RBSE Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्गाः

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्गाः Questions and Answers, Notes Pdf.

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RBSE Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्गाः

'उपसर्ग' 'अव्यय' इस दूसरे नाम से भी कहा जाता है। जो शब्द सदा ही एक ही रूप में होता है, अर्थात् जिस शब्द के स्वरूप में कोई भी विकार नहीं होता है, वह 'उपसर्ग' नाम से कहा जाता है। जो अव्यय धातु से पूर्व अथवा विशेषण शब्द से पूर्व अथवा संज्ञा आदि शब्द से पूर्व लगाया जाता है, वह 'उपसर्ग' कहा जाता है। उपसर्गों का प्रयोग करने से धातुओं के अर्थ का प्रकाशन और परिवर्तन होता है। कहा भी गया है

"उपसर्गेण धात्वर्थो बलादन्यत्र नीयते।
प्रहारहारसंहारविहारपरिहारवत्"।। इति ।। 

"उपसर्ग के द्वारा धातु का अर्थ बलात् दूसरी ओर ले जाया जाता है। जैसे-प्रहार, आहार, संहार, विहार, परिहार आदि।"
संस्कृत में 'ह' हरण अर्थ में धातु से एक 'हार' शब्द बनाया जाता है। इसी 'हार' एक शब्द के दो अर्थ होते हैं। विभूषण-आभूषण के प्रसंग में 'हार' शब्द का ‘स्वर्णहार', 'मुक्ताहार', 'पुष्पहार' इत्यादि अर्थ होता है। युद्ध के प्रसंग में 'हार' का अर्थ 'पराजय' होता है। किन्तु अलग-अलग उपसर्गों के प्रयोग से इसी 'हार' शब्द के अनेक अर्थ होते हैं। जैसे-'प्रहार' शब्द का अर्थ 'आक्रमण' होता है।

'आहार' शब्द का अर्थ 'भोजन' होता है। 'विहार' शब्द का अर्थ 'भ्रमण' होता है। 'उपहार' शब्द का 'अभिनन्दन के लिए दिया गया पदार्थ' यह अर्थ होता है। 'उपसंहार' शब्द का किसी भी लेख या निबन्ध की 'समाप्ति' यह अर्थ होता है। इस प्रकार उपसर्गों के प्रयोग से धातुओं के अर्थ में परिवर्तन हो जाता है। 

RBSE Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्गाः

उपसर्गाणां संख्या (उपसर्गों की संख्या) - 

संस्कृत में कुल बाईस उपसर्ग होते हैं। उन्हें यहाँ अर्थ सहित दिया जा रहा है - 

1. प्र - अधिक
2. परा - उल्टा, तिरस्कार 
3. अप - बुरा, अभाव
4. सम् - उत्तम, सम्पूर्ण 
5. अनु - पीछे, समान
6. अव - हीन, नीचे 
7. निस् - रहित, विपरीत
8. निर् - निषेध, रहित 
9. दुस् - बुरा, कठिन
10. दुर् - बुरा, कठिन 
11. वि - विशेष, अभाव
12. आङ् (आ) - तक 
13. नि - रहित, विशेष
14. अधि - प्रधान, ऊपर 
15. अपि - हीन
16. अति - अधिक, ऊपर 
17. सु - अधिक, श्रेष्ठ
18. उत् - ऊपर, श्रेष्ठ 
19. अभि - पास, इच्छा
20. प्रति - सामने, अनेक
21. परि - चारों ओर, पूर्ण
22. उप - निकट, गौण 

उपसर्गों के उदाहरण - 

1. प्र - प्रचलति, प्रकृतिः, प्रभावः, प्रक्रिया, प्रयासः, प्रजा आदि। 
2. परा - पराजयः, पराश्रितः, पराधीनः, पराभव, पराक्रम आदि। 
3. अप् - अपकरोति, अपमानः, अपचयः, अपहरणम्, अपशब्दः आदि। 
4. सम् - संगतिः, संगमनम्, समन्वयः, समारोहः, समीक्षा, संताप आदि। 
5. अन् - अनुगच्छति, अनुसरति, अनुभव, अनुकरणम्, अनुवादः, अनुरागः आदि। 
6. अव - अवगच्छति, अवकाशः, अवतारः, अवतरणम्, अवनतिः आदि। 
7. निस् - निस्तेज, निःसरति, निस्सन्देह, निःशब्दः आदि।
8. निर् - निर्गच्छति, निर्बलः, निर्णयः, निर्बाध, निर्लज्ज आदि। 
9. दुस् - दुष्परिणाम, दुस्साध्य, दुःसाहस आदि। 
10. दुर् - दुर्गुण, दुर्बल, दुराचार, दुर्बोध, दुर्जन आदि। 
11. वि - विचरति, विवाद, विनय, विनम्र, विशेष, विदेश आदि। 
12. आङ्. (आ) - आगच्छति, आनयति, आचारः, आभार, आजीवन आदि। 
13. नि - नियम, निवारण, निधन, निवास, निलय आदि।
14. अधि - अधितिष्ठति, अधिकार, अधिकरण, अधिष्ठाता आदि। 
15. अपि - अपिहित, अपिधान, अप्यागच्छति आदि। 
16. अति - अतिरिक्तः, अत्याचारः, अत्यधिकं, अत्यन्त आदि। 
17. सु - सुपुत्रः, सुपात्रः, सुबोधः, सुकुमारः, सुशील आदि।
18. उत् - उत्थान, उत्पन्न, उत्पादन, उद्भव, उद्घाटन आदि। 
19. अभि - अभिनयः, अभिनव, अभिज्ञः, अभीष्ट अभियान आदि। 
20. प्रति - प्रतिकार, प्रत्युत्तर, प्रतिवर्षम्, प्रत्येकः, प्रतिदिन आदि। 
21. परि - परिणाम, परिश्रम, परिचयः, परिवार, परित्याग आदि। 
22. उप - उपकरोति, उपवसति, उपनयति, उपयोगः, उपवनम् आदि। 

RBSE Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्गाः

उपसर्गों का वाक्य प्रयोग - 

(i) प्र - महेन्द्रः प्रयासः करोति। अत्र कक्षा प्रचलति। 
(ii) परा - राजा युद्धे पराक्रमी वर्तते। सेवकः तस्य पराधीनः। 
(iii) अनु - प्रजाः नृपम् अनुगच्छति। अयं तस्य अनुवादः। 
(iv) निर् - बालकाः विद्यालयात् निर्गच्छन्ति। सः निर्बलः अस्ति। 
(v) वि - गोपालः विजयं प्राप्नोति। रमेशः विनम्रः अस्ति। 
(vi) दुर् - दुर्जनः कपटं करोति। शरीरेण सः दुर्बलः। 
(vii) उप - शिष्यः गुरुम् उपगच्छति। सा सदैव उपकरोति। 
(viii) परि - राधायाः परिवारः सुशीलः। महेशः परिश्रमी वर्तते।
(xi) अव - अद्य अवकाशः वर्तते। सः सम्यग् अवगच्छति। 
(x) प्रति - प्रत्येकः बालकः स्वकार्यं करोति। सः ग्रामात् प्रत्यागच्छति। 
(xi) अप - चौरः धनिकस्य धनम् अपहरति।
(xii) सम - छात्रः गुरुम् संगच्छते 
(xiii) निस् - सर्पः बिलात् निस्सरति। 
(xiv) दुस् - स्वभावः दुस्त्याज्यः भवति। 
(xv) आङ् (आ) - पिता अत्र आगच्छति। 
(xvi) नि - महेशः मित्रं निगदति। 
(xvii) अधि - नृपः सिंहासनम् अधितिष्ठति। 
(xviii) अपि - द्वारपालः द्वारम् अपिदधाति। 
(xix) अति - दुर्जनः अत्याचारं करोति। 
(xx) सु - सुपुत्रः सर्वत्र सुशोभते। 
(xxi) उत् - खगाः आकाशे उत्पतन्ति। 
(xxii) अभि - अभ्यागतः सर्वदा पूजनीयः। 

प्रमुख उपसर्गों का प्रायोगिक ज्ञान - 

'प्र' उपसर्गः - 'प्र' उपसर्ग का 'प्रकृष्टः', 'श्रेष्ठः', 'उत्कृष्टः', 'अधिकम्' इत्यादि अर्थ होते हैं। यथा - 

1. प्र + एजते = प्रेजते
2. प्र + मत्तः = प्रमत्तः 
3. प्र + यानम् = प्रयाणम्
4. प्र + स्थानम् = प्रस्थानम् 
5. प्र + कम्पनम् = प्रकम्पनम्
6. प्र + काशः = प्रकाशः 
7. प्र + कृतिः = प्रकृतिः
8. प्र + क्रिया = प्रक्रिया 
9. प्र + क्षालनम् = प्रक्षालनम्
10. प्र + ख्यातः = प्रख्यातः 
11. 'प्र + चोदयात् = प्रचोदयात्
12. प्र + जा = प्रजाः 
13. प्र + ज्ञः = प्रज्ञः
14. प्र + नयः = प्रणयः 
15. प्र + तारणा = प्रतारणा
16. प्र + तापी = प्रतापी 

RBSE Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्गाः

'सम्' उपसर्ग: - 'सम्' उपसर्ग का 'सुष्ठुरूपेण', 'सम्यक्प्रकारेण' इत्यादि अर्थ होते हैं। यथा - 

1. सम् + गमनम् = संगमनम्
2. सम् + गतिः = संगतिः 
3. सम् + भाषणम् = संभाषणम् 
4. सम् + मेलनम् = सम्मेलनम् 
5. सम् + योजनम् = संयोजनम् 
6. सम् + तोषः = सन्तोषः 
7. सम् + तुष्टिः = सन्तुष्टिः
8. सम् + न्यासः = संन्यासः
9. सम् + तापः = संतापः .
10. सम् + अन्वयः = समन्वयः 
11. सम् + अर्पणम् = समर्पणम्
12. सम् + साधनम् = संसाधनम् 
13. सम् + आगतः = समागतः
14. सम् + आचारः = समाचारः 
15. सम् + आधानम् = समाधानम्
16. सम् + आप्तः = समाप्तः 
17. सम् + आरोहः = समारोहः
18. सम् + आवर्तनम् = समावर्तनम् 
19. सम् + ईक्षा = समीक्षा
20. सम् + कृतम् = संस्कृतम् 

'अनु' उपसर्गः - 'अनु' उपसर्ग का 'पश्चात्' अर्थ में प्रयोग होता है। जैसे - 

1. अनु + करणम् = अनुकरणम्
2. अनु + गमनम् = अनुगमनम् 
3. अनु + कूलः = अनुकूलः
4. अनु + कम्पा = अनुकम्पा 
5. अनु + जः = अनुजः
6. अनु + जा = अनुजा 
7. अनु + क्रोशः = अनुक्रोशः
8. अनु + ज्ञा = अनुज्ञा 
9. अनु + वादः = अनुवादः
10. अनु + नासिकः = अनुनासिकः 
11. अनु + भवः = अनुभवः
12. अनु + रूपः = अनुरूपः 
13. अनु + प्रासः = अनुप्रासः
14. अनु + बन्धः = अनुबन्धः 
15. अनु + रागः = अनुरागः
16. अनु + रक्तिः = अनुरक्तिः 
17. अनु + राधा = अनुराधा
18. अनु + रोध = अनुरोधः 
19. अनु + सारः = अनुसारः
20. अनु + सूचितः = अनुसूचितः 
21. अनु + शासनम् = अनुशासनम्
22. अनु + शीलनम् = अनुशीलनम् 
23. अनु + स्वारः = अनुस्वारः
24. अनु + जीवि = अनुजीवि 
25. अनु + चरः = अनुचरः 

RBSE Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्गाः

'दुस्' उपसर्गः - 'दुस्' उपसर्ग का 'अवरः', 'दुष्टः', 'कठिनम्' इत्यादि अर्थ होते हैं। यथा - 

1. दुस् + कर्म = दुष्कर्म
2. दुस् + करम् = दुष्करम् 
3. दुस् + तरम् = दुस्तरम्
4. दुस् + सहः = दुःसहः 
5. दुस् + करः = दुष्करः
6. दुस् + कुलीन = दुष्कुलीन 
7. दुस् + कृत्य = दुष्कृत्य
8. दुस् + चरितम् = दुष्चरितम् 
9. दुस् + पूरः = दुष्पूरः
10. दुस् + प्रकृतिः = दुष्प्रकृतिः 
11. दुस् + प्रवृत्ति = दुष्प्रवृत्तिः
12. दुस् + प्राप्यः = दुष्प्राप्यः 
13. दुस् + शासनः = दुःशासनः
14. दुस् + स्वप्नः = दुःस्वप्नः 
15. दुस् + सत्वम् = दुस्सत्वम्

'वि' उपसर्गः - 'वि' उपसर्ग का 'विना', 'पृथक्', 'विविध', 'विशेषम्' इत्यादि अर्थ होते हैं। यथा -

1. वि + युक्तः = वियुक्तः
2. वि + भागः = विभागः 
3. वि + शेषः = विशेषः
4. वि + रोधः = विरोधः 
5. वि + चारः = विचारः
6. वि + चित्रम् = विचित्रम् 
7. वि + लक्षणः = विलक्षणः
8. वि + लोमः = विलोमः 
9. वि + कटः = विकटः
10. वि + करालः = विकरालः 
11. वि + कल्पः = विकल्पः
12. वि + कसितः = विकसितः 
13. वि + कारः = विकारः 
14. वि + कृतिः = विकृतिः 
15. वि + क्रमः = विक्रमः
16. वि + क्षिप्तः = विक्षिप्तः
17. वि + ख्यातम् = विख्यातम्
18. वि + गतम् = विगतम् 
19. वि + चक्षणः = विचक्षणः
20. वि + चारणा = विचारणा 
21. वि + वाहः = विवाहः

RBSE Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्गाः

'उप' उपसर्गः - 'उप' उपसर्ग के 'समीप', 'निकटता' आदि अर्थ होते हैं। जैसे - 

1. उप + आसना = उपासना
2. उप + विशति = उपविशति 
3. उप + गच्छति = उपगच्छति
4. उप + दिशति = उपदिशति
5. उप + नयति = उपनयति
6. उप + करणम् = उपकरणम् 
7. उप + कारः = उपकारः
8. उप + क्रमः = उपक्रमः 
9. उप + ग्रहः = उपग्रहः
10. उप + चारः = उपचारः 
11. उप + जीव्य = उपजीव्य
12. उप + देशः = उपदेशः 
13. उप + द्रवः = उपद्रवः
14. उप + धानम् = उपधानम् 
15. उप + न्यासः = उपन्यासः 
16. उप + निषद् = उपनिषद् 
17. उप + मा = उपमा
18. उप + योगः = उपयोगः 
19. उप + हासः = उपहासः
20. उप + आसकः = उपासकः 
21. उप + स्थितिः = उपस्थितिः 
22. उप + शासकः = उपासकः 
23. उप + अध्यायः = उपाध्यायः 

'आ' उपसर्ग का प्रयोग-'आ' उपसर्ग का प्रयोग 'पर्यन्त' अथवा 'ओर' अर्थ में होता है। जैसे -

RBSE Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्गाः 1

'दुर्' उपसर्ग का प्रयोग-'दुर्' उपसर्ग का प्रयोग भी 'बुरा', 'कठिन' अथवा 'हीन' अर्थ में होता है। जैसे - 

RBSE Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्गाः 2

'अपि' उपसर्ग का प्रयोग-'अपि' उपसर्ग का प्रयोग प्रायः निकट अर्थ में होता है। जैसे -

RBSE Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्गाः 3

'प्रति' उपसर्ग का प्रयोग-'प्रति' उपसर्ग का प्रयोग 'ओर' अथवा 'उल्टा' अर्थ में किया जाता है। जैसे -

RBSE Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्गाः 4

'परा' उपसर्ग का प्रयोग-'परा' उपसर्ग का प्रयोग 'उल्टा' या 'पीछे' अर्थ में होता है। जैसे - 

RBSE Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्गाः 5

अभ्यासार्थ प्रश्न :

प्रश्न 1. 
अधोलिखितेषु पदेषु उपसर्गान् थातून् च पृथक् कृत्वा लिखत। 
उत्तरम् :
RBSE Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्गाः 6

प्रश्न 2.
कोष्ठकात् शुद्धपदं चित्वा रिक्तस्थाने लिखत - 

  1. हे प्रभो! मयि .............। (प्रासीदतु/प्रसीदतु) 
  2. गुरुः शिष्यस्य अज्ञानम् .........। (उपहरति/अपहरति) 
  3. वानराः जनान् .............। (अनुकुर्वन्ति/अन्वकुर्वन्ति) 
  4. अहं संस्कृतम् .............। (अवजानामि/अवाजानामि) 
  5. .......... सत्यम् एव वदनीयम्। (आजीवनम/आजीवनः) 
  6. अध्यापकः प्रश्नान् पृच्छति। छात्राः .......। (प्रतिवदन्ति/संवदन्ति) 
  7. कामात् क्रोधः ......। (पराभवति/उद्भवति) 
  8. सभायाम् विद्वांसः एव .........। (सुशोभन्ते/सुशोभन्ति) 
  9. चौरः रात्रौ धनम् ..........। (व्यहरत्/अहरत्) 
  10. माता पुत्रः च परस्परम् ........... । (प्रतिवदतः/संवदतः) 
  11. गुरुः आश्रमात् .........। (प्रविशति/निर्गच्छतिं) 
  12. नागरिकाः एव स्वदेशम् ........। (उद्रयन्ति/उन्नयन्ति) 
  13. वयं चलच्चित्रं द्रष्टुम् अत्र ...........। (अवागच्छाम/आगच्छाम) 
  14. माता पुत्रम् ........। (संस्करोति/समकरोति) 
  15. नदी पर्वतात् ............. । (प्रवहति/उद्भवति) 

उत्तरम् :

  1. प्रसीदतु 
  2. अपहरति 
  3. अनुकुर्वन्ति 
  4. अवजानामि
  5. आजीवनम् 
  6. प्रतिवदन्ति 
  7. उद्भवति 
  8. सुशोभन्ते 
  9. अहरत् 
  10. संवदतः 
  11. निर्गच्छति 
  12. उन्नयन्ति
  13. आगच्छाम 
  14. संस्करोति 
  15. उद्भवति। 

RBSE Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्गाः

प्रश्न 3. 
(i) हारः, योगः इति शब्दाभ्यां सह अधोलिखितान् उपसर्गान् संयुज्य प्रत्येकं पदद्वयस्य निर्माणं कुरुत। निर्मितैः पदैः च सार्थकवाक्यानि रचयत।
उपसर्गाः - आ, वि, प्र, सम्। 
(ii) 'भू' ह, इति एताभ्याम् धातुभ्यां प्राक् अधोलिखितान् उपसर्गान् संयुज्य प्रत्येकं पदद्वयस्य निर्माणं कुरुत। निर्मितैः पदैः च सार्थकवाक्यानि रचयत
उपसर्गा: - प्र, अनु, सम्। 
उत्तरम् : 
RBSE Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्गाः 7

प्रश्न 4. 
उपसर्ग संयुज्य उचितैः धातुरूपैः रिक्तस्थानानि पूरयत - 

  1. गङ्गा हिमालयात् ............ (निस् + स, लट्) 
  2. कृषकाः क्षेत्रात् ............ (आ + गम्, लङ्) 
  3. वयं नियमान् ...............। (परि + पाल्, लट्) 
  4. छात्राः गुरौ आमते .................... (उत् + स्था, लोट्) 
  5. विडालः मूषकम् ....................। (अनु + सृ, लट्) 
  6. त्वं कक्षायां पाठं ध्यानेन ....................। (अव + गम्, विधि.) 
  7. बीजात् वृक्षः ....................। (उद् + भू + लृट्) ..... 
  8. सेवकाः स्वामिनम् .................... । (उप + से + लट्) 
  9. अद्याहं शीतं न ................. । (अनु + भू + लट्) 

उत्तरम् :

  1. निस्सरति 
  2. आगच्छन् 
  3. परिपालयामः 
  4. उत्तिष्ठन्तु
  5. अनुसरति 
  6. अवगच्छेः 
  7. उद्भविष्यति 
  8. उपसेवन्ते
  9. अनुभवामि। 

RBSE Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्गाः

प्रश्न 5. 
उचितैः उपसर्गयुक्तैः पदैः रिक्तस्थानानि पूरयत -

  1. एषः मार्गः अतीव ....................। (दुर् + गमः) 
  2. कस्यापि अवगुणस्य .................... मा कुरु। (उत् + लेखम्) 
  3. .................... अपि .................... न करणीयः। (निर् + धनस्य, अप + मानः) 
  4. तव एतावत् .................... यत् मम् .................... करोषि। (दुस् + साहसम्, अप् + मानम्) 
  5. क्षम्यताम्, .................... अहं तव .................... करोमि। (निस् + सन्देहम्, सम् + मानम्) 
  6. लोकस्य .................... एव श्रेयस्करम्। (सम् + रक्षणम्) 

उत्तरम् : 

  1. दुर्गमः 
  2. उल्लेखम् 
  3. निर्धनस्य, अपमानः 
  4. दुस्साहम्, अपमानम्
  5. निस्सन्देहम्, सम्मानं 
  6. संरक्षणम्

प्रश्न 6. 
निम्नलिखितपदेषु प्रयुक्तम् उपसर्ग धातुश्च पृथक्-कृत्वा लिखत - 
(निम्नलिखित पदों में प्रयुक्त उपसर्ग एवं धातु को पृथक्-पृथक् लिखिए-) 
(क) प्रचारकम्
(ख) उपशासितम् 
(ग) प्राप्यन्ते
(घ) उपलभ्यते 
(ङ) अनुवर्तते
(च) आचरति 
(छ) अनुभूयते
(ज) प्रभवेमः 
(झ) आगत्य
(अ) संमानम् 
उत्तरम् : 
(क) प्र + चर्
(ख) उप + शास् 
(ग) प्र + आप
(घ) उप + लभ् 
(ङ) अनु + व
(च) आ + चर् 
(छ) अनु + भू
(ज) प्र + भू. 
(झ) आ + गम् + ल्यप्
(ञ) सम् + मानम् 

RBSE Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्गाः

प्रश्न 7 
निम्नलिखितोपसर्गः धातुभिः च पदनिर्माणं कृत्वा लिखत - 
(निम्नलिखित उपसर्ग एवं धातुओं/शब्दों से बनने वाले पद लिखिए-) 
(क) उप + कृ
(ख) प्र + नम्
(ग) सम् + गम्
(घ) अनु + भू 
(ङ) अनु + सृ
(च) वि + हृ
(छ) दुस् + कृ
(ज) परा + जि
उत्तरम् : 
(क) उपकरोति
(ख) प्रणमति 
(ग) संगच्छति
(घ) अनुभवति 
(ङ) अनुसरति
(च) विहरति 
(छ) दुष्करोति
(ज) पराजयते

प्रश्न 8. 
निम्नलिखितैः उपसर्गः धातुभिश्च पदनिर्माणं कृत्वा लिखत - 
(निम्नलिखित उपसर्ग एवं धातुओं से पद बनाकर लिखिए-) 
(क) अनु + वद्
(ख) अनु + कृ 
(ग) उप + विश्
(घ) उप + हृ 
(ङ) प्र + हस्
(च) प्र + हृ 
(छ) सम् + भू
(ज) सम् + दश
उत्तरम् : 
(क) अनुवदति
(ख) अनुकरोति 
(ग) उपविशति
(घ) उपहरति 
(ङ) प्रहसति
(च) प्रहरति 
(छ) संभवति
(ज) संपश्यति

RBSE Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्गाः

प्रश्न 9. 
निम्नलिखितेषु पदेषु प्रयुक्तोपसर्गः मूलपदञ्च पृथक्-पृथक् लिखत। 
(निम्नलिखित पदों में प्रयुक्त उपसर्ग और मूल पद पृथक्-पृथक् लिखिए।) 
उत्तरम् : 
RBSE Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्गाः 8

प्रश्न 10. 
पदनिर्माणं कृत्वा वाक्य प्रयोगं कुरुत। 
(पद निर्माण करके वाक्य प्रयोग कीजिये।) 
उत्तराणि : 
RBSE Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्गाः 9

RBSE Class 9 Sanskrit व्याकरणम् उपसर्गाः

प्रश्न 11. 
उपसर्ग संयुज्य उचितपदैः रिक्तस्थानानि पूरयत
(उपसर्ग जोड़कर उचित पदों से रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-) 

  1. ग्रामे एका .............. वृद्धा स्त्री न्यवसत्। (निर् + धन) 
  2. ............. बालिका निद्रामपि न लेभे। (प्र + हर्षिता) 
  3. तदनन्तरं सा लोभं ...............। (परि + त्यज्, लङ्) 
  4. अहो अस्याः ..........। (दुस् + साहसम्) 
  5. विमला आत्मत्राणाय ..............। (प्र + यतते) 
  6. जीमूतवाहनः कल्पतरुम् .............। उवाच। (उप + गम् + ल्यप्) 
  7. वृत्तं यत्नेन ................। (सम् + रक्षेत्) 
  8. एते पक्षिणो मानुषेषु न ............... । (उप + गम्, लट्) 
  9. उभौ परस्परम् ............। (अव + लोकयतः) 
  10. ईदृगेवायं ..........। (सम् + सारः) 
  11. नदीतटाच्छ्ये नेन ............ शिशुः। (अप + हृतः) 

उत्तराणि :

  1. निर्धना
  2. प्रहर्षिता 
  3. पर्यत्यजत् 
  4. दुस्साहसम्
  5. प्रयतते 
  6. उपगम्य
  7. संरक्षेत् 
  8. उपगच्छन्ति 
  9. अवलोकयतः 
  10. संसारः 
  11. अपहृतः
Prasanna
Last Updated on June 1, 2022, 9:27 a.m.
Published May 31, 2022