RBSE Class 12 Home Science Notes Chapter 7 प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा

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RBSE Class 12 Home Science Chapter 7 Notes प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा

(अ) महत्त्व:
प्रारम्भिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा मानव विकास के अध्ययन का एक बहुत महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है। यथा

→ शिश का तेजी से सीखना व अपने पर संतुलन करना व मल-मत्र विसर्जन पर नियंत्रण करना

  • (i) नन्हें शिशु बहुत छोटी उम्र में ही सीखना शुरू कर देते हैं। छोटा बच्चा माँ के अतिरिक्त परिवार के अन्य सदस्यों और उन लोगों को पहचानने लगता है, जिनसे वह नियमित रूप से मिलता है।
  • (ii) 8-12 माह का छोटा बच्चा परिचित और अपरिचित लोगों के बीच अन्तर करना सीखता है। यह वह स्थिति | है जब वह अनजान व्यक्ति के प्रति भय उत्पन्न करता है।
  • (iii) अपने सुरक्षा के भाव के अन्तर्गत पहले वह अपनी माँ से अत्यधिक लगाव रखता है, उससे चिपके रहता है। धीरे-धीरे उसमें माँ की अनुपस्थिति में भी सुरक्षा का बोध विकसित हो जाता है।
  • (iv) बच्चा बहुत तेजी से बढ़ता है, चलना, ठीक से चीजों को पकड़ना, शरीर को संतुलित करना सीखता है तथा वह मल-मूत्र विसर्जन पर नियंत्रण भी सीखता है।

→ क्रेच:
प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल का प्रमुख केन्द्र है परिवार। लेकिन आजकल संस्थागत देखभाल की आवश्यकता बढ़ती जा रही है। अतः शिशु केन्द्र (क्रेच) को प्राथमिक देखभालकर्ता के विकल्प के रूप में देखा जाता है।

RBSE Class 12 Home Science Notes Chapter 7 प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा 

→ सीखने के लिए अनुकूल परिवेश की आवश्यकता:
बच्चे के लगभग 3 वर्ष का हो जाने पर उसकी गतिविधियाँ और अनुभव बढ़ने लगते हैं और इस उम्र में सीखने के लिए अनुकूल परिवेश प्रदान करना और बच्चे पर सीखने की क्षमता से अधिक बोझ न डालने का विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। इसलिए इस उम्र में बच्चे के लिए सीखने का सबसे अनुकूल परिवेश वह है जो सुरक्षित, निरापद, प्रेमपूर्ण, विविध प्रकार के व्यक्तियों और खेल सामग्रियों से युक्त हों तथा वहाँ देखभाल करने वाले वयस्क, जैसे—माँ, दादी, दादा अथवा विद्यालय पूर्व शिक्षक या भाई-बहिन उपस्थित हों।

→ अच्छे विद्यालय पूर्व केन्द्र के लाभ-किसी अच्छे विद्यालय पूर्व केन्द्र की पढ़ाई और अन्य अनुभव इस उम्र के बच्चों के लिए अत्यधिक लाभदायक हैं। यथा

  • (i) बाल-केन्द्रित उपागम और खेल-खेल में सीखने का तरीका बच्चों के लिए सबसे उपयुक्त होता है।
  • (ii) बच्चा दूसरों के साथ बहत तेजी से कार्य करना सीखता है।
  • (ii) कठिन परिस्थितियों में पलने वाले या जिन्हें सीखने के लिए अतिरिक्त सहायता की जरूरत होती है, उनके लिए यह परिवेश लाभदायक है।
  • (iv) यहाँ के अनुभव बच्चे की अन्य वयस्कों तथा परिवेश और वस्तुओं से सम्बन्धित जानकारी बढ़ाते हैं। ।
  • (v) ये केन्द्र छोटे बच्चों को विद्यालय में पढ़ने के लिए तैयार करते हैं।
  • (vi) अपने छोटे भाई-बहिन की देखभाल की जिम्मेदारी के कारण जहाँ बड़ा बच्चा विद्यालय नहीं जा पाता, वहाँ ये केन्द्र उनके लिए भी लाभदायक हैं। 

→ प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा के उद्देश्य

  • (i) बच्चे का समग्र विकास जिससे वह अपनी क्षमता पहचान सके।
  • (ii) विद्यालय के लिए तैयारी।
  • (iii) महिलाओं और बच्चों के लिए सहायक सेवाएँ प्रदान करना।

(ब) मूलभूत संकल्पनाएँ

  • (i) शैशवावस्था-शिशु की जन्म से लेकर 1 या 2 वर्ष तक की अवधि है।
  • (ii) शिशु केन्द्र-एक संस्थागत व्यवस्था का नाम, जिसे शिशुओं और छोटे बच्चों की घर में देखभाल करने वालों की अनुपस्थिति में देखभाल के लिए बनाया गया है।
  • (ii) दिवस देखभाल केन्द्र (डे केयर सेंटर)-ये विद्यालय पूर्व वर्षों में दिन में बच्चों की देखभाल करते हैं। इसमें शिशु एवं विद्यालय पूर्व के बच्चे शामिल हो सकते हैं और घर में प्रमुख देखभालकर्ता की अनुपस्थिति में इनकी देखभाल की जाती है।
  • (iv) टॉडलर-दो से तीन वर्ष के बच्चों को कभी-कभी 'टॉडलर' कहा जाता है । इस शब्द की उत्पत्ति बच्चों की फुदक कर चलने की प्रवृत्ति से हुई है।
  • (v) विद्यालय पूर्व बच्चा-विद्यालय पूर्व बच्चा नाम इसलिए दिया गया है, क्योंकि 3 वर्ष की उम्र का बच्चा किसी ऐसे परिवेश में रहने के लिए तैयार होता है जो परिवार से बाहर का होता है। इसके लिए भी शिक्षक के विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।
  • (vi) मॉन्टेसरी स्कूल-छोटे बच्चों के लिए कुछ विद्यालय पूर्व केन्द्र, प्रायः मॉन्टेसरी स्कूल कहलाते हैं । ये ऐसे विद्यालय हैं जो प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा के उन सिद्धान्तों पर आधारित हैं जिनकी रूपरेखा विख्यात शिक्षाविद मारिया मॉन्टेसरी द्वारा बनाई गई है।
  • (vii) आँगनबाड़ी-भारत सरकार ने इस आयु समूह की आवश्यकताओं को आँगनबाड़ी द्वारा विद्यालय पूर्व शिक्षा देकर पूरा किया है।
  • (viii) राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (2005)-एन.सी.एफ. के के.सी.सी.ई. पर प्रकाशन के अनुसार इसमें ई.सी.सी.ई. के मार्गदर्शी सिद्धान्त बताए गए हैं।

(स) जीविका के लिए तैयारी करना

  • 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों की दुनिया और सामाजिक-सम्बन्धों को समझने के विशिष्ट तरीके होते हैं, उनकी विकासात्मक जरूरतें भिन्न होती हैं। अत: बच्चों के लिए काम करने वाले किसी वयस्क व्यक्ति को प्रारंभिक बाल्य विकास और देखभाल के क्षेत्र में सुप्रशिक्षित और सावधान होना चाहिए। 
  • कुछ कौशल जो प्रारंभिक बाल्यावस्था के व्यावसायिकों में जो गुण होने चाहिए, वे इस प्रकार हैं
    • बच्चों और उनके विकास में रुचि
    • छोटे बच्चों की आवश्यकताओं और क्षमताओं के बारे में जानकारी।
    • बच्चों से बातचीत करने की क्षमता और प्रेरणा।।
    • विकास के सभी क्षेत्रों में बच्चों के साथ रचनात्मक और रोचक गतिविधियों के लिए कौशल।
    • कहानी सुनाने, खोज-बीन करने, प्रकृति सम्बन्धी और सामाजिक अन्तःक्रिया जैसे कार्यकलापों के लिए उत्साह।
    • बच्चों की शंकाओं/प्रश्नों के उत्तरं देने की इच्छा और रुचि।
    • व्यक्तिगत भिन्नताओं को समझने की क्षमता।
    • काफी लम्बे समय तक शारीरिक गतिविधियों के लिए सक्रियता और उनके लिए तत्पर रहना।
  • इस क्षेत्र में जीविका (करिअर ) की तैयारी करने वाले व्यक्ति की शैक्षिक योग्यताएँ
    • उसे बाल/मानव विकास और/अथवा बाल मनोविज्ञान जैसे विषय में स्नातक-पूर्व उपाधि होना आवश्यक
    • शिक्षा पूर्ण करने के बाद इस क्षेत्र में एक वर्ष का डिप्लोमा अथवा मुक्त विश्वविद्यालय के शैक्षिक पाठ्यक्रमों में डिप्लोमा का होना एक अन्य विकल्प है।
    • नर्सरी टीचर ट्रेनिंग एक अन्य ऐसा पाठ्यक्रम है जो इस क्षेत्र में प्रशिक्षण प्रदान करता है।
    • इन पाठ्यक्रमों के अतिरिक्त, उसमें बच्चों के प्रति उदारता और उनसे अन्तःक्रिया करने का रुझान, समुदाय और संस्कृति की जानकारी, रिकार्ड रखने, लेखाकरण तथा रिपोर्ट लिखने के लिए आवश्यक प्रबंधकीय कौशलों में सक्षमता, अभिभावकों के साथ प्रभावी व अर्थपूर्ण अन्तःक्रिया की सक्षमता, विविध कला कौशलों-कहानी सुनाने, नृत्य, संगीत, खेल-कूद गतिविधियों आदि का होना आवश्यक है।

RBSE Class 12 Home Science Notes Chapter 7 प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा

(द) कार्य-क्षेत्र प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा का कार्यक्षेत्र बहुत व्यापक है। इस क्षेत्र में उपलब्ध कुछ सामान्य सेवाएँ निम्न हैं

  • शिशु देखभाल केन्द्र 
  • दिवस देखभाल केन्द्र 
  • नर्सरी स्कूल
  • गैर सरकारी संगठन (एन.जी.ओ.)
  • समेकित बाल विकास सेवाएँ
  • प्रशिक्षण संस्थान जीविका के अवसर-इस क्षेत्र में जीविका के निम्नलिखित अवसर हैं
    • नर्सरी स्कूलों में शिक्षक।
    • शिशु देखभाल केन्द्र और दिवस देखभाल केन्द्रों में देखभालकर्ता।
    • छोटे बच्चों के लिए कार्यक्रमों के दल के सदस्य।
    • सरकारी अथवा गैर सरकारी संगठनों द्वारा बच्चों के लिए आयोजित अभियानों अथवा सेवाओं की योजना बनाने और संवर्धन करने के लिए व्यावसायिक।
    • बाल-संबंधी क्रियाकलापों में उद्यमी शिविर, शैक्षिक पिकनिक, क्रिया-क्लब, विद्यालय-पूर्व शिक्षा केन्द्र में जीविका के अवसर।
    • उच्च शिक्षा-प्रारंभिक बाल्यावस्था में स्नातकोत्तर डिप्लोमा अथवा डिग्री के बाद इस क्षेत्र में अनुसंधान सहित पी.एच.डी. कर शोध कार्य या शिक्षण प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षण कार्य।
Prasanna
Last Updated on July 15, 2022, 11:38 a.m.
Published July 15, 2022