Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 12 ऐल्डिहाइड, कीटोन एवं कार्बोक्सिलिक अम्ल Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
निम्नलिखित यौगिकों की संरचना लिखिए।
(i) a-मेथोक्सीप्रोपिओनैल्डिहाइड
(ii) 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटेनल
(iii) 2-हाइड्रॉक्सीसाइक्लोपेन्टेन कार्बल्डिहाइड
(iv) 4-ऑक्सोपेन्टेनैल
(v) डाइ-द्वितीयक ब्यूटिल कीटोन
(vi) 4क्लोरोऐसीटोफीनोन
उत्तर:
प्रश्न 2.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के उत्पादों की संरचना लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 3.
निम्नलिखित यौगिकों को उनके क्वथनांकों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
CH3 CHO, CH3CH2OH, CH3OCH, CH3CH2CH3
उत्तर:
CH3 - CH2 - CH3 < CH3 - O - CH3 < CH3 - CHO < CH3CH2OH (क्वथनांक का बढ़ता क्रम)
प्रश्न 4.
निम्नलिखित यौगिकों को नाभिकरागी योगज अभिक्रियाओं में उनकी बढ़ती हुई अभिक्रियाशीलता के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
(क) एथेनैल, प्रोपेनल, प्रोपेनोन, ब्यूटेनोन
(ख) बेन्जैल्डिहाइड, p - टॉलुऐल्डिहाइड, p - नाइट्रोबेन्जेल्डिहाइड, ऐसीटोफीनोन।
उत्तर:
(क) ब्यूटेनोन < प्रोपेनोन < प्रोपेनैल < एथेनैल
यह नाभिकरागी योगज अभिक्रियाओं में उनकी बढ़ती हुई क्रियाशीलता का क्रम है। इसका कारण उपर्युक्त यौगिक में इलेक्ट्रॉन विमोचक प्रेरक प्रभाव तथा त्रिविम अवरोध है।
(ख) ऐसीटोफीनोन < p - टॉलुऐल्डिहाइड < बेन्जल्डिहाइड < p नाइट्रोबेन्जैल्डिहाइड
चूँकि ऐसीटोफोनोन एक कीटोन है अतः इसकी अभिक्रियाशीलता सबसे कम है। p - टॉलुऐल्डिहाइड में बेन्जीन वलय की पैरास्थति पर इलेक्ट्रॉन विमोचन मेथिल समूह होता है, जबकि नाइट्रो बेन्जेल्डिहाइड में पैरा स्थिति पर इलेक्ट्रॉन अपनयक नाइट्रो समूह होता है। अतः बेन्जैल्डिहाइड की तुलना में p - टॉलुऐल्डिहाइड कम अभिक्रियाशील तथा p - नाइट्रोबेन्जेल्डिहाइड अधिक अभिक्रियाशील होता है।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित अभिक्रियाओं के उत्पादों को पहचानिए।
उत्तर:
प्रश्न 6.
निम्नलिखित यौगिकों के IUPAC नाम दीजिए।
(i) phCH2 CH2 COOH
उत्तर:
(i) 3-फेनिलप्रोपेनोइक अम्ल
(ii) 3-मेथिलब्यूट-2-इनोइक अम्ल
(iii) 2-मेथिलसाइक्लोपेन्टेन कार्बोक्सिलिक अम्ल
(iv) 2, 4, 6-ट्राइनाइट्रोबेन्जोइक अम्ल
प्रश्न 7.
निम्नलिखित यौगिकों को बेन्जोइक अम्ल में कैसे परिवर्तित किया जा सकता है?
(i) एथिलबेन्जीन
(ii) ऐसीटोफीनोन
(iii) बोमोबेन्जीन
(iv) फेनिलएथीन (स्टाइरीन)।
उत्तर:
प्रश्न 8.
नीचे प्रदर्शित अम्लों के प्रत्येक युग्म में कौन-सा अम्ल अधिक प्रबल है?
(i) CH3COOH अयाव CH2FCOOH
(ii) CH2FCOOH अथवा CH2CICOOH
(iii) CH2 FCH2 CH2 COOH अथवा CH3CHFCH2COOH
उत्तर:
(i) CH3COOH < FCH2 COOH
FCH2COOH अम्ल CH3COOH की तुलना में प्रबल है। इसका कारण - F का -1 प्रभाव है जोकि O - H आबन्ध में इलेक्ट्रॉन घनत्व घटा देता है जिसके कारण प्रोटॉन आसानी से निकल जाता है।
(ii) CH2 FCOOH > CH2CICOOH
F में की अपेक्षा अधिक प्रबल -[ प्रभाव पाया जाता है जिसके कारण FCH2COO - आयन अधिक स्थायी हो जाता है एवं CH2FCOOH प्रबल अम्ल (CH2CICOOH की तुलना में) हो जाता है।
प्रेरण प्रभाव दूरी के साथ घटता जाता है, इस कारण - F का प्रभाव 4 - फ्लुओरो ब्यूटेनोइक अम्ल की तुलना में 3 - फ्लुओरो ब्यूटेनोइक अम्ल से अधिक प्रबल होता है। इसलिए FCH2CH2CH2 COOH की तुलना में CH2CHFCH2COOH प्रबल अम्ल है।
- CF3 में प्रबल - प्रभाव के कारण प्रबल अम्ल है।
प्रश्न 1.
निम्नलिखित पदों (शब्दों) से आप क्या समझते हैं? प्रत्येक का एक उदाहरण दीजिए।
(i) सायनोहाइडिन,
(ii) ऐसीटल,
(iii) सेमी कार्बेजोन
(iv) ऐल्डोल,
(v) हेमीऐसीटल,
(vi) ऑक्सिम,
(vii) कीटैल,
(viii) इमीन,
(ix) 2,+ DNP व्युत्पन्न,
(x) शिफ-क्षारक।
उत्तर:
(i) सायनोहाइडिन (Cyanohydrin): ऐल्डिहाइड व कीटोन हाइड्रोजन सायनाइड से क्रिया करके एक योगोत्पाद बनाते हैं जिसे सायनोहाइडिन कहते हैं।
सायनोहाइडिन सायनोहाइडिन एक प्रकार के महत्वपूर्ण संश्लेषण अभिकर्मक होते हैं। इनका प्रयोग -हाइड्रॉक्सी अम्ल बनाने में किया जाता है।
उदाहरणार्थ:
(ii) ऐसीटल (Acetal): ऐल्डिहाइड एथिल ऐल्कोहॉल के दो मोल से अभिक्रिया करके ऐसीटल बनाते हैं।
(iii) सेमीकाबेंजोन (Semicarbazone): ऐल्डिहाइड व कीटोन सेमीकार्बेजोइड से क्रिया करके सेमीकार्बेजोन बनाते हैं।
(iv) ऐल्डोल-जिन ऐल्डिहाइडों या कीटोनों में कम-से-कम एक α - हाइड्रोजन उपस्थित होता है, वे तनु क्षार के उत्प्रेरक के रूप में उपस्थिति के साथ अभिक्रिया द्वारा β - हाइड्रॉक्सी ऐल्डिहाइड (ऐल्डोल) अथवा β - हाइड्रॉक्सी कीटोन (कीटोल) बनाते हैं। यह अभिक्रिया ऐल्डोल अभिक्रिया कहलाती है।
(v) हेमीऐसीटल (Hemiacetal): हेमीऐसीटल मोनोहाइडिक , ऐल्कोहॉल के एक अणु का ऐल्डिहाइड के साथ शुष्क HCl गैस की उपस्थिति में योग होने पर उत्पन्न होते हैं।
(vi) ऑक्सिम (Oxime) जब ऐल्डिहाइड तथा कीटोन दुर्बल अम्लीय माध्यम में हाइड्रॉक्सिलेमीन के साथ अभिक्रिया करते हैं, तब ऑक्सिम (oximes) बनते हैं।
(vii) कीटैलं (Ketal): जैम-ऐल्कॉक्सीऐल्केन कीटैल कहलाते हैं। कीटैल में दो ऐल्कॉक्सी समूह श्रृंखला के भीतर समान कार्बन पर उपस्थित होते हैं। कीटोन की क्रिया एथिलीन ग्लाइकॉल के साथ करने पर कीटैल प्राप्त होता है।
(viii) इमीन (Imine):
समूह युक्त यौगिक इमीन कहलाते हैं। ये ऐल्डिहाइडों व कीटोन की क्रिया अमोनिया व्युत्पन्न से कराने पर प्राप्त होते हैं।
(ix) 2, 4 DNP - व्युत्पन्न (2,4 - DNP Derivatives): जब ऐल्डिहाइड व कीटोन दुर्बल अम्लीय माध्यम में 2, 4-डाइनाइट्रोफेनिल हाइड्राजीन के साथ अभिक्रिया करते हैं, तो 2, 4-DNP व्युत्पन्न प्राप्त होते हैं।
(x) शिफ क्षारक (Schiff Base): ऐल्डिहाइड तथा कीटोन प्राथमिक ऐलिफैटिक अथवा ऐरोमैटिक ऐमीनों से अभिक्रिया करते हैं तो ऐजोमेथीन अथवा शिफ क्षारक बनाते हैं।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित यौगिकों के आई.यू.पी.ए.सी. (IUPAC) नामपद्धति में नाम लिखिए
(i) CH3CH(CH3) CH2 CH2 CHỌ
(ii) CH3CH2 COCH(C2H5)CH2 CH2Cl
(iii) CH3 - CH = CHCHO
(iv) CH3 COCH2COCH3
(v) CH3 CH(CH3)CH2C(CH3)2COCH3
(vi) (CH3)3CCH2COOH
(vii) OHCC6H4 CHO - P
उत्तर:
(i) मेथिलपेन्द्रनैल
(ii) 6-क्लोरो-4-एथिलहेक्सेन-3-ओन
(iii) ब्यूट-2-ईन-ऐल
(iv) पेन्टेन-2,4-डाइओन
(v)3, 3, 5-ट्राइमेथिलहेक्सेन-2-ओन
(vi) 3, 3-डाइमेथिलब्यूटेनोइक अम्ल
(vii) बेन्जीन-1, 4-डाइकाईल्डिहाइड
प्रश्न 3.
निम्नलिखित यौगिकों की संरचना बनाइए
(i) 3-मेथिलब्यूटेनल
(ii) p-नाइट्रोप्रोपिओफीनोन
(iii) p-मेथिलबेन्जैल्डिहाइड
(iv) 4-मेथिलपेन्ट-3-इन-2-ओन
(v) 4-क्लोरोपेन्टेन-2-ओन
(vi) 3-स्रोमो-4-फेनिल पेन्टेनोइक अम्ल
(vii) p-डाइहाइड्रॉक्सीबेन्जोफीनोन
(viii) हेक्स-2-ईन-4-आइनोइक अम्ल
उत्तर:
प्रश्न 4.
निम्नलिखित ऐल्डिहाइडों एवं कीटोनों के आई.यू.पी.ए. सी. (IUPAC) नाम लिखिए और जहाँ सम्भव हो सके साधारण नाम भी दीजिए
(i) CH3CO(CH2)4CH3
(ii) CH-CH-CH = CH-CH(CH3)CHO
(iii) CH3(CH2)5 CHO
उत्तर:
IUPAC नाम |
साधारण नाम |
(i) हेप्टेन-2-ओन |
मेथिल n - पेन्टिल कीटोन |
(ii) 4-ब्रोमो-2-मेथिल |
ब्रोमो-x-मेथिल कंपोल्डि हेक्सेनैल हाइड। |
(iii) हेप्टेनैल |
- |
(iv) 3-फेनिलप्रोप-2-इनैल |
β - फेनिलऐक्रोलीन |
(v) साइक्लोपेन्टेन- काल्डिहाइड |
γ - साइक्लोपेन्टेन कार्बेल्डिहाइड |
(vi) डाइफेनिलमेथेनोन |
बेन्जोफीनोन |
प्रश्न 5.
निम्नलिखित व्युत्पन्नों की संरचना बनाइए:
(i) बेन्जैल्डिहाइड का 2, 4-डाइनाइट्रोफेनिलहाइड्राजोन
(ii) साइक्लोप्रोपेनोन ऑक्सिम
(iii) ऐसीटैल्डिहाइडडाइमेथिलऐसीटल
(iv) साइक्लोब्यूटेनोन का सेमीकार्बेजोन
(v) हेक्सेन-3-ओन का एथिलीन कीटैल
(vi) फॉर्मेल्डिहाइड का मेथिल हेमीऐसीटल।
उत्तर:
प्रश्न 6.
साइक्लोहेक्सेनकाबेंल्डिहाइड की निम्नलिखित अभिकर्मकों के साथ अभिक्रिया से बनने वाले उत्पादों को पहचानिए।
(i) PhMgBr एवं तत्पश्चात् H3O+
(ii) टॉलेन अभिकर्मक
(iii) सेमीकाबेंजाइड एवं दुर्बल अम्ल
(iv) एथेनॉल का आधिक्य तथा अम्ल
(v) जिंक अमलगम एवं तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल।
उत्तर:
प्रश्न 7.
निम्नलिखित में से कौन-से यौगिकों में ऐल्डोल संघनन होगा, जिनमें कैनिजारो अभिक्रिया होगी और किनमें उपर्युक्त में से कोई क्रिया नहीं होगी? ऐल्डोल संघनन तथा कैनिजारो अभिक्रिया में सम्भावित उत्पादों की संरचना लिखिए।
(i) मेथेनैल
(ii) 2-मेथिलपेन्टेनैल
(iii) बेन्जैल्डिहाइड
(iv) बेन्जोफीनोन
(v) साइक्लोहेक्सेनोन
(vi) 1-फेनिलप्रोपेनोन
(vii) फेनिलऐसीटैल्डिहाइड
(vii) ब्यूटेन-1-ऑल
(ix) 2,2-डाइमेथिलब्यूटेनैल।
उत्तर:
(क) ऐल्डोल संघनन प्रदर्शित करने वाले यौगिक-ऐल्डोल संघनन प्रदर्शित करने वाले यौगिक निम्न हैं-2-मेथिल पेन्टेनैल, साइक्लोहेक्सेनोन, 1-फेनिल प्रोपेनोन, फेनिल ऐसीटैल्डिहाइड।
इनके द्वारा प्रदर्शित की जाने वाली अभिक्रियाएँ निम्न हैं:
(1) 2-मेथिल पेन्टेनैल
(2) साइक्लोहेक्सेनोन
(3) 1-फेनिल प्रोपेनोन
(4) फेनिल ऐसीटेल्डिहाइड
(ख) कैनिजारो अभिक्रिया दर्शाने वाले यौगिक-ये यौगिक निम्न
(1) मेथेनैल
(2) बेन्जैल्डिहाइड
(3) 2,2-डाइमेथिल ब्यूटेनैल
उपर्युक्त यौगिकों द्वारा प्रदर्शित की जाने वाली अभिक्रियाएँ निम्न प्रकार है
(1) मेथेनैल:
(2) बेन्जल्डिहाइड
(3) 2, 2-डाइमेथिल ब्यूटेनल
(ग) उपर्युक्त दोनों अभिक्रियाएँ न दर्शाने वाले यौगिक
प्रश्न 8.
एथेनैल को निम्नलिखित यौगिकों में कैसे परिवर्तित करेंगे?
(i) ब्यूटेन-1, 3-डाइऑल
(ii) ब्यूट-2-ईनल
(iii) ब्यूट-2-ईनोइक अम्ल।
उत्तर:
(i) एथेनैल से ब्यूटेन-1, 3-डाइऑल
(ii) ऐथेनैल से ब्यूट-2-ईनल
(iii) एथेनैल से ब्यूट-2-ईनोइक अम्ल
प्रश्न 9.
प्रोपेनल एवं ब्यूटेनल के ऐल्डोल संघनन से बनने वाले चार सम्भावित उत्पादों के नाम एवं संरचना सूत्र लिखिए। प्रत्येक में बताइए कि कौन-सा ऐल्डिहाइड नाभिकरागी और कौन-सा इलेक्ट्रॉनरागी होगा?
उत्तर:
(i) प्रोपेनल इलेक्ट्रॉनरागी के रूप में तथा ब्यूटेनल नाभिकरागी के रूप में,
(ii) प्रोपेनल इलेक्ट्रॉनरागी तथा नाभिकरागी दोनों के रूप में,
(iii) प्रोपेनेल नाभिकरागी के रूप में तथा ब्यूटेनैल इलेक्ट्रॉरागी के रूप में,
(iv) ब्यूटेनल नाभिकरागी तथा इलेक्ट्रॉनरागी दोनों के रूप में,
प्रश्न 10.
एक कार्बनिक यौगिक जिसका अणुसूत्र C9H100 है, 2, 4-DNP व्युत्पन्न बनाता है, टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित करता है तथा कैनिजारो अभिक्रिया देता है। प्रबल ऑक्सीकरण पर वह 1, 2बेन्जीन डाइकार्बोक्सिलिक अम्ल बनाता है। यौगिक को पहचानिए।
उत्तर:
(i) दिया गया है कि कार्बनिक यौगिक जिसका अणुसूत्र C9H10Oहै तथा 2,4-DNP व्युत्पन्न बनाता है, और टॉलेन अभिकर्मक को अपचवित करता है, अत: यह ऐल्डिहाइड होना चाहिए।
(ii) चकि यह कैनिजारो अभिक्रिया देता है, अत: -CHO समूह सीधे बेन्जीन वलय से जुड़ा हुआ है।
(iii) प्रबल ऑक्सीकरण पर यह 1,2-बेन्जीन डाइकाबॉक्सिलिक अम्ल देता है, इसलिए यह एक ऑर्थो- प्रतिस्थापी बेन्जैल्डिहाइड होना चाहिए।
अणुसूत्र C9H100 वाला एकमात्र ऑर्थो-प्रतिस्थापी ऐरोमैटिक, आर्थोएथिल बेन्जल्डिहाइड है।
प्रश्न 11.
एक कार्बनिक यौगिक'क'(आण्विक सूत्र, C8H16O2) को तनु सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ जल-अपघटित करने के उपरान्त एक कार्बोक्सिलिक अम्ल 'ख' एवं एक ऐल्कोहॉल 'ग' प्राप्त हुए। 'ग' को क्रोमिक अम्ल के साथ ऑक्सीकृत करने पर 'ख' उत्पन्न होता है। 'ग' निर्जलीकरण पर ब्यूट-1-ईन देता है। अभिक्रियाओं में प्रयुक्त होने वाली सभी रासायनिक समीकरणों को लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 12.
निम्नलिखित यौगिकों को उनसे सम्बन्धित (कोष्ठकों में दिए गए) गुणधर्मों के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
(i) ऐसीटैल्डिहाइड, ऐसीटोन, डाइ-तृतीयक-ब्यूटिलकीटोन, मेथिल तृतीयक ब्यूटिलकीटोन (HCN के प्रति अभिक्रियाशीलता)।
(ii) CH3CH2 CH(Br)COOH, CH3CH(Br)CH2 COOH, (CH3)2 CHCOOH,CH3CH2 CH2 COOH(अम्लता के क्रम में)।
(iii) बेन्जोइक अम्ल; 4-नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल; 3, +डाइनाइट्रोबेन्जोइक अम्ल; 4-मेचॉक्सी बेन्जोइक अम्ल (अम्लता की सामर्थ्य के क्रम में)।
उत्तर:
उपर्युक्त दिया गया क्रम HCN के प्रति अभिक्रियाशीलता का है, क्योंकि HCN के योग की क्रियाशीलता ऐल्किल समूह के + I प्रभाव के बढ़ने के साथ घटती है तथा कार्बोनिल माणु पर CN- की नाभिकरागी अभिक्रिया के प्रति त्रिविम अवरोध बढ़ता है।
क्योंकि + 1 प्रभाव अम्लों की सामर्थ्य घटाता है जबकि -1 प्रभाव अम्लों की सामर्थ्य को बढ़ाता है।
(iii) 4-मेथॉक्सी बेन्जोइक अम्ल र बेन्जोइक अम्ल < 4 नाइट्रो बेन्जोइक अम्ल < 3, 4-डाइनाइट्रोबेन्जोइक अम्ल(अम्लता का क्रम) क्योंकि इलेक्ट्रॉन विमोचक समूह आम्लता की सामर्थ्य को घटा देते हैं, इसलिए बेन्जोइक अम्ल की तुलना में 4-मेथॉक्सी बेन्जोइक अम्ल एक दुर्बल अम्ल है। जबकि इलेक्ट्रॉन प्रत्याहार्य समूह अम्लता की सामर्थ को बढ़ा देते हैं तथा यह प्रभाव समूह की संख्या बढ़ने के साथ बढ़ता है इस कारण 4-नाइट्रो व 3, 4-डाइनाइट्रो बेन्जोइक अम्ल, बेन्जोइक अम्ल से ज्यादा प्रबल अम्लीय हैं।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित यौगिक युगलों में विभेद करने के लिए सरल रासायनिक परीक्षणों को दीजिए।
(i) प्रोपेनल एवं प्रोपेनोन
(ii) ऐसीटोफीनोन एवं बेन्जोफीनोन
(iii) फीनॉल एवं बेन्जोइक अम्ल
(iv) बेन्जोइक अम्ल एवं एथिलबेन्जोएट
(v) पेन्टेन-2-ऑन एवं पेन्टेन-3-ऑन
(vi) बेन्जेल्डिहाइड एवं ऐसीटोफीनोन
(vii) एथेनैल एवं प्रोपेनल।
उत्तर:
(1) प्रोपेनल एवं प्रोपेनोन-इन यौगिकों में विभेद करने के लिए आयोडोफॉर्म परीक्षण का प्रयोग किया जाता है। यह परीक्षण प्रोपेनोन द्वारा दिया जाता है, परन्तु प्रोपेनल द्वारा नहीं। प्रोपेनोन गर्म NaOH/I2 से अभिक्रिया करके CHI3 का पीला अवक्षेप देता है, जबकि प्रोपेनैल नहीं देता।
(ii) ऐसीटोफीनोन एवं बेन्जोफीनोन-ऐसीटोफोनोन आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है, परन्तु बेन्जोफीनोन नहीं देताहै।
(iii) फीनॉल एवं बेन्जोइक अम्ल-बेन्जोइक अम्ल NaHCO3 से अभिक्रिया करके बुदबुदाहट के साथ CO2 गैस देता है, जबकि फौनॉल नहीं देता।
फीनॉल Br2 जल को रंगहीन करके सफेद अवक्षेप देता है, परन्तु बेन्जोइक अम्ल नहीं देता।
(iv) बेन्जोइक अम्ल एवं एथिल बेन्जोएट-बेन्जोइक अम्ल सोडियम बाइकार्बोनेट के साथ अभिक्रिया कर तीव्र बुदबुदाहट के साथ CO2 गैस मुक्त करता है, जबकि एथिल बेन्जोएट ऐसा नहीं करता।
(v) पेन्टेन-2-ऑन एवं पेन्टेन-3-ऑन-पेन्टेन-2-ऑन हैलोफार्म परीक्षण देता है, जबकि पेन्टेन-3-ऑन नहीं देता।
(vi) बेन्जेल्डिहाइड एवं ऐसीटोफीनोन-ऐसीटोफीनोन आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है, परन्तु बेन्जेल्डिहाइड यह परीक्षण नहीं देता।
(vii) एथेनैल एवं प्रोपेनैल-एथेनैल आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है, परन्तु प्रोपेनैल नहीं।
प्रश्न 14.
बेन्जीन से निम्नलिखित यौगिकों का विरचन आप किस प्रकार करेंगे? आप कोई भी अकार्बनिक अभिकर्मक एवं कोई भी कार्बनिक अभिकर्मक, जिसमें एक से अधिक कार्बन न हो, का उपयोग कर सकते हैं।
(i) मेथिल बेन्जोएट
(ii) m - नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल
(iii) p - नाइट्रोबेन्जोइक अम्ल
(iv) फेनिल ऐसीटिक अम्ल
(v) p नाइदो बेन्जैल्डिहाइड
उत्तर:
(i) बेन्जीन से मेथिल बेन्जोएट
(ii) बेन्जीन से m - नाइट्रो बेन्जोइक अम्ल
(iii) बेन्जीन से p - नाइट्रो बेन्जोइक अम्ल
(iv) बेन्जीन से फेनिल ऐसीटिक अम्ल
(v) बेन्जीन से p - नाइट्रो बेन्जैल्डिहाइड
प्रश्न 15.
आप निम्नलिखित रूपान्तरणों को अधिकतम दो चरणों में किस प्रकार से सम्पन्न करेंगे?
(i) प्रोपेनोन से प्रोपीन
(ii) बेन्जोइक अम्ल से बेन्जैल्डिहाइड
(iii) एथेनॉल से 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटेनल
(iv) बेन्जीन से m-नाइट्रोऐसीटोफीनोन
(v) बेन्जैल्डिहाइड से बेन्जोफीनोन
(vi) ब्रोमोबेन्जीन से 1-फेनिलएथेनॉल
(vii) बेन्जैल्डिहाइड से 3-फेनिलप्रोपेन-1-ऑल
(vii) बेन्जैल्डिहाइड से -हाइड्रॉक्सीफेनिलऐसीटिक
(ix) बेन्जोइक अम्ल से M-नाइट्रोबेन्जिल ऐल्कोहॉल।
उत्तर:
(i) प्रोपेनोन से प्रोपीन
(ii) बेन्जोइक अम्ल से बेन्जैल्डिहाइड
(iii) एथेनॉल से 3-हाइड्रॉक्सीब्यूटेनैल
(iv) बेन्जीन से -नाइट्रोऐसीटोफीनोन
(v) बेन्गैल्डिहाइड से बेन्जोफीनोन
(vi) बोमोबेन्जीन से 1 - फेनिल एथेनॉल
(vii) बेन्जल्डिहाइड से 3 - फेनिलप्रोपेन-1-ऑल
(viii) बेन्जैल्डिहाइड से - हाइड्रॉक्सीफेनिलऐसीटिक अम्ल
(ix) बेन्जोइक अम्ल से M - नाइट्रोबेन्जिल ऐल्कोहॉल
प्रश्न 16.
निम्नलिखित पदों (शब्दों) का वर्णन कीजिए।
(i) ऐसीटिलन
(ii) कैनिजारो अभिक्रिया
(iii) क्रॉस ऐल्डोल संघनन
(iv) विकाबाक्सिलन।
उत्तर:
(i) ऐसीटिलन (Acetylation): ऐल्कोहॉलों, फोनॉल व ऐमीनो के द्वारा एक सक्रिय हाइड्रोजन का ऐसिल (-COR) समूह द्वारा प्रतिस्थापन ऐसीटिलिन कहलाता है। इसमें अभिक्रिया के फलस्वरूप एस्टर या ऐमाइड बनते हैं।
(ii) अन्य अभिक्रियाएँ (Other Reactions):
(i) कैनिजारो अभिक्रिया (Canninaro's Reaetion): ऐल्डिहाइड जिनमें -हाइड्रोजन परमाणु नहीं होते, सान्द्र क्षार की उपस्थिति में स्वऑक्सीकरण व अपचयन (असमानुपातन) की अभिक्रियाएँ प्रदर्शित करते हैं। इस अभिक्रिया के दौरान एक ऐल्डिहाइड का अणु ऐल्कोहॉल में अपवित होता है जबकि दूसरा अणु कार्बोक्सिलिक अम्ल के लवण में ऑक्सीकृत हो जाता है।
बेन्जिल ऐल्कोहॉल सोडियम बेन्जोएट उपर्युक्त अभिक्रिया असमानुपातन अभिक्रिया है क्योंकि यहाँ एक अणु अपचयित जबकि दूसरा अणु आक्सीकृत होता है।
(ii) क्रॉस कैनिजारो अभिक्रिया (Crossed Cannizaro' Reaction): जब ऐसे दो भिन्न-भिन्न ऐल्डिहाइड, जिनमें -हाइड्रोजन नहीं होता है सान्द्र NaOH/KOH से अभिक्रिया करते हैं तो यह अभिक्रिया क्रॉस कैनिजारी अभिक्रिया कहलाती है।
(iii) ऐल्डोल संघनन (AldOl Condensation): जिन ऐल्डिहाइडों व कीटोनों में कम-से-कम एक α - हाइड्रोजन विद्यमान होता है वे तनु क्षार उत्प्रेरक की उपस्थिति में अभिक्रिया द्वारा क्रमशः β - हाइड्रॉक्सी ऐल्डिहाइड (ऐल्डोल) अथवा β - हाइड्रॉक्सी कीटोन (कीटोल) प्रदान करते हैं। यह अभिक्रिया ऐल्डोल संघनन अभिक्रिया कहलाती है।
अर्थात् ऐसे ऐल्डिहाइड व कीटोन जिनमें α - हाइड्रोजन उपस्थित होते हैं, ऐल्डोल संघनन अभिक्रिया प्रदर्शित करते हैं। ऐसे ऐल्डिहाइड जिनमें α - हाइड्रोजन नहीं होता है, ऐल्डोल संघनन प्रदर्शित नहीं करते हैं। उदाहरण:
C6H5CHO, HCHO आदि।
(iv) विकार्बोक्सिलन (Decarboxylation): कार्बोक्सिलिक अम्लों के सोडियम लवणों को सोडालाइम के साथ गर्म करने पर CO2 निकल जाती है एवं हाइड्रोकार्बन प्राप्त होते हैं। यह अभिक्रिया विकार्बोक्सिलन कहलाती है।
प्रश्न 17.
निम्नलिखित प्रत्येक संश्लेषण में छूटे हुए प्रारम्भिक पदार्थ, अभिकर्मक अथवा उत्पादों को लिखकर पूर्ण कीजिए
उत्तर:
(iii) H2NNHCONH2 का अधिक नाभिकरागी NH2NH भाग अभिक्रिया करके सेमीकार्बेजोन बनाता है।
(v) केवल ऐल्डिहाइड ही टॉलेन अभिकर्मक द्वारा ऑक्सीकृत होते हैं।
(vi) सायनोहाइड्रिन निर्माण ऐल्डिहाइड समूह पर होता है।
प्रश्न 18.
निम्नलिखित के सम्भावित कारण दीजिए।
(i) साइक्लोहेक्सेनोन अच्छी लब्धि में सायनोहाइडिन बनाता है, परन्तु 2,2,6-ट्राइमेथिलसाइक्लोहेक्सेनोन ऐसा नहीं करता।
(ii) सेमीकाबेंजाइड में दो -NH2 समूह होते हैं, परन्तु केवल एक -NH2 समूह ही सेमीकाबेंजोन विरचन में प्रयुक्त होता है।
(iii) काबॉक्सिलिक अम्ल एवं ऐल्कोहॉल से अम्ल उत्प्रेरक की उपस्थिति में एस्टर के विरचन के समय जल अथवा एस्टर जैसे ही निर्मित होता है, उसको निकाल दिया जाना चाहिए।
उत्तर:
(i) साइक्लोहेक्सेनोन अच्छी लब्धि में सायनोहाइड्रिन बनाता है, परन्तु 2, 2, 6-ट्राइमेथिलसाइक्लोहेक्सेनोन ऐसा नहीं करता है, क्योंकि 2, 2,6-ट्राइमेथिल साइक्लोहेक्सेनोन में के सापेक्षत-स्थिति पर तीन मेथिल समूहों की उपस्थिति के कारण CN- की नाभिकरागी अभिक्रिया त्रिविम अवरोध के कारण नहीं हो पाती है जबकि साइक्लोहेक्सेनोन में यह त्रिविम अवरोध नहीं होता है।
(ii) यद्यपि सेमीकार्बेजाइड में दो -NH2 समूह होते हैं, परन्तु इनमें से एक अनुनाद में सम्मिलित होता है। इसका कारण सेमीकार्बेजाइड में अनुनाद की उपस्थिति है।
चूँकि अनुनाद के कारण जिस - NH2 समूह पर इलेक्ट्रॉन घनत्व कम होता है वह नाभिकरागी के रूप में व्यवहार नहीं करता है। अतः - NH2 से जुड़ा - NH2 समूह अनुनाद में भाग न लेने के कारण नाभिकरागी की तरह कार्य करता है एवं ऐल्डिहाइडों व कीटोनों के साथ अभिक्रिया करता है।
(iii) एक अम्ल उत्प्रेरक की उपस्थिति में कार्बोक्सिलिक अम्ल तथा ऐल्कोहॉल से एस्टर का निर्माण एक उत्क्रमणीय अभिक्रिया होती है।
साम्य को अग्रगामी दिशा में स्थानान्तरित करने के लिए उत्पाद के रूप में प्राप्त जल या एस्टर को तुरन्त हटा लेना चाहिए।
प्रश्न 19.
एक कार्बनिक यौगिक में 69.77% कार्बन, 11 - 63% हाइड्रोजन तथा शेष ऑक्सीजन है। यौगिक का आण्विक द्रव्यमान 86 है। यह टॉलेन अभिकर्मक को अपचयित नहीं करता, परन्तु सोडियम हाइड्रोजन सल्फाइट के साथ योगज यौगिक देता है तथा आयोडोफॉर्म परीक्षण देता है। प्रबल ऑक्सीकरण पर ऐथेनोइक तथा प्रोपेनोइक अम्ल देता है। यौगिक की सम्भावित संरचना लिखिए।
उत्तर:
(क) यौगिक का अणुसूत्र ज्ञात करना
दिये गये यौगिक का मूलानुपाती सूत्र = C5H10O
मूलानुपाती सूत्र द्रव्यमान = 12 x 5 + 1 x 10 + 16
= 60 + 10 + 16
= 86
दिया गया आण्विक द्रव्यमान = 86
अणुसूत्र = C5H10O x 88 - C5H10O
(ख) यौगिक की संरचना ज्ञात करना:
प्रश्न 20.
यद्यपि फोनॉक्साइड आयन की अनुनादी संरचनाएँ काबॉक्सिलेट आयन की तुलना में अधिक हैं, परन्तु कार्बोक्सिलिक अम्ल फीनॉल की अपेक्षा प्रबल अम्ल है, क्यों?
उत्तर:
कार्बोक्सिलेट आयन में ऋणावेश दो ऑक्सीजन परमाणुओं पर विस्थापित होता है जबकि फौनॉक्साइड आयन में प्राणावेश एक ऑक्सीजन परमाणु पर ही विस्थानित होता है, इसलिए फोनॉक्साइड आयन की तुलना में कार्बोक्सिलेट आयन अधिक स्थायी होता है। फलस्वरूप कार्बोक्सिलिक अम्ल फीनॉल की तुलना में प्रबल अम्ल होते है।