These comprehensive RBSE Class 7 Social Science Notes History Chapter 10 अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 7 Social Science Notes History Chapter 10 अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन
→ अठारहवीं शताब्दी में नए राज्यों का गठन-18वीं शताब्दी में औरंगजेब की मृत्यु के बाद भारत में कई स्वतंत्र राज्यों-सिक्ख, राजपूत, जाट, अवध मालवा, मराठा, हैदराबाद, गुजरात और बंगाल का उदय हुआ, मुगल साम्राज्य की सीमाएँ सिमटीं तथा 1765 ई. तक ब्रिटिश सत्ता ने पूर्वी भारत के बड़े-बड़े हिस्सों को हड़प लिया था।
→ मुगल साम्राज्य और परवर्ती मुगलों के लिए संकट की स्थिति
- औरंगजेब के शासनकाल में सैन्य संचालन के कारण हुए अत्यधिक खर्चों,
- परवर्ती काल में उत्तराधिकारियों की अयोग्यता से राजस्व की मात्रा में आई कमी,
- कृषक विद्रोहों और आंदोलनों,
- प्रांतीय सूबेदारों के स्वतंत्र होने,
- नादिरशाह के आक्रमण तथा
- आंतरिक गुटीय प्रतिद्वन्द्विता के कारण मुगल साम्राज्य कमजोर हो गया।
→ नए राज्यों का उदय:
18वीं सदी के दौरान मुगल साम्राज्य कई स्वतंत्र क्षेत्रीय राज्यों में बिखर गया। यथा
(अ) अवध, बंगाल व हैदराबाद
(ब) कई राजपूत प्रदेश
(स) मराठा, सिक्ख और जाटों का राज्य
→ पुराने मुगल प्रान्त:
- पुराने मुगल प्रान्तों से जिन उत्तराधिकारी राज्यों का उद्भव हुआ, उनमें से तीन राज्य प्रमुख थे-अवध, बंगाल और हैदराबाद यथा ये तीनों ही राज्य उच्च मुगल अभिजातों द्वारा स्थापित किये गए थे। तीनों के संस्थापकों का मुगल दरबार में ऊँचा स्थान था।
- ये अभिजात मुगलों की जागीरदारी व्यवस्था को संदेह की दृष्टि से देखते थे। इसलिए इन्होंने इजारेदारी प्रथा लागू की। इससे धनी लोगों की राजनीतिक व्यवस्था में पैठ स्थापित हुई।
→ राजपूतों की वतन जागीरी:
जोधपुर राजघराने ने नागौर को जीतकर अपने राज्य में मिला लिया तो आमेर के राजा ने भी बंदी के बड़े क्षेत्रों पर अपना कब्जा कर लिया।
→ आजादी हासिल करना
- 17वीं सदी के दौरान सिक्ख एक राजनैतिक समुदाय के रूप में गठित हो गए। इससे पंजाब के क्षेत्रीय राज्य निर्माण को बढ़ावा मिला।
- 18वीं सदी के अन्त तक सिक्ख इलाके सिंधु से यमुना तक फैले हुए थे, यद्यपि ये विभिन्न शासकों में बंटे हुए थे। इनमें से एक शासक रणजीत सिंह ने इनमें एकता कायम करके 1799 ई. में लाहौर को अपनी राजधानी बनाया।
→ मराठा
- मराठा राज्य एक अत्यन्त शक्तिशाली क्षेत्रीय राज्य था, जो मुगल शासन का लगातार विरोध करके उत्पन्न हुआ था।
- शिवाजी (1627-1680) ने शक्तिशाली योद्धा परिवारों (देशमुखों) की सहायता से एक स्थायी मराठा राज्य की स्थापना की।
- शिवाजी की मृत्यु के बाद मराठा राज्य में प्रभावी शक्ति पेशवाओं के हाथों में रही। पुणे मराठा राज्य की राजधानी बन गया।
- वे छापामार युद्ध प्रणाली से मुगलों से टक्कर लेते हुए सफल हुए।
- 1720-1761 के बीच मराठा साम्राज्य का काफी विस्तार हुआ। लेकिन उनके सैन्य अभियानों के कारण अन्य शासक उनके खिलाफ हो गये। परिणामस्वरूप मराठों को 1761 में पानीपत की तीसरी लड़ाई में अन्य शासकों से कोई सहायता नहीं मिली।
- मराठों ने अपनी प्रशासन व्यवस्था में भू-राजस्व की प्राप्ति के साथ-साथ कृषि को प्रोत्साहित किया, व्यापार को पुनर्जीवित किया।
→ जाट:
- जाटों ने भी 17वीं और 18वीं शताब्दियों में अपनी सत्ता सुदृढ़ की।
- चूड़ामन के नेतृत्व में जाटों ने दिल्ली के पश्चिमी क्षेत्रों पर अपना नियंत्रण कर लिया तथा 1680 के दशक तक आते-आते उनका प्रभुत्व दिल्ली और आगरा के दो शाही शहरों के बीच के क्षेत्र पर होना शुरू हो गया।
- सूरजमल के राज में भरतपुर शक्तिशाली जाट राज्य के रूप में उभरा।