Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 13 ऐमीन Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
निम्नलिखित ऐमीनों को प्राथमिक, द्वितीयक अथवा तृतीयक ऐमीनों में वर्गीकृत कीजिए
(iii) (C2H5)2 CHNH2
(iv) (C2H5)2 NH
उत्तर:
(i) प्राथमिक ऐमीन
(ii) तृतीयक ऐमीन
(iii) प्राथमिक ऐमीन
(iv) द्वितीयक ऐमीन।
प्रश्न 2.
(i) अणु सूत्र C4H11N से प्राप्त विभिन्न समावयवी ऐमीनों की संरचना लिखिए।
(ii) सभी समावयवों के आई.यू.पी.ए.सी. नाम लिखिए।
(iii) विभिन्न युग्मों द्वारा कौन-से प्रकार की समावयवता प्रदर्शित होती है?
उत्तर:
(i) अणुसूत्र.C4H11N से प्राप्त विभिन्न समावयव:
(ii) सभी समावयवों के आई.यू.पी.ए.सी. नाम:
(a) ब्यूटेनेमीन
(b) ब्यूटेन-2-ऐमीन
(c) 2-मेथिलप्रोपेन-2-ऐमीन
(d) 2-मेथिल प्रोपेनेमीन
(e)N-एथिल एथेनेमीन
(f) N-मेथिल प्रोपेनेमीन
(g) N-मेथिलप्रोपेन-2-ऐमीन
(h) N, N-डाइमेथिल एथेनेमीन
(iii) समावयवता के प्रकार
प्रश्न 3.
आप निम्नलिखित परिवर्तन कैसे करेंगे:
(i) बेन्जीन से ऐनिलीन
(ii) बेन्जीन से N, N-डाइमेथिल ऐनिलीन
(iii) Cl - (CH2)4 -CI से हेक्सेन-1, 6-डाइऐमीन।
उत्तर:
(i) बेन्जीन से ऐनिलीन:
(ii) बेन्जीन से N, N-डाइमेचिल ऐनिलीन
(3) Cl - (CH2)4 -CI से हेक्सेन-1, 6-डाइऐमीन।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित को उनके बढ़ते हुए क्षारकीय प्रबलता के क्रम में लिखिए।
1. C2H5NH2, C6H5NH2, C6H5CH2NH2 तथा (C2H5)4 NH
2. C2H5NH2 (C2H5)2 NH, (C2H5)3 N, C6H5NH2
3. CH3NH2 (CH3)2NH (CH3)3N, C6H5NH2, C6H5CH2NH2
उत्तर:
प्रश्न 5.
निम्नलिखित अम्ल-क्षारक अभिक्रिया को पूर्ण कीजिए तथा उत्पादों के नाम लिखिए।
(i) CH3 CH2 CH2 NH2 + HCl →
(ii) (C2H5)3 N + HCl →
उत्तर:
प्रश्न 6.
सोडियम कार्बोनेट विलयन की उपस्थिति में मेथिल आयोडाइड के आधिक्य द्वारा ऐनिलीन के ऐल्किलन में उत्पन्न होने वाले उत्पादों के लिए अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 7.
ऐनिलीन की बेन्जोइल क्लोराइड के साथ रासायनिक अभिक्रिया द्वारा उत्पन्न उत्पादों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 8.
अणुसूत्र C3H9N से प्राप्त विभिन्न समावयवों की संरचना लिखिए। उन समावयवों के आई.यू.पी.ए.सी. नाम लिखिए जो नाइट्स अम्ल के साथ नाइट्रोजन गैस मुक्त करते हैं।
उत्तर:
अणुसूत्र C3H9N से चार संरचनात्मक समावयव सम्भव हैं। ये निम्नलिखित हैं।
उपर्युक्त दिए गए समायवियों में से केवल प्राथमिक ऐमीन ही ऐसे होते हैं जो कि नाइट्स अम्ल (HNO2) से क्रिया करके नाइट्रोजन गैस मुक्त करते हैं।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित परिवर्तन कीजिए।
(i) 3-मेचिल ऐनिलीन से 3-नाइट्रोटॉलुईन
(ii) ऐनिलीन से 1, 3, 5-ट्राइब्रोमोबेन्जीन
उत्तर:
(i) 3-मेथिल ऐनिलीन से 3-नाइट्रोटॉलूईन
(ii) ऐनिलीन से 1, 3, 5-ट्राइब्रोमोबेन्जीन
प्रश्न 1.
निम्नलिखित यौगिकों को प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीनों में वर्गीकृत कीजिए तथा इनके आई.यू.पी.ए.सी. नाम लिखिए।
1. (CH3)2CHNH2
2. CH3 (CH2)2 NH2
3. CH3 NHCH(CH3)2
4. (CH3)3CNH2
5. C6H5 NHCH3
6. (CH3CH2)2NCH3
7. m-BrC6H4NH2
उत्तर:
प्रश्न 2.
निम्नलिखित युगलों के यौगिकों में विभेद करने के लिए रासायनिक परीक्षण दीजिए।
(i) मेथिल ऐमीन एवं डाइमेथिल ऐमीन
(ii) द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीन
(iii) एथिल ऐमीन एवं ऐनिलीन
(iv) ऐनिलीन एवं बेन्जिल ऐमीन
(v) ऐनिलीन एवं N-मेथिल ऐनिलीन।'
उत्तर:
(i) मेथिल ऐमीन एवं डाइमेथिल ऐमीन: इन्हें काबिल ऐमीन परीक्षण के द्वारा विभेदित किया जा सकता है। प्राथमिक ऐमीन काबिल ऐमीन परीक्षण देती हैं जबकि द्वितीयक ऐमीन कार्थिल ऐमीन परीक्षण नहीं देती है। प्राथमिक ऐमीन अर्थात् मेथिल ऐमीन को KOH के ऐल्कोहॉल विलयन तथा CHCl3 के साथ गर्म करने पर यह मेथिल कार्बिल ऐमीन बनाता है जो कि तीव्र गन्ध वाला होता है।
(ii) द्वितीयक व तृतीयक ऐमीन: द्वितीयक व तृतीयक ऐमीन को हम लिबरमान नाइट्रोसोऐमीन परीक्षण के द्वारा विभेदित कर सकते हैं। द्वितीयक ऐमीन लिबरमैन नाइट्रोसो परीक्षण देते हैं जबकि वतीयक ऐमीन ये परीक्षण नहीं देते हैं। द्वितीयक ऐमीन HNO2 से अभिक्रिया करके पीले रंग का तैलीय N-नाइट्रोसो ऐमीन देते हैं। यहाँ HNO2 को खनिज अम्ल (HCl) तथा सोडियम नाइट्राइट की अभिक्रिया से स्वस्थाने (in situ) बनाया जाता है।
N-नाइट्रोसोडाइएथिल ऐमीन को फीनॉल के क्रिस्टल तथा सान्द्र H2SO4 के साथ गर्म करने पर यह हरा विलयन देता है जिसे क्षारीय NaOH के जलीय विलयन के साथ अभिक्रिया कराने पर गहरा नीला विलयन प्राप्त होता है जो कि तनुकरण करने पर लाल हो जाता है। तृतीयक ऐमीन यह परीक्षण नहीं देते हैं।
(ii) एथिल ऐमीन व ऐनिलीन: एथिल ऐमीन ऐलिफैटिक ऐमीन है, जबकि ऐनिलीन प्राथमिक ऐरोमैटिक ऐमीन है। इन्हें ऐजो रंजक द्वारा विभेदित कर सकते हैं।।
ऐजो रंजक परीक्षण (AZADye Test): प्राथमिक ऐरोमैटिक ऐमीन की क्रिया HNO2 (NaNO2 + HCl) के साथ 273 - 278K पर कराने पर यह बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड बनाता है। तत्पश्चात् इसकी क्रिया β - नैपाल के क्षारीय विलयन से कराने पर अभिक्रिया से गहरे पीले, नारंगी या लाल रंग का रंजक प्राप्त होता है।
(iv) ऐनिलीन एवं बेन्जिल ऐमीन-ऐनिलीन व बेन्जिल ऐमीन को नाइट्रस अम्ल परीक्षण द्वारा विभेदित किया जा सकता है। इस परीक्षण में बेन्जिल ऐमीन नाइट्रस अम्ल से अभिक्रिया करके डाइऐजोनियम लवण बनाती है जो कम ताप पर भी अस्थायी होने के कारण N2 के विमुक्तन के साथ विघटित हो जाता है।
ऐल्कोहॉल ऐनिलीन HNO2 से अभिक्रिया करके बेन्जीन डाइऐजोनियम क्लोराइड बनाती है जो 273 - 278 K पर स्थायी होता है, इसलिए विघटित होकर नाइट्रोजन गैस नहीं देता है।
(v) ऐनिलीन तथा N - मेथिल ऐनिलीन: ऐनिलीन तथा N-मेथिल काबिल ऐमीन को कार्बिल ऐमीन परीक्षण द्वारा विभेदित कर सकते हैं। ऐनिलीन प्राथमिक ऐमीन होने के कारण कार्बिल-ऐमीन परीक्षण देते हैं जबकि N- मेथिल ऐमीन द्वितीयक ऐमीन होने के कारण काबिल ऐमीन परीक्षण नहीं देते। ऐनिलीन की क्रिया ऐल्कोहॉलीय KOH विलयन तथा क्लोरोफॉर्म के साथ कराने पर यह फेनिल आइसोसायनाइड की तीव्र व हानिकारक गन्य देता है।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित के कारण बताइए:
(i) ऐनिलीन का pk, मेथिल ऐमीन की तुलना में अधिक होता है।
(ii) एथिल ऐमीन जल में विलेय है, जबकि ऐनिलीन नहीं।
(iii) मेथिल ऐमीन फेरिक क्लोराइड के साथ जल में अभिक्रिया करने पर जलयोजित फेरिक ऑक्साइड का अवक्षेप देती है।
(iv) यद्यपि ऐमीनो समूह इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं में ऑर्थों एवं पैरा-निर्देशक होता है, फिर भी ऐनिलीन नाइट्रोकरण द्वारा यथेष्ट मात्रा में मेटा-नाइट्रोऐनिलीन देती है।
(v) ऐनिलीन फ्रीडल-क्राफ्ट्स अभिक्रिया प्रदर्शित नहीं करती।
(vi) ऐरोमैटिक ऐमीनों के डाइऐजोनियम लवण ऐलिफैटिक ऐमीनों से प्राप्त लवण से अधिक स्थायी होते हैं।
(vii) प्राथमिक ऐमीन के संश्लेषण में गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण को प्राथमिकता दी जाती है।
उत्तर:
(i) ऐनिलीन में N-परमाणु पर एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म बेन्जीन वलय पर विस्थानीकृत हो जाते हैं, परिणामस्वरूप नाइट्रोजन पर इलेक्ट्रॉन घनत्व घट जाता है।
वहीं दूसरी ओर मेथिल ऐमीन में -CH3 समूह + I प्रभाव प्रदर्शित करता है। इस प्रभाव के कारण N-परमाणु पर इलेक्ट्रॉन घनत्व का मान बढ़ जाता है। अत: ऐनिलीन अनुनाद के कारण मेथिल ऐमीन से दुर्बल क्षार होता है। कोई भी भार जितना अधिक प्रबल होता है, उसके pKb का मान उतना ही अधिक होता है। अतः ऐनिलीन के pkb का मान मेथिल ऐमीन की तुलना में अधिक होता है।
(ii) एथिल ऐमीन जल में विलेय है क्योंकि यह जल अणुओं के साथ हाइड्रोजन आबन्ध बनाती है।
एथिल ऐमीन एवं जल के मध्य हाइड्रोजन आबन्ध ऐनिलीन में दीर्घ हाइड्रोकार्बन भाग के कारण हाइड्रोजन आबन्ध का मान घट जाता है एवं यह जल में अविलय हो जाती है।
(iii) मेथिल ऐमीन जल की तुलना में अधिक क्षारीय होने के कारण जल से एक प्रोटॉन ग्रहण कर लेती है एवं OH- आयन मुक्त करती है।
यह OH- आयन जल में उपस्थित Fe3+ आयनों के साथ संयुक्त होकर जलयोजित फेरिक ऑक्साइड का भूरा अवक्षेप देता है।
इस कारण मेथिल ऐमीन फेरिक क्लोराइड के साथ जल में अभिक्रिया करने पर जलयोजित फेरिक ऑक्साइड का अवक्षेप देती है।
(iv) नाइट्रीकरण सामान्यतः सान्द्र HNO3 तथा सान्द्र H2SO4 के मिश्रण के साथ कराया जाता है। इन अम्लों की उपस्थिति में अधिकतम ऐनिलीन प्रोटॉनीकृत होकर ऐनिलीनियम आयन बनाती हैं। ऐनिलीन में - NH2 समूह ऑर्थो एवं पैरा निर्देशक तथा सक्रिय होता है, जबकि ऐनिलौनियम आयन में + NH3 समूह मेटा निर्देशक व असक्रिय होता है।
इस प्रकार ऐनिलीन का नाइट्रीकरण मुख्यतया p - नाइट्रो ऐनिलीन देता है तथा ऐनिलौनियम आयन का नाइट्रीकरण m - नाइट्रोऐनिलीन देता है।
इस कारण ऐनिलीन नाइट्रीकरण द्वारा यथेष्ट मात्रा में मेटा नाइट्रोऐनिलीन देती है।
(v) ऐनिलीन एक लुईस क्षार है। यह लुईस अम्ल AICI3 के साथ अभिक्रिया करके लवण बनाती है।
परिणामस्वरूप ऐनिलीन का N - परमाणु धनावेश ग्रहण कर लेता है तथा यह इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाओं के लिए प्रबल निष्क्रियक समूह के रूप में कार्य करता है। अत: ऐनिलौन फ्रौडल-क्राफ्ट अभिक्रिया प्रदर्शित नहीं करती।
(vi) ऐरोमैटिक ऐमीनों के डाइऐजोनियम लवण ऐलिफैटिक ऐमीनों के डाइऐजोनियम लवणों की तुलना में अधिक स्थायी होते हैं। इसका कारण बेन्जीन वलय पर धनावेश का वितरण है जो कि अनुनाद कहलाता है। ऐनिलीन के डाइऐजोनियम लवण की अनुनादी संरचनाओं को निम्न प्रकार दर्शाया जा सकता है
(vii) प्राथमिक ऐमीन के संश्लेषण में गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण को प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि इसमें द्वितीयक व तृतीयक ऐमीन उपस्थित नहीं होते हैं। केवल प्राथमिक ऐमीन ही बनते हैं।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित को क्रम में लिखिए:
(i) pkb मान के घटते क्रम में
C2H5NH2, C6H5NHCH3, (C2H5)2NH C6H5NH2
(ii) क्षारकीय प्राबल्य के घटते क्रम में
C6H5NH2, C6H5N(CH3)2 (C2H5)2NH CH3NH2
(iii) क्षारकीय प्राबल्य के बढ़ते क्रम में
(क) ऐनिलीन, पैरा-नाइट्रोऐनिलीन एवं पैरा-टॉलुइडीन
(ख) C6H5NH2, C6H5NHCH3, C6H5CH2NH2
(iv) गैसीय प्रावस्था में घटते हुए क्षारकीय प्राबल्य के क्रम में
C2H5NH2, (C2H5)2 NH, (C2H5)3N NH3
(v) क्वथनांक के बढ़ते क्रम में
C2H5OH, (CH3)2NH, C2H5NH2
(vi) जल में विलेयता के बढ़ते क्रम में
C6H5NH2, (C2H5)2NH, C2H5NH2
उत्तर:
(i) C6 H5 NH3 > C6H5NHCH3 > CHNH3 > (C2H5)2NH (pKb मान का घटता क्रम)
(ii) (CHANH> CH3NH2> C4H,NCH?
CHINH, (क्षारकीय प्राबल्य का घटता क्रम)
(iii) (क) p-नाइट्रोऐनिलीन < ऐनिलीन < p-टॉलुईडीन (क्षारकीय प्राबल्य का बढ़ता क्रम)
(ख) C6H5NH2 < C6H5NHCH3 < C6H5CH2NH2 (क्षारकीय प्राबल्य का बढ़ता क्रम)
(iv) (C2H5)3 N > (C2H5)2NH > C2H5NH2 > NH3 (गैसीय प्रावस्था में क्षारकीय प्राबल्य)
(v) (CH3)2NH < C2H5NH2 < C2H5OH (क्वथनांक का बढ़ता क्रम)
(vi) C6H5NH2 < (C2H5)2 NH < C2H5NH2 (जल में विलेयता)
प्रश्न 5.
इन्हें आप कैसे परिवर्तित करेंगे:
(i) एथेनोइक अम्ल को मेथेनेमीन में
(ii) हेक्सेननाइट्राइल को 1-ऐमीनोपेन्टेन में
(iii) मेथेनॉल को एथेनोइक अम्ल में
(iv) एथेनेमीन को मेथेनेमीन में
(v) एथेनोइक अम्ल को प्रोपेनोइक अम्ल में
(vi) मेथेनेमीन को एथेनेमीन में
(vii) नाइट्रोमेथेन को डाइमेथिलऐमीन में
(viii) प्रोपेनोइक अम्ल को एथेनोइक अम्ल में
उत्तर:
(i) एथेनोइक अम्ल को मेथेनेमीन में:
(ii) हेक्सेननाइट्राइल को 1-ऐमीनोपेन्टेन मैं
(iii) मेथेनॉल को एथेनोइक अम्ल में
(iv) एथेनेमीन को मेथेनेमीन में
(v) एथेनोइक अम्ल को प्रोपेनोइक अम्ल में
(vi) मेथेनेमीन को एथेनेमीन में
(vii) नाइट्रोमेथेन को डाइमेथिल ऐमीन में
(viii) प्रोपेनोइक अम्ल को एथेनोइक अम्ल में
प्रश्न 6.
प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीनों की पहचान की विधि का वर्णन कीजिए। इन अभिक्रियाओं के समीकरण लिखिए।
उतर:
प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक ऐमीनों की पहचान हिंसबर्ग परीक्षण (Heinsberg Test) के द्वारा की जा सकती है। हिंसबर्ग अभिकर्मक (बेन्जीन सल्फोनिल क्लोराइड C6H5SO2 Cl) प्राथमिक व द्वितीयक ऐमीनों से क्रिया करके सल्फोनमाइड बनाता है।
(i) प्राथमिक ऐमीन-बेन्जीन सल्फोनिल क्लोराइड (C6H5SO2 Cl) प्राथमिक ऐमीन से अभिक्रिया करके N - एथिल बेन्जीन-सल्फोनिल ऐमाइड बनाता है। सल्फोनमाइड की नाइट्रोजन से जुड़ी हाइड्रोजन प्रबल इलेक्ट्रॉन खींचने वाले सल्फोनिल समूह की उपस्थिति के कारण प्रबल अम्लीय होते हैं तथा क्षार में विलेय हो जाते हैं।
(ii) द्वितीयक ऐमीन-द्वितीयक ऐमीन हिंसबर्ग अभिकर्मक से अभिक्रिया करके N. N - डाइएथिल बेन्जीन सल्फोनमाइड बनता है इसमें कोई भी हाइड्रोजन परमाणु नाइट्रोजन परमाणु से जुड़ा नहीं होता है। अतः यह अम्लीय नहीं होता तथा क्षार में अविलेय होता है।
(iii) तृतीयक ऐमीन-तृतीयक ऐमौन हिंसबर्ग अभिकर्मक से अभिक्रिया नहीं करती। विभिन्न वर्गा की ऐमीन इस गुण के कारण बेन्जीन सल्फोनिल क्लोराइड से भिन्न-भिन्न प्रकार से अभिक्रिया करती।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित पर लघु टिप्पणी लिखिए।
(i) काबिलेमीन अभिक्रिया
(ii) डाइऐजोटीकरण
(iii) हॉफमान बोमैमाइड अभिक्रिया
(iv) युग्मन अभिक्रिया
(v) अमोनीअपघटन
(vi) ऐसीटिलन
(vii) गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण।
उत्तर:
(1) काबिलेमीन अभिक्रिया-जब ऐलिफैटिक या ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन (जैसे-ऐनिलीन, एथिल या मेथिल ऐमीन) को ऐल्कोहॉलीय KOH की उपस्थिति में क्लोरोफॉर्म की कुछ बूंदों के साथ गर्म किया जाता है तो तीन दुर्गन्धयुक्त आइसोसायनाइड प्राप्त होता है। इस अभिक्रिया को काबिलेमीन अभिक्रिया कहते हैं। इसका उपयोग प्राथमिक ऐमोन समूह की उपस्थिति ज्ञात करने में होता है।
(ii) डाइऐजोटीकरण अभिक्रिया: ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन की अभिक्रिया सोडियम नाइट्राइट व तनु HCl के साथ 0 - 5°C ताप पर कराने पर बेन्जीन डाइऐजोनियम प्राप्त होता है, इस अभिक्रिया को डाइऐजोटीकरण अभिक्रिया कहते हैं।
अर्थात्: NH2 समूह का डाइऐजो समूह में परिवर्तन डाइऐजोटीकरण कहलाता है।
(iii) हॉफमान ब्रोमैमाइड अभिक्रिया: वह अभिक्रिया जिसमें ऐलिफैटिक या ऐरोमैटिक ऐसिड ऐमाइड द्रव ब्रोमीन के साथ कॉस्टिक पोटाश के जलीय विलयन की उपस्थिति में अभिक्रिया करके प्राथमिक ऐमीन (एक कार्बन कम का) बनाते हों तो यह अभिक्रिया हॉफमान ब्रोमैमाइड अभिक्रिया कहलाती है। इस अभिक्रिया की सहायता से CONH2 समूह को NH2 समूह में परिवर्तित किया जाता है।
उदाहरण:
(iv) युग्मन अभिक्रिया: डाइऐजोनियम लवणे की फीनॉलों तथा ऐरोमैटिक ऐमीनों के साथ अभिक्रिया, जिसमें ऐजोयौगिक बनते हैं, बुग्मन अभिक्रिया कहलाती है।
युग्मन अभिक्रिया प्रायः फोनॉलों के साथ अल्प क्षारीय माध्यम में होती है जबकि ऐमीनों के साथ यह पर्याप्त अम्लीय माध्यम में होती है।
उदाहरण:
(v) अमीनोअपघटन: ऐरिकल अथवा बेन्जिल हैलाइडों की क्रिया अमोनिया के ऐल्कोहॉलीय विलयन से कराने पर नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रिया करते हैं जिसमें हैलोजन परमाणु का ऐमीनो (-NH2) समूह से प्रतिस्थापन हो जाता है। अत: अमोनिया अणु के द्वारा C - X आबन्ध के विदलन की प्रक्रिया अमोनीअपघटन (ammonolysis) कहलाती है।
यह अभिक्रिया 373K ताप पर सील बन्द नलिका में करते हैं। यहाँ अभिक्रिया में प्राथमिक ऐमीन नाभिक रागी की तरह कार्य करता है। अभिक्रिया निम्न प्रकार होती है।
इस अभिक्रिया में हैलाइडों की ऐमीनो से अभिक्रियाशीलता का क्रम RI > RBr > RCI होता है।
चतुष्क अमोनियम लवण से मुक्त ऐमीन प्रबल क्षार द्वारा अभिक्रिया से प्राप्त की जा सकती है।
(vi) ऐसीटिलन या ऐसीटिलीकरण: किसी - OH या - NH2 समूह के हाइड्रोजन परमाणु का ऐसीटिल (-CH3CO) समूह द्वारा विस्थापन ऐसीटिलन या ऐसीटिलीकरण कहलाता है।
(vii) गैब्रिएल थैलेमाइड संश्लेषण: गैब्रिएल संश्लेषण का प्रयोग प्राथमिक ऐमीनों के विरचन के लिए किया जाता है। थैलिमाइड एथेनॉलिक पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड से अभिक्रिया द्वारा थैलिमाइड का पोटैशियम लवण बनाता है जो ऐल्किल हैलाइड के साथ गर्म करने के पश्चात् क्षारीय जल-अपघटन द्वारा संगत प्राथमिक ऐमीन उत्पन्न करता है।
ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन इस विधि से नहीं बनाई जा सकर्ती; क्योंकि ऐरिल हैलाइड थैलिमाइड से प्राप्त ऋणायन के साथ नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रिया नहीं कर सकते।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित परिवर्तन निष्पादित कीजिए
(i) नाइट्रोबेन्जीन से बेन्जोइक अम्ल
(ii) बेन्जीन सेm-ब्रोमोफीनॉल
(iii) बेन्जोइक अम्ल से ऐनिलीन
(iv) ऐनिलीन से 2, 4, 6-दाइलोमोफ्लुओरोबेन्जीन
(v) बेन्जिल क्लोराइड से 2-फेनिलएथेनेमीन
(vi) क्लोरोबेन्जीन से p-क्लोरोऐनिलीन
(vii) ऐनिलीन से ब्रोमोऐनिलीन
(viii) बेन्जेमाइड से टॉलुईन
(ix) ऐनिलीन से बेन्जिल ऐल्कोहॉल।
उत्तर:
(i) नाइट्रोबेन्जीन से बेन्जोइक अम्ल:
(ii) बेन्जीन से m-ब्रोमोफीनॉल:
(iii) बेन्जोइक अम्ल से ऐनिलीन:
(iv) ऐनिलीन से 2, 4, 6-दाइब्रोमोफ्लुओरोबेन्जीन:
(v) बेन्जिल क्लोराइड से 2-फेनिल एथेनेमीन:
(vi) क्लोरोबेन्जीन से -क्लोरोऐनिलीन:
(vii) ऐनिलीन से बोमो ऐनिलीन:
(viii) बेन्जेमाइड से टॉलुईन
(ix) ऐनिलीन से बेन्जिल ऐल्कोहॉल:
प्रश्न 9.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं में A, B तथा C की संरचना दीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 10.
एक ऐरोमैटिक यौगिक ''जलीय अमोनिया के साथ गर्म करने पर यौगिक 'B' बनाता है जो Br2 एवं KOH के साथ गर्म करने पर अणु सूत्र C6H7N वाला यौगिक बनाता है। A,B एवं c यौगिकों की संरचना एवं इनके आई.यू.पी.ए.सी. नाम लिखिए।
उत्तर:
(A) चूंकि यौगिक 'C' (अणुसूत्र C6H7N) यौगिक 'B' की Br2 तथा KOH से अभिक्रिया होने पर बनता है, इसलिए यौगिक 'B' एक ऐमाइड तथा यौगिक 'C' ऐमीन होना चाहिए।
अणुसूत्र C6H7N से केवल एक ऐमीन C6N5NH2 (ऐनिलीन) प्राप्त हो सकती है। अत: यौगिक 'C ऐनिलीन है।
(B) चूंकि 'C' ऐनिलीन है, इसलिए वह ऐमाइड जिससे यह बनता है, बेन्जेमाइड होना चाहिए। अतः यौगिक 'B' बेन्जेमाइड है।
(C) चूँकि यौगिक 'B' ऐरोमैटिक यौगिक 'A' को जलीय अमोनिया के साथ गर्म करने पर प्राप्त होता है इसलिये यौगिक 'A' बेन्जोइक अम्ल होना चाहिए।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं को पूर्ण कीजिए:
(i) C6H5NH2 + CHCI3 + (एल्कोहॉलीय) KOH →
(ii) C6H5N2Cl + H3PO2 + H2O →
(iii) C6H5NH2 + H2SO4 (सान्द्र), →
(iv) C6H5N2Cl + C2H5OH →
(v) C6H5NH2 + Br2 (aq) + →
(vi) C6H5NH2 + (CH3CO)2O →
उत्तर:
प्रश्न 12.
ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन को गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण से क्यों नहीं बनाया जा सकता?
उत्तर:
ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन को गैब्रियल थैलिमाइड संश्लेषण के द्वारा नहीं बनाया जा सकता है। क्योंकि गैब्रिएल थैलिमाइड संश्लेषण कार्बनिक हैलोजन यौगिक पर थैलिमाइड ऋणायन द्वारा नाभिकरागी अभिक्रिया पर निर्भर करता है।
ऐरिल हैलाइड सरलता से नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ नहीं दर्शाते हैं अतः ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीन गैब्रिएल थैलिमाइड अभिक्रिया द्वारा नहीं बनाये जा सकते हैं।
प्रश्न 13.
ऐलिफैटिक एवं ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीनों की नाइट्स अम्ल से अभिक्रिया लिखिए
उत्तर:
(i) ऐलिफैटिक प्राथमिक ऐमीनों की नाइट्स अम्ल से क्रिया
(II) ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमीनों की नाइट्स अम्ल से क्रिया
प्रश्न 14.
निम्नलिखित में प्रत्येक का सम्भावित कारण बताइए
(i) समतुल्य अणु द्रव्यमान वाले ऐमीनों की अम्लता ऐल्कोहोलों - से कम होती है।
(ii) प्राथमिक ऐमीनों का क्वथनांक तृतीयक ऐमीनों से अधिक होता है।
(iii) ऐरोमैटिक ऐमीनों की तुलना में ऐलिफैटिक ऐमीन प्रबल क्षारक होते हैं।
उत्तर:
(i) किसी ऐमीन से एक प्रोटॉन निकलने पर ऐमाइड आयन प्राप्त होता है, जबकि ऐल्कोहॉल से एक प्रोटॉन निकलने पर ऐल्कॉक्साइड आयन प्राप्त होता है जैसा कि निम्नवत् दर्शाया गया है
चूंकि N की तुलना में 0 अधिक विद्युत-ऋणात्मक है, इसलिए RO पर ऋणावेश RNH- की तुलना में अधिक सरलता से रह सकता दूसरे शब्दों में ऐमीन ऐल्कोहॉल से कम अम्लीय होती हैं।
(ii) प्राथमिक ऐमीनों का क्वथनांक तृतीयक ऐमीनों से अधिक होता है क्योंकि प्राथमिक ऐमीनों में नाइट्रोजन पर हाइड्रोजन अणु उपस्थित होते हैं जिस कारण अन्तराआण्विक हाइड्रोजन आबन्ध बनता है जो कि प्राथमिक ऐमीन के क्वथनांक को बढ़ा देता है, जबकि तृतीयक ऐमीन में नाइट्रोजन पर हाइड्रोजन अणुओं की अनुपस्थिति के कारण हाइड्रोजन आबन्ध नहीं बनता और क्वथनांक कम हो जाता है।
(iii) ऐरोमैटिक ऐमीन की तुलना में ऐलिफैटिक ऐमीन प्रबल भारक होते हैं क्योंकि:
(iv) ऐरोमैटिक ऐमीन में अनुनाद उपस्थित होता है इस कारण एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म बेन्जीन वलय पर विस्थानीकृत हो जाते हैं।
ऐनिलीन में अनुनाद जबकि ऐलिफैटिक ऐमीन में अनुनाद भी उपस्थित नहीं है।