RBSE Class 7 Social Science Notes Geography Chapter 5 जल

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RBSE Class 7 Social Science Notes Geography Chapter 5 जल

→ चक्र-सूर्य के ताप के कारण जल वाष्पित हो जाता है । ठंडा होने पर जलवाष्प संघनित होकर बादलों का रूप ले लेता है। यहाँ से यह वर्षा, हिम अथवा सहिम वृष्टि के रूप में धरती या समुद्र पर नीचे गिरता है। जिस प्रक्रम में जल लगातार अपने स्वरूप को बदलते हुए महासागरों, वायुमण्डल और धरती के बीच चक्कर लगाता रहता है, उसको जल चक्र कहते हैं।

→ थलशाला-हमारी पृथ्वी थलशाला के समान है। जो जल, शताब्दियों पूर्व उपस्थित था, वही आज भी मौजूद है।

→ जल के प्रकार: जल मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है

  • अलवण जल और
  • लवणीय जल।

→ जल का वितरण:
पृथ्वी की सतह का तीन-चौथाई भाग जल से ढंका हुआ है। पृथ्वी पर सम्पूर्ण मौजूद जल का वितरण प्रतिशत में इस प्रकार है-महासागर (97.3), बर्फ छत्रक (02.0), भूमिगत जल (00.68), झीलों का अलवण जल (0.009), नमकीन झीलें (0.009), वायुमण्डल (0.0019) नदियाँ (0.0001)। जीवन के लिए जल अत्यधिक आवश्यक है। इसलिए लापरवाही से इस बहुमूल्य संसाधन को हमें बर्बाद नहीं करना चाहिए।

RBSE Class 7 Social Science Notes Geography Chapter 5 जल

→ महासागरीय परिसंचरण :
महासागरीय जल हमेशा गतिमान रहता है। महासागर की गतियों को इस प्रकार वर्गीकृत कर सकते हैं

  • तरंगें,
  • ज्वार-भाटा,
  • धाराएँ। यथा

(1) तरंगें:

  • जब महासागरीय सतह पर जल लगातार उठता और गिरता रहता है, तो उन्हें तरंगें कहते हैं। समुद्री सतह पर पवन के बहने से तरंगें उत्पन्न होती हैं, जितनी तेज पवन बहती है, तरंगें भी उतनी बड़ी होती हैं । तूफान में विशाल तरंगें उठती हैं, जो विनाशकारी होती हैं।
  • भूकम्प, ज्वालामुखी, उद्गार या जल के नीचे भूस्खलन के कारण जल अत्यधिक विस्थापित होता है। इसके परिणामस्वरूप 15 मीटर ऊँची विशाल तरंगें उठती हैं, जिसे सुनामी कहते हैं । सुनामी आने से पोताश्रय नष्ट हो जाते हैं।

(2) ज्वार-भाटा

  • दिन में दो बार नियम से महासागरीय जल का उठना एवं गिरना 'ज्वार-भाटा' कहलाता है।
  • सूर्य एवं चन्द्रमा के शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण बल के कारण पृथ्वी की सतह पर ज्वार-भाटा आते हैं।
  • पूर्णिमा और अमावस्या के दिनों में सबसे ऊँचे ज्वार उठते हैं जिसे वृहत ज्वार कहते हैं ।
  • जब चाँद अपने प्रथम एवं अंतिम चतुर्थांश में होता है, तब निम्न ज्वार-भाटा आता है, जिसे लघु जवार-भाटा कहते हैं।
  • उच्च ज्वार नौ संचालन तथा मछली पकड़ने में सहायक होते हैं। कुछ स्थानों पर इससे विद्युत भी उत्पन्न किया जाता है।

(3) महासागरीय धाराएँ-

  • महासागरीय धाराएँ निश्चित दिशा में महासागरीय सतह पर नियमित रूप से बहने वाली जल धाराएँ हैं।
  • ये गर्म या ठंडी हो सकती हैं।
  • गर्म महासागरीय धाराएँ, भूमध्य रेखा के निकट उत्पन्न होती हैं और ध्रुवों की और प्रवाहित होती हैं।
  • ठंडी धाराएँ ध्रुवों से उष्ण कटिबंधों की ओर प्रवाहित होती हैं।
  • गर्म धाराओं से सतह का तापमान गर्म हो जाता है। दोनों धाराओं के मिलन स्थल को सर्वोत्तम मत्स्यन क्षेत्र माना जाता है। ऐसे स्थानों पर कुहरे वाला मौसम बनता है, जो नौसंचालन में बाधक होता है। 
Prasanna
Last Updated on June 6, 2022, 12:46 p.m.
Published June 6, 2022