RBSE Class 12 Physics Notes Chapter 13 नाभिक

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RBSE Class 12 Physics Chapter 13 Notes नाभिक

→ न्यूट्रॉन की खोज:
(i) सन् 1932 में वैज्ञानिक चैडविक ने न्यूट्रॉन की खोज की। उन्होंने बताया कि बेरीलियम के नाभिकों पर α-कणों की बमबारी की जाती है तो वे कार्बन के नाभिकों में बदल जाते हैं और आवेश रहित तीव्र कण उत्सर्जित होते हैं जिनका नाम उन्होंने न्यूट्रॉन रखा।
4Be9 + 2He46C12 + 0n1 (न्यूट्रॉन)

(ii) इसका द्रव्यमान 1.675 × 10-27kg होता है।

(iii) इसकी वेधन क्षमता बहुत अधिक होती है।

→ नाभिक की संरचना
(i) प्रोटॉन-इलेक्ट्रॉन परिकल्पना
(a) इस.परिकल्पना के अनुसार नाभिक प्रोटॉनों एवं इलेक्ट्रॉनों से मिलकर बना है। किसी नाभिक में प्रोटॉनों की संख्या उसकी द्रव्यमान संख्या (A) के बराबर होती है और उसके अन्दर (A-Z) इलेक्ट्रॉन होते हैं। Z इलेक्ट्रॉन नाभिक के बाहर उसका चक्कर लगाते रहते हैं।
(b) इस परिकल्पना में दो दोष पाये गये जिनके निष्कर्ष के रूप में नाभिक के अन्दर इलेक्ट्रॉन नहीं होने चाहिए।

(ii) न्यूट्रॉन-प्रोटॉन परिकल्पना:
(a) 1932 में न्यूट्रॉन की खोज हो जाने के बाद वैज्ञानिक हाइजेनबर्ग ने यह परिकल्पना प्रस्तुत की। इस परिकल्पना के अनुसार नाभिक न्यूट्रॉनों एवं प्रोटॉनों से मिलकर बना है। नाभिक में प्रोटॉनों की संख्या परमाणु क्रमांक Z के बराबर होती है और उसमें (A-Z) न्यूट्रॉन होते हैं। Z इलेक्ट्रॉन नाभिक के परितः घूमते रहते हैं।
(b) नाभिक के अन्दर मौजूद कणों को न्यूक्लिऑन कहते हैं।

RBSE Class 12 Physics Notes Chapter 13 नाभिक 

→ नाभिक के सम्बन्ध में अन्य महत्वपूर्ण तथ्य

  • न्यूट्रॉनों एवं प्रोटॉनों की संख्या का अनुपात (\(\frac{n}{p}\)) नाभिक के स्थायित्व का निर्धारण करता है।
  • यदि किसी नाभिक की त्रिज्या R एवं द्रव्यमान क्रमांक A है तो R ∝ (A)1/3
  • नाभिक का घनत्व उसके केन्द्र में सबसे अधिक होता है और बाहर की ओर जाने पर घटता है।
  • नाभिकों का वर्गीकरण तीन भागों में किया गया है
    (a) समस्थानिक-एक ही तत्व के वे नाभिक जिनके परमाण भार भिन्न होते हैं।
    (b) समभारिक-भिन्न तत्वों के वे नाभिक जिनके द्रव्यमान क्रमांक समान होते हैं।
    (c) समन्यूट्रॉनिक-वे नाभिक जिनमें न्यूट्रॉनों की संख्या समान होती है।

→ नाभिकीय बल

  • गुरुत्वाकर्षण एवं वैद्युत बलों से भिन्न एक अन्य बल भी होता है जो नाभिक के अन्दर उसके न्यूक्लिऑनों को बाँधे रहता है। इसी बल को नाभिकीय बल कहते हैं।
  • यह बल केवल नाभिकीय दूरियों के लिए ही प्रभावी होता है अतः इसे लघु परास बल कहते हैं।
  • नाभिकीय बल की प्रकृति आकर्षणात्मक होती है और न्यूक्लिऑनों के आवेश पर यह बल निर्भर नहीं करता है।

→ आइन्स्टीन का द्रव्यमान ऊर्जा सम्बन्ध:
आइन्स्टीन ने अपने आपेक्षिकता के विशिष्ट सिद्धान्त द्वारा यह सिद्ध किया कि द्रव्यमान एवं ऊर्जा एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं और उन्हें एक-दूसरे में बदला जा सकता है। यदि किसी पदार्थ में Δm द्रव्यमान की कमी हो जाये तो इससे उत्पन्न ऊर्जा
ΔE = Δm.c2
जहाँ c प्रकाश की निर्वात् में चाल है।

इसी प्रकार यदि ΔE ऊर्जा वस्तु को दे दी जाये तो उसके द्रव्यमान में वृद्धि
Δm = \(\frac{\Delta \mathrm{E}}{c^2}\)

→ परमाणु द्रव्यमान मात्रक

  • एक परमाणु द्रव्यमान मात्रक 6C12 के एक परमाणु के द्रव्यमान के बारहवें भाग के बराबर होता है।
  • 1 amu= 1.660 × 10-27kg
  • 1 amu के तुल्य ऊर्जा = 9 Mev

→ कण-प्रतिकण अन्योन्य क्रिया
(i) युग्म विनाश-जब कोई कण अपने प्रतिकण से मिलता है तो वे एक-दूसरे का विनाश कर देते हैं। उदाहरण के लिए जब एक पॉजीट्रॉन अपने प्रतिकण इलेक्ट्रॉन से मिलता है तो दोनों का विनाश हो जाता है और दो -फोटॉन उत्पन्न होते हैं।
+1β0 + -1β0 = hv + hv
प्रत्येक γ-फोटॉन की ऊर्जा 0.51 MeV होती है।

(ii) युग्म उत्पादन-जब ऊर्जित -फोटॉन (ऊर्जा 1.02 MeV या इससे अधिक) किसी नाभिक द्वारा शोषित किया जाता है तो एक इलेक्ट्रॉन एवं पॉजीट्रॉन की उत्पत्ति होती है। यह घटना युग्म उत्पादन कहलाती है।
hv = +1β0 + -1β0
γ-फोटॉन की ऊर्जा यदि 1-02 MeV से कम है तो युग्म उत्पादन नहीं होगा।

→ नाभिकीय बन्धन ऊर्जा
(i) यह पाया जाता है कि किसी नाभिक का वास्तविक द्रव्यमान उसके सम्भावित द्रव्यमान (गणना द्वारा प्राप्त) से कम होता है। द्रव्यमान के इस अन्तर को द्रव्यमान क्षति कहते हैं। अतः द्रव्यमान क्षति = mC - ma
या Δm = {Zmp + (A - Z)mn} - ma

(ii) यही द्रव्यमान क्षति नाभिक के बनने के दौरान ऊर्जा में बदल जाती है। इसी को नाभिक की बन्धन ऊर्जा कहते हैं। अत: बन्धन ऊर्जा
Eb = Am.c2 = [{Zmp + (A - Z)mm}-m].c2

(iii) सभी नाभिकों की बन्धन ऊर्जा धनात्मक होती है।

RBSE Class 12 Physics Notes Chapter 13 नाभिक

→ नाभिकीय अभिक्रिया:
(i) जब एकल ऊर्जित कणों का पुँज किसी नाभिक से टकराता है तो मूल नाभिक एक अन्य तत्व के नाभिक में बदल जाता है। इस घटना को नाभिकीय अभिक्रिया कहते हैं।
RBSE Class 12 Physics Notes Chapter 13 नाभिक 1

(ii) Q ऊर्जा का मान
Q = (Kb + Ky) - (Ka + Kx)

→ नाभिकीय विखण्डन-
(i) "किसी भारी नाभिक के दो या दो से अधिक हल्के नाभिकों में टूटने की प्रक्रिया को नाभिकीय विखण्डन कहते हैं।" यूरेनियम-238 के नाभिक पर तीव्रगामी (1 Mev ऊर्जा बल) न्यूट्रॉन के टकराने पर विखण्डन क्रिया निम्न प्रकार होती है
92U238 + 0n156Ba148 + 36Kr88 + 3on1 + 200 MeV ऊर्जा

→ रेडियोएक्टिवता
भारी तत्वों (Z = 82 से अधिक) से कुछ ऐसी किरणें निकलती रहती हैं जो मोटे कागज की कई पर्तों को भी पार कर जाने की क्षमता रखती हैं और फोटोग्राफिक प्लेट को भी प्रभावित करती हैं। इन किरणों को बैकुरल किरणें या रेडियोएक्टिव किरणें तथा इस घटना को रेडियोएक्टिवता कहते हैं।

→ रेडियोएक्टिव विघटन-चरघातांकी नियम का पालन करता
N = N0e-λt
जहाँ N0 = प्रारम्भ में नाभिकों की संख्या
N = t समय बाद नाभिकों की संख्या
λ = क्षय नियतांक
(i) वह समय जिसमें कोई रेडियोएक्टिव पदार्थ विघटित होकर अपनी प्रारम्भिक मात्रा का आधा रह जाता है, अर्द्ध-आयु कहलाती है।
n अर्द्ध-आयुओं के बाद शेष नाभिकों की संख्या
N = N0\(\left(\frac{1}{2}\right)^n\)

(ii) अर्द्ध-आयु (T) एवं क्षय नियतांक (λ) में सम्बन्ध
λT = loge2 = 0.6931

(iii) सभी नाभिकों की आयु के औसत को माध्य आयु कहते हैं। इसे τ से व्यक्त करते हैं। अर्द्ध-आयु (T) से इसका सम्बन्ध
τ = 1.44T

(iv) किसी रेडियोएक्टिव पदार्थ के क्षय होने की दर को उसकी सक्रियता कहते हैं। इसे & से व्यक्त करते हैं।
R = \(\frac{\Delta \mathrm{N}}{\Delta t}=\operatorname{limit}_{\Delta t \rightarrow 0} \frac{\Delta \mathrm{N}}{\Delta t}=\frac{d \mathrm{~N}}{d t}\)
R = -Nλ
और R = R0e-λt

(v) मृत पेड़-पौधों आदि प्राचीन वस्तुओं की आयु, उनमें उपस्थित कार्बन आइसोटोप (6C14) के क्षय होने की दर निकालकर ज्ञात करने की विधि को कार्बन-आयु अंकन कहते हैं।
t = 3.3222 T log10\( \frac{\mathrm{R}_0}{\mathrm{R}}\)
जहाँ T = 6C14 की अर्द्ध आयु

→ नाभिक का आकार R = R0A1/3.

→ नाभिक का आयतन V = \(\frac{4}{3}\)πR03A

→ आइन्सटीन का द्रव्यमान ऊर्जा समीकरण
ΔE = (Δm)c2

→ द्रव्यमान क्षति
Δm = [Zmp + (A-Z)mn] - m

→ नाभिक की बन्धन ऊर्जा
ΔE = (Δm)c2
= [{Zmp +(A - Z)mn} - m

→ बन्धन ऊर्जा प्रति न्यूक्लिऑन = \(\frac{\Delta \mathrm{E}}{\mathrm{A}}\)

→ संकुलन गुणांक (p) = \(\frac{\Delta \mathrm{m}}{\mathrm{A}}\)

→ नाभिकीय अभिक्रिया में मुक्त ऊर्जा Q = (Δm)c2

→ विखण्डनों की संख्या
RBSE Class 12 Physics Notes Chapter 13 नाभिक 2

RBSE Class 12 Physics Notes Chapter 13 नाभिक

→ रदरफोर्ड व सोडी समीकरण
N = N0e-λt

→ n अर्द्ध-आयुओं के पश्चात् शेष नाभिकों की संख्या
N = N0\(\left(\frac{1}{2}\right)^n\)

→ अर्द्ध-आयु T = \(\frac{\log _e{ }^2}{\lambda}=\frac{0.6931}{\lambda}\)

→ माध्य-आयु τ = \(\frac{1}{\lambda}\)

→ माध्य-आयु व अर्द्ध-आयु में सम्बन्ध
τ = 1.44T

→ रेडियोऐक्टिव पदार्थों की सक्रियता
R = -λN
R = R0e-λt
R = R0\(\left(\frac{1}{2}\right)^n\)

→ समप्रोटानिक (Isoprotonic):
किसी एक ही तत्व के ऐसे परमाणु जिनके नाभिकों में प्रोटॉनों की संख्या समान होती है, परन्तु न्यूट्रॉनों की संख्या अलग-अलग होती है।

→ नाभिकीय बलों की संतृप्तता (Saturation):
इसका अर्थ है कि नाभिक के अन्दर कोई भी न्यूक्लियान अपने निकटतम कुछ सीमित न्यूक्लिऑनों से ही पारस्परिक क्रिया करता है (न कि नाभिक के दूसरे सभी न्यूक्लियानों से)।

→ मेसान सिद्धान्त (Meson theory):
इसके अनुसार प्रत्येक न्यूक्लिआन (प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन) -मेसानों के एक अभ्र (cloud) से घिरा रहता है तथा प्रोटॉन व न्यूट्रॉन में अन्तर केवल मेसान-मेघों (Mesonclouds) के संगठन में अन्तर होने के कारण होता है।

RBSE Class 12 Physics Notes Chapter 13 नाभिक

→ दर्पण समभारिक (Mirror Isobars):
दो नाभिक जिनकी द्रव्यमान संख्या (A) समान हो परन्तु परमाणु क्रमांक में एक का अन्तर हो, दर्पण समभारिक कहलाते हैं।

→ रेडियो विकिरणीय परिग्रहण (Radioactive capture):
यदि उत्तेजन ऊर्जा की पर्याप्त मात्रा न हो तो नाभिक उत्तेजन ऊर्जा के बराबर - किरणें उत्सर्जित कर देता है तथा पृष्ठ तनाव के समान 'नाभिकीय बल' नाभिक को गोलीय आकार में वापस ला देते हैं। यह प्रक्रिया रेडियोएक्टिव परिग्रहण कहलाती है।

→ समृद्ध यूरेनियम (Enriched Uranium):
एक उपयुक्त तरीके द्वारा 92U235 समस्थानिक की प्रतिशतता 0.7% से 3% की जाती है। अतः ऐसा यूरेनियम जिसमें 92U235 की मात्रा लगभग 3% हो, समृद्ध यूरेनियम कहलाता है।

→ कुत्ता-हड्डी अनुरूपता (Dog-Bone Analogy):
इसमें न्यूक्लिऑनों को दो कुत्ते के समान माना गया है जो एक हड्डी की अपने दांतों से पकड़े हुए हैं। दोनों हड्डी को अपने-अपने कब्जे में लेना चाहते हैं। अतः दोनों को आसानी से अलग-अलग नहीं किया जा सकता है। दोनों कुत्ते परस्पर हड्डी द्वारा बंधे हुए हैं। यहाँ पर मेसान हड्डी की तरह कार्य करता है। अतः इ-मेसान कणों के विनिमय से न्यूक्लिआन परस्पर बंधे रहते हैं, अर्थात् नाभिकीय बल उत्पन्न होता है।

→ ट्रेसर (Tracer):
किसी मिश्रण में उपस्थित रेडियोसमस्थानिक की अति सूक्ष्म मात्रा को ट्रेसर कहते हैं।

→ क्लाउड चेम्बर (Cloud Chamber):
इसका उपयोग रेडियोधर्मी पदार्थों के विभेदन के लिए तथा उनके मार्ग, परास व ऊर्जा की गणना के लिए किया जाता है।

Prasanna
Last Updated on Nov. 22, 2023, 5:22 p.m.
Published Nov. 21, 2023