These comprehensive RBSE Class 7 Social Science Notes History Chapter 6 नगर, व्यापारी और शिल्पिजन will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 7 Social Science Notes History Chapter 6 नगर, व्यापारी और शिल्पिजन
→ नगर कई तरह के होते हैं; जैसे-मंदिर नगर, एक प्रशासनिक केन्द्र, एक वाणिज्यिक शहर, एक पत्तन नगर, किसी अन्य प्रकार का नगर, जैसे—शिल्प उत्पादन केन्द्र या एक मिलाजुला नगर।
→ प्रशासनिक केन्द्र (तंजावूर):
- कावेरी नदी पर वास्तुकार कुंजरमल्लन राजराज पेरुथच्चन द्वारा निर्मित चोल राजाओं द्वारा तंजावूर नगर बनवाया। यह उनकी राजधानी था।
- इसमें राजराजेश्वर मंदिर के अलावा अनेक राजमहल तथा सैन्य शिविर भी बने हैं।
- नगर के बाजारों में अनाज, मसालों, कपड़ों और आभूषणों की बिक्री होती थी। जलापूर्ति कुओं और तालाबों से होती थी। इसके निकटवर्ती नगर में बुनकर हैं तथा इसके कुछ दूरी पर स्वामीमलाई में मूर्तिकार उत्तम कांस्य मूर्तियाँ आदि बनाते थे।
→ मंदिर नगर और तीर्थ केन्द्र
- मंदिर नगर नगरीकरण का एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण प्रतिरूप प्रस्तुत करते हैं। विदिशा, सोमनाथ, कांचीपुरम, मदुरै, तिरुपति आदि मंदिर नगर इसके उदाहरण हैं।
- तीर्थस्थल भी धीरे-धीरे नगरों के रूप में विकसित होते गए; जैसे—वृंदावन, तिरुवन्नमलई. अजमेर आदि। छोटे नगरों का संजाल आठवीं शताब्दी से ही उपमहाद्वीप में अनेक छोटे-छोटे नगरों का संजाल सा बिछने लगा था। संभवतः उनका प्रादुर्भाव बड़े-बड़े गाँवों से हुआ था जो अनाज मंडी तथा हाट से नगरों में परिवर्तित हुए।
→ छोटे-बड़े व्यापारी
- व्यापारी कई प्रकार के हुआ करते थे। उनमें बंजारे लोग भी शामिल थे।
- व्यापारी अपने हितों की रक्षा के लिए व्यापार संघ (गिल्ड) बनाते थे। ये व्यापार संघ दूर-दूर तक व्यापार करते थे।
- इसके अलावा चेट्टियार, मारवाड़ी ओसवाल, हिन्दू बनिया, मुस्लिम बोहरा आदि व्यापारी समुदाय भी दूसरे देशों से व्यापार करते थे।
- पश्चिमी तट के नगरों से भारतीय मसाले और कपड़े इतालवी व्यापारी खरीदकर यूरोप पहुँचाते थे।
→ नगरों में शिल्प
नगरों में ताँबे-चाँदी चाँदी में जड़ाई के शिल्पकार, विश्वकर्मा समुदाय, बुनकर समुदाय तथा कपास कातने, साफ करने व रंगने वाले शिल्पी समुदाय रहते थे।
→ हम्पी, मसूलीपट्टनम और सूरत-नजदीक से एक नजर हम्पी की वास्तुकला का सौंदर्य-हम्पीनगर कृष्णा और तुंगभद्रा नदियों की घाटी में स्थित है। यह नगर 1336 ई. में स्थापित विजयनगर साम्राज्य का केन्द्र स्थल था।
- वहाँ की किलेबंदी उच्च कोटि की थी।
- वहाँ के शाही भवनों में भव्य मेहराब और गुंबद थे, स्तंभों वाले कई विशाल कक्ष थे जिनमें मूर्तियाँ रखने के आले बने हुए थे।
- वहाँ सुनियोजित बाग-बगीचे, कमल और टोडों की आकृति वाले मूर्तिकला के नमूने थे।
- बाजारों में देशी-विदेशी व्यापारियों का जमघट लगा रहता था तथा मंदिर सांस्कृतिक गतिविधियों के केन्द्र थे।
- 1565 ई. में दक्कनी सुलतानों के शासकों के हाथों विजयनगर की पराजय के बाद हम्पी का विनाश हो गया।
→ सूरत-पश्चिम का प्रवेश द्वार
- सूरत मुगलकाल में गुजरात में पश्चिमी व्यापार का वाणिज्य केन्द्र बन गया। यह पश्चिम एशिया के साथ व्यापार करने का मुख्य द्वार था।
- यहाँ सभी जातियों और धर्मों के लोग रहते थे तथा यह एक अच्छा बंदरगाह था।
- सूरत के वस्त्र अपने सुनहरे गोटा-किनारियों (जरी) के लिए प्रसिद्ध थे।
- यहाँ जारी की गई इंडियों की दूर-दूर तक मान्यता थी।
किन्तु 17वीं शताब्दी के अन्तिम वर्षों में सूरत का अधःपतन प्रारंभ हो गया। वर्तमान में सूरत एक महत्त्वपूर्ण वाणिज्यिक केन्द्र है।
→ जोखिम भरा दौर-मसूली पट्टनम के लिए चुनौती
- मसूलीपट्टनम (मछलीपट्टनम) कृष्णा नदी के डेल्टा पर स्थित है।
- 17वीं शताब्दी में वह एक महत्त्वपूर्ण पत्तन बन गया था।
- विभिन्न व्यापारी समूहों ने इस नगर को घनी आबादी वाला और समृद्धशाली बना दिया।
- 18वीं शताब्दी में उसका अध:पतन हो गया। आज वह एक छोटे से जीर्ण-शीर्ण नगर से अधिक कुछ नहीं
→ नए नगर और व्यापारी
- 16वीं और 17वीं शताब्दियों में अंग्रेजों, हॉलैंडवासियों और फ्रांसीसियों ने भारतीय उपमहाद्वीप में अपनी वाणिज्यिक गतिविधियों का विस्तार करने के लिए अपनी-अपनी ईस्ट इण्डिया कम्पनी बनाई। अन्ततः अंग्रेज, उपमहाद्वीप में सर्वाधिक सफल वाणिज्यिक एवं राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरे।
- 18वीं सदी में बंबई, कलकत्ता और मद्रास नगरों का उदय हुआ, जो आज प्रमुख महानगर है।
- यूरोपियनों ने दो प्रकार के शहर बसाये
- ब्लैक टाउन्स और
- व्हाइट टाउन्स।