RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 6 नियुक्तिकरण

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 6 नियुक्तिकरण Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 12 Business Studies Solutions Chapter 6 नियुक्तिकरण

RBSE Class 12 Business Studies नियुक्तिकरण Textbook Questions and Answers

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
नियुक्तिकरण का क्या आशय है?
उत्तर:
नियुक्तिकरण एक प्रक्रिया है जो मानवीय तत्त्वों से संबंधित है। यह कार्यबल नियोजन से प्रारंभ होता है एवं संगठन द्वारा नियुक्त किए गए प्रत्येक व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से मान्यता प्रदान करता है, जो कि अंततः कार्य निष्पादित करता है।

प्रश्न 2. 
भर्ती के दो महत्त्वपूर्ण स्रोत बताएँ।
उत्तर:
आंतरिक स्रोत-(1) स्थानांतरण, (2) पदोन्नति
बाह्य स्रोत-(1) प्रत्यक्ष भर्ती, (2) प्रतीक्षा सूची, (3) विज्ञापन, आदि।

प्रश्न 3. 
कारखाने के कर्मचारी नई मशीनों पर काम करने में असमर्थ हैं और हमेशा पर्यवेक्षक की मदद की माँग करते हैं। पर्यवेक्षक बार-बार बुलाए जाने का बोझ अनुभव करता है। उपाय सुझाएँ।
उत्तर:

  • कार्य पर प्रशिक्षण देने के दौरान कर्मचारियों को किसी भी प्रकार की कठिनाई आये तो उसे हर सम्भव दूर करने का प्रयास किया जाना चाहिए।
  • पर्यवेक्षक को अपने कर्मचारियों को छोटे-छोटे समूहों में बांटकर प्रशिक्षण देना चाहिए व कार्य करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

प्रश्न 4. 
उत्पादन की गुणवत्ता मानकों के अनुसार नहीं है। जाँच पर यह देखा गया कि अधिकांश श्रमिक मशीनरी के उचित संचालन से पूरी तरह से अवगत नहीं थे। मानकों को पूरा करने के लिए उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार करने का तरीका क्या हो सकता है?
उत्तर:

  • कर्मचारियों को मशीनों पर कार्य करने के लिए उचित कार्यप्रणाली को बताने के लिए पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षकों की व्यवस्था की जानी चाहिए।
  • कर्मचारियों को मशीनों पर कार्य करने की प्रणाली के संबंध में पर्याप्त प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
  • कारखाने में कार्य करने के उचित वातावरण का निर्माण किया जाना चाहिए।

RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 6 नियुक्तिकरण

प्रश्न 5. 
हाई-टेक मशीनों के ज्ञान की कमी के कारण कारखाने के कर्मचारी निष्क्रिय रहते हैं। इंजीनियर को बार-बार बुलाने की आवश्यकता होती है जो उच्च ओवरहेड शुल्क का कारण बनता है। इस समस्या का हल समझाएँ।
उत्तर:

  • कर्मचारियों को उच्च प्रौद्योगिकी वाली मशीनों का प्रयोग करने के लिए उचित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
  • उच्च प्रौद्योगिकीय मशीनों के इस्तेमाल के लिए उच्च पर्यवेक्षकों द्वारा कर्मचारियों को प्रेरित किया जाना चाहिए।
  • कर्मचारियों के साथ मिलकर कार्य के समय कार्य करना चाहिए और उन्हें उनके द्वारा मशीनों के उपयोग में आने वाली समस्याओं का मौके पर ही समाधान करना चाहिए। 

लघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
भर्ती से क्या आशय है ? यह चयन से अलग कैसे है?
उत्तर:
भर्ती का अर्थ-सम्भावित कर्मचारियों को ढूंढ़ने की प्रक्रिया तथा उन्हें संगठन में पदों के लिए आवेदन देने के लिए प्रेरित करने की क्रिया को भर्ती कहते हैं। अन्य शब्दों में, भर्ती रोजगार के लिए सक्षम व्यक्तियों को तलाशने एवं आकर्षित करने की प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया भर्ती के लिए नये व्यक्तियों की खोज से शुरू होती है एवं उनके द्वारा प्रार्थना-पत्र देने के साथ समाप्त होती है। 

भर्ती तथा चयन में अन्तर-

  • भर्ती एक सकारात्मक प्रक्रिया है, जबकि चयन एक नकारात्मक प्रक्रिया है।
  • भर्ती के अन्तर्गत कर्मचारियों की आवश्यकता का निर्धारण, आवेदन-पत्र प्राप्त करना, साक्षात्कार के लिए बुलाना तथा चयन करना सम्मिलित हैं, जबकि चयन के अन्तर्गत प्रार्थना-पत्र को छाँटना तथा उन्हें अपनी आवश्यकतानुसार छाँटना सम्मिलित है।
  • कर्मचारियों की नियुक्ति से पहले कर्मचारियों की भर्ती की जाती है, जबकि कर्मचारियों के चयन का कार्य कर्मचारियों की भर्ती के बाद किया जाता है।
  • कर्मचारियों की भर्ती में भविष्य के लिए कर्मचारियों की खोज की जाती है तथा उन्हें रिक्त पदों के लिए आवेदन करने के लिए अभिप्रेरित किया जाता है, जबकि चयन में नौकरी के उम्मीदवारों को दो वर्गों में विभाजित किया जाता है, एक वे जिन्हें नौकरी दी जाती है दूसरे वे जिन्हें नौकरी नहीं दी जाती है।

प्रश्न 2. 
एक संगठन सुरक्षा सेवाएँ प्रदान करता है। इसके लिए ऐसे उम्मीदवारों की आवश्यकता होती है जो विश्वसनीय हों और अपने ग्राहकों के भेद का खुलासा न करें। चयन प्रक्रिया में क्या कदम शामिल किए जाने चाहिए?
उत्तर:
एक संगठन में सुरक्षा सेवाएँ प्रदान करने के लिए उम्मीदवारों के चयन के लिए निम्न कदमों को उठाया जाना चाहिए-

  • सर्वप्रथम भर्ती से पूर्व संगठन में भर्ती के लिए उचित विज्ञापन दिया जाना चाहिए। 
  • विज्ञापन में भर्ती के समय प्रार्थियों को पद-विशेष की आवश्यकताओं से अवगत करवाना चाहिए। 
  • कर्मचारियों का चयन करने के लिए जो साक्षात्कार लिया जाये उसमें यह जाँच की जानी चाहिए कि वे संगठन की सूचनाओं को गुप्त रख सकते हैं या नहीं। 
  • प्रार्थियों के द्वारा दिये गये सन्दर्भ-सूत्रों की पर्याप्त जाँच की जानी चाहिए तथा उन सन्दर्भो से प्रार्थियों के बारे में पूर्ण जानकारी प्राप्त की जानी चाहिए। 
  • यह भी पता किया जाना चाहिए कि लिये जाने वाले उम्मीदवार कितने भरोसेमंद हैं।

प्रश्न 3. 
एक कंपनी पेपर प्लेट्स और कटोरे का निर्माण करती है। यह प्रत्येक दिन 1,00,000 प्लेट और कटोरे का उत्पादन करती है। स्थानीय त्योहार के कारण, इसे अतिरिक्त 50,000 प्लेटों और कटोरों का त्वरित आदेश मिला। इन परिस्थितियों में आदेशों को पूरा करने के लिए कंपनी द्वारा अपनायी जाने वाली भर्ती प्रक्रिया विधि की व्याख्या करें।
उत्तर:
दिए गए परिदृश्य में, कंपनी को श्रम ठेकेदारों से संपर्क करना चाहिए। इसका कारण यह है कि पेपर प्लेटों और कटोरे के उत्पादन के लिए कम कुशल श्रमिकों या मजदूरों की आवश्यकता होती है, जिन्हें श्रम ठेकेदारों द्वारा पूरा किया जा सकता है। श्रमिक ठेकेदार, मजदूरों और अन्य श्रमिकों के साथ घनिष्ठ संपर्क बनाए रखते हैं और कम संख्या में श्रमिकों को कम सूचना पर उपलब्ध कराते हैं।

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प्रश्न 4. 
प्रशिक्षण और विकास के बीच अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
प्रशिक्षण तथा विकास में अन्तर

  • अर्थ-प्रशिक्षण का अर्थ कर्मचारियों को किसी विशेष कार्य में निपुण बनाना है, जबकि विकास का अर्थ कर्मचारियों को सभी कार्यों में निपुण बनाना है।
  • सीखने का क्षेत्र-प्रशिक्षण में सीखने का क्षेत्र कम है, जबकि विकास में सीखने का क्षेत्र अधिक होता है।
  • आवश्यकता-प्रशिक्षण की आवश्यकता प्रायः श्रमिक वर्ग एवं पर्यवेक्षीय वर्ग के लिए अधिक होती है, जबकि विकास की आवश्यकता प्रबन्धकीय वर्ग के लिए अधिक होती है।
  • केन्द्रित-प्रशिक्षण कार्य-केन्द्रित है, जबकि विकास व्यक्ति-केन्द्रित है।
  • प्रकृति-प्रशिक्षण की प्रकृति व्यावहारिक ज्ञान में वृद्धि करने की होती है, जबकि विकास की प्रकृति सैद्धान्तिक ज्ञान में वृद्धि करने की होती है।
  • विधियाँ-प्रशिक्षण की मुख्य विधियाँ कार्य पर प्रशिक्षण, नव-सीखुआ प्रशिक्षण तथा संयुक्त प्रशिक्षण हैं, जबकि विकास की मुख्य विधियाँ पद-बदली, पाठ्यक्रम, सम्मेलन व गोष्ठियाँ आदि हैं।
  • उद्देश्य-प्रशिक्षण का उद्देश्य कर्मचारियों को अधिक निपुणता से कार्य करने योग्य बनाना है, जबकि विकास का उद्देश्य कर्मचारियों को वर्तमान कार्य के साथ-साथ भावी कार्यों व समस्याओं से कुशलतापूर्वक निपटने योग्य बनाना है।

प्रश्न 5. 
भर्ती के आन्तरिक स्रोतों को क्यों अधिक किफायती माना जाता है?
उत्तर:
भर्ती के आन्तरिक स्रोत निम्न कारणों या लाभों के प्राप्त होने के कारण मितव्ययी माने जाते हैं-

  • कर्मचारी द्वारा प्रतिबद्धता तथा निष्ठा से कार्य करना-भर्ती के आन्तरिक स्रोत अर्थात् पदोन्नति कर्मचारियों को अभ्यास तथा सीखने के द्वारा उनके निष्पादन को सुधारने के लिए प्रेरित करते हैं। कर्मचारी प्रतिबद्धता के साथ तथा निष्ठा से कार्य करते हैं और अपने कार्य से सन्तुष्ट रहते हैं।
  • चयन प्रक्रिया तथा अनुस्थापन को सरल बनाना-आन्तरिक भर्ती चयन प्रक्रिया तथा अनुस्थापन को भी सरल बना देती है। यह भर्ती का अधिक विश्वसनीय तरीका है, क्योंकि संस्था कर्मचारियों को पहले से ही जानती है।
  • प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं-जिन व्यक्तियों की भर्ती संस्था के ही कार्यरत कर्मचारियों से ही की जाती है उन्हें प्रवेश-स्तरीय प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
  • कार्य-शक्ति का स्थानान्तरण-स्थानान्तरण से यह भी लाभ है कि अतिरिक्त विभागों से कार्य-शक्ति का स्थानान्तरण किया जा सकता है या वहाँ जहाँ कर्मचारियों की कमी है।
  • कम खचीली-आन्तरिक स्रोत से पदों की पूर्ति, कर्मचारियों के बाह्य-स्रोतों से भर्ती की तुलना में अधिक सस्ती है।

प्रश्न 6. 
"कोई भी संगठन तब तक सफल नहीं हो सकता जब तक कि वह सही नौकरी के लिए सही तरीके के व्यक्तियों से विभिन्न पदों को भरता और रखता न हो।" स्पष्ट करें।
उत्तर:
नियुक्तिकरण प्रबंधन का एक महत्त्वपूर्ण कार्य है क्योंकि यह किसी भी संगठन की जनशक्ति की आवश्यकता का ध्यान रखता है। आज के माहौल में प्रौद्योगिकी में तेजी से बदलाव, संगठनों का आकार आदि नौकरी के लिए सही लोगों को ढूँढ़ना महत्त्वपूर्ण हो जाता है। ऐसे परिदृश्य में, उचित नियुक्तिकरण प्रक्रिया संगठनों में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

वर्तमान विश्व परिदृश्य में कर्मचारियों के लाभ पर प्रकाश डाला गया है-

  • योग्य कर्मचारी ढूँढ़ना-विभिन्न पदों के लिए योग्य कर्मचारियों को खोजने में सहायता करता है।
  • कार्य का बेहतर निष्पादन-उपयुक्त व्यक्तियों को उपयुक्त पदों पर नियुक्ति से कार्य का बेहतर निष्पादन होता है।
  • संगठन का विकास-यह विभिन्न नौकरियों के लिए कुशल और सक्षम कर्मचारियों को नियुक्त करके संगठन के अस्तित्व और विकास को सुनिश्चित करता है।
  • मानव संसाधन का सर्वोत्तम उपयोगउचित श्रम शक्ति के माध्यम से आवश्यकता से अधिक कर्मचारियों को रखने से बचाव कर कर्मचारियों के कम उपयोग तथा उच्च श्रम लागत को रोकने में सहायक है।
  • कार्य से संतुष्टि-उद्देश्यपूर्ण मूल्यांकन तथा कर्मचारियों के योगदान का न्यायोचित प्रतिफल के द्वारा कार्य-संतोष में सुधार करता है तथा कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाता है। 

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निबन्धात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
मानव संसाधन प्रबंधन में कई विशेष गतिविधियाँ और कर्त्तव्य शामिल हैं। व्याख्या करें।
उत्तर:
संगठन के मानव संसाधनों का प्रबंधन एक महत्त्वपूर्ण कार्य है क्योंकि किसी भी संस्थान की सफलता इस पर निर्भर करती है कि कार्यों का निष्पादन कितनी कुशलता से किया जाता है। कोई भी संगठन अपने उद्देश्यों की पूर्ति में कितना सफल है इसका निर्धारण बहुत कुछ मानव संसाधनों की योग्यता, अभिप्रेरणा तथा उनके निष्पादन के आधार पर होता है।

इसमें कई विशिष्ट गतिविधियाँ और कर्त्तव्य शामिल हैं, जिन्हें मानव कर्मियों को करना है। उनमें से कुछ हैं-

  • भर्ती-जैसे योग्य व्यक्तियों की खोज; 
  • कार्य का विश्लेषण-विभिन्न कार्यों के बारे में सूचना एकत्रित करना तथा कार्यों का विवरण तैयार करना;
  • क्षतिपूर्ति तथा प्रोत्साहन योजनाओं का विकास करना;
  • कुशल निष्पादन तथा जीवन-वृद्धि हेतु कर्मचारियों का प्रशिक्षण तथा विकास;
  • श्रम-संबंध, संघ-प्रबंध-संबंधों का अनुरक्षण/ रखरखाव;
  • शिकायतों का निराकरण;
  • सामाजिक सुरक्षा तथा कर्मचारियों के कल्याण हेतु योजनाएँ बनाना;
  • कानूनी मामले तथा कानूनी पेंचों से कंपनी की सुरक्षा तथा बचाव करना।

ये सभी दर्शाते हैं कि मानवीय संसाधन प्रबंधन एक अत्यंत विस्तृत अवधारणा है जिनमें विभिन्न प्रकार की क्रियाएँ सम्मिलित हैं।

प्रश्न 2. 
कर्मचारियों के चयन के लिए प्रक्रिया की व्याख्या करें।
उत्तर:
कर्मचारियों के चयन की प्रक्रिया
कर्मचारियों के चयन की प्रक्रिया के प्रमुख चरण निम्नलिखित हैं-
1. प्रारम्भिक जाँच-आवेदन-पत्रों में दी गई सूचना के आधार पर अयोग्य अथवा अनुपयुक्त पद इच्छुकों की छंटनी में प्रारम्भिक जाँच, प्रबन्धक की सहायता करती है। प्रारम्भिक साक्षात्कार द्वारा उन आवेदन-पत्रों को अस्वीकार किया जाता है जिनमें पर्याप्त सूचनाएँ नहीं दी गई हों।

2. चयन परीक्षाएँ-चयन के लिए रोजगार परीक्षाएँ एक ऐसा यन्त्र है जो व्यक्तियों की विशेषताओं को मापता है। ये विशेषताएँ शारीरिक निपुणता से लेकर बुद्धि या व्यक्तित्व सम्बन्धी हो सकती हैं। सामान्यतया कर्मचारियों के चयन के लिए बुद्धि-परीक्षा, कौशल परीक्षा, व्यक्तित्व परीक्षा, व्यापार परीक्षा तथा अभिरुचि परीक्षा आयोजित की जाती हैं।।

3. रोजगार साक्षात्कार-चयन परीक्षा आयोजित करने के बाद चयनित उम्मीदवारों के लिए साक्षात्कार आयोजित किया जाता है। साक्षात्कार औपचारिक होते हैं। साक्षात्कार में बातचीत करके यह. मूल्यांकन किया जाता है कि आवेदक पद के लिए उपयुक्त है कि नहीं।

4. सन्दर्भ तथा पृष्ठभूमि जाँच/परीक्षण-चयन प्रक्रिया के इस चरण में उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि की जाँच की जाती है। सन्दर्भ व्यक्तियों के बहुत से नियोक्ता, नाम, पते तथा दूरभाष के लिए निवेदन करते हैं ताकि जो सूचनाएँ आवेदकों ने भरी हैं उनकी जाँच हो सके तथा उनके बारे में अतिरिक्त सूचनाएँ भी मिल सकें। पूर्व नियोक्ता, जान-पहचान के व्यक्ति, शिक्षक तथा विश्वविद्यालय के प्रवक्ता सन्दर्भ के रूप में काम आ सकते हैं।

5. चयन निर्णय-चयन प्रक्रिया के इस चरण में अन्तिम निर्णय उन उम्मीदवारों में से होता है जिन्होंने उपर्युक्त परीक्षाएँ उत्तीर्ण की हैं और जिनका साक्षात्कार तथा सन्दर्भ परीक्षण हुआ है। सम्बन्धित प्रबन्धक के विचार, सामान्यतः अन्तिम चयन में निर्णायक सिद्ध होते

6. शारीरिक एवं डॉक्टरी परीक्षण-कर्मचारी के चयन के सम्बन्ध में अन्तिम निर्णय हो जाता है तो उसके पश्चात् तथा उसे नौकरी का प्रस्ताव देने से पहले उम्मीदवार को डॉक्टरी परीक्षण करवाने के लिए कहा जाता है। डॉक्टरी परीक्षण में यह देखा जाता है कि उम्मीदवार शारीरिक रूप से कार्य के लिए फिट है या नहीं। शारीरिक रूप से फिट होने पर ही उसे नियुक्ति का प्रस्ताव दिया जाता है।

7. पद-प्रस्ताव-चयन प्रक्रिया के इस चरण में उन व्यक्तियों या आवेदकों को नौकरी दी जाती है जिन्होंने सारी परीक्षाएँ पास की हैं, नौकरी का प्रस्ताव नियुक्ति पत्र के माध्यम से दिया जाता है। उसकी स्वीकृति की पुष्टि भी की जाती है। इस पद-प्रस्ताव में उस दिन का उल्लेख किया जाता है जिस दिन चयनित कर्मचारी को अपने कार्यस्थल पर उपस्थित होना है। चयनित कर्मचारी को कार्य पर कार्यभार सम्भालने के लिए एक उपयुक्त समय दिया जाता है।

8. रोजगार समझौता-व्यक्ति को नौकरी का सणाप पास खुपस प्रस्ताव देने के उपरान्त तथा जब उम्मीदवार उस प्रस्ताव को स्वीकार कर लेता है, तब कुछ दस्तावेज/प्रलेख नियोक्ता तथा कर्मचारी को भरने पड़ते हैं। ऐसा ही एक प्रलेख है-अनुप्रमाणित प्रपत्र। इस प्रपत्र में उम्मीदवार से सम्बन्धित कुछ महत्त्वपूर्ण सूचनाएँ होती हैं जिनकी प्राथमिकता तथा सत्यता उसे करनी पड़ती है। इसके पश्चात् एक रोजगार समझौता तैयार किया जाता है। सामान्यतया रोजगार समझौते में निम्नलिखित सूचनाएँ सम्मिलित की जाती हैं-पद-परिचय, कर्त्तव्य तथा दायित्व, नियुक्ति प्रारम्भ होने की तिथि, रोजगार/सेवा वर्ष गणना का आधार, वेतन दर, भत्ता, कार्य के घण्टे, अवकाश नियम, बीमारी, शिकायत प्रक्रिया/कार्यप्रणाली, अनुशासन सम्बन्धी कार्यप्रणाली, कार्य सम्बन्धित नियम तथा रोजगार समाप्ति (नौकरी से निकालना) इत्यादि।

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प्रश्न 3. 
व्यक्ति और संमठन के लिए प्रशिक्षण के फायदे क्या हैं ?
उत्तर:
एक व्यक्ति को प्रशिक्षण देने तथा एक संगठन को प्रशिक्षित करने के लाभ
जब कार्य सरल प्रकृति के होते हैं, आसानी से सीखे जा सकते हैं। ऐसे कार्यों को करने के लिए कर्मचारियों को अपनी कुशलता बढ़ाने अथवा अपने कौशल के परिवर्तन करने की आवश्यकता कम पड़ती थी अर्थात् प्रशिक्षण की आवश्यकता कम होती थी किन्तु जैसे-जैसे कार्य अधिक जटिल होते जाते हैं, कर्मचारियों के लिए व संस्था के लिए प्रशिक्षण का महत्त्व और भी बढ़ जाता है।

व्यक्ति या कर्मचारियों को लाभ-प्रशिक्षण तथा विकास प्रक्रिया से कर्मचारियों या व्यक्तियों को प्राप्त होने वाले प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं-
1. जीवन-वृत्ति को बेहतर बनाना-प्रशिक्षण के कारण कौशल तथा ज्ञान में सुधार से व्यक्ति की जीवन-वृत्ति को बेहतर बनाया जा सकता है।
2. अधिक आय-प्रशिक्षण से कर्मचारी अपने कार्य का बेहतर निष्पादन कर सकता है। फलतः उसे अधिक आय प्राप्त होने के अवसर मिलते हैं।
3. कुशलता में वृद्धि-प्रशिक्षण कर्मचारियों को अधिक कुशल बनाता है। प्रशिक्षित कर्मचारी ही मशीनों पर कुशलतापूर्वक कार्य कर सकता है। प्रशिक्षण से दुर्घटनाओं से बचाव होता है।
4. कर्मचारियों के सन्तोष एवं मनोबल में वृद्धि-प्रशिक्षण का एक लाभ यह है कि यह कर्मचारियों के सन्तोष तथा मनोबल को बढ़ाता है।
5. दुर्घटनाओं में कमी-दुर्घटनाओं में कमी से जहाँ एक ओर संस्था को लाभ होता है वहीं दूसरी ओर कर्मचारियों का जीवन भी अधिक सुरक्षित रहता है। मशीनों को चलाने की कला को सीखकर संस्था में दुर्घटनाओं को कम किया जा सकता है।
6. पदोन्नति की अच्छी सम्भावनाएँ-प्रशिक्षित कर्मचारियों के ऊँचे पदों पर पदोन्नत किये जाने की सम्भावना अधिक रहती है। जब भी संस्था में कोई उच्च पद रिक्त होता है और संस्था में उस पद के योग्य प्रशिक्षित कर्मचारी उपलब्ध होता है तो संस्था में पदोन्नति द्वारा ऐसे पद को भरा जा सकता है।

प्रशिक्षण से संगठन को प्राप्त होने वाले लाभ-
प्रशिक्षण से संस्था या संगठन को जो लाभ प्राप्त होते हैं वे निम्नलिखित हैं-

  • बचत-प्रशिक्षण एक सीखने वाली प्रक्रिया है जो बार-बार गलती करके सीखने वाली विधियों से हमेशा श्रेष्ट होती है। इसके कारण धन तथा श्रम दोनों की ही बचत होती है।
  • लाभों में वृद्धि-प्रशिक्षण कर्मचारियों की उत्पादकता तथा उत्पादन दोनों में वृद्धि करता है। इससे मात्रा व गुणवत्ता दोनों में वृद्धि होती है। परिणामस्वरूप संस्था के लाभों में वृद्धि होती है।
  • प्रबन्धकों को तैयार करना-प्रशिक्षण भविष्य के प्रबन्धकों को तैयार करने का कार्य करता है। ऐसे प्रशिक्षित प्रबन्धक संकट के समय उचित निर्णय लेने में सफल रहते हैं।
  • मनोबल में वृद्धि-प्रशिक्षण कर्मचारियों के मनोबल में वृद्धि करता है तथा अनुपस्थिति को कम करता है। इसके कारण कर्मचारियों की संस्था छोड़ने की दर को कम करता है।
  • प्रतिक्रिया प्राप्त करने में सहायक-प्रशिक्षण का एक लाभ यह भी है कि इसकी सहायता से संगठन तेजी से परिवर्तित होते तकनीकी तथा आर्थिक वातावरण से भी प्रभावपूर्ण प्रतिक्रिया प्राप्त करने में सहायक है।
  • उत्पादन की मात्रा एवं किस्म में सुधारप्रशिक्षण संस्था में माल की किस्म एवं मात्रा में सुधार करने में सम्भव होता है जिसके कारण उत्पादन लागत में कमी आती है।
  • दुर्घटनाओं में कमी-प्रशिक्षण द्वारा कर्मचारियों को मशीनों एवं उपकरणों के उपयोग के सही तरीके सिखाये जाते हैं। फलतः संस्था में दुर्घटना की सम्भावना न्यून हो जाती है।
  • पर्यवेक्षण की कम आवश्यकता-प्रशिक्षित कर्मचारी अपने-अपने कार्य में निपुण हो जाते हैं जिसके कारण पर्यवेक्षकों को उनकी देख-रेख में अधिक समय नहीं लगाना पड़ता है। इस बचे हुए समय का उपयोग वे रचनात्मक कार्यों में कर सकते हैं।
  • श्रम-परिवर्तन दर तथा अनुपस्थिति में कमीप्रशिक्षित कर्मचारी संस्था में शीघ्र पदोन्नति प्राप्त करते हैं, कार्य से सन्तुष्ट रहते हैं, फलतः उनकी संस्था छोड़कर जाने व अनुपस्थित रहने की दर कम हो जाती है।
  • सीखने की क्षमता में वृद्धि-कर्मचारियों को समय-समय पर प्रशिक्षित किये जाने से कर्मचारियों का मानसिक विकास होता है। इससे उनकी सीखने की क्षमता में वृद्धि होती है।

प्रश्न 4. 
कौल कंसल्टेंट्स ने वरिष्ठ प्रबंधन पेशेवरों के लिए विशेष रूप से www.naukaripao.com. शुरू किया है। पोर्टल वरिष्ठ स्तर की नौकरियों को सूचीबद्ध करता है और यह सुनिश्चित करता है कि कठोर स्क्रीनिंग प्रक्रिया के माध्यम से नौकरी वास्तविक है।
(i) ऊपर दिए गए मामले में भर्ती के स्रोत को बताएँ।
(ii) उपरोक्त भर्ती के स्रोत के चार लाभ लिखें।
उत्तर:
(i) www.naukaripao.com एक ऑनलाइन वेबसाइट है, जो आमतौर पर नौकरी चाहने वालों और नौकरी प्रदाताओं द्वारा वांछित नौकरी या लोगों को क्रमशः प्राप्त करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करती है। भर्ती के इस स्रोत को वेब प्रसारण कहा जाता है।

(ii) वेब प्रसारण के लाभ हैं-
समय और ऊर्जा की बचत होती है-रिज्यूमे को जॉब शीर्षक के अनुसार वेबसाइट पर प्रदर्शित किया जाता है जो भावी कर्मचारियों को कॉल करने और फिर उनकी स्क्रीनिंग करने के लिए समय और ऊर्जा बचाता है। बातचीत नौकरी चाहने वाले और कंपनी के बीच वास्तविक समय है। 

  • बड़ी पहुँच है-दुनिया भर के उम्मीदवारों को ऑनलाइन भर्ती की मदद से काम पर रखा जा सकता है। 
  • कंपनियों के लिए ब्रांडिंग के अवसर-कंपनी के बारे में जानकारी वेबसाइट पर अपलोड की जाती है जो बाजार में नाम सुधारने का अवसर प्रदान करती है।
  • लागत प्रभावी तकनीक-यह न केवल काम पर रखने की प्रक्रिया को छोटा करता है बल्कि सही व्यक्ति को सही काम के लिए फ़िल्टर करता है, इस प्रकार किराए की भारी लागत को बचाता है। 

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प्रश्न 5. 
एक कंपनी, जाइलो लिमिटेड, ऑटो घटकों के निर्माण के लिए भारत में एक नया संयंत्र स्थापित कर रही है। भारत इस क्षेत्र में एक बेहद प्रतिस्पर्धा और लागत प्रभावी उत्पादन आधार है। कई प्रतिष्ठित कार निर्माता यहाँ अपने ऑटो घटक बनाते हैं। जाइलो लिमिटेड भारत में बाजार हिस्सेदारी का लगभग 40 प्रतिशत कब्जा करने की योजना बना रही है और अपने नियोजित संचालन के द्वारा दो वर्षों में लगभग ₹ 50 करोड़ के निर्यात का लक्ष्य रखती है। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए इसे अत्यधिक प्रशिक्षित और प्रेरित कार्यबल की आवश्यकता है। इस मामले में सलाह देने के लिए आपको कंपनी द्वारा रखा गया है। उत्तर देने के दौरान ध्यान रखें कि कंपनी का परिचालन किस क्षेत्र में है। इस संदर्भ में निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें-
(i) कंपनी द्वारा अपनायी जाने वाली भर्ती प्रक्रिया की रूपरेखा दें।
(ii) भर्ती के कौन-से स्रोतों पर कंपनी को भरोसा करना चाहिए, अपने सुझावों के पक्ष में कारण दें।
(iii) कंपनी द्वारा अपनायी जाने वाली चयन प्रक्रिया की रूपरेखा कारणों सहित दें।
उत्तर:
1. कम्पनी की नियुक्तिकरण की प्रक्रिया-जाइलो लिमिटेड कम्पनी को नियुक्तिकरण के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनानी चाहिए-
(1) भर्ती-सर्वप्रथम कम्पनी को ऐसे लोगों की तलाश करनी चाहिए जिनको कार के कलपुर्जी के उत्पादन सम्बन्धी पूर्ण जानकारी होनी चाहिए। यह कार्य विज्ञापन, स्थापन एजेन्सी तथा प्रबन्ध परामर्शदाता तथा वैब प्रसारण आदि के माध्यम से किया जा सकता है। भर्ती का उद्देश्य उन सम्भावित कर्मचारियों को आकर्षित करना होना चाहिए जिनके पास कल-पुर्जी आदि के उत्पादन सम्बन्धी पूर्ण ज्ञान एवं अनुभव हो।

(2) चयन-जब भर्ती के उपर्युक्त स्रोतों के माध्यम से सम्भावित कर्मचारियों के बारे में पर्याप्त जानकारी व ज्ञान उपलब्ध हो जाता है तो उसमें से अपनी कम्पनी की आवश्यकताओं के अनुरूप कर्मचारियों का साक्षात्कार लेकर तथा विभिन्न प्रकार के परीक्षणों द्वारा उनकी जाँच कर चयन किया जाना चाहिए। इसके लिए बुद्धि-परीक्षण, कौशल परीक्षण, अभिरुचि परीक्षण किये जा सकते हैं।

(3) प्रशिक्षण-उपयुक्त कर्मचारियों का चयन करने के बाद उनके वर्तमान ज्ञान एवं अनुभव तथा भविष्य के निष्पादन स्तर को सुधारने के लिए पर्याप्त प्रशिक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए। इसमें प्रायः कर्मचारियों को सिखाने के द्वारा उनकी योग्यता व दक्षता को बढ़ाने का प्रयास किया जाता है। कर्मचारियों के निजी दृष्टिकोण व सोच को बदल कर उनका सम्पूर्ण ध्यान कम्पनी के उद्देश्यों की प्राप्ति में लगाने का प्रयास किया जाना जरूरी है। 

2. कर्मचारियों की भर्ती के स्त्रोत-
कम्पनी को उच्चस्तरीय प्रशिक्षित तथा अभिप्रेरित कर्मचारियों की भर्ती के लिए निम्न स्रोतों को अपनाना चाहिए-

  • प्रत्यक्ष भर्ती अर्थात् प्रतिस्पर्धी संस्थाओं से या उसी क्षेत्र में संलग्न कम्पनियों से
  • विज्ञापन 
  • रोजगार कार्यालय
  • महाविद्यालय/विश्वविद्यालय/तकनीकी संस्थानों के द्वारा .
  • वैब प्रसारण।

कम्पनी यदि उच्चस्तरीय प्रशिक्षित तथा अभिप्रेरित कर्मचारियों की भर्ती करती है तो उपर्युक्त स्रोतों को उपयोग में लाना चाहिए क्योंकि कम्पनी को इन्हीं स्रोतों से उसकी आवश्यकतानुसार कर्मचारी प्राप्त हो सकते हैं। 

3. कर्मचारियों के चयन की प्रक्रिया-
कम्पनी को कर्मचारियों के चयन के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनानी चाहिए-
(1) प्रारम्भिक जाँच-भर्ती की प्रक्रिया के अन्तर्गत प्रत्याशियों की सूची हासिल करने के बाद 'एक्स लिमिटेड' चयन प्रक्रिया की शुरुआत करती है। इसमें प्राप्त आवेदन-पत्रों में दी गई सूचनाओं के आधार पर अयोग्य अथवा अनुपयुक्त उम्मीदवारों की छंटनी की जाती है। यह प्रारम्भिक जाँच प्रबन्धक की सहायता करती है।

(2) चयन परीक्षाएँ-इसके अन्तर्गत कर्मचारियों की कार कलपुों के उत्पादन सम्बन्धी विशेषताओं की जाँच करने के लिए विभिन्न परीक्षाओं का आयोजन किया जाता है। ये परीक्षाएँ निम्नलिखित हैं-

  • बुद्धि परीक्षाएँ, 
  • कौशल परीक्षाएँ, 
  • व्यापार परीक्षाएँ, 
  • अभिरुचि परीक्षाएँ।

(3) साक्षात्कार-कम्पनी को चयन परीक्षाओं का आयोजन कर चयनित उम्मीदवारों के लिए साक्षात्कार का आयोजन करना चाहिए। साक्षात्कार के अन्तर्गत कम्पनी को प्रत्याशियों या उम्मीदवारों से विस्तृत रूप से बातचीत करके यह मूल्यांकन करना चाहिए कि उम्मीदवार पद के लिए उपयुक्त है या नहीं।

(4) सन्दर्भ तथा पृष्ठभूमि की जाँचउम्मीदवारों का साक्षात्कार लेने के पश्चात् चयनित उम्मीदवारों के द्वारा आवेदन-पत्र में दिये गये सन्दर्भो की जाँच करनी चाहिए।

(5) अन्तिम निर्णय लेना-चयन प्रक्रिया के उपर्युक्त चरणों को पूरा कर लेने के पश्चात् तथा सन्दर्भो के आधार पर उपयुक्त रिपोर्ट प्राप्त हो जाने के बाद कम्पनी के द्वारा उम्मीदवारों का चयन किया जाना चाहिए।

(6) नियुक्ति पत्र सौंपना-अन्त में कम्पनी द्वारा चयनित उम्मीदवारों को नियुक्त पत्र दिया जाना चाहिए।

प्रश्न 6. 
एक प्रमुख बीमा कंपनी ने डाटा एंट्री/ ग्राहक सेवा प्रतिनिधियों के लिए सभी भर्ती, स्क्रीनिंग और प्रशिक्षण प्रक्रियाओं को संभाला। उनके प्रतिद्वंद्वी अपने बाजार में अधिकांश योग्य, समर्थ कर्मचारियों को आकर्षित कर रहे थे। मजबूत अर्थव्यवस्था और नौकरी खोजने वालों की कतार ने भर्ती को और भी कठिन बना दिया था। इसके परिणामस्वरूप कंपनी को ऐसे उम्मीदवारों का चयन करना पड़ा जिनके पास नौकरी के लिए आवश्यक 'सॉफ्ट' कौशल तो थे, लेकिन उचित 'हार्ड' कौशल और प्रशिक्षण की कमी थी। इन संदर्भ में निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें-
(i) एक मानव संसाधन प्रबंधक के रूप में आप कंपनी में क्या समस्याएँ देखते हैं ? 
(ii) आपको कैसे लगता है कि इसे हल किया जा सकता है और कंपनी पर इसका क्या असर होगा?
उत्तर:
1. नियुक्तिकरण की प्रक्रिया किसी संस्था या कम्पनी द्वारा नियुक्त किये गये प्रत्येक व्यक्ति को व्यक्तिगत रूप से मान्यता प्रदान करती है। यह अन्ततः कार्य-निष्पादन में सहायक होती है। परन्तु कई बार नियुक्तिकरण की प्रक्रिया में मानव संस्थान प्रबन्धकों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ये कठिनाइयाँ निम्नलिखित हो सकती हैं-
(1) ठीक से यह अनुमान नहीं लग पाता है कि संस्था की सांगठनिक संरचना में किस पद पर कितने तथा किस योग्यता वाले कर्मचारियों की आवश्यकता है।

(2) कर्मचारियों के लिए किस प्रकार की चयन प्रक्रिया को अपनाया जाये।

(3) उस चयन प्रक्रिया को लागू करने में क्या कठिनाई आ सकती है। सामान्यतया भर्ती करते समय भर्ती के उपयुक्त स्रोतों के चुनाव में कठिनाई आती है। क्योंकि कई प्रतिस्पर्धी संस्थाओं की भी नजर बाजार में उपयुक्त प्रत्याशियों पर रहती है। वे उन उपयुक्त प्रत्याशियों को अपनी संस्था की ओर आकर्षित करने के लिए उन्हें लुभावने प्रलोभन देती हैं। जब बाजार में चारों तरफ से उपयुक्त कुशल एवं दक्ष कर्मचारियों की माँग होती है तो उनका मिलना कठिन हो जाता है।

यदि संस्था में अकुशल कर्मचारियों का चयन हो जाये तो संस्था अधिक समय तक अपना अस्तित्व नहीं बचा सकती है।

2. संस्था के सामने आने वाली उपर्युक्त कठिनाइयों का समाधान करने के लिए संस्था के मानव संसाधन प्रबन्धक को अग्र प्रयास करने चाहिए कर्मचारियों की आवश्यकता को समझने के लिए कार्य-भार विश्लेषण तथा कार्य-शक्ति का विश्लेषण करना चाहिए तथा इसका आकलन करना चाहिए कि संस्था में किस पद के लिए कितने व्यक्ति और किस योग्यता वाले व्यक्ति चाहिए। कर्मचारियों की सम्पूर्ण चयन प्रक्रिया को ठीक ढंग से समझने के पश्चात् ही उसे उपयोग में लाना चाहिए। चयन के लिए कौन-कौनसी परीक्षाएँ ली जायेंगी, साक्षात्कार किस प्रकार से लिया जायेगा, वह किस प्रकार का होगा तथा सन्दर्भ जाँच आदि किस प्रकार की जायेगी।

इसके साथ ही मानव संसाधन प्रबन्धक को कर्मचारियों की भर्ती के विभिन्न स्रोतों का प्रयोग करने से पहले प्रत्येक स्रोत के लाभ-हानियों का तुलनात्मक अध्ययन करके ही भर्ती के स्रोतों का निर्धारण करना चाहिए।

RBSE Solutions for Class 12 Business Studies Chapter 6 नियुक्तिकरण

प्रश्न 7. 
जयश्री ने हाल ही में मानव संसाधन प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा पूरा किया था। इसके कुछ महीनों पश्चात् एक बड़ी स्टील विनिर्माण कंपनी ने उसे मानव संसाधन प्रबंधक नियुक्त किया। वर्तमान में, कंपनी 800 लोगों को रोजगार देती है और भविष्य में विस्तार की योजना बना रही है जिसके लिए विभिन्न प्रकार की अतिरिक्त आवश्यकताओं के लिए 200 व्यक्तियों की आवश्यकता हो सकती है। जयश्री को कंपनी के मानव संसाधन विभाग का पूरा प्रभार दिया गया है। इस संदर्भ में निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें-
(i) बताएँ कि उससे किन कार्यों की आशा की जाती है?
(ii) आपको उसकी नौकरी में क्या समस्याएँ दिखाती हैं ?
(iii) वह अपनी नौकरी कुशलता से करने के लिए क्या कदम उठाएगी?
(iv) संगठन में उसकी भूमिका कितनी महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर:
1. एक बड़ी स्टील कम्पनी में कुमारी जयश्री को मानव संसाधन प्रबन्धक के रूप में निम्न कार्य करने पड़ सकते हैं

  • कर्मचारियों को कम्पनी में नियुक्त करने के सम्बन्ध में आन्तरिक एवं बाह्य भी स्रोतों का तुलनात्मक मूल्यांकन करना।
  • भर्ती के विभिन्न स्रोतों में से कम्पनी के लिए सबसे उपयुक्त स्रोत से कर्मचारियों की नियुक्ति की व्यवस्था करना।
  • भर्ती किये जाने वाले कर्मचारियों के व्यक्तिगत उद्देश्यों का कम्पनी के उद्देश्यों के साथ आवश्यक तालमेल बिठाना।
  • कम्पनी में कर्मचारियों के उपयुक्त प्रशिक्षण एवं पदोन्नति व विकास के अवसर प्राप्त हो सकेंगे उनकी जानकारी देना तथा कम्पनी में कार्य वातावरण का निर्माण करना।

2. कुमारी जयश्री को मानव संसाधन प्रबन्धक के रूप में कर्मचारियों की भर्ती करते समय कुछ कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है-
(1) आन्तरिक स्रोत का उपयोग किया जाता है तो इससे नई प्रतिभाओं को अवसर नहीं मिल पाता है। पहले से कार्यरत कर्मचारी अकर्मण्य हो सकते हैं और उनमें प्रतिस्पर्धा की भावना समाप्त हो जाती है। फलतः ऐसे कर्मचारियों को कार्य के प्रति अभिप्रेरित करने के लिए अनेक कठिनाइयाँ आ सकती हैं।

(2) यदि भर्ती के बाह्य स्रोत का उपयोग किया जाता है तो इन स्रोतों से की जाने वाली नियुक्तियाँ अधिक महँगी सिद्ध होती हैं। भर्ती का बाह्य स्रोत वर्तमान कर्मचारियों में असन्तोष भी पैदा करता है क्योंकि उन्हें नये लोगों के अधीन व साथ कार्य करना पड़ता है। इसके साथ ही उन्हें प्रतिस्पर्धा की स्थिति में रहना पड़ता है।

3. कुमारी जयश्री को मानव संसाधन प्रबन्धक के रूप में कुशलतापूर्वक कार्य करने के लिए निम्न कदम उठाने चाहिए-

  • कम्पनी में कार्यरत कर्मचारियों से अधिक से अधिक सहयोग प्राप्त करना।
  • कर्मचारियों को अभिप्रेरित करने के लिए विभिन्न प्रेरणात्मक योजनाओं को लागू करना तथा उनके सुझाव आमन्त्रित करना तथा अच्छे सुझावों को देने वाले कर्मचारियों की प्रशंसा करना व उनके सुझावों को अमल में लाना।
  • यदि भर्ती के बाह्य स्रोतों को उपयोग में लाया जाता है तो केवल उतने उन उम्मीदवारों व स्रोतों को ध्यान में रखना जो कम्पनी के उद्देश्यों को पूरा कर सकें तथा कम्पनी पर अनावश्यक वित्तीय भार भी नहीं पड़े।

4. वर्तमान में बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा के युग में एक मानव संसाधन प्रबन्धक का कार्य बहुत ही महत्त्वपूर्ण हो गया है और इसके कार्यों में कई गुणा वृद्धि भी हो गई है। अब मानव संसाधन प्रबन्धक को केवल कर्मचारियों की भर्ती, चयन व प्रशिक्षण सम्बन्धी कार्य ही नहीं करना होता है वरन् सम्पूर्ण कम्पनी की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए पर्याप्त संख्या में कर्मचारियों को खोजना, उन्हें संस्था में आने के लिए प्रेरित करना, उनके उद्देश्यों तथा संगठनात्मक उद्देश्यों में तालमेल बिठाना, कुशल एवं योग्य कर्मचारियों का चयन करना तथा समय-समय पर उन्हें प्रशिक्षित करना इत्यादि कार्य भी करने होते हैं। एक मानव संसाधन प्रबन्धक के ये समस्त कार्य और इनके सम्बन्ध में लिये गये निर्णय किसी भी संस्था को ऊँचाई तक ले जा सकते हैं या फिर संस्था को गर्त में डाल सकते हैं। अतः संस्था में कुमारी जयश्री की स्थिति अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हो जाती है।

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Last Updated on June 25, 2022, 7:23 p.m.
Published June 23, 2022