RBSE Class 7 Hindi Rachana कहानी-लेखन

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 7 Hindi Rachana कहानी-लेखन Textbook Exercise Questions and Answers.

The questions presented in the RBSE Solutions for Class 7 Hindi are solved in a detailed manner. Get the accurate RBSE Solutions for Class 7 all subjects will help students to have a deeper understanding of the concepts. Here are अपठित गद्यांश कक्षा 7 with answers to learn grammar effectively and quickly.

RBSE Class 7 Hindi Rachana कहानी-लेखन

मूर्ख सियार 

एक बार छह-सात सियार वन में भूख से व्याकुल होकर एक फलदार वृक्ष के नीचे आये। तब एक सियार ने अपने साथियों को एक युक्ति बतायी कि हममें से जो ताकतवर सियार है वह नीचे खड़ा हो जावे और उसके ऊपर उससे कमजोर और फिर उसके ऊपर उससे कमजोर सियार, इस प्रकार खड़े होकर पेड़ से खुशबूदार फल तोड़ सकते हैं। उस सियार का सुझाव सभी को पसन्द आया। योजना के अनुसार बलिष्ठ सियार सबसे नीचे खड़ा हो गया, फिर उसके ऊपर दूसरा, फिर तीसरा और फिर चौथा, इस तरह सभी सियार खड़े हो गए। 

ऐसा करने में कुछ समय लगा तो सबसे नीचे वाला सियार सोचने लगा कि कहीं मैं नीचे खड़ा सबका वजन उठाता न रह जाऊँ और सबसे ऊपर वाला सियार सारे फल खा जाये। अपनी शंका को दूर करने के लिए उसने सिर घुमाकर ऊपर देखा। इससे सन्तुलन बिगड़ गया और सभी सियार धड़ाम से एक-दूसरे पर गिर पड़े। किसी की पसली टूट गई, किसी का पंजा मुड़ गया और किसी के पैर में चोट आयी। इस प्रकार एक मूर्ख सियार के कारण उनकी योजना धरी की धरी रह गई। 

शिक्षा - किसी काम के क्रियान्वयन में धैर्य रखना चाहिए, निरर्थक शंका नहीं करनी चाहिए।

RBSE Class 7 Hindi Rachana कहानी-लेखन

ज्ञानी चिड़िया 

एक महल के बगीचे में अंगूर की बेल थी। एक चिड़िया प्रतिदिन आकर मीठे अंगूर चुन-चुनकर खाती थी। राजा ने यह दृश्य देखा, तो उसने चुपके से चिड़िया को पकड़ लिया। राजा के हाथ में आते ही चिड़िया ने कहा-राजन्, मुझे मत मारो। मैं आपको ज्ञान की चार बातें बताऊँगी। राजा ने कहा जल्दी बता। तब चिड़िया ने कहा कि पहली बात, हाथ आये शत्रु को कभी नहीं छोड़ना चाहिए। दूसरी बात, असम्भव बातों पर कभी विश्वास नहीं करना चाहिए। तीसरी बात, बीती हुई बातों के लिए पछतावा नहीं करना चाहिए।

इतना कहकर चिड़िया चुप हो गई। राजा ने कहा कि चौथी बात जल्दी बता। तो चिड़िया ने कहा कि आपके हाथों में मेरा दम घुट रहा है, मुझे कुछ ढीला छोड़ दो। राजा ने ऐसा ही किया तो चिड़िया एकदम से उड़कर पेड पर बैठ गई और बोलीचौथी बात, मेरे पेट में दो हीरे हैं, यह सुनकर राजा को बड़ा दु:ख हुआ। राजा की हालत देखकर चिड़िया ने कहा कि मेरे द्वारा कही गई पहली तीन बातों पर तुमने अमल नहीं किया और मेरे पेट में दो हीरे होने पर विश्वास कर लिया। ऐसी नासमझी से ज्ञान का पूरा लाभ नहीं मिलता है। 

शिक्षा - ज्ञान की बातों पर अमल करने से ही लाभ मिलता है।

गीध और बिलाव 

एक नदी-तट पर पाकड़ के विशाल वृक्ष की खोल में एक बूढ़ा अन्धा गीध रहता था। उस वृक्ष पर रहने वाले अन्य पक्षी दया करके अपने आहार से थोड़ा-थोड़ा बचाकर उसे देते थे, उसी से वह जीता था और पक्षियों के बच्चों की रक्षा करता था। एक दिन एक बिलाव पक्षियों के बच्चों को खाने के लिए आया। उसे देखकर पक्षियों के बच्चे भय से कोलाहल करने लगे। तब गीध ने कहा-कौन आया है? बिलाव गीध को देखकर घबरा गया। फिर उसने प्रणाम करके अपना परिचय दिया कि वह चान्द्रायण व्रत कर रहा है और आपसे धर्म की बातें सुनने आया है। 

इस प्रकार की बातें कहकर गीध को अपने प्रति विश्वस्त बनाकर वह उसी कोटर में रहने लगा। तब वह प्रतिदिन पक्षियों के बच्चों को खाने लगा। जब पक्षियों ने अपने बच्चों की खोज शुरू की, तो वह बिलाव भाग गया। पक्षियों ने उस कोटर में हड्डियाँ देखकर समझा कि इस गीध ने ही हमारे बच्चे खाये हैं। इसलिए उन्होंने उस गीध को मार दिया। 

शिक्षा - अपरिचित एवं अज्ञात आचरण वाले का कभी विश्वास नहीं करें।

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हाथी और धूर्त सियार 

एक वन में एक बूढ़ा एवं विशाल शरीर वाला हाथी रहता था। इसे देखकर धूर्त सियारों ने विचार किया कि किस उपाय से उसे मारा जाये और इसका मांस खाने को मिले। तब एक धूर्त सियार ने कहा कि मैं इसे अवश्य मारूंगा। वह हाथी के पास गया और बोला-हे महाराज, सभी वनवासी पशुओं ने मुझे आपके पास भेजा है और आपको अपना राजा बनाने का निश्चय किया है। 

आज ही राज्याभिषेक का शुभ मुहूर्त है। इसलिए आप मेरे साथ शीघ्र चलें। तब राजा बनने और राज्य पाने के लोभ में वह हाथी सियार के पीछे-पीछे दौड़ता हुआ चलने लगा तथा एक जगह भारी कीचड़ में फँस गया। तब सभी धूर्त सियारों ने उस पर हमला किया और उसे मार डाला। सियारों ने तब उसे सात दिन खाते हुए अपनी उदरपूर्ति की। 

शिक्षा - जो काम ताकत से नहीं हो. वह यक्ति से हो सकता। है। 
अथवा 
अति-लोभ से सदा बचना चाहिए।

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मूर्ख वानर और राजा की कथा 

किसी राजा के पास अत्यन्त आज्ञाकारी, भक्त, सेवाकार्य में तत्पर रहने वाला और राजमहल में बेरोकटोक जा सकने वाला तथा अत्यन्त विश्वासपात्र एक वानर था। वह राजा का प्रत्येक काम आसानी से कर देता था। एक बार रात में राजा के सो जाने पर वह वानर पंखा झल रहा था कि इसी बीच राजा की छाती पर एक मक्खी आकर बैठ गयी। 

वानर बार-बार पंखे से उसे उड़ाने लगा, परन्तु वह बार-बार वहीं आकर बैठ जाती थी। तब स्वभाव से ही चंचल एवं मूर्ख उस वानर ने क्रोध में आकर तेज धार वाली तलवार निकाली और उस मक्खी को लक्ष्य कर जोरदार प्रहार किया। मक्खी तो उड़ गई, लेकिन तेज धार वाली उस तलवार के प्रहार से राजा की छाती के दो टुकड़े हो गये और राजा का प्राणान्त हो गया। इसलिए लम्बी आयु एवं सुखमय जीवन की लालसा रखने वाले को मूर्ख सेवक नहीं रखने चाहिए।

शिक्षा - मूर्ख सेवकों से अपना ही अहित होता है।

शरारत का बुरा फल 

एक नगर के समीप किसी व्यापारी का मकान बन रहा था। वहाँ पर लकड़ी का काम करने वाले कारीगर एक लट्ठा चीर रहे थे। उन्होंने आधा लट्ठा चीरा था कि दोपहर के भोजन का समय हो गया। कारीगरों ने आधे चीरे लट्रे में लकड़ी का कीला फँसाया और भोजन करने चले गए। तब वहाँ से बन्दरों का एक झुण्ड गुजरा। उनमें एक बन्दर बहुत शरारती था। वह लट्रे के बीच में फंसे कीले को पकड़कर जोर-जोर से हिलाने लगा। 

वह चिरे हुए भाग की तरफ बैठा था, इस कारण उसकी पूँछ चिरे हुए भाग के बीच में थी। जोर-जोर से कीला हिलाने के कारण वह निकल गया और चिरे हुए लट्टे के दोनों हिस्से आपस में जुड़ गए अर्थात् भिड़ गये, जिसके बीच उस बन्दर की पूँछ फंस गई। तब बन्दर जोर से चीखा, पूँछ छुड़ाने की कोशिश करने लगा, परन्तु अब क्या हो सकता था। बन्दर पूँछ नहीं छुड़ा सका और तड़प-तड़प कर वहीं पर मर गया। 

शिक्षा - शरारत करने का फल अवश्य मिलता है।

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रंगा सियार 

किसी वन में एक सियार रहता था। एक बार वह भोजन की तलाश में एक धोबी के घर में घुसा। तभी कुत्ते भौंकने लगे, तो वह सियार धोबी के नील से भरे टब में घुस गया और कुछ देर उसी में बैठा रहा। कुत्ते जब भौंककर चले गये, तो सियार टब से बाहर निकला, तो उसका सारा शरीर नील से रंग गया था। वह तुरन्त जंगल की ओर भागा। वहाँ पर सभी जानवर रंगे सियार को देखकर डर गये और उसे विचित्र जानवर मानने लगे। तब सभी जानवरों ने उसे अपना राजा बनाया और वह आराम से रहने लगा। 

कुछ दिनों के बाद दूसरे जंगल के जानवरों का एक झुण्ड आया, तो उन्हें देखकर सभी जानवर उसके पास आये और उनका मुकाबला करने के लिए कहने लगे। परन्तु रंगे सियार ने कहा कि सब जानवर अपनी-अपनी मांद में छिप जाओ। सियार की कायरतापूर्ण बातें सुनकर चीते, शेर, भेड़िए आदि ने समझ लिया कि यह नकली राजा है, यह तो गीदड़ है, रंगा सियार है। इसलिए उन सभी ने उसकी खुब पिटाई की। 

शिक्षा - छल-कपट का आचरण एक बार ही चल पाता है।

बगुले की मूर्खता। 

किसी वन में तालाब के पास एक वृक्ष पर बहुत सारे बगुले रहते थे। उस वृक्ष की जड़ में एक साँप रहता था। वह बगुले के बच्चों को खा जाता था। इस दु:ख से पीड़ित एक बगुला तालाब के किनारे बैठा रो रहा था। तब उसे रोते देखकर केकड़े ने कहा कि तुम मछली के माँस के टुकड़े साँप के बिल से लेकर नेवले के बिल तक रख आओ। बस, उधर से नेवला निकलेगा और आते ही साँप को मार देगा। इस तरह तुम्हारा शत्रु आसानी से मारा जायेगा।

केकड़े की बात सुनकर बगुले ने वैसा ही किया। तब नेवला मछली के माँस को सूंघता हुआ साँप के बिल तक पहुँच गया और उसने साँप मार दिया। परन्तु उसके साथ ही नेवला वृक्ष पर चढ़ गया और उस पर जो बूढ़े-बच्चे बगुले थे, उन्हें भी वह मार कर खा गया। इस प्रकार बगुले की मूर्खता और केकड़े की गलत सलाह का परिणाम बुरा ही रहा। 

शिक्षा - विपत्ति का मुकाबला अच्छी तरह सोच-समझकर करें।

Prasanna
Last Updated on June 30, 2022, 12:16 p.m.
Published June 23, 2022