Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 16 दैनिक जीवन में रसायन Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
अनिद्राग्रस्त रोगियों को चिकित्सक नींद लाने वाली गोलियाँ लेने का परामर्श देते हैं, परन्तु बिना चिकित्सक से परामर्श लिए इनकी खुराक लेना उचित क्यों नहीं है?
उत्तर:
अधिकतर औषध अनुशंसित मात्रा से अधिक मात्रा में लेने पर हानिकारक प्रभाव डालती है एवं विष का कार्य करती हैं। इसलिए औषध लेने से पहले किसी चिकित्सक से परामर्श अवश्य लेना चाहिए।
प्रश्न 2.
किस वर्गीकरण के आधार पर वक्तव्य 'रैनिटिडीन प्रतिअम्ल है' दिया गया है।
उत्तर:
यह वक्तव्य भेषज गुण विज्ञानीय आधार पर वर्गीकरण की और संकेत करता है, क्योंकि कोई भी औषध जो अम्ल के आधिक्य का प्रतिकार करेगी, प्रति-अम्ल कहलायेगी।
प्रश्न 3.
हमें कृत्रिम मधुरकों की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
उत्तर:
सामान्यतः सुक्रोस प्राकृतिक मधुरक हैं जो कि ग्रहण करने पर शरीर में कैलोरी बढ़ाते हैं। इस कारण से मधुमेह से पीड़ित रोगी कृत्रिम मधुरक लेते हैं क्योंकि इनमें ऊर्जा काफी कम होती है एवं ये शरीर में कैलोरी की मात्रा भी नहीं बढ़ने देते हैं।
कृत्रिम मधुरक के उदाहरण हैं: सैकरीन, ऐस्पार्टेम आदि।
प्रश्न 4.
ग्लिसरिल ओलिएट तथा ग्लिसरिल पामिटेट से सोडियम साबुन बनाने के लिए रासायनिक समीकरण लिखिए। इनके संरचनात्मक सूत्र नीचे दिए गए हैं।
(i) (C15H31COO)3 C3H5 - ग्लिसरिल पामिटेट
(ii) (C17 H32 COO)3 C3 H5 - ग्लिसरिल ओलिएट
उत्तर:
प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रकार के अनायनिक अप- मार्जक, द्रव अपमार्जकों, इमल्सीकारकों और क्लेदन कारकों (Wetting agents) में उपस्थित होते हैं। अणु में जलरागी तथा जलविरागी हिस्सों को दर्शाइए। अणु में उपस्थित प्रकार्यात्मक समूह की पहचान कीजिए।
उत्तर:
उपर्युक्त अनायनिक अपमार्जक में ईथर तथा ऐल्कोहॉल प्रकार्यात्मक समूह उपस्थित है।
प्रश्न 1.
हमें औषधों को विभिन्न प्रकार से वर्गीकृत करने की आवश्यकता क्यों है?
उत्तर:
औषधियाँ विभिन्न लक्ष्यों पर आक्रमण करती हैं, जो जैव अणु होते हैं, जिससे हमारा शरीर बना होता है। औषधियों के कार्य भी भिन्न-भिन्न होते हैं। इसलिए औषधियों को विभिन्न प्रकार से वर्गीकृत करने की आवश्यकता हाती है।
औषधों के विभिन्न प्रकारों एवं उनकी आवश्यकताओं का वर्णन निम्न प्रकार से हैं।
प्रश्न 2.
औषध रसायन के पारिभाषिक शब्द, लक्ष्य-अणु अथवा औषध लक्ष्य को समझाइए।
उत्तर:
साधारणत: जैव वृहद् अणु जैसे-कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, लिपिड तथा न्यूक्लिक अम्लों जिन पर औषध अन्योन्यक्रिया करती है, लक्ष्य-अणु (target molecule) या औषध लक्ष्य (drug target) कहलाते हैं।
प्रश्न 3.
उन वृहद्-अणुओं के नाम लिखिए जिन्हें औषध लक्ष्य चुना जाता है।
उत्तर:
वृहद्-अणुओं; जैसे-न्यूक्लिक अम्ल, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट तथा लिपिड को औषध-लक्ष्य कहा जाता है।
प्रश्न 4.
बिना डॉक्टर से परामर्श लिए दवाइयाँ क्यों नहीं लेनी चाहिए?
उत्तर:
जब औषध एक से अधिक ग्राही सतह को आबन्धित कर लेती है तो यह औषध के दुष्प्रभाव का कारण बन जाता है। इसलिए उचित औषध के चयन के लिए डॉक्टर का परामर्श आवश्यक होता है जिससे एक निश्चित ग्राही सतह के लिए औषध की बन्धुता अधिकतम हो तथा उसका वांछित प्रभाव हो सके। औषध की खुराक भी अनुशंसित होनी चाहिए; क्योंकि औषध का अनुशंसित मात्रा से अधिक मात्रा में उपयोग किया जाए तो अधिकांश औषध विषकारी प्रभाव छोड़ती हैं तथा मृत्यु का कारण भी बन सकती हैं।
प्रश्न 5.
'रसायन चिकित्सा' शब्द की परिभाषा लिखिए।
उत्तर:
रसायन विज्ञान की वह शाखा जिसके अन्तर्गत रोगों के उपचार के लिए विभिन्न रसायनों के उपयोगों का अध्ययन किया जाता है, रसायन चिकित्सा (Chemotherapy) कहलाती है। अन्य शब्दों में, रसायनों के चिकित्सीय उपयोग को रसायन चिकित्सा कहते हैं।
प्रश्न 6.
एन्जाइम की सतह पर औषध को थामने के लिए कौन-से बल कार्य करते हैं?
उत्तर:
एन्जाइम की सतह पर औषध को थामने के लिए अनेक बल कार्य करते हैं; जैसे-आयनिक आबन्ध, हाइड्रोजन आबन्ध, वाण्डर वाल्स अन्योन्यक्रिया वा द्विध्रुव- द्विध्रुव बल। सेरीन का - OH समूह, ऐस्पार्टिक अम्ल का -COOH समूह तथा फेनिलऐनिलीन का फेनिल वलय औषध को एन्जाइम से आबन्धित करने में सहायता प्रदान करता है।
प्रश्न 7.
प्रति-अम्ल एवं प्रतिएलजी औषध हिस्टैमिन के कार्य में बाधा डालती हैं, परन्तु ये एक-दूसरे के कार्य में बाधक क्यों नहीं होती हैं?
उत्तर:
कोई भी औषध शरीर के किसी एक भाग में हुए रोग का उपचार करती है, यह शरीर के अन्य भागों को प्रभावित नहीं करती है। इसका कारण यह है कि ये विभिन्न ग्राहियों पर कार्य करती हैं। उदाहरण-हिस्टैमिन का उद्दीपन एलर्जी का कारण होता है। यह आमाशय में HCl निर्मुक्त करने के कारण अम्लता का भी कारण बनता है। चूंकि प्रतिएलर्जी तथा प्रति-अम्ल औषध विभिन्न ग्राहियों पर कार्य करती हैं। इस कारण प्रति-अम्ल अम्लता का एवं प्रतिएलर्जी एलर्जी का उपचार करती हैं।
प्रश्न 8.
नॉरऐडीनेलिन का कम स्तर अवसाद का कारण होता है। इस समस्या के निदान के लिए किस प्रकार की औषध की आवश्यकता होती है? दो औषधों के नाम लिखिए।
उत्तर:
नॉरऐडीनेलिन एक तन्त्रिकीय संचारक है, जो कि मनोदशा परिवर्तन में भूमिका निभाती है। यदि किसी कारण से नॉरऐडीनेलिन का स्तर कम हो जाता है तो संकेत भेजने की क्रिया भी धीमी हो जाती है। इस कारण व्यक्ति अवसादग्रस्त हो जाता है।
इस स्थिति में प्रतिअवसादक (antidepressant) औषध की आवश्यकता होती है। ये औषध नॉरऐड्रोनेलौन के स्तर को बढ़ाने वाले एन्जाइस को उत्तेजित करती है।
प्रतिअवसादक औषध के उदाहरण निम्न है:
प्रश्न 9.
'वृहद्-स्पेक्ट्रम जीवाणुनाशी' शब्द से आप क्या समझते हैं? समझाइए।
उत्तर:
जो प्रति जीवाणु प्रैम: ग्राही (Gram-positive) और ग्रैम-अग्राही (Gram-negative) दोनों प्रकार के जीवाणुओं के विस्तृत परास का विनाश करते हैं अथवा विरोध करते हैं। बृहद्-स्पेक्ट्रम जीवाणुनाशी अथवा विस्तृत स्पेक्ट्रम जीवाणुनाशी (Broad spectrum antibiotics) कहलाते हैं।
उदाहरण: टेट्रासाइक्लीन, ऑफ्लोक्सासिन, क्लोरैम्फेनिकॉल आदि।
क्लोरैम्फेनिकॉल: जठरांत्र क्षेत्र में अतिशीघ्र अवशोषित हो जाता है। अत: इसे टाइफॉइड, पेचिश, तीव्र ज्वर, कुछ सूत्र संक्रमणों, तन्त्रिका शोथ तथा निमोनिया जैसे रोगों में देते हैं।
प्रश्न 10.
पूतिरोधी तथा संक्रमणहारी किस प्रकार से भिन्न हैं? प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 11.
सिमेटिडीन तथा रैनिटिडीन हाइड्रोजन-कार्बोनेट अथवा मैग्नीशियम या ऐलुमिनियम हाइड्रॉक्साइड की तुलना में श्रेष्ठ प्रति आल क्यों हैं?
उत्तर:
आमाशय में अम्ल का अत्यधिक उत्पादन उत्तेजना तथा पीड़ा का कारण बनता है। गम्भीर अवस्था में आमाशय में घाव हो जाते हैं। 1970 तक अम्लता का उपचार केवल सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट अथवा मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड द्वारा किया जाता था, परन्तु इनकी अत्यधिक मात्रा के सेवन से आमाशय क्षारीय हो जाता है तथा अधिक अम्ल उत्पादन को प्रेरित करता है। यद्यपि धात्विक हाइड्रॉक्साइड बेहतर उपचार है; क्योंकि अमुलनशील होने के कारण ये PH को उदासीनता से आगे नहीं बढ़ने देते। दोनों ही उपचार केवल रोग के लक्षणों को नियन्त्रित करते हैं, कारण को नहीं।
इसलिए पहले इन धातु लवणों से रोगी का उपचार आसान नहीं होता था। अप्रगत अवस्था में अल्सर (व्रण) के प्राणघातक होने के कारण इसका एकमात्र उपचार आमाशय के रोगग्रस्त हिस्से को निकाल देना था। अतिअम्लता के उपचार में मुख्य परिवर्तन उस खोज के बाद हुआ जिसके अनुसार रसायन हिस्टैमिन, आमाशय में पेप्सिन के निकलने को उद्दीप्त करता है। आमाशय की दीवार में स्थित ग्राही के साथ हिस्टैमिन की अन्योन्यक्रिया रोकने के लिए औषध सिमेटिहीन तथा रेनिटिडीन (जैनटेक) अभिकल्प (डिजाइन) की गई। इसके कारण कम अम्ल निकलता था।
प्रश्न 12.
एक ऐसे पदार्थ का उदाहरण दीजिए जिसे पूतिरोधी तथा संक्रमणहारी दोनों प्रकार से प्रयोग किया जा सकता है।
उत्तर:
फीनॉल का 0 - 2 प्रतिशत विलयन पूतिरोधी होता है, जबकि इसका 1 प्रतिशत विलयन संक्रमणहारी होता है।
प्रश्न 13.
डेटॉल के प्रमुख संघटक कौन-से हैं?
उत्तर:
क्लोरोजाइलिनॉल (Chloroxylenol) तथा ज-टर्पिनिऑल (aTerpincol) का किसी उपयुक्त विलायक में मिश्रण डेटॉल कहलाता है।
प्रश्न 14.
आयोडीन का टिंक्चर क्या होता है। इसके क्या उपयोग
उत्तर:
आयोडीन का ऐल्कोहॉल-जल मिश्रण में 2 - 3 प्रतिशत बोल आयोडीन का टिंक्चर (tincture of iodine) कहलाता है। यह एक प्रबल पूतिरोधी है। इसे घाव पर लगाया जाता है।
प्रश्न 15.
खाद्य पदार्थ परिरक्षक क्या होते हैं?
उत्तर:
खाद्य पदार्थों को सूक्ष्म जीवों की वृद्धि के कारण होने वाली खराबी से बचाने वाले रासायनिक पदार्थ खाद्य पदार्थ परिरक्षक (food preservatives) कहलाते हैं। उदाहरणार्थ-खाने का नमक, चीनी, सोडियम बेन्जोएट आदि सामान्य रूप से उपयोग में आने वाले परिरक्षक
प्रश्न 16.
ऐस्पार्टम का प्रयोग केवल ठण्डे खाद्य एवं पेय पदार्थों तक सीमित क्यों है?
उत्तर:
ऐल्पार्टेम का प्रयोग केवल ठण्डे खाद्य एवं पेय पदार्थों तक सीमित है; क्योंकि यह खाना पकाने के तापमान पर अस्थायी होता है।
प्रश्न 17.
कृत्रिम मधुरक क्या हैं? दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
कृत्रिम मधुरक वे रासायनिक पदार्थ हैं जो स्वाद में मीठे होते है, परन्तु इनके सेवन से शरीर में कैलोरी की मात्रा नहीं बढ़ती है। ये शरीर से अपरिवर्तित रूप में ही मूत्र के साथ उत्सर्जित हो जाते हैं। उदाहरणार्थ: सैकरोन, ऐस्पार्टम, सुक्रोलोस आदि।
प्रश्न 18.
मधुमेह के रोगियों के लिए मिठाई बनाने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले मधुरकों के क्या नाम हैं?
उत्तर:
सैकरीन।
प्रश्न 19.
ऐलिटैम को कृत्रिम मधुरक की तरह उपयोग में लाने पर क्या समस्याएँ होती हैं?
उत्तर:
ऐलिटैम (Alitame) एक अत्यधिक प्रबल मधुरक है। इसलिए इसका प्रयोग करते समय मिठास नियन्त्रित करना कठिन होता है।
प्रश्न 20.
साबुनों की अपेक्षा संश्लेषित अपमार्जक किस प्रकार श्रेष्ठ है?
उत्तर:
संश्लेषित अपमार्जक मृदु तथा कठोर दोनों प्रकार के जल में उपयोग किए जा सकते हैं। क्योंकि ये कठोर जल में भी झाग बनाते हैं। कुछ अपमार्जक तो बर्फीले जल में भी झाग देते हैं। इसका कारण है कि इनके घटक, सल्फोनिक अम्ल तथा इनके कैल्शियम एवं मैग्नीशियम लवण जल में विलेय होते हैं। दूसरी ओर साबुन के घटक, वसा अम्ल तथा इनके कैल्शियम एवं मैग्नीशियम लवण जल में अविलेय होते हैं। अतः ये कठोर जल में झाग नहीं देते हैं। इसलिए साबुनों की अपेक्षा संश्लेषित अपमार्जक श्रेष्ठ होते हैं।
प्रश्न 21.
निम्नलिखित शब्दों को उपयुक्त उदाहरणों द्वारा समझाइए
(क) धनात्मक अपमार्जक,
(ख) ऋणात्मक अपमार्जक,
(ग) अनायनिक अपमार्जक।
उत्तर:
(क) धनात्मक अपमार्जक (Cationie Detergents): धनात्मक अपमार्जक ऐमीनों के ऐसीटेट, क्लोराइड या ब्रोमाइड अणायनों के साथ बने चतुष्क लवण होते हैं। उदाहरणार्थ: सैटिलट्राइमेथिल अमोनियम क्लोराइड।
(ख) ऋणात्मक अपमार्जक (Anionic Detergents): रुणात्मक अपमार्जक लम्बी श्रृंखला वाले ऐल्कोहॉलों अथवा हाइड्रोकार्बनों के सल्फोनेटेड व्युत्पन्न होते हैं। वे दो प्रकार के होते हैं
(ग) अनायनिक अपमार्जक (Non-ionic Detergents): अनायनिक अपमार्जक, उच्च आण्विक द्रव्यमान वाले ऐल्कोहॉलों के साथ वसा अम्लों के एस्टर होते हैं। उदाहरणार्थ: पॉलिएथिलीन ग्लाइकॉल स्टीयरेट
CH3 (CH2)6 COO(CH2CH2O)n CH2CH2OH.
प्रश्न 22.
जैव-निम्नीकरणीय होने वाले और जैव-निम्नीकरणीय न होने वाले अपमार्जक क्या हैं? प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
वे अपमार्जक, जिनमें ऋजु हाइड्रोकार्बन श्रृंखला होती है, सूक्ष्मजीवों द्वारा सरलता से निम्नीकृत हो जाते हैं, इसलिए जैव-निम्नीकरणीय अपमार्जक कहलाते हैं। जबकि वे अपमार्जक जिनमें शाखित हाइड्रोकार्बन शृंखला होती है, सूक्ष्मजीवों द्वारा सरलता से निम्नीकृत नहीं होते इसलिए जैव-निम्नीकरणीय न होने वाले अपमार्जक कहलाते हैं। इनमें निम्नीकरण धीमा होने के कारण ये एकत्र होते जाते हैं तथा नदी, तालाब इत्यादि में पहुँच जाते हैं। ये पानी में मल-जल प्रबन्धन के बाद भी बने रहते हैं।
इनके कारण नदी, तालाब तथा झरनों में झाग उत्पन्न होता है तथा उनका पानी प्रदूषित हो जाता है।
जैव-निम्नीकरणीय होने वाले अपमार्जकों के उदाहरण हैं: सोडियम लॉरिल सोडियम-4-(-1-डोडेसिल) बेन्जीन- सल्फोनेट तथा सोडियमः 4-(-2-डोडेसिल) बेन्जीन- सल्फोनेट। जैव-निम्नीकरणीय न होने वाले अपमार्जक का उदाहरण है-सोडियम-4- (-1, 3, 5, 7-टेट्रामेथिलसेटिल) बेन्जीन सल्फोनेट।
प्रश्न 23.
साबुन कठोर जल में कार्य क्यों नहीं करता?
उत्तर:
कटोर जल में कैल्सियम तथा मैग्नीशियम के आयन होते हैं। ये आयन सोडियम अथवा पोटैशियम साबन को कठोर जल में घोलने पर क्रमशः अघुलनशील कैल्सियम और मैग्नीशियम साबुन में परिवर्तित कर हैं।
कैल्सियम स्टीयरेट (कठोर जल में) (कैल्सियम साबुन) यह अघुलनशील साबुन मलफैन (scum) की तरह पानी से अलग हो जाते हैं और शोधन अभिकर्मक के कार्य के लिए बेकार होते है। वास्तव में ये अच्छी धुलाई में रुकावट डालते हैं, क्योंकि यह अवक्षेप कपड़ों के रेशों पर चिपचिपे पदार्थ की तरह चिपक जाता है। कठेर जल तथा साबुन से धुले बाल इस चिपचिपे पदार्थ के कारण कांतिहीन लगते हैं। कवेर जल और साबुन से धुले कपड़ों में इस चिपचिपे पदार्थ के कारण रंजक एकसमान रूप से अवशोषित नहीं होता।
प्रश्न 24.
क्या आप साबुन तथा संश्लेषित अपमार्जकों का प्रयोग जल की कठोरता जानने के लिए कर सकते हैं?
उत्तर:
साबुन कठोर जल में अविलेय कैल्सियम तथा मैग्नीशियम साबुन के रूप में अवक्षेपित हो जाते हैं, परन्तु अपमार्जक नहीं होते। अतः साबुन (अपमार्जक नहीं) का प्रयोग जल की कठोरता जानने के लिए कर सकते हैं।
प्रश्न 25.
साबुन की शोधन क्रिया समझाइए।
उत्तर:
साबुन के अणु के दो भाग होते हैं। एक अध्रुवीय (nonpolar) भाग, जो कार्बन की एक लम्बी श्रृंखला होती है। दूसरा ध्रुवीय (polar) भाग, जो कार्बोक्सिलेट समूह होता है। साबुन के अध्रुवीय भाग को पूँछ (tail) तथा ध्रुवीय भाग को हैड (head) कहते हैं।
साबुन के अणु का अध्रुवीय भाग जल में अविलेय (hydrophobic) तथा तेलों में विलेय होता है। साबुन को जल में घोलने पर साबुन के अणु द्रव की सतह पर एक विशेष अणुक पर्त बना लेते हैं जिसमें साबुन का हैड भाग जल में डूबा रहता है जबकि टेल भाग जल के बाहर रहता है। यह रचना मिसिल (micelle) कहलाती है। मिसिल में साबुन के अणु का टेल भाग अन्दर की ओर तथा हैड भाग जल की ओर होता है। जब गन्दे कपड़ों को इसमें डुबोया जाता है तो धूल-मिट्टी के कण मिसिल में चले जाते हैं। साथ-ही-साथ तेल तथा ग्रीस आदि की चिकनाई मिसिल में चले जाते हैं। यह पूरी संरचना जल में विलेय होती है जिसके कारण यह जल के साथ बह जाती है तथा कपड़े साफ हो जाते हैं।
प्रश्न 26.
यदि जल में कैल्शियम हाइड्रोजनकार्बोनेट घुला हो तो आप कपड़े धोने के लिए साबुन एवं संश्लेषित अपमार्जकों में से किसका प्रयोग करेंगे?
उत्तर:
कैल्शियम हाइड्रोजनकार्बोनेट जल को कठोर बनाता है, इसलिए साबुन का प्रयोग नहीं किया जा सकता; क्योंकि ऐसा करने पर साबुन कठोर जल में अवक्षेपित हो जाएगा। इसके विपरीत संश्लेषित अपमार्जक कठोर जल में अवक्षेपित नहीं होगा; क्योंकि इसका कैल्शियम लवण भी जल में विलेय होता है। अतः कैल्शियम हाइड्रोजनकार्बोनेट युक्त जल अथवा कठोर जल में कपड़े धोने के लिए संश्लेषित अपमार्जक का प्रयोग करना चाहिए।
प्रश्न 27.
निम्नलिखित यौगिकों में जलरागी एवं जलविरागी भाग दर्शाइएै।
(क) CH3(CH2)10CH2OSO-3Na+
(ख) CH3(CH2)15N+(CH3)3Br-
(ग) CH3(CH2)16COO(CH2 CH2O)nCH2CH2OH
उत्तर: