Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Biology Chapter 13 उच्च पादपों में प्रकाश-संश्लेषण Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
एक पौधे को बाहर से देखकर क्या आप बता सकते हैं कि वह C3 है अथवा C4? कैसे और क्यों?
उत्तर:
C4 पौधे शुष्क उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में उगते हैं। इनमें बहुत कुछ बाहर लक्षण मद्भिद प्रवृत्ति वाले पौधों के जैसे होते हैं। कुछ तो मांसलदार भी होते हैं। इनकी पत्तियों में एक विशेष प्रकार की शारीरिकी होती है जिसे मैंणी शारीर कहते हैं। ये पौधे उच्च ताप को सहने वाले, उच्च प्रकाश तीव्रता के प्रति अनुक्रिया करते हैं, इनका जैव भार अधिक होता है। जी शारीर में पत्तियों के संवहन पूल के चारों ओर पूलाच्छद (bundle sheath) होता है। पूलाच्छद कोशिकाओं की भित्ति मोटी व गैस से अप्रवेश्य होती है। कोशिकाओं में क्लोरोप्लास्ट की मात्रा अधिक होती है।
C3 पौधे समशीतोष्ण जलवायु में उगते हैं। कोई विशेष प्रकार की शारीर रचना नहीं होती है। पौधे सामान्य ताप व जैव भार वाले होते है।
प्रश्न 2.
एक पौधे की आंतरिक संरचना को देखकर क्या आप बता सकते हैं कि वह C3 है अथवा C4? वर्णन करें।
उत्तर:
पौधे की आंतरिक संरचना के आधार पर मुख्य रूप से पत्ती की काट के आधार पर यह निश्चित निर्धारण किया जा सकता है कि पौधा C3 या C4 प्रकार का है। C3 प्रकार के पौधों की पत्तियाँ सामान्य प्रकार की तथा उसकी आंतरिक संरचना में कोई विशेष रचना नहीं पायी जाती है। C4 पौधों की पत्तियों में विशेष प्रकार की जज शारीर रचना मिलती है। इसमें पर्ण के संवहन पूल के चारों ओर कोशिकाओं का छल्ला अथवा एक घेरा होता है, इसे पूलाच्छद (bundle sheath) कहते हैं। संवहन मंडल के आस - पास पूलाच्छद कोशिकाओं की अनेक परतें होती हैं, इनमें बहुत अधिक संख्या में क्लोरोप्लास्ट होता है, इनकी मोटी भित्तियाँ गैस हेतु अप्रवेश्य होती है व इनमें अंतरकोशीय स्थान नहीं होता। C3 पौधे की आंतरिक रचना में कैंजी शारीर नहीं होती है।
प्रश्न 3.
हालांकि C4 पौधे में बहुत कम कोशिकाएं जैवसंश्लेषण केल्विन पथ को वहन करते हैं, फिर भी वे उच्च उत्पादकता वाले होते हैं। क्या इस पर चर्चा कर सकते हैं ऐसा क्यों है?
उत्तर:
केल्विन पथ में CO2 स्थिरीकरण में RuBP कार्बन डाइऑक्साइड से संयोजित कर 3PGA के 2 अणुओं का गठन करता है और एक एन्जाइम रिबूलोज बाइफॉस्फेट कार्बोक्सीलेज ऑक्सीजिनेस (RuBisCO) के द्वारा उत्प्रेरित होता है।
रुबिस्को नामक एन्जाइम विश्व में सबसे ज्यादा प्रचुर है और इसका यह गुण है कि इसकी सक्रिय जगह CO2 एवं O2 दोनों से बंधित हो सकती है। इसलिये इसे रुबिस्को कहते हैं। रुबिस्को में O2 की अपेक्षा CO2 के लिये अधिक बंधुता है। यह आबंधता प्रतियोगात्मक है। O2 अथवा CO2 इनमें से कौन आबंध होगा, यह उनकी सापेक्ष सांद्रता पर निर्भर करता है।
C4 पौधों में प्रकाश श्वसन नहीं होता है। इसका कारण यह है कि इनमें एक ऐसी प्रणाली होती है जो एन्जाइम स्थल पर CO2 की सांद्रता बढ़ा देती है। ऐसा तब होता है जब पर्णमध्योतक का C4 अम्ल पूलाच्छद में टूटकर CO2 को मुक्त करता है, जिसके परिणामस्वरूप CO2 की अंतरकोशिकीय सांद्रता बढ़ जाती है। इससे यह सुनिश्चित हो जाता है कि रुबिस्को कार्योक्सीलेस के रूप में कार्य करता है, जिससे इसकी ऑक्सीजिनेस के रूप में कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है। अत: यही कारण है कि इन पौधों में उत्पादकता व उत्पादन अच्छा होता है। इसके अलावा ये पादप उच्च ताप को भी सहन कर सकते है।
प्रश्न 4.
रुबिस्को (RuBisco) एक एन्जाइम है जो कार्बोक्सिलेस और ऑक्सीजिनेस के रूप में काम करता है। आप ऐसा क्यों मानते हैं कि C4 पौधों में रुबिस्को अधिक मात्रा में कार्बोक्सिलेशन करता है?
उत्तर:
रुबिस्को एन्जाइम विश्व में सबसे अधिक प्रचुर है तथा इसका यह गुण है कि इसकी सक्रिय जगह CO2 एवं O2 दोनों से बंधित हो सकती है। इस कारण इसे रुबिस्को कहते हैं। इसमें O2 की अपेक्षा CO2 के लिये अधिक बंधुता है। यह आबंधता प्रतियोगात्मक है। O2 अथवा CO2 इनमें से कौन आबंध होगा, यह उनकी सापेक्ष सांद्रता पर निर्भर करता है। C4 पौधों में एक ऐसी प्रणाली होती है जो एन्जाइम स्थल पर CO2 की सान्द्रता बढ़ा देती है। इससे यह सुनिश्चित हो जाता है कि रुबिस्को कार्बोक्सिलेस के रूप में कार्य करता है, जिससे इसकी ऑक्सीजिनेस के रूप में कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है।
प्रश्न 5.
मान लीजिए, यहाँ पर क्लोरोफिल बी की उच्च सांद्रता युक्त, मगर क्लोरोफिल ए की कमी वाले पेड़ थे। क्या ये प्रकाशसंश्लेषण करते होंगे? तब पौधों में क्लोरोफिल बी क्यों होता है? और फिर दूसरे गीण वर्णकों की क्या जरूरत है?
उत्तर:
पौधों में क्लोरोफिल बी, जैन्थोफिल व कैरोटीन सहायक वर्णक होते हैं। सहायक वर्णक प्रकाश को अवशोषित कर, ऊर्जा को क्लोरोफिल ए को स्थानान्तरित कर देते हैं। सहायक वर्णक वास्तव में प्रकाश-संश्लेषण को प्रेरित करने वाली उपयोगी तरंगदैर्घ्य के क्षेत्र को बढ़ाते हैं और क्लोरोफिल ए को प्रकाशीय ऑक्सीकरण (Photo - Oxidation) से बचाते हैं। क्लोरोफिल ए प्रकाश - संश्लेषण हेतु मुख्य वर्णक है। अत: क्लोरोफिल ए की कमी वाले पौधों में प्रकाश - संश्लेषण प्रभावित होता है।
प्रश्न 6.
यदि पत्ती को अंधेरे में रख दिया गया हो तो उसका रंग क्रमश: पीला एवं हरा - पीला हो जाता है? कौन - से वर्णक आपकी सोच में अधिक स्थायी हैं?
उत्तर:
क्लोरोप्लास्ट की प्रैना लेमीला (grama lamellac) में क्लोरोफिल, कैरोटिनाइड्स उपस्थित होते हैं। कैरोटिनाइड्स भी दो प्रकार के होते हैं: जैन्थोफिल (xanthophyll) तथा कैरोटिन (carotene)। ये क्रमश: पीले एवं नारंगी वर्णक होते हैं। क्लोरोप्लास्ट के निर्माण के लिए प्रकाश की उपस्थिति आवश्यक होती है। क्लोरोफिल ही प्रकाश का अवशोषण या प्रकाश ऊर्जा को ग्रहण करता है। जब पौधे को अंधेरे में रख दिया जाता है तो प्रकाश-संश्लेषण क्रिया नहीं होती है और पौधे में संचित भोज्य पदार्थ समाप्त हो जाते हैं, इसके कारण पत्तियों में पाये जाने वाले क्लोरोफिल का विघटन प्रारम्भ हो जाता है। जिससे पत्तियाँ कैरोटिनाइड्स के कारण पोली या हरीपीली दिखाई देने लगती हैं। कैरोटिनाइड्स क्लोरोफिल की तुलना में अधिक स्थायी होते हैं।
प्रश्न 7.
एक ही पौधे की पत्ती का छाया वाला ( उल्टा) भाग देखें और उसके चमक वाले (सीधे) भाग से तुलना करें अथवा गमले में लगे धूप में रखे हुए तथा छाया में रखे हुए पौधों के बीच तुलना करें। कौनसा गहरे हरे रंग का होता है, और क्यों?
उत्तर:
जब हम किसी पत्ती की ऊपरी सतह को देखते हैं तो वह निचली सतह की तुलना में अधिक गहरे रंग की व चमकीली दिखाई देती है। इसका कारण यह है कि ऊपरी सतह पर बाह्य त्वचा के नीचे खम्भ ऊतक (Pallisade tissue) पायी जाती है। खम्भ ऊतक में क्लोरोप्लास्ट प्रचुर मात्रा में होता है। खम्भ ऊतक प्रकाश - संश्लेषण हेतु अधिक सक्षम होती है। धूप में रखे हुए गमले की पत्तियाँ छाया में रखे हुए गमले की तुलना में अधिक गहरे रंग की प्रतीत होती हैं क्योंकि प्रकाश के कारण पत्तियों में क्लोरोफिल का निर्माण हो जाता है, जिसके कारण पत्तियाँ गहरे रंग की हो जाती हैं।
प्रश्न 8.
प्रकाश संश्लेषण की दर पर प्रकाश का प्रभाव पड़ता है (चित्र)। ग्राफ के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें
(अ) वक्र के किस बिन्दु अथवा बिन्दुओं पर (क, ख अथवा ग) प्रकाश एक नियामक कारक है?
(ब) क बिन्दु पर नियामक कारक कौनसे हैं?
(स) वक्र में ग और घ क्या निरूपित करता है?
उत्तर:
(अ) प्रकाश की गुणवत्ता, प्रकाश की तीव्रता प्रकाशसंश्लेषण को प्रभावित करती है। उच्च प्रकाश तीव्रता प्रकाश नियामक कारक नहीं होता है क्योंकि अन्य कारक सीमित हो जाते हैं। कम प्रकाश तीव्रता पर प्रकाश एक नियामक कारक 'क' बिन्दु पर होता है।
(ब) प्रकाश।
(स) वक्र में 'ग' बिन्दु प्रकाश संतृप्तता को प्रदर्शित करता है। इस बिन्दु पर प्रकाश तीव्रता बढ़ने पर भी प्रकाश - संश्लेषण की दर नहीं बढ़ती। 'घ' बिन्दु यह निरूपित करता है कि प्रकाश तीव्रता इस बिन्दु पर सीमाकारक हो सकती है।
प्रश्न 9.
निम्नांकित में तुलना करें:
(अ) C3 एवं C4 पथ।
(ब) चक्रीय व अचक्रीय फोटोफॉस्फोरिलेशन।
(स) C3 एवं C4 पादपों की पत्ती की शारीरिकी।
उत्तर:
(अ) C3 एवं C4 पथ में अन्तर
C3 पथ |
C4 पथ |
1. इसमें केवल केल्विन चक्र ही होता है। |
इसमें केल्विन चक्र के अतिरिक्त हैच - स्लेक चक्र भी पाया जाता है। |
2. CO2 का स्थिरीकरण एक बार होता है। |
दो बार होता है। |
3. पत्तियों में क्रैन्ज शारीरिकी नहीं होती तथा कोशिकाओं में केवल एक ही प्रकार के क्लोरोप्लास्ट पाये जाते हैं। |
क्रैन्ज शारीरिकी होती है, कोशिकाओं में दो प्रकार के क्लोरोप्लास्ट पाये जाते हैं। |
4. इसमें CO2 ग्राही 5 कार्यन युक्त RUDP होता है। |
CO2 ग्राही 3 कार्बन युक्त PEP होता है। |
5. O2 की अधिक सान्द्रता संश्लेषण की क्रिया को अवरुद्ध करती हैं। |
O2 की सान्द्रता से प्रकाश - संश्लेषण की क्रिया प्रभावित नहीं होती। |
6. इसमें प्रथम स्थायी उत्पाद 3 कार्बन युक्त फॉस्फोग्लिसरिक अम्ल (PGA) होता है। |
इसमें प्रथम स्थायी उत्पाद 4 कार्बन युक्त ऑक्सेलोएसिटिक अम्ल (OAA) होता है। |
7. CO2 स्थिरीकरण स्थल केवल पर्णमध्योतक कोशिकाएँ होती हैं। |
CO2 स्थिरीकरण स्थल पर्णमध्योतक तथा पूल - आच्छद कोशिकाएँ होती हैं। |
8. कार्बोक्सीलीकरण हेतु मुख्य एंजाइम RUBISCO होता है। |
मुख्य एंजाइम PEP कार्बोक्सीलेज तथा RUBISCO होता है। |
9. कम ताप पर अधिक उत्पाद किन्तु उच्च ताप पर कम हो जाता हैं। |
कम ताप पर C3 चक्र की अपेक्षा कम प्रभावी परन्तु उच्च ताप पर उत्पाद बढ़ जाता है। |
10. इसमें दोनों PS - I तथा PS - II उपस्थित होते हैं। |
केवल PS - I ही उपस्थित होता है। |
11. अनुकूलतम तापमान 10 - 25°C होता है। |
30 - 40°C होता है। |
(ब) चक्रीय एवं अचक्रीय फोटोफॉस्फोरिलेशन
चक्रीय फॉस्फोरिलेशन |
अचक्रीय फॉस्फोरिलेशन |
1. इसमें केवल PS I ही कार्य करता है। |
1. इसमें PS I व PS II दोनों कार्य करते हैं। |
2. क्लोरोफिल अणु से निकला हुआ इलेक्ट्रॉन ग्राही पदार्थों द्वारा पुनः उसी क्लोरोफिल में आ जाता है। |
2. इलेक्ट्रॉन का पथ अचक्रीय होता है। जल इलेक्ट्रॉन का मुख्य स्रोत होता है। अंतिम इलेक्ट्रॉन ग्राही NADP होता है। इसमें क्लोरोफिल से निकला इलेक्ट्रॉन पुन: क्लोरोफिल में नहीं पहुँचता है। |
3. NADP H2 नहीं बनता है अत: CO2 स्वांगीकरण घटता जाता है। |
3. NADP H2 का निर्माण होता है जिसका प्रयोग CO2 स्वांगीकरण में होता है। |
4. O2 का उत्सर्जन नहीं होता है। |
4. O2 का उत्सर्जन होता है। |
5. यह मुख्यतः हरे पादपों व जीवाणु में मिलता है। |
5. केवल हरे पौधों में ही मिलता है। |
6. इसमें केवल ATP का उत्पादन होता है। |
6. इसमें ATP तथा NADPH दोनों का निर्माण होता है। |
(स) C3 व C4 पादपों की पत्ती की शारीरिकी की तुलना
C3 पादप |
C4 पादप |
1. पत्तियों में जज शारीर स्थिति नहीं होती है। पर्ण - मध्योतक खम्भकार व स्पंजी ऊतक में विभेदित होती है। |
1. पर्ण में जज शारीर होता है। |
2. बंडल शीथ कोशिकाएँ छोटी होती हैं जिनमें क्लोरोप्लास्ट नहीं होता है। |
2. बंडल शीथ कोशिकाएं बड़ी, मोटी भित्ति की तथा बड़े व अधिक संख्या में क्लोरोप्लास्ट होते हैं। |
3. हरितलवक केवल एक ही प्रकार के होते हैं। |
3. हरितलवक द्विआकारिक होते हैं अर्थात् पूलाच्छद तथा पर्णमध्योतकी। |