपयोगी हैं जब तक कि वे प्राप्त करने वाले के पास न पहुँच जाएँ। ठीक इसी प्रकार जब विचारों को सजीव मनुष्य द्वारा प्राप्त किया जाता है, तो वे उपयोगी बन जाते हैं।
Question 11.
What does Lawrence refuse to believe?
लॉरेन्स किस बात पर विश्वास करने से इन्कार कर देता है ?
Answer:
Lawrence refuses to believe that he is a body or a soul or a brain or a nervous system. He is of the opinion that he is complete whole made up of all these parts. He considers himself such a whole as is greater and more significant than the individual parts. And this is the only reason why he is a novelist for more superior to the saint, the scientist or the philosopher.
लॉरेन्स यह विश्वास करने से इन्कार कर देता है कि वह एक शरीर है अथवा एक आत्मा है अथवा एक मस्तिष्क है अथवा एक तन्त्रिका तन्त्र है। उसका मत है कि वह इन सभी चीजों से बना हुआ एक सम्पूर्ण व्यक्तित्व है। वह अपने आपको इस प्रकार सम्पूर्ण व्यक्तित्व मानता है जो कि अलग-अलग हिस्सों से ज्यादा महान और ज्यादा महत्त्वपूर्ण है। यही एकमात्र कारण है कि सन्त, वैज्ञानिक अथवा दार्शनिक से बहुत ज्यादा श्रेष्ठ एक उपन्यासकार है।
Question 12.
How is novel more effective than other genres of literature?
साहित्य की अन्य विधाओं की तुलना में उपन्यास किस प्रकार ज्यादा प्रभावपूर्ण है?
Answer:
According to the writer, the novel has the capacity to influence a man more effectively than other genres of literature. He gives an example of Plato who makes the ideal being in a man tremble. 'Ten Commandants' affect only a part of a man alive but a novel is capable of shaking the whole man alive. He considers Bible to be a great confused novel. He considers even Shakespeare and Homer to be great novels.
लेखक के अनुसार, उपन्यास में साहित्य की अन्य विधाओं की तुलना में ज्यादा प्रभावपूर्ण तरीके से प्रभावित करने की क्षमता है। वह प्लेटो का उदाहरण देता है जो कि मनुष्य के कम्पन में आदर्श प्राप्त करता है। 'दस आदेश' सजीव मनुष्य के केवल एक अंश पर प्रभाव डालते हैं लेकिन एक उपन्यास सम्पूर्ण सजीव मनुष्य को प्रभावित करने की क्षमता रखता है। वह बाइबिल को एक अत्यन्त भ्रमित पुस्तक मानता है। वह शेक्सपियर और होमर को भी महान उपन्यास मानता है।
Long Answer Type Questions :
Question 1.
What is the perception of the author of 'Being Alive?
लेखक का 'सजीव रहना' का क्या दृष्टिकोण है?
Answer:
The entire text is based on highlighting the perception of being alive'. The author appreciates every part and parcel of a living person. He gives excessive importance to ideas, philosophy, spirit and mind. The author strongly advocates that a novelist is better than a man of science, religion or a philosopher.
It is so because a novelist can create characters and their lives and thus, understand the true value of life and a living person. He believes that mind is more important than other body parts. He thinks the belief to be ridiculous and irrational that the body is a mere vessel for the mind or soul. He thinks that the freckles on the skin and the blood in human body are equally alive.
सम्पूर्ण पाठ 'सजीव रहना' के दृष्टिकोण पर प्रकाश डालने पर आधारित है। लेखक सजीव व्यक्ति के प्रत्येक अंग की प्रशंसा करता है। वह विचार, दर्शन, आत्मा और मस्तिष्क सभी को अत्यधिक महत्त्व प्रदान करता है। लेखक पूर्ण शक्ति से समर्थन करता है कि एक उपन्यासकार विज्ञान के व्यक्ति, धार्मिक व्यक्ति अथवा एक दार्शनिक व्यक्ति से श्रेष्ठ होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि एक उपन्यासकार पात्रों और उनके जीवन की रचना कर सकता है और इस प्रकार, पात्रों और उनके जीवन के वास्तविक मूल्य को समझता है।
उसका विश्वास है कि मस्तिष्क शरीर के अन्य अंगों की तुलना में ज्यादा महत्त्वपूर्ण होता है। वह इस विश्वास को हास्यास्पद एवं अतार्किक मानता है कि शरीर मस्तिष्क और आत्मा के लिए केवल एक पात्र है। वह सोचता है कि त्वचा पर चकत्ते और मानवीय शरीर में रक्त समान रूप से सजीव हैं।
Question 2.
How does the author compare the novelist and the philosopher?
लेखक उपन्यासकार और दार्शनिक की तुलना किस प्रकार करता है?
Answer:
The author is an eminent novelist. He profoundly compares the novelist and the philosopher. According to him, the philosopher talks about spirit and infinite knowledge contained in it but for a novelist, it is the living that contains all the understandable knowledge. Everything else is conjecture and speculation.
For a philosopher, thoughts and ideas are of paramount importance while for a novelist, they are mere disturbances and tremulations' on the ether. The author firmly declares that no idea is meaningful until or unless it is received and understood by a live person because it does not have its own life. In this way the author claims that the live man is much more important than ideas and concepts which themselves seem to be lifeless.
लेखक एक महान उपन्यासकार है। वह अत्यन्त गहराई से उपन्यासकार और दार्शनिक की तुलना करता है। उसके अनुसार, दार्शनिक आत्मा और अनन्त ज्ञान के बारे में बात करता है जो इसमें निहित होती है लेकिन एक उपन्यासकार के लिए यह सब कुछ एक सजीव होता है जिसमें सम्पूर्ण समझने योग्य ज्ञान निहित होता है। इसके अतिरिक्त सभी चीजें अटकल लगाना और प्रमाण रहित अनुमान होते हैं। एक दार्शनिक के लिए सोच और विचार सर्वोच्च महत्त्व के होते हैं जबकि
एक उपन्यासकार के लिए, वे केवल व्यवधान उत्पन्न करने वाले और वायु में कम्पन की तरह होते हैं। लेखक दृढ़ता से घोषणा करता है कि कोई भी विचार अर्थयुक्त नहीं हो सकता जब तक उसे किसी सजीव व्यक्ति के द्वारा स्वीकार न किया जाये और समझा न जाये क्योंकि इसका अपना कोई जीवन नहीं होता है। इस प्रकार लेखक दावा करता है कि एक सजीव व्यक्ति विचारों और सिद्धान्तों से बहुत अधिक महत्त्वपूर्ण होता है जो कि स्वयं में ही निर्जीव प्रतीत होते हैं।
Question 3.
What is the importance of novel according to the writer?
लेखक के अनुसार उपन्यास का क्या महत्त्व है ?
Answer:
According to the writer, a novel is a window of life but any novel or book is important when it is read by human beings. He claims that novel is more influential than any other book. He considers Ten Commandments less significant than novel because they only attract one part of a living being. He even calls the Bible to be a great novel.
Lawrence opines that a novel is able to provide a stimulating story and different characters that make a novel more dynamic. The author believes that a man needs desire and purpose to be alive. If a man exists in the world without a goal in life, he seems to be a dead man. To prove that a human being does not exist in a dead life but a life a live, he needs love, companionship, wealth and power.
लेखक के अनुसार, उपन्यास जीवन की खिड़की है लेकिन कोई भी उपन्यास अथवा पुस्तक तभी महत्त्वपूर्ण होती है जब उसे मनुष्यों द्वारा पढ़ा जाता है। वह दावा करता है कि उपन्यास किसी भी अन्य पुस्तक की तुलना में ज्यादा प्रभावपूर्ण होता है। वह 'दस आज्ञाओं' को उपन्यास से कम महत्त्वपूर्ण मानता है क्योंकि वे सजीव मनुष्य के केवल एक अंश को ही आकर्षित करती हैं। वह बाइबिल को भी एक महान उपन्यास कहता है। लॉरेन्स का मत है कि उपन्यास प्रेरणादायक कहानी उपलब्ध कराने में समर्थ है और अलग प्रकार के पात्र उपलब्ध कराने में समर्थ है जो कि उपन्यास को और ज्यादा गतिशील बना देते हैं।
लेखक का विश्वास है कि मनुष्य को जीवित रहने के लिए इच्छा और उद्देश्य की आवश्यकता होती है। यदि कोई मनुष्य संसार में बिना किसी उद्देश्य के जीवित रहता है तो वह मृत व्यक्ति प्रतीत होता है। यह सिद्ध करने के लिए कि एक मनुष्य मृत जीवन में अस्तित्व नहीं बनाये रख सकता बल्कि एक सजीव जीवन में अस्तित्व बनाये रख सकता है, उसके लिए उसे प्रेम, साथी, धन और शक्ति की आवश्यकता होती है।
Question 4.
What does the writer say about the characters?
लेखक पात्रों के बारे में क्या कहता है?
Answer:
According to the writer in novel, the characters do nothing but live. They have to live but not according to any pattern, good or bad or volatile. The reason is that because once they shape themselves into a pattern, they cease to live and novel falls dead. The exact meaning of living is like the meaning of being.
People seek God, or money, or wine, or woman, or song, or water or political reforms or votes. There is none in life who can predict one's choices. The choice changes with the passage of time. It is as sudden and swift changing as rain in summer and nobody can predict when it will start raining. In this great confusion, disorder and unpredictability we need a guide. Thus, the characters play a vital role in the novel as living beings.
लेखक के अनुसार, उपन्यास में, पात्र सिवाय जीवित रहने के कुछ भी नहीं करते हैं। उन्हें सजीव रहना होता है लेकिन किसी निश्चित पैटर्न पर चाहे वह अच्छा हो या बुरा अथवा जिसका अनुमान नहीं लगाया जा सके, के अनुसार उन्हें नहीं रहना होता है। इसका कारण यह है कि जब वे अपने आपको एक निश्चित पैटर्न में ढाल लेते हैं तो उनका सजीव रहना रुक जाता है और उपन्यास मृत रूप में हो जाता है। सजीवता का निश्चित अर्थ जीवित रहने के समान होता है।
लोग ईश्वर, अथवा धन अथवा शराब अथवा महिला अथवा गीत अथवा पानी अथवा राजनैतिक सुधार अथवा वोटों की खोज करते हैं। कोई भी व्यक्ति जीवन में ऐसा नहीं होता है जो किसी के चयन के बारे में पूर्वानुमान लगा सके। समय के साथ-साथ रुचियाँ भी बदल जाती हैं।
यह इतनी अचानक और तेजी से बदलती हैं जैसे गर्मियों में वर्षा होती है और कोई भी यह अनुमान नहीं लगा सकता है कि वर्षा होना कब शुरू होगा। इस अत्यधिक भ्रम, अव्यवस्था तथा बिना पूर्वानुमान के स्थितियों के लिए हमें एक मार्गदर्शक की आवश्यकता होती है। इस प्रकार, पात्र सजीव रूप में उपन्यास में अत्यधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
Question 5.
How is the novel best guide for us?
हमारे लिए एक उपन्यास किस प्रकार सर्वश्रेष्ठ मार्गदर्शक है?
Answer:
According to the writer, the novel is the best guide which helps us to live. It does not let us indulge ourselves unnecessarily by the theory of right and wrong, good or bad which are always there. It is also a true fact that right and wrong are not constant but relative. It happens so because what is right in one case becomes wrong in another.
A novel presents a story that a man dies because of his goodness while another person dies because of his wickedness. The existence of anything whether it is body or mind or spirit separately does not make life but the wholeness of man and woman alive constitutes like. It is only novel which is the one bright book of life and surpasses all other books such as poetry, science and philosophy.
लेखक के अनुसार, उपन्यास सर्वश्रेष्ठ मार्गदर्शक है जो कि हमें सजीव रहने में सहायता देता है। यह हमें अनावश्यक रूप से सही और गलत, अच्छे अथवा बुरे के सिद्धान्त में नहीं पड़ने देता है जो कि हमेशा उपस्थित रहते हैं । यह भी एक वास्तविकता है कि सही और गलत स्थायी नहीं बल्कि एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि एक मामले में जो ठीक होता है वही दूसरे मामले में गलत हो जाता है। उपन्यास ऐसी कहानी प्रस्तुत करता है कि एक व्यक्ति अपनी अच्छाई के कारण मारा जाता है जबकि दूसरा व्यक्ति अपनी दुष्टता के कारण मारा जाता है। किसी भी चीज का अस्तित्व चाहे वह शरीर अथवा मस्तिष्क अथवा आत्मा हो अलग-अलग रहकर जीवन नहीं बनाती है बल्कि पुरुष और महिला की सम्पूर्णता जीवन का सृजन करती है । यह केवल उपन्यास होता है जो कि जीवन की शानदार चमकती हुई पुस्तक है और कविता, विज्ञान और दर्शनशास्त्र जैसे विषयों की पुस्तकों से बहुत आगे निकल जाती है।
Seen Passages
Passage 1.
It is a funny sort of superstition. Why should I look at my hand, as it so cleverly writes these words, and decide that it is a mere nothing compared to the mind that directs it? Is there really any huge difference between my hand and my brain? Or my mind?
My hand is alive, it flickers with a life of its own. It meets all the strange universe in touch, and learns a vast number of things, and knows a vast number of things. My hand, as it writes these words, slips gaily along, jumps like a grasshopper to dot an i, feels the table rather cold.
Questions :
1. Why does the author say it to be a sort of funny superstition?
लेखक इसे एक प्रकार का हास्यास्पद अंधविश्वास क्यों कहता है ?
2. Who directs the hand of the author to write?
लेखक के हाथ को लिखने के लिए निर्देशित कौन करता है?
3. Why does his hand hop like a grasshopper?
उसका हाथ टिड्डे की भाँति क्यों उछलता है ?
Answers :
1. The author calls it to be a sort of funny superstition as we throw the bottle after consumption, our body is also thrown away after death.
लेखक इसे एक प्रकार का हास्यास्पद अंधविश्वास कहता है क्योंकि जिस प्रकार उपयोग करने के बाद बोतल को फेंक दिया जाता है उसी प्रकार हमारा शरीर भी मृत्यु के पश्चात् फेंक दिया
जाता है।
2. The author's mind directs his hand to write. As hand is alive so his hand does so many works even it flickers its own life.
लेखक का मस्तिष्क उसके हाथ को लिखने के लिए निर्देशित करता है। क्योंकि हाथ सजीव है, इसलिए उसका हाथ अनेकों कार्य करता है यहाँ तक कि वह अपना जीवन स्वयं ही जीता है।
3. His hand hops like a grasshopper to write words. It slips gaily to dot an i' and feels extremely happy.
उसका हाथ टिड्डे की भाँति शब्दों को लिखने के लिए उछलता है। यह खुशी से '' पर बिन्दु लगाने के लिए फिसलता है और अत्यधिक खुशी महसूस करता है।
Passage 2.
Nothing is important but life. And for myself, I can absolutely see life nowhere but in the living. Life with a capital L is only man alive. Even a cabbage in the rain is cabbage alive. All things that are alive are amazing. And all things that are dead are subsidiary to the living. Better a live dog than a dead lion. But better a live lion than a live dog. C'est la vie!
Questions :
1. What thing is most important?
सबसे महत्त्वपूर्ण वस्तु क्या है ?
2. What things are amazing and subsidiary?
कौनसी चीजें आश्चर्यजनक हैं और कौनसी कम महत्त्वपूर्ण हैं ?
3. What do you man by C'est la vie?
C'est la vie से आपका क्या अभिप्राय है?
Answers :
1. The most important thing is life. The author sees life only in living things. Nowhere else he finds life. Nothing but life charms him.
सबसे महत्त्वपूर्ण वस्तु जीवन है। लेखक जीवन को केवल सजीव वस्तुओं में ही पाता है। किसी अन्य जगह पर उसे जीवन नहीं मिलता है । सिवाय जीवन के कोई अन्य चीज उसे आकर्षित नहीं करती है।
2. According to the author, all things that are alive are amazing and all things that are dead are subsidiary to the living.
लेखक के अनुसार वे सारी चीजें जो सजीव हैं, वे आश्चर्यजनक हैं और वे सारी चीजें जो मृत हैं, वे सजीवता की तुलना में कम महत्त्वपूर्ण हैं।
3. This Latin phrase is used to say that situation of that type happens in life and one con not do anything about it.
यह लैटिन भाषा का वाक्य यह बताने के लिए प्रयोग किया जाता है कि ऐसी घटनाएँ जीवन में घटित होती हैं और उनके बारे में कोई भी व्यक्ति कुछ भी नहीं कर सकता है।
Passage 3.
Now I absolutely flatly deny that I am a soul, or a body, or a mind, or an intelligence, or a brain, or a nervous system, or a bunch of glands, or any of the rest of these bits of me. The whole is greater than the part. And therefore, I, who am man alive, am greater than my soul, or spirit, or body, or mind, or consciousness, or anything else that is merely a part of me. I am a man, and alive. I am man alive, and as long as I can, I intend to go on being man alive.
Questions :
1. Why does the author deny that he is a bit of him?
लेखक इस बात से क्यों इन्कार करता है कि वह स्वयं का कोई अंश है?
2. Why is he greater than his soul?
वह अपनी आत्मा से बड़ा क्यों हैं?
3. Why does the author intend to go on being alive?
लेखक सजीव बने रहना क्यों चाहता है ?
Answers :
1. The author denies that he is a bit of him because the whole is always greater than the part. He thinks himself to be whole.
लेखक इन्कार करता है कि वह स्वयं का कोई अंश है क्योंकि अंश से सम्पूर्ण हमेशा बड़ा और महान होता है। वह स्वयं को सम्पूर्ण मानता है।
2. The author is greater than his soul because he is a man alive and soul is a part of him. He is whole.
लेखक अपनी आत्मा से बड़ा है क्योंकि वह सजीव व्यक्ति है और आत्मा उसका एक अंग है। वह सम्पूर्ण है।
3. The author intends to go on being alive because a man alive is greater that soul,body, mind, consciousness or anything else who are merely a part of him.
लेखक सजीव बने रहना इसलिए चाहता है कि एक सजीव व्यक्ति आत्मा, शरीर, मस्तिष्क, अन्तर्चेतना और किसी भी अन्य चीज से महान होता है जो कि उसके केवल अंश हैं।
Passage 4.
But as far as it can happen from a communication, it can only happen when a whole novel communicates itself to me. The Bible but all the Bible - and Homer, and Shakespeare: these are the supreme old novels. These are all things to all men. Which means that in their wholeness they affect the whole man alive, which is the man himself, beyond any part of him. They set the whole tree trembling with a new access of life, they do not just stimulate growth in one direction.
Questions :
1. What does the author say about Bible and epic writers?
लेखक बाइबिल और महाकाव्य लेखकों के बारे में क्या कहता है ?
2. Explain the line-"These are all things to all men."
इस पंक्ति की व्याख्या कीजिए-"वे सभी मनुष्यों के लिए सब कुछ हैं।"
3. What is the meaning of the reference of tree here?
यहाँ पर वृक्ष के सन्दर्भ का क्या अर्थ है ?
Answers :
1. The author says about the Bible and epic writers like Homer and Shakespeare that they are the supreme old novels.
लेखक बाइबिल और महाकाव्य लेखकों जैसे होमर और शेक्सपीयर के बारे में कहता है कि वे सर्वोच्च प्राचीन महान उपन्यास हैं।
2. The line conveys the meaning that in their wholeness they affect the whole-man alive. The man who is whole beyond any part of him.
पंक्ति यह अर्थ प्रतिपादित करती है कि अपनी सम्पूर्णता में वे सम्पूर्ण सजीव व्यक्ति को प्रभावित करते हैं। व्यक्ति जो कि सम्पूर्ण है, वह अपने किसी भी अंश से परे है।
3. The reference of tree means here that as a tree grows in the directions not in one direction in the same way, life also grows in all directions not in one.
वृक्ष के सन्दर्भ का यहाँ पर अर्थ यह है कि जिस प्रकार वृक्ष सभी दिशाओं में बढ़ता है किसी एक दिशा में नहीं, उसी प्रकार जीवन भी सभी दिशाओं में वृद्धि करता है, एक में नहीं।
Passage 5.
What then? Turn truly, honourably to the novel, and see wherein you are man alive, and wherein you are dead man in life. You may eat your dinner as man alive, or as mere masticating corpse. As man alive you may have a shot at your enemy. But as a ghastly simulacrum of life you may be firing bombs into men who are neither your enemies nor your friends, but just things you are dead to. Which is criminal, when the things happen to be alive.
Questions :
1. What does the author exhorts in the extract?
लेखक इस अंश में क्या उपदेश देता है ?
2. How can a man have his food?
मनुष्य किस प्रकार अपना भोजन ले सकता है ?
3. What does a person do as a ghastly pretension?
एक भयावह बहाने के रूप में एक व्यक्ति क्या करता है ?
Answers :
1. The author exhorts in the extract to turn truly and honourably to the novel and see whether you are man alive or you are dead man in life.
लेखक इस अंश में सत्यता और ईमानदारी से उपन्यास की ओर मुड़ने की सलाह देता है और यह सलाह देता है कि मनुष्य को देखना चाहिए कि तुम सजीव व्यक्ति हो या जीवन में मृत व्यक्ति हो।
2. According to the author, a man can have his dinner as a man alive or he can have as mere masticating corpse.
लेखक के अनुसार, एक व्यक्ति अपना भोजन सजीव व्यक्ति के रूप में ले सकता है अथवा एक मृत शरीर के रूप में भोजन चबाते हुए ले सकता है।
3. As a ghastly pretension, a person may be firing bombs into men who are neither his enemies nor his friends.
एक भयावह बहाने के रूप में एक व्यक्ति दूसरों पर बम वर्षा कर रहा होता है जो उसके न तो दुश्मन हैं और न ही मित्र।
Passage 6.
Right and wrong is an instinct: but an instinct of the whole consciousness in a man, bodily, mental, spiritual at once. And only in the novel are all things given full play, or at least, they may be given full play, when we realise that life itself, and not inert safety, is the reason for living. For out of the full play of all things emerges the only thing that is anything, the wholeness of a man, the wholeness of a woman, man alive, and live woman.
Questions :
1. What is right and wrong?
सही और गलत क्या है?
2. Why is the novel important?
उपन्यास क्यों महत्त्वपूर्ण होता है?
3. What thing emerges out of the full play?
सम्पूर्ण नाटकीयता से क्या उदय होती है?
Answers :
1. Right and wrong is an instict - an instict of the whole consciousness in a man, bodily, mental and spiritual.
सही और गलत एक स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है-एक स्वभाविक प्रवृत्ति जो कि मनुष्य की सम्पूर्ण चेतनता की होती है, शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक।
2. The novel is important because all things are given full play in novel. We realize that life itself is the reason for living.
उपन्यास इसलिए महत्त्वपूर्ण होता है क्योंकि उपन्यास में सभी बातें सम्पूर्ण रूप में दी जाती हैं। हम यह महसूस करते हैं कि जीवन स्वयं में ही सजीव होने का एक कारण है।
3. For out of the full play of all things emerges the only thing that is anything the wholeness of a woman, man alive and live woman.
सम्पूर्ण नाटकीयता से एक चीज उदय होती है जो कि कोई भी चीज हो सकती है-मनुष्य की सम्पूर्णता, महिला की सम्पूर्णता, सजीव मनुष्य और सजीव महिला।
About the Author :
D.H. Lawrence was born in a coal-mining town. He was the son of an uneducated miner and an ambitious mother who was a teacher. His wife was German, and the couple lived, at various times, in Italy, Germany, Australia, Tahiti and Mexico. Lawrence's writings reflect a revolt against puritanism, mediocrity and the dehumanisation of an industrial society. लेखक के बारे में :
डी.एच. लॉरेन्स का जन्म कोयले की खदानों वाले नगर में हुआ था। वह D.H. Lawrence एक अशिक्षित खनिक और एक महत्त्वाकांक्षी माँ जो एक अध्यापिका थीं, का पुत्र 1885-1930 था। उसकी पत्नी जर्मनी की थी और इस दम्पती ने विभिन्न समयों पर इटली, जर्मनी, आस्ट्रेलिया, ताहिति तथा मैक्सिको में निवास किया। लॉरेन्स का लेखन औद्योगिक समाज के अत्यधिक नैतिकतावाद, साधारणता एवं अमानवीकरण के | विरुद्ध संघर्ष को प्रदर्शित करता है।
About the Essay :
'Why the Novel Matters' is a critical essay by D.H. Lawrence. The essay was published in the collection entitled Phoenix in the year 1936. In the novel, the author describes the life just like a novel. He establishes and speaks about the novel and proves that the most important thing in life is living. All things change with the passage of time.
Nothing is absolute in itself in the world. Novel is considered to be a bright book of life which guides us to grow in all direction like a tree as a whole. A tree grows in all directions equally. So should be a novel. In this way the writer puts superiorty of novel and the novelist to all other professions including scientist, religious priest and philosopher.
निबन्ध के बारे में :
'व्हाई द नॉवेल मैटर्स' डी.एच. लॉरेन्स द्वारा लिखित एक आलोचनात्मक निबन्ध है। यह निबन्ध फीनिक्स नामक निबन्ध संग्रह में सन् 1936 में प्रकाशित हुआ था। निबन्ध में, लेखक जीवन का निबन्ध के रूप में वर्णन करता है। वह उपन्यास के बारे में स्थापित करता है और कहता है तथा यह सिद्ध करता है कि जीवन में सबसे महत्त्वपूर्ण बात सजीव रहना है। सभी चीजें समय के साथ-साथ परिवर्तित होती जाती हैं। संसार में अपने आप में कोई भी वस्तु सम्पूर्ण नहीं है।
उपन्यास को जीवन की एक शानदार पुस्तक के रूप में माना जाता है जो कि हमें एक सम्पूर्ण वृक्ष की तरह सभी दिशाओं में विकसित होने के लिए मार्गदर्शन देता है। एक वृक्ष सभी दिशाओं में बराबर बढ़ता है। ऐसा ही एक उपन्यास भी होना चाहिए। इस प्रकार लेखक उपन्यास और उपन्यासकार की अन्य सभी व्यवसायों पर श्रेष्ठता स्थापित करता है जिसमें वैज्ञानिक, धार्मिक पुजारी और दार्शनिक शामिल हैं।
कठिन शब्दार्थ एवं हिन्दी अनुवाद
We have curious ......... in my own sense. (Pages 165-166)
कठिन शब्दार्थ-Curious (क्यूअरिअस्) = wish to learn, सीखने की इच्छा, जिज्ञासु । Mens sana in corpore sano = This is a Latin phrase which means a healthy mind in a healthy body,' यह लैटिन भाषा का एक वाक्य है जिसका अर्थ होता है "एक स्वस्थ मस्तिष्क एक स्वस्थ शरीर में निवास करता है।" superstition (सूप'स्टिश्न्) = not to be explained by reason or science, अंधविश्वास ।
flickers (फ्लिक(र)स) = to appear for a short time, अल्प समय के लिए दिखाई देना। gaily (गेलि) = cheerfully, प्रसन्नता से। grasshopper (ग्रासहॉप(र्)) = an insect, टिड्डा । rudimants (रुडिमन्टस्) = basic facts of a subject, विशिष्ट विषय । freckle (फ्रेक्ल ) = a small brown spot on your skin, भूरा दाग, चकत्ता । rubicon (रूबिकॉन्) = a line that when crossed, permits of no return, an act of war, एक पंक्ति जिसे पार करने पर वापस लौटने की आशा नहीं होती, युद्ध का कार्य।
हिन्दी अनुवाद-हम अपने बारे में जिज्ञासापूर्ण विचार रखते हैं। हम अपने बारे में सोचते हैं कि हमारे शरीर में रूह है, अथवा हमारे शरीर में आत्मा है अथवा हमारे शरीर में मस्तिष्क है। एक स्वस्थ मस्तिष्क एक स्वस्थ शरीर में निवास करता है। हम वर्षों तक शराब पीते हैं और अन्त में बोतल को फेंक देते हैं। हमारा शरीर भी, वास्तव में, बोतल ही है।
यह अंधविश्वास का हास्यास्पद प्रकार है। मुझे अपना हाथ क्यों देखना चाहिए जबकि यह इन शब्दों को इतने शानदार तरीके से लिखता है और निश्चय करते हैं कि इसकी तुलना मस्तिष्क के साथ नहीं की जा सकती जो कि इसे (हाथ को) निर्देश देता है ? क्या मेरे हाथ और मस्तिष्क में वास्तव में कोई बहुत बड़ा अन्तर है ? अथवा मेरे दिमाग में (कोई बड़ा अन्तर है)
मेरा हाथ सजीव है, यह अपने स्वयं के जीवन के साथ ही हिलता-डुलता है। यह (मेरा हाथ) सम्पूर्ण विचित्र ब्रह्माण्ड के सम्पर्क में रहता है और एक बड़ी मात्रा में चीजों को सीखता है और एक बड़ी मात्रा में चीजों को जानता है। मेरा हाथ, जो इन शब्दों को लिखता है, खुशी से आगे बढ़ता है, i के ऊपर बिन्दु लगाने के लिए टिड्डे की भाँति उछलता है, मेज को ठण्डा महसूस करता है, और यदि मैं लम्बे समय तक लिखता रहूँ तो यह (मेरा हाथ) ऊब जाता है, यह अपने विशिष्ट विषय के विचारों को रखता है, मेरे हाथ को भी उतनी ही जानकारी है जितनी जानकारी मेरे मस्तिष्क, मेरे दिमाग और मेरी आत्मा को है। मुझे यह कल्पना क्यों करनी चाहिए कि मैं हूँ जो कि मेरे हाथ की तुलना में मैं ज्यादा हूँ ? जबकि मेरा हाथ पूरी तरह से सजीव है, मैं सजीव हूँ।
जबकि, वास्तव में, मुझे जितनी ज्यादा जानकारी है, मेरा पैन बिल्कुल भी सजीव नहीं है। मेरा पैन मेरी तरह सजीव नहीं है। मैं वहाँ तक सजीव हूँ जहाँ तक मेरी अंगुलियों का अन्तिम बिन्दु है। मेरे अन्दर जितनी भी चीजें हैं, सभी सजीव हैं। मेरे हाथ का प्रत्येक छोटे से छोटा अंश भी सजीव है। प्रत्येक छोटा सा अंग, और बाल और त्वचा की सलवटें सजीव हैं। और जो कुछ मेरे अन्दर है, सजीव है। केवल मेरी अंगुलियों के नाखून, वे दस छोटे हथियार-मेरे और निर्जीव ब्रह्माण्ड के बीच, वे मैं सजीव और मेरे पैन की तरह की चीजों के बीच उस रहस्यमय सीमा रेखा को पार करते हैं, जो कि सजीव नहीं, मेरे अपने ज्ञान के अनुसार वे जीवित नहीं हैं।
So, seeing my hand ............ was more important. (Pages 166-167)
कठिन शब्दार्थ-Vessel (वेस्ल) = a pot, a ship or large boat, बर्तन, जहाज या बड़ी नाव। bunk (बङ्क्) = ignorance, a bed fixed to a wall, अज्ञानता, दीवार पर लगी शैय्या। parson (पॉस्न्) = priest at church, पादरी। paradise (पैरडाइस्) = heaven, स्वर्ग। infinity (इन्फिनटि) = without end, अन्तहीन, अनन्त, असीमित। emphatic (इम्फैटिक्) = expressed strongly, सशक्त। conjecture (कन्जेक्च(र्)) = to guess without evidence, प्रमाण रहित अनुमान । accumulation (अक्यूम्यलेश्न्) = to collect a lot, संचय। aspirations (ऐस्परेश्न्) = want to have, अभिलाषा, पाने की इच्छा।
tremulation (ट्रेम्युलेशन्) = condition of trembling, काँपना। ether (ईथ(र)) = related to sky, आकाश सम्बन्धी। chameleon (कमीलिअन्) = a small reptile, गिरगिट। alter (ऑल्ट()) = to become different, बदलना, परिवर्तित होना। quiver (क्विव()) = to shake slightly, काँपना। sustenance (सस्टनन्स्) = food to live stay and healthy, आवश्यक आहार । summation (स्टिम्युलेश्न्) = to make active, प्रोत्साहन) myriad (मिरिअड्) = a large mmber, अनगिनत।
हिन्दी अनुवाद-इसलिए, मेरे हाथ को देखकर सब कुछ सजीव है और मैं भी सजीव हूँ, तो फिर यह केवल बोतल है अथवा एक जग है, अथवा टीन का कैन है अथवा मिट्टी का बर्तन है अथवा किसी भी प्रकार की बची हुई चीजों में से है? सत्य है, यदि मैं इसे (अपने शरीर को) काटता हूँ तो चेरी की कैन की तरह इसमें से भी रक्त बहेगा। लेकिन तब वह त्वचा जो काटी जाती है, और वे नसें जिनमें से रक्त बहता है, और वे हड्डियाँ जो कभी दिखाई नहीं देती हैं, वे सभी इतनी ही सजीव हैं जितना रक्त जो कि बहता है। इसलिए एक टीन जो व्यापार कर, अथवा बर्तन अथवा मिट्टी सिर्फ एक अज्ञानता है।
और यही वह होता है, जो कुछ आप सीखते हो जब तुम उपन्यासकार बन जाते हो। और यही वह बात है कि तुम न जानने के लिए उत्तरदायी हो जाते हो, यदि तुम पादरी हो, अथवा एक दार्शनिक हो, अथवा एक वैज्ञानिक हो अथवा एक बेवकूफ व्यक्ति हो । यदि तुम पादरी हो तो तुम स्वर्ग में आत्माओं के बारे में बात करते हो। यदि तुम एक उपन्यासकार बन जाते हो तो तुम यह जान जाते हो कि स्वर्ग तुम्हारे हाथ ही हथेलियों में है, और तुम्हारी नाक के अग्र भाग में है, क्योंकि दोनों ही सजीव हैं; और सजीव हैं,
और मनुष्य भी सजीव है, जो कि जितना तुम स्वर्ग के बारे में निश्चिन्तता से कह सकते हो। स्वर्ग जीवन के बाद प्राप्त होता है, और मैं उस सबके प्रति बिल्कुल भी जिज्ञासु नहीं हूँ और जो कुछ भी जीवन के बाद होता है। यदि आप एक दार्शनिक हैं तो आप अनन्तता के बारे में बात करते हैं; और उस पवित्र आत्मा की बात करते हो जो कि सब कुछ जानती है। लेकिन यदि आप एक उपन्यास को उठाते हो तो तुरन्त तुम महसूस करते हो कि तुम भी उसी अनन्त जग का हैण्डल हो जो कि मेरा शरीर है; जहाँ तक मेरी जानकारी है,
यदि मैं अपनी अंगुली को अग्नि में पाता हूँ तो मैं अत्यधिक आवश्यक और महत्त्वपूर्ण ज्ञान के साथ जान जाता हूँ कि अग्नि जलाती है, यह मोक्ष के लिए हमें छोड़ देती है जो कि एक केवल एक प्रमाण रहित अनुमान है। अरे, हाँ, मेरा शरीर, मैं स्वयं सजीव, जानता हूँ. और गहराई से जानता हूँ। और जहाँ तक सभी प्रकार के ज्ञान की बात है, यह सभी चीजों के संग्रह से बिल्कुल भी ज्यादा नहीं हो सकती है जितना कि मैं अपने शरीर के बारे में जानता हूँ और आप प्रिय पाठकों, अपने शरीर के बारे में जानते हैं।
ये शातिर दार्शनिक, वे इस तरह बात करते हैं, जैसे कि वे अचानक से भाप बनकर उड़ जाएंगे और वे और ज्यादा महत्त्वपूर्ण बन जायेंगे जितने वे मनुष्य के रूप में हैं। यह बेवकूफी की बात है। प्रत्येक व्यक्ति, जिनमें दार्शनिक भी शामिल हैं, उनका अपनी अंगुलियों के अग्र भाग पर ही अन्त होता है। यही उस जीवित व्यक्ति का अन्त है। जहाँ तक शब्दों और विचारों और आहों और अभिलाषाओं की बात है, वे वायु में अत्यधिक कम्पन (के समान) हैं, और वे बिल्कुल भी सजीव नहीं हैं। लेकिन यदि ये कम्पन सजीव रूप से किसी दूसरी व्यक्ति के पास पहुँच जाते हैं, तो वह उनको अपने जीवन में स्वीकार कर सकता है और उसके जीवन में एक नया रंग ठीक उसी प्रकार आ जाता है
जिस प्रकार एक गिरगिट एक भूरी चट्टान से रेंगते हुए जब हरी पत्ती पर जाता है, तब उसका रंग बदल जाता है। सब कुछ शानदार और बहुत अच्छा है। यह अभी भी इस वास्तविकता को नहीं बदलता है जो कि तथाकथित रूह है, अथवा किसी दार्शनिक अथवा सन्त का सन्देश अथवा शिक्षा है, किसी भी तरह से सजीव नहीं है बल्कि यह रेडियो संदेश की तरह वायु में सिर्फ एक कम्पन है।
यह सम्पूर्ण आत्मा वायु में एक कम्पन मात्र होता है। यदि आप, एक सजीव व्यक्ति की तरह, हवा में कम्पन की तरह अपने जीवन में भी कम्पन से काँपते हो, तो ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आप एक सजीव व्यक्ति हो और अनगिनत प्रकार से अपने सजीव जीवन में आवश्यक आहार और प्रोत्साहन प्राप्त करते हो। लेकिन यह कहना कि वह संदेश अथवा वह आत्मा जो कि तुम्हारे साथ सम्प्रेषण करती है, वह तुम्हारे सजीव शरीर से ज्यादा महत्त्वपूर्ण है, वह बेवकूफी है। तब तो तुम यह भी कह सकते हो कि रात्रिभोज में आलू ज्यादा महत्त्वपूर्ण था।
Nothing is important .................... being man alive. (Pages 167-168)
कठिन शब्दार्थ-Cabbage (कैबिज्) = a large round vegetable, बंदगोभी । subsidiary (सब्सिडिअरि) = secondary, सहायक, गौण। c'est la vie (से ल वि) = to express acceptance or resignation in the face of a difficult or unpleasant situation, font on for 37991 GUT स्थिति में स्वीकार अथवा अस्वीकार करना। renegades (रेनिगेड्स्) = opposite views, विरोधी विचार। multitude (मल्टिट्यूड्) = a very large number, बहुत बड़ी संख्या। tissue (टिशू) = mass of cells, ऊतक । flatly (फ्लैट्लि) = in a direct way, साफ-साफ। consciousness (कॉन्शस्नस्) = alertness, सजगता।
हिन्दी अनुवाद-जीवन के सिवाय कोई अन्य चीज महत्त्वपूर्ण नहीं है। और मेरे अपने लिए, मैं सिवाय जीवित रहने के अन्य कहीं पर भी जीवन बिल्कुल नहीं देखता हूँ। कैपीटल 'L' के साथ ही जीवन होता है जो केवल जीवित मनुष्य के लिए होता है। यहाँ तक कि वर्षा में बन्दगोभी भी जीवित बन्द गोभी होती है। सभी वस्तुएँ जो जीवित हैं, आश्चर्यजनक होती हैं। और वे सारी वस्तुएँ जो मृत हैं, वे सजीव की सहायक वस्तुएँ हैं। एक मृत शेर से जीवित कुत्ता भी अच्छा होता है। लेकिन एक जीवित शेर जीवित कुत्ते से ज्यादा अच्छा होता है। जीवन एक बन्द गली की तरह है, जिसमें कोई भी निर्णय लेना अत्यन्त कठिन कार्य होता है।
एक सन्त, अथवा एक दार्शनिक अथवा एक वैज्ञानिक के लिए इस साधारण सत्य के साथ अडिग रहना असम्भव प्रतीत होता है। वे सभी एक प्रकार से विरोधी विचारों से युक्त होते हैं। जो सन्त होता है वह एक बड़ी संख्या में लोगों को आध्यात्मिक भोजन परोसने की इच्छा रखता है। यहाँ तक कि Frances of Assisi स्वयं को एक देवदूत के केक में परिवर्तित कर लेता है जिसमें से कोई भी व्यक्ति केक ले सकता है। लेकिन देवदूत का केक एक सजीव व्यक्ति से कम महत्त्वपूर्ण होता है। और बेचारा सेन्ट फ्रांसिस जब मृत्यु को प्राप्त हो रहा होता है तो अपने शरीर से क्षमायाचना कर रहा था-"अरे मेरे शरीर, मुझे क्षमा दान दो उस गलती के लिए जो मैंने अपने जीवनभर तुम्हारे साथ की है!" यह दूसरों के खाने के लिए कोई वेफर नहीं था।
। दूसरी ओर एक दार्शनिक, क्योंकि वह सोच सकता है इसलिए निश्चय करता है कि सिवाय विचारों के कोई भी अन्य चीज महत्त्वपूर्ण नहीं होती है। यह ऐसा लगता है जैसे कि कोई खरगोश हो, क्योंकि वह छोटी-छोटी गोलियाँ बना सकता है। अतः वह सोच सकता है कि सिवाय गोलियों के कोई भी अन्य चीज महत्त्वपूर्ण नहीं है। और जहाँ तक वैज्ञानिक की बात है, जब तक मैं जीवित हूँ तब तक मेरे लिए उसका कोई उपयोग नहीं है।
एक वैज्ञानिक के लिए, मैं मृत व्यक्ति हूँ। वह सूक्ष्मदर्शी के नीचे मेरे मृत शरीर के एक अंग को रखता है और उसे मानता है कि वह टुकड़ा मैं हूँ। वह मेरे शरीर के टुकड़े लेता है पहले एक टुकड़े को फिर दूसरे टुकड़े को यह समझता है कि यह मैं हूँ। वैज्ञानिक के अनुसार, मेरा हृदय, मेरा लीवर, मेरा पेट सभी वैज्ञानिक रूप से मैं ही हूँ, और आजकल मैं या तो मस्तिष्क हूँ, अथवा नस हूँ, अथवा ग्रन्थि हूँ अथवा ऊतकों की पंक्ति में और ज्यादा सुव्यवस्थित व्यक्ति हूँ।
अब मैं पूरी तरह से स्पष्ट रूप से इन्कार करता हूँ कि मैं एक आत्मा हूँ, अथवा एक शरीर हूँ, अथवा एक मस्तिष्क हूँ, अथवा एक बुद्धि चातुर्य हूँ अथवा इनमें से मेरे शरीर का कोई एक अंग हूँ। मेरा सम्पूर्ण शरीर किसी भी अंग से बड़ा है। और, इसलिए, मैं, जो कि एक जीवित व्यक्ति हूँ, अपनी आत्मा, अथवा रूह अथवा शरीर अथवा मस्तिष्क, अथवा अन्तर्चेतना, अथवा कोई भी अन्य भाग से बड़ा हूँ जो कि मेरे शरीर का केवल एक भाग है। मैं एक मनुष्य हूँ और सजीव हूँ। मैं एक सजीव व्यक्ति हूँ, और जब तक मैं समर्थ रह सकता हूँ, मेरी एक सजीव व्यक्ति के रूप में ही जीवित रहने की इच्छा है।
For this reason .................in one direction. (Pages 168-169)
shake, काँपना। quiver (क्विव(र्)) = to shake slightly, हल्के से काँपना । wholeness (हॉलन्स्) = perfection, पूर्णता। communication (कम्यूनिकेशन्) = sharing of ideas or feelings, विचारों और भावनाओं का आदान-प्रदान । stimulate (स्टिम्युलेट्) = to make more active, और सक्रिय करना।
हिन्दी अनुवाद-इस कारण से मैं एक उपन्यासकार हूँ। और उपन्यासकार होने के कारण, मैं स्वयं को एक सन्त, वैज्ञानिक और दार्शनिक, और एक कर्म से श्रेष्ठ मानता हूँ जो कि एक सजीव व्यक्ति के अलग-अलग अंशों के महान स्वामी हैं परन्तु वे सम्पूर्ण शरीर के स्वामी नहीं हैं।उपन्यास जीवन की एक शानदार पुस्तक है। पुस्तकें जीवन नहीं होती हैं। वे केवल हवा में एक कंपन मात्र होती हैं। परन्तु एक उपन्यास एक कम्पन के रूप में एक सम्पूर्ण सजीव व्यक्ति की कंपा देने की क्षमता रखता है। जो कि काव्य, दर्शन, विज्ञान अथवा किसी भी अन्य पुस्तक कम्पन कर सकती है, उससे ज्यादा उपन्यास कम्पन कर सकता है।
उपन्यास जीवन की पुस्तक है। इस भावना से, बाइबिल एक महान उपन्यास है। आप कह सकते हैं कि यह ईश्वर के बारे में है। लेकिन वास्तव में यह एक सजीव व्यक्ति के बारे में है। मैं आशा करता हूँ कि आपने (पाठकों ने) मेरे इस विचार को समझना प्रारम्भ कर दिया होगा कि उपन्यास वायु में कम्पन के रूप में क्यों सर्वोत्तम रूप से महत्त्वपूर्ण है। प्लेटो एक सम्पूर्ण आदर्श के रूप में मेरे अन्दर कम्पन करता है। परन्तु वह मेरे शरीर का एक हिस्सा मात्र है।
पूर्णता सजीव मनुष्य की विचित्र सम्पूर्णता के रूप में एक अंश मात्र ही है। पहाड़ के ऊपर का धार्मिक उपदेश मेरी नि:स्वार्थ आत्मा को कम्पायमान कर देता है। लेकिन यह भी मेरी सम्पूर्णता का एक अंश मात्र है। वृद्ध एडम की दसों शिक्षाएँ जो मेरे अन्दर व्याप्त हैं, मुझे चेतावनी देती हैं कि मैं एक चोर हूँ और हत्यारा हूँ जब तक कि मैं उन्हें न देखें। लेकिन यह वृद्ध एडम भी मेरा केवल एक अंश है।।
मैं अपने इन अंशों को बहुत अधिक पसन्द करता हूँ जो कि जीवन के साथ और जीवन में बुद्धिमानी के साथ कम्पन के लिए छोड़ दिए गए हैं। लेकिन मैं यह पूछता हूँ कि मेरी सम्पूर्णता अपनी सम्पूर्णता में किस समय पर कम्पन करता है। और यह वास्तव में मेरे जीवनकाल में ही कम्पन करती हुई होनी चाहिए। लेकिन जहाँ तक यह सम्प्रेषण के माध्यम से घटित हो सकता है, तो यह केवल तभी घटित हो सकता है जब एक सम्पूर्ण उपन्यास स्वयं मेरे साथ सम्प्रेषण करे।
बाइबिल-सम्पूर्ण बाइबिल-और होमर और शेक्सपीयर-ये सभी सर्वोच्च प्राचीन उपन्यास हैं। ये सभी वस्तुएँ हैं और सभी मनुष्यों के लिए हैं। इसका अर्थ यह है अपनी सम्पूर्णता में यह सम्पूर्ण व्यक्ति को प्रभावित करती हैं जो कि स्वयं मनुष्य ही है, अपने किसी अंश से दूर यह पूरे मानवीय शरीर को प्रभावित करती है। वे जीवन की एक नई ऊँचाई पर पहुँचने के लिए सम्पूर्ण वृक्ष को कम्पन करने के लिए छोड़ देते हैं, वे वृक्ष के किसी एक हिस्से को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित नहीं करते हैं।
I don't want ........................ fashions change. (Pages 169-170)
कठिन शब्दार्थ-Cul-de-sec (कल् ड सैक्) = a Latin phrase which means a street or passage which closed at one end, यह एक लैटिन भाषा का वाक्य है जिसका अर्थ होता है-एक ऐसी गली अथवा रास्ता जो कि एक सिरे पर बन्द होता है। dazzling (डैसलिङ्) = a bright light, चकाचौंध। revelation (रेवलेश्न्) = to make known, प्रकटीकरण। withereth (विथ्) = to become or die, मुरझा जाना। drugged (ड्रग्ड्) = under the influence, प्रभाव में ।
staler (स्टेल()) = old and not fresh, बासी। imperialism (इम्पिअरिअलिजम्) = expansion of state, साम्राज्यवाद। incongruous (इन्कॉग्रुअस्) = strange and out of place, विसंगत, अनुपयुक्त। defies (डिफाइज्) = to refuse to obey, अवज्ञा करना। inertia (इनशा) = lack of energy, शक्तिहीनता, निष्क्रियता । woe betide (वो बिटाइड) = to worn to fall into some trouble if they do a specified thing, यदि एक विशेष कार्य करोगे तो परेशानी में पड़ने की चेतावनी । corsets (कासिट्स्) = a piece of clothing of woman, चोली।
कठिन शब्दार्थ-Hog (हॉग्) = a male pig, सूअर, यहाँ पर शरीर। tremble (ट्रेम्ब्ल् ) = to
हिन्दी अनुवाद-मैं किसी एक दिशा में बिल्कुल भी आगे बढ़ना नहीं चाहता हूँ और यदि मैं ऐसा करने में सहायक हो सका तो मैं किसी भी अन्य व्यक्ति को किसी भी एक विशेष दिशा में जाने को प्रेरित नहीं कर सकता। एक विशेष दिशा एक ऐसी गली अथवा रास्ते पर जाकर बन्द हो जाता जिसका एक सिरा बन्द है। हम वर्तमान समय में ऐसी ही बन्द गली के अन्दर हैं।
मैं किसी भी चमकते हुए रहस्योद्घाटन में विश्वास नहीं करता हूँ अथवा किसी भी सर्वोच्च संसार में विश्वास नहीं करता हूँ। "घास सूख जाती है, फूल मुरझा जाते हैं लेकिन जो ईश्वर का शब्द है वह हमेशा ऐसे ही खड़ा रहेगा।" यही एक प्रकार का सामान है जिसके हम प्रभाव में हैं । एक तथ्यात्मक रूप में, घास सूख जाती है लेकिन वर्षा के बाद इसी कारण से और ज्यादा हरी होकर आती है। फूल मुरझा जाते हैं और इसी कारण से कलियाँ उत्पन्न होती हैं।
लेकिन ईश्वर का शब्द, मनुष्य द्वारा बोले जाने के कारण, और वायु में केवल एक कम्पन होने के कारण, और ज्यादा खराब हो जाता है, और ज्यादा उबाऊ हो जाता है, जब तक कि हम अन्त में उसकी ओर से अपने कान बन्द नहीं कर लेते और उसका अस्तित्व समाप्त हो जाता है और अन्त में इतनी दूर चला जाता है जितनी कि मुरझाई हुई घास हो जाती है। यह घास होती है जो बाज की तरह पुनः अपने आप को युवा कर लेती है, किसी शब्द के रूप में नहीं।
हमें सम्पूर्णताओं अथवा सम्पूर्णता की आशा नहीं करनी चाहिए। एक बार और सभी के लिए और हमेशा के लिए, हमें यह आशा नहीं करनी चाहिए। हमें इस भद्दे साम्राज्यवाद को सम्पूर्ण रूप में स्वीकार कर लेना चाहिए। कोई भी वस्तु सम्पूर्ण रूप से अच्छी नहीं है, कोई भी चीज सम्पूर्ण रूप से सही नहीं है। सभी वस्तुएँ चलती रहती हैं और परिवर्तित होती रहती हैं और यह परिवर्तन भी सम्पूर्ण नहीं है । सम्पूर्णता विचित्र संयोजन है जो कि स्पष्ट विसंगति के भाग हैं जहाँ पर हमारा समय एक के बाद एक फिसलता जा रहा है।
मैं एक जीवित व्यक्ति हूँ। मैं असंगत भागों की एक अत्यन्त जिज्ञासु श्रोतागण हूँ। मेरी आज की हाँ कल की हाँ से विचित्र तरह से अलग है। मेरे आने वाले कल के आँसुओं को एक वर्ष पूर्व के मेरे आँसुओं से कुछ भी नहीं करना है। यदि मैं किसी से प्रेम करता हूँ और वह अपरिवर्तित ही है और परिवर्तित नहीं हो रही है तो मैं उससे प्रेम करना बन्द कर दूंगा।
ऐसा केवल इसलिए होगा क्योंकि वह परिवर्तित होती और मुझे परिवर्तन से चौंका देती है और मेरी शक्तिहीनता की अवज्ञा कर देती है और वह स्वयं मेरी परिवर्तनशीलता के द्वारा अपनी शक्तिहीनता में अटक जाती है, तब मैं उससे लगातार प्रेम कर सकता हूँ। यदि वह स्थायी रूप से ठहर जाती है तो ऐसा लगेगा कि मैं किसी मिर्ची के बर्तन से प्रेम करने लगा हूँ।
इस सम्पूर्ण परिवर्तन में, मैं एक निश्चित ईमानदारी को बनाये रखता हूँ। लेकिन मुझे एक चेतावनी मिलती है कि यदि मैं एक ही विशेष कार्य करूँगा तो मैं परेशानी में पड़ जाऊँगा। यदि मैं अपने बारे में यह बताता हूँ कि मैं यह हूँ, मैं वह हूँ-तब मैं उसी के साथ संयोजित हो जाता हूँ, और मैं एक लैम्प पोस्ट की तरह किसी मूर्खता की वस्तु के समान स्थिर हो जाता हूँ। मैं कभी भी यह नहीं जान पाऊँगा कि मेरे ईमानदारी, वैयक्तिकता, मेरा मैं स्वयं कहाँ पर है।
मैं यह कभी भी नहीं जान सकता हूँ। मेरे अहम् के बारे में बात करना व्यर्थ है। उसका अर्थ केवल इतना है कि मैंने अपने बारे में एक विचार निश्चित कर लिया है और मैं उस स्वरूप से अपने आपको अलग करना चाहता हूँ। जो कि ठीक नहीं है। आप अपने कोट को फिट करने के लिए कपड़े को काट सकते हो लेकिन आप अपने सजीव शरीर में अपने विचार शामिल करने के लिए उसे काट-छाँटकर नहीं संवार सकते हैं । सत्य है, आप अपने आप को आदर्श वस्त्रों के आवरण में ढंक सकते हो। परन्तु आदर्श वस्त्रों तक में फैशन परिवर्तित हो जाता है।
Let us learn........half the notes mute. (Pages 170-171)
कठिन शब्दार्थ-Volatile (वॉल्टाइल) = one who suddenly changes, चंचल व्यक्ति। hideous (हिडिअस्) = very ugly, बहुत भद्दा। foundlings (फाउन्डलिङ्) = discarded child, परित्यक्त शिशु। welter (वेल्ट्) = mixing up, घालमेल । masticating (मैस्टिकेटिङ्) = to chew food, चबाना। ghastly (गाट्लि ) = extremely unpleasant, अत्यन्त अप्रिय । simulacrum (सिमुलेक्रम) = pretention बहाना । carcass (काकस्) = dead body of an animal, पशु का मृत शरीर।
हिन्दी अनुवाद-आइये हम उपन्यास से सीखते हैं। उपन्यास में जो पात्र होते हैं, वे सिवाय जीवित रहने के कुछ भी नहीं करते हैं। यदि वे एक स्वरूप के अनुसार लगातार अच्छे बने रहते हैं, अथवा स्वरूप के अनुसार, बुरे रहते हैं, अथवा स्वरूप के अनुरूप चंचल बने रहते हैं, तो उनका जीवित रहना समाप्त हो जाता है और उपन्यास मृत हो जाता है। उपन्यास में एक पात्र को हमेशा जीवित रहना पड़ता है अन्यथा वह कुछ भी नहीं है।
ठीक इसी प्रकार से, हमें अपने जीवन में जीवित रहना पड़ता है, अन्यथा यह कुछ भी नहीं है। जीवित रहने से हमारा जो भी अभिप्राय है, वास्तव में, उसका वर्णन नहीं किया जा सकता कि 'जीवित रहने' से हमारा क्या आशय है। मनुष्य के मस्तिष्क में विचार आते हैं कि जीवन से क्या अभिप्राय है और वे जीवन के स्वरूप को समाप्त करके आगे बढ़ते हैं। कभी-कभी वे रेगिस्तान में ईश्वर की खोज करने के लिए जाते हैं और कभी-कभी वे रेगिस्तान में नकद धनराशि की खोज में जाते हैं।
कभी-कभी शराब, महिला और गीत संगीत के लिए रेगिस्तान में जाते हैं और कभी-कभी जल, राजनैतिक सुधार और वोट प्राप्त करने के लिए रेगिस्तान में जाते हैं। आप कभी भी यह नहीं जान पायेंगे कि आगे क्या होगा; अपने पड़ोसियों को एक भयानक बम और गैस जो फेफड़ों को फाड़ देती है, से लेकर परित्यक्त शिशुओं के सदन का समर्थन करने के लिए और अपना अनन्त प्रेम प्रदर्शित करने के लिए और अलग-अलग विचारधाराओं के लिए अपना सहयोग-समर्थन देने के लिए (इनमें से कुछ भी अगला कदम हो सकता है)।
इस सम्पूर्ण घालमेल के अन्दर हमें एक विशेष प्रकार के मार्गदर्शन की आवश्यकता है। यह कोई अच्छा विचार नहीं है, आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। तब फिर क्या? सच्चाई, ईमानदारी के साथ उपन्यास की ओर मुड़ जाओ ओर देखो कि जीवन में कहाँ तक तुम एक सजीव व्यक्ति हो और कहाँ तक तुम अपने जीवन में मृत व्यक्ति (के समान) हो।
आप अपना रात्रिभोज एक सजीव व्यक्ति की भाँति कर सकते हो अथवा केवल एक मृत शरीर को चबाने की तरह भी कर सकते हो। एक सजीव व्यक्ति के रूप में तुम अपने शत्रु को गोली मार सकते हो। परन्तु जीवन के एक अत्यन्त अप्रिय बहाने के रूप में आप उन व्यक्तियों को भी बम से उड़ा सकते हो जो न तो तुम्हारे शत्रु हैं और न ही तुम्हारे मित्र हैं बल्कि तुम भी निर्जीव वस्तुओं की तरह निर्जीव हो गये हो। वह अपराधी (की तरह) होते हैं जब वस्तुएँ सजीव दिखाई पड़ती हैं।
जीवित रहने के लिए, मनुष्य को जीवित रखने के लिए, सम्पूर्ण मानव जाति को जीवित रखने के लिए : यही एक मुख्य बिन्दु है। और अपने सर्वश्रेष्ठ रूप में, उपन्यास, और सर्वोत्कृष्ट रूप से उपन्यास ही आपकी सहायता कर सकता है। उपन्यास आपकी जीवन में एक मृत व्यक्ति की तरह न रहने में सहायता कर सकता है। आज गलियों और घरों में बहुत अधिक लोग मृत व्यक्ति अथवा मृत शरीर के रूप में चलते हैं; बहुत महिलाएँ भी केवल मृतक समान होती हैं । जैसे कि कोई पियानो जिसकी आधी धुनें अवरुद्ध हैं।
But in the novel .......... and live woman. (Pages 170-171)
कठिन शब्दार्थ-Inert (इनट्) = unable to move, निष्क्रिय, स्थिर । instinct (इन्स्टिक्ट्) = natural behaviour, स्वाभाविक प्रवृत्ति। emerges (इम्जस्) = to appear, प्रकट होना।
हिन्दी अनुवाद-लेकिन उपन्यास में आप स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि जब व्यक्ति मृत अवस्था में हो जाता है तो महिला भी निष्क्रिय हो जाती है। सही और गलत, अच्छे और बुरे के सिद्धान्त के स्थान पर, यदि आप चाहें तो जीवन के प्रति एक स्वाभाविक प्रवृत्ति विकसित कर सकते हो। जीवन में, प्रत्येक समय पर सही और गलत, अच्छा और बुरा होता है। लेकिन एक मामले में जो सही है दूसरे मामले में वह गलत होता है। और उपन्यास में, अपनी तथाकथित अच्छाई के कारण आप एक व्यक्ति को मृत शरीर में परिवर्तित होते हुए देखते हो; दूसरे व्यक्ति को मृत होते हुए उसकी तथाकथित दुष्टता के कारण देखते हो। सही और गलत एक स्वाभाविक प्रवृत्ति है;
और मनुष्य में शारीरिक रूप से, मानसिक रूप से, आध्यात्मिक रूप से तुरन्त सम्पूर्ण अन्तर्चेतना की प्रवृत्ति आ जाती है। और केवल उपन्यास के अन्दर ही सम्पूर्ण बातों का समावेश किया जा सकता है अथवा कम से कम उन्हें सम्पूर्ण स्वरूप में प्रस्तुत किया जा सकता है, जब हम यह महसूस करते हैं कि स्वयं जीवन ही जीवित रहने का कारण है, कोई निष्क्रिय सुरक्षा नहीं। सम्पूर्ण भूमिकाओं के अन्दर से सभी चीजें निकलकर आती हैं। केवल वह वस्तुएँ जो कुछ भी हो सकती हैं-एक व्यक्ति की सम्पूर्णता, एक महिला की सम्पूर्णता, मनुष्य का जीवित रहना और महिला का जीवित रहना, यह सब उपन्यास में शामिल होता है।