RBSE Class 12 Physics Notes Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र

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RBSE Class 12 Physics Chapter 9 Notes किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र

→ प्रकाश का परावर्तन (reflection):

  • जब प्रकाश की किरण एक माध्यम से चलकर दूसरे माध्यम के पृष्ठ पर टकराकर उसी माध्यम में वापस लौट आती है, तो इस घटना को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं।
  • परावर्तित किरण की चाल एवं आवृत्ति अपरिवर्तित रहती है।

→ गोलीय दर्पण (spherical mirror) (उत्तल अथवा अवतल) के लिए सूत्र
\(\frac{1}{v}+\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)
एवं R = 2f

→ गोलीय दर्पणों के लिए रेखीय आवर्धन (linear magnification)
m = \(\frac{\mathrm{I}}{\mathrm{O}}=-\frac{v}{u}=\frac{f}{f-u}=\frac{f-v}{f}\)

→ प्रकाश का अपवर्तन (refraction):
(i) जब प्रकाश की किरणें एक माध्यम से चलकर दूसरे माध्यम के पृष्ठ पर टकराकर उसमें प्रवेश कर जाती हैं तो इस घटना को प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं।

(ii) स्नेल के नियमानुसार एक निश्चित तरंगदैर्ध्य के प्रकाश के लिए.. आपतन कोण की ज्या एवं अपवर्तन कोण की ज्या में एक निश्चित अनुपात होता है जिसे प्रथम माध्यम के सापेक्ष द्वितीय माध्यम का अपवर्तनांक कहते हैं।
n21 = \(\frac{\sin i}{\sin r}=\frac{n_2}{n_1}\)
जहाँ n1 व n2 क्रमशः पहले एवं दूसरे माध्यम के निरपेक्ष अपवर्तनांक हैं।

(iii) अपवर्तित किरण की आवृत्ति अपवर्तित रहती है लेकिन माध्यम बदल जाने पर चाल बदल जाती है और यह तरंगदैर्ध्य बदलने से बदलती है।

(iv) प्रकाश किरण की दिशा उत्क्रमणीय होती है।
n21 = \(\frac{1}{n_{12}}\)
उदाहरण के लिए, nga = \(\frac{1}{n_{ag}}\)

(v) यदि वायु के सापेक्ष काँच एवं किसी द्रव के अपवर्तनांक क्रमशः na एवं na हों तो द्रव के सापेक्ष काँच का अपवर्तनांक
ngl = \(\frac{n_{g a}}{n_{l a}}\)

RBSE Class 12 Physics Notes Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र 

→ क्रान्तिक कोण एवं पूर्ण आन्तरिक परावर्तन (Total internal reflection):

  • सघन माध्यम में वह आपतन कोण जिसके संगत विरल माध्यम में अपवर्तन कोण 90° होता है, क्रान्तिक कोण कहलाता है। इसे i. से व्यक्त करते हैं।
  • जब सघन माध्यम में आपतन कोण क्रान्तिक कोण (critical angle) से अधिक हो जाता है तो प्रकाश का पूर्ण आन्तरिक परावर्तन हो जाता है।
  • विरल माध्यम के सापेक्ष सघन माध्यम का अपवर्तनांक
    ndr = \(\frac{1}{\sin i_c}\)
  • पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के लिए प्रकाश को सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाना चाहिए।

→ लेन्स:

  • दो वक्र अथवा एक वक्र एवं एक समतल अपवर्तक फलकों के मध्य घिरे समांगी एवं पारदर्शी माध्यम को लेन्स कहते हैं।
  • लेन्स मूलतः दो प्रकार के होते हैं-उत्तल लेन्स (अभिसारी लेन्स) एवं अवतल लेन्स (अपसारी लेन्स)।
  • दोनों प्रकार के लेन्सों के लिए लेन्स सूत्र,
  • अवतल लेन्स द्वारा सदैव सीधा, छोटा एवं काल्पनिक प्रतिबिम्ब बनता है जबकि उत्तल लेन्स द्वारा छोटा एवं बड़ा तथा वास्तविक एवं काल्पनिक दोनों प्रकार का प्रतिबिम्ब वस्तु की स्थिति के अनुसार बनता है।

→ गोलीय पृष्ठ पर अपवर्तन सूत्र"
(i) उत्तल अथवा अवतल दोनों प्रकार के गोलीय पृष्ठों के लिए अपवर्तन का सूत्र
\(\frac{n_{21}}{v}-\frac{1}{u}=\frac{n_{21}-1}{\mathrm{R}}\)
जहाँ R वक्र पृष्ठ की वक्रता त्रिज्या है और n2 पहले माध्यम के सापेक्ष दूसरे माध्यम का अपवर्तनांक है।

(ii) यदि पहले एवं दूसरे माध्यमों के निरपेक्ष अपवर्तनांक क्रमशः n1 व n2 हों तो अपवर्तन सूत्र
\(\frac{n_2}{v}-\frac{n_1}{u}=\frac{n_2-n_1}{\mathrm{R}}\)

→ लेन्स मेकर्स सूत्र (Lens Makers Formula):
यदि लेन्स के दोनों ओर समान माध्यम (वायु) हो तो लेन्स की फोकस दूरी
\(\frac{1}{f}=\left(n_{g a}-1\right)\left(\frac{1}{\mathrm{R}_1}-\frac{1}{\mathrm{R}_2}\right)\)

→ लेन्स से रेखीय आवर्धन-लेन्स द्वारा बने प्रतिबिम्ब की लम्बाई एवं वस्तु की लम्बाई के अनुपात को रेखीय आवर्धन कहते हैं।
m = \(\frac{\mathrm{I}}{\mathrm{O}}=\frac{v}{u}=\frac{(f-v)}{f}=\frac{f}{(f+u)}\)

→ सम्पर्क में रखे लेन्स युग्म की फोकस दूरी:
(i) यदि f1 व f2 फोकस दूरियों के दो लेन्स सम्पर्क में रखे जायें तो संयोजन की फोकस
\(\frac{1}{\mathrm{~F}}=\frac{1}{f_1}+\frac{1}{f_2}\)
या F = \(\frac{f_1 f_2}{f_1+f_2}\)

(ii) यदि लेन्सों के मध्य दूरी d हो तो संयोजन की फोकस दूरी
F = \(\frac{f_1 f_2}{f_1+f_2-d}\)

→ लेन्स की शक्ति (Power):
(i) लेन्स द्वारा प्रकाश किरणों को मोड़ने की क्षमता को ही लेन्स की शक्ति कहते हैं। इसका मान लेन्स की फोकस दूरी के व्युत्क्रम के बराबर होता है।
P = \(\frac{1}{f}\)D

(ii) यदि फोकस दूरी cm में नापी जाये तो
P = \(\frac{100}{f}\)D

(iii) उत्तल लेन्स की क्षमता धनात्मक एवं अवतल लेन्स की क्षमता ऋणात्मक होती है।

(iv) लेन्स संयोजन के लिए
\(\frac{1}{\mathrm{~F}}=\frac{1}{f_1}+\frac{1}{f_2}\)
∴ P = P! + P2

RBSE Class 12 Physics Notes Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र

→ प्रिज्म
(i) किसी कोण पर झुके दो समतल अपवर्तक फलकों के मध्य घिरे समांगी एवं पारदर्शी माध्यम को प्रिज्म कहते हैं।
जब किसी प्रिज्म पर श्वेत प्रकाश की किरण आपतित होती है तो वह विभिन्न रंगों की अनेक किरणों में विभाजित हो जाती है। इस घटना को प्रकाश का वर्ण-विक्षेपण (dispersion) कहते हैं।

(ii) प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक
n = \(\frac{\sin \left(\frac{\mathrm{A}+\delta_m}{2}\right)}{\sin (\mathrm{A} / 2)}\)
जहाँ A प्रिज्म कोण है एवं δm, न्यूनतम विचलन कोण है।

(iii) i1 + i2 = δ + A
जहाँ i1 व i2 क्रमशः आपतन व निर्गमन कोण।

(iv) विचलन कोण δ = A (n - 1)

(v) प्रिज्म द्वारा उत्पन्न कोणीय विक्षेपण (बैंगनी व लाल रंग के
लिए),
θ = A (nv - nR)

(vi) विक्षेपण क्षमता (लाल व बैंगनी रंग के लिए)
ω = \(\frac{n_{\mathrm{V}}-n_{\mathrm{R}}}{n_{\mathrm{Y}}-1}\)

→ प्रकीर्णन (Scattering):
प्रकाश की तरंगदैर्ध्य की तुलना में छोटे कणों पर जब प्रकाश गिरता है तो उसका अवशोषण हो जाता है और अवशोषण के पश्चात् सभी दिशाओं में नवीन प्रकाश का उत्सर्जन होता . है। इस घटना को प्रकीर्णन कहते हैं।

→ दूरदर्शी (Telescope):
(i) वह प्रकाशीय उपकरण जिसकी सहायता से दूर की वस्तुओं को देखा जाता है।

(ii) खगोलीय दूरदर्शी दो प्रकार के होते हैं

  • अपवर्ती प्रकार के दूरदर्शी,
  • परावर्ती प्रकार के दूरदर्शी।

(iii) दूरदर्शी की आवर्धन क्षमता m = -\(\frac{f_o}{u_e}\)
(a) यदि अन्तिम प्रतिबिम्ब अनन्त पर बने, तो m = -\(\frac{f_o}{f_e}\)
(b) जब अन्तिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर बने, तो m = -\(\frac{f_o}{f_e}\left(1+\frac{f_e}{\mathrm{D}}\right)\)
(iv) दूरदर्शी की लम्बाई
L = 0 + ue

→ सूक्ष्मदर्शी (Microscope)
(i) वह प्रकाशिक उपकरण जिसकी सहायता से सूक्ष्म वस्तुओं को देखा जाता है।

(ii) सरल सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता
(a) m = \(\frac{D}{u}\)
(b) अन्तिम प्रतिबिम्ब अनन्त पर बने तो m = \(\frac{D}{f}\)
(c) अन्तिम प्रतिबिम्ब D दूरी पर बने तो m = (1 + \(\frac{D}{f}\))

(iii) संयुक्त सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता
m = -\(\frac{v_o}{u_o} \times \frac{\mathrm{D}}{u_e}\)
(a) अन्तिम प्रतिबिम्ब अनन्त पर बने तो m = -\(\frac{v_o}{u_o} \times \frac{\mathrm{D}}{f_e}\)
(b) अन्तिम प्रतिबिम्ब D दूरी पर बने तो
m = -\(\frac{v_o}{u_o}\left(1+\frac{\mathrm{D}}{f_e}\right)\)

→ गोलीय दर्पण की फोकस दूरी एवं वक्रता त्रिज्या में सम्बन्ध
f = \(\frac{R}{2}\)

→ दर्पण के लिए सूत्र, \(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}+\frac{1}{u}\)

→ दर्पण में आवर्धन, m = \(\frac{\mathrm{I}}{\mathrm{O}}=-\frac{v}{u}\)
एवं m = \(\frac{f}{f-u}=\frac{f-v}{f}\)

→ स्नैल का नियम
n21 = \(\frac{\sin i}{\sin r}\)
nga = \(\frac{c}{v_g}=\frac{\lambda_a}{\lambda_g}\)

→ काँच के गुटके द्वारा पार्श्विक विस्थापन
d = \(\frac{t}{cos r}\) × sin(i - r)

→ क्रान्तिक कोण,
ndr = \(\frac{1}{\sin i_c}\)

→ उत्तल गोलीय पृष्ठ पर अपवर्तन का सूत्र
\(\frac{n_2}{v}-\frac{n_1}{u}=\frac{n_2-n_1}{\mathrm{R}}\)

→ पतले लेन्स के लिए अपवर्तन का सूत्र (लेन्स मेकर्स सूत्र)
\(\frac{1}{f} = (n - 1)\left(\frac{1}{\mathrm{R}_1}-\frac{1}{\mathrm{R}_2}\right)\)

→ द्रव में डूबे लेन्स की फोकस दूरी
f1 = \(\frac{\left(n_{g a}-1\right)}{\left(n_{g l}-1\right)}\)fa

RBSE Class 12 Physics Notes Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र

→ लेन्स सूत्र
\(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\)

→ लेन्स द्वारा उत्पन्न रेखीय आवर्धन
m = \(\frac{v}{u}=\frac{f-v}{f}=\frac{f}{f+u}\)

→ सम्पर्क में रखे दो लेन्सों के संयोजन की फोकस दूरी
F = \(\frac{f_1 f_2}{f_1+f_2}\)

→ लेन्स की शक्ति या क्षमता
P = \(\frac{1}{f}\)

→ प्रिज्म के पदार्थ के अपवर्तनांक के लिए सूत्र
n = \(\frac{\sin \left(\frac{A+\delta_m}{2}\right)}{\sin \frac{A}{2}}\)

→ पतले प्रिज्म द्वारा उत्पन्न विचलन
δm = A(n - 1)

→ प्रिज्म द्वारा उत्पन्न कोणीय विक्षेपण
θ = A[nv - nR]

→ किसी माध्यम की वर्ण-विक्षेपण क्षमता
ω = \(\frac{n_{\mathrm{S}}-n_{\mathrm{R}}}{n_{\mathrm{Y}}-1}\)

→ प्रकीर्णन सम्बन्धित रैले का नियम
Is\(\frac{1}{\lambda^4}\)

→ सरल सूक्ष्मदर्शी या आवर्धक लेना
-a आवर्धन क्षमता m = 1 + \(\frac{\mathrm{D}}{f}\) = 1 + \(\frac{\mathrm{D}-a}{f}\)

→ संयुक्त या यौगिक सूक्ष्मदर्शी
m = -\(\frac{v_0}{u_0} \times \frac{\mathrm{D}}{v_e}=\frac{-v_0}{u_0}\left(1+\frac{\mathrm{D}}{f_e}\right)\)
सूक्ष्मदर्शी की लम्बाई के पदों में आवर्धन क्षमता
m = \(\frac{-\mathrm{L}}{f_0}\left(1+\frac{\mathrm{D}}{f_e}\right)\)

→ खगोलीय दूरदर्शी
m = -\(\frac{f_0}{f_e}=\frac{-f_0}{f_e}\left(1+\frac{f_e}{\mathrm{D}}\right)=\frac{-f_0}{f_e}\)
परावर्ती प्रकार की दूरदर्शी के लिए
m = \(\frac{f_0}{f_e}=\frac{\mathrm{R} / 2}{f_e}\)

RBSE Class 12 Physics Notes Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र

→ लम्बन (Parallax):
यदि दो वस्तुएँ एक ही स्थान पर नहीं है तो आँख की दायीं ओर या बायीं ओर हटाने पर उनमें सापेक्ष विस्थापन होने लगता है। दूर स्थित वस्तु आँख की दिशा में और निकट स्थित वस्तु आँख की विपरीत दिशा में चलती हुई प्रतीत होती है। इस सापेक्ष विस्थापन को ही लम्बन कहते हैं।

→ फरमा का अल्पतम समय का सिद्धान्त (Fermat's principle of least time):
एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक अनेक परावर्तनों या अपवर्तनों द्वारा जाने में प्रकाश की किरण उस पथ का अनुसरण करती है जिसमें उसे अल्पतम समय लगता है।

→ संयुग्मी फोकस (Conjugate focus):
उत्तल लेन्स के मुख्य अक्ष पर ऐसे बिन्दु युग्म होते हैं जिनमें से एक बिन्दु पर वस्तु को रखने पर प्रतिबिम्ब दूसरे बिन्दु पर बनता है तथा वस्तु को दूसरे बिन्दु पर रखने पर प्रतिबिम्ब पहले बिन्दु पर बनता है। ऐसे बिन्दु युग्म को संयुक्त फोकस कहते हैं।

→ मरीचिका (Looming):
बहुत ठण्डे देशों में समुद्र पर अथवा बर्फ के क्षेत्रों में दूर की वस्तुओं के प्रतिबिम्ब वायु में उल्टे लटके दिखाई देते हैं। यह घटना भी मरीचिका की भाँति है।

→ कला सम्बद्ध प्रकीर्णन (Coherent Scattering):
रैले प्रकीर्णन को कलासम्बद्ध प्रकीर्णन कहते हैं क्योंकि प्रर्कीणित प्रकाश में केवल एक ही तरंगदैर्ध्य (आपतित प्रकाश की) होती है।

→ प्रकाश एकत्रण क्षमता (Light Gathering Power):
किसी दूरदर्शी की प्रकाश एकत्रण क्षमता इसके अभिदृश्यक लेन्स के क्षेत्रफल के समानुपाती होती है।

Prasanna
Last Updated on Nov. 22, 2023, 5:23 p.m.
Published Nov. 21, 2023