Rajasthan Board RBSE Class 7 Social Science Important Questions History Chapter 10 अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन Important Questions and Answers.
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बहुचयनात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
अहमदशाह अब्दाली ने मराठों को पानीपत में हराया-
(अ) सन् 1765 ई. में
(ब) सन् 1761 ई. में
(स) सन् 1757 ई. में
(द) सन् 1861 ई. में
उत्तर:
(ब) सन् 1761 ई. में
प्रश्न 2.
हैदराबाद राज्य का संस्थापक था-
(अ) मुर्शीद अली खाँ
(ब) निजाम-उल-मुल्क आसफजाह
(स) सआदत खान
(द) औरंगजेब
उत्तर:
(ब) निजाम-उल-मुल्क आसफजाह
प्रश्न 3.
अहमदशाह अब्दाली किस राज्य का शासक था?
(अ) अफगान
(ब) ईरान
(स) इराक
(द) तुर्की
उत्तर:
(अ) अफगान
प्रश्न 4.
मुगल साम्राज्य के बाद उदय होने वाला राज्य निम्न में से कौनसा नहीं है?
(अ) हैदराबाद
(ब) बंगाल
(स) अवध
(द) आगरा
उत्तर:
(द) आगरा
प्रश्न 5.
मराठा राज्य का संस्थापक था-
(अ) शिवाजी
(ब) राजा जयसिंह
(स) चूडामन
(द) गुरु नानक
उत्तर:
(अ) शिवाजी
प्रश्न 6.
जयपुर शहर की स्थापना की-
(अ) राजा अजीत सिंह
(ब) राजा मानसिंह
(स) सवाई जयसिंह
(द) राजा माधोसिंह
उत्तर:
(स) सवाई जयसिंह
रिक्त स्थानों की पर्ति कीजिए-
1. साम्राज्य की राजधानी पूना बनी।
2. ...........में औरंगजेब की मृत्यु हुई थी।
3. ............के शासक नादिरशाह ने 1739 ई. में दिल्ली पर आक्रमण किया।
4. राजपूत राज्यों में ............... एकमात्र ऐसा राज्य था जिसने मुगल सत्ता को चुनौती दी थी।
5. आम्बेर के शासक ................ ने दिल्ली, जयपुर, उज्जैन, मथुरा और वाराणसी में पाँच खगोलीय वेधशालाओं का निर्माण कराया।
उत्तर:
1. मराठा
2. 1707 ई.
3. ईरान
4. मेवाड़
5. सवाई जयसिंह।
सत्य/असत्य कथन छाँटिये-
1. अफगान शासक अहमदशाह अब्दाली ने 1748 से 1761 के बीच पाँच बार भारत पर आक्रमण किया और लूटपाट मचाई।
2. निजाम-उल-मुल्क आसफजाह को 1722 में अवध का सूबेदार नियुक्त किया गया।
3. गुरु गोविन्द सिंह ने विभिन्न सिक्ख समूहों में एकता कायम करके 1799 ई. में लाहौर को अपनी राजधानी बनाया।
4. पेशवाओं की देखरेख में मराठों ने एक अत्यन्त सफल सैन्य संगठन का विकास कर लिया।
5. बाजीराव प्रथम पेशवा बालाजी विश्वनाथ के पुत्र थे।
उत्तर:
1. सत्य
2. असत्य
3. असत्य
4. सत्य
5. सत्य
निम्नलिखित को सुमेलित कीजिए-
1. सवाई राजा जयसिंह |
(अ) लाहौर |
2. राजा अजीत सिंह |
(ब) मेवाड़ |
3. मुर्शीद कुली खान |
(स) भरतपुर |
4. राजा सूरजमल |
(द) बंगाल |
5. महाराजा रणजीतसिंह |
(य) जोधपुर |
6. राजा प्रताप |
(र) जयपुर |
उत्तर:
1. सवाई राजा जयसिंह |
(र) जयपुर |
2. राजा अजीत सिंह |
(य) जोधपुर |
3. मुर्शीद कुली खान |
(द) बंगाल |
4. राजा सूरजमल |
(स) भरतपुर |
5. महाराजा रणजीतसिंह |
(अ) लाहौर |
6. राजा प्रताप |
(ब) मेवाड़ |
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
औरंगजेब की मृत्यु किस वर्ष में हुई?
उत्तर:
औरंगजेब की मृत्यु सन् 1707 ई. में हुई।
प्रश्न 2.
भारत पर पाँच बार आक्रमण किस अफगान शासक ने किया?
उत्तर:
अफगान शासक अहमदशाह अब्दाली ने उत्तरी भारत पर सन् 1748 से 1761 के बीच पाँच बार आक्रमण किया।
प्रश्न 3.
मुगल साम्राज्य के अंतिम वर्षों में दो प्रमुख अभिजात्य समूहों के नाम लिखिये।
उत्तर:
मुगल साम्राज्य के अंतिम वर्षों में दो प्रमुख अभिजात्य समूह थे-इरानी और तूरानी।
प्रश्न 4.
1739 ई. में देहली पर किसने आक्रमण किया?
उत्तर:
1739 ई. में ईरान के शासक नादिर शाह ने देहली पर आक्रमण किया।
प्रश्न 5.
जाट कौन थे?
उत्तर:
जाट एक कृषक जाति थी। वह देहली, मथुरा तथा आगरा के इर्द-गिर्द क्षेत्र में रहती थी।
प्रश्न 6.
जाटों के प्रमुख व्यापारिक केन्द्रों के नाम लिखिये।
उत्तर:
पानीपत और बल्लभगढ़ जाटों के दो प्रमुख व्यापारिक केन्द्र थे।
प्रश्न 7.
सूरजमल कौन था?
उत्तर:
सूरजमल राजस्थान के भरतपुर राज्य का शासक था। उसने भरतपुर राज्य को एक शक्तिशाली राज्य में बदल दिया।
प्रश्न 8.
हैदराबाद राज्य का संस्थापक कौन था?
उत्तर:
निजाम-उल-मुल्क आसफजहाँ हैदराबाद राज्य का संस्थापक था।
प्रश्न 9.
गुरु गोविन्दसिंह कौन थे?
उत्तर:
गुरु गोविन्दसिंह सिक्खों के दसवें तथा अंतिम गुरु थे।
प्रश्न 10.
औरंगजेब की मृत्यु के बाद कौन-कौन सी शक्तियाँ उभरकर आईं?
उत्तर:
औरंगजेब की मृत्यु के बाद सिक्ख, मराठा, राजपूत और जाट शक्तियाँ उभरकर आईं।
प्रश्न 11.
मुगल साम्राज्य के पतन के दो प्रमुख कारण लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 12.
जाट राज्य की स्थापना किसने की थी?
उत्तर:
जाट राज्य की स्थापना चूड़ामन ने की थी।
लघूत्तरात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
अवध, बंगाल तथा हैदराबाद राज्य के संस्थापकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
परवर्ती मुगल साम्राज्य में जमींदारों व किसानों के विद्रोह व कृषक आंदोलन किस क्षेत्र में और क्यों हुए?
उत्तर:
परवर्ती मुगल साम्राज्य में उत्तरी तथा पश्चिमी भारत के अनेक हिस्सों में जमींदारों और किसानों के विद्रोह और कृषक आंदोलन हुए। ये विद्रोह कभी-कभी बढ़ते हुए करों के भार के विरुद्ध किए गए थे और कभी-कभी ये शक्तिशाली सरदारों द्वारा अपनी स्थिति को सुदृढ़ बनाने के लिए हुए थे।
प्रश्न 3.
नादिरशाह ने मुगल कोष से किस तरह का धन लूटा?
उत्तर:
एक समकालीन प्रेक्षक ने नादिरशाह द्वारा मुगल कोष से लूटे गए धन का वर्णन इस प्रकार किया है"नादिरशाह साठ लाख रुपये और कई हजार सोने के सिक्के, लगभग एक करोड़ रुपये के सोने के बर्तन, लगभग पचास करोड़ रुपये के गहने, जवाहरात और अन्य चीजें ले गया, जिनमें से कुछ तो इतनी बेशकीमती थीं कि दुनिया में उनका मुकाबला कोई नहीं कर सकता है, जैसे-तख्ते ताउस यानी मयूर सिंहासन।"
प्रश्न 4.
अभिजातों के विभिन्न समूहों ने मुगल साम्राज्य को किस प्रकार कमजोर किया?
उत्तर:
अभिजातों के विभिन्न समूहों की पारस्परिक प्रतिद्वन्द्विता ने परवर्ती मुगल साम्राज्य को अत्यधिक कमजोर बना डाला। ये अभिजात दो बड़े गुटों में बंटे हुए थे-ईरानी और तूरानी (तुर्क मूल के)। काफी समय तक परवर्ती मुगल बादशाह इनमें से एक या दूसरे समूह के हाथों की कठपुतली बने रहे। दो मुगल बादशाहों-फर्रुखसियर (1713-1719) तथा आलमगीर द्वितीय (1754-1759) की हत्या कर दी गई थी तथा दो अन्य बादशाहों-अहमदशाह (17481754) और शाह आलम द्वितीय को उनके अभिजातों ने अंधा कर दिया।
प्रश्न 5.
18वीं सदी के नए स्वतंत्र राज्यों को कितने समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है?
उत्तर:
18वीं सदी के नए स्वतंत्र राज्यों को मोटे तौर पर तीन परस्परव्यापी समूहों में बाँटा जा सकता है। यथा-
प्रश्न 6.
निजाम-उल-मुल्क आसफजाह ने किस प्रकार हैदराबाद राज्य की स्थापना की?
उत्तर:
निजाम-उल-मुल्क आसफजाह मुगल बादशाह फर्रुखशियर के दरबार का एक अत्यन्त शक्तिशाली सदस्य था। उसे सर्वप्रथम अवध की सूबेदारी सौंपी गई थी और बाद में उसे दक्कन का कार्यभार दे दिया गया था। 1720-22 के मध्य ही दक्कन प्रान्तों का सूबेदार होने की वजह से उसके पास पहले से ही राजनीतिक और वित्तीय प्रशासन का पूरा नियंत्रण था। दक्कन में होने वाले उपद्रवों और मुगल दरबार में चल रही प्रतिस्पर्धी का फायदा उठाकर उसने सत्ता हथियायी और उस क्षेत्र (हैदराबाद) का वास्तविक शासक बन गया।
प्रश्न 7.
बुरहान-उल-मुल्क सआदत खान कौन था? उसने मुगल प्रभाव को कम करने के लिए क्या कदम उठाए?
उत्तर:
बुरहान-उल-मुल्क सआदत खान को 1722 ई. में मुगल सम्राट ने अवध का सूबेदार नियुक्त किया था।
मुगल प्रभाव को कम करने के लिए उठाए गए कदम-
प्रश्न 8.
अवध राज्य ऋण प्राप्त करने के लिए स्थानीय सेठ साहूकारों और महाजनों पर क्यों निर्भर था?
उत्तर:
अवध राज्य ऋण प्राप्त करने के लिए स्थानीय सेठ, साहूकारों और महाजनों पर निर्भर रहता था क्योंकि-
प्रश्न 9.
मुर्शीद अली खान ने बंगाल में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए क्या कदम उठाए?
उत्तर:
प्रश्न 10.
'वतन जागीरी' का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बहुत से राजपूत घराने मुगल व्यवस्था में विशिष्टता के साथ सेवारत रहे थे। इन सेवा के बदले उन्हें अपने राज्य क्षेत्र (वतन) में कुछ भूमि क्षेत्र का अधिकार प्रदान करते थे, इस भूमि क्षेत्र को 'वतन जागीर' कहा जाता था। उन्हें अपनी वतन जागीरों पर पर्याप्त स्वायत्तता का आनंद लेने की अनुमति मिली हुई थी।
प्रश्न 11.
राजपूत राजाओं के पहाड़ियों पर बने किलों के स्थापत्य पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
कई राजपूत राजाओं ने पहाड़ियों की चोटियों पर किले बनाए। व्यापक किलेबंदी के साथ इन भव्य संरचनाओं में नगर, महलों, मंदिर, व्यापारिक केन्द्र, जल संग्रहण संरचनाएँ और अन्य इमारतें होती थीं। उदाहरण के लिए चित्तौड़गढ़ किले में तालाब, कुएँ, बावली जैसे कई जल निकाय थे।
प्रश्न 12.
शिवाजी पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
शिवाजी-17वीं सदी के अन्त तक दक्कन में शिवाजी के नेतृत्व में एक शक्तिशाली राज्य के उदय की शुरुआत हुई जिससे अन्ततः एक मराठा राज्य की स्थापना हुई। यथा-
प्रश्न 13.
'बाजीराव प्रथम' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
बाजीराव प्रथम-
प्रश्न 14.
'जाटों की शक्ति सूरजमल के समय पराकाष्ठा पर पहुँची।' इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जाटों की शक्ति सूरजमल के समय पराकाष्ठा पर पहुँची क्योंकि सूरजमल ने 1756-1763 के दौरान भरतपुर जाट राज्य को संगठित किया। उसके राजनैतिक नियंत्रण में जो क्षेत्र शामिल थे उसमें आधुनिक पूर्वी राजस्थान, दक्षिणी हरियाणा, पश्चिमी उत्तरप्रदेश और दिल्ली शामिल थे। सूरजमल ने कई किले और महल बनवाए जिनमें भरतपुर का प्रसिद्ध लोहागढ़ का किला इस क्षेत्र में बने सबसे मजबूत किलों में से एक था।
निबन्धात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
मुगल साम्राज्य के पतन के कारणों का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
मुगल साम्राज्य के पतन के कारण
मुगल साम्राज्य के पतन के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे-
(1) आर्थिक कमजोरी-मुगल साम्राज्य के पतन का एक प्रमुख कारण उसका आर्थिक रूप से कमजोर हो जाना था। यथा-
(2) अयोग्य उत्तराधिकारी-औरंगजेब के बाद मुगल साम्राज्य पर उसके उत्तराधिकारी अयोग्य थे। उनके द्वारा मनसबदारों के शक्तिशाली वर्गों को वश में रखना कठिन हो गया था।
(3) जमींदारों और किसानों के विद्रोह-उत्तरी और पश्चिमी भारत के अनेक हिस्सों में हुए जमींदारों और किसानों के विद्रोहों और कृषक आंदोलनों ने मुगल साम्राज्य की आर्थिक और प्रशासनिक समस्याओं को और भी गंभीर बना दिया था। परिणामतः धीरे-धीरे राजनैतिक व आर्थिक सत्ता स्थानीय सरदारों व अन्य समूहों के हाथों में आती रही, औरंगजेब के उत्तराधिकारी इसे रोक न सके।
(4) विदेशी शासकों के आक्रमण और उनकी लूटपाटपरवर्ती मुगल साम्राज्य के आर्थिक-राजनीतिक संकट के दौर में ही ईरान के शासक नादिरशाह ने 1739 ई. में दिल्ली पर आक्रमण कर सम्पूर्ण नगर को लूटा तथा काफी भारी मात्रा में धन-दौलत ले गया। इसके बाद अफगान शासक अहमदशाह अब्दाली ने 1748 से 1761 के बीच पाँच बार भारत पर आक्रमण कर लूटपाट मचायी।
(5) अभिजातों की गुटीय प्रतिद्वन्द्विता-साम्राज्य पर जब सब ओर से दबाव पड़ रहा था, उसी समय शासकीय अभिजातों के विभिन्न समूहों की पारस्परिक प्रतिद्वंद्विता ने उसे और भी कमजोर बना डाला। ये अभिजात दो बडे गुटों में बंटे हुए थे-ईरानी और तूरानी। इस गुटीय प्रतिद्वन्द्विता ने भी मुगल साम्राज्य के पतन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रश्न 2.
पुराने मुगल प्रान्त-अवध, बंगाल और हैदराबाद राज्यों की सामान्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अवध, बंगाल और हैदराबाद
राज्य की सामान्य विशेषताएँ
इन राज्यों की सामान्य विशेषताएँ निम्नलिखित थीं-
(1) मुगल प्रांत के स्वतंत्र शासक-ये तीनों राज्य पहले मुगल प्रान्त थे। यद्यपि इन राज्यों के शासक अत्यधिक शक्तिशाली थे और काफी हद तक स्वतंत्र थे, तथापि उन्होंने मुगल बादशाह से औपचारिक तौर पर अपने सम्बन्ध तोड़े नहीं थे।
(2) जागीरदारी व्यवस्था को संदेह की दृष्टि से देखनायद्यपि ये राज्य पुराने मुगल अभिजातों द्वारा स्थापित किए गए थे, तथापि ये अभिजात कुछ प्रशासनिक व्यवस्थाओं के प्रति संदेहास्पद थे, जो उन्हें उत्तराधिकार में मिले थे। विशेषतः वे जागीरदारी व्यवस्था को अत्यन्त संदेह की दृष्टि से देखते थे।
(3) इजारेदारी व्यवस्था को अपनाना-उनके कर प्राप्त करने के तरीके मुगलों से भिन्न थे। कर संग्रह के लिए राज्य के अधिकारियों पर निर्भर न रहकर तीनों राज्यों ने राजस्व वसूली के लिए इजारेदारों के साथ ठेके कर लिए।
(4) राजनीतिक व्यवस्था में साहूकारों और महाजनों की बढ़ती साझेदारी-इन सभी क्षेत्रीय राज्यों में राज्य और धनी महाजनों तथा वणिक जनों के बीच संबंध उभरने लगे। ये साहूकार-महाजन लोग लगान वसूल करने वाले इजारेदारों को पैसा उधार देते थे, बदले में प्रतिभूति जमानत या बंधक के रूप में जमीन रख लेते थे और उनकी जोतों से अपने खुद के कारिंदों के जरिए कर वसूल किया करते थे। इस प्रकार समस्त भारत में धनाढ्य साहूकारों और महाजनों की राजनीतिक व्यवस्था में साझेदारी बढ़ रही थी।
प्रश्न 3.
मराठा राज्य की स्थापना तथा उसके साम्राज्य विस्तार की कहानी को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
मराठा राज्य
मराठा राज्य की स्थापना तथा इसके विस्तार की प्रक्रिया का वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया गया है-
(1) शिवाजी द्वारा मराठा राज्य की स्थापना-शिवाजी ने (1627-1680) ने शक्तिशाली योद्धा परिवारों (देशमुखों) की सहायता से एक स्थायी मराठा राज्य की स्थापना की। शिवाजी ने अपने विरोधियों के खिलाफ प्रायः गुरिल्ला युद्धकला का प्रयोग किया। चौथ और सरदेशमुखी पर आधारित राजस्व संग्रह प्रणाली की सहायता से उन्होंने एक मजबूत मराठा राज्य की नींव डाली।
(2) पेशवा सेवाएँ तथा पुणे राजधानी-शिवाजी की मृत्यु के पश्चात् मराठा राज्य में प्रभावी शक्ति, चितपावन ब्राह्मणों के एक परिवार के हाथ में रही, जो शिवाजी के उत्तराधिकारियों के शासन काल में पेशवा (प्रधानंत्री) के रूप में सेवाएँ देते रहे। पुणे मराठा राज्य की राजधानी बन गया।
(3) सफल सैन्य संगठन का विकास-पेशवाओं की देखरेख में मराठों ने एक अत्यन्त सफल सैन्य संगठन का विकास कर लिया। यह संगठन मुगलों के किलेबंद इलाकों से टक्कर न लेते हुए, उनके पास से चुपचाप निकलकर शहरों-कस्बों पर हमला बोलते थे और मुगल सेना से ऐसे मैदानी इलाकों में मुठभेड़ लेते थे, जहाँ रसद पाने और कुमुक आने के रास्ते आसानी से रोके जा सकते थे।
(4) मराठा साम्राज्य का दक्षिण भास्त में विस्तार-मराठा सेनाओं ने 1720 के दशक तक मालवा और गुजरात मुगलों से छीन लिए। 1730 के दशक तक, मराठा नरेश को समस्त दक्कन प्रायद्वीप के अधिपति के रूप में मान्यता मिल गई और साथ ही इस क्षेत्र पर चौथ और सरदेशमुखी कर वसूलने का अधिकार भी मिल गया।
(5) अन्य क्षेत्रों में साम्राज्य विस्तार-1737 ई. में दिल्ली पर धावा बोलने के पश्चात् मराठा प्रभुत्व की सीमाएँ तेजी से बढ़ीं। उत्तर में राजस्थान और पंजाब, पूर्व में बंगाल और उड़ीसा तथा दक्षिण में कर्नाटक, तमिल व तेलगू प्रदेशों में इसकी सीमाएँ फैल गईं।
(6) मराठा साम्राज्य का पतन-मराठों को 1761 में पानीपत की तीसरी लड़ाई में हार हुई। इससे मराठा साम्राज्य को बड़ा धक्का लगा और इसके बाद धीरे-धीरे मराठा साम्राज्य बिखर गया।
प्रश्न 4.
मराठा शासन में हुई आर्थिक प्रगति का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मराठा शासन में हुई आर्थिक प्रगति मराठा शासन की आर्थिक व्यवस्था व उसकी प्रगति को निम्न प्रकार स्पष्ट किया जा सकता है-
(1) जब एक बार किसी इलाकों पर मराठाओं का विजय अभियान पूरा हो जाता था और मराठों का शासन सुरक्षित हो जाता था, तो वहाँ स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए धीरे-धीरे भू-राजस्व की मांग की गई।
(2) मराठा साम्राज्य में कृषि को प्रोत्साहित किया गया और व्यापार को पुनर्जीवित किया गया। इससे सिंधिया, गायकवाड़ और भोंसले जैसे मराठा सरदारों को शक्तिशाली सेनाएँ खड़ी करने के लिए संसाधन मिल सके। उज्जैन सिंधिया के संरक्षण में और इन्दौर होल्कर के आश्रय में फलता-फूलता रहा।
(3) मराठा साम्राज्य में उज्जैन और इन्दौर शहर महत्त्वपूर्ण वाणिज्यिक और सांस्कृतिक केन्द्रों के रूप में कार्य कर रहे थे।
(4) मराठों द्वारा नियंत्रित इलाकों में व्यापार के नए मार्ग खुले। चंदेरी क्षेत्र में उत्पादित रेशमी वस्त्रों को मराठों की राजधानी पुणे में नया बाजार मिला। दक्षिण में पुणे और नागपुर को और पूर्व में लखनऊ और इलाहाबाद को आगरा और सूरत के वस्त्रों के व्यापार के साथ जोड़ दिया गया।