RBSE Class 7 Social Science Notes Geography Chapter 3 हमारी बदलती पृथ्वी

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RBSE Class 7 Social Science Notes Geography Chapter 3 हमारी बदलती पृथ्वी

→ स्थलमण्डलीय प्लेटें और उनकी गतियाँ:

  • स्थलमण्डल अनेक प्लेटों में विभाजित है, जिन्हें स्थलमण्डलीय प्लेट कहते हैं।
  • ये प्लेट प्रत्येक वर्ष केवल कुछ किलोमीटर के लगभग हमेशा धीमी गति से चारों तरफ घूमती रहती हैं।
  • प्लेट की इस गति के कारण पृथ्वी की सतह पर परिवर्तन होते हैं।
  • पृथ्वी के अंतर्जनित बल और बहिर्जनिक बल के कारण ये गतियाँ उत्पन्न होती हैं।
  • अंतर्जनित बल कभी आकस्मिक गति उत्पन्न करते हैं तो कभी धीमी। भूकंप एवं ज्वालामुखी आकस्मिक गति के कारण होते हैं।

→ ज्वालामुखी-ज्वालामुखी भू : पर्पटी पर खुला एक ऐसा छिद्र होता है जिससे पिघले हुए पदार्थ अचानक निकलते हैं।

→ भूकम्प:

  • स्थलमण्डलीय प्लेटों के गति करने पर पृथ्वी की सतह पर कंपन होता है। यह कंपन पृथ्वी के चारों ओर गति कर सकता है। इस कंपन को भूकंप कहते हैं।
  • जहाँ कंपन आरंभ होता है, उसे उद्गम केन्द्र तथा उसके निकटतम स्थान को अधिकेन्द्र कहते हैं। अधिकेन्द्र के निकटतम भाग में भूकम्प से सर्वाधिक हानि होती है।
  • भूकंपीय तरंगें तीन प्रकार की होती हैं:
    • पी तरंगें (अनुदैर्ध्य तरंगें)
    • एस तरंगें (अनुप्रस्थ तरंगें)
    • एल तरंगें (पृष्ठीय तरंगें)।
  • भूकम्प का मापन एक यंत्र से किया जाता है, जिसे भूकंपलेखी कहते हैं। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर मापी जाती है। मुख्य स्थलाकृतियाँ
    • अपक्षय एवं अपरदन नामक दो प्रक्रमों द्वारा दृश्यभूमि लगातार विघटित होती रहती हैं।
    • पृथ्वी की सतह पर शैलों के टूटने से अपक्षय की क्रिया होती है।
    • भू-दृश्य पर जल, पवन एवं हिम जैसे विभिन्न घटकों के द्वारा होने वाले क्षय को अपरदन कहते हैं।

RBSE Class 7 Social Science Notes Geography Chapter 3 हमारी बदलती पृथ्वी

→ नदी के कार्य: नदी के जल से दृश्य भूमि का अपरदन होता है। नदियों के जल से जल प्रपातों, विसर्गों, चापझीलों, मैदानों तथा डेल्टा का निर्माण होता है।

→ समुद्री तरंग के कार्य: समुद्री तरंग के अपरदन एवं निक्षेपण तटीय स्थलाकृतियाँ बनाती हैं। ये हैं - समुद्री गुफाएँ, तटीय मेहराब, स्टैक, समुद्री भृगु तथा समुद्री पुलिन।

→ हिमनद के कार्य-हिमनद अपरदन तथा निक्षेपों द्वारा अनेक स्थलाकृतियों को बनाती हैं। ये हैं - गहरे गर्त, सुंदर झील, हिमनद, हिमोढ़ अदि।।

→ पवन के कार्य-रेगिस्तान में पवन, अपरदन एवं निक्षेपण का प्रमुख कारक है। इससे बनने वाली स्थलाकृतियाँ । हैं - छत्रक शैल, बालू टिब्बा, लोएस आदि।

Prasanna
Last Updated on June 6, 2022, 12:41 p.m.
Published June 6, 2022