RBSE Class 7 Social Science Important Questions History Chapter 5 शासक और इमारतें

Rajasthan Board RBSE Class 7 Social Science Important Questions History Chapter 5 शासक और इमारतें Important Questions and Answers. 

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RBSE Class 7 Social Science Important Questions History Chapter 5 शासक और इमारतें

बहुचयनात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
कुतुबमीनार की पहली मंजिल का निर्माण कराया गया-
(अ) कुतुबुद्दीन एबक द्वारा 
(ब) इल्तुतमिश द्वारा 
(स) मुहम्मद तुगलक द्वारा 
(द) अलाउद्दीन खलजी द्वारा 
उत्तर:
(अ) कुतुबुद्दीन एबक द्वारा 

प्रश्न 2. 
ताजमहल निम्न में से किस बादशाह द्वारा बनवाया गया? 
(अ) हुमायूँ 
(ब) अकबर 
(स) जहाँगीर 
(द) शाहजहाँ 
उत्तर:
(द) शाहजहाँ 

प्रश्न 3. 
कुतुबमीनार की सतह निम्न में से कैसी है? 
(अ) त्रिभुजाकार 
(ब) आयताकार 
(स) वृत्ताकार 
(द) वक्राकार या कोणीय 
उत्तर:
(द) वक्राकार या कोणीय 

प्रश्न 4. 
'हौज-ए-सुल्तानी' किसने बनवाया था? 
(अ) सुल्तान इल्तुतमिश 
(ब) कुतुबुद्दीन ऐबक 
(स) अलाउद्दीन खलजी 
(द) रजिया सुल्तान 
उत्तर:
(अ) सुल्तान इल्तुतमिश 

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प्रश्न 5. 
कंदरिया महादेव के मंदिर का निर्माण राजा धंगदेव द्वारा कराया गया था? 
(अ) सन् 1099 में 
(ब) सन् 999 में 
(स) सन् 1199 में 
(द) सन् 1299 में 
उत्तर:
(ब) सन् 999 में 

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें-

1. राजस्थान के बूंदी में स्थित रानीजी की बावड़ी का निर्माण ................... जी ने करवाया था। 
2. मंदिरों और मस्जिदों का निर्माण बहुत सुन्दर तरीके से किया जाता था क्योंकि वे .......... थे। 
3. सभी विशाल मंदिरों का निर्माण .......... ने करवाया था। 
4. दीवान-ए-खास और दीवान-ए-आम .......... खंभों के सभा भवन भी कहलाते थे। 
5. बादशाह शाहजहाँ के सिंहासन के पीछे .............. के जड़ाऊ काम की एक श्रृंखला बनाई गई थी। 
उत्तर:
1. रानी नाथावत 
2. उपासना 
3. राजाओं 
4. चालीस 
5. पितरा-दूरा।

सत्य-असत्य कथन छाँटिये-

1. दरवाजों और खिड़कियों के ऊपर की अधिरचना का भार मेहराबों पर डाल दिया जाता था। वास्तुकला का यह रूप 'इन्द्रप्रस्थ टोडा निर्माण' था। 
2. 8वीं से 13वीं सदी के बीच मंदिरों, मसजिदों, मकबरों से जुड़े भवनों का निर्माण 'इन्द्रप्रस्थ टोडा निर्माण' शैली से हुआ। 
3. राजराजेश्वर मंदिर का निर्माण राजा राजदेव ने अपने देवता राजराजेश्वर की उपासना हेतु किया था। 
4. मध्ययुगीन राजनीतिक संस्कृति में शासक अपने राजनैतिक बल और सैनिक सफलता का प्रदर्शन पराजित शासकों के उपासना स्थलों को लूट कर करते थे। 
5. शासन के आरंभिक वर्षों में शाहजहाँ की राजधानी शाहजहाँनाबाद थी। 
उत्तर:
1. असत्य 
2. सत्य 
3. सत्य 
4. सत्य 
5. असत्य 

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मिलान करें-

1. कंदरिया महादेव मंदिर 

(अ) वृंदावन 

2. ताजमहल

(ब) खजुराहो 

3. लाल किला

(स) आगरा  

4. राजराजेश्वर मंदिर

(द) दिल्ली 

5. कुतुबमीनार

(य) तंजावूर

6. गोविन्ददेव मंदिर

(र) इल्तुतमिश

उत्तर:

1. कंदरिया महादेव मंदिर 

(ब) खजुराहो 

2. ताजमहल

(स) आगरा 

3. लाल किला

(द) दिल्ली

4. राजराजेश्वर मंदिर

(य) तंजावूर 

5. कुतुबमीनार

(र) इल्तुतमिश 

6. गोविन्ददेव मंदिर

(अ) वृंदावन 

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अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
कुतुबमीनार कितनी मंजिली इमारत है? 
उत्तर:
कुतुबमीनार पाँच मंजिली इमारत है। 

प्रश्न 2. 
कुतुबमीनार का निर्माण किसने करवाया? 
उत्तर:
कुतुबमीनार की पहली मंजिल का निर्माण 1199 ई. में कुतुबुद्दीन ऐबक ने और अगली चार मंजिलों का निर्माण 1229 के आस-पास इल्तुतमिश ने करवाया। 

प्रश्न 3. 
कुतुबमीनार इमारत किस कारण से क्षतिग्रस्त हो गई थी? 
उत्तर:
यह इमारत आँधी-तूफ़ान तथा भूकम्प के कारण क्षतिग्रस्त हो गई थी। 

प्रश्न 4. 
खजुराहो समूह मंदिरों की क्या विशिष्टता थी? 
उत्तर:
खजुराहो समूह में राजकीय मंदिर सम्मिलित थे, जहाँ सामान्य जन-मानस को जाने की अनुमति नहीं थी।

प्रश्न 5. 
मंदिरों और मस्जिदों का निर्माण बहुत सुन्दर तरीके से क्यों किया जाता था? 
उत्तर:
मंदिर और मस्जिद उपासना के स्थल थे और वे अपने संरक्षक की शक्ति, धन-वैभव तथा भक्तिभाव का प्रदर्शन करते थे, इसलिए इनका निर्माण बहुत सुन्दर तरीके से किया जाता था। 

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प्रश्न 6. 
शाहजहाँ के काल में बनी तीन प्रसिद्ध इमारतों के नाम लिखिये।
उत्तर:
शाहजहाँ के काल में बनी तीन प्रसिद्ध इमारतें ये थीं-

  • ताज महल (आगरा में), 
  • लाल किला और 
  • जामा मस्जिद (दोनों देहली में)। 

प्रश्न 7. 
राजराजेश्वर मंदिर का निर्माण किसने कराया था? 
उत्तर:
चोल नरेश राजदेव प्रथम ने। 

प्रश्न 8. 
कंदरिया महादेव मंदिर कब और किसने बनवाया था? 
उत्तर:
यह चंदेल राजवंश के राजा धंगदेव द्वारा 999 ई. में बनवाया था। 

प्रश्न 9. 
शाहजहाँनाबाद किसने बसाया था? 
उत्तर:
मुगल सम्राट शाहजहाँ ने। 

प्रश्न 10. 
स्वर्णमंदिर कहाँ स्थित है? 
उत्तर:
स्वर्ण मंदिर अमृतसर (पंजाब) में स्थित है। 

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प्रश्न 11. 
हुमायूँ के मकबरे की प्रेरणा किस भवन से ली गई थी? 
उत्तर:
हुमायूँ के मकबरे की प्रेरणा मध्य एशिया स्थित तैमूर के मकबरे से ली गई थी। 

प्रश्न 12. 
वास्तुकला का 'चापाकार' रूप को समझाइए। 
उत्तर:
दरवाजों और खिड़कियों के ऊपर की अधिरचना का भार मेहरावों पर डाल दिया जाता है। वास्तुकला का यह चापाकार रूप है। 

प्रश्न 13. 
'अनुप्रस्थ टोडा निर्माण' शैली क्या है? 
उत्तर:
अनुप्रस्थ टोडा निर्माण शैली में छत, दरवाजे और खिड़कियाँ दो ऊर्ध्वाकार खंभों के आर-पार एक अनुप्रस्थ शहतीर रखकर बनाये जाते हैं। 

प्रश्न 14. 
अकबर द्वारा निर्मित आगरा किले के निर्माण हेतु कितने श्रमिकों की आवश्यकता पड़ी थी?
उत्तर:
अकबर द्वारा निर्मित आगरा किले के निर्माण हेतु 2000 पत्थर काटने वालों, 2000 सीमेंट व चूना बनाने वालों तथा 8000 मजदूरों की आवश्यकता पड़ी। 

प्रश्न 15. 
बांग्ला-गुंबद क्या है? 
उत्तर:
यह मुगल-स्मारकों की छतों का एक प्रकार है। इसकी प्रेरणा बंगाल की छप्पर की झोंपड़ियों से ली गई थी। इसलिए इसे बांग्ला-गुंबद कहा गया। 

प्रश्न 16. 
गोथिक शैली क्या है? 
उत्तर:
गोथिक शैली फ्रांसीसी वास्तुकला शैली है। इसमें नुकीले ऊँचे मेहराब, रंगीन कांच का प्रयोग किया जाता है।

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लघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
12वीं शताब्दी में प्रौद्योगिकीय और शैली सम्बन्धी कौनसे दो परिवर्तन परिलक्षित होते हैं? 
उत्तर:
12वीं सदी में प्रौद्योगिकीय तथा शैली सम्बन्धी दो प्रमुख परिवर्तन ये दिखाई देते हैं-
(1) शैली सम्बन्धी परिवर्तन-इस काल में दरवाजों और खिड़कियों के ऊपर अधिरचना का भार मेहराबों पर डाला गया। वास्तुकला की यह 'चापाकार शैली' कही गयी। 

(2) प्रौद्योगिकीय परिवर्तन-इस काल में निर्माण कार्य में चूना-पत्थर सीमेंट का प्रयोग बढ़ गया। यह उच्च श्रेणी की सीमेंट होती थी। जिसमें पत्थर के टुकड़ों के मिलाने से कंकरीट बनती थी। इसकी वजह से विशाल ढाँचों का निर्माण सरलता और तेजी से होने लगा। 

प्रश्न 2. 
'एक विशाल मंदिर शासक और शासित विश्व का एक लघु रूप ही था।' स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
विशाल मंदिरों का निर्माण राजाओं ने करवाया था। मंदिर के अन्य लघु देवता शासक के सहयोगियों तथा अधीनस्थों के देवी-देवता थे। यह मंदिर शासक और उसके सहयोगियों द्वारा शासित विश्व का एक लघु रूप ही था। जिस तरह से वे राजकीय मंदिरों में इकट्ठे होकर अपने देवताओं की उपासना करते थे, ऐसा प्रतीत होता था, मानो उन्होंने देवताओं के न्यायप्रिय शासन को पृथ्वी पर ला दिया हो। 

प्रश्न 3. 
सत्ता में आने पर प्रत्येक राजवंश के राजा ने शासक होने के नाते अपने नैतिक अधिकार पर जोर किस प्रकार डाला? 
उत्तर:

  • सत्ता में आने पर प्रत्येक राजवंश के राजा ने उपासना स्थलों का निर्माण किया। उपासना के स्थानों के निर्माण ने शासकों को ईश्वर के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध की उद्घोषणा करने का मौका दिया। 
  • शासकों ने विद्वान तथा धर्मनिष्ठ व्यक्तियों को भी आश्रय दिया।
  • उन्होंने अपनी राजधानियों तथा नगरों को महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक केन्द्रों के रूप में परिवर्तित करने के प्रयास किये। 

प्रश्न 4. 
न्यायप्रिय राजा का राज होने की व्यापक समझ क्या थी? 
उत्तर:
न्यायप्रिय राजा का राज होने की व्यापक समझ ये थी कि-

  • न्यायप्रिय राजा के राज में खुशहाली होगी। 
  • न्यायप्रिय राजा के राज में वर्षा पर्याप्त होगी। 
  • न्यायप्रिय राजा बहुमूल्य पानी उपलब्ध करवाने के लिए हौजों तथा जलाशयों का निर्माण करायेगा। 

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प्रश्न 5. 
कुतुबमीनार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
कुतुबमीनार-

  • पांच मंजिली इमारतकुतुबमीनार एक पांच मंजिली इमारत है। 
  • अभिलेख-इसकी पहली मजिल पर अरबी भाषा में अभिलेखों की पट्टियाँ लगी हुई हैं। 
  • बाहरी हिस्सा-मीनार का बाहरी हिस्सा घुमावदार तथा कोणीय है। ऐसी सतह पर ये अभिलेख लगाए गए हैं। 
  • अन्य विशिष्टताएँ-यह इमारत पत्थर तथा ईंटों की बनी हुई है। यह इमारत आँधी, तूफान तथा भूकम्प के कारण क्षतिग्रस्त हो गई थी जिसकी अलाउद्दीन खलजी, मुहम्मद तुगलक, फिरोज तुगलक, इब्राहिम लोदी ने समयसमय पर मरम्मत करवाई। 

प्रश्न 6. 
कंदरिया महादेव मंदिर का संक्षिप्त विवरण दीजिए। 
उत्तर:
कंदरिया महादेव मंदिर-

  • शिव की स्तुति में बनाए गए कंदरिया महादेव मंदिर का निर्माण चंदेल राजवंश के राजा चंगदेव द्वारा 999 ई. में किया गया था। 
  • एक अलंकृत द्वार से इसके प्रवेश और मुख्य सभा भवन (महामंडप), जहाँ नृत्य का आयोजन होता था, तक पहुँचा जाता था। 
  • प्रमुख देवता की मूर्ति गर्भगृह में रखी जाती थी। धार्मिक अनुष्ठान इसी जगह से सम्पन्न किए जाते थे। 
  • ये मंदिर सुपरिष्कृत उत्कीर्णित मूर्तियों से अलंकृत थे। 

प्रश्न 7. 
राजराजेश्वर मंदिर का निर्माण किस प्रकार संभव हो सका? 
उत्तर:
राजराजेश्वर मंदिर का निर्माण-

  • तंजावूर के राजराजेश्वर मंदिर का शिखर उस समय के मंदिरों में सबसे ऊँचा था। 
  • शिखर के शीर्ष पर 90 टन का पत्थर ले जाने के लिए वास्तुकारों ने मंदिर के शीर्ष तक पहुँचने के लिए चढ़ाईदार रास्ता बनवाया। 
  • रोलरों द्वारा भारी पत्थरों को इस रास्ते से ऊपर ले जाया गया। 
  • इस काम के लिए चार किलोमीटर से ज्यादा लंबा पथ तैयार किया जाता था, जिससे चढ़ाई बहुत खड़ी न हो। 
  • मंदिर बन जाने के बाद इस पथ को गिरा दिया गया। 

प्रश्न 8. 
हुमायूँ के मकबरे की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। 
उत्तर:
हुमायूँ के मकबरे की मुख्य विशेषताएँ-

  • इस मकबरे के निर्माण की प्रेरणा अकबर के वास्तुशिल्पियों ने उसके मध्य एशियायी पूर्वज तैमूर के मकबरों से ली थी। 
  • इस मकबरे में बहुत ऊँचा केन्द्रीय गुम्बद तथा ऊँचा मेहराबदार प्रवेशद्वार (पिश्तक) था।
  • यह मकबरा एक विशाल औपचारिक चार बाग के मध्य में स्थित था। 
  • इसमें एक केन्द्रीय कक्ष, आठ कमरों से घिरा था। 
  • इसका निर्माण लाल बलुआ पत्थर से हुआ था तथा इसके किनारे सफेद संगमरमर के बने थे। 

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निबन्धात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
विभिन्न क्षेत्रों तथा साम्राज्यों के बीच वास्तुकलात्मक विचारों का आदान-प्रदान किस प्रकार हुआ? 
उत्तर:
आठवीं से 18वीं शताब्दियों के बीच जब निर्माण सम्बन्धी गतिविधियों में वृद्धि हुई तो विभिन्न क्षेत्रों के बीच विचारों का भी आदान-प्रदान निम्न प्रकार से हुआ- 
(1) एक क्षेत्र की परम्पराएँ दूसरे क्षेत्र द्वारा अपनायी गयीं- उदाहरण के लिए विजयनगर के राजाओं की गजशालाओं पर बीजापुर और गोलकुण्डा जैसी आस-पास की सल्तनतों की वास्तुकलात्मक शैली का बहुत प्रभाव पड़ा था। इसी प्रकार मथुरा के निकट स्थित वृन्दावन में बने मंदिरों की वास्तुकलात्मक शैली फतेहपुर सीकरी के मुगल महलों से बहुत मिलती-जुलती थी। 

(2) विशाल साम्राज्य-विशाल साम्राज्यों के निर्माण ने विभिन्न क्षेत्रों को उनके शासन के अधीन ला दिया। इससे कलात्मक रूपों व वास्तुकलात्मक शैलियों के परसंसेचन में मदद मिली। यथा-

  • बंगाल के स्थानीय शासकों ने छप्पर की झोंपड़ी के समान दिखने वाली छत का निर्माण करवाया। मुगलों को यह 'बांग्ला गुंबद' इतना पसंद आया कि उन्होंने अपनी वास्तुकला में इसका प्रयोग किया। 
  • इसी प्रकार अकबर की राजधानी फतेहपुर सीकरी की कई इमारतों पर गुजरात व मालवा की वास्तुकलात्मक शैलियों का प्रभाव दिखता है। 

प्रश्न 2.
शाहजहाँ काल की वास्तुकला का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
शाहजहाँ काल की वास्तुकला का विवेचन निम्नलिखित बिंदुओं के अन्तर्गत किया गया है-
(1) वास्तुकला के विभिन्न तत्त्वों का संश्लेषण-शाहजहाँ के शासनकाल में मुगल वास्तुकला के विभिन्न तत्त्व एक विशाल सद्भावपूर्ण संश्लेषण में मिला दिये। 

(2) दीवान-ए-खास और दीवान-ए-आम-शाहजहाँ के शासन के दौरान सार्वजनिक और व्यक्तिगत सभा हेतु समारोह कक्षों-दीवान-ए-खास और दीवान-ए-आम की योजना बहुत सावधानीपूर्वक बनाई जाती थी। एक विशाल आँगन में स्थित ये दरबार चालीस खंभों के सभा-भवन कहलाते थे। 

शाहजहाँ के सभा भवन विशेष रूप से मस्जिद से मिलतेजुलते बनाए जाते थे। उसका सिंहासन जिस मंच पर रखा था, उसे प्रायः किबला कहा जाता था। दरबार के समय प्रत्येक व्यक्ति उस ओर मुंह करके बैठता था। इन वास्तुकलात्मक अभिलक्षणों का इस ओर इशारा था कि राजा पृथ्वी पर ईश्वर का प्रतिनिधि है। 

(3) लाल किले के दरबार में राजकीय न्याय और शाही दरबार के अन्तःसम्बन्ध पर बल-राजकीय न्याय और शाही दरबार के अन्तःसम्बन्ध पर बल देने के लिए बादशाह के सिंहासन के पीछे पितरा-दूरा के जड़ाऊ काम की एक श्रृंखला बनाई गई। 

(4) ताजमहल-शाह जहाँ के शासन की भव्यतम वास्तुकलात्मक उपलब्धि ताजमहल है। जो यमुना नदी पर सफेद संगमरमर का बना है। 

(5) शाहजहाँनाबाद-दिल्ली में शाहजहाँ ने एक नया शहर शाहजहाँनाबाद निर्मित करवाया। उसमें शाही महल नदी पर स्थित था तथा केवल विशिष्ट कृपा प्राप्त अभिजातों को ही नदी तक पहुँच मिली थी। अन्य सभी को अपने घरों का निर्माण यमुना नदी से दूर शहर में करवाना पड़ता था।

admin_rbse
Last Updated on June 9, 2022, 11:19 a.m.
Published June 8, 2022