Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Chemistry Chapter 10 हैलोऐल्केन तथा हैलोऐरीन Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
निम्नलिखित यौगिकों की संरचनाएँ लिखिए:
(i) 2 - क्लोरो - 3 - मेथिलपेन्टेन
(ii) 1 - क्लोरो - 4 - एथिलसाइक्लोहेक्सेन
(iii) 4 - तृतीयक - ब्यूटिल - 3 - आयोडोहेप्टेन
(iv) 1, 4 - डाइलोमोब्यूट - 2 - ईन
(v) 1 ब्रोमो - 4 - द्वितीयक - ब्यूटिल - 2 - मेथिलबेन्जीन
उत्तर:
(i) CH3 CH2 CH(CH3) CH(Cl) CH3
प्रश्न 2.
ऐल्कोहॉल तथा KI की अभिक्रिया में सल्फ्यूरिक अम्ल का उपयोग क्यों नहीं करते?
उत्तर:
H2SO4 एक प्रबल ऑक्सीकारक है। यह अभिक्रिया के दौरान HI को I2 में ऑक्सीकृत कर देता है।
KI + H2SO4 → KHSO4 + HI
2HI + H2SO4 → 2H2O + I2 + SO2
अत: HI को I2 में ऑक्सीकृत होने से रोकने के लिए ऐल्कोहॉल तथा KI की अभिक्रिया में H2SO4 के स्थान पर H3PO4 का प्रयोग करते हैं।
प्रश्न 3.
प्रोपेन के विभिन्न डाइहैलोजन व्युत्पन्नों की संरचना लिखिए।
उत्तर:
प्रोपेन के विभिन्न डाइहैलोजन व्युत्पन्न:
प्रश्न 4.
C5H12 अणुसूत्र वाले समावयवी ऐल्केनों में से उसको पहचानिए जो प्रकाश-रासायनिक क्लोरीनन पर देता है
(i) केवल एक मोनोक्लोराइड,
(ii) तीन समावयवी मोनोक्लोराइड,
(iii) चार समावयवी मोनोक्लोराइड।
उत्तर:
चूँकि यहाँ सभी हाइड्रोजन परमाणु समतुल्य हैं, अतः किसी भी हाइड्रोजन परमाणु के प्रतिस्थापन पर समान उत्पाद (केवल एक मोनोक्लोराइड) बनेगा।
पेन्टेन उपर्युक्त यौगिक में समतुल्य हाइड्रोजन रखने वाले कार्बन परमाणुओं को a, b, c से निर्देशित किया गया है। समतुल्य हाइड्रोजनों के प्रतिस्थापन पर समान उत्पाद (तीन समावयवी मोनोक्लोराइड) बनेंगे।
यहाँ पर समतुल्य हाइड्रोजन परमाणुओं को रखने वाले कार्बन परमाणु को abc तथा से निर्देशित किया गया है। अतः यहाँ पर चार समावयवी उत्पाद सम्भव है।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित प्रत्येक अभिक्रिया के मुख्य मोनोहलो उत्पाद की संरचना बनाइए।
उत्तर:
केवल ऐल्कोहॉलीय -OH समूह HCl के साथ गर्म करने पर Cl से प्रतिस्थापित हो जाते हैं, परन्तु फोनॉलिक –OH समूह ऐसा नहीं करते है।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित यौगिकों को क्वथनांकों के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
(i) ब्रोमोमेथेन, प्रोमोफॉर्म, क्लोरोमेथेन, डाइब्रोमोमेथेन।
(ii) 1-क्लोरोप्रोपेन, आइसोप्रोपिल क्लोराइड, 1-क्लोरोब्यूटेन।
उत्तर:
प्रश्न 7.
निम्नलिखित युगलों में से आप कौन-से ऐल्किल हैलाइड द्वारा .2 क्रियाविधि से अधिक तीव्रता से अभिक्रिया करने की अपेक्षा करते हैं? अपने उत्तर को समझाइए।
उत्तर:
प्रश्न 8.
हैलोजन यौगिकों के निम्नलिखित बुगलों में से कौन-सा अधिक तीव्रता से 5.1 अभिक्रिया करेगा?
उत्तर:
(i) तीव्रता से 51 अभिक्रिया करेगा। यह एक तृतीयक हैलाइड है और तृतीयक हैलाइड के द्वारा बने तृतीयक कार्बो कैटाबन का स्थायित्व भी अधिक होगा। अतः इसकी अभिक्रियाशीलता द्वितीयक हैलाइड से अधिक होगी।
(ii) अधिक तीव्रता में SN1 अभिक्रिया करेगा, क्योंकि प्राथमिक हैलाइड को तुलना में द्वितीयक कार्बोकेटायन का स्थायित्व अधिक होगा।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित में A, B, C, D, E, R तथा R1 को पहचानिए:
उत्तर:
चूँकि D उसी कार्बन परमाणु से जुड़ा है, जिस पर MgX उपस्थित था अत:
प्रश्न 1.
निम्नलिखित हैलाइडों के नाम आईयूपीएसी (IUPAC) पद्धति से लिखिए तथा उनका वर्गीकरण ऐल्किल, ऐलिलिक बेन्जिलिक (प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक), वाइनिल अथवा ऐरिल हैलाइड के रूप में कीजिए
(i) (CH3)2CHCH(CI)CH3
(ii) CH3 CH2CH(CH3) CH(C2H5)
(iii) CH3CH2C(CH3)2CH2I
(iv) (CH3)2 CCH2 CH(Br)C6H5
(v) CH3CH(CH3)CH(Br)CH3
(vi) CH3C(C2H5)2 CH2 Br
(vii) CH3 C(Cl)(C2H5)CH2CH3
(viii)
(ix)
(x) P-CIC6H4CH2 CH(CH3)2
(xi) m-ClCH2 C6H4CH2C(CH3)3
(xii) o -Br-C6H6 CH(CH3) CH2 CH3
उत्तर:
प्रश्न 2.
निम्नलिखित यौगिकों के IUPAC नाम दीजिए:
(i) CH3 CH(Cl)CH(Br)CH3
(ii) CHF2CBrCIF
(iii)
(iv) (CCl3)3 CCl3
(v) CH3 C(p-ClC6H4)2 CH(Br) CH3
(vi)
उत्तर:
प्रश्न 3.
निम्नलिखित कार्बनिक हैलोजन यौगिकों की संरचना दीजिए:
1. 2 - क्लोरो - 3 - मेथिलपेन्टेन
2. p ब्रोमोक्लोरो बेन्जीन
3. 1 - क्लोरो - 4 - एथिलसाइक्लोहेक्सेन
4. 2 - (2 - क्लोरोफेनिल) - 1 - आयोडोऑक्टेन
5. परफ्लुओरोबेन्जीन
6. 4 - तृतीयक - ब्यूटिल - 3 - आयोडोहेप्टेन
7. 1 - खोमो - 4 - द्वितीयक - ब्यूटिल - 2 - मेश्चिल बेन्जीन
8. 1, 4 - डाइब्रोमोब्यूट - 2 - ईन।
उत्तर:
1. 2 क्लोरो - 3 मेथिल पेन्टेन
2. p - ब्रोमोक्लोरो बेन्जीन
3. 1 - क्लोरो - 4 - एथिल साइक्लोहेक्सेन
4. 2 - ( 2 - क्लोरोफेनिल) - 1 - आयोडो ऑक्टेन
5. परफ्लुओरो बेन्जीन
6. 4 - तृतीयक - ब्यूटिल - 3 - आयोडो हेप्टेन
7. 1 - बोमो - 4 - द्वितीयक ब्यूटिल - 2 - मेथिल बेन्जीन
8. 1, 4 डाइब्रोमो ब्यूट-2-ईन
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किसका द्विधूव आघूर्ण सर्वाधिक होगा?
(i) CH2Cl2
(ii) CHCl3
(iii) CCl4
उत्तर:
प्रश्न में दिये गये तीनों यौगिकों को त्रिविम संरचनाएँ तथा प्रत्येक आबन्ध में द्विध्रुव आयूर्ण की दिशा निम्न प्रकार से है:
उपर्युक्त दिये गये चित्रों से स्पष्ट है कि CCl4 में द्विध्रुव आघूर्ण का मान शून्य है, क्योंकि वह सममिताकार है।
CHCl3 में दो C - Cl द्विधुवों का परिणाम C - H तथा C - Cl आबन्ध के परिणामी) द्विधुव आपूर्णों से निरस्त नहीं होता, क्योंकि दो C - Cl आवन्धों के द्विधुव आपूर्ण का परिणाम-म तथा C - Cl आबन्ध के द्विध्रुव आपूर्ण के परिणाम से अधिक होता है। अत: CHCI3 में एक निश्चित द्विध्रुव आघूर्ण होगा। CH2Cl2 में दो C - Cl आबन्धों का द्विध्रुव आघूर्गों का परिणाम दो CH आबन्धों के द्विध्रुव आपूर्णों के परिणाम से प्रतिबलित (reinforced) होता है। अत: CH2Cl का द्विध्रुव आघूर्ण CHCl3 से अधिक होता है।
अतः तीनों यौगिकों में द्विध्रुव आघूर्गों का क्रम निम्न प्रकार है
CH2Cl2 > CHCl3 > CCl4
प्रश्न 5.
एक हाइड्रोकार्बन C5H10 अंधेरे में क्लोरीन के साथ अभिक्रिया नहीं करता, परन्तु सूर्य के तीन प्रकाश में केवल एक मोनोक्लोरो बौगिक C5H9Cl देता है।
उत्तर:
प्रश्न 6.
C4H9Br सूत्र वाले यौगिक के सभी समावयवी लिखिए।
उत्तर:
C4H9Br का सामान्य सूत्र Cn H2n + 1 X है, अत: यह संतृप्त ऐल्किल हैलाइड है।
इसके निम्न समावयव होंगे:
अतः कुल चार समावयवी प्राप्त होंगे।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित से 1 - आयोडोब्यूटेन प्राप्त करने का समीकरणदें:
(i) 1 - ब्यूटेनॉल,
(ii) 1 - क्लोरोब्यूटेन,
(iii) ब्यूट-1-इन।
उत्तर:
प्रश्न 8.
उभयदन्ती नाभिकरागी क्या होते हैं? एक उदाहरण की सहायता से समझाइए।
उत्तर:
उभयदन्ती नाभिकरागी (Amphidentate nucleophile): वे नाभिकरागी जो दो विभिन्न स्थानों से भिन्न-भिन्न परमाणुओं द्वारा अभिक्रिया कर सकते हैं, उभयदन्ती नाभिकरागी कहलाते हैं।
उदाहरण: सायनाइड आयन। यह दो अनुनादी संरचनाओं का संकर होता थाहरण-सायनाइड उभयदन्ती नायिकामा
यदि यह कार्बन की ओर से अभिक्रिया करता है तो सायनाइड बनाता है और यदि Nकी ओर से अभिक्रिया करता है तो आइसोसायनाइड बनाता है।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित प्रत्येक युगलों में से कौन यौगिक OH- के साथ SN2 अभिक्रिया में अधिक तीव्रता से अभिक्रिया करेगा?
1. CH3Br अथवाI CH3I,
2. (CH3)3 CCl अथवा CH3Cl
उत्तर:
प्रश्न 10.
निम्नलिखित हैलाइडों के एथेनॉल में सोडियम हाइड्रॉक्साइड द्वारा विहाइड्रोहैलोजनन के फलस्वरूप बनने वाली सभी ऐल्कीनों की संरचना लिखिए। इनमें से मुख्य ऐल्कीन कौन-सी होगी?
1. 1 - नोमो - 1 - मेथिल साइक्लोहेक्सेन
2. 2 - क्लोरो - 2 - मेथिलब्यूटेन
3. 2, 2, 3 - दाइमेथिल - 3 - बोमोपेन्टेन।
उत्तर:
जेटसेफ या सेल्जेफ के नियमानुसार वह ऐल्कीन जिसमें दिक्आबन्धी कार्बन परमाणुओं पर ऐल्किल समूहों की संख्या अधिक होती है हमें मुख्य उत्पाद के रूप में प्राप्त होती है। अत: उपर्युक्त में से 1-मेथिल साइक्लोहेक्सीन मुख्य उत्पाद के रूप में प्राप्त होगी।
सेटजेफ (Saytueff) के नियमानुसार 3, 4, 4 - ट्राइमेथिल पेन्ट-2-ईन मुख्य उत्पाद है।
प्रश्न 11.
निम्नलिखित परिवर्तन आप कैसे करेंगे?
(i) एथेनॉल से ब्यूट-1-आइन
(ii) एथीन से ब्रोमोएवेन
(iii) प्रोपीन से 1-नाइदोप्रोपेन
(iv) टॉलईन से बेन्जिल ऐल्कोहॉल
(v) प्रोपीन से प्रोपाइन
(vi) एथेनॉल से एथिल फ्लुओराइड
(vii) ब्रोमोमेथेन से प्रोपेनोन
(viii) ब्यूट-1-ईन से ब्यूट-2-ईन
(ix) 1-क्लोरोब्यूटेन से -ऑक्टेन
(x) बेन्जीन से बाइफेनिल।
उत्तर:
प्रश्न 12.
समझाइए, क्यों:
(i) क्लोरोबेन्जीन का द्विध्रुव आघूर्ण साइक्लोहेक्सिल क्लोराइड है की तुलना में कम होता है?
(ii) ऐस्किल हैलाइड धुवीय होते हुए भी जल में अमिश्रणीय हैं।
(iii) ग्रीन्यार अभिकर्मक का विरचन निर्जल अवस्थाओं में करना चाहिए।
उत्तर:
क्लोराइड क्लोरोबेन्जीन में, sp2 - संकरित कार्बन, :-गुण अधिक होने के कारण, संकरित कार्बन से अधिक विद्युत- ऋणात्मक होता है। अतः क्लोरोबेन्जीन में,C - Cl आबन्ध के संकरित कार्बन में, साइक्लोहेक्सिल क्लोराइड के sp3 संकरित कार्बन से, Cl पर इलेक्ट्रॉन विमोचित करने की प्रवृत्ति कम होती है। अत: क्लोरोबेन्जीन में C - Cl आबन्ध कम ध्रुवीय होता है जिससे इसके द्विध्रुव आघूर्ण का मान साइक्लोहेक्सिल क्लोराइड के C-Cl आबन्ध के द्विध्रुव आघूर्ण के मान से कम होता है।
इसके अलावा क्लोरोबेन्जीन में क्लोरीन परमाणु पर ऋणात्मक प्रेरणिक प्रभाव एवं अनुनाद प्रभाव दोनों पाये जाते हैं। यहाँ अनुनाद प्रभाव ऋणात्मक प्रेरणिक प्रभाव की तुलना में अधिक प्रभावी होता है जिस कारण C-Cl आबन्ध का द्विध्रुव आघूर्ण कम हो जाता है।
जबकि साइक्लोहेक्सिल क्लोराइड में केवल ऋणात्मक प्रेरणिक प्रभाव पाया जाता है जो या परमाणु पर ऋणावेश को बढ़ा देता है एवं द्विधुव आपूर्व का मान भी बढ़ जाता है।
(ii) ऐल्किल हैलाइड या हैलोऐल्केन जल में बहुत अल्प विलेय होते हैं। हैलोऐल्केन को जल में घोलने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है जिससे कि हैलोऐल्केन के अणुओं के मध्य उपस्थित आकर्षण को तथा जल के अणुओं के मध्य हाइड्रोजन आबन्ध को तोड़ा जा सके। हैलोऐल्केन तथा जल में अणुओं के मध्य नये आकर्षण बलों के बनने से कम ऊर्जा निर्गमित होती है, क्योंकि ये आकर्षण बल जल में उपस्थित मूल हाइड्रोजन बन्धों जितने प्रवल नहीं होते। परिणामस्वरूप हैलोऐल्केन की जल में विलेयता बहुत कम होती है।
(iii) ग्रीन्यार अभिकर्मक का विरचन निर्जलीय अवस्थाओं में करना चाहिए, क्योंकि ये अत्यधिक क्रियाशील होते हैं जिससे ये उपस्थित थोड़ी सी नमी में भी क्रिया कर जाते हैं।
प्रश्न 13.
फ्रीऑन-12, DDT, कार्बन टेट्राक्लोराइड तथा आयोडोफॉर्म के उपयोग दीजिए।
उत्तर:
1. C - x बन्ध सहसंयोजक बन्ध होता है, परन्तु हैलोजेन परमाणु कार्बन परमाणु की तुलना में अधिक विद्युत-ऋणात्मक होता है अतः ऐल्किल हैलाइड का कार्बन-हैलोजेन आबन्ध धुवित (Polarised) हो जाता है। इससे कार्बन परमाणु पर आंशिक धनावेश तथा हैलोजेन परमाणु पर आंशिक ऋणावेश आ जाता है।
आवर्त सारणी में वर्ग में ऊपर से नीचे की ओर जाने पर हैलोजेन परमाणु का आकार बढ़ता जाता है परन्तु विद्युत प्रणात्मकता कम हो जाती है। चूंकि फ्लुओरीन सबसे छेटे आकार का एवं सबसे अधिक विद्युतऋणात्मक तत्व होता है-इस कारण C - F आबन्ध अन्य C – x आबन्धों की तुलना में सबसे अधिक धुवित होता है। अतः ध्रुवणता का क्रम निम्न प्रकार से है
C-F > C-C > C Br > C-I
(ध्रुवणता का क्रम)
सारणी 10.1 में कुछ विशिष्ट आबन्ध लम्बाइयाँ, आबन्ध वियोजन ऐन्थैल्पी तथा द्विध्रुव आघूर्ण दिये गये हैं।
2 ऐल्कोहॉल से (From Alcohols):
(i) हैलोजन अम्लों के द्वारा (By Halogen Acids): ऐल्कोहॉल को हैलोजन अम्लों के द्वारा आसानी से हैलोऐल्केन में परिवर्तित किया जा सकता है। इस प्रक्रिया की सामान्य अभिक्रिया को निम्न प्रकार लिख सकते हैं
(a) क्लोरोऐल्केन (Chloroalkanes): ऐल्कोहॉल की क्रिया जब ल्यूकास अभिकर्मक (Lucas reagent) अर्थात् निर्जल ZnCl2 तथा सान्द्र HCl के साथ करायी जाती है तो क्लोरोऐल्केन प्राप्त होता है। यह अभिक्रिया ग्रूव प्रक्रम (Groove's process) कहलाती है।
(b) ब्रोमोऐल्केन (Bromoalkanes): ऐल्कोहॉल की अभिक्रिया KBr या NaBr तथा सान्द्र H2SO4 के साथ कराने पर अभिक्रिया के दौरान HBr का निर्माण होता है, जो ऐल्कोहॉल के साथ अभिक्रिया करके ब्रोमोऐल्कन बनाता है।
NaBr + H2SO4 → NaHSO4 + HBr
C2H5OH + HBr → C2H5Br + H2O
ऐल्किल ब्रोमाइड का विरचन ऐल्कोहॉल को 48% HBr के साथ उबालकर भी किया जा सकता है।
(c) आयोडोऐल्केन (lodoalkanes): इसके विरचन के लिए ऐल्कोहॉल को KI तथा 95% H3PO4 (Phosphoric acid) के साथ गरम किया जाता है।
ऐल्कोहॉल को 57% हाइड्रोआयोडिक अम्ल के साथ गर्म करने पर भी आयोडोऐल्केन प्राप्त होता है।
इन अभिक्रियाओं के लिए हैलोजन अम्लों की अभिक्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार है
HI > HBr> HCI
इसका कारण इनकी आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी है। आयोडीन का आकार बड़ा होने के कारण इसकी आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी सबसे कम तथा अभिक्रियाशीलता सबसे अधिक होती है जबकि HCl की आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी अधिक होने के कारण इसकी अभिक्रियाशीलता कम होती है।
इन अभिक्रियाओं के लिए ऐल्कोहॉलों की अभिक्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार है:
तृतीयक > द्वितीयक > प्राथमिक
इसका कारण +I प्रभाव (धनात्मक प्रेरणिक प्रभाव) है।
(ii) फॉस्फोरस हैलाइडों से अभिक्रिया द्वारा (By the reaction with Phosphorous Halides): फॉस्फोरस हैलाइड (pCl3 तथा PCl5), ऐल्कोहॉलों को ऐल्किल क्लोराइड में परिवर्तित कर देते हैं। ब्रोमाइड तथा आयोडाइड प्राप्त करने के लिए Br2 > या I2 की लाल फॉस्फोरस की उपस्थिति में क्रिया कराते हैं, क्योंकि PBr3 तथा PI3 अस्थायी यौगिक हैं।
(iii) डार्जेन अभिक्रिया (Darzen's reaction): ऐल्कोहॉलों को पिरीडीन की सूक्ष्म मात्रा की उपस्थिति में थायोनिल क्लोराइड के साथ आसवित करने पर ऐस्किल क्लोराइड बनते हैं। यह अभिक्रिया अन्य की अपेक्षा अधिक उत्तम है, क्योंकि यहाँ शेष दोनों उत्पाद आसानी से निकल सकने वाली गैसें हैं अत: इस अभिक्रिया से शुद्ध ऐल्किल क्लोराइड प्राप्त होता है।
प्रश्न 14.
निम्नलिखित प्रत्येक अभिक्रिया में बनने वाले मुख्य कार्बनिक उत्पाद की संरचना लिखिए:
उत्तर:
प्रश्न 15.
निम्नलिखित अभिक्रिया की क्रियाविधि लिखिए:
उत्तर:
यह एक नाभिकरागी प्रतिस्थापन अभिक्रिया है। चूंकि यहाँ पर प्राथमिक या 1° ऐल्किल हैलाइड उपस्थित है, अतः प्रबल नाभिकरागी CN- आयन SN- क्रिया विधि के द्वारा अभिक्रिया करेगा। यह अभिक्रिया निम्न प्रकार सम्पन्न होगी:
पद - 1:
KCN → K+ + CN-
CN- की दो अनुनादी संरचनाएँ होती हैं, जो कि निम्न प्रकार से हैं
अर्थात् CN- आयन एक उभयदन्ती नाभिकरागी है।
पद 2:
CN- आवन n - BuBr में C या Nसे C - Br आबन्ध के कार्बन परमाणु पर आक्रमण कर सकता है। चूंकि C- C आबन्ध C - N आवन्ध से प्रबल होता है, अत: आक्रमण कार्बन पर होता है तथा n - BuCN बनता है। अभिक्रिया निम्न प्रकार सम्पन्न होती है
पद 3. K+ + Br- → KBr (नोट-यहाँ Bu ब्यूटिल को प्रदर्शित करता है।)
प्रश्न 16.
SN2 प्रतिस्थापन के प्रति अभिक्रियाशीलता के आधार पर इन यौगिकों के समूहों को क्रमबद्ध कीजिए:
(i) 2 - बोमो - 2 - मेथिल ब्यूटेन, 1 - ब्रोमोपेन्टेन, 2 - बोमो पेन्टेन
(ii) 1 - बोमो - 3 - मेथिल ब्यूटेन, 2 - बोमो - 2 - मेथिल ब्यूटेन, 3 - ब्रोमो - 2 - मेथिल ब्यूटेन
(iii) 1 - खोमो ब्यूटेन, 1 - बोमो - 2, 2 - डाइमेथिल प्रोपेन, 1 - ब्रोमो - 2 - मेथिल ब्यूटेन, 1 - ब्रोमो - 3 - मेथिल ब्यूटेन।
उत्तर:
SN2 अभिक्रियाओं में क्रियाशीलता त्रिविम अवरोध पर निर्भर करती है। यदि अवरोध ज्यादा है तो अभिक्रिया मन्द गति से होगी। इस कारण SN2 अभिक्रिया में अभिक्रियाशीलता का क्रम निम्न प्रकार होगा
3° < 2° < 1°
अतः दिये गये ऐल्किल ब्रोमाइडों में अभिक्रियाशीलता का क्रम होगा:
1-ब्रोमोपेन्टेन > 2-अमोपेन्टेन > 2-बोमो-2-मेथिल पेन्टेन
जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है कि त्रिविम प्रभाव के कारण SN2 में क्रियाशीलता का क्रम है
1° > 2° > 3°
अत: दिये गये ऐल्किल हैलाइडों में अभिक्रियाशीलता का क्रम
1-ब्रोमो-3-मेथिल ब्यूटेन > 3-ब्रोमो-2-मेथिल ब्यूटेन > 2-ब्रोमो-2-मेथिल ब्यूटेन
(1° तथा एक-मेथिल समूह अर्थात् श्रृंखला उपस्थित) कि 1 ऐल्किल हैलाइड में त्रिविम अवरोध निम्न प्रकार होता है n - ऐल्किल हैलाइड-स्थिति पर एक प्रतिस्थापी < B - स्थिति पर एक प्रतिस्थापी < B - स्थिति पर दो प्रतिस्थापी (त्रिविम अवरोध का क्रम)
अतः दिये गये ऐल्किल हैलाइडों में क्रियाशीलता का क्रम है:
1 - बोमोब्यूटेन > 1 - बोमो - 3 - मेथिल ब्यूटेन > 1- ब्रोमो - 2 - मेथिल ब्यूटेन > 1 - ब्रोमो - 2, 2 - डाइमेपिल प्रोपेन
प्रश्न 17.
C6H5CH2Cl तथा C6H5CHClC6H5 में से कौन-सा यौगिक जलीय KOH से शीघ्रता से जल अपघटित होगा?
उत्तर:
यहाँ पर C6H5CH2Cl एक 1° ऐल्किल ऐरिल हैलाइड है जबकि C6H5CHClC6H5 2° ऐल्किल ऐरिल हैलाइड है। SN1 अभिक्रिया में क्रियाशीलता का क्रम कार्बोकेटायनों के स्थायित्व पर निर्भर करता है। हम जानते हैं कि 2° कार्बोकेटायन, 1° कार्बोकेटायन की तुलना में अधिक स्थायी होता है अतः C6H5CHClC6H5 से व्युत्पन्न कार्यो केटायन C6H5CHClC6H5 C6H5CH2Cl से व्युत्पन्न कार्बोकेटायन C6H5CH2+ की तुलना में अधिक स्थायी है।
अत: C6H5CHClC6H5 SN 1 परिस्थितियों के अन्तर्गत C6H5CH2Cl की तुलना में सरलता से जल-अपघटित होता है। यद्यपि SN2 परिस्थितियों के अन्तर्गत अभिक्रियाशीलता प्रिविम अवरोध पर निर्भर करती है। इसलिए SN1 परिस्थितियों में C6H5CH2Cl का जल-अपघटन C6H5CHClC6H5 से अधिक सरलता से हो जाता है।
प्रश्न 18.
σ - तथा m - समावबवियों की तुलना में-डाइक्लोरो बेन्जीन का गलनांक एवं विलेयता उच्च होती है, विवेचना कीजिए।
उत्तर:
पैरा-समावयवी ऑर्थो- तथा मेटा-समावयवी की तुलना में अधिक सममिताकार होने के कारण क्रिस्टल जालक में भलीभाँति स्थित हो जाता है इसलिए पैरा-समावयवियों में प्रबल अन्तराअणुक आकर्षण बल उपस्थित होते हैं। चूँकि विलायकीकरण (solvation) के दौरान क्रिस्टल जालक टूटता है, इसलिए p - समावयवी को संगलन के लिए अधिक ऊष्मा की आवश्यकता होती है। इस कारण p - समाववियों का गलनांक तथा विलेयता सम्बन्धित ऑर्थो-तथा मेटा-समावयवियों की तुलना में उच्च होती है।
प्रश्न 19.
निम्नलिखित परिवर्तन कैसे सम्पन्न किये जा सकते हैं:
(1) प्रोपीन से प्रोपेन - 1 - ऑल
(2) एथेनॉल से ब्यूट - 1 - आइन
(3) 1 - ब्रोमोप्रोपेन से 2 - ब्रोमोप्रोपेन
(4) टॉलुईन से बेन्जिल ऐल्कोहॉल
(5) बेन्जीन से 4-ब्रोमोनाइट्रोबेन्जीन
(6) बेन्जिल ऐल्कोहॉल से 2-फेनिल एथेनोइक अम्ल
(7) एथेनोंल से प्रोपेन नाइटाइल
(8) ऐनिलीन से क्लोरोबेन्जीन
(9) 2-क्लोरोब्यूटेन से 3, 4 - डाइमेधिल हेक्सेन
(10) 2-मेथिल-1-प्रोपीन से 2-क्लोरो-2-मेथिल
(11) एथिल क्लोराइड से प्रोपेनोइक अम्ल
(12) ब्यूट-1-ईन से -ब्यूटिल आयोडाइड
(13) 2-क्लोरोप्रोपेन से 1-प्रोपेनॉल
(14) आइसोप्रोपिल ऐल्कोहॉल से आयोडोफॉर्म
(15) क्लोरोबेन्जीन से p-नाइट्रोफीनाल
(16) 2-ब्रोमोप्रोपेन से 1-स्रोमोप्रोपेन
(17) क्लोरोएधेन से ब्यूटेन
(18) बेन्जीन से डाइफेनिल
(19) तृतीयक ब्यूटिल ब्रोमाइड से आइसो व्यूटिल खोमाइड
(20) ऐनिलीन से फेनिलआइसोसायनाइड।
उत्तर:
(1) प्रोपीन से प्रोपेन-1-ऑल:
(2) एथेनॉल से ब्यूट-1-आइन:
(3) 1 - ब्रोमोनोपेन से 2 - ब्रोमोप्रोपेन
(4) टॉलुईन से बेन्जिल ऐल्कोहॉल
(5) क्लोरोबेन्जीन से पैरा-नाइट्रोफीनॉल
(6) 2 - बोमोप्रोपेन से 1 - ब्रोमोनोपेन:
(7) क्लोरोएथेन से ब्यूटेन
(8) बेन्जीन से डाइफेनिल
(9) तृतीयक ब्यूटिल ब्रोमाइड से आइसोल्यूटिल स्रोमाइड
(10) 2-मेथिल-1-प्रोपीन से 2-क्लोरो-2-मेथिल
(11) एथिल क्लोराइड से प्रोपेनोइक अम्ल
(12) ब्यूट-1-ईन से -ब्यूटिल आयोडाइड
(13) 2-क्लोरोप्रोपेन से 1-प्रोपेनॉल
(14) आइसोप्रोपिल ऐल्कोहॉल से आयोडोफॉर्म
(15) क्लोरोबेन्जीन से p-नाइट्रोफीनाल
(16) 2-ब्रोमोप्रोपेन से 1-स्रोमोप्रोपेन
(17) क्लोरोएधेन से ब्यूटेन
(18) बेन्जीन से डाइफेनिल
(19) तृतीयक ब्यूटिल ब्रोमाइड से आइसो व्यूटिल खोमाइड
(20) ऐनिलीन से फेनिलआइसोसायनाइड।
प्रश्न 20.
ऐल्किल क्लोराइड की जलीय KOH से अभिक्रिया द्वारा ऐल्कोहॉल बनता है, लेकिन ऐल्कोहॉलिक KOH की उपस्थिति में ऐल्कीन मुख्य उत्पाद के रूप में प्राप्त होती है। समझाइए।
उत्तर:
जलीय विलयन में KOH लगभग पूर्ण आयनित होकर OH- आयन देता है जो प्रबल नाभिकरागी होने के कारण ऐल्किल हैलाइडों पर प्रतिस्थापन अभिक्रिया करके ऐल्कोहॉल बनाते हैं। जलीय विलयन में OF- आयन उच्च जलयोजित होते हैं। इससे OH- आयनों का क्षारीय गुण घट जाता है जिससे ये ऐल्किल हैलाइड के β - कार्बन से हाइड्रोजन परमाणु पृथक्कृत करने में असफल हो जाते हैं तथा ऐल्कीन नहीं बना पाते। दूसरी ओर KOH के ऐल्कोहॉली विलयन में ऐल्कॉक्साइड (RO-) आयन होते हैं जो OH- से प्रबल क्षार होने के कारण सरलतापूर्वक ऐल्किल क्लोराइड से HCl अणु का विलोपन करके ऐल्कीन बना लेते हैं।
प्रश्न 21.
प्राथमिक ऐल्किल हैलाइड C4H9Br क', ऐल्कोहॉलिक KOH में अभिक्रिया द्वारा यौगिक 'ख' देता है। यौगिक 'ख' HBr के साथ अभिक्रिया से यौगिक 'ग' देता है जो कि यौगिक 'क' का समावयवी है। जब यौगिक 'क' की अभिक्रिया सोडियम धातु से होती है तो यौगिक 'घ' C8H18 बनता है, जो कि ब्यूटिल ब्रोमाइड की सोडियम से अभिक्रिया द्वारा बने उत्पाद से भिन्न है। यौगिक 'क' का संरचना सूत्र दीजिए तथा सभी अभिक्रियाओं की समीकरण दीजिए।
उत्तर:
(i) आण्विक सूत्र C4H9Br के दो प्राथमिक हैलाइड हो सकते हैं।
अतः यौगिक (क) या तो n - ब्यूटिल ब्रोमाइड है या फिर आइसोब्यूटिल ब्रोमाइड।
(ii) चूँकि यौगिक (क) सोडियम धातु से क्रिया कर यौगिक (घ) (आण्विक सूत्र C8 H18) बनाता है जो n - ब्यूटिल ब्रोमाइड की अभिक्रिया सोडियम धातु से होने पर प्राप्त यौगिक से भिन्न है। अत: यौगिक (क) आइसोब्यूटिल क्लोराइड है n - ब्यूटिल क्लोराइड नहीं।
(iii) यदि यौगिक (क) आइसोब्यूटिल ब्रोमाइड है तो ऐल्कोहॉलिक KOH से क्रिया होने पर 2-मेथिल-1-प्रोपीन प्राप्त होना चाहिए जो कि यौगिक (ख) है।
(iv) यौगिक (ख) HBF से क्रिया करके मार्कोनीकॉफ नियमानुसार यौगिक (ग) बनाता है जो कि तृतीयक ब्यूटिल ब्रोमाइड है व आइसोब्यूटिल ब्रोमाइड का समावयव है।
अतः (क) = आइसोब्यूटिल प्रोमाइड
(ख) = 2 - मेथिल - 1 - प्रोपीन
(ग) = तृतीयक ब्यूटिल ब्रोमाइड
(घ) - 2, 5 - डाइमेथिल हेक्सेन
प्रश्न 22.
तब क्या होता है जब
(i) ब्यूटिल क्लोराइड को ऐल्कोहॉलिक KOH के साथ अभिकृत किया जाता है?
(ii) शुष्क ईथर की उपस्थिति में ब्रोमोबेन्जीन की अभिक्रिया मैग्नीशियम से होती है?
(ii) क्लोरोबेन्जीन का जल-अपघटन किया जाता है?
(iv) एथिल क्लोराइड की अभिक्रिया जलीय KOH से होती है?
(v) शुष्क ईथर की उपस्थिति में मेचिल ब्रोमाइड की अभिक्रिया सोडियम से होती है?
(vi) मेथिल क्लोराइड की अभिक्रिया KCN से होती है?
उत्तर:
n - ब्यूटिल क्लोराइड जब ऐल्कोहॉलिक KOH के साथ अभिकृत किया जाता है तो ब्यूट-1-ईन प्राप्त होता है। अभिक्रिया विहाइड्रोहैलोजनीकरण प्रदर्शित करती है।
मैग्नीशियम ब्रोमाइड शुष्क ईथर की उपस्थिति में ब्रोमोबेन्जीन की अभिक्रिया मैग्नीशियम के साथ कराने पर फेनिल मैग्नीशियम ब्रोमाइड (ग्रीन्यार अभिकर्मक) प्राप्त होता है।
फोनॉल क्लोरोबेन्जीन का जल-अपघटन उन परिस्थितियों में कराने पर फीनॉल प्राप्त होता है परन्तु साधारण परिस्थितियों में क्लोरोबेन्जीन का जल-अपघटन नहीं होता।
एथिल ऐल्कोहॉल एथिल क्लोराइड का जल-अपघटन जलीय KOH से कराने पर एथिल ऐल्कोहॉल प्राप्त होता है।
शुष्क ईथर की उपस्थिति में मेथिल ब्रोमाइड की अभिक्रिया सोडियम से कराने पर एथेन प्राप्त होता है। यह अभिक्रिया वुज अभिक्रिया कहलाती है।
मेथिल क्लोराइड की क्रिया KCN से कराने पर मेथिल सायनाइड बनता है।