Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 10 Social Science Geography Chapter 1 संसाधन एवं विकास Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
क्या आप उन वस्तुओं का नाम बता सकते हैं जो गाँवों और शहरों में हमारे जीवन को आराम पहुँचाती हैं? ऐसी वस्तुओं की एक सूची तैयार करें और इनको बनाने में प्रयोग होने वाले पदार्थों का नाम बताएँ।
उत्तर:
हमारे जीवन को आराम पहुँचाने वाली ऐसी अनेक वस्तुएँ हैं जो गाँवों और शहरों में उपलब्ध हैं। ऐसी वस्तुओं की सूची बहुत लम्बी है। कुछ प्रमुख वस्तुओं की सूची निम्न प्रकार हैवस्तु है-
|
वस्तु |
बनाने में प्रयोग होने वाले पदार्थ |
गाँव |
कुर्सी, पलंग, घर, कृषि एवं घरेलू उपकरण, साइकिल, मोटर साइकिल, गैस स्टोव, पंखा, कूलर, कपड़े, बर्तन आदि। |
लकड़ी, लोहा, ईंट-पत्थर, बांस, प्लास्टिक, इस्पात, सीमेंट, रबड़, स्टील, तांबा, कांच, कपास, ऊन आदि। |
शहर |
मकान, कुर्सी-टेबल, सोफा, पलंग, वाशिंग मशीन, फ्रिज, एसी, पंखा, कूलर, कार, मोटर मोटर साइकिल, गैस स्टव, अन्य घरेलू उपकरण, कपड़े, बर्तन आदि। |
ईंट, पत्थर, लोहा, सीमेंट, लकड़ी, कपड़ा, फोम, स्पंज, प्लास्टिक, कांच, स्टील, तांबा, कपास, ऊन आदि। |
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प्रश्न 2.
प्रत्येक संवर्ग से कम से:
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प्रश्न 3.
क्या आप संसाधन सम्पन्न परन्तु आर्थिक रूप से पिछड़े और संसाधन विहीन परन्तु आर्थिक रूप से विकसित प्रदेशों का नाम बता सकते हैं? ऐसी परिस्थिति होने के कारण बताएँ।
उत्तर:
भारत में झारखण्ड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, अरुणाचल प्रदेश तथा राजस्थान संसाधन सम्पन्न किन्तु आर्थिक रूप से पिछड़े राज्य हैं जबकि पंजाब, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र संसाधन विहीन किन्तु आर्थिक रूप से विकसित राज्य हैं।
इसका प्रमुख कारण पिछड़े राज्यों में उपयुक्त प्रौद्योगिकी विकास, आधारभूत संरचना और संस्थागत परिवर्तन की कमी है जबकि विकसित राज्यों में प्रौद्योगिकी विकास, आधारभूत संरचना तथा संस्थागत परिवर्तन की बहुलता है।
1. बहुवैकल्पिक प्रश्न-
(i) लौह अयस्क किस प्रकार का संसाधन है-
(क) नवीकरण योग्य
(ख) प्रवाह
(ग) जैव
(घ) अनवीकरण योग्य
उत्तर:
(घ) अनवीकरण योग्य
(ii) ज्वारीय ऊर्जा निम्नलिखित में से किस प्रकार का संसाधन है?
(क) पुनः पूर्ति योग्य
(ख) अजैव
(ग) मानवकृत
(घ) अचक्रीय
उत्तर:
(क) पुनः पूर्ति योग्य
(iii) पंजाब में भूमि निम्नीकरण का निम्नलिखित में से मुख्य कारण क्या है?
(क) गहन खेती
(ख) अधिक सिंचाई
(ग) वनोन्मूलन
(घ) अति पशुचारण
उत्तर:
(ख) अधिक सिंचाई
(iv) निम्नलिखित में से किस प्रान्त में सीढ़ीदार (सोपानी) खेती की जाती है?
(क) पंजाब
(ख) उत्तरप्रदेश के मैदान
(ग) हरियाणा
(घ) उत्तराखण्ड
उत्तर:
(घ) उत्तराखण्ड
(v) इनमें से किस राज्य में काली मृदा मुख्य रूप से पायी जाती है?
(क) जम्मू और कश्मीर
(ख) राजस्थान
(ग) गुजरात
(घ) झारखण्ड
उत्तर:
(ग) गुजरात
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
प्रश्न (i).
तीन राज्यों के नाम बताएँ जहाँ काली मृदा पाई जाती है। इस पर मुख्य रूप से कौनसी फसल उगाई जाती है?
उत्तर:
(1) महाराष्ट्र, (2) मध्यप्रदेश और (3) छत्तीसगढ़ राज्यों में काली मृदा पाई जाती है। इस पर मुख्य रूप से कपास की फसल उगाई जाती है।
प्रश्न (ii).
पूर्वी तट के नदी डेल्टाओं पर किस प्रकार की मृदा पाई जाती है? इस प्रकार की मृदा की तीन मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर:
पूर्वी तट के नदी डेल्टाओं पर जलोढ़ मृदा पाई जाती है।
विशेषताएँ-
प्रश्न (iii).
पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?
उत्तर:
पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए-
प्रश्न (iv).
जैव और अजैव संसाधन क्या होते हैं? कुछ उदाहरण दें।
अथवा
जैव तथा अजैव संसाधन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जैव संसाधन- वे संसाधन जिनकी प्राप्ति जीवमण्डल से होती है तथा जीवन पाया जाता है, जैव संसाधन कहलाते हैं। जैसे-मनुष्य, पशु।
अजैव संसाधन- वे संसाधन जिनका निर्माण निर्जीव वस्तुओं से हुआ है, अजैव संसाधन कहलाते हैं, यथाचट्टानें एवं धातुएँ आदि।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।
प्रश्न (i).
भारत में भूमि उपयोग प्रारूप का वर्णन करें। वर्ष 1960-61 से वन के अन्तर्गत क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण वृद्धि नहीं हुई, इसका क्या कारण है?
उत्तर:
भारत में भू-उपयोग प्रारूप- भू-उपयोग को निर्धारित करने वाले तत्त्वों में भौतिक कारक यथा भूआकृति, जलवायु और मृदा के प्रकार तथा मानवीय कारक यथा जनसंख्या घनत्व, प्रौद्योगिक क्षमता, संस्कृति और परम्पराएँ आदि शामिल हैं। भारत का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 32.8 लाख वर्ग किलोमीटर है, जिसमें से 93 प्रतिशत भाग के ही भू-उपयोग के आंकड़े उपलब्ध हैं। वर्ष 2014-15 के आँकड़ों के अनुसार भारत में भूमि उपयोग प्रारूप के प्रमुख तथ्य इस प्रकार हैं, यथा-
(1) भारत में भूमि उपयोग सन्तुलित नहीं है-
(2) हमारे देश में भूमि उपयोग का प्रारूप राष्ट्रीय, राज्य एवं स्थानीय स्तर पर भी संतुलित नहीं है।
1960-61 से वन के अन्तर्गत क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण वृद्धि नहीं होने के कारण- 1960-61 की तुलना में 2014-15 में वन क्षेत्र में केवल 5.19 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। भारत में वनों के अधीन भूमि में अधिक वृद्धि न हो पाने का मुख्य कारण देश की जनसंख्या में वृद्धि होना है। वनों की आर्थिक लाभ के लिए कटाई जारी रही है। विभिन्न उद्योगों के विकास, कृषि कार्य एवं आवास के लिए वनों को काटा जाता रहा है। यही कारण है कि वर्ष 1960-61 से वन क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण वृद्धि नहीं हुई है।
प्रश्न 2.
प्रौद्योगिक और आर्थिक विकास के कारण संसाधनों का अधिक उपभोग कैसे हआ है?
उत्तर:
प्रौद्योगिक और आर्थिक विकास के कारण संसाधनों का अधिक उपभोग निम्नलिखित प्रकार से हुआ है, यथा-
उदाहरण के लिए आज राजस्थान में उचित प्रौद्योगिकी के विकास से विभिन्न खनिज एवं शक्ति संसाधनों का पर्याप्त दोहन किया जा रहा है जिससे विकास तीव्र गति से हो रहा है। अतः स्पष्ट है कि प्रौद्योगिकी आर्थिक विकास को गति प्रदान करती है और आर्थिक विकास से संसाधनों का अधिक उपभोग होता है।
परियोजना/क्रियाकलाप
प्रश्न 1.
अपने आस-पास के क्षेत्रों में संसाधनों के उपभोग और संरक्षण को दर्शाते हुए एक परियोजना तैयार करें।
उत्तर:
[स्वयं करने के लिए]।
प्रश्न 2.
आपके विद्यालय में उपयोग किए जा रहे संसाधनों के संरक्षण विषय पर अपनी कक्षा में एक चर्चा आयोजित करें।
उत्तर:
[कक्षा में चर्चा आयोजित करें]।
प्रश्न 3.
वर्ग पहेली को सुलझाएँ; ऊर्ध्वाधर और क्षैतिज छिपे उत्तरों को ढूँढें।
(i) भूमि, जल, वनस्पति और खनिजों के रूप में प्राकृतिक सम्पदा
(ii) अनवीकरण योग्य संसाधन का एक प्रकार
(iii) उच्च नमी रखाव क्षमता वाली मृदा
(iv) मानसून जलवायु में अत्यधिक निक्षालित मृदाएँ
(v) मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए बृहत् स्तर पर पेड़ लगाना
(vi) भारत के विशाल मैदान इन मृदाओं से बने हैं।
[नोट : पहेली के उत्तर अंग्रेजी के शब्दों में हैं।]
उत्तर:
(i) RESOURCE
(ii) MINERALS
(iii) BLACK
(iv) LATERITE
(v) AFFORESTATION
(vi) ALLUVIAL